‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.11 करोड़ यानी 21.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, उत्तराखंड के सबसे पुराने, जनवरी 2010 से स्थापित, डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपना विज्ञापन संदेश ह्वाट्सएप पर हमें भेजें 8077566792 पर। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन उपलब्ध कराएं। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर 'निःशुल्क' 'नवीन समाचार' उपलब्ध कराते रह सकें...

December 22, 2024

आखिर पता चल गया कि किसकी गलती से मोबाइल फ़ोनों में आया था आधार का हेल्पलाइन नंबर

2

नैनीताल, 6 अगस्त 2018। आखिर पता चल गया है कि किसकी गलती से मोबाइल फ़ोनों में आधार का हेल्पलाइन नंबर आ गया। वास्तव में भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के सहायक निदेशक-जनरल (एएस-तृतीय) सुभाष चंद्र केसरवानी ने बीती 30 जुलाई को सभी सेवा प्रदाताओं को यूआईडीएआई के नये टॉल फ्री नंबर 1800-300-1947 के लिए छोटी कोड संख्या 1947 को तत्काल प्रभाव से प्रयोग करने के आदेश दिये थे।

देखिये केसरवानी का पत्र: https://twitter.com/ReshmiDG/status/1025438977166331906
उल्लेखनीय है कि इस बारे में तीन अगस्त 2018 को गूगल ने अपनी ओर से हुई गलती के लिए माफी भी मांग ली थी। गूगल का कहना था कि वर्ष 2014 में डाले गये आधार के हेल्पलाइन नंबर 112 को हटाने के क्रम में यह गलती होने की बात कही थी।
देखिए गूगल का पक्ष: 

यह भी पढ़ें : हेल्पलाइन नंबर के विवाद में UIDAI ने कहा-नंबर के फोन में रहने से नहीं है कोई नुक्सान

कहा- इसका हैकिंग या डेटा चोरी से कोई लेना देना नहीं, कुछ स्वार्थी तत्व आधार को लेकर फैला रहे हैं डर

UIDAIनई दिल्ली, 5 अगस्त 2018। कुछ ऐंड्रॉयड स्मार्टफोनों में आधार के हेल्पलाइन नंबर UIDAI नाम से सेव हो जाने पर मचे विवाद के बीच यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि इसका हैकिंग या डेटा चोरी से कोई लेना देना नहीं है। UIDAI ने बयान जारी करने के साथ ही ट्विटर पर भी सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया कि गूगल की गलती का फायदा कुछ निहित स्वार्थ वाले उठा रहे हैं और आधार के खिलाफ डर फैलाने के लिए कर रहे हैं। UIDAI इस तरह की कोशिशों की निंदा करता है। हेल्पलाइन नंबर से डेटा को नहीं चुराया जा सकता।

अथॉरिटी ने कहा कि ट्विटर और वॉट्सऐप जैसे कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह अफवाह फैलायी जा रही  है कि यह नंबर (ऐंड्रॉयड फोन में सेव आधार हेल्पलाइन नंबर) नुकसान पहुंचा सकता है और इससे आधार डेटा चोरी हो सकता है, लिहाजा हेल्पलाइन नंबर को तुरंत डिलीट किया जाना चाहिए। अथॉरिटी ने कहा कि सिर्फ हेल्पलाइन नंबर, (और वह भी आउटडेटेड है) से डेटा चोरी नहीं हो सकती, सिर्फ मोबाइल की कॉन्टैक्ट लिस्ट में हेल्पलाइन नंबर होने से फोन के डेटा को चोरी नहीं किया जा सकता। इसलिए नंबर को डिलीट करने की जरूरत नहीं है। कहा कि सोशल मीडिया पर इस तरह के फैलाए गए संदेश झूठे हैं और कुछ लोग स्वार्थवश गूगल की इस गलती का इस्तेमाल आधार के खिलाफ झूठी सूचनाएं फैलाने और लोगों को डराने के लिए कर रहे हैं। इतना ही नहीं, अथॉरिटी ने लोगों को यह भी सुझाव दिया कि चाहे तो UIDAI के पुराने हेल्पलाइन नंबर को अपडेट कर नए हेल्पलाइन नंबर 1947 को सेव कर सकते हैं।
अथॉरिटी ने अपने बयान में कहा कि गूगल ने खुद सफाई दी है कि 2014 में उसने UIDAI के पुराने हेल्पलाइन नंबर 18003001947 को गलती से पुलिस/फायर ब्रिगेड के नंबर 112 के साथ सेव किया था। इसके लिए गूगल ने खेद भी जताया है।

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page