प्रधानमंत्री का उत्तराखंड का प्रस्तावित दौरा टला, कारण मौसम, चर्चा कुछ और की… जानें क्यों लगातार गिर रही भाजपा सरकार की साख…

-राज्य में संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल के विवादास्पद बयान, UCC में लिव-इन के प्रविधानों और भूकानून के कारण जनता में फैल रहा सरकार के प्रति आक्रोश
नवीन समाचार, देहरादून, 25 फरवरी 2025 (Why Modi Proposed visit to Uttarakhand Cancelled)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 26 और 27 फरवरी का उत्तराखंड में प्रस्तावित दौरा फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। अब संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने 6 मार्च को उत्तराखंड आ सकते हैं।
प्रधानमंत्री के दौरे के स्थगित होने का कारण मौसम विभाग की चेतावनी को बताया गया है, किंतु चर्चा है कि प्रधानमंत्री के उत्तराखंड आगमन के कार्यक्रम के लगातार दूसरी बार स्थगित होने का मूल कारण राज्य की वह स्थितियां हैं जो प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल के बजट सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में दिये गये उनके वक्तव्य के बाद उत्पन्न हुई हैं, जिनसे राज्य की मूल अवधारणा से जुड़े लोगों के साथ ही आम लोग मंत्री के माफी मांगने के बावजूद खासे आक्रोशित और उद्वेलित हैं और यह विषय मंत्री के विरोध से आगे प्रदेश की विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से होते हुए भाजपा के विरोध तक पहुंच गया है और जनांदोलन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है।
यह था प्रधानमंत्री का प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम और इससे उम्मीदें
इस बार उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की गई है, जिसे लेकर एक भव्य कार्यक्रम प्रस्तावित था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चारधाम यात्रा के किसी शीतकालीन गद्दी स्थल या प्रमुख पर्यटन स्थल का दौरा करने का आग्रह किया था, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 27 फरवरी को गंगोत्री धाम के शीतकालीन गद्दी स्थल मुखवा में पूजा-अर्चना करने के साथ ही सीमावर्ती गांव बगोरी का दौरा करने और हर्षिल में एक जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम तय था। देखिए उस दिन कांग्रेस विधायक बुटौला के साथ क्या हुआ था ?
शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने की योजना
सरकार पहली बार राज्य में शीतकालीन यात्रा को बड़े स्तर पर बढ़ावा दे रही है, ताकि उत्तराखंड में पर्यटन को वर्ष भर प्रोत्साहित किया जा सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलें। अब तक 36 हजार यात्री इस यात्रा पर आकर इस पर बहुत सकारात्मक संभावनाएं भी जता चुकी हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी बहाना तो नहीं ?
प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की थीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को स्वयं तैयारियों का जायजा भी लिया था, लेकिन इसी बीच मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया कि उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी हो सकती है। ऐसे में प्रधानमंत्री का दौरा सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दिया गया है।
हालांकि बताया जा रहा है कि मौसम विभाग की चेतावनी ‘येलो लेवल’ की है, और इसमें बहुत अधिक घबराने जैसा कुछ नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि मौसम इस स्तर तक खराब होने भी जा रहा है तो क्या पहले से इसका अनुमान नहीं था जो पहले प्रधानमंत्री का कार्यक्रम पहले रखा गया और अब लगातार दूसरी बार इसे स्थगित करना पड़ रहा है।
इन कारणों से भी आक्रोशित है उत्तराखंड की जनता
कुछ समय पूर्व तक, खासकर नगर पालिका चुनाव के परिणाम एक हद तक अपने पक्ष में आने और राज्य में पहली बार हुए राष्ट्रीय खेलों की सफलता और पदकों के शतक के बाद भी उत्तराखंड में भाजपा सरकार छिटपुट विरोध के बावजूद ठीक-ठाक चल रही थी। लेकिन इसके बाद यूसीसी और भूकानून आने के बाद से भाजपा सरकार पर जैसे किसी की नजर लग गयी और रही-सही कसर मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल के बयान ने पूरी कर दी है। आइये इन विषयों पर क्या है जनता को आपत्ति:
1- यूसीसी में लिव-इन को शामिल करने पर बड़ी आपत्ति, उच्च न्यायालय में मिली चुनौती
यूसीयी यानी समान नागरिक संहिता को लेकर सर्वाधिक आशंका मुस्लिमों के विरोध को लेकर थी, किंतु इसमें शामिल लिव-इन पर विरोध मुस्लिमों के विरोध से भी आगे बढ़ चुका है, क्योंकि इसका विरोध हर वर्ग में है। पहला आरोप देवभूमि में लिव-इन जैसी पाश्चात्य सभ्यता की समस्या लिव-इन को कानूनी मान्यता देने को लेकर है। दूसरा विरोध लिव-इन से उत्पन्न बच्चे को वैध बच्चों की तरह के हक के साथ संपत्ति में हिस्सा देने का है।
लोग यहां तक आशंका व्यक्त कर रहे हैं भाजपा सरकार ने इस प्राविधान से ‘लव जिहाद’ को और अधिक बढ़ाने का रास्ता खोल दिया है। क्योंकि कोई भी दूसरे धर्म का व्यक्ति अब यहां के युवक या युवती के साथ अपने लिव-इन संबंध को पंजीकृत कराकर और उसके साथ संतानोत्पत्ति कर पहाड़ की पुश्तैनी जमीनों का मालिक बन जाएगा, और उस बाहरी-विधर्मी व्यक्ति से संबंध बनाने वाले पहाड़ के बेटे या बेटी के कर्मों की सजा उसके पूरे परिवार के साथ पूरे गांव और पहाड़ को भुगतनी पड़ेगी। यह भी आरोप है कि समान नागरिक संहिता में लिव-इन के प्राविधान को शामिल करना नितांत गैरप्रासंगिक है।
2-भूकानून पर यह हैं आशंकाएं
वहीं भूकानून को लेकर यह बात आम है कि इसके बाद राज्य के 11 जनपदों में भूमि की बाहरी लोगों द्वारा की जाने वाली खरीद पर जो रोक लगेगी वह तो तब लगेगी जब राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल जाएगी और इसका गजट नोटिफिकेशन लागू हो जाएगा, लेकिन तब तक के लिये राज्य में पर्वतीय जमीनों को खरीदने के लिये बाहरी लोगों को पूरी छूट दे दी गयी है। इस पर तत्काल रोक नहीं लगायी गयी है। दूसरे दो जनपदों और राज्य के नगर निकायों को भूकानून से बाहर रखने पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि बाहरी लोग भूकानून से छूटे दो जनपदों व नगर निकायों में जमीनें खरीदकर आगे भविष्य में पर्वतीय क्षेत्रों की जमीनें खरीदने का हक प्राप्त कर लेंगे।
मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल का विरोध
इधर राज्य विधानसभा में मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल जो कह गये, कहा जा रहा है कि वह आवेश में उत्तराखंड विरोधियों-उत्तराखंड राज्य की प्राप्ति में कोई योगदान न देने वालों, बल्कि राज्य आंदोलन के दौरान अलग राज्य का विरोध कर रहे लोगों की पहाड़वासियों के प्रति आवेश में बाहर निकली अंदर की कटु भावनाएं है। वे पर्वतीय राज्य के रूप में उत्तराखंड का लाभ तो लेना चाहते हैं लेकिन पहाड़ के हिस्से का सबकुछ खा जाना भी चाहते हैं। उनकी मानसिकता आज भी पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों के लोगों से अलग नहीं है।
इस मामले में राज्य की जनता केवल मंत्री से ही नहीं, वरन उनके बयान का प्रतिकार करने वाले बद्रीनाथ के नये विधायक लखपत सिंह बुटौला को वाणी की संयमितता का पाठ पढ़ाकर डपटने वाली विधानसभा अध्यक्ष से भी हैं जो यही पाठ अपनी वाणी पर संयम न रख पाए मंत्री को नहीं पढ़ा पायीं।
जनता की नाराजगी भाजपा के साथ ही उन अन्य कांग्रेसी विधायकों से भी है, जिन्होंने भी इस मुद्दे पर बुटौला के साथ ही पहाड़ के साथ हुए अन्याय का प्रतिकार नहीं किया और बेशर्मी से सदन में बैठे रहे। साथ ही उनकी नाराजगी व आक्रोश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के उस बयान से भी आसमान पर है जिसमें उन्होंने इस विषय पर लिखने-बोलने वाले आम लोगों के साथ ही एक तरह से मीडिया का भी गला घोंटने के लिये कानूनी कार्रवाई करने की बात कही। (Why Modi Proposed visit to Uttarakhand Cancelled, Uttarakhand News, Modi in Uttarakhand, Premchand Aggarwal, Uttarakhand Politics)
मंत्री अग्रवाल का विवादों से पुराना नाता
यह पहला मौका नहीं है जब प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में आए हैं। इससे पहले भी वे विधानसभा में बैकडोर भर्ती, बेटे की नियुक्ति, विदेश यात्रा और जमीन खरीद जैसे मामलों और सड़क पर मारपीट की घटनाओं को लेकर चर्चाओं में रह चुके हैं। (Why Modi Proposed visit to Uttarakhand Cancelled, Uttarakhand News, Modi in Uttarakhand, Premchand Aggarwal, Uttarakhand Politics)
- बीच सड़क पर मारपीट का मामला
उत्तराखंड के काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल हाल के दिनों में तब चर्चा में आये थे जब उनके सुरक्षाकर्मियों का ऋषिकेश में एक व्यक्ति से सड़क पर झगड़ा हो गया और इस घटना के सामने आये वीडियो में मंत्री और उनका सुरक्षाकर्मी एक व्यक्ति से मारपीट करते दिख रहे थे। हैं।
उस घटना के बाद भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने प्रेमचंद अग्रवाल पर हमला बोलते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की थी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लेते हुए उन्हें तलब किया था। इसके बाद अग्रवाल के साथ ही पिटे व्यक्ति की ओर से एक-दूसरे के विरुद्ध पुलिस में क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई थी। - विधानसभा भर्ती मामला:
वर्ष 2022 में प्रेमचंद अग्रवाल उस समय सुर्खियों में आए जब उनके विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए नियमों को ताक पर रखकर बैकडोर से 70 से अधिक नियुक्तियां होने का मामला सामने आया था। इस मामले पर सवाल उठने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने सभी नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। - विदेश यात्रा विवाद:
बतौर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पिछले वर्ष जर्मनी की यात्रा पर गए थे। उनके इस दौरे की व्यवस्था जर्मनी की एक कंपनी ने की थी, जो हरिद्वार और देहरादून के नगर निगमों में काम कर रही थी। सवाल उठा कि क्या कंपनी को सरकारी कार्यों में लाभ पहुंचाने के लिए यह यात्रा की गई थी। हालांकि, मामला बाद में ठंडे बस्ते में चला गया। - बेटे की नियुक्ति का विवाद:
प्रेमचंद अग्रवाल पर अपने पुत्र को नियमों के विरुद्ध सरकारी पद देने का आरोप भी लगा था। जब इस पर विवाद बढ़ा तो उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ा और उनके बेटे को वह पद छोड़ना पड़ा। - ऋषिकेश में जमीन विवाद:
मंत्री पर ऋषिकेश में अवैध संपत्ति खरीदने और भूमि को खुर्दबुर्द करने के आरोप भी लगे हैं। इस मामले की जांच अब भी चल रही है।
सरकार की सख्ती या फिर सिर्फ दिखावा ? (Why Modi Proposed visit to Uttarakhand Cancelled)
विपक्ष का कहना है कि प्रेमचंद अग्रवाल लगातार विवादों में रहते हैं, लेकिन सरकार उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती। हालांकि, इस बार जिस तरह से मामला प्रधानमंत्री के स्तर तक पहुंच गया बताया जा रहा है, उसके बाद संकेत मिल रहे हैं कि सरकार सख्ती के मूड में है। आगे देखना यह होगा कि इस बार प्रेम चंद्र अग्रवाल पर कोई ठोस कार्रवाई होती है यानी उन्हें मंत्री पद से हटाया जाता है या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा। (Why Modi Proposed visit to Uttarakhand Cancelled, Uttarakhand News, Modi in Uttarakhand, Premchand Aggarwal, Uttarakhand Politics)
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