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July 27, 2024

क्या है उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं का ट्रेंड, जानें पिछले वर्षों में हुई वनाग्नि की घटनाओं और प्रभावित वन क्षेत्र और हुए नुकसान के पूरे आंकड़े, आज सेना जुटी आग बुझाने में..

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डॉ.नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अप्रैल 2024 (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)। उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं अप्रैल माह में ही भयावह स्वरूप में नजर आ रही हैं। खासकर नैनीताल में, जहां खास तौर पाइंस क्षेत्र के जंगलों में लगी आग ने शुक्रवार को एक पुराने घर को अपनी चपेट में ले लिया था और उच्च न्यायालय की आवासीय कॉलोनी के पास सड़क तक पहुंच गयी थी। साथ ही इससे भारतीय सेना के लड़ियाकांठा पहाड़ी पर स्थित संवेदनशील क्षेत्र तक पहुंचने की आशंका भी पैदा हो गयी थी। इसके बाद यहां भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर को आग बुझाने के कार्य में लगा दिया गया है। देखें छोटा वीडिओ :

शनिवार सुबह से सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर भीमताल झील से करीब 5000 लीटर क्षमता की बतायी जाने वाली बॉम्बी बकेट से पानी लेकर करीब 20 चक्कर लगाकर यहां पानी की बौछारें छोड़ चुका है। एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि इसके बाद सेना, वन विभाग एवं जिला प्रशासन इस तरह आग बुझाने के प्रयोग की प्रभावशीलता का आंकलन कर रहे हैं। यहां आग बुझाने के बाद वन विभाग की जरूरत के आधार पर अन्य स्थानों पर भी हेलीकॉप्टर के उपयोग पर निर्णय लिया जाएगा। देखें पूरा वीडिओ :

सैन्य क्षेत्र में आग बुझी (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

नैनीताल। नैना रेंज के वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद तिवारी ने बताया कि हेलीकॉप्टर के 5 प्रयासों यानी 5 बार पानी डालने के बाद लड़ियाकांठा स्थित सैन्य प्रतिष्ठान के आसपास के क्षेत्रों में लगी आग को पूरी तरह बुझा लिया गया है। बताया जा रहा है इसके बाद हेलीकॉप्टर भवाली के सेनीटोनियम क्षेत्र में आग बुझा ने मेंलगा हुआ है। उधर भीमताल झील से हेलीकॉप्टर द्वारा पानी लिये जाने की वजह से झील में नौकायन सहित पर्यटन गतिविधियां रोक दी गयी हैं। इससे झील पर सीधे निर्भर पर्यटन व्यवसायी परेशान हैं।(Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

वहीं बताया गया है कि शनिवार को अब तक नैनीताल जनपद में केवल 3 नई वनाग्नि की घटनाएं हल्द्वानी वन क्षेत्र के जौलासाल क्षेत्र के भरगोट के कंपार्टमेंट नंबर 20 व 21 तथा लबार के कंपार्टमेंट नंबर 37 में होने की बात सामने आयी है। जबकि पूरे प्रदेश में वनाग्नि की आज प्रकाश में आई घटनाओं की कुल संख्या 825 है। 

https://deepskyblue-swallow-958027.hostingersite.com/forest-fire-army-personnel-to-stop-forest-fire/

पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में वर्षवार हुई वनाग्नि की घटनाओं के ब्यौरे (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

Trend and Data of Forest fire incidents in UKनैनीताल। वर्ष 2019 में उत्तराखंड में वनाग्नि की 2158 घटनाएं हुईं। इनमें कुल 2981.55 हैक्टेयर वन प्रभावित हुआ, 6 पशुओं की मौत हुई और 55.93 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ। वहीं 2020 में जंगलों में आग लगने की केवल 135 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं और इनमें 172.69 हैक्टेयर वन भूमि पर आग लगी। इस दौरान 44.41 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ। (Trend and Data of Forest fire incidents in UK) देखें पिछले 5 वर्षों में हुई वनाग्नि की घटनाओं के पूरे आंकड़े यहाँ क्लिक करके..

इसी तरह 2021 में 3943.89 हैक्टेयर वन भूमि में आग लगने की 2813 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में 29 पशुओं की मौत हुई और 1.06 करोड़ रुपये की वन संपदा का नुकसान हुआ। जबकि 2022 में 3425.05 हैक्टेयर वन भूमि पर वनाग्नि की 2186 घटनाएं हुईं और 89.26 लाख रुपये की संपदा वनाग्नि की भेंट चढ़ी। जबकि 2023 में 933.55 हैक्टेयर वन भूमि पर वनाग्नि की 773 घटनाएं हुईं और इनमें 23.97 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ। इस प्रकार साफ है कि प्रदेश में बीच में कई बार एक वर्ष छोड़कर वनाग्नि की अधिक घटनाएं होती हैं। (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

ऐसा संभवतया इसलिये कि दो वर्षों में जंगलों में पत्तों की काफी ज्वलनशील सामग्री एकत्र हो जाती होगी। इसके लिये वर्ष में पड़ने वाली गर्मी या होने वाली बारिश व हवाओं के तेज या धीरे चलने जैसे कारण भी वनाग्नि की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। इससे पहले 2020 व 2023 में वनाग्नि की कम घटनाएं हुई थीं जबकि 2019, 2021 व 2022 में अधिक घटनाएं हुईं। ऐसे में इस वर्ष वनाग्नि की अधिक घटनाएं हो सकती हैं। 2021 में भी नैनीताल में वनों की आग बुझाने के लिये सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी। (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

वनों में आग लगने को यह कारण भी करते हैं प्रभावित (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

नैनीताल। वनों में एक वर्ष छोड़कर आग लगने की अधिक बड़ी घटनाएं होने के बीच कारण संभवतया यह है कि दो वर्षों में जंगलों में पत्तों की काफी ज्वलनशील सामग्री एकत्र हो जाती है। इसके अलावा वर्ष में पड़ने वाली गर्मी, कम या अधिक होने वाली बारिश व हवाओं के तेज या धीरे चलने जैसे कारण भी वनाग्नि की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। आग लगने का एक कारण इस मौसम में गेहूं की फसल पकने पर ग्रामीणों द्वारा उसके ठूंठ जलाना भी बताया जाता है। वन विभाग इस बारे में अपेक्षित जागरूकता नहीं फैला पाता। वन विभाग हर वर्ष वनाग्नि की घटनाओं को कम करने के लिये ‘फायर लाइन’ काटता है। इस कार्य में हर वर्ष करोड़ों रुपये भी खर्च होते हैं, लेकिन इस कवायद का अपेक्षित असर नजर नहीं आता है। (Trend and Data of Forest fire incidents in UK)

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