हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में लोकायुक्त (Lokayukta) की नियुक्ति के लिए सरकार को दिए 8 सप्ताह में नियुक्ति के आदेश, नियुक्ति तक खर्च पर भी लगाई रोक
Lokayukta, The High Court of Uttarakhand has ordered the government to appoint a Lokayukta within a specified time frame. The court has also prohibited any expenditure until the appointment is made. Currently, the Lokayukta Institute in Uttarakhand is spending around two to three crore rupees annually without a Lokayukta. A petition was filed by a resident named Joshi, and the next hearing is scheduled for August 10. The petitioner highlighted the lack of an independent agency to investigate corruption in the state. Promises made by political parties regarding the appointment of a Lokayukta to tackle corruption remain unfulfilled.
-उत्तराखंड में बिन लोकायुक्त लोकायुक्त संस्थान पर हर वर्ष खर्च हो रहे दो से तीन करोड़ रुपए
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जून 2023। उत्तराखंड में लोकायुक्त (Lokayukta) की नियुक्ति होना अब करीब-करीब तय हो गया है। राज्य के उच्च न्यायालय ने प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति व लोकायुक्त संस्थान को सुचारू रूप से संचालित किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सरकार को आठ सप्ताह में नियुक्ति के आदेश दिए हैं।
गौलापार निवासी जोशी ने दायर की थी याचिका
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने हल्द्वानी के गौलापार निवासी समाजसेवी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए तब तक लोकायुक्त कार्यालय में खर्च पर भी रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
बिना काम इतना हो रहा खर्च
उल्लेखनीय है कि इस मामले की पिछली सुनवाई पर खंडपीठ ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी तक किए गए कार्यों और लोकायुक्त संस्थान के बनने से लेकर 31 मार्च 2023 तक इस पर खर्च हुई धनराशि का वर्षवार विवरण पेश करने को कहा था। इस पर सरकार की ओर से आज बताया गया कि 2010-11 से अब तक आवंटित 36 करोड़ में से करीब 30 करोड़ खर्च हो चुके हैं। इस साल भी दो करोड़ 44 लाख रुपए आवंटित किये गये हैं। यानी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने के बावजूद संस्थान के नाम पर हर वर्ष दो से तीन करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
राज्य में भ्रष्टाचार की जांच को कोई स्वतंत्र एजेंसी नहीं
उल्लेखनीय है कि याचिका में याची ने कहा था कि कर्नाटक व मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के माध्यम से भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की गई है लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं और भ्रष्टाचार के छोटे से छोटे मामले उच्च न्यायालय में लाने पड़ रहे हैं। उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नही है जिसके पास बिना शासन की पूर्वानुमति के, किसी भी राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजीकृत करने का अधिकार हो।
स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला सतर्कता विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है।
पूर्व के विधानसभा चुनावों में राजनैतिक दलों द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने पर प्रशासनिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था, लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..
The High Court ordered the government for the appointment of Lokayukta in Uttarakhand, the appointment would have to be done within the stipulated time, the expenditure was also banned till the appointment
Two to three crore rupees are being spent every year on the Lokayukta Institute without Lokayukta in Uttarakhand.
Naveen Samachar, Nainital, 27 June 2023. The appointment of Lokayukta in Uttarakhand is now almost fixed. The High Court of the state has ordered the government to appoint the Lokayukta within eight weeks on a petition filed regarding the appointment of the Lokayukta in the state and the smooth operation of the Lokayukta institution.
Joshi, a resident of Gaulapar, filed a petition
On Tuesday, a division bench of Chief Justice Justice Vipin Sanghi and Justice Rakesh Thapliyal, while hearing a PIL filed by social worker Ravi Shankar Joshi, a resident of Gaulapar, Haldwani, while directing him to submit a report on the compliance of his order, till then also banned the expenditure in the Lokayukta office. given. The next hearing of the case will be on August 10.
spending so much without work
It is notable that on the last hearing of this case, the bench asked the government to present the year-wise details of the work done so far for the appointment of Lokayukta and the amount spent on it till March 31, 2023, through an affidavit. Was. On this, it was informed by the government today that out of the allocated 36 crores since 2010-11, about 30 crores have been spent. This year also two crore 44 lakh rupees have been allocated. That is, despite no appointment of Lokayukta, two to three crore rupees are being spent every year in the name of the institution.
No independent agency to investigate corruption in the state
It is noteworthy that in the petition, the petitioner had said that strict action has been taken against corruption through Lokayukta in Karnataka and Madhya Pradesh, but in Uttarakhand many scams are taking place and small cases of corruption have to be brought to the High Court. There is no such investigative agency in the state of Uttarakhand which has the authority to register corruption cases against any gazetted officers without the prior permission of the government.
The Vigilance Department, which is promoted in the name of independent and fair investigation, is also a part of the State Police, whose complete control remains with the Police Headquarters, Vigilance Department or the Chief Minister’s Office.
In the previous assembly elections, political parties had promised to appoint a strong Lokayukta to end administrative and political corruption when they form the government in the state, but this promise has not been fulfilled till date.