भाजपा का गैरों पे रहम, अपनों पे सितम, दूसरे दलों के लिये खोले दरवाजे, अपने बागियों को घर वापसी के लिये नहीं दी जा रही हरी झंडी, जानें कितने पूर्व बागी-भाजपाई हैं लाइन में ?
नवीन समाचार, देहरादून, 23 मार्च 2024 (BJPs doors open for others But not for Rebels)। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तराखंड में एक ओर कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, वहीं पूर्व में भाजपा छोड़ चुके बागियों को भाजपा में लौटने की इच्छा के बावजूद भाजपा में वापसी नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा ऐसे अपने नेताओं को पार्टी में वापसी कराने के प्रति उतनी दरियादिली नहीं दिखा रही है। अलबत्ता, इधर ऐसे कुछ नेताओं की पार्टी में वापसी की शुरुआत हो गयी है।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में भाजपा, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के करीब 15 हजार नेताओं कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर चुकी है। इनमें 6 पूर्व और 1 वर्तमान विधायक भी शामिल हैं। दूसरी तरफ भाजपा अपने बागियों पर बेहद सख्त है। बागियों की पार्टी में वापसी बहुत मुश्किल से हो रही है।
ये हुए भाजपाई (BJPs doors open for others But not for Rebels)
बदरीनाथ केकांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी
कांग्रेस के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण
पूर्व मंत्री और टिहरी के पूर्व विधायक दिनेश धनै
पूर्व विधायक भीमताल दान सिंह भंडारी
पूर्व विधायक गंगोत्री मालचंद
पूर्व विधायक धनौल्टी महावीर रांगड़
पूर्व विधायक कोटद्वार शैलेंद्र रावत
भाजपा के ये बागी नेता लंबे समय से चाह रहे हैं भाजपा में वापसी (BJPs doors open for others But not for Rebels)
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट न दिए जाने के कारण भाजपा के कई नेता पार्टी से बागी हो गए थे। इनमें रुद्रपुर के पूर्व भाजपा विधायक व निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले राजकुमार ठुकराल, कर्णप्रयाग से चुनाव लड़ने वाले टीका प्रसाद मैखुरी, डोईवाला से लड़ने वाले जितेंद्र नेगी, रायपुर से महेंद्र नेगी, कोटद्वार से धीरेंद्र चौहान और भीमताल से चुनाव लड़े मनोज साह प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन्हें भाजपा ने छह साल के लिए निष्कासित किया था।
उल्लेखनीय है कि इनके अलावा धर्मपुर से वीर सिंह पंवार, चकराता से कमलेश भट्ट, यमुनोत्री से मनोज कोली, किच्छा से अजय तिवारी, लालकुआं से पवन चौहान भी भाजपा के कार्यकर्ता होने के बावजूद भाजपा से इतर लड़े थे। लेकिन इन पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
भाजपा के एक बागी नेता महेंद्र नेगी का कहना है कि वह भाजपा के सच्चे सिपाही थे और लगातार पार्टी के प्रति समर्पित थे। लेकिन पार्टी द्वारा उनके समर्पण को दरकिनार किया गया। इस कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। वहीं हाल में पार्टी में वापस आये महावीर रांगड़ ने कहा कि राजनीति में कुछ कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। वह लंबे समय से भले ही पार्टी से दूर थे, लेकिन मन से भाजपा में ही थे।
भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव में बगावत दिखाने वाले नेताओं को नहीं बख्शा है (BJPs doors open for others But not for Rebels)
2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से चुनाव टिकट नहीं मिलने पर बगावत करने वाले नेताओं की घर वापसी के लिये भाजपा नरम रुख नहीं दिखा रही है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि जब ये लोग बागी हुए थे, तो उन्हें मनाया गया था। लेकिन वह नहीं माने। फिर उन्हें थोड़ा पश्चाताप का मौका दिया गया। (BJPs doors open for others But not for Rebels)
लेकिन अब देखा जा रहा है कि बागी नेताओं द्वारा किस तरह का आचरण इन 2 सालों में किया गया है। उन्होंने पार्टी के खिलाफ कितनी गतिविधियों में भाग लिया, इस आधार पर 2022 में पार्टी के खिलाफ काम करने वाले लोगों को घर वापसी की अनुमति दी जा रही है। (BJPs doors open for others But not for Rebels)
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