फर्जी डिग्री से डॉक्टरी करने वाले एक महिला व एक पुरुष फर्जी चिकित्सक गिरफ्तार…
नवीन समाचार, देहरादून, 8 फरवरी 2023। देहरादून पुलिस ने हरिद्वार जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र से दो फर्जी चिकित्सकों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से पुलिस ने बीएएमएस यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिकल एंड सर्जन की फर्जी डिग्री बरामद की है। हालांकि दोनों चिकित्सक वर्तमान में प्रैक्टिस नहीं कर रहे थे। गौरतलब है कि देहरादून पुलिस बीएएमएस की फर्जी डिग्री के मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई: ग्रीन बेल्ट में किए गए तीन मंजिला भवन पर चल रहा हथौड़ा….
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम अशफाक और ज्योति हैं। दोनों हरिद्वार जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के ही रहने वाले हैं। पुलिस के अनुसार अशफाक ने मामले के मुख्य आरोपित इसलाख को बीएएमएस की डिग्री के लिए करीब सात लाख रुपए और ज्योति ने 50 हजार रुपए दिए थे। पुलिस के अनुसार दोनों सरकारी नौकरियों के आवेदन कर रहे हैं। अलबत्ता, फिलहाल दोनों आरोपित अपने क्षेत्र में किसी भी तरह की प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : फिर कोरोना ने चौंकाया, एक विद्यालय में 9 छात्र-छात्राओं सहित 16 लोग मिले कोरोना संक्रमित
एसएसपी दिलीप सिंह कुंवर ने बताता कि पूछताछ में आरोपित ज्योति ने पुलिस को कहा कि वह सहारनपुर जिले के छुटमलपुर में स्थित कृष्णा कालेज में रिसेप्शनिस्ट का कार्य करती थी। वहीं पर उसकी मुलाकात इमलाख से हुई। इमलाख ने 50 हजार रुपए में ज्योति को पहले 12वीं की फर्जी मार्कशीट व डिग्री तथा साल 2017 में बीएएमएस की फर्जी डिग्री उपलब्ध कराई थी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, देहरादून, 6 फरवरी 2023। बीते दौर में लोग अपने बच्चों की जन्मतिथि में आम तौर पर छेड़छाड़ किया ही करते थे, लेकिन आज के दौर में बच्चों के जन्म प्रमाण पत्रों में जन्मतिथि से छेड़छाड़ करना भारी पड़ सकता है। एक मां अपने बच्चे को अच्छे विद्यालय में प्रवेश दिलाने की चाहत में जेल जाना पड़ गया। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के एक विद्यालय में आयोग की जांच में मिली पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की तस्वीर…
मामला देहरादून स्थित आरआईएमसी यानी राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज का है। यहां एक महिला ने अपने बेटे के आठवीं कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए दो बार आवेदन किया और दोनों बार अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र लगा दिए। विद्यालय ने जांच की तो दो जन्म प्रमाण पत्र लगाने का खुलासा हो गया। इस पर विद्यालय की ओर से महिला के विरुद्ध पुलिस में शिकायत की गई। इस पर पुलिस ने जांच के बाद न केवल अभियोग पंजीकृत कर लिया बल्कि आरोपित महिला मालविका को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह भी पढ़ें : प्यार बांटते चलो…. ‘नवीन समाचार’ की नई विशेष योजना
देहरादून की एसपी सिटी सरिता डोभाल ने के आधार पर पूरी घटना की जानकारी देते हुए बताया कि थाना कैंट में आरआईएमसी की ओर से एक शिकायत दी गई है कि एक छात्र का कक्षा आठ में प्रवेश हुआ था। उसके प्रमाण पत्र के सत्यापन के दौरान पता चला कि उसने दो बार प्रवेश के लिए आवेदन पत्र भरे थे और दोनों बार आवेदन पत्र के साथ अलग-अलग तिथियों के जन्म प्रमाण पत्र लगाए गए थे। इस संबंध में छात्र की मां मालविका के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 468 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, देहरादून, 28 जनवरी 2023। उत्तराखंड पुलिस की एसओजी ने राज्य में फर्जी कागजातों से चिकित्सक बनकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ रहे चार और फर्जी चिकित्सकों को गिरफ्तार किया है। इससे पूर्व भी एक सप्ताह पहले देहरादून से एक फर्जी चिकित्सक और दो कॉलेज संचालकों को गिरफ्तार किया गया था। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की युवती से धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हुए उत्पीड़न की हदें कीं पार… शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया, गर्भपात कराया, प्रतिबंधित मांस खिलाया, देह-व्यापार में धकेला…
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसटीएफ ने शिकायत मिलने के बाद पिछले सप्ताह इस मामले की जांच शुरू की तो उनके हत्थे दो फर्जी चिकित्सकों सहित उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से फर्जी डिग्री बनाने वाले कॉलेज संचालक की गिरफ्तारी की थी। इसके बाद इस मामले की जांच जिला पुलिस को सौंप दी गई थी। यह भी पढ़ें : दरोगा ने सर्विस के लिए दी थी गाड़ी, मिली तो परखच्चे उड़े थे… करना पड़ा मुकदमा दर्ज..
अब इस मामले की जांच कर रही देहरादून पुलिस ने थाना रायपुर क्षेत्र से 4 फर्जी चिकित्सकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से फर्जी डिग्री भी बरामद की गई है। इस तरह इस पूरे मामले में अब तक 6 फर्जी चिकित्सकों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जो फर्जी डिग्री के सहारे अपना क्लीनिक चला रहे थे। यह भी पढ़ें : बड़ा समाचार : उत्तराखंड में सर्वाधिक (30%) तेज़ी से बढ़ती मतदाताओं की संख्या व बदलती डेमोग्रेफी की जाँच के आदेश….
इसके अलावा फर्जी चिकित्सकों की डिग्री बनाने वाले दो भाइयों में से एक भाई को एसटीएफ पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है जबकि दूसरा भाई अभी भी फरार चल रहा है। इन दोनों भाइयों की संपत्ति को लेकर पुलिस अब प्रवर्तन निदेशालय को भी जानकारी साझा करने वाली है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पुलिस का फर्जी दरोगा बनकर होटलों में दोस्तों के साथ उड़ाता था मुफ्त की मौज, एक गलती पड़ी भारी…
नवीन समाचार, हरिद्वार, 25 जनवरी 2023। उत्तराखंड पुलिस ने एक ऐसे फर्जी पुलिस वाले को गिरफ्तार किया है जो होटलों में दोस्तों के साथ मुफ्त की मौज उड़ाता था। इस बार उसकी एक गलती उस पर भारी गई। एक होटल संचालक ने उसकी चालाकी पकड़ ली। फलस्वरूप वह सलाखों के पीछे पहुंच गया है। यह भी पढ़ें : फिल्म की शूटिंग के बहाने नैनीताल की नाबालिग छात्रा की अश्लील फिल्म बनाई
हरिद्वार पुलिस ने बुधवार को पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपित हरिद्वार, देहरादून और मसूरी जैसी जगहों पर जाकर होटलों में दिल्ली पुलिस का फर्जी एएसआई का कार्ड दिखाकर वहां फ्री में रुकता था और अपने दोस्तों के साथ होटल में फ्री में पार्टी भी करता था। होटल वाले जब आरोपित से पैसे मांगते थे तो वह उन्हें दिल्ली पुलिस के एएसआई होने का रौब दिखाता था और होटल संचालक या मैनेजर को थाने में बंद करने की धमकी देता था। पुलिस ने बताया कि आरोपित हरिद्वार में पहले भी ऐसा कर चुका है। लेकिन दूसरी बार उसने एक गलती कर दी, जिससे होटल संचालक को उस पर संदेह हो गया और वह फंस गया। यह भी पढ़ें : दुःखद ब्रेकिंग : नगर पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी के पिता का निधन, शोक की लहर
दरअसल, आरोपित अपने दोस्तों के साथ बीती 25 दिसंबर को हरिद्वार के एक होटल में पहुंचा था। होटल संचालक को आरोपित ने खुद को दिल्ली पुलिस का एएसआई बताया था। आरोपित ने होटल में अपना नाम-पता हिमांशु हैप्पी निवासी 814 पाना महान गांव बवाना थाना बवाना नॉर्थ वेस्ट दिल्ली बताया था। पुलिस के मुताबिक 25 दिसंबर को आरोपित ने अपने दोस्तों के साथ होटल में पार्टी की और 26 दिसंबर को बिना कमरे और खाने-पीने का बिल दिए चला गया था। इसके बाद बीती 17 जनवरी को आरोपित दोबारा हरिद्वार के उसी होटल में पहुंचा। इस बार उसने अंकित शहरावत के नाम की आईडी दिखाई, और होटल संचालक को करीब 14 हजार रुपए का चूना लगाया। इस पर होटल संचालक को उस पर शक हुआ और उसने पुलिस से शिकायत की। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में और महंगा होगा जमीन खरीदना, कैबिनेट में प्रस्ताव की तैयारी
इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपित की तलाश में हरिद्वार पुलिस की एक टीम दिल्ली पहुंची और वहां से उसे गिरफ्तार किया। हरिद्वार की नगर कोतवाल भावना कैथोला ने बताया कि आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है, आरोपित का नाम हिमांशु हैप्पी है, जो दिल्ली का ही रहने वाला है। आरोपित के पास से दिल्ली पुलिस का फर्जी कार्ड भी बरामद हुई है, जबकि एक फर्जी मैट्रो कार्ड आईडी शिवराज मीना के नाम से मिला है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : 23 वर्षों से सरकारी शिक्षक के रूप में बच्चों का भविष्य बर्बाद करता रहा इंटर फेल, ऐसे खुला राज…
नवीन समाचार, सितारगंज, 22 जनवरी 2023। एक इंटर फेल व्यक्ति शिक्षा विभाग में 23 वर्षों तक फर्जी तरीके से शिक्षक बनकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करता रहा, लेकिन इसकी भनक किसी को नहीं लग पायी। यह भी पढ़ें : 8वीं कक्षा की छात्रा पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंची अस्पताल, निकली 12वीं के छात्र की हरकत से 9 माह की गर्भवती…
प्राप्त जानकारी के अनुसार हरि किशोर नाम का आरोपित आनंद स्वरूप के फर्जी नाम से 23 वर्षों तक राजकीय प्राथमिक विद्यालय जेल कैम्प रूदपुर, शक्तिफार्म में शिक्षक के पद पर कार्यरत रहा। इधर उसकी आनंद स्वरूप के नाम से लगाई गई बीटीसी की डिग्री जांच में फर्जी निकली। इससे उसका राज खुल गया। यह भी पढ़ें : डोली उत्तराखंड में धरती…..
उसने आनंद स्वरूप के अनुक्रमांक से प्रमाणपत्रों की गुमशुदी दर्ज करा कर यूपी बोर्ड से डुप्लीकेट सर्टिफिकेट निकाल लिए थे। अपने इस फर्जीवाड़े का राज बचाने के लिए उसने विद्यालय में नौकरी के दौरान कभी भी अपनी फोटो नहीं खिचवाई। अपने बैंक खाते में आधार कार्ड भी लिंक नहीं किया था। वह बैंक से लेन-देन भी नगद ही करता था। यह भी पढ़ें : उफ ऐसा समाज भी, देवर ने किया भाभी से दुष्कर्म, ससुर से शिकायत की तो उसने भी किया मुंह काला…
इसके अलावा पुलिस की जांच में सामने आया है कि हरि किशन शुरू से ही शातिर दिमाग का रहा है। वह इंटर में फेल हुआ तो उसे आनंद स्वरूप नाम के युवक का अनुक्रमांक किसी के माध्यम से मिल गया। हरिकिशन ने कांठ थाना शाहजहांपुर यूपी में आनंद स्वरूप के शैक्षिक, जाति व दूसरे प्रमाणपत्र खोने की रिपोर्ट लिखाई, और यूपी बोर्ड से डुप्लीकेट सर्टिफिकेट जारी करवा लिए। यह भी पढ़ें : व्यवसायी ने किराएदार युवती के बाथरूम में लगाया हिडन कैमरा !
दूसरे व्यक्ति के इन्हीं सर्टिफिकेट के माध्यम से उसने आनंद स्वरूप के नाम से वर्ष 2002-03 में बीटीसी की फर्जी डिग्री बनवाकर नारायणपुर जसपुर का पता लिखकर उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली। 23 वर्ष तक उसकी इस हरकत को कोई नहीं पकड़ पाया। लेकिन इधर प्रदेश में अध्यापकों की शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच हुई तो आनन्द स्वरूप की बीटीसी की डिग्री फर्जी निकली। इससे उसका राज परत-दर-परत फास हो गया। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में 28-28 लाख रुपए देकर बने 36 डॉक्टर निकले फर्जी, फर्जी डिग्रियां बनाने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश, भारतीय चिकित्सा परिषद तक भी जांच की आंच…
नवीन समाचार, देहरादून, 11 जनवरी 2023। उत्तराखंड की एसटीएफ विशेष जांच दल ने बीएएमएस की फर्जी डिग्री तैयार कर इन्हें बेचने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह का सरगना इकलाख उत्तर प्रदेश के शेरपुर मुजफ्फरनगर का रहने वाला और हिस्ट्रीशीटर है। आरोपित वहां अपने भाई इमरान के साथ मिलकर बाबा ग्रुप आफ कालेज के नाम से मेडिकल कालेज संचालित करता है। उसका गिरोह राजीव गांधी हेल्थ एण्ड साइंस यूनिवर्सिटी कर्नाटक के नाम से फर्जी डिग्री तैयार कर 28 से 30 लाख रुपये में बेचता था। एसटीएफ ने उत्तराखंड में 36 ऐसे फर्जी बीएएमएस डिग्रीधारकों को चिह्नित किया है। उन्होंने यहां भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराया हुआ है। यह भी पढ़ें : 22 वर्षीय युवक की सिर में करीब से सटाकर गोली मारकर हत्या
उत्तराखण्ड एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुश अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक माह से एसटीएफ द्वारा उत्तराखण्ड में प्रैक्टिस कर रहे बीएएमएस की फर्जी डिग्री वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सम्बन्ध में जांच की जा रही थी। इसकी प्रारम्भिक जांच में पाया गया कि उत्तराखण्ड राज्य में कई आयुर्वेदिक चिकित्सक बीएएमएस की फर्जी डिग्री धारण किये हुये हैं। फिर भी उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड में चिकित्सा अभ्यास का पंजीकरण करा लिया है, तथा फर्जी पंजीकरण के आधार पर उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानो पर बीएएमएस डाक्टर के रूप में अपने निजी अस्पताल या क्लीनिक चला रहे हैं, और आम जनमानस के स्वास्थ व जीवन के साथ खिलवाड़ कर अवैध धन अर्जित कर रहे है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में शुरू हुई फिल्म एम्बापा की शूटिंग, राजपाल दूसरी बार शूटिंग के लिए पहुंचे…
श्री अग्रवाल ने यह भी बताया कि प्रारम्भिक जांच में कई आर्युवैदिक चिकित्सकों का फर्जीवाड़ा पाया गया और ऐसे करीब 36 चिकित्सकों को चिन्हित कर उनके संबंध में संबंधित चिकित्सा बोर्ड से सूचना मांगी गई तो ज्यादातर फर्जी आयुर्वेदिक चिकित्सकों की डिग्री राजीव गांधी हेल्थ एण्ड साइंस यूनिवर्सिटी कर्नाटक की पाई गई। जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि यह डिग्रियां पूर्णतया फर्जी हैं। इन्हें बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफफरनगर के मालिक इमरान और इकलाख ने तैयार कराया है। यह भी पढ़ें : हनी ट्रैप: भारी पड़ा अन्जान महिला से वीडियो कॉल पर बात करना…
इसके बाद मंगलवार 10 जनवरी 2023 को एसटीएफ देहरादून की पहली टीम ने आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रीतम सिंह एवं मनीष अली को गिरफ्तार किया। दोनों फर्जी बीएएमएस की डिग्री से भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन करके कमशः प्रेमनगर और रायपुर में अपने क्लिीनिक खोल कर चिकित्सा अभ्यास कर रहे थे। गिरफ्तार आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने करीब 28 लाख रुपए में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफफरनगर के मालिक इकलाख एवं इमरान निवासी गुजफ्फरनगर से प्राप्त की है। इकलाख के बारे में जानकारी की गयी तो वह कोतवाली मुजफफरनगर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर निकला। उसने अपने भाई इमरान के साथ बरला थाना क्षेत्र मुजफ्फनगर में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के नाम से मेडिकल डिग्री कॉलेज भी खोला हुआ है जो कि बीफार्मा, बीए, बीएससी, आदि के कोर्स संचालित करता है। यह भी पढ़ें : पुलिस के प्रयासों से बदली नैनीताल के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तस्वीर
वहीं, एसटीएफ की दूसरी टीम ने बाबा मेडिकल कॉलेज मुजफ्फरनगर में दबिश देकर इमरान पुत्र इलियास निवासी शेरपुर मुजफ्फरनगर को कॉलेज से ही गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से एसटीएफ को कई राज्यों के विश्वविद्यालयों की फर्जी बिना नाम की डिग्रियां, फर्जी मुद्राएं एवं फर्जी पेपर एवं कई अन्य कूट रचित दस्तावेज बरामद किए गए। इमरान ने पूछताछ में बताया कि उसने उत्तराखंड एवं कई अन्य राज्यों में सैकड़ों चिकित्सकों को इस तरह की फर्जी डिग्री लाखों रुपए लेकर दिलाई हैं। एसटीएफ टीम के दबिश की सूचना मिलने पर इमरान का भाई इकलाख फरार हो गया। एसएसपी ने बताया कि इस मामले में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड द्वारा इन फर्जी डिग्रियों के आधार पर उत्तराखण्ड में पंजीकृत करने तथा एसटीएफ को जांच में पत्राचार करने के उपरान्त भी सहयोग नहीं करने पर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता के संबंध में भी जांच की जा रही है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाए 14 शिक्षकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज, 28919 पर अभी और लटकी है तलवार
नवीन समाचार, देहरादून, 12 जुलाई 2021। उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेजों के जरिए बने 14 शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। ये सभी रुद्रप्रयाग जिले में तैनात हैं। इन फर्जी शिक्षकों के नाम व विद्यालय हैं-कांति प्रसाद राप्रावि जैली, संगीता बिष्ट राप्रावि कैलाशनगर, मोहन लाल राप्रावि सारी, महेंद्र सिंह राप्रावि लुखंद्री, राकेश सिंह राप्रावि धारतोन्दला, माया सिंह राप्रावि जयकंडी, विरेंद्र सिंह जनता जूनियर हाईस्कूल जखन्याल, विजय सिंह राप्रावि भुनाल गांव, जगदीश लाल राप्रावि जौला, राजू लाल राप्रावि जग्गीबगवान, संग्राम सिंह राप्रावि स्यूर बरसाल, मलकराज सिंह राप्रावि जगोठ, रघुवीर सिंह जूनियर हाईस्कूल जखन्याल व महेंद्र सिंह राप्रावि रायडी सभी जिला रुद्रप्रयाग। उल्लेखनीय है आगे अपर पुलिस अधीक्षक सीआईडी लोकजीत सिंह ने बताया कि एसआईटी वर्ष 2012 से 16 तक नियुक्त शिक्षकों में से अब तक 35,722 दस्तावेजों का परीक्षण हो चुका है, जबकि 28,919 दस्तावेज चेक किए जाने बाकी हैं।
आरोप है कि इनमें से ज्यादातर लोगों ने मेरठ के एक कालेज से फर्जी तरीके से बीएड की डिग्री हासिल की थी। गृह विभाग के आदेश पर एसआईटी राज्य में फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाने वाले शिक्षकों की जांच कर रही है। डीआईजी एनएस नपल्च्याल के पर्यवेक्षण में अपर पुलिस अधीक्षक व एसआईटी का नेतृत्व कर रहे लोकजीत सिंह के निर्देशन पर अब तक 80 शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी पाए गए, जिनके खिलाफ विभिन्न थानों में मुकदमे दर्ज हैं। अपर पुलिस अधीक्षक लोकजीत सिंह ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले में ऐसे 25 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए थे। इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए महानिदेशक (शिक्षा) को सिफारिश की गई थी। शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया है कि इनमें 14 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें : जिला पंचायत उपाध्यक्ष पर चुनाव में फर्जी दस्तावेज लगाने पर मुकदमा दर्ज..
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 08 अक्टूबर 2020। ऊधमसिंह नगर के जिला पंचायत उपाध्यक्ष पर वर्ष 2019 में हुए जिला पंचायत चुनाव में फर्जी दस्तावेज व झूठा शपथपत्र लगाने के आरोप में डीएम रंजना राजगुरु के आदेशों पर मुकदमा दर्ज हो गया है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष विजय नगर दिनेशपुर निवासी त्रिनाथ विश्वास पर मुकदमा भारतीय दंड संहिता की धारा 420 सहित अन्य धाराओ में पंतनगर थाने में जिला पंचायत राज अधिकारी विद्या सिंह सौमनाल की तहरीर पर दर्ज किया गया है। मामले की जांच सिडकुल चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक अनिल उपाध्याय को सौंपी गई है।
उल्लेखनीय है कि कालीनगर निवासी यूथ कांग्रेस के कुमाऊं सोशल मीडिया प्रभारी किशोर कुमार हालदार ने 20 जून को चुनाव आयोग में शिकायत की थी कि 23 सितंबर 2019 को त्रिनाथ विश्वास ने अपने नामांकन पत्र में जन्म प्रमाण पत्र के रूप में हाईस्कूल की फर्जी मार्कशीट लगाई थी और चुनाव में धोखाधड़ी कर प्रतिभाग किया था। इस चुनाव में वह विजयी हुए थे। मामले में चुनाव आयोग द्वारा जांच कराई गई। जांच में दो दिन पूर्व 6 अक्तूबर को उनकी हाईस्कूल की मार्कशीट फर्जी पाई गई। इसके बाद जिलाधिकारी द्वारा मामले में जिला पंचायत उपाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।
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यह भी पढ़ें : 10 लाख का चूना लगाने वाली चीन की महिला चार दिन यहां रही, न पुलिस-स्वास्थ्य विभाग को भनक लगी, न कोरोना जांच हुई..

नवीन समाचार, काशीपुर, 9 मार्च 2020। 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की आरोपित कोरोना प्रभावित चीन के हांगकांग की एनआरआई महिला काशीपुर स्थित अपने मानपुर स्थित आरके फ्लोर मिल के समीप स्थित मूल घर पहुंची और 18 से 22 फरवरी तक चार दिन यहां रहकर चली भी गई, मगर स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक ही न लगी। यह भी तब पता चला, जब पुलिस उसके खिलाफ ठगी के एक मामले में दर्ज मुकदमे की जांच के लिए उसके आवास पर पहुंची। तब उसके मकान में रहने वाले किरायेदारों ने उसके चार दिन यहां रहकर चले जाने की जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार भारतीय मूल की चीनी महिला रनजीत कौर पत्नी राजगिल चीन के हांगकांग में रहती है। वह यहां अक्सर आती-जाती रहती है। मानपुर निवासी बलविंदर सिंह ने उक्त महिला पर गत वर्ष कोतवाली पुलिस को तहरीर सौंपकर आरोप लगाया था कि उसके बेटे की विदेश में नौैकरी लगवाने के नाम पर उसने 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। बलविंदर ने तहरीर पर कोई कार्रवाई न होते देख काशीपुर के अपर सत्र न्यायालय का सहारा लिया। कोर्ट ने पुलिस को 29 जनवरी को केस दर्ज करने के आदेश दिए, पुलिस ने छह मार्च को केस दर्ज करने के बाद जब महिला के मानपुर फ्लोर मिल स्थित स्थानीय पते पर जाकर जानकारी हासिल की तब उसके मकान में रहने वाले किरायेदारों से पता चला कि महिला तो यहां 18 फरवरी को आई थी और 22 फरवरी को चली भी गई। यानी चार दिन यहां रहकर महिला जा चुकी है। यह सुन पुलिस में हड़कंप मच गया। चार दिन रहकर जाने के बाद भी इसकी भनक न लगने से अधिकारी बेचैन हो उठे, वहीं कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम भी दौड़ पड़ी।एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. पीके सिन्हा ने बताया कि चीन के पासपोर्ट पर हांगकांग से एनआरआई महिला रनजीत कौर 18 फरवरी को भारत आई थी और 22 फरवरी को उसके चले जाने की जानकारी मिली है। पर वह कहां गई, यह पता नहीं चला है। किराएदारों ने यह जरूर बताया है कि वह स्वस्थ दिख रही थी। इसके अलावा कोई जानकारी वह नहीं दे सके हैं।
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-पुलिस ने की गिरफ्तारी, दिसंबर 2018 में हुआ था कुमाऊं विवि के फर्जी प्रमाणपत्रों से 45 भारतीयों के विदेश जाने का बड़ा खुलासा

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 फरवरी 2020। कुमाऊं विवि के दिसंबर 2018 में कुमाऊं विवि के फर्जी डिग्रियों व अंक तालिकाओं आदि प्रमाणपत्रों से 45 भारतीयों के विदेश जाने का बड़ा खुलासा हुआ था। डिग्रियों के फर्जीवाड़े के इस बहुचर्चित मामले में बृहस्पतिवार को पुलिस को सफलता मिली है। इस मामले में फर्जी डिग्रियां बनाने में आरोप में पुलिस ने जिन 6 महिलाओं सहित 19 लोगों को नामजद किया गया था, उनमें से मुंबई निवासी एक महिला आरोपित बृहस्पतिवार को पुलिस के बुलावे पर स्वयं मल्लीताल कोतवाली पहुंची, जहां उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया। पुलिस के अनुसार न्यायालय के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया है। उसकी गिरफ्तारी में मल्लीताल कोतवाल अशोक कुमार सिंह व महिला उप निरीक्षक पुष्पा बिष्ट ने मुख्य भूमिका निभाई। कोतवाल सिंह ने बताया कि महिला को पुलिस ने दबाव बनाकर आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाणपत्र व अंकतालिकाएं बनाने का मामला दिसंबर 2018 में प्रकाश आया था। इसके बाद 7 जनवरी 2019 को कुविवि के कुलसचिव डा. महेश कुमार की ओर से मल्लीताल कोतवाली पुलिस में दी गई तहरीर पर मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने अनुज मित्तल, गुरविंदर सिंह, सौरभ गुप्ता, अमित प्रेमजी, साहिब इकबाल सिंह, अमनिंदर सिंह, अवतार सिंह, संदीप सिंह, जिबनू राठौर, वरुण खुराना करण मेहरा, जोध्रवीर सिंह, व 6 महिलाओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 व 468 के तहत नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। इन लोगों पर कुमाऊं विवि की बीए, बीटेक मैकेनिकल, डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग, बीएससी कंप्यूटर साइंस, एमबीए फाइनेंस, फाइनेंस एंड मार्केटिंग, एमबीए आईटी, बीसीए, एमसीए, एमबीए प्रोडक्शन मैनेजमेंट, बीकॉम, एमए व बीएससी हेल्थकेयर मैनेजमेंट आदि की फर्जी डिग्रियां बनाने के आरोप हैं, जबकि इनमें से कई कोर्स एवं डिग्रियां कुमाऊं विश्वविद्यालय के द्वारा कराई ही नहीं जाती हैं।
ऐसे आया मामला प्रकाश में
नैनीताल। विदेश जाने अथवा महत्वपूर्ण नौकरियों के लिए कुछ एजेंसियां निर्धारित शुल्क लेकर डिग्रियों की जांच करवाती हैं। ऐसी ही 2-3 भारतीय, कनाडा की वर्ल्ड एजुकेशन सर्विस और आस्ट्रेलिया की ऐसी ही एजेंसियों से कुमाऊं विवि के परीक्षा विभाग को मिली डिग्रियों में से 19 लोगों की 21 डिग्रियां जांच में पूरी तरह से फर्जी पायी गयी थीं। यह प्रमाण पत्र कुविवि के फर्जी लेटरहेड और फर्जी मुहर से बनाए गए थे। इनमें पूर्व कुलपति प्रो. एचएस धामी के फर्जी हस्ताक्षर कुलसचिव के स्थान पर किए गए थे जबकि नियमानुसार प्रमाणपत्रों पर कुलसचिव के हस्ताक्षर होते ही नहीं हैं, बल्कि कुलपति तथा परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर होते हैं। कुमाऊं विवि ने संबंधित एजेंसियों को ईमेल के जरिये उन लोगों के पते, संपर्क सूत्र, फोन नंबर आदि की जानकारी पूछी, किंतु किसी भी एजेंसी से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद विवि की ओर से कुलसचिव डा.महेश कुमार ने 19 लोगों के खिलाफ पुलिस में नामजद तहरीर दी।
पूर्व समाचार : कुमाऊं विवि के फर्जी प्रमाणपत्रों से 45 भारतीयों के विदेश जाने का बड़ा खुलासा…
-विदेश मंत्रालय से जांच को आए 45 प्रमाणपत्र फर्जी निकले, कुविवि के फर्जी लेटरहेड और मुहर से बनाए गए हैं प्रमाणपत्र, विवि इन डिग्रीधारकों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में
नवीन पालीवाल @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 दिसंबर 2018। कुमाऊं विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर कम से कम 45 लोगों के विदेश जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। विदेश मंत्रालय की ओर से सत्यापन के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय को भेजे गए प्रमाण पत्रों में से 45 प्रमाणपत्र जांच में फर्जी पाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय की ओर से आए संदिग्ध प्रमाणपत्रों में से ज्यादातर प्रमाणपत्र कनाडा तथा अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं, और अधिकांश बीएड और एमबीए की डिग्री के हैं। अब कुमाऊं विवि प्रशासन इन फर्जी डिग्रीधारकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
बताया गया है कि वर्ल्ड एजुकेशन सर्विस (डब्ल्यूईएस) कनाडा, अमेरिका सहित अन्य विदेशी संस्थाओं ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से 45 संदिग्ध अंकतालिकाएं और प्रमाण पत्र कुमाऊं विश्वविद्यालय को सत्यापन के लिए भेजे हैं। इनमें बीएड तथा एमबीए के ज्यादातर प्रमाणपत्र हैं। इनमें हरप्रीत कौर, असमीन बजाज, सौरभ गुप्ता, मनप्रीत कौर, अमृतप्रेम आदि के नाम प्रकाश में आये हैं। जांच में पता चला कि ये सभी प्रमाण पत्र कुविवि के फर्जी लेटरहेड और फर्जी मुहर से बनाए गए हैं। इनमें पूर्व कुलपति प्रो. एचएस धामी के फर्जी हस्ताक्षर कुलसचिव के स्थान पर किए गए हैं। जबकि नियमानुसार प्रमाणपत्रों पर कुलसचिव के हस्ताक्षर होते ही नहीं हैं, बल्कि कुलपति तथा परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर होते हैं। दावा है कि प्रमाणपत्र पर लगे मुहर तथा हस्ताक्षरों की नकल विवि की वेबसाइट से की गई है। कुविवि के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र बनाने का खुलासा होने के बाद अब विवि प्रशासन कर्रवाई करने की तैयारी में है। बताया गया है कि राज्य गठन से पूर्व भी ऐसे मामले सामने आए थे। जिसमें कुविवि के फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा रहे थे। विवि प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए मामले में केस दर्ज किया गया था। जांच शुरू होने के बाद विवि के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्रों का यह गोरखधंधा बंद हो गया था। लेकिन एक बार फिर फर्जी डिग्रियों का धंधा सामने आया है। कुलपति प्रो. डीके नौड़ियाल ने कहा है कि इस मामले में फर्जी डिग्री धारकों तथा उन्हें बनाने वालों के नाम, पता समेत अन्य जानकारी एकत्रित की जा रही है। तथा आगे संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अप्रैल 2019। कुमाऊं मंडल के अपर शिक्षा निदेशक की डिग्रियों की एक बार पुनः जांच के आदेश दिये गये हैं। उत्तराखंड सीएम हेल्पलाइन 1905 पर हल्द्वानी निवासी भास्कर बृजवासी ने आरोप लगाया है कि सती के द्वारा वर्ष 1989-90 में हल्द्वानी में नौकरी करते हुए अल्मोड़ा के कॉलेज से बीएडी की संस्थागत छात्रों के रूप में डिग्री तथ्यों को छुपाकर व जालसाजी से प्राप्त की गयी, तथा इस डिग्री की आढ़ पर माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक का पद प्राप्त किया है। एसएसपी नैनीताल के 31 जनवरी 2019 को आदेश के बावजूद शिक्षा विभाग इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। पुलिस जांच में फर्जीवाड़ा साबित हुआ है और माध्यमिक शिक्षा सचिव के द्वारा इस मामले को दबाया जा रहा है। इस शिकायत पर 5 अप्रैल को अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड को जांच अधिकारी नामित करते हुए प्रकरण की जांच कर जांच आख्या प्रस्तुत करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भी तब इसी शिकायतकर्ता के द्वारा इसी तरह की शिकायत पर अपर निदेशक पद से हटाकर डायट के प्राचार्च बनाये गये डा. मुकुल सती के मामले की जांच एसएसपी नैनीताल के द्वारा की गयी थी। इसके बाद एसएसपी ने 50 पेज की जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी थी। बताया गया था कि इतनी लंबी जांच रिपोर्ट के बावजूद कुछ भी साफ तौर पर नहीं बताया गया। इसके बाद ही उनकी अपर शिक्षा निदेशक-माध्यमिक के पद पर वापसी हुई थी। इधर पूछे जाने पर डा. सती ने कहा कि कई बार उनकी डिग्री की जांच हो चुकी है, और हर बार उन्हें क्लीन चिट मिली है। बावजूद शिकायतकर्ता निजी कारणों से बार-बार अलग-अलग स्तर पर शिकायत करते रहते हैं। वे हमेशा जांच को तैयार हैं।
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नवीन समाचार नैनीताल 5 फरवरी 2019। डायट के प्राचार्य डॉ मुकुल सती की डिग्री के मामले में एसएसपी नैनीताल ने 50 पन्ने की जांच रिपोर्ट तैयार कर पुलिस मुख्यालय को भेज दी है। लेकिन इतनी लंबी रिपोर्ट के बावजूद रिपोर्ट में कुछ भी साफ नहीं है। रिपोर्ट में वही बातें कही गई हैं जो हम पहले भी कह चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार कुमाऊं विश्वविद्यालय ने अल्मोड़ा से B.Ed की डिग्री करने की बात कही है लेकिन यह साफ नहीं है यह डिग्री नियमानुसार ली गई है अथवा नहीं।
कुमाऊं विवि ने डॉक्टर पंत को B.Ed की डिग्री करने की बात स्वीकार की है, अलबत्ता विवि ने इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए साफ कर दिया है कि यदि कोई भी व्यक्ति तथ्यों को छिपाता है तो वह उसकी जिम्मेदारी है। कुमाऊं विवि सीनेट सदस्य हुकुम सिंह कुंवर की ओर से शिकायती पत्र कुलाधिपति को भेजा गया था। वहां से मामला डीजीपी तक पहुंचा तो एसपी शिकायत प्रकोष्ठ द्वारा मामले को एसएसपी नैनीताल को जांच के लिए भेजा गया। मल्लीताल कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक द्वारा डिग्री मामले की जांच करवा कर रिपोर्ट एसएसपी को भेजी गई है। एसएसपी ने 31 जनवरी को मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी। जिसमें कहा गया है कि डॉ मुकुल सती द्वारा 1989 में अस्थाई अध्यापक रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान के पद पर कार्य कर मानदेय प्राप्त किया। जिसकी पुष्टिï उपस्थिति पंजिका व मानदेय रसीद से होती है। छह जुलाई 1990 को प्रवक्ता रसायन विज्ञान में नियुक्ति ली। बीएड की डिग्री मामले में रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अल्मोड़ा कंसल्टेंसी कॉलेज अल्मोड़ा की सत्र 1989-90 की की उपस्थिति पंजिका उपलब्ध नहीं होने की वजह से यह नहीं कहा जा सकता कि सती द्वारा किस-किस तारीख को अल्मोड़ा कॉलेज जाकर कक्षाएं ली गई। जब कुमाऊं विवि से इस संबंध में संपर्क साधा गया तो विवि द्वारा बताया गया कि डिग्री विवि से जारी है। विवि ने साफ किया है कि कोई भी व्यक्ति यदि तथ्यों को छिपाकर डिग्री हासिल करता है तो यह उसकी जिम्मेदारी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि हरिदत्त इंटर कॉलेज हल्द्वानी में जुलाई 1989 से 1990 तक डॉ सती द्वारा विद्यालय से मानदेय प्राप्त किया गया है, लेकिन विद्यालय द्वारा सती का अस्थाई अध्यापक पद पर कोई नियुक्ति का आदेश उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसी साल सती द्वारा अल्मोड़ा से बीएड की डिग्री हासिल की गई मगर कॉलेज से उपस्थिति पंजिका उपलब्ध नहीं हुई। एसएसपी ने रिपोर्ट को संलग्न करते हुए मामले की जांच शिक्षा विभाग को रेफर कर दिया है। यहां उल्लेखनीय है कि इस मामले की लोकायुक्त उत्तराखंड, प्रमुख सचिव शिक्षा से जांच हो चुकी है, जिसमें सती को क्लीन चिट मिल चुकी है। पूर्व में एसएसपी नैनीताल द्वारा भी जांच हुई मगर उसका नतीजा भी सती के पक्ष में रहा। सती का साफ कहना है कि शिकायतकर्ता के निजी स्वार्थों की पूर्ति नहीं हुई, इसलिए उसके द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है।
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-कोतवाली पुलिस ने अब तक शिकायत दर्ज नहीं की है, अलबत्ता उपनिरीक्षक आशा बिष्ट से जांच तलब की है, आगे संबंधित विभाग को जांच संदर्भित करने की है तैयारी
नवीन समाचार, नैनीताल, 24 जनवरी 2019। डायट भीमताल के प्राचार्य व कुमाऊं मंडल के पूर्व अपर शिक्षा निदेशक डा. मुकुल सती की कथित अवैध बीएड की डिग्री के मामले में राज्यपाल तक पहुंची शिकायत पर मामला परीक्षण के लिए नैनीताल एसएसपी और वहां से कोतवाली को भेजा गया है। अलबत्ता नगर कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने कहा कि मामला विभागीय नियमों से संबंधित है, इसलिए मामले को अभी दर्ज नहीं किया गया है, बल्कि जांच तलब रखा गया है और जांच उप निरीक्षक आशा बिष्ट को सोंपी गयी है। मामले को प्रारंभिक जांच पड़ताल के बाद शिक्षा विभाग एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय को भेजे जाने की तैयारी है।
इधर शिकायत के अनुसार डा. सती ने हल्द्वानी के एचएन इंटर कॉलेज में इंटर-विज्ञान वर्ग की मान्यता मिलने पर रसायन व जीव विज्ञान के प्रवक्ता के रूप में 19 जुलाई 1989 से 14 मई 1990 तक नियमित रूप से नौकरी कर अध्यापन कार्य कर रहे थे और नियमित तौर पर उपस्थित पंजिका में हस्ताक्षर भी कर रहे थे। ऐसे में वे इसी दौरान 100 किमी दूर कुमाऊं विवि के अल्मोड़ा परिसर से बीएड की कक्षा में 75 फीसद की उपस्थिति दर्ज करके कैसे बीएड की डिग्री भी हासिल कर सकते हैं, जबकि दोनों संस्थानों के खुलने व बंद होने का समय भी एक ही है।
आरोप लगाने वाले बताये जा रहे कुंवर मुकरे
नैनीताल। डायट भीमताल के प्राचार्य व कुमाऊं मंडल के पूर्व अपर शिक्षा निदेशक डा. मुकुल सती की कथित अवैध बीएड की डिग्री के मामले में शिकायतकर्ता बताये जा रहे कुमाऊं विवि के सीनेट सदस्य हुकुम सिंह कुंवर आरोपों से मुकर गये हैं। उनका कहना है कि वह शिकायतकर्ता नहीं हैं। उन्हें हल्द्वानी निवासी कुमाऊं विवि के स्नातक एवं अधिवक्ता भास्कर बृजवासी ने करीब छह माह पूर्व एक शिकायती पत्र दिया था। जिसमें कहा गया था कि डॉ. मुकुल सती ने 1989-90 में नौकरी के साथ कुमाऊं विवि के अल्मोड़ा परिसर से संस्थागत छात्र के रूप में बीएड किया। उन्होंने इस शिकायती पत्र को ऐसी अन्य शिकायतों की तरह ही कवरिंग लेटर संलग्न कर राज्यपाल के पास भेज दिया था। जिस पर राज्यपाल के स्तर से नैनीताल के एसएसपी एवं वहां से मल्लीताल कोतवाल को जांच के लिए कहा गया है।

शिकायत गलत है तो मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करायें : बृजवासी
नैनीताल। इधर शिकायतकर्ता भास्कर बृजवासी का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के सचिव, कुमाऊं आयुक्त एवं नैनीताल के डीएम को ज्ञापन देकर चुनौती देते हुए कहा है कि डा. मुकुल कुमार सती ने हल्द्वानी में नौकरी करते हुए 100 किमी दूर अल्मोड़ा से संस्थागत छात्र के रूप में बीएड की डिग्री हासिल नहीं की है, यानी उनकी शिकायत गलत है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने पुलिस को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात करते हुए सवाल उठाया कि नैनीताल पुलिस क्यों मामले को दबा रही है। उनका दावा है कि उनके बीएड करने के दौरान ही 19 जुलाई 1989 से 14 मई 1990 तक प्रबंधकीय व्यवस्था के अंतर्गत 500 रुपये प्रति विषय के मानदेय पर नियमित रूप से नौकरी करने के उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर जैसे प्रमाण उनके पास उपलब्ध हैं। उन्होंने डा. सती के विरुद्ध पूर्व में हुई जांच को भी नियमविरुद्ध करार देते हुए कहा कि जांच के दौरान शिकायतकर्ता को नहीं बुलाया गया, एवं उत्तराखंड शासन के नियमों के अनुसार शपथ पत्र पर शिकायत भी नहीं ली गयी।

बीएड की डिग्री लेने के बाद हुई नियुक्ति, फर्जी पत्रिका में विज्ञापन की वजह से पीछे पड़ा है शिकायतकर्ताः सती
नैनीताल। पूरे मामले में आरोपित डायट के प्राचार्य व कुमाऊं मंडल के पूर्व अपर शिक्षा निदेशक डा. मुकुल सती का कहना है कि उन्होंने 1989-90 के सत्र में अल्मोड़ा से बीएड की डिग्री ली है। सत्र जून तक चलता है, यानी जून 1990 तक चला। इसके बाद 5 जुलाई 1990 को उनकी नियुक्त के लिए शासन से अनुमोदन मिला है तथा 6 जुलाई 1990 से उन्होंने प्रबंधन के अंतर्गत नौकरी शुरू की है। वे बीएड की डिग्री करने के दौरान न सरकारी नौकरी में थे, और ना ही उन्होंने कोई सरकारी वेतन लिया है। पूर्व में हुई जांचों में आरोप गलत साबित हुए हैं। इससे पूर्व पढ़ाये जाने के शिकायतकर्ता के दावों पर उन्होंने कहा कि इस तिथि से पूर्व पद का अनुमोदन ही नहीं था, इसलिये वह नियुक्ति नहीं थी। बताया कि वह सरकारी नौकरी में 1999 में आये हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने 1999-2000 में ‘द आर्टिकल’ नाम की पत्रिका में विज्ञापन लिया था। इस पत्रिका के विज्ञापन का भुगतान उन्होंने रोक दिया था। इसलिये वह उनके पीछे पड़ा है। यह पत्रिका जिला सूचना अधिकारी की जांच में फर्जी पायी गयी थी।
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-एसएसजे परिसर अल्मोड़ा का मामला, पांचवे सेमेस्टर में हैं वर्तमान में, विधि संकाय एवं केंद्रीय संस्थान की ओर से नियमों में भारी हीलाहवाली
नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जनवरी 2019। कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर के विधि संकाय में नियम विरूद्ध तरीके से प्रवेश करने का मामला आया है। निकटवर्ती कोसी कटारमल स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार यादव ने पद पर रहते हुए नियम कानूनों को ताक में रखकर विधि संकाय में नियमित छात्र के रूप में विधि की शिक्षा ले रहे हैं। खास बात यह भी है कि यादव ने प्रवेश के समय अपने स्वघोषित पत्र में लिखा है कि वह किसी संस्थान में कार्यरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय मंे किसी भी नियमित पाठ्यक्रम में छात्रों को विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार वर्ष में 75 फीसद उपस्थिति होनी अनिवार्य होती है, जो कि किसी राजकीय कर्मचारी के लिए कार्य पर रहते हुए संभव नहीं हो सकता।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से यह खुलासा हुआ है। खास बात यह भी है कि कुमार ने किसी भी संस्थान में कार्य नहीं करने के कॉलम को तो नहीं काटा है, किंतु प्रवेश के साथ नीचे छोटे अक्षरों में ‘एनओसी अटैच्ड’ यानी अनापत्ति संलग्न होने की बात भी लिखी है। लिहाजा दोनों बातें विरोधाभासी हैं। इस विरोधाभास पर एसएसजे परिसर की प्रवेश समिति का गौर नहीं करना भी सवाल खड़े कर रहा है।
खास बात यह भी है कि एक केंद्रीय संस्थान में नौकरी कर रहे प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार चार सैमेस्टरों की परीक्षा पास कर चुके हैं, और वे वर्तमान में पांचवे सेमेस्टर के छात्र हैं। यह भी बताया जा रहा है कि पांचवे सेमेस्टर में केवल 12 दिन उपस्थित होने के बावजूद उन्हें यूजीसी के 75 फीसद उपस्थिति के नियमों को ताक पर रखकर परीक्षा देने की अनुमति दे दी गई। जबकि कई विद्यार्थियों को पूर्व में 75 फीसद उपस्थिति न होने पर परीक्षा देने से रोका जा चुका है। यह भी बताया जा रहा है इसी संस्थान की एक महिला कार्मिक भी इसी तरह से विधि की विद्यार्थी के रूप में अध्ययनरत हैं। इस बावत सूचना मांगने वालों की ओर से बार काउंसिल आफ इंडिया में भी शिकायत की गई है। इस संबंध में कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. डीके नौड़ियाल ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। मामले की पूरी सत्यता के साथ जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
घोषणा पत्र भी हास्यास्पट
नैनीताल। कोसी कटारमल स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के निदेशक की ओर से अपने प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार यादव को जो अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है उसमें लिखा गया है कि कुमार को नियमित विधि की पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अलबत्ता वह अवकाश से इसे ‘मैनेज’ कर पढ़ाई कर सकते है। लेकिन वे कैसे ‘मैनेज’ कर सकते हैं, यह नहंी बताया गया है। यानी अनापत्ति न दी जा सकने वाली परिस्थिति में भी दी गयी है।