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July 27, 2024

नैनीताल के 17 वर्षीय छात्र ने लॉक डाउन का सदुपयोग कर लिखी पुस्तक, अमेजॉन पर छायी (Book Publication)

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Book Publication, Discover the remarkable achievement of a 17-year-old student from Nainital who utilized the lockdown period to publish a book on Amazon. Gaurav Karki, a talented student from Nainital Nagar, has recently released his book titled ‘From Nightlights to Dayblooms’ on Amazon. Despite being occupied with online coaching for MBBS after scoring an impressive 93% in his intermediate exams, Gaurav managed to write this book two years ago during the challenging Corona period.

Book Publication

नवीन समाचार, नैनीताल, 13 जून 2023। (Book Publication) शिक्षा नगरी के नाम से भी विख्यात नैनीताल नगर के एक छात्र गौरव कार्की की पुस्तक ‘फ्रॉम नाइटलाइट्स टु डेब्लूम्स’ इन दिनों अमेजॉन पर छायी हुई है। गौरव अभी 17 वर्ष के हैं और अभी हाल ही में उन्होंने 93 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण किया है, और वर्तमान में एमबीबीएस के लिए ऑनलाइन कोचिंग ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह पुस्तक इससे भी करीब दो वर्ष पहले कोरोना काल में लगे लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए लिखी है।

Book Publicationगौरव ने बताया कि उनकी यह पुस्तक सजीव कल्पना और विचारोत्तेजक रूपकों के साथ कथात्मक कविताओं का संकलन है। इसमें सरोवरनगरी के अन्य कवियों से प्रेरित छंद मुक्त कविताएं समकालीन शैली में लिखी गई हैं। पुस्तक के कवर पेज पर डच कवि विन्सेंट गॉग द्वारा बनाई गई पेंटिंग प्रदर्शित है।

गौरव की दो बहनें आईआईटी गुजरात व दिल्ली विवि के कमला नेहरू परिसर में पढ़ रही हैं। पिता भीम सिंह कार्की जल संस्थान में कार्यरत एवं श्रीराम सेवक सभा जैसी संस्थाओं से जुड़े सामानिक कार्यकर्ता और माता गृहणी हैं। गौरव नगर के सेंट जोसफ कॉलेज के छात्र रहे हैं। उन्होंने अपनी इस पुस्तक का श्रेय अपने परिजनों के साथ ही विद्यालय को भी प्रोत्साहन हेतु दिया है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : कहानियां पढ़ने की कम उम्र में लिख डालीं कहानियां, अब उपन्यास लिखने की तैयारी (Book Publication)

ANGEL AT EXAM; THE ULTIMATE CONNECT नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2022। नैनीताल जनपद के हल्द्वानी निवासी एक 13 वर्षीय किशोर मानवेंद्र बिष्ट ने कहानियां पढ़ने की कम उम्र में ही लेखन की ओर कदम बढ़ाए हैं। एमकेएस के नाम से पहचाने जा रहे मानवेंद्र अंग्रेजी में 4 छोटी कहानियां लिख चुके हैं, और उनकी यह कहानियां ई-बुक के रूप में इंटरनेट पर उनकी वेबसाइट manvendra16.stck.me पर भी उपलब्ध हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी की युवती के ह्वाट्सएप पर आया उसका ही नग्न वीडियो, धमकी देकर मांगा गया एक और नग्न वीडियो…

GIRL IN TWO WHEELS स्वयं को कुमाऊं क्षेत्र के सबसे युवा कहानीकार बताने वाले मानवेंद्र कहते हैं कि आयु का प्रतिभा से कोई संबंध नहीं होता हैं। उन्होंने बताया कि छठी कक्षा में पढ़ने के दौरान उनके माता-पिता ने उन्हें कहानियां लिखने के लिए प्रेरित किया। उनकी लघु कहानियां अगले 100-200 वर्षों बाद की दुनिया के माहौल को फेंटेसी के माध्यम से प्रदर्शित करती हैं। यह भी पढ़ें : युवक ने शादी का झांसा देकर किया युवती से दुष्कर्म, सौतेली मां ने बना बनाया रिश्ता तुड़वा दिया…

THE LADY WIZARDआगे उनका एक उपन्यास भी आने जा रहा है। हल्द्वानी के आर्यमान विक्रम बिड़ला में 8वीं पढ़ने वाले मानवेंद्र के पिता डॉ. मनीष बिष्ट ग्राफिक एरा पर्वतीय विश्वविद्यालय के हल्द्वानी-हल्दूचौड़ स्थित परिसर के निदेशक हैं। उनकी छोटी बहन दूसरी कक्षा में पढ़ती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कुलपति ने किया ‘फ्लोरा ऑफ बेतालघाट, नैनीताल वेस्टर्न हिमालय’ पुस्तक का विमोचन (Book Publication)

नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2022। कमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने रविवार को ‘फ्लोरा ऑफ बेतालघाट, नैनीताल वेस्टर्न हिमालय’ नाम से लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया। डीएसबी परिसर नैनीताल के वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. नवीन चंद्र पांडेय, डॉ. जीसी जोशी पूर्व वैज्ञानिक थापला रानीखेत, स्वर्गीय प्रो. यशपाल सिंह पांगती, डॉ. ललित तिवारी व डॉ. जीवन जलाल बीएसआई हावड़ा द्वारा लिखी गयी 732 पृष्ठों की इस पुस्तक में नैनीताल जनपद के बेतालघाट क्षेत्र में पायी जाने वाली 1200 पादत प्रजातियांे संकलित की गई हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी की युवती के ह्वाट्सएप पर आया उसका ही नग्न वीडियो, धमकी देकर मांगा गया एक और नग्न वीडियो…

बताया गया है कि प्रजातियों 140 कुल, 769 वंश आवृत्तबीजी तथा 16 प्रजातियां अनावृत्वीजी हैं। पुस्तक में 480 पौधो के चित्र तथा उनकी कुंजी, वानस्पतिक तथा हिंदी व अंग्रेजी नाम व विवरण दिया गया है। 5995 रुपये मूल्य की पुस्तक में जैव विविधता के साथ 680 पौधो की एथनोबोटेनिकल महत्ता भी दी गई है। पुस्तक में कैंप रिपोर्ट के अनुसार पत्थर चट्टा, अग्नेयू, मालकंदिनी, सामिया, काली मूसली, रिद्धि व तिमूर आदि 20 प्रजातियां संकटग्रस्त श्रेणी में और 700 से 1800 मीटर की ऊंचाई तक पाए जाने वाले पौधे शामिल किए गए है। यह भी पढ़ें : युवक ने शादी का झांसा देकर किया युवती से दुष्कर्म, सौतेली मां ने बना बनाया रिश्ता तुड़वा दिया…

इस अवसर पर डॉ. उमंग सैनी को डीआईसी का सहायक निदेशक बनने पर बधाई भी दी गई। विमोचन के अवसर पर कुलसचिव दिनेश चंद्र, निदेशक शोध प्रो. ललित तिवारी, डॉ. सुषमा टम्टा, डॉ. नीलू लोधियाल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. उमंग सैनी, डॉ. दीपाक्षी जोशी, डॉ. नवीन पांडे, डॉ.युगल जोशी, केके पांडे व दीपक देव आदि उपस्थित रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : पुस्तक विवाद : कॉपीराइट उल्लंघन के नोटिस पर मानहानि का नोटिस देने की धमकी… (Book Publication)

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 नवंबर 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उप महाधिवक्ता एनएस पुंडीर की पुस्तक ‘यूपी एंड उत्तराखंड सर्विस मैन्युअल वॉल्यूम वन’ पर पूर्व महाधिवक्ता स्वर्गीय एमएस नेगी के पुत्र एवं पुत्री ने कॉपीराइट उल्लंघन का नोटिस दिया था। अब इस नोटिस पर श्री पुंडीर ने जवाब दिया है। यह भी पढ़ें : 23 वर्षीय नवविवाहिता की शादी के 2 वर्ष से भी पहले हुई संदिग्ध मौत, ससुरालियों पर आरोप…

श्री पुंडीर ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि स्वर्गीय नेगी की पुस्तक में उनका कोई भी निजी मौलिक साहित्यिक कृत्य नहीं है अपितु उन कानूनों, नियमों और शासनादेशों का लेखन और प्रकाशन विधायिका और उसके सचिवों के माध्यम से किया गया है। इन्हें किसी निजी व्यक्ति के संकलित करके प्रकाशित करने से उसका निजी कॉपीराइट अधिकार उत्पन्न नहीं होता। यह भी पढ़ें : रात्रि में हुए ध्वस्तीकरण के बाद अब बदलेगी नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र की सूरत…

यह भी कहा है कि स्वर्गीय नेगी द्वारा प्रकाशित पुस्तक 2001 और 2002 के बाद बाजार में उपलब्ध नहीं है तथा उनके संकलन में 2001 के उपरांत से वर्तमान तक के सभी अधिकांश उपलब्ध तथा उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड द्वारा प्रकाशित अन्य सभी नियम कानून और शासनादेश प्रकाशित हैं। लिहाजा उन्हें दिया गया नोटिस पूर्णतया भ्रामक है तथा ईर्ष्यावश दिया गया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल से उच्च न्यायालय न समर्थन की मुहिम में पालिकाध्यक्ष व सभासदों का मिला समर्थन

यह केवल उनकी पुस्तक को विवादित करने तथा उन्हें व उनकी पुस्तक की समाज में मानहानि करने की नीयत से दिया गया है। लिहाजा उन्होंने स्वर्गीय नेगी के पुत्र-पुत्री को अपना नोटिस वापस लेने का आग्रह किया है तथा निश्चित समयावधि में ऐसा न करने पर मानहानि अथवा अन्य यथोचित वैधानिक कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : सक्षम व्यक्ति खुद न्याय कर डालता है जबकि कमजोर व्यक्ति न्याय का इंतजार करते हैं…

-कविता संग्रह ‘सोनभद्र की पगडंडियां’ के ऑनलाइन लोकार्पण-परिचर्चा में पढ़ी गईं कविता की पंक्तियां आज के संदर्भ में भी प्रासंगिक
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 फरवरी 2022। ‘सक्षम व्यक्ति खुद न्याय कर डालता है जबकि कमजोर व्यक्ति न्याय का इंतजार करते हैं…’ यह पंक्तियां रविवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तराखंड की नैनीताल इकाई द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश मौर्य ने स्वरचित पुस्तक ‘सोनभद्र की पगडंडियां; के लोकार्पण-परिचर्चा का कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए पुस्तक से पढ़ीं, तो आज रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में यह पंक्तियां सटीक बैठती महसूस की गईं। यही कविता की विशेषता होती है, जो कही किसी अन्य विषय के लिए जाती हैं, परंतु अनेक संदर्भों में उपयुक्त बैठती हैं।

इस अवसर पर मौर्य ने अपनी स्वरचित सरस्वती वंदना से बात शुरू करते हुए कहा कि कहा कि यह पुस्तक सोनभद्र जनपद के औद्योगिक परिवेश को प्रस्तुत करती है। विशिष्ट वक्ता डॉ. मधु पाठक ने काव्य संग्रह की कविताओं का भावपूर्ण काव्य पाठ किया, तथा अपने वक्तव्य में यूक्रेन-रूस युध्द का संदर्भ लेते हुए जंगली जीवन के नष्ट होने पर अपनी चिंता प्रकट की।

प्रयागराज के वरिष्ठ साहित्यकार विजयानंद ने कहा कि इस पुस्तक में मानवीय जीवन के लोकरंजन पक्ष का वर्णन किया गया है साथ ही प्रकृति व पर्यावरण से जुड़ी कविताएं भी हैं। वहीं मुख्य वक्ता डॉ. चंद्रभान यादव ने कहा कि सोनभद्र की पगडंडिया पूरे भारत की पगडंडियों का प्रतिधिनित्व करती हैं। क्योंकि यह हर गॉव, घर और पारिवारिक संबंधों की गाथा कहती हुई कविताएं है। इसमें एक ओर जहां पर्यावरण के नष्ट होने पर चिंता के साथ ही संयुक्त परिवारों के विघटन के साथ ही पर्यावरण प्रेम और जंगली जीवों, आदिवासी समाज के नष्ट होने की पीड़ा भी विद्द्यमान है।

कार्यक्रम में सृष्टि गंगवार ने परिषद गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुनील पाठक ने एवं संयोजन व संचालन कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के हिंदी विभाग के शोधार्थी अरविंद कुमार ने किया। कार्यक्रम में डॉ दिवाकर सिंह, डॉ सुभाष कुशवाहा भी उपस्थित रहे। समापन लता प्रासर ने राष्ट्रीय गीत के गायन के साथ किया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : इतिहास गाथा : उत्तराखंड में पाषाण युग की सभ्यता व संस्कृति मुग़ल व अंग्रेजी शासन के बावजूद बची रही, कारण का खुलासा…

-प्रसिद्ध इतिहासकार व पर्यावरणविद् डॉ. अजय रावत की पुस्तक में पाषाण युग से आजादी के दौर तक का इतिहास समाहित
-कहा हिंदूवादी राजाओं एवं तत्कालीन परिस्थितियों की वजह से मुगल एवं अंग्रेज शासक नहीं कर पाए यहां की संस्कृति व सभ्यता को प्रभावितनैनीताल: प्रसिद्ध इतिहासकार और पर्यावरणविद प्रो अजय रावत की पुस्तक ग्लिम्पस  ऑफ कल्चरल हिस्ट्री ऑफ देवभूमि उत्तराखंड में जानिये उत्तराखंड ...

डा. अजय रावत।

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 दिसंबर 2021। प्रसिद्ध इतिहासकार व पर्यावरणविद् डॉ. अजय रावत का कहना है कि उत्तराखंड में पाषाण युग की सभ्यता व संस्कृति आज भी मौजूद है। हिंदुवादी शासकों के कारण न ही मध्यकाल में इस पर प्रतिकूल असर पड़ा और न हीं ब्रिटिश शासन काल में ही यह प्रभावित हुई। मध्य काल में मुगल पहाड़ों की दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से पहाड़ पर नहीं चढ़े तो अंग्रेजों ने तत्कालीन वैश्विक परिस्थितियों की वजह से उत्तराखंड से अलग तरह से नम्र व्यवहार किया।

डॉ. रावत ने यह बात पाषाण युग से आजादी के दौर तक के इतिहास को समाहित करने वाली अपनी सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘ग्लिम्पसेस ऑफ कल्चरल हिस्ट्री ऑफ देवभूमि उत्तराखंड’ के बारे में जानकारी देते हुए कही। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने अन्य प्रांतो की तर्ज पर उत्तराखंड में इसाईयत का प्रचार-प्रसार भी अधिक नहीं किया। डॉ. रावत ने बताया कि उनकी पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास के साथ ही संस्कृति, काष्ठकला, वास्तुकला, स्थापत्य कला, धार्मिक स्थल व व्यंजन आदि का समावेश किया है। उनका मानना है कि इस रूप में ब्रिटिश शासन काल का इतिहास शायद किसी पुस्तक में नहीं मिलेगा।

उन्होंने बताया कि 1815 में रूस में उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का दौर रहा। इसी दौरान वियाना की संधि व नेपोलियन के पतन के बाद रूस तिब्बत के रास्ते से भारत आना चाहता था। भूमध्य सागर से उसे आने की मनाही थी। इसीलिए उस दौर में ब्रिटिशर्स ने अन्य प्रांतों को तो रेगुलेटिंग प्रोविंस घोषित कर वहां इसाईयत का अत्यधिक प्रचार किया लेकिन उत्तराखंड को ‘नॉन रेगुलेटिंग प्रोविंस’ घोषित किया। क्योंकि उनकी कोशिश उत्तराखंड से रूस की साम्राज्यवादी सोच के कारण यहां के लोगों में घुलमिल कर रहकर तिब्बत पर नजर रखने की थी।

इस कारण ही उन्होंने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने की पहल की। उन्होंने यहां कोई मंदिर नहीं तोड़े। कुमाऊं के दूसरे कमिश्नर जीडब्लू ट्रेल स्वयं बद्रीनाथ गए थे। नैनीताल में एक ही स्थान पर मंदिर, मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारा भी इसी का प्रमाण है। इससे पूर्व मध्यकाल में भी यहां हिंदूवादी शासन के चलते संस्कृति प्रभावित नहीं हुई। उन्होंने पुस्तक में लिखा है कि पाषाण युग से ही यहां की जैव विविधता समृद्ध थी। आज भी यहां 375 तरह के कंदमूल, 189 तरह के जंगली फल, धान की 340, गेहूं की 80 व मक्के की 40 प्रजातियां जीवंत है। पुस्तक में उन्होंने उत्तराखंड के अल्मोड़ा में लखुउडियार सहित अनेक स्थानों पर पायी जाने वाले शैलाश्रयों में मौजूद पाषाणकालीन चित्रकला, मृत्यु के बाद रखे गए मृद भांड यानी मिट्टी के बर्तन सहित अरण्यक संस्कृति, आश्रम, साधु संतों का जिक्र किया है।

बताया है कि उस समय वानप्रस्थ व सन्यास आश्रम वनों में होते थे। पुस्तक में नाथ पंथ, तांत्रिकों, कत्यूरियों की स्थापत्य कला, कुमाऊं में चंद व गढ़वाल में परमार शासन, कुमाऊं की ऐपण कला आदि के बारे में भी जानकारी दी गई है। साथ ही वर्ष में एक दिन रक्षा बंधन पर खुलने वाले तथा 364 दिन नारद की पूजा वाले उत्तरकाशी के बंशीनारायण मंदिर, कोटिबनाल आर्किटेक्चर, मोस्टमानो मंदिर, उल्का देवी मंदिर, पिथौरागढ़ जात यात्रा को भी सम्मिलित किया है। प्रो. रावत बताते हैं कि पुस्तक में समूचे कुमाऊं व गढ़वाल के बारे में लिखा गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : डॉ. रेखा त्रिवेदी की तीसरी पुस्तक ‘धरोहर’ का हुआ विमोचन

-अपने पिता एवं दिवंगत लेखकों एवं दिवंगत जनों पर लेखों का है पुस्तक में संकलन

डॉ. रेखा त्रिवेदी की पुस्तक का विमोचन करते गणमान्यजन।

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 नवंबर 2021। नगर के मोहन लाल साह बालिका विद्या मंदिर की सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. रेखा त्रिवेदी की तीसरी पुस्तक ‘धरोहर’ का बृहस्पतिवार को श्रीराम सेवक सभा के सभागार में एक कार्यक्रम में समापन किया गया।

पुस्तक से परिचय करते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. नीता बोरा शर्मा ने बताया कि तीन खंडों में प्रकाशित पुस्तक में संपादक-संकलनकर्ता डॉ. रेखा त्रिवेदी के पिता पं. पीतांबर त्रिवेदी के उत्तराखड ज्योतिष व ज्योतिषाचार्य, होली की आत्मकथा, काकड़ों, गदुवा और लौकी का संवाद, प्रस्ताव व एडीटर आदि गंभीर व्यंग्य युक्त सामाजिक व्यवस्था पर चोट करने वाले गद्य के साथ ही पद्य तथा पं. दिगंबर दत्त जोशी, पं. राम दत्त जोशी, पं. बसंत कुमार जोशी, पं. लक्ष्मी दत्त जोशी, पं. भोला दत्त जोशी, कृष्ण मिश्र, पं. ललिता प्रसाद उनियाल, नारायण दत्त पांडे, ईश्वरी दत्त जोशी ‘जलद’, पं. मथुरा दत्त त्रिवेदी, पं. गोविंद बल्लभ, पं. देवकी नंदन जोशी, पं. बसंत बल्लभ जोशी, पं. हर्षदेव ओली से लेकर पत्रकार भूपेंद्र मोहन रौतेला तक की लेखकों की लंबी श्रृंखला समाहित है।

पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश रंजन तिवारी ने पुस्तक को पूर्वजों की धरोहर को सहेजने का भगीरथ प्रयास बताया। बताया कि पुस्तक कुमाऊं मंडल में रही उच्च कोटि की ज्योतिष विद्या से शुरू होकर संगीत पर जाकर समाप्त होती है। पुस्तक के विमोचन समारोह में डॉ. शेखर पाठक, डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, डॉ. आरसीएस मेहता नवीन चंद्र साह, विनय साह, विनीता पांडे, मुकुल त्रिवेदी, अमिता साह. डॉ. दीपा कांडपाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन मौजूद रहे। संचालक प्रो. ललित तिवारी ने किया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने किया पुस्तक का विमोचन

नवीन समाचार, नैनीताल, 13 फरवरी 2021। उत्तराखंड के दौरे पर आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकादमी मसूरी में डॉ हरीश चंद्र अंडोला एवं डॉ विजय कांत पुरोहित द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर श्री कोश्यारी ने कहा कि गवर्नर मानव स्वास्थ्य एवं वनस्पतियां एक दूसरे की पूरक हैं। मानव स्वास्थ्य में वनस्पतियों का बड़ा योगदान है। दोनों का पृथ्वी पर अस्तित्व कायम रखने के लिए वनस्पतियांे का संरक्षण आवश्यक है।
जानकारी देते हुए डॉ. अंडोला ने बताया कि उनकी पुस्तक वनस्पतियांे एवं मानव स्वास्थ्य के लिए उनके उपयोग व संरक्षण विषय पर लिखी गई है। पुस्तक के विमोचन के अवसर पर सुप्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार सूर्य चंद्र सिंह चौहान, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं रूसा के सलाहकार प्रो. एमएसएम रावत, प्रो. हरीश पुरोहित, सहायक कुलसचिव नरेंद्र लाल, प्रशांत मेहता, सुरेश अंडोला व ध्रुव अंडोला आदि लोग उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें : पीसीएस अधिकारी ने मातृभाषा को राष्ट्रभाषा में पिरोकर पिता को दी साहित्यिक श्रद्धांजलि..

-प्रशासनिक अधिकारी व साहित्यकार ललित मोहन रयाल की दूसरी पुस्तक ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’ प्रकाशित,
-पिता-पुत्र के रिश्तों की यह किताब साहित्य के हर पहलू को छूती है, भोजन की तरह स्वाद देती है यह पुस्तक: जगूड़ी
नवीन समाचार, नैनीताल, 07 फरवरी 2021। साहित्यकार व पीसीएस अधिकारी ललित मोहन रयाल ने अपने दिवंगत पिता मुकुंद राम रयाल को उनकी पहली पुण्यतिथि 22 फरवरी पर साहित्यिक श्रद्धांजलि देने जा रहे है। उन्होंने ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’ नाम से लिखी अपनी किताब में पिता पुत्र के बीच के संबंधों तथा शिक्षक पिता की समाज सेवा व शिक्षण के प्रति समर्पण, बौद्धिक क्षमता, ज्ञान, जीवन में पिता की महत्ता को खूबसूरती से उकेरा है। प्रसिद्ध साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी ने रयाल द्वारा इस किताब में प्रयुक्त गढ़वाली मिश्रित हिंदी भाषा की तारीफ करते हुए अपनी रोचक टिप्पणी दी है, कि उनकी भाषा भोजन की तरह स्वाद देती है। इससे पूर्व अपनी मिट्टी से जुड़े रयाल ‘खड़कबासी की स्मृतियों से’ नामक पुस्तक लिख चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री रयाल के पिता का पिछले साल निधन हो गया था। पिता के क्रियाकर्म के दौरान ही उन्होंने किताब लिखना शुरू कर दिया था। अतीत के स्मरण को लिपिबद्ध किया। किताब में पिता के साथ बिताए पलों का मार्मिक ढंग से उल्लेख किया है। उन्होंने पिता को श्रद्धांजलि के बहाने गढ़वाल के लोकजीवन में आये बदलाव, बढ़ते शहरीकरण, पलायन, ग्रामीण जीवन का बेहतरीन वर्णन किया है। ज्योतिषी व कर्मकांड की महत्ता भी बताई है तथा गांव व रयाल जाति के उद्भव का इतिहास भी पढ़ाया है। प्रसिद्ध साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी के शब्दों में, चाहे अनचाहे एक सुलभ रहने वाला व्यक्ति है पिता। वह उपदेशक, सुधारक और दंड पुरस्कार समझाने वाला, प्यार और एकता व भय पैदा करने वाला व्यक्ति है। दुनियां में ढूंढने निकलेंगे तो पिता की सबसे ज्यादा छवियां और भंगिमाएं बिखरी मिलेंगी। माता के साथ पिता के अलग दायित्व दिखने लगते हैं। माता के बिना पिता की भूमिका कई तरह से बदल जाती है। रयाल ने अपने पिता को कर्मयोगी कहते हुए लिखा है कि यह साधारण शिक्षक की जीवनी है। गृहस्थी के पचड़ों में फंसा मास्टर आदमी। उन्होंने ताउम्र ग्रामीण जीवन जिया। नियम कायदों का हमेशा पालन किया। पिता पुत्र के बिछुड़ने का गम, उनके निधन पर परिवार की आपबीती का दिल की गहराइयों से निकले शब्दों से उकेरा है। उन्होंने किताब में विद्यार्थी जीवन के उन पहलुओं का भी उल्लेख किया है, जो हर किसी के जीवन के अनमोल पल होते हैं। साहित्यकार जगूड़ी लिखते हैं, पहाड़ी जीवन भी कुछ कुछ वैदिक सा, कुछ-कुछ ऋषि मुनियों जैसी झलक दिखलाता रहता है। पशुओं के बीच कामकाज के अलावा कुछ अन्य संवाद भी चलते रहते हैं। रयाल के लेखन में अलग किस्म का, ना दलदली किस्म का, न सूखे तालाब जैसा गद्य है। किताब में मनचाहा घालमेल किया है, चाहते तो पारंपरिक प्रस्तुति दे सकते थे। रयाल ने 21 अध्याय की किताब में लोकजीवन के उन किस्से कहानियों का भी उल्लेख किया है, जो आज की शहरीकरण की जिंदगी में गुम हो गए हैं। मगर एक पीढ़ी में इसको संरक्षण करने की छटपटाहट है। कुल मिलाकर पिता-पुत्र के रिश्तों की यह किताब साहित्य के हर पहलू को छूती है।

यह भी पढ़ें : नैनीताल की ‘चलती-फिरती पाठशाला’ स्वर्गीय प्रसाद जी की पुस्तक ‘प्रसाद’ का हुआ विमोचन

नवीन समाचार, नैनीताल, 16 नवम्बर 2020। नैनीताल नगर पालिका के म्युनिसिपल कमिश्नर (वर्तमान पद नाम सभासद), नगर की सबसे पुरानी धार्मिक-सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष, नैनीताल जिला क्रीड़ा संघ के महासचिव नैनीताल जिला महिला संघ के अध्यक्ष रहे रंगकर्मी, खिलाड़ी, ऐपण कलाकार, चिंतक, विचारक, नैनीताल के जीवंत इन्साइक्लोपीडिया स्वर्गीय गंगा प्रसाद साह के लेखों की पुस्तक ‘प्रसाद’ का सोमवार को विमोचन किया गया। पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल व सरिता आर्या की मौजूदगी में स्वर्गीय साह के प्रपौत्र, प्रपौत्री एवं अन्य परिजनों व गणमान्य जनों ने श्रीराम सेवक सभा के सभागार में पुस्तक का विमोचन किया।
इस मौके पर स्वर्गीय साह के करीबी व अनुयायी रहे पूर्व सभासद जगदीश बवाड़ी ने स्वर्गीय साह को ‘चलती-फिरती पाठशाला’ बताया तो रंगकर्मी मिथिलेश पांडे ने रामलीला में उनके द्वारा राम से लेकर रावण और नारद तक के विभिन्न चरित्रों को निभाने की यादों को ताजा किया। पूर्व दायित्वधारी शांति मेहरा, डा. जंतवाल, सरिता आर्य, पुस्तक के लेखक स्वर्गीय साह के पुत्र अतुल साह व बहु भारती साह सहित संचालन कर रहे हेमंत बिष्ट आदि ने भी विचार रखते हुए उनके बहुआयामी व्यक्तित्व से जुड़े अनुभव सुनाए। बताया गया कि पुस्तक में 9 दिसंबर 2017 को दिवंगत हुए स्वर्गीय साह के नैनीताल तथा यहां की माल रोड, शरदोत्सव, सिनेमा हॉल, ड्रेनेज व्यवस्था, विद्युत व पेयजल व्यवस्था आदि के इतिहास को अलग-अलग लेखों में क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस मौके पर सुरेश लाल साह, सुरेंद्र बिष्ट, मनोज साह, आलोक चौधरी, देवेंद्र लाल साह, गणेश कांडपाल, किशन नेगी, प्रीति डंगवाल सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें : स्नातक के छात्र की पुस्तक ‘मेरे खयाल’ प्रकाशित, कुमाऊं की परंपरागत उपचार विधियों व औषधियों पर भी पुस्तक प्रकाशित

अपनी पुस्तक ‘मेरे खयाल’ के साथ आशीष तिवारी।

नवीन समाचार, नैनीताल, 21 जुलाई 2020। जनपद के हल्द्वानी निवासी आशीष तिवारी ‘आरव’ की हिंदी कविताओं की पुस्तक ‘मेरे ख्याल’ प्रकाशित हुई है। नित्या प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक अमेजॉन पर भी ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। 11 फरवरी 2001 को नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे 19 वर्षीय आशीष वर्तमान में हल्द्वानी से ही विज्ञान विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक रहा है। ‘मेरे खयाल’ उनकी लिखी हुई पहली पुस्तक है। इसके अलावा वह दिल्ली के ‘द सोशल हाउस क्लब’ में भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति दे चुके हैं। आशीष कहना है कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने हर एक व्यक्ति तक अपने खयाल सरल भाषा में पहुंचाने एवं कुछ अनछुए खयालों को छूने का प्रयास किया है। यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए है, जिन्हें साधारण हिंदी भाषा का ज्ञान है। आशीष कहते हैं, उनकी पुस्तक बहुत सारे रंगों से मिलकर बनी है। पुस्तक में कहीं गुलाबी इश्क तो कहीं रक्तवर्ण लाल तो कहीं काली सच्चाई भी है। उनकी पुस्तक अपनी प्रतिभा को मुकाम पहुंचाने की कोशिश कर रहे युवाओं के लिए भी प्रेरणादायी हो सकती है।

पुस्तक अमेजॉन पर इस लिंक से मंगाई जा सकती है :

कुमाऊं की परंपरागत उपचार विधियों व दुर्लभ औषधीय पौधों पर पुस्तक का कुलपति का किया विमोचन

पुस्तक का विमोचन करते कुलपति प्रो. एनके जोशी।

नवीन समाचार, नैनीताल, 21 जुलाई 2020। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने मंगलवार को अपने कार्यालय में ‘ट्रेडीसनल सिस्टम एंड थ्रेटेंड मेडीसनल प्लान्ट्स ऑफ कुमाऊं वेस्टर्न हिमालया, इंडिया’ नाम की पुस्तक का विमोचन किया। डा. दीपिका भट्ट, डा. गिरीश जोशी, प्रो. ललित तिवारी एवं नवीन चंद्र पांडे के द्वारा लिखी गई 1995 रुपए मूल्य की 126 पृष्ठों की वानस्पतिक वर्गीकरण शास्त्री स्वर्गीय प्रो. यशपाल पांगती को समर्पित की गई इस पुस्तक में कुमाऊं क्षेत्र की विरासत की उपचार विधियों तथा क्षेत्र के 256 दुर्लभ औषधीय पौधों का वर्णन है। पुस्तक का आमुख संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. प्रदीप कुमार जोशी तथा दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कर्नाटक द्वारा लिखा गया है।
पुस्तक का विमोचन करते हुए कुलपति प्रो. जोशी ने पुस्तक को बेहद उपयोगी बताया। इस अवसर पर प्रो. ललित तिवारी, डा. सुचेतन साह, डा. विजय कुमार, डा. सोहेल जावेद, विधान चौधरी व मदन बर्गली आदि लोग मौजूद रहे।

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