‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.11 करोड़ यानी 21.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, उत्तराखंड के सबसे पुराने, जनवरी 2010 से स्थापित, डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपना विज्ञापन संदेश ह्वाट्सएप पर हमें भेजें 8077566792 पर। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन उपलब्ध कराएं। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर 'निःशुल्क' 'नवीन समाचार' उपलब्ध कराते रह सकें...

December 26, 2024

भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा 4.7 करोड़ वर्ष पुराना-बस जितना लंबा एनाकोंडा जैसा भगवान शिव के गले की शोभा-वासुकी नाग

0
Bhagwan Shiv Mahadev

नवीन समाचार, देहरादून, 20 अप्रैल 2024 (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रो. सुनील वाजपेयी और पोस्ट-डॉक्टरल फैलो देबजीत दत्ता ने सांप की एक 47 मिलियन यानी 4.7 करोड़ वर्ष पुरानी प्रजाति की खोज की है। इसे पृथ्वी पर अब तक घूमने वाले सबसे बड़े सांपों में से एक माना जाता है। यह खोज संस्थान की महत्वपूर्ण जीवाश्म खोजों की बढ़ती सूची में शामिल हो गई है। इसका नाम वासुकी इंडिकस रखा गया है। बताया गया है कि वासुकी इंडिकस 11 से 15 मीटर तक यानी एक स्कूल बस जितना लंबा हो सकता है। गौरतलब है कि भगवान शिव के गले में लिपटे नाग को वासुकी नाग माना जाता है।

King Cobra, Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag,बताया गया है कि खोजा गया सांप लगभग 47 मिलियन वर्ष पहले मध्य इओसीन काल के दौरान वर्तमान गुजरात के क्षेत्र में रहता था। यह अब विलुप्त हो चुके मडत्सोइदे सांप परिवार से संबंधित था, जो अफ्रीका, यूरोप और भारत में लगभग 100 मिलियन वर्षों से मौजूद था, और भारत के एक अद्वितीय वंश का प्रतिनिधित्व करता था।

जीवाश्म गुजरात के कच्छ में पनांद्रो लिग्नाइट खदान में पाए गए (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)

इस प्राचीन विशालकाय सांप के जीवाश्म गुजरात के कच्छ में पनांद्रो लिग्नाइट खदान में पाए गए थे। इन जीवाश्मों में से 27 कशेरुक असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित थे। इनमें से कुछ जिग्सॉ पहेली के टुकड़ों की तरह जुड़े हुए पाए गए। जब वैज्ञानिकों ने इन कशेरुकाओं को देखा तो उन्हें उनके आकार और आकृति के बारे में एक दिलचस्प चीज नजर आई।

उनका सुझाव है कि वासुकी इंडिकस का शरीर चौड़ा और बेलनाकार था, जो एक मजबूत व शक्तिशाली निर्माण की ओर इशारा करता है। वासुकी इंडिकस का आकार टाइटनोंबोआ के बराबर है। एक विशाल सांप जो कभी पृथ्वी पर घूमता था और अब तक ज्ञात सबसे लंबे सांप का खिताब रखता है। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक गुप्त शिकारी था। आज के एनाकोंडा की तरह वासुकी इंडिकस भी संभवतः धीरे-धीरे चलता था और अपने शिकार पर हमला करने के लिए सही समय का इंतजार करता था। इसके बड़े आकार ने इसे इसके प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र में एक दुर्जेय शिकारी बना दिया होगा। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)

वासुकी इंडिकस की खोज इओसीन काल के दौरान सांपों की जैव विविधता और विकास पर नई रोशनी डालती है। यह खोज न केवल भारत के प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र को समझने के लिए बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप पर सांपों के विकासवादी इतिहास को जानने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा, हमें प्रो. सुनील बाजपेयी और उनकी टीम पर बेहद गर्व है। वासुकी इंडिकस का खुलासा आईआईटी रूड़की की अभूतपूर्व जीवाश्म खोजों की बढ़ती सूची में और वृद्धि करता है। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)

आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, कू से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page