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February 18, 2025

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद कैसे मुस्लिम कर सकेंगे निकाह और कैसे ले सकेंगे तलाक, देखें क्या हुआ है तलाक कानूनों में हुआ बड़ा बदलाव…

Tripple Talaq Teen Talak

नवीन समाचार, देहरादून, 29 जनवरी 2025 (After UCC-How Muslims able to Marry and Divorce) उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस संहिता के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार एवं लिव-इन संबंधों को लेकर एक समान कानून लागू होगा। आदिवासी समुदाय को छोड़कर सभी धर्मों और जातियों के लोगों पर यह कानून प्रभावी होगा।

यूसीसी के तहत क्या बदला?

Apharan, (After UCC-How Muslims able to Marry and Divorce)समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद अब उत्तराखंड में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून मान्य नहीं होंगे। विशेष रूप से विवाह, तलाक और संपत्ति उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में एक समान नियम लागू होंगे। सरकार का कहना है कि इससे सभी नागरिकों को एक समान अधिकार और न्याय मिलेगा।

मुस्लिम समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अब तक मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया) एप्लीकेशन अधिनियम, 1937 के तहत मुस्लिमों के विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामले इस्लामी कानूनों के अनुसार चलते थे। लेकिन अब यूसीसी लागू होने के बाद इन मामलों में इस्लामी कानून प्रभावी नहीं रहेगा।

1. विवाह में नया नियम:

अब मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष होगी। पहले इस्लामी कानून में लड़कियों के बालिग होने की कोई निर्धारित उम्र नहीं थी। इसके अलावा, अब सभी धर्मों की महिलाओं को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

2. तलाक की नई प्रक्रिया:

मुस्लिम समुदाय में पहले तीन तलाक सहित विभिन्न प्रकार के तलाक प्रचलित थे। हालांकि, तीन तलाक पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका था, लेकिन तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-बाईन और तलाक-ए-किनाया जैसी पद्धतियां अब अमान्य हो गई हैं।

अब मुस्लिम समुदाय के लिए भी तलाक की एक समान प्रक्रिया होगी:

  • शादी के तुरंत बाद तलाक के लिए आवेदन नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए कम से कम एक वर्ष का वैवाहिक जीवन पूरा करना अनिवार्य होगा।
  • हिंदुओं की तरह मुस्लिम दंपतियों को भी तलाक लेने के लिए कानूनी आधार देने होंगे।
  • यदि कोई व्यक्ति शादीशुदा है, तो वह बिना तलाक लिए दूसरी शादी नहीं कर सकेगा।

3. लिव-इन संबंधों पर नए नियम:

यूसीसी में लिव-इन संबंधों को भी विधिक दायरे में लाया गया है। अब लिव-इन संबंध में रहने वाले जोड़ों को अनिवार्य रूप से अपने रिश्ते को पंजीकृत कराना होगा। ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

4. उत्तराधिकार कानून:

  • अब सभी धर्मों की महिलाओं को अपने माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
  • इससे पहले, मुस्लिम महिलाओं को उत्तराधिकार में समान अधिकार नहीं था।

5. बहुविवाह पर प्रतिबंध:

यूसीसी लागू होने के बाद अब बहुविवाह प्रथा पर भी प्रतिबंध लग गया है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, बिना कानूनी तलाक लिए दूसरी शादी नहीं कर सकता।

यूसीसी लागू करने का कारण

राज्य सरकार का कहना है कि समान नागरिक संहिता लागू करने का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार देना और समाज में समानता लाना है। अब विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े विवादों में एकरूपता होगी, जिससे न्याय प्रक्रिया अधिक सुचारु होगी।

यूसीसी लागू होने के बाद विरोध और समर्थन (After UCC-How Muslims able to Marry and Divorce)

समान नागरिक संहिता को लेकर विभिन्न समुदायों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां एक ओर कुछ लोग इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं, वहीं कुछ वर्गों में इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप बताया जा रहा है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कानून सभी नागरिकों के हित में लाया गया है और इससे समाज में समरसता स्थापित होगी। (After UCC-How Muslims able to Marry and Divorce)

इस प्रकार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद अब विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में एक समान कानून लागू होगा। विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए यह बड़ा बदलाव है, क्योंकि अब उनके व्यक्तिगत कानूनों की जगह यूसीसी के नियम लागू होंगे। इससे समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों को समान न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। (After UCC-How Muslims able to Marry and Divorce)

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