-बेदखली के नोटिस को चुनौती देने वाली अतिक्रमणकारियों की 33 याचिकाओं को किया खारिज
नवीन समाचार, हल्द्वानी 6 मई 2023। हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले में नया मोड़ आ सकता है। हल्द्वानी की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नीलम रात्रा और कंवर अमनिंदर सिंह की अदालत ने वर्ष 2021 में उत्तर पूर्व रेलवे के बेदखली नोटिस के खिलाफ दर्ज 33 अपीलों को खारिज कर दिया है तथा रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को जगह खाली करने का आदेश भी दिया है। अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि भूमि रेलवे की ही है। इस पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर 2022 को रेलवे की 31.87 हेक्टेयर भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में मामला सर्वोच्च न्यायालय चला गया और सर्वोच्च न्यायालय ने गत पांच जनवरी को एक अंतरिम आदेश में इस मामले को मानवीय मुद्दा बताते हुए अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता। जबकि इधर गत दो मई को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक संबंधी अपने आदेश को याचिकाओं के लंबित रहने तक जारी रहने की बात कही है। मामले में अगली सुनवाई अगस्त माह में होगी। यानी अतिक्रमण हटाने पर फिलहाल अगस्त माह तक रोक लगी हुई है।
मामले के अनुसार एनईआर के इज्जत नगर रेल मंडल के राज्य संपदा अधिकारी ने वर्ष 2021 में रेलवे की भूमि पर कब्जा करने वालों को नोटिस जारी किया था। इस पर किदवई नगर निवासी इस्लाम पुत्र इकबाल हुसैन सहित बनभूलपुरा हल्द्वानी के अन्य लोगों ने दावा किया कि विवादित भूमि नगर पालिका की सीमा में आती है। इसलिए रेलवे की ओर से जारी नोटिस कानून के विरुद्ध है। इस पर रेलवे ने कहा कि भूमि रेलवे की ही है। इसे खाली कराने की प्रक्रिया सार्वजनिक परिसर (बेदखली) अधिनियम के तहत नियमानुसार की की जा रही है।
इस पर गत चार मई को न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि देश भर में नगर पालिका की सीमा के अंतर्गत केंद्र सरकार और अन्य केंद्रीय संगठनों की कई संपत्तियों का निर्माण किया गया है। इससे यह दावा नहीं किया जा सकता कि संबंधित विभागों के पास उस संपत्ति का स्वामित्व नहीं है। न्यायालय ने माना कि जब यह स्पष्ट है कि भूमि रेलवे की है, तो उस पर अवैध कब्जा अतिक्रमण है। इस पर रेलवे की कार्रवाई वैध है।
अदालत ने यह भी कहा है कि राज्य संपदा अधिकारी ने ऐसी कार्यवाही नहीं की, जिससे अपीलार्थियों को अन्य जानकारी एकत्रित करने का मौका न मिला हो। इन परिस्थितियों में न्यायालय का मत है कि राज्य संपदा अधिकारी ने नैसर्गिक सिद्धांत का अनुपालन किया है। अपीलार्थियों ने उदासीनता एवं पैरवी में कमी के कारण राज्य संपदा अधिकारी के समक्ष न तो अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया और न कार्यवाही में हिस्सा लिया।
ऐसी परिस्थिति में राज्य संपदा अधिकारी की प्रक्रिया को अवैधानिक नहीं कहा जा सकता। इसलिए इस मामले में यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत संपत्ति रेलवे विभाग की है और इस मामले में अपीलार्थियों का कब्जा अनाधिकृत है और अपीलार्थियों के कब्जे के संबंध में जो बिंदु उठाये गये हैं, वह बलहीन एवं तर्कहीन हैं। लिहाजा न्यायालय का मत है कि राज्य संपदा अधिकारी की ओर से बेदखली का जो आदेश पारित किया गया है, वह उचित एवं दस्तावेजों के आधार पर है और उसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण मौजूद नहीं है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
(In Haldwani, the new order of the court came in the case of encroachment on railway land, haldvaanee mein relave kee bhoomi par atikraman maamale mein adaalat ka aaya naya aadesh)