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December 22, 2024

जिसे भी देता है ‘छप्पर फाड़ कर’ देता है उत्तराखंड, क्या इस बार भी देगा ? हाँ तो किसे ?

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Uttarakhand Lok Sabha Chunav

-चार में 3 लोक सभा चुनाव में 5 की 5 सीटें गयीं एक पार्टी के पक्ष में
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 मार्च 2024 (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)। सामान्यतया छोटे राज्यों की पहचान बिखरा हुआ सा जनादेश देने की होती है। लेकिन छोटा सा राज्य उत्तराखंड अब भाजपा के दौर में नहीं, बल्कि पहले कांग्रेस के दौर से अपना ठोस जनादेश देने की पहचान बना चुका है।

आंकड़े गवाह हैं कि राज्य बनने के बाद से हुए 4 लोकसभा चुनावों में से 3 में राज्य की पांचों सीटें 1 पार्टी के पक्ष में गयी हैं। यह भी तथ्य है कि जिस पार्टी के पक्ष में गयी हैं, उसी की केंद्र में सरकार बनी है। यानी कह सकते हैं कि देश का चुनाव परिणाम देखना हो तो उत्तराखंड का मूड और चुनाव परिणाम देख लें। जो उत्तराखंड जीतेगा-समझो, वह ही देश पर राज करेगा।

2004 में भाजपा 3 सीटें जीती (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

BJP Chunav, Nainitals Ghoda Library, Tibetan New Year, Uttarakhand gives Mandate to 1 Party, राज्य गठन के बाद वर्ष 2004 में हुए पहले आम चुनाव से उत्तराखंड यही संदेश देता आया है। 2004 का चुनाव उत्तराखंड का पहला चुनाव था। तब तक शायद उत्तराखंड राजनीतिक तौर व्यवस्थित नहीं हो पाया था। राज्य भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सरकार की संस्तुति पर भाजपा के ही नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बनाया, लेकिन राज्य की अंतरिम सरकार के व्यवस्थित होने से पहले 2002 में विधानसभा चुनाव हो गये और भाजपा हार गयी।

केंद्र में भी भाजपा हार गयी थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इन परिस्थितियों में 2004 के चुनाव में भाजपा के खाते में गढ़वाल, टिहरी और अल्मोड़ा यानी 3 सीटें आयी थीं और कांग्रेस को नैनीताल और सपा को हरिद्वार यानी 1-1 सीटों पर जीत मिली थी। यानी भाजपा को उत्तराखंड की जनता ने अपना बड़ा समर्थन दिया था।

2009 में कांग्रेस ने किया क्लीन स्वीप (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

chunavवर्ष 2009 के चुनाव से पहले उत्तराखंड में 2002 से 2007 तक और देश में कांग्रेस की सरकार थी। 2007 में भुवन चंद्र खंडूड़ी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने तो अपनी कड़क और जनता से दूर रहने की उनकी छवि 2009 के लोक सभा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ी और राज्य में सत्तारूढ़ होते हुये भाजपा पांचों सीटें हार गयी ओर कांग्रेस पांचों सीटें जीत गयी।

इस चुनाव में कांग्रेस को अब तक के भी रिकॉर्ड 43.14 प्रतिशत जबकि भाजपा को 33.82 प्रतिशत मत मिले थे। इसके साथ केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनी। इस हार का दंड खंडूड़ी को मुख्यमंत्री के पद से हटाने के रूप में मिला। चुनाव के ठीक बाद जून 2007 में भाजपा ने डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को मुख्यमंत्री बनाया।

2014 में कांग्रेस पर भारी पड़े भ्रष्टाचार के आरोप, भाजपा-5, कांग्रेस-0 (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

BJP Chunav, Nainitals Ghoda Library, Tibetan New Yearउत्तराखंड के तीसरे आम चुनाव 2014 में भाजपा ने केंद्र की यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, महंगाई और केदारनाथ आपदा के मुद्दे पर जमकर घेरा। केदारनाथ की आपदा के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के हटने के बाद लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले फरवरी 2014 में मुख्यमंत्री बने हरीश रावत पार्टी से अधिक खुद को आगे बढ़ाने और कांग्रेस को भी हरीश कांग्रेस बनाने के साथ खुद को भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बरक्स खड़ा करते दिखे।

इस चुनाव में मोदी के सामने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं की जगह 2 माह के मुख्यमंत्री हरीश रावत की फोटो छपती थी। इसका चुनाव परिणाम भाजपा-5, कांग्रेस-0 के रूप में आया। भाजपा ने मोदी लहर में पहली बार राज्य की पांचों सीटों पर क्लीन स्वीप का रिकार्ड बना दिया।

2019 में भाजपा ने 61.66 मतों के साथ और मजबूत किया उत्तराखंड का किला (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

BJP Chunav, Nainitals Ghoda Library, Tibetan New Yearवर्ष 2019 के आम चुनाव तक सब कुछ भाजपा के पक्ष में आ चुका था। देश में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार तो थी ही उत्तराखंड से भी कांग्रेस की हरीश रावत की सरकार जा चुकी थी। भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार थी। फलस्वरूप भाजपा ने खुद को और मजबूत करते हुए अब तक के किसी भी पार्टी के सर्वाधिक-रिकॉर्ड 61.66 प्रतिशत मतों के साथ राज्य के इतिहास में लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप यानी 5 की 5 सीटें जीतने का रिकार्ड बनाकर उत्तराखंड से जीत दर्ज की और उत्तराखंड में अपना किला मजबूत कर दिया।

2024 में क्या (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

गौरतलब है कि 2024 का चुनाव भाजपा के पक्ष में 2019 से भी अधिक अनुकूल परिस्थितियों में हो रहा है, जब केंद्र व राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। दूसरी ओर कांग्रेस जबर्दस्त दबाव में नजर आ रही है। उसके बड़े नेता चुनाव लड़ने को तैयार नजर नहीं आ आ रहे हैं। उसके अब तक घोषित तीन प्रत्याशियों में दो पूर्व विधायक, उनमें से भी एक हारे हुए विधायक और एक दो बार लगातार लोकसभा चुनाव हारे प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

2 सीटों पर पार्टी चुनाव की घोषणा के बाद भी अपने प्रत्याशी खड़े नहीं कर पाई है। उसके एक वर्तमान विधायक सहित करीब आधा दर्जन पूर्व विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये हैं। इन स्थितियों में चुनाव का परिणाम सफेद कागज पर काली स्याही से लिखा हुआ सा साफ नजर आ रहा है। (Uttarakhand gives Mandate to 1 Party)

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