उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर बड़ा संकेत, गैंद निर्वाचन आयोग के पाले में…
नवीन समाचार, देहरादून, 27 अक्टूबर 2024 (Panchayat Elections-Ball in Election Commission)। उत्तराखंड में निकायों के साथ पंचायत चुनाव भी आसन्न हैं। लेकिन जिस तरह निकाय चुनाव लगातार टल रहे हैं, वहीं पंचायत चुनावों को लेकर ऐसे संकेत आये हैं कि पंचायत प्रतिनिधियों के अपने कार्यकाल को बढ़ाने की मांग से इतर सरकार का झुकाव कार्यकाल न बढ़ाने की ओर है और सरकार ने इस संबंध में अपनी कार्यवाही पूरी कर गैंद निर्वाचन आयोग के पाले में डाल दी है। हालांकि पंचायत प्रतिनिधियों के लगातार दबाव के चलते सरकार ने इस पर विचार करने का मन बनाया है, लेकिन चुनाव से जुड़े नियम कार्यकाल बढ़ाए जाने के मार्ग में बाधा बने हुए हैं।
उत्तराखंड में पंचायतों का मौजूदा कार्यकाल इसी वर्ष 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए तय समयसीमा में चुनाव कराना संभव नहीं लग रहा है। इसी स्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार से अपने कार्यकाल को बढ़ाने तथा 12 जिलों में पंचायत चुनाव हरिद्वार जिले के साथ 2027 में कराने की मांग की थी। दरअसल, हरिद्वार जिले की पंचायतों के चुनाव अन्य जिलों से अलग समय पर होते हैं। एक राज्य, एक पंचायत चुनाव के सिद्धांत के साथ ही प्रतिनिधि बाकी 12 जिलों के पंचायत कार्यकाल को भी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनौती (Panchayat Elections-Ball in Election Commission)
उत्तराखंड में पंचायतों से संबंधित अधिनियम पंचायत कार्यकाल में बढ़ोतरी की अनुमति नहीं देता। यदि राज्य स्तर पर एक समान पंचायत चुनाव कराने की व्यवस्था करनी हो, तो हरिद्वार जिले की पंचायतों का कार्यकाल घटाया जा सकता है। परंतु, प्रतिनिधि इसके बजाय अपने कार्यकाल में वृद्धि की ही मांग कर रहे हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों के इस निरंतर दबाव के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी और अधिकारियों को 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। पंचायती राज निदेशालय ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है, परन्तु शासन बाकी राज्यों में कार्यकाल बढ़ाने की व्यवस्थाओं पर भी विचार कर रहा है। इस संदर्भ में पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने अपर सचिव युगल किशोर पंत को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
अधिनियम का सीमित प्रावधान और सरकार की तत्परता
चूंकि अधिनियम में पंचायतों के कार्यकाल बढ़ाने का प्रावधान नहीं है, शासन ने यह स्पष्ट किया है कि कार्यकाल में वृद्धि संभव नहीं है। पंचायती राज सचिव ने यह भी बताया कि सभी चुनावी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई हैं और जैसे ही निर्वाचन आयोग समयसीमा तय करेगा, सरकार चुनाव करवाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
सरकार की इस स्थिति के बाद अब निर्णय का दायित्व राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में है। यह देखना होगा कि आयोग समय पर चुनाव कराएगा या फिर इसमें किसी प्रकार की देरी संभावित होगी। (Panchayat Elections-Ball in Election Commission)
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