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March 19, 2024

देश की इस शीर्ष उत्तराखंडी खेल हस्ती पर गिरफ़्तारी की तलवार

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खेल मंत्रालय को आईओए के सचिव राजीव मेहता की गिरफ्तारी के बाबत रिपोर्ट 21 दिन में देने के आदेश
राष्ट्रमंडल खेल-2014 में घटी गिरफ्तारी की घटना से जु़ड़ा सूचनाधिकार का मामला
नैनीताल, 11 अक्टूबर 2018। भारतीय ओलंपिक संघ के सचिव राजीव मेहता की ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल-2014 के दौरान घटी गिरफ्तारी की घटना मुश्किलें बढ़ा सकती है। दरअसल, केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने खेल मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह भारतीय ओलंपिक संघ के सचिव राजीव मेहता की गिरफ्तारी के बाबत रिपोर्ट 21 दिन में दे। साथ ही कहा है कि मंत्रालय इस मामले में की गई कार्यवाही से भी सूचना आयोग को अवगत कराए। दिलचस्प बात यह है कि खेल मंत्रालय ने इस मामले में यहां तक कहा कि राजीव मेहता किस अधिकार से राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में गए थे उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। बता दें कि देहरादून निवासी राजू गुसाई ने इस मामले में सूचनाधिकार के जरिए सूचनाएं मांगी थीं। उन्होंने स्कॉटलैंड पुलिस द्वारा राजीव मेहता की गिरफ्तारी के कारणों और उनके द्वारा दिए माफी नामे की प्रति की मांग की थी। उन्होंने पूछा था कि अगर राजीव मेहता ने अनजाने में गलती कर दी तो उनके माफी नामे और अगर स्कॉटलैंड पुलिस ने कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भारतीय खेल अधिकारी को गलती से गिरफ्तार किया तो उसके माफीनामे की प्रति उन्हें उपलब्ध कराई जाए। राजू गुसाई ने इस मामले में विदेश मंत्रालय व एडिनबर्ग स्थित कॉन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया से भी सूचनाएं मांगी थीं। जिन्होंने कहा कि यूनाइटेड किंगडम के किसी भी एजेंसी ने कॉन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया को गिरफ्तारी के कारणों के बारे में कोई पत्राचार नहीं किया। इस मामले में खेल मंत्रालय के उपसचिव एके पात्रो ने सूचना दी कि राजीव मेहता की हिरासत की सूचना उपलब्ध नहीं है क्योंकि वे खेल मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए चुने गए खिलाड़ियों का ही ब्यौरा रखते हैं। राजीव मेहता का नाम क्योंकि खिलाड़ियों की सूची में नहीं है और मंत्रालय इस स्थिति में नहीं है कि वह इस बात की पुष्टि कर सके कि भारतीय ओलंपिक संघ के सचिव राजीव मेहता ने किस अधिकार से राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत की। पात्रो ने सूचना आयोग को बताया कि अगर घटना हुई होगी तो वह विदेश मंत्रालय केसाथ समन्वय कर घटना की विस्तृत रिपोर्ट और राजीव मेहता के खिलाफ की गई कार्यवाही केबाबत रिपोर्ट देंगे।

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पूर्व समाचार : ग्लास्गो में ‘कैच’ हुआ नैनीताल का एक ‘सिक्सर किंग’

  • डीएसए मैदान में मारे गए छक्कों जैसा ही रोमांचक रहा है भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष राजीव मेहता का खेल सफर
  • उत्तराखंड में खेलों के एकछत्र आधिपत्य है राजीव मेहता का, पूर्व ओलपिंक संघ अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी से है काफी नजदीकी संबंध

नवीन जोशी, नैनीताल ()। कोई बल्लेबाज जब क्रिकेट के मैदान में गैंद को बहुत ऊंचा उठाता है तो गैंद के सीमा पार सर्वोच्च स्कोर छह रन प्राप्त करने अथवा सीमा पर या कहीं भी कैच पकड़े जाने की बराबर संभावना रहती है। रविवार को ग्लास्गो में शराब पीकर पक़डे जाने से देश को शर्मशार करने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता का खेल सफर भी छक्कों के लिए उछाली गई गैंद जैसा ही रोमांचक रहा है।नैनीताल के अलावा कम ही लोग जानते होंगे कि देश की शीर्ष खेल संस्था में अभी इसी वर्ष जनवरी माह में किसी ध्रुव तारे की तरह अचानक प्रकट हुए और ग्लास्गो में गिरफ्तारी से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आए मेहता का खेल सफर नैनीताल के ऐतिहासिक खेल मैदान डीएसए-फ्लैट्स पर क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ था। मजबूत कद काठी के इस बल्लेबाज को आज भी शहर के पुराने खेल प्रेमी उनके गगनचुंबी छक्कों के लिए ही अधिक याद करते हैं। राजीव मेहता का परिवार पंजाबी मूल का है। यह परिवार मूलतः हल्द्वानी के बरेली रोड स्थित बिष्णु गली में रहता है। उनकी पढ़ाई नैनीताल के डीएसबी कॉलेज से हुई, और वह यहां फ्लैट्स मैदान में बतौर बल्लेबाज काफी क्रिकेट खेला करते थे। बाद में वह पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए और वहां से यूपी की खेल संस्थाओं में उन्होंने पैठ बनानी प्रारंभ की। बताया जाता है कि उत्तराखंड राज्य बनने के दौर में ओलंपिंक पदक विजता जसपाल राणा राज्य में ओलंपिक एसोसिएशन को स्थापित किए जाने को प्रयासरत थे, और इस कड़ी में पूरे प्रदेश का भ्रमण करते हुए वह नैनीताल भी आए थे। जानकारी लगने पर मेहता भी यहां पहुंचे। यहां हल्की नोंक-झोंक के बाद एक दिन खबर आई कि राणा नहीं बल्कि मेहता ने न केवल प्रदेश में ओलंपिक एसोसिएशन की स्थापना करा दी है, वरन इस सर्वोच्च खेल संस्था के अध्यक्ष भी बन गए हैं। मेहता तब से राज्य की न केवल इस सर्वोच्च खेल संस्था के वर्तमान तक निरंतर अध्यक्ष बने हुए हैं, वरन इस बीच भी राज्य की ताइक्वांडो, बॉलीबॉल, मलिहा हॉकी सहित अनेक खेलों की संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। इन खेल गतिविधियों को आगे बढ़ाने और बड़ा प्लेटफार्म देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। शीर्ष स्तर पर उन्हें ओलंपिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी का करीबी बताया जाता है। यूं वह अब तक निर्विवाद भी रहे हैं, शायद इसीलिए इस वर्ष जनवरी मा में हुए भारतीय ओलंपिक संघ का निर्विरोध तरीके से महांसचिव भी निर्वाचित किया गया। उत्तराखंड ओलंपिक संघ में उनके नायब, महासचिव मुकर्जी निर्वाण ने बताया कि एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में मेहता एक आउटस्टेंडिंग खिलाड़ी रहे हैं। उनके भारतीय ओलंपिक संघ का महासचिव बनना भी उत्तराखंड के लिए गौरव की बात रही है। वहीं उनके मित्रों का कहना है कि ग्लास्गो में हुई घटना बेहद सामान्य है। कुमाऊं विवि से 1985 में रसायन विज्ञान में एमएससी करने वाले राजीव खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर व फुटबालर रहे। उन्होंने कुमाऊं विवि की क्रिकेट टीम का बतौर कप्तान प्रतिनिधित्व किया और बाद में विवि की चयन समिति के अध्यक्ष रहे। राज्य गठन से पहले राजीव मेहता एक दशक तक यूपी वूमैन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य ओलंपिक संघ की बतौर अध्यक्ष कमान संभाली। वर्तमान में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ ही वह हॉकी इंडिया के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। राजीव मेहता ने हॉकी इंडिया में एसोसिएट अध्यक्ष का पदभार भी संभाला।

यह भी पढ़ें : नैनीताल के ‘सिक्सर किंग’ राजीव दूसरी बार बने ओलंपिक संघ के निर्विरोध महासचिव

  • डीएसए मैदान में मारे गए छक्कों जैसा ही रोमांचक रहा है भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष राजीव मेहता का खेल सफर

नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के राजीव मेहता दूसरी बार देश की सर्वोच्च खेल संस्था – भारतीय ओलंपिक संघ के निर्विरोध महासचिव चुन लिए गए हैं। मेहता का खेल सफ़र उत्तराखंड की पर्वतीय पर्यटन नगरी-सरोवरनगरी नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए-फ्लैट्स मैदान में एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में शुरू हुआ। यहाँ उनकी पहचान मैदान से बाहर तक उड़ाए जाने वाले छक्कों से ‘सिक्सर किंग’ के रूप में रही है। और अब वे देश की सर्वोच्च खेल संस्था में भी अपनी छवि के अनुरूप नित नयी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं।

राष्ट्रीय सहारा, 16 दिसंबर 2017

नैनीताल के अलावा कम ही लोग जानते होंगे कि देश की शीर्ष खेल संस्था में किसी ध्रुव तारे की तरह छा रहे मेहता का खेल सफर नैनीताल के ऐतिहासिक खेल मैदान डीएसए-फ्लैट्स पर क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ था। मजबूत कद काठी के इस बल्लेबाज को आज भी शहर के पुराने खेल प्रेमी उनके गगनचुंबी छक्कों के लिए ही अधिक याद करते हैं। कुमाऊं विवि से 1985 में रसायन विज्ञान में एमएससी करने वाले राजीव खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर के साथ फुटबालर भी रहे। उन्होंने कुमाऊं विवि की क्रिकेट टीम का बतौर कप्तान प्रतिनिधित्व किया और बाद में विवि की चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे। बाद में वह पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए और वहां से यूपी की खेल संस्थाओं में उन्होंने पैठ बनानी प्रारंभ की।

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उत्तराखंड राज्य गठन से पहले राजीव मेहता एक दशक तक यूपी वूमैन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य ओलंपिक संघ की बतौर अध्यक्ष कमान संभाली। बताया जाता है कि उत्तराखंड राज्य बनने के दौर में ओलंपिंक पदक विजता जसपाल राणा राज्य में ओलंपिक एसोसिएशन को स्थापित किए जाने को प्रयासरत थे, लेकिन बाज़ी मेहता के हाथ लगी। मेहता ने न केवल प्रदेश में ओलंपिक एसोसिएशन की स्थापना करा दी, वरन इस सर्वोच्च खेल संस्था के अध्यक्ष भी बन गए। वर्तमान में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ ही वह हॉकी इंडिया के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। राजीव मेहता ने हॉकी इंडिया में एसोसिएट अध्यक्ष का पदभार भी संभाला।

मेहता तब से राज्य की न केवल इस सर्वोच्च खेल संस्था के वर्तमान तक निरंतर अध्यक्ष बने हुए हैं, वरन इस बीच भी राज्य की ताइक्वांडो, बॉलीबॉल, मलिहा हॉकी सहित अनेक खेलों की संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। इन खेल गतिविधियों को आगे बढ़ाने और बड़ा प्लेटफार्म देने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। शीर्ष स्तर पर उन्हें ओलंपिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी का करीबी बताया जाता रहा है। वह अब तक निर्विवाद भी रहे हैं, इसीलिए वह पहली और दूसरी, दोनों बार भारतीय ओलंपिक संघ का निर्विरोध तरीके से महासचिव निर्वाचित हुए।

उत्तराखंड ओलंपिक संघ में उनके नायब, महासचिव मुकर्जी निर्वाण ने बताया कि एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में मेहता एक ‘आउटस्टेंडिंग’ खिलाड़ी रहे हैं। उनके भारतीय ओलंपिक संघ का दूसरी बार महासचिव बनना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। वहीं उनके मित्र भी इस उपलब्धि से गौरवान्वित हैं।

उत्तराखंड में खेल गतिविधियों को बढ़ाने में भी देते हैं योगदान

भारतीय ओलंपिक संघ के दूसरी बार निर्विरोध महासचिव चुने गए राजीव मेहता उत्तराखंड में खेल गतिविधियों को बढ़ाने में भी योगदान देते रहे हैं। पहले 13 अक्टूबर 2010 और इधर 5 अक्टूबर 2017 को 19वें व 20वें राष्ट्रमंडल खेलों की मशाल ‘क्वीन्स बेटन’ को उत्तराखंड और नैनीताल लाने में उनकी मुख्य भूमिका रही। उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से 19 दिसंबर 2014 को उत्तराखंड में जनवरी 2018 में 38वें राष्ट्रीय खेल आयोजित कराने की घोषणा भी करा दी थी, किंतु उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन एवं सत्ता परिवर्तन जैसे कारणों से यह आयोजन फिलहाल टल गया है, बावजूद मेहता 39वें राष्ट्रीय खेल उत्तराखंड में आयोजित कराने को कृतसंकल्प नजर आते हैं। उत्तराखंड क्रिकेट को बीसीसीआई की मान्यता दिलाने के लिए भी वे प्रयासरत हैं।

पत्नी दीपा हैं भारतीय ‘लूज’ फेडरेशन की अध्यक्ष

नैनीताल। राजीव मेहता भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव होने के साथ ही भारतीय खोखो फेडरेशन के अध्यक्ष भी हैं, जबकि उनकी पत्नी दीपा मेहता भी एक ओलंपिक स्तरीय खेल ‘लूज’ की राष्ट्रीय ओलंपिक फेडरेशन की अध्यक्ष हैं।

यह भी पढ़ें : CWG: रिकार्ड पर रिकार्ड, क्वींस बेटन से ही हो गयी थी इतिहास रचने की शुरुआत कॉमनवेल्थ खेलों से पहले से ही बड़ा प्यार रहा राजीव मेहता को। 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलों की मशाल को उत्तराखंड में लाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही थी।
साथ ही 2010 के घर में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में क्या कमाल दिखाया था भारतीय खिलाड़ियों ने….
देखें 2010 में कॉमनवेल्थ खेलों पर लिखी गई मेरी तत्कालीन पोस्ट, राजीव मेहता वहां भी है….
@ http://mankahii.blogspot.com/2010/07/blog-post_07.html

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