भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा 4.7 करोड़ वर्ष पुराना-बस जितना लंबा एनाकोंडा जैसा भगवान शिव के गले की शोभा-वासुकी नाग
नवीन समाचार, देहरादून, 20 अप्रैल 2024 (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रो. सुनील वाजपेयी और पोस्ट-डॉक्टरल फैलो देबजीत दत्ता ने सांप की एक 47 मिलियन यानी 4.7 करोड़ वर्ष पुरानी प्रजाति की खोज की है। इसे पृथ्वी पर अब तक घूमने वाले सबसे बड़े सांपों में से एक माना जाता है। यह खोज संस्थान की महत्वपूर्ण जीवाश्म खोजों की बढ़ती सूची में शामिल हो गई है। इसका नाम वासुकी इंडिकस रखा गया है। बताया गया है कि वासुकी इंडिकस 11 से 15 मीटर तक यानी एक स्कूल बस जितना लंबा हो सकता है। गौरतलब है कि भगवान शिव के गले में लिपटे नाग को वासुकी नाग माना जाता है।
बताया गया है कि खोजा गया सांप लगभग 47 मिलियन वर्ष पहले मध्य इओसीन काल के दौरान वर्तमान गुजरात के क्षेत्र में रहता था। यह अब विलुप्त हो चुके मडत्सोइदे सांप परिवार से संबंधित था, जो अफ्रीका, यूरोप और भारत में लगभग 100 मिलियन वर्षों से मौजूद था, और भारत के एक अद्वितीय वंश का प्रतिनिधित्व करता था।
जीवाश्म गुजरात के कच्छ में पनांद्रो लिग्नाइट खदान में पाए गए (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)
इस प्राचीन विशालकाय सांप के जीवाश्म गुजरात के कच्छ में पनांद्रो लिग्नाइट खदान में पाए गए थे। इन जीवाश्मों में से 27 कशेरुक असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित थे। इनमें से कुछ जिग्सॉ पहेली के टुकड़ों की तरह जुड़े हुए पाए गए। जब वैज्ञानिकों ने इन कशेरुकाओं को देखा तो उन्हें उनके आकार और आकृति के बारे में एक दिलचस्प चीज नजर आई।
उनका सुझाव है कि वासुकी इंडिकस का शरीर चौड़ा और बेलनाकार था, जो एक मजबूत व शक्तिशाली निर्माण की ओर इशारा करता है। वासुकी इंडिकस का आकार टाइटनोंबोआ के बराबर है। एक विशाल सांप जो कभी पृथ्वी पर घूमता था और अब तक ज्ञात सबसे लंबे सांप का खिताब रखता है। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक गुप्त शिकारी था। आज के एनाकोंडा की तरह वासुकी इंडिकस भी संभवतः धीरे-धीरे चलता था और अपने शिकार पर हमला करने के लिए सही समय का इंतजार करता था। इसके बड़े आकार ने इसे इसके प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र में एक दुर्जेय शिकारी बना दिया होगा। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)
वासुकी इंडिकस की खोज इओसीन काल के दौरान सांपों की जैव विविधता और विकास पर नई रोशनी डालती है। यह खोज न केवल भारत के प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र को समझने के लिए बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप पर सांपों के विकासवादी इतिहास को जानने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा, हमें प्रो. सुनील बाजपेयी और उनकी टीम पर बेहद गर्व है। वासुकी इंडिकस का खुलासा आईआईटी रूड़की की अभूतपूर्व जीवाश्म खोजों की बढ़ती सूची में और वृद्धि करता है। (Indian scientists discovered Shiv jis Vasuki Nag)
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