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October 7, 2024

‘पेपरलेस’ होने की ओर बढ़ा देश, सभी राज्य विधानसभाएं होंगी ‘पेपरलेस’

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कुमाऊं विश्वविद्यालय ‘ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया’ के जरिये हर वर्ष बचायेगा 1785 से अधिक पेड़, परीक्षार्थियों के बचेंगे 2.6 करोड़ रुपये

New Doc 2017-07-17_1_Kumaon University Paperless-विवि ने पहली बार मांगे थे ऑनलाइन आवेदन, 24 राज्यों से 48 हजार ने किये ऑनलाइन आवेदन, गत वर्ष के मुकाबले आठ हजार अधिक आये आवेदन
-आवेदनों की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले करीब आठ हजार और पिछली बार हो पाये प्रवेशों से करीब 18 हजार अधिक, लिहाजा प्रवेश के लिये होगी अधिक मारामारी
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया आयोजित करने के बाद देश भर में अपनी पहचान बनाने में सफलता पाई है। अब तक उत्तराखंड सहित कुछ ही प्रदेशों के छात्रों को अपने यहां प्रवेश के लिये आकर्षित कर पाने वाले राज्य सरकार के इस इकलौते विवि में इस बार देश के 24 राज्यों से 48 हजार 41 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश के लिये आवेदन किये हैं। खास बात यह भी है कि इस बार आये आवेदन पिछले वर्ष के आवेदनों से करीब आठ हजार और पिछली बार हो पाये प्रवेशों से करीब 18 हजार अधिक हैं। इसलिये सभी प्रवेशार्थियों को प्रवेश मिल पायेगा, इस बात की संभावना कम है, साथ ही आगे प्रवेश के लिये होने वाली काउंसिलिंग की प्रक्रिया में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि ने इस वर्ष पहली बार प्रवेश के लिये ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अपनायी। इस प्रक्रिया से विवि में प्रवेश के इच्छुक छात्र-छात्राओं का दायरा बढ़ गया है। पिछले वर्ष तक छात्र-छात्राएं विवि के परिसरों व महाविद्यालयों में आकर ही प्रवेश के लिये आवेदन पत्र ले पाते थे, किंतु इस बार देश-दुनिया में कहीं से भी ऑनलाइन प्रवेश करने का मार्ग खुल गया। इससे उत्तराखंड के साथ ही दिल्ली, यूपी, आसाम, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान व पंजाब सहित देश के 24 राज्यों के 48,041 छात्र-छात्राओं ने विवि के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये आवेदन किये, जबकि बीते वर्ष विवि में प्रवेश के लिये करीब 40 हजार ही आवेदन आये थे, और इनमें से करीब 30 हजार को ही प्रवेश मिल पाये थे। विवि में कई विषय तो ऐसे हैं, जिनमें पिछले वर्ष के सापेक्ष तीन गुना तक भी आवेदन आये हैं। उदाहरण के लिये पिछले वर्ष बीकॉम ऑनर्स व बीएससी फॉरेस्ट्री के लिये 30-30 और बीबीए पाठ्यक्रम के लिये 27 आये थे, जबकि इस वर्ष इन पाठ्यक्रमों के लिये क्रमशः 99, 82 और 90 आवेदन आये हैं। इसी तरह एमएससी रिमोट सेंसिंग जैसे नये पाठ्यक्रम में भी 75 व एमएससी योगा 105 आवेदन प्राप्त हुए हैं। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. डीके नौड़ियाल ने पूछे जाने पर कहा कि ऑनलाइन प्रवेश का प्रयास सभी के सहयोग से सफल साबित हुआ है, और इससे विवि की पहुंच व पहचान पूरे देश में बढ़ी है।

छात्रों के बचेंगे ढाई करोड़ रुपये, विवि हर वर्ष बचाएगा 1785 से अधिक पेड़

नैनीताल। प्रदेश में मनाये जा रहे पर्यावरण संरक्षण के लोक पर्व से जोड़कर देखें तो कुमाऊं विवि द्वारा प्रवेश की प्रक्रिया को ऑनलाइन किये जाने से हर वर्ष हर वर्ष लगभग 1785 पेड़ कटने से बच जायेंगे। विवि के ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के नोडल अधिकारी डा. महेंद्र राणा ने बताया कि बहुत मामूली धनराशि से ऑनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया के लिये सॉफ्टवेयर व अन्य प्रबंध कर केवल प्रथम वर्ष के प्रवेशार्थियों से करीब 42 लाख कागजों का प्रयोग बचाया गया है। बताया कि अब तक हर छात्र को प्रवेश हेतु आवेदन के लिये करीब आठ पेज का आवेदन पत्र और 100 पेज का प्रॉस्पैक्टस 50 रुपये शुल्क लेकर दिया जाता रहा है। वहीं विवि के सभी लगभग 1.5 करोड़ छात्र-छात्राओं के लिहाज से आंकलन किया जाये तो प्रतिवर्ष 131.25 करोड़ कागज यानी 1785 पेड़ बचाए जा सकेंगे।

New Doc 2017-07-17 (1)_2‘पेपरलेस’ होगा कुमाऊं विश्वविद्यालय, ‘डिजिटल इनीशिएटिव सेल’ का होगा गठन, ‘एनपीटेल’ से भी जुड़ेगा

छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन उपलब्ध होंगे देश भर के विषय विशेषज्ञों के ऑनलाइन लेक्चर
नवीन जोशी, नैनीताल। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान से पहले ही जुड़ चुका कुमाऊं विश्वविद्यालय अब पूरी तरह ‘पेपरलेस’ यानी कागजरहित होने को कदम बढ़ा रहा है। इसी कोशिश में विवि में बकायदा ‘डिजिटल इनीशिएटिव सेल’ का गठन किया जा रहा है, जिसके जरिये इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संभावनाओं के क्षेत्र तलाशे जाएंगे, और उन पर आगे बढ़ा जायेगा। वहीं एक अन्य पहल के तहत विवि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित ‘एनपीटेल’ यानी ‘नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इन्हैन्स्ड लर्निंग’ यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी उन्नयन शिक्षा कार्यक्रम से जुड़ने जा रहा है, जिसके जरिये विवि अपने छात्र-छात्राओं को इस प्रोजेक्ट से पहले से जुड़े देश भर के विषय विशेषज्ञों के ऑनलाइन लेक्चर उपलब्ध कराएगा।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार नौड़ियाल ने बताया कि विवि में अच्छे स्तरीय शिक्षकों, अन्य सहकर्मियों और संसाधनों की कमी है, जिस कारण यहां के बच्चों को बेहतर उच्च शिक्षा के लिये अन्यत्र जाने को मजबूर होना पड़ता है। इसका समाधान प्रधानमंत्री मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान में देखते हुए विवि अपनी व्यवस्थाओं व सेवाओं को ‘डिजिटल मोड’ पर लाकर क्षतिपूर्ति करना चाहता है। इस हेतु शीघ्र ‘डिजिटल इनीशिएटिव सेल’ का गठन कर इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए संभावनाओं के क्षेत्र तलाशे जाएंगे, और उन पर आगे बढ़ा जायेगा। साथ ही केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ‘एनपीटेल’ प्रोजेक्ट से जुड़ कर छात्र-छात्राओं को देश भर के विषय विशेषज्ञों के ऑनलाइन ‘वीडियो लेक्चर’ व ‘वेब कोर्स’ उपलब्ध कराए जाएंगे। बताया कि एनपीटेल पर पहले से देश के दिल्ली, मुंबई, कानपुर, गुवाहाटी, खड़कपुर व मद्रास आदि के आईआईटी तथा आईआईएमसी बंगलुरु आदि जुड़े हुए हैं। कुलपति ने उम्मीद जतायी कि इन माध्यमों से विवि अपने दूरस्थ महाविद्यालयों के छात्रों को घर बैठे भी ‘ऑनलाइन’ माध्यम से स्तरीय लेक्चर उपलब्ध करा पायेगा। साथ ही विवि के प्राध्यापकों के लेक्चर भी एनपीटेल पर अपलोड किये जायेंगे, जिससे कुमाऊं विवि की पहुंच भी देश भर में बढ़ेगी। साथ ही विवि देश भर में चल रही कागज के साथ पेड़ों व पर्यावरण को बचाने तथा ग्रीन यानी हरित होने की दिशा में भी आगे बढ़ पायेगा।

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हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता से उत्साहित हो केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय की योजना

paperless 1नवीन जोशी। नैनीताल। सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से सुशासन लाने की मंशा के साथ ही पेड़-पौधों एवं पर्यावरण के संरक्षण की सदेच्छा से देश ‘पेपरलेस’ होने की ओर बढ़ रहा है । इस दिशा में देश के प्रांतों की विधानसभाएं शीघ्र ‘पेपरलेस’ यानी कागजरहित होने जा रही हैं। ऐसा हिमाचल प्रदेश की विधानसभा द्वारा केंद्रीय सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट के तहत ऐसा कारनामा कर दिखाने के फलस्वरूप होने जा रहा है। उत्तराखंड सहित देश के 22 राज्यों के प्रतिनिधि हिमाचल प्रदेश जाकर वहां लागू ‘ई-विधान’ परियोजना का अवलोकन कर इसे अपने यहां भी शुरू करने की इच्छा जता भी चुके हैं। साथ ही केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों की विधानसभाओं को ‘ई-विधान’ यानी कागजरहित करने के प्रस्ताव को ‘मिशन मोड’ में ले कर कार्य शुरू कर दिया है।

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हिमाचल प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक धर्मेश कुमार शर्मा।

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष के सूचना-प्रौद्योगिकी निदेशक धर्मेश कुमार शर्मा ने शुक्रवार को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में आयोजित देश भर की सुशासन के क्षेत्र में की गयी सर्वश्रेष्ठ पहलों पर आयोजित हो रही राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान बताया कि हिमाचल को वर्ष 2012 में केंद्रीय सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय सेे पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह परियोजना मिली थी, जिसे चार अगस्त 2014 को शुरू कर लिया गया। इसके तहत विधानसभा भवन के हैरिटेज महत्व का होने का बावजूद सभी विधायकों की सीटों पर ‘टच स्क्रीन’ लगायी गयी हैं, जिन पर विधायकों को मंत्रियों की ओर से दिये जाने वाले प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो जाते हैं। इसके लिये विधायकों के साथ ही विधानसभा के कार्मिकों व विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी इस परियोजना के लिये तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। इससे कागज के साथ ही विधानसभा में उठने वाले प्रश्नों के जवाब देने के लिये अधिकारियों की भागदौड़ पर वाहनों में लगने वाले ईधन की भी बड़ी भारी बचत हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सहित देश के 22 राज्यों के प्रतिनिधि हिमाचल प्रदेश जाकर वहां लागू ‘ई-विधान’ परियोजना का अवलोकन कर इसे अपने यहां भी शुरू करने की इच्छा जता भी चुके हैं। साथ ही केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों की विधानसभाओं को ‘ई-विधान’ यानी कागजरहित करने के प्रस्ताव को ‘मिशन मोड’ में ले कर कार्य शुरू कर दिया है। अलबत्ता, उन्होंने कहा कि देश में समाचार पत्रों के ‘पेपरलेस’ होने की अभी संभावना नहीं है। लोग डिजिटल व प्रिंट दोनों माध्यमों पर समाचार पढ़ना पसंद करते हैं। उल्लेखनीय है कि गत दिनों लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोक सभा के तथा मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश की शीर्ष अदालत के भी ‘पेपरलेस’ होने की घोषणा की गयी है, वहीं उत्तराखंड विधानसभा में भी वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने वर्ष 2017-18 का बजट ‘पेपरलेस’ प्रारूप में ही पेश कर पारित भी कराया है।

‘पेपरलेस’ होने से सम्बंधित ख़बरें :

केवल तीन करोड़ खर्च कर बचा रहे हर वर्ष 5.08 करोड़ कागज, 15 करोड़ रुपये व छह हजार पेड़

नैनीताल। हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के ‘ई-विधान’ पर आने में उल्लेखनीय तथ्य है कि इस पर पाइलट प्रोजेक्ट होने के बावजूद केवल तीन करोड़ रुपये का खर्च आया है, जबकि हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष के सूचना-प्रौद्योगिकी निदेशक धर्मेश कुमार शर्मा ने बताया कि इसकी वजह से प्रतिवर्ष करीब 5.08 करोड़ कागजों सहित वाहनों के ईधन आदि का खर्च मिलाकर करीब 15 करोड़ रुपये तथा प्रतिवर्ष करीब छह हजार पेड़ भी बचाये जा रहे हैं। वहीं इसके जरिये राज्य के सभी 68 विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह हुए हैं। उनके द्वारा विधानसभा में कही गयी बातें जनता की भी पहुंच में होती हैं। साथ ही पर्वतीय व दुर्गम भौगोलिक संरचना के बावजूद विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल के दौरान भी विभागों से सूचनाएं मंत्रियों व विधायकों को प्राप्त हो जाती हैं।

मुकेश अंबानी ने कहा, उन्हें जिसके लिये 300 साल लगे, हम 10 साल में हासिल कर लेंगे

रिलाइंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड-आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की 40वीं वार्षिक साधारण सभा की 21 जुलाई 2017 को आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘पश्चिमी देशों को इस क्षेत्र में जो हासिल करने में 300 साल लगे, चीन को 30 साल लगे, भारत उसे 10 साल में हासिल कर सकता है। इस साल 15 अगस्त (2017) डिजिटल आजादी का दिन होगा। हम डिजिटल दुनिया से महरूम लोगों के साथ हो हे भेदभाव को खत्म करना चाहते हैं।’ उल्लेखनीय है कि मुकेश अंबानी ने इससे पूर्व 19 नवंबर 2016 को दैनिक भास्कर डॉट कॉम से एक साक्षात्कार में कहा था, ‘औद्योगिक क्रांति के बाद मोबाइल इंटरनेट क्रांति सबसे बड़ी है। अगले 30 साल में दुनिया ऐसे बड़े बदलाव देखेगी, जो 300 साल में नहीं हुए। जियो हमें जिंदगी पर बेहतर कंट्रोल देगा।’ उन्होंने कहा, जब वे युवा थे, उस वक्त अंतर्राष्ट्रीय अखबारों को भारत आने में 10 दिन लग जाते थे। आज इंटरनेट पर तत्काल कुछ भी पढ़ सकते हैं। आज के युवा अपने संदेशों को फेसबुक और यू-ट्यूब के सर्वर पर शेयर कर रहे हैं। यही भविष्य है। आगे उन्होंने कहा कि अपने उपभोक्ताओं के नजर से देखकर कि उनकी समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता है, उन्होंने अपनी योजनाएं बनायीं और फिर अपने लक्ष्य तय किये। कहा कि अगले 10-15 साल सुनहरे हैं।

सुशासन के लिये ‘पेपरलेस’ होना वक्त की मांगः विश्वनाथ

-उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल में शुरू हुआ केंद्र सरकार के ‘गुड गर्वनेंस एण्ड रिफलेक्शन व बैस्ट प्रक्टिस’ संबंधी 26वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी
नैनीताल। भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत सचिव सी विश्वनाथ ने कहा कि भारत सरकार में उनका ‘कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय’ पूर्णतः पेपरलेस यानी कागज रहित कार्य पद्धति पर कार्य कर रहा है। साथ ही सरकार आने वाले समय में बैंक, रेलवे, परिवहन व अन्य सेवाओं को भी पेपरलैस बनाने जा रही है। उन्होंने सभी राज्यों को भी डिटिलाइजेशन की दशा में कदम उठाने को कहा, ताकि राज्यों से भी सुशासन का संदेश जा सकें। उन्होंने बताया कि 21 प्रदेशों में सूचना का अधिकार सेवा लागू है। साथ ही भारत सरकार के 20 मंत्रालय पूर्णतः ई ऑफिस पद्धति पर कार्य कर रहे हैं इन ऑफिसों में किसी भी प्रकार सेे पेपर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। कहा कि पेपरलेस व फेसलेस कार्य करने से ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है।
श्री विश्वनाथ ने यह बाद शुक्रवार को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में अकादमी के निदेशक अवनेंद्र सिंह नयाल व डीएम दीपेंद्र कुमार चौधरी के साथ केंद्र सरकार के ‘गुड गर्वनेंस एण्ड रिफलेक्शन व बैस्ट प्रक्टिस’ संबंधी 26वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ करने के बाद कही। कहा कि देश वासियों को सुरक्षा, सुविधा समय से देना सुशासन का मुख्य उद्देश्य है। बदलते दौर में भारत सार्वजनिक वितरण प्रणाली रेलवे, परिवहन, एयरवेज तथा बैकिंग, पेंशन सेवाएं तथा अनुदान से संबंधित सभी जन उपयोगी सेवाओं को डिजिटल करते हुए डिजिटल दौर में तेजी से प्रवेश कर चुका है। इससे लोगों के समय की बचत हुयी है वहीं जन सेवाओं में पारदर्शिता बड़ी है व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है, तथा बिचौलियों की व्यवस्था का अस्तित्व लगभग समाप्ति की ओर है।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य आम जनता के साथ ही पेंशनरों के वैलफेयर के साथ ही पेंशनरों को पेंशन देने के साथ ही इच्छुक व्यक्तियों को उनके योग्यता व अनुभवों के आधार पर दुबारा सेवा दिलाना भी है ताकि वे व्यस्त रहें तथा सुशासन के मानकों को स्थापित कर सके। इस अवसर पर अकादमी के निदेशक नयाल ने सभी प्रतिभागियों एवं आगंतुकों का स्वागत करते हुये उत्तराखण्ड में ई गर्वनेंस के साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिये सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यो की विस्तार से जानकारी दी। वहीं अपने संबोधन में हिमाचल प्रदेश के आईटी निदेशक धर्मेश शर्मा ने हिमांचल प्रदेश की विधानसभा की पेपरलैस कार्यवाही की विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा उत्तराखंड के सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक अमित कुमार सिन्हा ने उत्तराखंड में सूचना प्रौद्योगिकी में हो रहे कार्य, ‘ईज-ऑफ-डूईंग’ बिजनेस पर प्रकाश डाला। बताया कि पहली बार चार धाम यात्रा पर आये यात्रियों का ‘बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन’ किया जा रहा है। इसी तरह हैदराबाद के सब्बीर शेख द्वारा ‘गुडगर्वनेंस इंडैक्स’ पर अपने विचार व्यक्त किये। दो दिवसीय संगोष्ठी में संयुक्त सचिव स्मिता कुमार, निदेशक अल्पना शुक्ला राव, अकादमी के उप निदेशक विवेक कुमार सिंह, एडीएम हरबीर सिंह व वंदना सिंह सहित लगभग 12 प्रदेशों के प्रतिभागी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अकादमी की उप निदेशक रूचि नयाल द्वारा किया गया।

रेडियो की उम्र सिर्फ एक दशक शेष : आरजे नावेद

with rj naved khan radio mirchi-रेडियो मिर्ची पर ‘मुर्गा व बकरा’ बनाने वाले रेडियो जॉकी नावेद खान पहुंचे नैनीताल
-बोले अब नैनीताल वालों को भी बनाउंगा मुर्गा, आगे हास्य-व्यंग्य के साथ सामाजिक संदेश देंगे
नवीन जोशी, नैनीताल। पिछले नौ वर्षों से एफएम रेडियो-मिर्ची पर लोगों को नकली फोन कॉल के माध्यम से ‘मुर्गा व बकरा’ बनाने वाले और रेडियो में पिछले 13 वर्षों से रेडियो जॉकी के रूप में श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले नावेद खान ने रेडियो के भविष्य के प्रति भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि रेडियो अब सिर्फ करीब 10-12 वर्षों का मेहमान है। अलबत्ता, वे आशान्वित हैं कि रेडियो इंटरनेट पर एप्स के माध्यम से नये स्वरूप में बेहतर गुणवत्ता के साथ मौजूद रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने अपने टाइम्स समूह के सीईओ प्रशांत पांडे के हवाले से कहा वे रेडियो की उम्र केवल पांच वर्ष ही मानते हैं। उन्होंने प्रिंट पत्रकारिता को भी खतरे में बताया। साथ ही ऑनलाइन-नये मीडिया को हर तरह से लाभप्रद बताते हुए इस माध्यम में सभी मीडिया माध्यमों के समा जाने की बात भी कही।
आरजे नावेद शनिवार को नगर के शेरवुड कॉलेज के वार्षिकोत्सव में प्रधानाचार्य अमनदीप संधू के निजी बुलावे पर पहुंचे थे। इस दौरान बात करते हुए उन्होंने बताया कि बुलंदशहर के एक गांव में अपने पिता मंसूर अहमद खान के साथ खेतों में काम करते हुए सरकारी स्कूल से पढ़कर और संघर्ष करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वर्ष 2004 में 35 हजार प्रतिभागियों की रेडियो हंट प्रतियोगिता के जरिये रेडियो मिर्ची पर उनका चयन हुआ। शुरुआत प्यार-मोहब्बत के शो-डॉक्टर लव से की। आगे दो वर्ष ‘टोटल फिल्मी’ व फिर ‘द नावेद शो’ करने के दौरान 2008 में अनायास ही ढाबे से दिन का खाना मंगाने के दौरान की बात-चीत रिकॉर्ड करने से नकली स्थितियां बनाते हुए फोन की बातचीत पर आधारित रेडियो मिर्ची-मुर्गा शो की शुरुआत हुई, जो पहले त्योहारों के मौके पर, फिर सप्ताह, आगे दिन और अब दिन में कई बार पूरे देश में प्रसारित होता है। इसके वरुण धवन, आलिया भट्ट सहित अनेक फिल्मी हस्तियों व देश के कमोबेश सभी शहरों के लोगों को शामिल कर ‘मुर्गा’ बना चुके हैं। बोले नैनीताल छूट गया है। अब यहां आया हूं तो यहां के लोगों को भी बनाऊंगा। शो में कोशिश होती है लोगों के अंदर छुपी उग्रता को बाहर लायें। जिससे श्रोताओं को हास्य मिलता है। आगे इसमें सामाजिक संदेश देने की योजना है।

गुलमेहर-सहवाग विवाद के बीच कागज बचाने का दिया था संदेश

नैनीताल। उल्लेखनीय है कि आरजे नावेद पिछले दिनों शहीद की बेटी गुलमेहर कौर और भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के बीच ‘मेरे पिता को पाकिस्तान नहीं युद्ध ने मारा’ व ‘मैंने नहीं मेरे बल्ले ने तिहरे शतक बनाये’ के संदेशों वाले ‘पोस्टर वार’ के बीच कागज बचाने का अजब संदेश देकर चर्चा में आये थे। इस दौरान नावेद ने राष्ट्रवाद व राष्ट्रद्रोहियों को संबोधित करते हुए कागज बचाने का संदेश देते हुए कहा था कि उन्हें अपनी बात कहने के लिये कागज को बर्बाद नहीं करना चाहिये। पेड़ बचेंगे तो इंसान बचेगा, तभी राष्ट्रवादी व राष्ट्रद्रोही जिंदा रहेंगे। अपनी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने रेडियो के साथ समाचार पत्र उद्योग के भविष्य को भी खतरे में बताया।

पेपरलेस होने की ओर ‘राजस्थान पत्रिका’ समाचार पत्र

मीडिया होल्स’ वेबसाइट की 15 दिसंबर 2016 की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका के मालिक नीहार कोठारी भले ही भारत में रहते हों, लेकिन उनकी सोच अमरीकी है। इसलिए वे अमरीकी मीडिया की तर्ज पर चल रहे हैं। उनका मानना है कि अमरीका में जैसे अखबार बन्द हुए और अब वहां ऑनलाइन न्यूज पढ़ी जा रही है। ठीक वैसे ही भारत में भी होगा। इसलिए वे अपने समाचार-पत्र राजस्थान पत्रिका पर ध्यान ना देकर डिजीटल संस्करण पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इस की झलक उत्तर प्रदेश में देखी गयी। वहां पर राजस्थान पत्रिका प्रबंधन ने समाचार-पत्र को नहीं बल्कि वेबसाइट को लॉन्च किया। सूत्रों के मुताबिक नीहार कोठारी राजस्थान में भी जल्द ही दोबारा से वेबसाइट रिलॉन्च करेंगे। उनकी सोच दैनिक भास्कर को पछाड़ने की है। इसलिए वे अपने समाचार-पत्र पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और ‘कॉस्ट कटिंग’ के नाम पर धीरे-धीरे उसे बंद किया जा रहा है। यानी जल्द ही यह अखबार सिर्फ फाइलों में ही नजर आएगा। अब देखने वाली बात यह है कि राजस्थान पत्रिका डिजीटल जगत में अपने आप को कितना स्थापित कर पाता है। सूत्रों के मुताबिक नीहार कोठारी के आदेश के बाद सभी अधिकारियों के केबिन में अखबार जाना बन्द हो गया है। ब्रान्चों में भी अखबार नहीं जा रहा है। नीहार कोठारी के आदेश हैं कि सभी ऑनलाइन अखबार पढ़ें। उनका कहना है कि जब माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैशलेस इकॉनोमी की बात कर सकते हैं तो हम पेपर लेस समाचार-पत्र क्यों नहीं कर सकते हैं। उनके आदेश के बाद सभी अधिकारी ऑनलाइन न्यूज पेपर पढ़ रहे हैं। जो अधिकारी ऑनलाइन अखबार खोलना नहीं जानते थे, वे भी अब थोड़ा कम्प्यूटर और टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हो रहे हैं।

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में इस बार से ऑनलाइन मिलेगी मूल अंक तालिका

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने भी ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर कदम बढ़ाते हुए वार्षिक परीक्षा 2017 के छात्रों के लिये ऑनलाइन मूल अंकतालिका जारी करने की व्यवस्था शुरू कर दी है। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. पीडी पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि परीक्षार्थी कहीं पर भी अपनी डिजिटल मूल अंकतालिका ऑनलाइन प्रिंट भी करा सकते हैं। ऑफलाइन अंकतालिका नहीं दी जायेंगी।

नैनीताल मानसून माउंटेन मैराथन भी बढ़ी ‘पेपरलेस’ होने की ओर

नैनीताल नगर में हर वर्ष अगस्त माह के अंतिम रविवार को आयोजित होने वाली ‘नैनीताल मानसून माउंटेन मैराथन’(एनएम-3) भी अपने आठवें संस्करण ‘पेपरलेस’ होने की ओर बढ़ गयी है। आयोजक ‘रन टू लिव’ संस्था के प्रमुख हरीश तिवाड़ी ने बताया कि आयोजन में इस बार अंतरराष्ट्रीय मानकों युक्त ‘टाइमिंग चिप’ सिस्टम का प्रयोग किया जायेगा। इस सिस्टम के तहत मैराथन में शामिल चार प्रमुख वर्गों के सभी प्रतिभागी धावकों के पैरों में टखने के पास उनके चेस्ट नंबर से जुड़ी इलेक्ट्रानिक चिप लगाई जाएगी। साथ ही मैराथन के पूरे मार्ग पर खासकर मोड़ों व डायवर्जन पर इन चिपों को पढ़ने वाली डिवाइस लगायी जायेगी। इसका लाभ यह होगा कि कोई भी धावक मार्ग में किसी तरह की गड़बड़, शॉर्टकट आदि का प्रयोग नहीं कर पायेगा। वहीं दौड़ पूरी करने पर उनके द्वारा लिये गये सही-सही समय की गणना के साथ ही इसका मैसेज उनके फोन पर तथा निर्णायकों के पास चला जायेगा, साथ ही धावकों को उनके द्वारा लिये गये समय का ई-सर्टिफिकेट भी चला जाएगा। इस तरह इस बार की मैराथन अधिक ईको-फ्रेंडली होगी, और इसमें कागज का प्रयोग काफी कम होगा।

ओएनजीसी ने भी पेपरलेस होने की ओर बढ़ाए कदम

देश के शीर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ओएनजीसी यानी ऑइल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अपनी सभी इकाइयों में ‘पेपरलेस कार्यालय’ स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिये हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत यह ‘पेपरलेस कार्यालय परियोजना’ सभी स्तरों पर ओएनजीसी के भीतर कागज के प्रयोग को समाप्त कर देगी। ओएनजीसी ने इस परियोजना के लिये मैसर्स केपीएमजी को परियोजना परामर्शदाता के रूप में चुना है। तथा इस परियोजना को मैसर्स एल एण्ड टी इनफोटेक को दिया गया है, जिसमें आईबीएम का फाइलनेट तथा बीपीएम प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म है। परियोजना का पहला चरण मई 2017 के अंत तक मुम्बई में लागू हो जाएगा, और उसके पश्चात प्रत्येक तिमाही में इसे आगे लागू किया जाएगा और परियोजना को जून, 2018 तक पूरी होने का कार्यक्रम है। परियोजना की प्रारंभिक बैठक 10 जनवरी 2017 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। जिसमें प्रौद्योगिकी एवं फील्ड सेवाओं के निदेशक शशि शंकर ने इस परियोजना को डिजिटल इंडिया की ओर की गई सबसे बड़ी पहलों में से एक बताया।

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