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November 21, 2024

उत्तराखंड में अभी लागू नहीं हुआ, पर उच्च न्यायालय ने दिया यूसीसी के प्राविधानों के तहत आदेश

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नवीन समाचार, नैनीताल, 19 जुलाई 2024 (High Court given order under provisions of UCC)। उत्तराखंड में अभी यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता अभी लागू नहीं हुआ है। आगामी 22 जुलाई को मुख्यमंत्री के द्वारा इसकी समीक्षा के बाद इसे लागू करने की बात कही जा रही है। इस बीच देश भर में चर्चाओं तथा समर्थन व विरोध के बीच एक पक्ष के द्वारा इसे सर्वोच्च न्यायालय में जमानत देने की बात भी कही जा रही है। वहीं इस बीच उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अलग-अलग धर्म के प्रेमी जोड़े के मामले में यूसीसी को लेकर आदेश दिये हैं। कहा जा रहा है कि इस आदेश के साथ एक तरह से उच्च न्यायालय ने यूसीसी को स्वीकृति दे दी है।

(High Court given order under provisions of UCC) Uttarakhand High Court, High Court Bar Association Election, PACS elections, Lokayukta, Jhoothe Arop, Uttarakhand civic elections will be held on time,प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुवार 18 जुलाई को उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे एक अंतर-धार्मिक जोड़े को सुरक्षा प्रदान की। न्यायालय ने जोड़े को 48 घंटे के भीतर समान नागरिक संहिता उत्तराखंड-2024 की धारा 378 (1) के तहत अपने रिश्ते को पंजीकृत करने के लिए कहा है।

इस आदेश की चर्चा पूरे देश के न्यायिक क्षेत्र में इसलिये हो रही है क्योंकि यूसीसी को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित और राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बावजूद अभी उत्तराखंड राज्य में लागू नहीं किया गया है।

यह है मामला

UCCउच्च न्यायालय ने यह आदेश लिव-इन में रह रही 26 साल की हिंदू युवती और 21 साल के मुस्लिम युवक द्वारा दाखिल याचिका को लेकर दिया है, जो कुछ समय से साथ रह रहे थे। युगल ने अदालत को बताया कि वे दोनों वयस्क हैं, अलग-अलग धर्मों के हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे हैं। इस कारण याचिकाकर्ताओं में से एक के माता-पिता और भाई ने उन्हें धमकियां देना शुरू कर दिया था।

सरकारी अधिवक्ता जेएस विर्क ने मामले पर बहस करते हुए उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम की धारा 378 (1) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है ‘राज्य के अंदर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए, उत्तराखंड में उनकी रेजीडेंसी स्टेटस के बावजूद, धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप की डिटेल रजिस्ट्रार को देनी जरूरी होगी जिसके अधिकार क्षेत्र में वे रह रहे हैं।’

न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की पीठ ने गुरुवार को कहा, ‘हम इस रिट याचिका का निपटारा इस शर्त के साथ करते हैं कि अगर याचिकाकर्ता 48 घंटे के अंदर उक्त अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं, तो थाना प्रभारी याचिकाकर्ताओं को छह हफ्ते तक पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी प्रतिवादियों या उनकी ओर से काम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उन्हें किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए। छह हफ्ते की अवधि खत्म होने पर, संबंधित थानेदार याचिकाकर्ताओं को खतरे का आकलन करेगा और उस पर आवश्यकतानुसार कदम उठाएगा।’

सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में अभी नहीं पहुंचे यूसीसी के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश (High Court given order under provisions of UCC)

इस आदेश के बाद युगल के अधिवक्ता का कहना है कि जब युगल अदालत के आदेश का पालन करने के लिए यूसीसी के तहत पंजीकरण कराने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे, तो अधिकारी ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्राविधान नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा यूसीसी के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।

लिहाजा युगल के अधिवक्ता का कहना है कि शायद मामले का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी अधिवक्ता को पता नहीं था कि यूसीसी को अभी लागू किया जाना है। यह एक गलतफहमी थी, और यूसीसी से संबंधित हिस्से को संशोधित आदेश जारी करने के लिए आदेश से हटा दिया जाएगा। इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक रिकॉल आवेदन दायर किया जायेगा। (High Court given order under provisions of UCC)

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