डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 मार्च 2024 (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)। राजधानी देहरादून के बाद प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित लोकसभा सीट नैनीताल आजादी के बाद से ही लगातार वीआईपी सीट रही है। आजादी के बाद से ही इस सीट को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत और बीते दशक तक देश, प्रदेश की राजनीति के पर्याय रहे पूर्व मुख्यमंत्राी पं नारायण दत्त तिवारी हमेशा वीआईपी सीट का दर्जा दिलाये रहे।
उत्तराखंड प्रदेश के दो मंडलों में से एक कुमाऊं का मुख्यालय नैनीताल पूर्ववर्ती यूपी और नवसृजित उत्तराखंड के साथ देश की राजनीति को भी हमेशा से प्रभावित करता रहा है। बेशक आजादी से पूर्व तत्कालीन उत्तर प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री और देश के प्रथम गृह मंत्री भारत रत्न पं. गोविंद वल्लभ पंत यहां से चुनाव नहीं लड़े, परंतु निकटवर्ती अल्मोड़ा जनपद के खूंट गांव निवासी पंत की नैनीताल कर्मभूमि रही।
1957 तक पंत के दामाद सीडी पांडे के हाथ रहा नैनीताल (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
इसलिए 1951 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1957 तक यह सीट पंडित पंत के दामाद कांग्रेस के सीडी पांडे के हाथ रही और उनके बाद 1962 में पंत के पुत्र कृष्ण चंद्र पंत ने यहीं से उनकी राजनीतिक विरासत को संभालते हुऐ लगातार 1971 तक कांग्रेस के टिकट पर सांसदी संभाली। इस बीच कृष्ण के राजनीतिक सखा पं. नारायण दत्त तिवारी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के झंडे तले 1957 में यूपी विधानसभा की राजनीति में पदार्पण कर चुके थे।
कई बार हारे तिवारी (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
लेकिन 1977 के चुनाव में आपातकाल के बाद ‘इंदिरा भगाओ, देश बचाओ’ के दौर में पंत को बीएलडी यानी भारतीय लोक दल के नऐ व अनाम चेहरे भारत भूषण ने पटखनी दे दी। लेकिन देश के पहले ‘गैर कांग्रेसी’ सरकार के प्रयोग के 1980 में ध्वस्त हो जाने और पंत के चुनाव हारने के खामियाजे के बीच तिवारी को नैनीताल से केंद्रीय राजनीति का मार्ग मिल गया।
किंतु 1991 की ‘राम लहर’ में भाजपा के एक अनजान से ‘कार सेवक’ बलराज पासी से तिवारी को जबर्दस्त पटखनी मिली। लेकिन 1996 में तिवारी फिर से अपनी ‘तिवारी कांग्रेस’ के टिकट पर यहां से जीते। इसी बीच पंत भाजपा में शमिल हो गऐ थे और 1998 के उपचुनावों में उनकी पत्नी इला पंत पहली बार चुनाव लड़ते हुऐ यहां से वापस कांग्रेस में लौटे तिवारी के मुकाबले खड़ी हुईं, और पासी की तरह ही उन्हें दूसरी बार भाजपा की ओर से धूल चटा दी। इस लोक सभा चुनाव से ठीक 1 दिन पहले एक नाटकीय घटनाक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को हटाकर जगदंबिका पाल एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे।
2002 में तिवारी वापस नैनीताल से जीत के साथ लौटे परंतु बीच कार्यकाल, 1984 में यूपी की मुख्यमंत्री की गद्दी लपकने की पुनरावृत्ति करते हुए नवसृजित उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बन गऐ। इसके बाद भी दोनों नेताओं का किसी न किसी प्रकार नैनीताल की राजनीति में दखल रहा, और दोनों की ‘छोटी-बड़ी धोती’ चुनाव में छाई रही।
तब नैनीताल के सांसद बन सकते थे देश के प्रधानमंत्री
नैनीताल लोकसभा एक बार ऐसी स्थिति में भी आयी, जब यहां का सांसद देश का प्रधानमंत्री बन सकता था। तब पंडित नारायण दत्त तिवारी राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर थे। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में उनका नाम शामिल था। उनकी विकास पुरुष की छवि भी थी। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के साथ ही भारत सरकार में विदेश मंत्रालय समेत कई अन्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। राजनीति में उनका बहुत बड़ा कद था। नैनीताल से वह वर्ष 1980 का लोकसभा चुनाव भी जीते थे।
वह वर्ष 1991 का लोक सभा चुनाव था। इसी चुनाव में प्रचार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदारों में एनडी का नाम भी तेजी से दौड़ने लगा था। तब सोनिया गांधी भी राजनीति में सक्रिय नहीं थी। ऐसे समय में एनडी आत्मविश्वास से भरे नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे। तब नैनीताल लोक सभा में उत्तर प्रदेश का बरेली जनपद का बहेड़ी का क्षेत्र भी शामिल था।
उनके विरुद्ध भाजपा से पहली बार चुनाव लड़ रहे नए चेहरे बलराज पासी थे। भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने इस चुनाव से ठीक पहले सितंबर 1990 में पूरे देश में राम रथयात्रा निकाली थी। इसके प्रभाव से देश में ‘राम लहर’ चल रही थी। ऐसे में एनडी पासी से चुनाव हार गये। यह हार एनडी को जीवनपर्यंत सालती रही। क्योंकि वह चुनाव जीत गये होते तो संभवतया प्रधानमंत्री भी बन गये होते। एनडी के अनुसार वह इस चुनाव में अभिनेता दिलीप कुमार को प्रचार के लिये बहेड़ी ले आये थे। दिलीप कुमार का वास्तव में मुस्लिम होना और एनडी के समर्थन में खड़े होना जनता को पसंद नहीं आया।
कोश्यारी ने बनाया रिकॉर्ड (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
लेकिन 2014 में भाजपा में ‘मोदी युग’ की शुरुआत के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव में अपने निकटवर्ती प्रत्याशी दो बार के कांग्रेस सांसद केसी सिंह बाबा को दो लाख 84 हजार 717 वोटों के अंतर से हराया। यही नहीं, कोश्यारी को इस चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों से अधिक और अब तक के रिकार्ड 11,01,435 मतों में से 57.78 फीसद यानी 6,36,669 मत मिले, जबकि उनके विरोध में अन्य सभी प्रत्याशियों को मिलकार 4,64,666 वोट ही मिले थे। इस तरह कोश्यारी ने नैनीताल का ‘वीवीआईपी’ सीट का दर्ज बरकरार रखा। (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
भट्ट ने रावत को हराकर तोड़ा कोश्यारी का रिकॉर्ड (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
आगे 2019 के चुनाव में कोश्यारी की जगह अजय भट्ट भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जैसे दिग्गज को मोदी की सुनामी में कोश्यारी से भी अधिक और राज्य की सभी सीटों में सर्वाधिक यानी रिकॉर्ड 3 लाख 39 हजार से अधिक वोटों से हराया और केंद्र में पर्यटन एवं रक्षा मंत्रालयों में राज्य मंत्री बने तथा नैनीताल का वीआईपी सीट का दर्जा बरकरार रखा। (Nainital always been a VIP seat with Pant Tiwari)
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