नैनीताल : लगातार दूसरे दिन जारी रही प्राधिकरण की पांच मंजिला भवन को ध्वस्त करने की कार्रवाई…
नवीन समाचार, नैनीताल, 18 मार्च 2023। जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल की ओर शुक्रवार को मुख्यालय में नियमविरुद्ध बने एक पांच मंजिला भवन के ध्वस्तीकरण की शुरू हुई कार्रवाई शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। आज भी भवन के कुछ हिस्से को ध्वस्त किया गया। यह भी पढ़ें : नैनीताल मौसम अपडेट: कैसा है मौसम और आगे क्या हैं संभावनाएं…
विदित हो कि नगर के मल्लीताल राजमहल कंपाउंड में नदीम अंसारी पुत्र रईश अंसारी के चर्चित 5 मंजिला भवन में एक मंजिल भूतल में एवं शेष 4 मंजिलें ऊपर हैं, तथा इसमें 17 फ्लैट बने हैं। इस भवन में पूर्व में भी प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की थी, लेकिन भवन स्वामी की ओर से कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई। उच्च न्यायालय ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के साथ प्राधिकरण एवं संबंधितों से जवाब तलब करने के साथ तब तक के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। यह भी पढ़ें : संदिग्ध परिस्थितियों में महिला नैनी झील में गिरी, युवकों ने बचाया
लेकिन इधर तीन दिन पूर्व उच्च न्यायालय से यह मामला निस्तारित होने के साथ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक हट गयी। आदेश की प्रति शुक्रवार को मिलने के बाद प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की। प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि भवन के पूरी तरह से ध्वस्तीकरण तक कार्रवाई जारी रहेगी। भवन को खाली भी करवाया जा रहा है, और खाली होते ही मजदूरों से सावधानी पूर्वक भवन का ध्वस्त किया जा रहा है। आगे ध्वस्तीकरण में जेसीबी का प्रयोग भी किया जा सकता है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : प्राधिकरण ने शुरू की बहुचर्चित पांच मंजिला भवन को ध्वस्त करने की कार्रवाई….
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मार्च 2023। जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल ने शुक्रवार को मुख्यालय में नियमविरुद्ध बने एक पांच मंजिला भवन के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की। बताया गया कि दो दिन पूर्व उच्च न्यायालय से इस भवन के ध्वस्तीकरण पर लगी रोक हटने के साथ मामला निस्तारित हो गया। इसका आदेश आज ही प्राधिकरण में प्राप्त होने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की गई। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में पहली बार पैदा हुईं आपस में जुड़ी दो बच्चियां, मां-बाप बेहद गरीब…
मामला नगर के मल्लीताल राजमहल कंपाउंड के बहुचर्चित 5 मंजिला भवन का है। इसमें एक मंजिल भूतल में एवं शेष 4 मंजिलें ऊपर हैं। नदीम अंसारी पुत्र रईश अंसारी के इस भवन में पूर्व में भी प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की थी, लेकिन भवन स्वामी की ओर से कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई। उच्च न्यायालय ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के साथ प्राधिकरण एवं संबंधितों से जवाब तलब करने के साथ तब तक के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। यह भी पढ़ें : घर में महिला व तीन बच्चों के शव मिलने से सनसनी, पति गायब…
लेकिन इधर दो दिन पूर्व उच्च न्यायालय से यह मामला निस्तारित होने के साथ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक हट गयी। आदेश की प्रति शुक्रवार को मिलने के बाद प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय की अगुवाई में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की गई। इस दौरान पूर्व में तोड़े गए पांचवी मंजिल के हिस्से के शेष हिस्से को तोड़ने का कार्य प्रारंभ हुआ। साथ ही भवन में बताए गए 17 फ्लैटों में से 12 को सील कर दिया गया, तथा यहां रहने वालों से फ्लैटों को खाली करने को कहा गया। यह भी पढ़ें : नैनीताल में आवारा कुत्ते नगर पालिका को घर पर आकर दे रहे हैं चुनौती…
इस बीच एक फ्लैट स्वामी ने फ्लैट खाली करने के लिए खुलवा लिया, जबकि अन्य 5 ने भी अपने फ्लैट खाली करने शुरू किए। इस दौरान तेज बारिश व ओलावृष्टि होने से ध्वस्तीकरण अभियान रोकना पड़ गया। बताया गया है कि सभी फ्लैटों को अगले एक-दो दिनों में खाली करने को कहा गया है, और सोमवार को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई आगे बढ़ाने की बात कही गई है। इस अवसर पर श्री उपाध्याय के साथ एसडीएम, अवर अभियंता रघुवीर लाल भारती, प्रियंका कुंजवाल, सुपरवाइजर पूरन तिवारी, महेश जोशी व खुशाल सिंह आदि प्राधिकरण के अधिकारी भी मौजूद रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नगर पालिका ने पांच दुकानों के आगे से अतिक्रमण हटाया…
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 मार्च 2023। नैनीताल पालिका एवं पुलिस प्रशासन द्वारा मंगलवार को पांच दुकानों के आगे किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की। बताया गया कि गाड़ी पड़ाव स्थित दुकानों के स्थलीय निरीक्षण के दौरान देखने में आया कि दुकानदारों द्वारा दुकानों के आगे अतिक्रमण कर रखा है। खासकर रघु नाम के व्यक्ति ने काफी सालों से रविनंदन जोशी की दुकान के आगे अतिक्रमण कर रखा था। इस कारण काफी सालो से दुकान बंद थीं। यह भी पढ़ें :
इस पर पालिका प्रशासन ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए नवरंग, मान सिंह, देव सिंह, बाल किशन व रामधन आदि कुल 5 लोगो की दुकानों के आगे से अतिक्रमण हटाया। कार्रवाई के दौरान नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल, कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक दीपक बिष्ट, पूजा मेहरा, अवर अभियंता डूंगर सिंह मेहरा, कर अधीक्षक सुनील कुमार खोलिया, कर निरीक्षक हिमांशु चंद्रा, मोहन चिलवाल, दीपराज, कंचन व सूरज आदि मौजूद रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर फिर हुआ सीमांकन का कार्य…
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 28 जनवरी 2023। हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में एक बार फिर सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है। बताया गया है कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में आागमी 7 फरवरी को सुनवाई होनी है। इसी के दृष्टिगत बीते शनिवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रभावितों ने अपने दस्तावेज पेश किए थे और तय हुआ था कि रविवार को जमीन का सर्वे किया जाएगा। इसी कड़ी में आज रविवार को राजस्व, नगर निगम, वन विभाग और रेलवे की संयुक्त टीम ने क्षेत्र का सीमांकन शुरू कर दिया। यह भी पढ़ें : युवक को जंगल में दबोचकर ले गया बाघ, वन कर्मियों के पहुंचने के बावजूद तीन घंटे तक शव को नोंचता रहा, 14 राउंड फायर कर बमुश्किल छुड़ाया शव…
बताया गया है कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह भी तय हुआ था कि हजरत चिराग अली शाह बाबा की दरगाह और गौला रोखड़ स्थित स्लाटर हाउस को लैंड मार्क मानकर सर्वे किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि तीनों विभागों के संयुक्त सर्वें से अब पता चल सकेगा कि मंदिर, मस्जिद, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, इंटर कालेज, पानी की टंकी आदि सरकारी भवन रेलवे की भूमि में बने हैं या राजस्व व नजूल की भूमि पर। सर्वे में अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, उपजिलाधिकारी हल्द्वानी मनीष कुमार, पुलिस क्षेत्राधिकारी हल्द्वानी भूपेंद्र सिंह धौनी, कोतवाल हल्द्वानी हरेंद्र चौधरी, थाना अध्यक्ष बनभूलपुरा नीरज भाकुनी व संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। यह भी पढ़ें : मिठाई बनाने में प्रयोग हो रहे थे मुर्गी दाना, फिटकरी का घोल, नकली रिफाइंड, रंग और केवड़े की खुशबू ! रुद्रपुर, हल्द्वानी, सितारगंज, अल्मोड़ा की नामी दुकानों में हो रही थी आपूर्ति
गौरतलब है कि यहां बसे लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वह जिस भूमि पर बसे हैं। वह भूमि सालों पहले सरकार से पट्टे के रूप में मिली है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के के ध्वस्तीकरण के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई हुई है और इस मामले में आगामी 7 फरवरी को सुनवाई होनी है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-बनभूलपुरा की तर्ज पर बहुसंख्यकों के अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों पर भी कार्रवाई न करने की मांग

नवीन समाचार, नैनीताल, 7 जनवरी 2023। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष नितिन कार्की ने सर्वोच्च न्यायालय के हल्द्वानी के बनभूलपुरा के अतिक्रमणकारियों को दी गई अंतरिम राहत पर नई बहश छेड़ दी है। कार्की ने नैनीताल के जिलाधिकारी के माध्यम प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर बनभूलपुरा की तर्ज पर बहुसंख्यकों के अवैध निर्माणों व अतिक्रमणों पर भी कार्रवाई न करने की मांग की है। यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग नैनीताल: अभी-अभी एक युवक ने विषपान किया….
कार्की ने पत्र में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बनभूलपुरा के अतिक्रमणकारियों को अंतरिम राहत दी है। कहा है कि राज्य में कई जगह बहुसंख्यक धर्म व समाज के लोगों ने भी छोटे-छोटे अवैध निर्माण या अतिक्रमण किए हैं। सरकार ने उन्हें भी तोड़ने या हटाने की कार्रवाई शुरू की है व कई जगह ऐसे निर्माणों का चिन्हीकरण चल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि बनभूलपुरा हल्द्वानी में अतिक्रमण मामले का पूर्ण रूप से निस्तारण न होने तक अन्य मामलों पर कार्रवाई को भी स्थगित किया जाए। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी के बनभूलपुरा मामले में आया सर्वोच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश…
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 5 जनवरी 2022। हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा अंतरिम आदेश आ गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने नैनीताल उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार एवं भारतीय रेलवे को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस अंतरिम आदेश के बाद अब बनभूलपुरा से अगली सुनवाई की तिथि सात फरवरी तक अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकेगा। यह भी पढ़ें : 11 वर्ष की बच्ची के घर से भागने पर पुलिस के हाथ पांव फूले, वजह चिंताजनक…
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि एक सप्ताह में लोगों का हटाना उचित नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से लोगों को बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी का बयान भी सामने आया है। धामी ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है। इस मामले में हम न्यायालय के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी के नशा मुक्ति केंद्र से एक व्यक्ति दो दिनों से गायब, तलाशने में मदद की गुहार..
उधर मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं। वहां और अधिक कब्जे पर रोक लगे। फिलहाल हम उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा रहे हैं।’ न्यायाधीश ने आगे कहा कि एक महीने बाद 7 फरवरी को अगली सुनवाई होगी। तब तक हल्द्वानी में अतिक्रमण पर रोक लगा दी गई है। सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौल ने पूछा कि उत्तराखंड सरकार के अधिवक्ता कौन हैं ? कितनी जमीन रेलवे की है, कितनी राज्य की ? क्या वहां रह रहे लोगों का दावा लंबित है? न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि इनका दावा है कि बरसों से रह रहे हैं। यह ठीक है कि उस जगह को विकसित किया जाना है, लेकिन उनका पुनर्वास होना चाहिए। यह भी पढ़ें : पेंशनरों की अनिवार्य कटौती पर हाईकोर्ट से आया बड़ा निर्णय, कहा-अनिवार्य कटौती नहीं कर सकते, वर्ष में एक बार मौका दें….
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायालय को बताया कि पहले रेलवे ने 29 एकड़ कहा, लेकिन फिर 78 एकड़ कहने लगा। एएसजी ने कहा कि इन लोगों ने कभी पुनर्वास का अनुरोध नहीं किया और यह जमीन को ही अपना बताते हैं। सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘ठीक है, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, लेकिन किसी अथॉरिटी को इन लोगों की बातें सुनकर निपटारा करना चाहिए। यह भी पढ़ें : सुबह का सुखद समाचार : राज्य लोक सेवा आयोग ने 208 नए पदों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की…
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘2 तरह के लोग हो सकते हैं, एक जिनका दावा बनता है, एक जिनका कोई दावा नहीं बनता। आपको जमीन को कब्जे में लेकर विकसित करने का हक है, लेकिन सबको सुनकर बीच का रास्ता निकालना चाहिए।अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने रेलवे की ओर से कहा कि यह सब कुछ रातों-रात नहीं हुआ है, इसमें पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है। वहीं न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि लेकिन मानवीय आधार पर मामला देखना चाहिए, तब तक सुनिश्चित करें कि और कोई निर्माण न हो।’ न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि आप अर्धसैनिक बलों की मदद लेकर 1 सप्ताह में जगह खाली करवाना चाहते हैं। इस पर विचार कीजिए। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पाकिस्तानी मीडिया व अल जजीरा तक पहुंचा हल्द्वानी का मुद्दा, इसी मुद्दे पर मायावती के बयान की उड़ाई जा रही खिल्ली, जानें क्यों ?
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 4 जनवरी 2023। हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे स्टेशन से करीब 2.1 किलोमीटर तक पटरी के पास 29 एकड़ भूमि में 4365 घरों पर लटकी ध्वस्तीकरण की तलवार पर गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में सर्वोच्च सुनवाई होने जा रही है। वहीं इससे पहले इस मुद्दे पर यह कहना मुश्किल है कि कितनों को बेघर हो रहे लोगों के दर्द से मतलब है, लेकिन इस मुद्दे को भुनाने और खुद लाभ लेने की हर ओर से भरसक कोशिश की जा रही है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में साहूकार की करतूत: 7 हजार देकर 27 हजार रुपए वसूले, गर्भवती महिला से की मारपीट…
यहां तक कि पाकिस्तानी मीडिया में यह मामला आ गया है और पाकिस्तानी मीडियो इस मुद्दे को भारत में मुस्लिमों के विरुद्ध कार्रवाई के रूप में प्रचारित कर रहा है तो बताया जा रहा है कि अल जजीरा ने इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर ले जाने का प्रयास किया है। वहीं उत्तराखंड में कांग्रेस नेता हरीश रावत से लेकर सपा के मुखिया अखिलेश यादव व एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी व पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बाद बसपा की प्रमुख मायावती तक इस आग में हाथ सेंकते नजर आ रहे हैं। जबकि शायद उन्हें पूरा मामला भी पता न हो। यह भी पढ़ें : पेंशनरों की अनिवार्य कटौती पर हाईकोर्ट से आया बड़ा निर्णय, कहा-अनिवार्य कटौती नहीं कर सकते, वर्ष में एक बार मौका दें….
उत्तराखण्ड स्टेट के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुःखद। सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना। सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाये, बी.एस.पी. की यह माँग।
— Mayawati (@Mayawati) January 4, 2023
मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा है, ‘उत्तराखण्ड स्टेट के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुःखद। सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना। सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाये, बी.एस.पी. की यह माँग।’ मायावती के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब खिल्ली भी उड़ रही है कि हल्द्वानी में बर्फ नहीं गिरती। यह भी पढ़ें : निजी चिकित्सालय में फिल्म गब्बर जैसी शर्मनाक हरकत, 7 माह के मृत बच्चे को गंभीर बताते हुए थमा दिया सवा दो लाख का बिल…
हल्द्वानी के मुद्दे से जोड़ते हुए इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि देश के वास्तविक अल्पसंख्यक जैन धर्म के लोगों के झारखंड स्थित धर्मस्थल को पर्यटन स्थल घोषित होने पर एक जैन संत की मौत के बावजूद विदेश क्या देश का मीडिया भी चुप है, और हल्द्वानी के मुद्दे को वैश्विक मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है। इस विषय में आप क्या सोचते हैं, कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 4 जनवरी 2023। सरकारी जमीनों में मुफ्त में कब्जा करो, उन पर रातों-रात घर बनाओ और पुराना पेंट लगाकर रात्रि में बने घर को बरसों पुराना बताओ। सरकारी अधिकारी-कर्मी जब कार्रवाई के लिए आएं तो उन्हें भगाओ। बाद में कहो कि जब घर बने तो वह कहां सोये थे। करोड़ों का कारोबार कर अपनी ताकत दिखाओ और जब जरूरत पड़े तो खुद को गरीब-लाचार भी बता दो। उत्तराखंड में कई स्थानों पर ऐसा हो रहा है, और हल्द्वानी का बनभूलपुरा इसकी बानगी है। यह भी पढ़ें : साइकिल-बाइकों के लिए लाइसेंस होगा अनिवार्य, किरायेदार अन्य को नहीं दे पाएंगे कब्जा
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के गत 20 दिसंबर आदेश के बाद यहां रेलवे की रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक फैली 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण कर बने 4365 घरों को हटाने के आदेश पारित किए हैं। इसके बाद एक ओर प्रशासन व रेलवे अतिक्रमण को ध्वस्त करने की तैयारी कर रहा है। इस हेतु नोटिस भी प्रकाशित हो चुके हैं, वहीं कार्रवाई की जद में आ रहे लोगों की ओर से कांग्रेस नेता व अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर की गई याचिका पर 5 जनवरी को होने वाली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। यह भी पढ़ें : नए वर्ष में नैनीताल में बंद होने लगे कुछ होटल, जानें क्यों…?
बताया जा रहा है कि यदि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है तो इससे करीब 50 हजार लोगों की आबादी प्रभावित होगी। कुछ लोग इस संख्या को लाखों में भी बता रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि यहां प्रति घर में औसतन 11 यानी एक दर्जन से लेकर कुल आबादी लाखों की जगह एक लाख भी मानने पर दो दर्जन तक लोग रहते हैं। एक पक्ष यह भी है कि जितनी जनसंख्या यहां एक छोटे से क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहने वाले लोगों की है, उतनी पहाड़ की सैकड़ों किलोमीटर में फैली कई विधानसभाओं में निवास करती है। यह भी पढ़ें : नैनीताल : एक भगवा झंडा लगने पर शुरू हुई राजनीति, और बढ़ा आरोप-प्रत्यारोपों का दौर…
यहाँ अनधिकृत तौर पर रहने वाले लोगों को तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्थाओं, अपना वोट बैंक मानने वाली राजनीति व नौकरशाही के गठजोड़ ने बिजली, पानी, सड़क, स्कूल जैसी हर व्यवस्था उपलब्ध कराई है। उन्हें उनके संरक्षण का विश्वास भी दिलाया है, जबकि उनकी वजह से शहर का विकास अवरुद्ध है। शहर रेलवे से देश के अपेक्षित शहरों से नहीं जुड़ पा रहा है, और रेलयात्रियों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। यह भी पढ़ें : अंकिता हत्याकांड : अंकिता हत्याकांड में बड़ा समाचार: मुख्य आरोपित सशर्त नार्को टेस्ट के लिए राजी, शर्तों में कुछ सवाल भी, सवाल बेहद चौंकाने वाले….
यह भी है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही कार्रवाई को प्रशासन की कार्रवाई को एक ओर एक धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ कार्रवाई बताकर धार्मिक रंग दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर जरूरत पड़ने यहां सर्व धर्म के लोगों के रहने व उनके धार्मिक स्थल होने की आढ़ भी ली जा रही है। प्रस्तावित कार्रवाई के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की तरह महिलाओं और बच्चों को आगे कर आंदोलन चलाया जा रहा है, जो अपनी पढ़ाई और सुरक्षित भविष्य का हवाला देकर अवैध कब्जे न हटाने की मांग कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : निजी चिकित्सालय में फिल्म गब्बर जैसी शर्मनाक हरकत, 7 माह के मृत बच्चे को गंभीर बताते हुए
ठंड के मौसम और आसन्न बोर्ड परीक्षाओं का सहारा लेकर भी इस अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को गलत बताया जा रहा है। यानी मानवीय पहलू की आढ़ भी ली जा रही है। तीसरी ओर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग भी दे दिया गया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम में इस मुद्दे को गरमाकर अपने पक्ष में लोगों को जोड़ने की होड़ भी शुरू हो गई है। खास बामपंथी सोच वाले एक्टिविस्टों का एक धड़ा भी इस कार्रवाई को समुदाय विशेष का उत्पीड़न बताकर लोगों को भड़काने में लगे हैं। अब इन अवैध कब्जों पर कार्रवाई होगी या नहीं, इस पर सबकी नजरें सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई पर टिक गई हैं। यह भी पढ़ें : फिर सिर उठाने लगा कोरोना, अब एक पुलिस कर्मी के बिना किसी ट्रेवल हिस्ट्री के कोरोना होने से हड़कंप
अलबत्ता, यह प्रश्न भी अपनी जगह है कि इस तरह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अपने परिवारों को प्रशासनिक कार्रवाई की जद में यानी असुरक्षा में डालना कितना सही है। यदि इसी तरह पूरे देश के लोग सरकारी जमीनों पर मुफ्त में अतिक्रमण करने लगें और फिर जमीनों की खरीद बिक्री कर मालामाल भी हो जाएं तो यह कितना सही और कितना गलत कहा जाएगा। यह सवाल भी पूछा जाना चाहिए कि वास्तव में महिलाओं-बच्चों को इस ठंड के मौसम में सड़क पर आने को मजबूर करने वाले लोग कौन हैं, कहीं अपने, अपने परिवार के ही लोग तो नहीं, जो समय पर थोड़ी अधिक मेहनत कर देश के अन्य गरीब लोगों की तरह कम से कम एक छत का इंतजाम तो कर ही सकते थे। इस विषय में आप क्या सोचते हैं, कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण ध्वस्तीकरण का मामला, घर बचाने को हर जुगत की जाने लगी
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 2 जनवरी 2023। हल्द्वानी के बनभूलपुरा स्थित रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाए जाने का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में आगामी 5 जनवरी को सुनवाई कर सकता है। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में हल्द्वानी के शराफत खान सहित 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गयी। यह भी पढ़ें : अंगीठी की गैस से 12वीं के किशोर छात्र की मौत, दो भाई भी हुए बेहोश….
इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने 5 जनवरी यानी गुरुवार को सुने जाने की तिथि निर्धारित कर दी है। बताया गया है कि और कुछ लोग भी सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में याचिका दायर कर सकते हैं, और यह भी कहा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय इन सभी संबंधित मामलों कीएक साथ सुनवाई कर सकती है। यह भी पढ़ें : पत्नी मायके गई तो उसे पीटने हथियार लेकर पहुंचा पति, की मारपीट…
इधर, मुस्लिम सेवा संगठन द्वारा सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए संगठन के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष शहर काजी मौलाना मुहम्मद अहमद कासमी ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके के धवस्तीकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बनभूलपुरा के धवस्तीकरण की प्रस्तावित कार्यवाही चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस कार्यवाही को रोकने के लिए दखल दे। संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि बनभूलपुरा में लगभग 4500 घरों की धवस्तीकरण से लगभग 50 हजार की आबादी प्रभावित होगी। प्रभावित होने वाले लोगो में सभी धर्मो के लोग शामिल हैं। सर्दियों के मौसम में तथा जब बोर्ड की परीक्षाएं सिर पर हैं इस प्रकार की कार्यवाही अनुचित है। यह भी पढ़ें : नैनीताल : नगर के अयारपाटा क्षेत्र के निजी कंपाउंड में 150 पेड़ काटे जाने की सूचना…
संगठन के उपाध्यक्ष आकिब कुरैशी ने कहा उच्चतम न्यायालय में इस कार्यवाही को रोकने के लिए याचिका दायर की गई है। इस पर जन भावनाओं और मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस ध्वस्तीकरण की करवाही पर अविलंब रोक लगेगी। मुस्लिम सेवा संगठन का यह भी मानना है कि राज्य सरकार को मजबूती के साथ संकट ग्रस्त लोगो का पक्ष रखना चाहिए था एवं यदि उच्चतम न्यायालय का निर्णय संकटग्रस्त लोगो के विरुद्ध आता है तो राज्य को इन परिवारों के पूर्णवास हेतु जगह एवं धन आवंटित करना चाहिए। यह भी पढ़ें : नैनीताल में फड़ लगाने के लिए जबर्दस्त होड़, परास्नातक व इंजीनियर भी कर रहे आवेदन
इस मांग को लेकर जल्द ही मुस्लिम सेवा संगठन प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांग रखेगा। वार्ता में शहर काजी देहरादून मुहम्मद अहमद कासमी, तंजीम ए रेहुनमई मिल्लत के सदर लताफत हुसैन, मुस्लिम सेवा संगठन के सह सचिव शाकिब कुरैशी इंजिनियर सलीम शाह, नायब सदर जामा मस्जिद पलटन बाजार नसीम अहमद, जमीयत उलेमा ए हिंद के देहरादून सदर मुफ्ती राशिद मौलाना हासिम आदि मौजूद रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : एक कदम और आगे बढ़ी 4000 से अधिक घरों के अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई
नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2023। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की करीब दो किलोमीटर क्षेत्र में फैली 78 एकड़ भूमि पर करीब 4365 घरों के अतिक्रमण को हटाने के आदेशों पर अमल एक कदम और आगे बढ़ गया है। भारतीय रेलवे ने में 7 दिन के अंदर अतिक्रमण खाली करने का नोटिस प्रकाशित कर दिया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल: 45 अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण पर अगले आदेशों तक रोक
नोटिस के अनुसार ‘माननीय उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा याचिका (जनहित याचिका) संख्या 30/2022 रवि शंकर जोशी बनाम भारत संघ तथा अन्य सह आई.ए. संख्या 2/2022, 5/2022, 6/2022, 7/2022, 8/2022, 9/2022, 10/2022, 11/2022, 13/2022 एवं 15/2022 में दिनांक 20-12-2022 को पारित आदेश के क्रम में हल्द्वानी रेलवे स्टेशन (रेलवे किमी 82.900) से समपार संख्चा 51 (रेलवे किमी 80.710) के मध्य रेलवे विभाग की भूमि में सभी अनाधिकृत कब्जेदारों को सूचित किया जाता है कि रेलवे की भूमि से अनाधिकृत कब्जा इस नोटिस के प्रकाशन की तिथि से एक सप्ताह के भीतर खाली कर दें। यह भी पढ़ें : वह लड़के सामने आए, जिन्होंने दुर्घटना के बाद ऋषभ पंत का नगदी से भरा सूटकेस निकाला था…
यदि इस नोटिस के प्रकाशन तिथि से एक सप्ताह के भीतर आपके द्वारा रेलवे भूमि से अनाधिकृत कब्जा खाली नहीं किया जाता है तो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अवैध निर्माण को ध्वस्त कर अतिक्रमण खाली करवाया जायेगा व इस पर आये खर्च को भी अनाधिकृत कब्जेदारों से वसूल किया जायेगा। यह भी पढ़ें : क्रिकेटर ऋषभ पंत के स्वास्थ्य पर आई अपडेट, जानें कब तक लौटेंगे मैदान में….
बताया गया है कि हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र में करीब 50 हजार लोगों की आबादी इस अतिक्रमण की जद में आ रही है। रेलवे के साथ प्रशासन भी अपनी ओर से अतिक्रमण को हटाने की तैयारियों में जुटा हुआ है, जबकि कार्रवाई की जद में आ रहे लोग किसी तरह इस कार्रवाई से बचने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में शुरू हुआ रेलवे व प्रशासन का अतिक्रमण हटाओ अभियान, क्षेत्रवासियों के विरोध के बीच पीलर हदबंदी की कोशिश
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 28 दिसंबर 2022। रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने के 20 दिसम्बर के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल शुरू हो गया है। प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था के बीच बुधवार 28 दिसंबर को रेलवे अपनी जगह का सीमांकन करने वाला है लेकिन इलाके के लोगों ने अपने घरों को बचाने के लिये शांतिपूर्ण तरीके से भारी संख्या में सड़कों पर उतरकर मोर्चा संभाल लिया है। लोग आपने घरों को बचाने के लिए बनभूलपुरा के इंदिरा नगर से चोरगलिया रोड स्थित थाने तक हज़ारों की संख्या में लोग जमा हो गए हैं। इनमे महिलाओं और बच्चों की खासी संख्या है। वह ‘जवाब दो-हमारे साथ भेदभाव क्यों ?, जवाब दो हमारे भविष्य का क्या होगा?’ जैसे सैकड़ो नारे लिखी तख्तियां हाथों में लिए हुए हैं। यह भी पढ़ें : सरकार ने 10 अधिवक्ताओं को दी उच्च न्यायालय में बड़ी जिम्मेदारी
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए 4365 भवनों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। इन मकानों के टूटने से कई हज़ार परिवारों को बेघर होने का खतरा है। हालातों के मद्देनजर सुरक्षा की दृष्टि से भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने उच्च स्तरीय बैठक की थी। बैठक के उपरांत डीएम ने बनभूलपुरा थाना क्षेत्र के लाइसेंसी शस्त्र धारकों से शस्त्र जमा कराने के आदेश दिए थे। आदेश के बाद बनभूलपुरा के थाना प्रभारी ने 246 शस्त्र लाइसेंस धारकों के शस्त्र जमा कराने शुरू करा दिए हैं। पहले दिन 10 शस्त्र जमा हुए हैं। यह भी पढ़ें : प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई, एक व्यवसायिक निर्माण सील, दो कॉलोनियों में जमीनों की खरीद-फरोख्त तथा खतौनी में नाम दर्ज किए जाने पर रोक
बताया जा रहा है कि आगामी 8 जनवरी को नैनीताल जिले के 58 इंटर कालेजों के साथ बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण की जद में आ रहे करीब पांच स्कूलों में भी लेखपाल-पटवारी की भर्ती परीक्षा आयोजित होनी है। ऐसे में माना जा रहा है कि पटवारी-लेखपाल भर्ती को देखते हुए प्रशासन आठ जनवरी से पहले अतिक्रमण हटाने की कोई जमीनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह भी पढ़ें : नैनीताल : महिला को उच्च न्यायालय परिसर में पति-पत्नी ने दी जान से मारने की धमकी
अलबत्ता, अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई के लिए लोक निर्माण विभाग ने 20 जेसीबी, 20 पोकलैंड के टेंडर आमंत्रित किए हैं। यह टेंडर छह जनवरी को खोले जाएंगे। उधर प्रशासन दो जनवरी से मुनादी कराने पर विचार कर रहा है। जबकि इधर रेलवे ने क्षेत्रीय लोगों के भारी विरोध के बीच रेलवे के अतिक्रमणग्रस्त क्षेत्र में हदबंदी कर पीलर लगाने एवं अवैध भवनों पर लाल निशान लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में अंगीठी की गैस से पति-पत्नी तो किसी तरह बच गए, पर पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत, अपनी तरह का अनूठा मामला…
एडीएम अशोक जोशी ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार रेलवे की ज़मीन पर अतिक्रमित बस्ती खाली कराने के लिए रेलवे की ओर से मुनादी कर नोटिस दिये जाएंगे। मुनादी और पब्लिकेशन की सटीकता के लिए आज की कार्यवाही हुई है। चिन्हीकरण के इस काम को एक–दो दिनों में पूरा किया जाएगा। इसके बाद एक सप्ताह में भूमि को खाली कराने की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। बताया कि रेलवे और राजस्व के नक्शों का मिलान कर कहीं 400, 600 तो कहीं 800 फिट की दूरी का अतिक्रमण चिन्हित किया गया है। अतिक्रमण किये गए 4365 मकानों के ध्वस्तीकरण में प्रथम चरण पर चिन्हीकरण के साथ उच्च न्यायालय के आदेश पर अतिक्रमण हटाने की चरणबद्ध कार्यवाही आज से शुरू हो गई है।(डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-वनभूलपुरा क्षेत्रवासियों के लाइसेंसी शस्त्र जमा करने के आदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 दिसंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के गत 20 दिसंबर के हल्द्वानी स्थित रेलवे भूमि में अतिक्रमण हटाने के आदेशों के क्रम में नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने क्षेत्रीय लोगों के लाइसेंसी शस्त्रों को अग्रिम आदेशों तक तत्काल जमा कराने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह भी पढ़ें : कलयुगी पुत्र ने मां-पिता दोनों को धमकी देकर, मारपीट कर, जबरन सगी मां से किया दुष्कर्म
डीएम गर्ब्याल ने बताया कि अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही के दौरान अतिक्रमण क्षेत्र थाना वनभूलपुरा में लाईसेन्सी शस्त्रों के दुरूपयोग से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से प्रभावित क्षेत्र के लाईसेन्सी शस्त्रों को जमा करने की कार्यवाही आवश्यक है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में 70 एकड़ भूमि से 4365 घरों को तोड़कर अतिक्रमण हटाए जाने के लिए हुई उच्चस्तरीय बैठक..
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 26 दिसंबर 2022। हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हुई। बैठक में मंडलायुक्त, पुलिस, प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौजूद रहे। बैठक अतिक्रमण हटाने के लिए विस्तृत योजना तैयार की गयी। यह भी पढ़ें : अभी बड़ी कार दुर्घटना, भाजयुमो नेता सहित 2 लोगों की मौत
बताया गया कि रेलवे प्रशासन 28 दिसंबर से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस से जारी करेगा। इसी दिन से ही दोबारा पिलर बंदी भी शुरू होगी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 20 दिसंबर 2022 के आदेश के बाद बनभूलपुरा में रेलवे की 78 एकड़ भूमि से 4365 घरों को तोड़कर अतिक्रमण हटाया जाना है। अतिक्रमण क्षेत्र में ड्रोन कैमरे और वीडियो कैमरे से निगरानी रखी जाएगी। हाईकोर्ट के आदेशों के अनुरूप ही अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई की जाएगी। सबसे पहले मुनादी व पिलर बंदी होगी और फिर अतिक्रमण हटाकर ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी। यह भी पढ़ें : निःसंतान बुआ की गोद भरने को भतीजे बने अपहरणकर्ता
रेलवे की ओर से आए एडीआरएम विवेक गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार के साथ समन्वय बैठक में पूरा प्लान बना लिया गया है। अतिक्रमण को हटाने में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी, बैरिकेडिंग व अन्य खर्चों के वहन की सहमति रेलवे के अपर मण्डल प्रबन्धक विवेक गुप्ता द्वारा दी गई। कानून व्यवस्था बाधित न हो और शांति पूर्वक तरीके से अतिक्रमण हटाओ अभियान को चलाया जाए, इसके लिए व्यापक फोर्स और रेलवे पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा व्यवस्था किए जाने को लेकर बातचीत की गई है। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अतिक्रमणकारियों की ओर से पुर्नवास की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है, पर इस पर न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह में नोटिस देकर हटाने का बड़ा फैसला सुनाया
नवीन समाचार, नैनीताल, 20 दिसंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर हुये अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देकर ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि इस मामले में खंडपीठ ने पहली नवंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे आज मंगलवार को सुनाया गया। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड ब्रेकिंग : आईएएस दीपक रावत सहित 8 अधिकारियों को मिली पदोन्नति…
उल्लेखनीय है कि सुनवाई के दौरान पूर्व में अतिक्रमणकारियों की ओर से कहा गया था कि उनका पक्ष रेलवे ने नहीं सुना था, इसलिए उनको भी सुनवाई का मौका दिया जाये। जबकि रेलवे की ओर से कहा गया कि रेलवे ने सभी अतिक्रमणकारियों को पीपी एक्ट के तहत नोटिस जारी कर सुना है। सुनवाई के दौरान किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गये। यह भी पढ़ें : नैनीताल : शराब पिलाते हुए ढाबा स्वामी गिरफ्तार
जबकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह राज्य सरकार की भूमि नहीं, बल्कि रेलवे की भूमि है। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि न्यायालय के बार-बार आदेश होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। पूर्व में न्यायालय ने सभी अतिक्रमणकारियों से अपनी-अपनी आपत्ति पेश करने को कहा था। न्यायालय ने सभी आपत्तियों व पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण् के मामले में सुनवाई पूरी, कभी भी आ सकता है अंतिम निर्णय
नवीन समाचार, नैनीताल, 1 नवंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने दो दिन तक लगातार चली तक हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बताया गया है कि इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता, रेलवे व अतिक्रमणकारियों का पक्ष लगातार दो दिन सुनने के बाद सुनवाई पूरी कर ली है, और अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि अब न्यायालय अगले कुछ दिनों में इस विषय पर अपना अंतिम निर्णय सुना सकती है। यह भी पढ़ें : नैनीताल : पैराग्लाइडिंग के दौरान साल का तीसरा हादसा, गई एक सैलानी की जान
विदित हो कि 9 नवम्बर 2016 को उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है उन्हें रेलवे पीपी एक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाई करे। वहीं रेलवे की ओर से बताया गया था कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर लगभग 4365 लोगों ने अतिक्रमण किया है। यह भी पढ़ें : श्रीराम सेवक सभा की 15 सदस्यीय कार्यकारिणी के लिए पहले दिन हुए 16 नामांकन
न्यायालय के आदेश पर रेलवे ने उन्हें पीपी एक्ट के तहत नोटिस दिये। उनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई भी कर ली। सुनवाई में किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इसके बाद रेलवे ने उन्हें हटाने के लिए नैनीताल के जिलाधिकारी को दो बार सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा, लेकिन रेलवे का कहना है कि इस पर आज तक कोई प्रतिउत्तर नहीं आया। यह भी पढ़ें : नैनीताल : सरोवरनगरी में गीत-संगीत व नृत्य प्रतियोगिताओं की रही धूम, जीते पुरस्कार…
जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा-निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेलवे का विस्तार हो सके। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण् के मामले में सुनवाई पूरी, कभी भी आ सकता है अंतिम निर्णय
नवीन समाचार, नैनीताल, 1 नवंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने दो दिन तक लगातार चली तक हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बताया गया है कि इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता, रेलवे व अतिक्रमणकारियों का पक्ष लगातार दो दिन सुनने के बाद सुनवाई पूरी कर ली है, और अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि अब न्यायालय अगले कुछ दिनों में इस विषय पर अपना अंतिम निर्णय सुना सकती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
पूरे दिन सुनवाई के बाद HC से हल्द्वानी की रेलवे भूमि के बाद अतिक्रमण पर आई बड़ी खबर, अतिक्रमणकारियों का संशोधन प्रार्थना पत्र निरस्त
नवीन समाचार, नैनीताल, 31 अक्तूबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों की ओर से दायर संशोधन प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल : पैराग्लाइडिंग के दौरान साल का तीसरा हादसा, गई एक सैलानी की जान
खंडपीठ ने कहा कि वर्ष 2019 में न्यायालय ने आदेश दिया था कि वह पीपी एक्ट यानी पब्लिक प्रिमिसिस एक्ट के तहत भी नही आते हैं। क्योंकि उन्होंने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। जो इसमें आते हैं, रेलवे उन्हें नोटिस जारी कर सुनें। उसके बाद आज उसी आदेश में संशोधन के लिए अतिक्रमणकारियों की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र को खंडपीठ ने निरस्त कर दिया है। खंडपीठ ने सुनवाई आज पूरे दिन जारी रही और कल भी जारी रहेगी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड उच्च न्यायालय में फास्ट ट्रैक मोड में शुरू हुई हल्द्वानी के रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले की सुनवाई
नवीन समाचार, नैनीताल, 31 अक्तूबर 2022। हल्द्वानी में भारतीय रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद चंद शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की पीठ ने सोमवार से फास्ट ट्रैक मोड में सुनवाई शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पीठ इस मामले की सभी जनहित याचिकाओं और प्रार्थना पत्रों को एक साथ व अनवरत सुनने जा रही है। इसके बाद इस मामले में जल्द अंतिम निर्णय आने की संभावना भी जताई जा रही है। यह भी पढ़ें : देर रात्रि दोपहिया पर सवार तीन सवारियां हल्द्वानी-नैनीताल रोड पर खाई में गिरीं…
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने 29 सितंबर 2022 को हुई इस मामले की पिछली सुनवाई पर हल्द्वानी के वनभुलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका को सुनवाई करते हुए दूसरी पीठ को सुनने के लिए भेज दिया था। यह भी पढ़ें : दिल्ली की कुमाऊं गली में रहने वाले 17 वर्षीय किशोर की बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने पर चाकुओं से गोंदकर हत्या
बताया जा रहा है इस फैसले की जद में करीब 746 परिवारों सहित करीब 25000 लोग आ सकते हैं, इसलिए पुलिस पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद हो गया है। नगर क्षेत्राधिकारी विभा दीक्षित ने बताया कि अतिक्रमण संबंधी मामले की सुनवाई के दृष्टिगत उत्तराखंड उच्च न्यायालय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ताकि अतिक्रमण के खिलाफ फैसला आने की स्थिति में किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सके। उधर जिला प्रशासन भी उच्च न्यायालय के फैसले के प्रति एक बार फिर सक्रिय हो गया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल के नाम जुड़ी एक और उपलब्धि, हर्षित ने भारत सरकार की प्रतियोगिता में पाया प्रथम स्थान
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी के गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय 9 नवम्बर 2016 को ही 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुका है। अलबत्ता न्यायालय ने कहा था कि रेलवे पीपीएक्ट के तहत अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर जनसुनवाई करें। यह भी पढ़ें : नई महिला कप्तान के आते ही अंकिता के तीनों हत्यारोपितों की मुश्किलें बढ़ीं, हुई बड़ी कार्रवाई…
इस पर रेलवे 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण करने वाले 4365 लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस देकर सुनवाई पूरी कर चुका है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए। इसके बाद रेलवे अतिक्रमण हटाने के लिए जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दे चुका है। यह भी पढ़ें : सरकार की बड़ी पहल से असौज-कार्तिक के काम के महीनों में पहाड़ की महिलाओं के सिर से उतरा घास कटाई का बोझ
मामला सर्वोच्च न्यायालय भी गया जहां उच्च न्यायालय ने 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिसम्बर 2021 में कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है , उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें। यह दिशा निर्देश भी दिए थे कि यदि इन लोगो के पास वैध प्रपत्र पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं। यह भी पढ़ें : कूड़ा निस्तारण संयंत्र के विरोध में नारायण नगर वासियों के आंदोलन को मिल रहा समर्थन, प्रशासन नहीं कर पा रहा शंकाओ का समाधान…
लेकिन यहां अतिक्रमणकारी कोई वैध प्रपत्र प्रस्तुत नहीं कर पाए। रेलवे की तरफ से कहा गया था कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, करीब 4365 लोग हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया। जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दूसरी पीठ को भेजा हल्द्वानी के रेलवे भूमि के अतिक्रमणकारियों का मामला
डॉ नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 सितंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी के वनभुलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका को सुनवाई करते हुए दूसरी पीठ को सुनने के लिए भेज दिया है। गुरुवार को इस मामले में क्षेत्रीय लोगों की ओर से उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि उनके मामलों में न्यायालय के आदेश के बाद पब्लिक प्रेमिसिस यानी पीपी एक्ट में सुनवाई नही हो रही है। इसलिए उनके मुकदमे पीपी एक्ट में सुने जाने के लिए आदेश दिए जाएं।
याचियों ने न्यायालय को यह भी बताया कि यह मामला दूसरी खंडपीठ में विचारधीन है, इसलिए इस याचिका को भी सुनवाई के लिए उसी पीठ को भेजा जाए। इस पर खंडपीठ ने याचियों के तर्क से सहमत होकर याचिका को मामले को सुनवाई कर रही पीठ को भेज दिया।आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण मामले में हुई सुनवाई, राहत नहीं…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में बुधवार को हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर काबिज मुस्तफा हुसैन, मोहम्मद गुफरान, टीका राम पांडे, मदरसा गुसाईं गरीब नवाज और भूपेंद्र आर्य व अन्य अतिक्रमणकारियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि सरकार उन्हें हटाने के साथ ही उनका पुनर्वास करे। इस दौरान खंडपीठ ने याचियों को कोई राहत नहीं दी। अलबत्ता खंडपीठ ने इन याचिकाओं को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की अगुवाई वाली खंडपीठ को भेज दिया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व गत 10 जून को अतिक्रमणकारियों को हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका और अतिक्रमणकारियों की ओर से पक्षकार बनाने से संबंधित प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ अतिक्रमणकारियों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्रों को रिकार्ड पर ले लिया था, और कहा था कि मामले में अंतिम सुनवाई में इसको शामिल किया जाएगा। अतिक्रमणकारियों का कहना था कि उन्होंने भूमि को वैध तरीके से खरीदा है, लिहाजा उनका पक्ष सुना जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे भूमि के अतिक्रमण पर उच्च न्यायालय से बड़ा समाचार, अतिक्रमणकारियों की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका अंतिम सुनवाई में शामिल
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जून 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका और अतिक्रमणकारियों की ओर से पक्षकार बनाने से संबंधित प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्रों को रिकार्ड पर ले लिया है, और कहा है कि मामले में अंतिम सुनवाई में इसको शामिल किया जाएगा। अतिक्रमणकारियों का कहना था कि उन्होंने भूमि को वैध तरीके से खरीदा है, लिहाजा उनका पक्ष सुना जाए।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में हल्द्वानी गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका तथा मदरसा गुंसाई गरीब नवाज रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई की। हस्तक्षेप याचिका में कहा गया है कि रेलवे बिना नोटिस जारी किए उन्हें हटाने की कार्रवाई कर रहा है। वहीं, जनहित याचिका में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का सीमांकन नहीं किया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : तो दो सप्ताह के लिए लटका हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने का मामला
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 मई 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रभावित लोग दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष समस्त कागजात के साथ न्यायालय में पेश कर सकते है।
इस संबंध में न्यायालय ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को आदेश दिए है कि दो प्रचलित समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक सूचना शीघ्र प्रकाशित करें। इसके साथ न्यायालय ने मामले सुनवाई के लिए दो सप्ताह के बाद की तिथि नियत कर दी है। माना जा रहा है कि इसके बाद हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने का मामला कम से कम अगले दो सप्ताह के लिए लटक गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व उच्च न्यायालय में 27 अप्रैल को मदरसा गुसाईं गरीब नवाज रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी ने विशेष अपील दायर कर कहा है कि उनको रेलवे बिना नोटिस जारी किए हटा रहा है। उनको कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जा रहा है, जब तक उन्हें कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जाता, तब तक उन्हें नहीं हटाया जाए। पूर्व में एकलपीठ ने उनकी याचिका को यह कहकर निरस्त कर दिया था कि इस मामले में पहले से ही आदेश हुए है। यह भी कहा कि इस मामले में रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है। इसके अलावा एक अन्य याचिका में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का सीमांकन नहीं किया है। बिना सीमाकन के उन्हें हटाया जा रहा है।
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व रेलवे के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने न्यायालय को बताया कि रेलवे ने न्यायालय के आदेश के बाद सीमांकन कर लिया है, और अतिक्रमण को हटाने के लिए 30 दिन की योजना न्यायालय में पेश कर दी है। इस पर न्यायालय ने कहा कि रविशंकर जोशी की याचिका पर दूसरी पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा है। फैसला आने के बाद 15 जून को सुनवाई की जाएगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 16 मई 2022। जिला मुख्यालय में गत 5 मई को घोडा स्टेंड़ पर की गई अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई के बाद प्रशासन पर्दाधारा व मेट्रोपोल होटल कंपाउंड क्षेत्र में कार्रवाई की तैयारी करता बताया जा रहा है। इससे आशंकित अतिक्रमणकारियों को उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली है। उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने टिप्पणी की है कि अतिक्रमणकारियों को कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाना जरूरी नहीं है।
इस मामले में याची मोहम्मद अब्दुल ने कहा कि वह अपने दादा के जमाने से नैनीताल में रह रहे हैं और 20 सालों से घोड़ा स्टेंड के पास चाय की दुकान चला रहे हैं। प्रशासन ने कमिश्नर के दौरे के बाद बिना कोई नोटिस दिए और उनको बिना सुने यहां अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई कर दी गई। याचिका में अधिवक्ता नितिन कार्की का पत्र दिखाते हुए कहा गया कि उनको रोहिंग्या और बांग्लादेशी भी कहा जा रहा है। एकलपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसे मामलों में नोटिस देने की जरुरत नहीं है और प्रशासन की कार्रवाही उचित है। हालांकि इस मामले के याची के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा है कि एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी जायेगी।
इसके अलावा उच्च न्यायालय में शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल क्षेत्र से बेदखल न किए जाने की याचना करते हुए भी मोहम्मद फारुख की ओर से एक याचिका दायर हुई है। इस पर अगले एक-दो दिन में सुनवाई हो सकती है। याचिका में कहा गया है कि उनको बांग्लादेशी और रोहिंग्या कहा जा रहा है। याचिका में कहा गया है की उन पर अगर कोई कार्रवाई की जाती है तो उसमें कानूनी प्रक्रिया का पूरा पालन किया जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी के रेलवे भूमि के अतिक्रणम मामले में उच्च न्यायालय की खंडपीठ में हुई सुनवाई, राहत नहीं….
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मई 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की, लेकिन याचियों को फिलवक्त कोई राहत नहीं दी।
कहा कि इन मामलों में पहले से दूसरी पीठ में चल रही रविशंकर जोशी की मुख्य जनहित याचिका पर निर्णय आने के बाद 15 जून को सुनवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि बीते माह 27 अप्रैल को भी इस मामले में दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी और न्यायालय ने तब भी याचियों को कोई राहत नहीं दी। अलबत्ता आज मामले की सुनवाई के दौरान अतिक्रमणकारियों के न्यायालय आने की संभावना से भारी संख्या में पुलिस बल भी न्यायालय में मुस्तैद रहा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : अवैध निर्माण कर्ताओं पर मंडलायुक्त हुए सख्त, 10 अवैध निर्माणों को सील, ध्वस्त व चालान करने के आदेश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 26 अप्रैल 2022। कुमाऊ मंडल के आयुक्त दीपक रावत ने जिला विकास प्राधिकरण के अंतर्गत मंगलवार को जनपद के रामगढ़, मुक्तेश्वर व शीतलाखेत में निर्मित व निर्माणाधीन लगभग 30 कार्यों का निरीक्षण किया। इसमें से मौके पर 10 संरचनाओं पर अवैध रूप से निर्माण कार्य किया जाना पाया गया। इन 10 संरचनाओं के नक्शे को प्राधिकरण से पारित नहीं कराया गया था। इस सम्बन्ध में आयुक्त ने जिला विकास प्राधिकरण के सचिव को अवैध रूप से बन रहे निर्माण कार्यों पर नियमानुसार सील करने, चालान व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अमल में लाये जाने के निर्देश दिए।
आयुक्त ने निर्देश दिए कि इन 10 संरचनाओं के अतिरिक्त भी जिस किसी व्यक्ति द्वारा नियम विरुद्ध प्राधिकरण के अंतर्गत बिना नक्शे पारित किए व अवैध रूप से निर्माण कार्य किया जा रहा है, उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि बाहरी लोगों के द्वारा जो भूमि का क्रय किया उनमे अनुमति ली जा रही है या नहीं।
इसके साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि जिस भी व्यक्ति या समूह द्वारा पहाड़ कटान का कार्य किया जा रहा है, उनसे रॉयल्टी जमा कराई जाये। साथ ही बिना अनुमति के सड़क कटान कर रहे सम्बन्धितों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाय। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : एक कदम और आगे बढ़ी हल्द्वानी में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की कवायद, डीएम ने दिए आवश्यक निर्देश
-रेलवे के अधिकारियों से तिथि बताने को कहा, ताकि प्रशासन आवश्यक व्यवस्थाएं करे
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 13 अप्रैल 2022। हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने की कवायद बुधवार को एक और कदम आगे बढ़ी। इस दौरान डीएम धीराज गर्ब्याल ने रेलवे से अतिक्रमण हटाने की तिथि बताने को कहा है, ताकि इससे पूर्व जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने में लगने वाले कार्मिकों के लिए आवास, शौचालय, पेयजल विद्युत आदि की व्यवस्था सुनिश्चित कर सके।
इस हेतु बुधवार को जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने हल्द्वानी स्थित कैंप कार्यालय में बैठक लेते हुए डीएम ने कहा कि प्रशासन इस दौरान शांति व्यवस्था बनाये रखने का प्रयास व अतिक्रमण हटाने से पूर्व क्षेत्र मे प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को सूचित करेगा ताकि अतिक्रमण शांतिपूर्वक हट सके।
बैठक मे एसएसपी पंकज भट्ट, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, मुख्य नगर अधिकारी पंकज उपाध्याय, रेलवे के प्रतिनिधि वीके सिह, एएससी आरपीएफ प्रमोद कुमार, सिटी मजिस्टेट ऋचा सिह, उपजिलाधिकारी मनीष कुमार सिह, राहुल साह, अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाई केएस बिष्ट, जल संस्थान के एसके श्रीवास्तव व लोनिवि के अशोक कुमार आदि अधिकारी उपस्थित रहे। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-अतिक्रमणकारियों की हस्तक्षेप याचिका को उच्च न्यायालय ने सुनने से इंकार कर निर्णय सुरक्षित रखा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 अप्रैल 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने अतिक्रमणकारियों की हस्तेक्षप याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के पास अतिक्रमण हटाने के लिए पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध है।
इस दौरान रेलवे ने हल्द्वानी की गफूर बस्ती से 30 दिन में अतिक्रमण हटाने का एक्शन प्लान जिला प्रशासन को सौंप दिया। साथ ही प्लान की कापी हाई कोर्ट में भी दाखिल की। इसमें रेलवे ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त पुलिस बल और मजिस्ट्रेट उपलब्ध कराना होगा। अदालत ने रेलवे के प्लान को रिकार्ड पर ले लिया है। कोर्ट ने मौखिक तौर पर पैरामिलट्री फोर्स मुहैया कराने की बात भी कही है।
इन स्थितियों में अतिक्रमण की जद में आए सराफत खान, मुनव्वर अली, मो. आरिफ, इरशाद हुसैन, जेबू निशा, इकराम अहमद अंसारी, केशर जहां, तसव्वुर जहां, असरफ अली, जमील अहमद, हबीबुर्रहमान आदि 11 लोगों की ओर से उच्च न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : आज की रात 50 हजार लोगों की नींद पर संकट, कल हो सकता है उनके अतिक्रमण पर निर्णायक फैसला, जानें पूरा मामला
नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अप्रैल, 2022। हल्द्वानी में दशकों से बल्कि करीब आधी शताब्दी से हर स्तर पर, यानी जिसका जितना बस चला, सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण पर यूपी की तर्ज पर बुल्डोजर चलने का वक्त शायद आ गया है। देर से जागे रेलवे प्रशासन ने सोमवार की आखिरी समयसीमा पर अपनी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का इरादा जाहिर किया है। रेलवे चार दिन पहले ड्रोन से मैपिंग कर अतिक्रमण की गई जमीन का सीमांकन भी कर चुकी है।
इस भूमि पर अनेक धार्मिक स्थल-मंदिर, मस्जिद, विद्यालय, पानी के टेंक सहित करोड़ों रुपए की लागत से बने करीब साढ़े चार हजार निर्माण बुल्डोजर के निशाने पर हैं। उधर, इसी क्षेत्र के वोट बैंक से एकतरफा जीते स्थानीय विधायक दिखाने को नां-नां कहते हुए भी अतिक्रमण के समर्थन में नजर आ रहे हैं। उन्हें अतिक्रमण विरोधी अभियान की अगुवाई कर रहे गत विधानसभा चुनाव में चुनौती देने वाले मेयर से कड़ा जवाब मिल रहा है। अतिक्रमणकारी अभी भी राजनेताओं के साथ नौकरशाही को किसी तरह दबाव में लेने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं, परंतु आज की रात इस भूमि पर बसे करीब 50 हजार लोगों की आंखों से नींद गायब होनी तय है।
बताया जाता है कि हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर 1975 से यानी करीब आधी शताब्दी से अतिक्रमण का खेल चल रहा है। अतिक्रमणकारियों को वोट बैंक के लिए नेताओं की भी पूरी शह मिलने के दावे किये जाते हैं। पूर्व में कई बार शहर को अतिक्रमण मुक्त करने के अभियान भी चले। लेकिन जब अभियान नेताओं की दहलीज तक पहुंचा तो डीएम तक को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। इस कारण दूसरे डीएम भी कभी हिम्मत नहीं कर सके। लेकिन अब गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णायक कड़े रुख के बाद रेलवे के अधिकारियों को 11 अप्रैल यानी कल तक जिला अधिकारी को अतिक्रमण हटाए जाने की रिपोर्ट सोंपी जानी है। इज्जतनगर मंडल रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि अतिक्रमण हटाने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। 11 अप्रैल को इसे डीएम नैनीताल को सौंप दिया जाएगा।
बताया गया है कि शहर की गफूर बस्ती, आजाद नगर, लाइन नंबर 17 जैसे इलाके रेलवे के अनुसार अतिक्रमण की जद में आते हैं। जिला अधिकारी के अनुसार इस भूमि पर लगभग 4500 घर, इंदिरानगर व गफूरबस्ती में पांच सरकारी स्कूल-प्राथमिक विद्यालय लाइन नंबर 17-18, राजकीय इंटर कालेज इंदिरानगर, जूनियर हाईस्कूल लाइन नंबर 17, ललित आर्य महिला इंटर कालेज चोरगलिया रोड व प्राथमिक विद्यालय इंद्रानगर तथा चार मदरसे-नैनीताल पब्लिक स्कूल मदरसा, निषाद मेमोरियल मदरसा, हयात-ऊलूम मदरसा मदरसा गरीब नवाज के साथ ही गोपाल मंदिर, शिव मंदिर सहित पांच मंदिर तथा 20 मस्जिदें भी हैं। साथ ही इंदिरानगर व गफूरबस्ती में अतिक्रमण की जद में आए 4365 वादों में शामिल लगभग सभी धर्मों के लगभग 50 हजार लोग निवासरत हैं। उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालयों के आदेशों पर रेलवे का प्राधिकरण इनके मालों का निस्तारण कर चुका है। प्राधिकरण में अतिक्रमणकारी कब्जे को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दिखा पाए। इसके अलावा दो पेयजल टैंक भी इंदिरानगर व गफूरबस्ती में रेलवे की जमीन पर बने हुए हैं।
विदित हो कि यहां रेलवे की बेशकीमती भूमि पर अतिक्रमण रवि शंकर जोशी की याचिका के बाद नैनीताल उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद 2016 में आरपीएफ यानी रेलवे सुरक्षा बल ने अतिक्रमण का पहला मुकदमा दर्ज किया। लेकिन तब तक करीब 50 हजार लोग रेलवे की जमीन पर आबाद हो चुके थे। नैनीताल हाई कोर्ट ने नवंबर 2016 में रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए थे। इसके बाद भी रेलवे, आरपीएफ और प्रशासन हल्द्वानी व प्रदेश की राजनीति व राजनेताओं के आगे घुटने टेक नरमी दिखाते रहे। इससे अतिक्रमणकारियों को सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका मिल गया।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी करने और रेलवे को उनकी आपत्तियों को तीन माह में निस्तारित करने का आदेश दिया। नैनीताल हाई कोर्ट ने भी रेलवे को 31 मार्च 2020 तक उनके समक्ष दायर वादों को निस्तारित करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार अगर रेलवे की इस भूमि से अतिक्रमण हट जाए तो हल्द्वानी विश्वस्तरीय स्टेशन का दर्जा हासिल कर सकता है। हल्द्वानी स्टेशन को विकसित करने के लिए कई प्रयास हुए। 14 वर्ष पहले करीब 29 एकड़ की भूमि पर वाशिंग लाइन, मेंटीनेंस लाइन बनाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था। लेकिन अतिक्रमण की वजह से पूरी योजना खटाई में पड़ गई। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने को 11 तक होगा एक्शन प्लान तैयार
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 31 मार्च 2022। जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने गुरुवार को मुख्यालय स्थित अपने कैंप कार्यालय में हल्द्वानी स्थित रेलवे भूमि में अतिक्रमण के संबंध में संबंधित रेल अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक की। बैठक ने श्री गर्ब्याल ने रेलवे के डीआरएम राजीव अग्रवाल को 11 अप्रैल तक अतिक्रमण के संबंध में एक्शन प्लान तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा।
बैठक में एडीएम अशोक जोशी, नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, रेेल विभाग के एडीआरएम विवेक गुप्ता, सिटी मजिस्ट्रेट रिचा सिंह, एसडीएम मनीष कुमार, एसपी सिटी हरवंश सिंह, भूपेंद्र धर्मशक्तू, केएन पांडे, एलआईयू शांति शर्मा सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : लाखों रुपए खर्च कर बने पार्क फड़ वालों के हवाले

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 7 नवंबर 2021। नगर पालिका द्वारा नगर में लाखों रुपए खर्च कर महर्षि वाल्मीकि पार्क व चिल्ड्रन पार्क विकसित किए गए हैं, लेकिन बनने के बाद से ही इन पार्कों के बाहर ताले डाले गए हैं।
जिससे इनका लाभ बच्चों एवं सैलानियों को खेलने या आराम करने के लिए नहीं मिल पा रहा है, जबकि इन पार्कों की रेलिंग पर फड़ वाले अवैध तरीके से दुकानें सजाए रहते हैं। यानी यह पार्क अघोषित तरीके से फड़ वालों के हवाले कर दिए गए हैं, और वह इनका दुरुपयोग कर रहे हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : चाट पार्क में दिखा खुले में रेस्टोरेंट जैसा नजारा

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 नवंबर 2021। नैनीताल, एसएनबी। नगर में सैलानियों की भीड़भाड़ बढ़ने के साथ नगर के चाट पार्क में शनिवार को कुछ अलग ही नजारा रहा।
एक दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम के कार्यक्रम के सीधे प्रसारण के लिए मंगवाई गई कुर्सियां टेंट हाउस के कर्मी वहीं छोड़ गए तो उन पर सैलानी बैठकर पास के रेस्टोरेंटों से लेकर भोजन करने लगे। इस पर यहां रेस्टोरेंटों से बाहर रेस्टोरेंट जैसा नजारा दिखाई दिया।
इससे यहां मंदिर आने वाले और घूमने आने वाले सैलानियों को तो असुविधा हुई ही, स्थानीय लोगों ने भी इस पर आपत्ति जताई। आपत्ति जताने वालों में नगर पालिका के स्थानीय सभासद मनोज साह जगाती भी रहे, जिन्होंने इसे अतिक्रमण का प्रयास बताते हुए तंज कसा कि यहां नया रेस्टोरेंट खुल गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पुलिस ने अवरोध रहित सुगम आवागमन को चलाया अभियान

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 5 अक्टूबर 2021। मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने नगर के संकरे व व्यस्ततम मोहन-को चौराहे के पास अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया। डीआईजी डॉ. नीलेश आनंद भरणे के अवरोध रहित सुगम यातायात अभियान के के तहत सीओ प्रमोद साह के निर्देशन में नगर कोतवाल प्रीतम सिंह की अगुवाई में चलाए गए अभियान में सड़क की ओर फैलाकर लगाई गई दुकानों तथा सड़क पर खड़े वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
कई दोपहिया वाहनों के पहिए लॉक कर दिए गए, कई को क्रेेन से उठवाया गया एवं उनका चालान किया गया। साथ ही आगे से नियमित अभियान चलाने की बात कह अतिक्रमणकारियों को भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी दी गई। लोगों से दोपहिया वाहनों को सफेद पट्टी के भीतर खड़ा करने को कहा गया। नगर पालिका से कूड़ेदान हटवाने व विद्युत विभाग से सड़क के बीच खड़े पोलों को हटवाने को कहा गया। कार्रवाई में एसएसआई प्रेम विश्वकर्मा भी शामिल रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : डीएम ने हाईकोर्ट में माना पंतनगर, नगला में राष्ट्रीय राजमार्ग और पंतनगर विश्वविद्यालय की जमीन पर 700 से अधिक अतिक्रमण
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 जुलाई 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पंतनगर, नगला में राष्ट्रीय राजमार्ग और पंतनगर विश्वविद्यालय की जमीन पर अतिक्रमण करने के खिलाफ दायर जनहित पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान ऊधमसिंह नगर के जिला अधिकारी ने पूर्व के आदेश के क्रम में शपथ पत्र पेश किया और कोरोना काल और कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए अतिक्रमण हटाने हेतु एक माह का समय मांगा।
उन्होंने अपने शपथपत्र में माना है कि इन जगहों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। पंतनगर विश्वविद्यालय की भूमि पर 193, राष्ट्रीय राजमार्ग पर 490 के साथ ही वन भूमि पर भी अतिक्रमण होने की बात मानी है। बताया है कि वन भूमि पर अभी चिन्हित नही किया गया है। इस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से वन विभाग को पक्षकार बनाने को कहा है साथ मे न्यायालय ने जिलाधिकारी व राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिशासी अभियंता को 4 अगस्त को न्यायालय में पेश होने को भी कहा है।
मामले के अनुसार पंतनगर निवासी अजय कुमार ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि जिला ऊधमसिंह नगर के पंतनगर, नगला, राष्ट्रीय राजमार्ग और पंतनगर विश्वविद्यालय की सरकारी भूमि पर पिछले कई सालों से अतिक्रमण कर अवैध रूप से निर्माण कर लिया है। जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क संकरी हो गई है, और सड़क दुर्घटनाओं की सम्भावना बनी हुई है।याचिकाकर्ता का यह भी कहना है राष्ट्रीय राजमार्ग और पंतनगर विश्वविद्यालय की भूमि में अतिक्रमणकारियो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए और उन्हें हटाया जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : मॉल रोड पर जिला, मंडल व प्रदेश के उच्चाधिकारियों की नाक के नीचे अतिक्रमण कर किया जा रहा अवैधधंधा
नवीन समाचार, नैनीताल, 23 मार्च 2021। पर्यटन नगरी में मॉल रोड पर भी अब भी अतिक्रमण होने लगा है। यहां माल रोड के बड़े हिस्से पर व्यवसायियों द्वारा लंबे समय से साइकिलें खड़ी कर अपना कारोबार किया जा रहा है, बल्कि अब तो सड़क पर ही स्थायी तौर पर बोर्ड लगाकर पूरी दुकान ही सजा दी गई है। नगर में मोटे पहियों वाली साइकिलों का चाव भी ऐसा बढ़ गया है कि इन्हें चलाने का किराया तो करीब 150 रुपए घंटे है ही इन पर क्षण भर बैठकर अपने मोबाइल से एक फोटो खींचने के भी 20 रुपए तक लिए जा रहे हैं। उल्लेखनीय बात यह भी है कि माल रोड जिले व मंडल के साथ प्रदेश के उच्चाधिकारियों का आम तौर पर आना-जाना लगा रहता है, किंतु लगता है कि इस अवैधधंधे पर किसी की नजर नहीं पड़ी है।
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नवीन समाचार, हल्द्वानी 10 जनवरी 2020। हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है। भारतीय रेलवे ने 1581 घरों को तोड़ने का नोटिस जारी कर दिया है। इस हेतु 15 दिन के भीतर घरों को खाली करने के आदेश दे दिए हैं। इस हेतु रेलवे के अधिकारियों ने पुलिस और आरपीएफ की भारी सुरक्षा बलों के साथ गफूर बस्ती से 1581 घरों को चयनित कर 15 दिन के भीतर खाली करने का नोटिस चस्पा करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। रेलवे ने नोटिस में स्पष्ट लिखा है कि 15 दिन के अंदर घर खाली न करने पर अतिक्रमण को बलपूर्वक हटाया जाएगा। इससे क्षेत्र में एक बार पुनः हड़कंप मच गया है, और अतिक्रमण की जद में आ रहे लोग इस स्थिति से बचने के लिए पुनः जुगत लगाने में जुट गए हैं। इससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति भी है।
इन लोगों ने रेलवे की इस कार्रवाई को मनमानी कार्रवाई बताया है। मौके पर जनप्रतिनिधियों का भी जमवाड़ा लगना शुरू हो गया है। पुलिस प्रशासन से भी वार्ता हो रही है। उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर लंबे समय से अतिक्रमण है जिसको लेकर कई बार रेलवे सीमांकन भी कर चुका है। रेलवे के रिकॉर्ड के अनुसार हल्द्वानी से लेकर गौजाजाली तक 38.89 हेक्टेयर जमीन पर लोंगो के कब्जा कर रखा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2007 और फिर 2019 में रेलवे ने अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी थी। इस पर स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने रेलवे न्यायालय से लोंगो की आपत्तियों पर सुनवाई कर निस्तारित करने के लिए कहा। रेलवे न्यायालय ने नोटिस देकर लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया, लेकिन अधिकांश लोग नहीं आये, जो लोग आए भी तो वह जमीन के मालिकाना हक के संबंधित दस्तावेज नहीं दिखा पाए। 4363 लोगों ने रेलवे बोर्ड में अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। इसके बाद रेलवे के राज्य संपदा विभाग ने 1581 लोंगो के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है।
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-नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी है करोड़ों रुपए मूल्य की है जमीन
नवीन जोशी, नैनीताल। सूचना का अधिकार अधिनियम पुराने दबे इतिहास की परतें भी खोल रहा है। नैनीताल के सूचना अधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता पुनीत टंडन द्वारा मांगी गयी सूचनाओं से लोक निर्माण विभाग को करीब एक शताब्दी के बाद अपनी करीब 5 एकड़ जमीन के नक्शे प्राप्त हुए हैं। हल्द्वानी-नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी स्प्रिंगडेज इस्टेट की यह जमीन करोड़ों रुपए मूल्य की बतायी जा रही है। जमीन की तस्दीक में इस इस पर एक बाहरी व्यक्ति द्वारा भवन निर्माण भी किया गया है, जिसे नोटिस दिया गया है। मामले का एक अन्य पहले यह भी है कि पिछले करीब 10 माह से मामले में सूचना अधिकार कार्यकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी जा रही जानकारियों एवं मामले के समाधान पोर्टल के जरिये मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचने के बावजूद कार्रवाई अपेक्षित तेजी से नहीं हो रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सूचना अधिकार कार्यकर्ता पुनीत टंडन करीब नवंबर 2018 से यह मामला उठा रहे हैं। आगे मामला समाधान पोर्टल एवं डीएम नैनीताल के स्तर से मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया। शुरू से इस बेशकीमती जमीन का स्वामी लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड अपने पास नक्शे ही न होने की बात करता रहा। बाद में नगर पालिका से 1918 व 1929 के स्प्रिंगडेल इस्टेट के नक्शों में तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं जूनियर हाईस्कूल की करीब 5 एकड़ भूमि प्रदर्शित की गयी है। यह भूमि वर्तमान जीआईसी को धर्मशाला की ओर से जाने वाले मार्ग से नीचे की ओर हल्द्वानी रोड तक बतायी गयी है। इधर जनवरी 2018 में टंडन द्वारा मांगी गयी जानकारी पर एसडीएम नैनीताल अभिषेक रुहेला ने लोनिवि, राजस्व एवं नगर पालिका के अधिकारियों की टीम बनाकर उन्हें जमीन की धरातल पर तस्दीक करने को कहा था। फरवरी 2018 में टंडन ने मामले की शिकायत समाधान पोर्टल के जरिये मुख्यमंत्री से भी की, और इस जमीन की धरातल पर तस्दीक कर जमीन की दाखिल-खारिज लोनिवि के प्रांतीय खंड के नाम करने को कहा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले में 20 फरवरी 2018 को सचिव शहरी विकास को भेजकर शिकायत के अनुरूप कार्रवाई करने को कहा। इधर संयुक्त जांच टीम ने भूमि पर एक बाहरी व्यक्ति द्वारा किये गये निर्माण को चिन्हित किया है। इधर एक सप्ताह पूर्व भवन स्वामियों को लोनिवि की ओर से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस भी दे दिया गया है। लेकिन करीब 10 माह से मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होने, अब तक जमीन के बारे में ठीक-ठीक चिन्हीकरण ही न हो पाने पर सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने सवाल उठाये हैं। उन्होंने बताया कि कई बिल्डरों की भी इस बेशकीमती जमीन पर नजर है। वहीं एसडीएम अभिषेक रुहेला ने बताया कि मामला नगर पालिका के स्तर से लंबित है। सरकारी विभागों की जमीनों के नक्शे नगर पालिका के पास हैं। इधर नगर पालिका ने जो नक्शा उपलब्ध कराया है वह बंदोबस्ती तरह का नहीं है। इसलिए इसकी धरातल पर तस्दीक करने में दिक्कत आ रही है।
प्राधिकरण से नक्शा है पास, लोनिवि ने दी है अनापत्ति
नैनीताल। स्प्रिंगडेल इस्टेट की जिस भूमि की बात हो रही है, उस पर हाल ही में एक भवन निर्मित हुआ है। बताया जा रहा है कि यह मामला इस भवन के निर्माण के बाद ही भवन के मालिक एवं निर्माणकर्ता ठेकेदार के बीच हुए विवाद के बाद आगे बढ़ा। बताया गया है कि भवन निर्माण के लिए तत्कालीन बृहत्तर झील परिक्षेत्र विकास प्राधिकरण से भवन का नक्शा पास है, तथा इसके लिए लोनिवि ने भी अनापत्ति दी है। वहीं यह भी बताया जा रहा है कि वर्ष 2011 में इस जमीन से लगे जीजीआईसी की सड़क से ऊपर की ओर स्थित फेयरीहॉल विला क्षेत्र के कुछ निवासियों ने आपसी सहमति से घर बंटवारा करते हुए घर के सदस्यों को लोनिवि की यह जमीन दे दी थी।
पूर्व समाचार : नैनीताल में 5 एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का बड़ा मामला खुला
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- लोनिवि की है जमीन, पर विभाग को पता ही नहीं, नक्शे भी लोनिवि नहीं नगर पालिका के पास हैं
- पुष्टि हुई तो अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचना तय
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी में 5 एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होने का नया मामला प्रकाश में आया है। सूचना के अधिकार के तहत इस मामले का खुलाशा हुआ है। नगर के अधिवक्ता पुनीत टंडन को सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर के तल्लीताल धर्मशाला के पास के स्प्रिंगफील्ड कंपाउंड क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग की करीब 5 एकड़ भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा है, तथा कई आवासीय भवन भी बने हैं। खास बात यह भी है कि लोक निर्माण विभाग को अपनी इस भूमि के बारे में कुछ भी खास जानकारी यहां तक कि इसके नक्शे भी उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस भूमि पर अंग्रेजी दौर में तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण विभाग के गोदाम होते थे।
सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दिये जाते समय यह मामला संज्ञान में आया है। इस पर एसडीएम के नेतृत्व में लोनिवि, राजस्व व नगर पालिका की टीम ने संबंक्षित क्षेत्र का संयुक्त निरीक्षण किया है। टीम में लोनिवि की ओर से अधिशासी अभियंता सीएस नेगी, नगर पालिका की ओर से अधिशासी अधिकारी रोहिताश शर्मा व राजस्व विभाग की ओर से तहसीलदार शामिल रहे। लोनिवि के अधिशासी अभियंता सीएस नेगी ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि नेगी ने बताया कि नगर पालिका से इस भूमि के मूल रंगीन नक्शे लेने के लिए आवेदन किया गया है, साथ ही विभाग के संबंधित सहायक अभियंता से मामले की जांच तथा नक्शे के आधार पर लोनिवि की जमीन का चिन्हीकरण करने और इस पर अतिक्रमण होने की स्थिति में अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने को कहा गया है। बताया गया है कि कुछ अतिक्रमणकारियों को नोटिस दे भी दिये गये हैं। आगे इस मामले में अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचना तय है।
नमस्कार नवीन जोशी जी
🙏 सादर प्रणाम
मेरा नाम विश्व प्रताप गर्ग है और मेरे सहकर्मी देवेन्द्र परमार भगवान शिव के महायोगी स्वरूप भगवान गुरू गोरखनाथ के अनुयायी हैं और आपके पाठक वर्ग हैं।
बात तो सही है नैनीताल एक पर्यटन नगरी है और इस प्रकार का अतिक्रमण नैनीताल की नैसर्गिक सुंदरता को कमतर तो करता ही है दुर्घटनाओं का अंदेशा और साइकिल माफिया का राज भी बेखौफ चलता है। पर्यटकों से बदतमीजी अलग से।
आपका संदर्भ निस्संदेह प्रसंशनीय है जो आम जनता को सचेत किया हमेशा की तरह। और सोए हुए प्रशासन को जगाकर उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया।
बहरहाल अगर आप ऐसा लिखें ” उच्च अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा अतिक्रमण का अवैध धंधा” उचित वाक्य है “गोरख-धंधा” शब्द अनुचित है।
भगवान शिव महायोगी स्वरूप में भगवान “गुरू गोरखनाथ” होते हैं।भगवान “गुरू गोरखनाथ” जैसे पवित्र कल्यणकारी नाम को किसी घटिया धंधे से जोड़ने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है और शिव तो सदैव कल्याण ही करते हैं कोई धंधा नहीं।” गोरख-धंधा” शब्द अनुचित है और एक निम्न श्रेणी की उपहासात्मक अपमानजनक गरिमाहीन अभद्र संज्ञा है जो प्रयोग में नहीं होनी चाहिए कृप्या इस पहलू का भी संज्ञान लें ।
अधिक जानकारी के लिए आप इन लिंक पर विजिट भी कर सकते हैं https://hindi.oneindia.com/news/india/an-introduction-on-lord-guru-gorakshnath-427761.html
कुछ शब्द हैं जो आप प्रचुरता से प्रयोग कर सकते हैं जैसे अवैध धंधा /अनैतिक धंधा /भ्रष्टाचार /ठगधंधा /घपला /घोटाला /गडबडघोटाला /धांधली /मकड़जाल इत्यादि।
एक पाठक के रूप में यही सुझाव है अगर इस शब्द को ठीक कर लें और आप अपनी रिपोर्टिंग टीम को भी इस संवेदनशील पहलू की ओर आगाह करें और एक विज्ञप्ति जारी कर भविष्य में भी प्रयोग से बचें तो आपकी ज्वलंत पत्रकारिता उम्दा ही प्रतीत होगी और पाठकगण भी एक जुडाव महसूस कर पाएंगे
🙏
अलख निरंजन!!
जी धन्यवाद, आपका सुझाव उचित है.. ठीक कर दिया है..
हैलो सर अगर आप vellege के राशन कार्ड मैं भी आर टी आई लगा के बी पी एल के बारे मैं जानकारी लेते तो उसमे भी बहुत धोखाधड़ी हुई हैं वो भी सामने आ जाती l
एक पाठकगण!
ठीक