विज्ञापन सड़क किनारे होर्डिंग पर लगाते हैं, और समाचार समाचार माध्यमों में निःशुल्क छपवाते हैं। समाचार माध्यम कैसे चलेंगे....? कभी सोचा है ? उत्तराखंड सरकार से 'A' श्रेणी में मान्यता प्राप्त रही, 30 लाख से अधिक उपयोक्ताओं के द्वारा 13.7 मिलियन यानी 1.37 करोड़ से अधिक बार पढी गई अपनी पसंदीदा व भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ में आपका स्वागत है...‘नवीन समाचार’ के माध्यम से अपने व्यवसाय-सेवाओं को अपने उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए संपर्क करें मोबाईल 8077566792, व्हाट्सप्प 9412037779 व saharanavinjoshi@gmail.com पर... | क्या आपको वास्तव में कुछ भी FREE में मिलता है ? समाचारों के अलावा...? यदि नहीं तो ‘नवीन समाचार’ को सहयोग करें। ‘नवीन समाचार’ के माध्यम से अपने परिचितों, प्रेमियों, मित्रों को शुभकामना संदेश दें... अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में हमें भी सहयोग का अवसर दें... संपर्क करें : मोबाईल 8077566792, व्हाट्सप्प 9412037779 व navinsamachar@gmail.com पर।

July 27, 2024

उत्तराखंड मुक्त विवि में राज्यपाल द्वारा दिया गया कुलपति स्वर्ण पदक विवाद में, अधिक अंक वाली छात्रा के होते कम अंक वाले छात्र को देने का आरोप

0

डा. आराधना जोशी

नवीन समाचार, नैनीताल, 3 दिसंबर 2019। उत्तराखंड मुक्त विवि के पांचवे दीक्षांत समारोह में दीक्षांत कुमार को पूरे विवि में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर कुलपति स्वर्ण पदक एवं योग विषय में स्वर्ण पदक दिया गया। लेकिन विवि द्वारा दिये गये यह पदक विवादों में आ गए हैं। योग विज्ञान की ही एक छात्रा डा. आराधना जोशी ने इस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया है कि दीक्षांत कुमार और उन्होंने एक साथ ही वर्ष 2017 में योग विषय में स्नातकोत्तर कक्षा में प्रवेश लिया था, और 2019 में दोनों ने ही स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की है। दीक्षांत को स्नातकोत्तर में औसतन 77.5 फीसद अंक प्राप्त करने पर योग विषय एवं पूरे विवि में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर योग विषय का स्वर्ण पदक एवं कुलपति का स्वर्ण पदक कुलाधिपति राज्यपाल के हाथों भेंट किया गया, जबकि उन्होंने स्नातकोत्तर में दीक्षांत से अधिक औसतन 77.8 फीसद अंक हासिल किये हैं। इसलिए कुलपति व कुलाधिपति-राज्यपाल के हाथों उन्हें कुलपति स्वर्ण पदक मिलना चाहिए था।

राज्य के सभी प्रमुख समाचार पोर्टलों में प्रकाशित आज-अभी तक के समाचार पढ़ने के लिए क्लिक करें इस लाइन को…

नियमित रूप से नैनीताल, कुमाऊं, उत्तराखंड के समाचार अपने फोन पर प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे टेलीग्राम ग्रुप में इस लिंक https://t.me/joinchat/NgtSoxbnPOLCH8bVufyiGQ से एवं ह्वाट्सएप ग्रुप से इस लिंक https://chat.whatsapp.com/ECouFBsgQEl5z5oH7FVYCO पर क्लिक करके जुड़ें।

जनपद के पीरूमदारा में चिकित्सक के पद पर कार्यरत डा.आराधना जोशी का कहना है कि वह हमेशा में पढ़ाई में अव्वल रही हैं। वर्ष 2009 में इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में पूरे राज्य में शीर्ष पर आने पर उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के हाथों दीन दयाल उपाध्याय पुरस्कार भेंट किया गया था। इस बार भी उन्हें कुलपति स्वर्ण पदक मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन किसी अन्य को मिलने की घोषणा होने पर वह सुबह उमुवि के दीक्षांत समारोह में आते ही कुलपति स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र के अंक जानने को उत्सुक रहीं, और जैसे ही उन्हें पता चला कि उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले छात्र को यह पदक दिया जा रहा है तो वे परीक्षा नियंत्रक सहित विवि के अनेक अधिकारियों से मिलीं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी, और इस बात को लेकर उनके दावे को नकारते रहे कि उन्होंने एक वर्कशॉप उसी दिन देहरादून में कोई दूसरी परीक्षा होने के कारण छोड़ी थी और दूसरे वर्ष दूसरे वर्ष के साथ उस छूटी वर्कशॉप को भी कर लिया था। वह किसी परीक्षा में अनुत्तीर्ण नहीं हुई थी। और वर्कशॉप छोड़ना विवि के नियमों के अधीन ही किया गया था। इस कारण वे पदक के योग्य होने के बावजूद विवि में आज दीक्षांत समारोह के दौरान रोती रहीं, और अपनी डिग्री भी विवि मंे ही छोड़ आईं। अलबत्ता समारोह निपटने के बाद शाम साढ़े चार बजे उनकी कुलपति प्रो. ओपी नेगी से मुलाकात हो पाई और उन्होंने शुक्रवार को उनका मामला देखने का आश्वासन दिया। डा. आराधना ने कहा कि आज जिस तरह पात्र होते हुए भी उनका अपमान हुआ, ऐसे में वह कुलपति के हाथों ही पदक प्राप्त करना चाहती हैं। वहीं इस बारे में पूछे जाने पर कुलपति प्रो. नेगी ने कहा कि छात्रा के मामले को गंभीरता से देखा जाएगा। यदि विवि के स्तर से कोई गलती हुई होगी तो विवि भूल सुधार करने में कोई गुरेज नहीं करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :