सरोवरनगरी के निकट एडवेंचर व शांति पसंद सैलानियों के लिए विकसित हो रहा नया पर्यटक स्थल
प्रकृति का स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी नैनीताल तो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व प्रसिद्ध पर्यटक है ही, लेकिन यदि आप इस स्थान के आसपास की प्रकृति को उसके वास्तविक अनछुवे स्वरूप में देखना चाहते हैं, तथा एडवेंचर यानी साहसिक पर्यटन और शांति की तलाश में पहाड़ों पर आए हैं, तो किलवरी-पंगूठ क्षेत्र आपकी अभीष्ट मंजिल हो सकता है।
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी से करीब 13 किमी की दूरी पर समुद्र सतह से 2215 की ऊंचाई पर स्थित किलवरी (अपभ्रंश किलबरी) अंग्रेजी दौर में घने नीरव वन क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है। इसके नाम से ही इसकी व्याख्या करें तो कह सकते हैं कि यह ‘वरी’ यानी चिंताओं को ‘किल’ यानी मारने का स्थान है। मानवीय हस्तक्षेप के नाम पर इस स्थान पर अभी हाल के वर्षों तक केवल 1920-21 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया वन विभाग का एक डाक बंगला ही था। हाल के वर्षों में ही यह स्थान साहसिक पर्यटन व शांत प्रकृति के चितेेरे पर्यटकों का पसंदीदा स्थल बनने लगा है, और इस स्थान से तीन किमी आगे पंगूठ नाम के स्थान पर कुछ रिजार्ट तथा तंबू (हट्स) की कैंप साइट विकसित होने लगी हैं, जो सैलानियों को अल्प सुविधाओं के साथ प्रकृति के पूरे करीब लाने में समर्थ रहती हैं। पास में बगड़ तथा सिगड़ी में भी कैंप साइटें विकसित हो रही हैं। इस स्थान पर सैलानी हिमालयी क्षेत्रों में समुद्र सतह से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर उगने वाली हरी-भरी वानस्पतिक जैव विविधता, मुख्यतः बांज, अयार व राज्य वृक्ष बुरांश के साथ ही समुद्र सतह से तीन सौ मीटर की ऊंचाई पर बहने वाली कोसी नदी के किनारे के चीड़ जैसे घने जंगलों के बीच छुट्टियां बिता सकते हैं। तीन हजार से तीन सौ मीटर की ऊंचाई के इन वनों में वन्य जीवों और अब तक रिकार्ड ब्राउन वुड आउल (उल्लू), कलर ग्रोसबीक, सफेद गले वाले लाफिंग थ्रश और फोर्कटेल हिमालयन वुड पैकर, मिनिविट, बुलबुल सहित 158 से अधिक हिमालयी पक्षी प्रजातियांे को देखा जा सकता है। इसी कारण प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के दौर में इस क्षेत्र को बर्ड सेंचुरी यानी पक्षियों के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव बना था, इधर इस हेतु प्रयास एक बार पुनः शुरू हो गए हैं। सर्दियों में यह इलाका कुछ हफ्तों के लिए सड़क पर बर्फ जम जाने की वजह से बाहरी दुनिया से कट जाता है, लेकिन शेष समय सैलानी यहां से मौसम साफ होने पर बर्फ से ढकी नगाधिराज हिमालय की चोटियों के साथ सैकड़ों किमी दूर की कुमाऊं की पहाड़ियों व स्थलों के खूबसूरत नजारे ले सकते हैं। आसपास व विनायक जैसे पर्यटन स्थल भी विकसित हो रहे हैं, लेकिन दूरी अधिक होने की वजह से आम सैलानी यहां नहीं पहुंच पाते, लेकिन जो एक बार यहां पहुंच जाते हैं, यहाँ हमेशा के लिए रुकने की बात करते हैं।संबंधित पोस्टः