नैनीताल की निचली अदालत का बड़ा फैसला: पति द्वारा पत्नी से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध नहीं
-इलाहाबाद एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के प्रमुख आदेशों को नजीर मानते हुए प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी का ऐतिहासिक फैसला
-न्यायालय ने कहा-पत्नी द्वारा पति के विरुद्ध भादंसं की धारा 377 के तहत अभियोग नहीं चलाया जा सकता
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 जून, 2024 (Unnatural sex with Wife not Crime for Husband)। नैनीताल जनपद की प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी की अदालत ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि पति द्वारा पत्नी से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है। पत्नी द्वारा पति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अभियोग नहीं चलाया जा सकता है। अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला इलाहाबाद एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के प्रमुख आदेशों को नजीर मानते हुए हुये आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसर एक महिला की शिकायत पर उसके पति व ससुराल पक्ष के अन्य लोगों के विरुद्ध के विरुद्ध हल्द्वानी थाने में अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 498-ए आईपीसी तथा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम व अन्य धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया था। आरोपित पति की ओर से इसे चुनौती देते हुए अधिवक्ता पंकज कुलौरा ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के प्रमुख आदेशों की व्याख्या करते हुए बताया कि कहा कि पति-पत्नी के बीच धारा 377 आईपीसी का अपराध नहीं बनता है।
कहा कि उत्तराखंड की पैत्रिक अदालत-इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा संजीव गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य वर्ष 2023 एएचसी 231653 तथा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा उमंग सिंघर बनाम मध्य प्रदेश राज्य एमसीआरसी नंबर 596000 वर्ष 2020 निर्णय तिथि 21.9.2023 का हवाला देकर नजीर के तौर पर प्रस्तुत किया। कहा कि इन मामलों में उच्च न्यायालयों द्वारा पति-पत्नी के संबंधों में धारा 376 के साथ धारा 377 के तहत बलात्कार जैसा कोई अपराध नहीं हो सकता है।
यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ 2008 (10) एचसीसी पेज-1 में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दो वयस्क व्यक्तियों में सहमति के आधार पर यदि अप्राकृतिक संबंध बने हैं तो उस परिस्थिति में धारा 377 आईपीसी का अपराध नहीं बन सकता है। इलाहाबाद एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के प्रमुख आदेशों को नजीर मानते हुए न्यायालय द्वारा पति के विरुद्ध भादंसं की धारा 377 के आरोप को निरस्त कर दिया। अलबत्ता भादंसं की धारा 498 ए तथा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के आरोप को बरकरार रखकर विचारण न्यायालय को पत्रावली भेज दी है।
धारा 375 अलग करती है पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को अपराध से अलग (Unnatural sex with Wife not Crime for Husband)
नैनीताल। बताया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में भादंसं की धारा 376 के तहत अन्य परिस्थितियों में प्राकृतिक तरीके से जबरन बनाये जाने वाले यौन संबंधों को पति-पति की स्थिति में अपराध नहीं माना जाता है। लेकिन 377 के बारे में यानी अप्राकृतिक संबंधों के आरोपों पर धारा 375 में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। इस कारण ऐसे बड़ी संख्या में मामले न्यायालयों में लंबित हैं जिनमें पत्नियों ने अपने पतियों पर उनकी इच्छा के विरुद्ध अप्राकृतिक यौन संबंध बनाये हैं।
इस मामले में भी अधिवक्ता पंकज कुलौरा की ओर से यह दलील भी दी गयी कि भादंसं में पति-पत्नी के बीच छेड़छाड़ के आरोप भी अपराध नहीं बनते हैं, जबकि इस बारे में भी भादंसं की धारा 374 में कुछ भी नहीं कहा गया है, लेकिन इसे 377 की तरह कहा गया मान लिया जाता है। इसी आधार पर धारा 377 के मामलों में भी धारा 375 के तहत कहा गया माना जाना चाहिये।
इस प्रकार कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक-अप्राकृतिक तरीके से या किसी भी तरह के दुष्कर्म व छेड़छाड आदि के आरोप अपराध नहीं माने जा सकते हैं। अदालत का यह आदेश इस संबंध में नजीर के रूप में प्रयोग हो सकता है।
पति द्वारा तलाक मांगने के 14 माह बाद लगाये 3 वर्ष पूर्व सुहागरात के दिन अप्राकृतिक संबंध बनाने के आरोप (Unnatural sex with Wife not Crime for Husband)
नैनीताल। इस मामले में यह भी दिलचस्प तथ्य रहा है कि दोनों की शादी वर्ष 2016 में हुई थी। शादी के करीब 2 वर्ष बाद पति ने अपनी पत्नी को लेस्बियन यानी समलैंगिक बतकार तलाक लेने का वाद दायर किया। इसके करीब 14 माह बाद 2019 में पत्नी ने पति के विरुद्ध शादी के तत्काल बाद सुहागरात पर यानी 3 वर्ष पहले अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया। मामला पुराना होने के कारण महिला का मेडिकल भी नहीं हुआ। इसके बावजूद उसके पति को पत्नी के आरोपों पर लगभग 3 माह जेल में रहना पड़ा। (Unnatural sex with Wife not Crime for Husband)
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