हल्द्वानी की हर्षिक की शादी की हर ओर चर्चा, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण बने ‘वर नारायण’ और बन गए ‘घर जवाई’
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 11 जुलाई 2024 (Harshika wedding with Shri Krishna in Haldwani)। कुमाउनी शादियों में यूं तो हर दुल्हन राधा का स्वरूप मानी जाती है और श्री कृष्ण को वरती है। दूल्हा-दुल्हन मुकुट पहनते हैं। हर दुल्हन राधा के रूप में अपने श्रीकृष्ण स्वरूप दूल्हे के साथ राधा-कृष्ण की सुंदर सी तस्वीर बने मुकुट पहनकर एक तरह से श्री कृष्ण की ही हो जाती है। वैसे भी दूल्हे को वर नारायण यानी भगवान विष्णु एवं दुल्हन को माता लक्ष्मी भी माना जाता है। उनके चरण पखारे जाते हैं। देखें वीडिओ :
कुमाउनी शादियों की यह पवित्र भावना हल्द्वानी में हुई एक शादी में और भी अधिक पवित्रता के साथ नजर आई है। यहाँ हर्षिका नाम की एक बेटी भगवान श्रीकृष्ण के नाम की हाथों में मेंहदी रचाकर और उनके नाम का सिंदूर अपनी मांग में सजाकर उनकी ही हो गई है। यही नहीं उसने अपने वर नारायण श्रीकृष्ण के घर वृंदावन जाने की जगह उन्हें घर जवांई बनाकर अपने घर में रहने को मजबूर कर दिया है। और अब वह जीवन भर उनकी भक्ति में ही लीन रहने वाली है।
अपने आप में यह अनूठी शादी करने वाली हर्षिका आठ वर्ष की उम्र से ‘श्याम’ की दीवानी रही है, और अपने श्याम के लिये करवाचौथ का व्रत भी रखती रही है। उसने भगवान श्रीकृष्ण से उनकी सखी, गोपी के रूप में विवाह कर लिया है। इस शादी के लिए पूरे दो दिनों के पूरे विधि-विधान हुए हैं।
बुधवार को महिला संगीत में महिलाओं का नाच-गाना भी हुआ है। दूर-दूर से रिश्तेदार पहुंचे और गुरुवार को सुबह साढ़े दस बजे बैंड-बाजे के साथ बाराती झूमते हुए पूरन चंद्र पंत के आवास पर पहुंचे, जहां दूल्हे कान्हा का मूर्ति स्वरूप में स्वागत हुआ और फिर शादी की रस्में शुरू हुईं। हर्षिका ने प्रभु श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए, उन्हें वरमाला पहनाई और अपनी मांग में सिंदूर भरा। दुल्हन के माता-पिता ने बेटी का श्रीकृष्ण को बाकायदा कन्यादान भी किया।
इस दौरान हर्षिका के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी। अपने कान्हा की मूरत को गोद में लेकर निहारती उसकी आंखें मानों मूर्ति के सजीव होने का प्रमाण दे रही थीं। नाते-रिश्तेदार, आस पड़ोस के लोगों ने शादी को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां युवा डीजे पर थिरक रहे थे, वहीं महिलाओं की टोली मंगल गीत गा रही थी। इस अनोखी शादी के बारे में जिसने भी सुना वह पता पूछते हुए समारोह स्थल तक पहुंच गया। किसी ने दहेज के रूप में गुप्त दान दिया तो कई हर्षिका के लिए उपहार लेकर भी आये।
कई लोग ऐसे भी थे जो आए तो हर्षिका को उसके नए दांप्तय जीवन की बधाई दे रहे थे और उसके वर के रूप में प्रभु श्रीकृष्ण की प्रतिमा देख हर्षिका के चरण तक स्पर्श कर रहे थे और उसे गले लगाकर आशीर्वाद दे रहे थे।
अब खुलकर करुंगी कान्हा से बात…
जब हर्षिका से पूछा गया कि अब तो वृंदावन भी जाना पड़ेगा मायका छोड़कर तो वह मुस्कुरा कर बोली हां जाऊंगी, पर अब तो कहीं भी जाऊं, मेरे कान्हा मेरे साथ ही रहेंगे। बोली-अब तो दिन-रात खुलकर अपने कान्हा जी से बिना किसी संकोच के बात कर पाऊंगी।
इतनी समस्याओं के बाद भी ईश्वर पर ऐसा दृढ़ विश्वास
यह चर्चित शादी हल्द्वानी के आरटीओ रोड स्थित इंद्रप्रस्थ कालोनी फेज तीन निवासी पूरन चंद्र पंत की पुत्री हर्षिका की हुई है।। पूरन मूलतः पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग क्षेत्र के रहने वाले हैं। बागेश्वर में तहसील के पास उनका कारोबार था। करीब 4-5 वर्ष पूर्व पैरालिसिस होने पर वह कारोबार छोड़कर वर्ष 2020 में हल्द्वानी आ गये और यहीं अपनी पत्नी मीनाक्षी, पुत्र मानव व पुत्री हर्षिका के साथ रहने लगे।
पूरन की पुत्री हर्षिका दुनिया के लिये जन्म से दिव्यांग है। उसके पैर घुटनों से नीचे कमजोर हैं, हाथों की अंगुलियां भी ठीक से नहीं चलतीं और वह रुक-रुक कर बोलती है। स्वयं ऐसी अनेक शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त होने और पिता पर भी पैरालिसिस का दौरा पड़ने पर आम लोग ईश्वर को ही जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, लेकिन जिस तरह इन विपरीत स्थितियों में हर्षिका ने ऐसा करने की जगह खुद को ईश्वर को समर्पित कर दिया है। वह अपने आप में प्रेरणा लेने वाला है।
उसने ऐसा जीवन साथी चुना है जो उसकी शारीरिक लाचारी के बारे में उसे कभी सोचने नहीं देगा, और उसकी जिंदगी में नया रंग तो भरेगा ही बल्कि उसे अनंत प्रेम की गहराई तक लेकर जाएगा। मुरली मनोहर श्रीकृष्ण ने उसे अपने प्रेम में यानी अपनी सबसे प्रिय यानी अपने करीब जो रखा है।
8 वर्ष की आयु में स्वप्न में भगवान कृष्ण ने दिये दर्शन
परिवार के सदस्य बताते हैं, हर्षिका जब आठ वर्ष की थी तो उसे स्वप्न में कान्हा ने दर्शन दिये। तभी से उसका आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण से की ओर हुआ और वह जब 10 वर्ष की हुई तो तभी से अपने श्याम के लिए उसने प्रति वर्ष करवाचौथ का व्रत रखना प्रारंभ कर दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति ऐसी भक्ति व श्रद्धा के बीच हर्षिका ने उन्हें ही अपना वर चुन लिया। बेटी की इच्छा और भक्ति को देखकर उसके परिजन भी राजी हो गए।
दूल्हे के घर जाकर दे आये आमंत्रण
इसके लिये उनका परिवार पिछले वर्ष की सर्दियों से हर्षिका का विवाद भगवान श्रीकृष्ण से कराने की तैयारियों में जुट गया था। इधर एक जुलाई को उसके पिता व परिवार के लोग बाकायदा भगवान श्रीकृष्ण के घर प्रेम मंदिर वृंदावन गये। वहां दूल्हे यानी भगवान श्रीकृष्ण के नाम का कार्ड देकर उन्हें बारात लेकर हल्द्वानी आने का आमंत्रण दिया।
वहां से पूरे विधि-विधान के साथ औपचारिकताएं निभाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा लेकर तीन जुलाई को हल्द्वानी पहुंचे। बुधवार को शुभ लग्नानुसार घर पर भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई और विवाह विधि से जुड़े अन्य कार्यक्रम किए। साथ ही धूमधाम से महिला संगीत का कार्यक्रम हुआ। इसमें स्थानीय लोगों ने भी उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। अब सभी बरात को लेकर उत्साहित हैं।
पैरालाइज्ड पिता के होश में आने से बढ़ी श्रद्धा (Harshika wedding with Shri Krishna in Haldwani)
हर्षिका के पिता पूरन चंद्र पंत ने बताया कि उन्हें वर्ष 2020 में पैरालिसिस का अटैक पड़ा था और शरीर पैरालाइज हो गया। इस कारण वह 10 से 15 दिन तक बेहोश रहे। उसके बाद उन्हें होश आया तो बेटी ने कहा कि उनके कान्हा जी ने उन्हें ठीक कर दिया है। इसी के बाद से प्रभु के प्रति श्रद्धा और अधिक बढ़ गई। बताया कि उनका अभी भी उपचार चल रहा है। (Harshika wedding with Shri Krishna in Haldwani, Astha, Aastha, Haldwani, Harshika Pant, Wedding, Marriage, Shri Krishna, Lord Krishna, Bhagwan, bhagwan se Shadi, Shadi, Ishwar se Shadi, Marriage with God, Shri Krishn, Shri Krishna se Shadi,)
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