कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड की आर्थिकी की गंभीर स्थिति उजागर
-4 वर्ष में 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया कर्ज, हर वर्ष चुकाने पड़ सकते हैं 14 से 19 हजार करोड़ रुपये
नवीन समाचार, देहरादून, 23 अगस्त 2024 (CAG report about Uttarakhand Economic Condition)। उत्तराखंड राज्य पर कर्ज का भार निरंतर बढ़ता जा रहा है। कैग यानी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 में राज्य पर कर्ज का आंकड़ा केवल 4 वर्षों में 25 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 72 हजार 860 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इन्हें चुकाने के लिये राज्य को हर वर्ष 14000 करोड़ रुपये तक देने पड़ सकते हैं।
हालांकि राज्य की अर्थव्यवस्था के बढ़ते आकार और ऋणों के पुर्नभुगतान में तेजी के कारण पिछले पांच वर्षों में राज्य में जीएसडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कर्ज का अनुपात सबसे कम 24.08 प्रतिशत रहा है।
कर्ज का बढ़ता ग्राफ
कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में उत्तराखंड पर कुल कर्ज 58 हजार करोड़ रुपये था, जो कि वर्ष 2022-23 में 25.53 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 72 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसमें मुख्य रूप से मार्केट लोन यानी लोक ऋण शामिल हैं, जिनका वर्तमान आंकड़ा 56 हजार 510 करोड़ रुपये का है।
ऋण और देनदारी का बढ़ता बोझ
उत्तराखंड में ऋणों में बढ़ोतरी के साथ-साथ देनदारी का ग्राफ भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि राज्य सरकार ऋणों के पुर्नभुगतान में तेजी लाने और प्राप्तियों को बढ़ाने के प्रयास कर रही है। वर्ष 2018-19 में ऋणों के पुर्नभुगतान व प्राप्तियों का अनुपात 72.07 प्रतिशत था, जो कि वर्ष 2022-23 में बढ़कर 91.84 प्रतिशत हो गया है।
इस तरह बढ़े ऋण
वर्ष 2018-19: 58,039 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 25.20 प्रतिशत)
वर्ष 2019-20: 65,982 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 27.58 प्रतिशत)
वर्ष 2020-21: 71,435 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 30.16 प्रतिशत)
वर्ष 2021-22: 71,374 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 26.23 प्रतिशत)
वर्ष 2022-23: 72,860 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 24.08 प्रतिशत)
ऋण लेने की प्रवृत्ति में कमी
प्रदेश की वित्तीय स्थिति से यह भी स्पष्ट होता है कि समय के साथ लोक ऋण व आंतरिक ऋण लेने की प्रवृत्ति में कमी आई है और पुराने ऋणों का भुगतान तेजी से किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में जहां राज्य सरकार ने 3817 करोड़ रुपये का ऋण लिया, वहीं 4017 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया। जबकि वर्ष 2018-19 की बात करें तो 7170 करोड़ रुपये के ऋण लिये गये थे और मात्र 2013 करोड़ रुपये चुकाये गये।
आंतरिक ऋण और पुनर्भुगतान की स्थिति
वर्ष 2018-19: लिया ऋण रुपये 7,170 करोड़ रुपये, चुकाया ऋण रुपये 2,013 करोड़ रुपये
वर्ष 2019-20: लिया ऋण रुपये 6,078 करोड़ रुपये, चुकाया ऋण रुपये 2,084 करोड़ रुपये
वर्ष 2020-21: लिया ऋण रुपये 6,728 करोड़ रुपये, चुकाया ऋण रुपये 2,863 करोड़ रुपये
वर्ष 2021-22: लिया ऋण रुपये 3,787 करोड़ रुपये, चुकाया ऋण रुपये 3,330 करोड़ रुपये
वर्ष 2022-23: लिया ऋण रुपये 3,817 करोड़ रुपये, चुकाया ऋण रुपये 4,017 करोड़ रुपये
ऋण पुर्नभुगतान की स्थिति
वर्ष 2023-24 तक 3,316.63 करोड़ रुपये (5.87 प्रतिशत)
वर्ष 2024-25 से 2026 तक 7,859 करोड़ रुपये (13.91 प्रतिशत)
वर्ष 2026-27 से 2028 तक 13,067 करोड़ रुपये (23.12 प्रतिशत)
वर्ष 2028-29 से 2030 तक 12,249 करोड़ रुपये (21.68 प्रतिशत)
वर्ष 2030-31 से आगे 14,577 करोड़ रुपये (9.63 प्रतिशत)
अन्य 5,440 करोड़ रुपये (9.63 प्रतिशत)
2033 तक ब्याज में जाएंगे 19 हजार करोड़ रुपये (CAG report about Uttarakhand Economic Condition)
राज्य सरकार बाजार और वित्तीय संस्थानों से भी ऋण लेती है, जिनमें मुख्य रूप से एलआईसी, जीआईसी, एसबीआई, नाबार्ड, एनसीडीसी जैसे संस्थान शामिल हैं। इन ऋणों का भुगतान ब्याज सहित हर वर्ष किया जाता है, और वर्ष 2033 तक राज्य को ब्याज के रूप में 19 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना होगा। वहीं कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार को वर्ष 2030-31 तक 56 हजार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण चुकाने होंगे। इस पुनर्भुगतान की राशि प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपये से लेकर लगभग 14 हजार करोड़ रुपये तक हो सकती है।
ऐसे में मानना होगा कि उत्तराखंड में राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद बढ़ते कर्ज के साथ वित्तीय चुनौतियां बनी हुई हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए सरकार को सख्त वित्तीय अनुशासन अपनाने की आवश्यकता है। (CAG report about Uttarakhand Economic Condition)
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