March 29, 2024

मुख्यमंत्री धामी के साथ विधानसभा व पार्टी अध्यक्ष दिल्ली दौड़े, बढ़ी राजनीतिक हलचल, जानें क्या हो सकते हैं निहितार्थ

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Uttarakhand News – DW Samacharनवीन समाचार, देहरादून, 27 सितंबर 2022। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इसके बाद उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी हाईकमान की ओर से तलब किए जाने के बाद यह सभी नेता दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं।

इसे राज्य में मंत्रिमंडल में बदलाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है, जबकि दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि इन्हें केंद्रीय नेतृत्व द्वारा राज्य में भर्ती घोटाले के संबंध में फीडबैक लेने के लिए बुलाया गया है। मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष को बुलाए जाने से इसके संकेत मिल रहे हैं। अलबत्ता सुर्खियों में रहे अंकिता हत्याकांड पर भी केंद्रीय नेतृत्व राज्य के नेताओं से इस दौरान जानकारी ले सकता है।

भाजपा विधायकों के मंगलवार दोपहर को अचानक दिल्ली जाने से सत्ता के गलियारों में कई तरह की चर्चाएं भी तेज हो गईं हैं। कहा जा रहा है कि धामी मंत्रिमंडल में कई बड़े चेहरों की छुट्टी करते हुए मंत्रियों के तीन खाली पदों को भरने की कोशिश होगी। हालांकि, सीएम धामी का कहना है कि उत्तराखंड से जुड़े विकास कार्यों के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को वह अपडेट देंगे, और इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मीटिंग का समय भी लिया। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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Imageडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 सितंबर 2022। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले दो दिनों से दिल्ली दौरे पर हैं। इस दौरान बुधवार को उन्होंने पार्टी एवं सरकार में वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी के बाद नंबर-2 को दर्जा रखने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पिछले दिनों पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद हुई और करीब एक घंटे तक चली इस मुलाकात के हर तरह से निहितार्थ निकालने की कोशिशें की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री धामी की मानें तो उनके ट्वीट के अनुसार ‘उन्होंने इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री से राज्य में आपदा प्रबंधन एवं पुलिस बल के आधुनिकीकरण से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विचार-विमर्श करते हुए उनका बहुमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त किया।’

Imageहालांकि यह भी समझा जा रहा है कि इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से हुई भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी, विधानसभा के भर्ती प्रकरण जैसे चर्चित विषयों पर भी शाह को फीडबैक दिया। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री को आयोग की भर्तियों पर अब तक, बकौल राज्य के डीजीपी अशोक कुमार, कमोबेश पूरी कर ली गई जांच की रिपोर्ट एवं इसके बाद यूकेपीएससी से कराई जा रही परीक्षाओं के साथ सचिवालय में बैक डोर से हुई भर्तियों की राज्य विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कराई जा रही जांच का फीडबैक भी दिया होगा।

इसके अलावा माना जा रहा है कि श्री धामी ने श्री शाह को राज्य सरकार की छह माह की उपलब्धियों, मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट भी श्री शाह को दी है। इस कड़ी में समान नागरिक संहिता, भू-कानून सहित अन्य विषयों से जुड़ी प्रगति का ब्योरा भी दिया होगा। यह भी माना जा रहा है कि सरकार के छह माह पूर्ण होने के उपलक्ष्य में उनकी ओर से राज्य के लिए कुछ नई योजनाओं की सौगात देने का आग्रह गृह मंत्री से किया होगा।

हालांकि मुख्यमंत्री की इस मुलाकात को राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार की संभावनाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में शाह से बात की है। कैबिनेट में तीन पद पहले से खाली हैं। जबकि एक मंत्री बैक डोर भर्तियों पर घिरे हुए हैं। सीएम ने उनके द्वारा किए गए 74 स्थानांतरण भी गत दिनों निरस्त कर दिए थे। इसके अलावा कम से कम एक मंत्री की कार्यदक्षता पिछले छह माह में निजी कारणों से काफी धीमी बताई बतायी गई है। इसलिए भी इन चर्चाओं को बल मिल रहा है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat met the central leadershipनवीन समाचार, देहरादून, 6 सितंबर 2022। उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी यानी अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले के बड़े स्तर पर चर्चाओं के बीच अपने बयानों से चर्चाओं के केंद्र में रहे दो नेताओं की बुधवार को की गई बैठकों ने राजनीतिक पंडितों के लिए चर्चाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। सियासी दिग्गजों की मेल मुलाकात और दौड-़धूप के सियासी मायने टटोले जा रहे हैं।

आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय नेतृत्व से भेंट की। जबकि देहरादून में अपने प्रदेश के वित्त मंत्री व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल भी प्रदेश नेतृत्व के नेताओं से मिले। त्रिवेंद्र सिंह रावत के विशेष कार्याधिकारी अभय सिंह रावत ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंट और चर्चा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी चर्चा की। इस दौरान दोनों के बीच लगभग सवा से डेढ़ घंटे बातचीत हुई। त्रिवेंद्र सिंह रावत की यह भेंट चर्चाओं में है। पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने नड्डा से मुलाकात को शिष्टाचार भेंट करार दिया। हालांकि मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की संभावना से इनकार नहीं किया।

चर्चा है कि पेपर लीक मामले और विधानसभा में हुई भर्तियों में हुई धांधली और भाई भतीजावाद पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने सुर्खियांे में रहे बयानों पर श्री नड्डा को समग्र जानकारी दी। जबकि वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रदेश पार्टी कार्यालय में पार्टी नेताओं से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि उन्होंने स्वयं को भर्तियों से जोड़े जाने को लेकर मुलाकात की है। हालांकि पार्टी का कहना है कि पंचायत चुनाव की तैयारी को लेकर वित्त मंत्री ने पार्टी नेताओं से मुलाकात की है।

उधर, प्रदेश पार्टी मुख्यालय में शाम के समय वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पहुंचे। बताया जा रहा है कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री संगठन से भेंट की। सियासी हलकों में वित्त मंत्री की मुलाकात को भी विधानसभा में भर्ती प्रकरण से उपजे हालातों से जोड़कर देखा जा रहा है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, देहरादून, 24 मई 2022। उत्तराखंड की राजनीति में मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा के लिए खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उपचुनाव के बीच एक बड़ी मनोवैज्ञानिक तौर पर बढ़त लेने वाली घटना हो सकती है। पिछले बुधवार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले पार्टी का गत विधानसभा चुनाव में चेहरा रहे सेवानिवृत्त कर्नल अजय कोठियाल और पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रहे भूपेश उपाध्याय अपने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं।

यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में कोठियाल के आप के मुख्यमंत्री का चेहरा रहते चुनाव में उनके साथ ही आप के अन्य प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हो गई थी। कोठियाल ने इस्तीफा देते हुए पूर्व सैनिकों, बुजुर्ग, महिलाओं, युवाओं और बुद्धिजीवियों की भावनाओं के चलते इस्तीफा देने को वजह बताई थी। इसके अगले दिन भूपेश उपाध्याय ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था।

सूत्रों के अनुसार कर्नल कोठियाल अब भाजपा में अपनी नई सियासी पारी खेल सकते हैं। उनके समर्थक भी इसके लिए उन पर दबाव डाल रहे हैं। कर्नल भाजपा हाईकमान के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत भी चल रही है। बताया जा रहा है कि शाम 4 बजे के आसपास वह प्रदेश मुख्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री धामी के लिए विधायक कैलाश ने दिया विधानसभा से त्यागपत्र, आज ही चंपावत जा सकते हैं धामी

नवीन समाचार, देहरादून, 21 अप्रैल 2022। उत्तराखंड राज्य की आज की सबसे बड़ी खबर सामने है। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया है। गहतोड़ी के त्यागपत्र देने से मुख्यमंत्री के उपचुनाव लड़ने को लेकर सभी तरह के संदेह दूर हो गए हैं। अब उनकी चंपावत सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चंपावत उपचुनाव लड़ना तय है।

गुरुवार सुबह-सुबह विधायक गहतोड़ी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूड़ी के आवास पर पहुंचकर उन्हें सौपा इस्तीफा सोंपा। बताया गया है कि इसके बाद श्रीमती खंडूड़ी को अपनी विधानसभा कोटद्वार जाना है। उधर आज ही मुख्यमंत्री धामी का चंपावत विधानसभा जाने का कार्यक्रम है, जहां वह गोरथनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपने चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है गहतोड़ी ने विधायक के रूप में चुनाव जीतने का प्रमाण पत्र लेने से पहले ही मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट छोड़ने का ऐलान कर दिया था। माना जा रहा है कि उन्हें उनकी इस कुर्बानी का पार्टी बड़ा ईनाम कैबिनेट मंत्री स्तर के पद के रूप में दे सकती है। उनका इस्तीफा स्वीकार होने के बाद इसकी जानकारी चुनाव आयोग को दी जाएगी और आयोग उनकी सीट पर उपचुनाव करने की घोषणा करेगा।

गौरतलब है कि कैलाश गहतोड़ी लगातार दूसरी बार जीते भाजपा विधायक हैं। आगे हालांकि उपचुनाव में चंपावत मुख्यमंत्री धामी के लिए काफी हद तक सुरक्षित सीट मानी जा रही है। इस सीट से कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल प्रत्याशी हो सकते हैं। वह पहले भी यहां से विधायक रह चुके हैं। अलबत्ता यह भी माना जा रहा है कि सीएम धामी को कांग्रेस या दूसरे दलों से अधिक खतरा अपने भितरघातियांे से होगा, जो खटीमा की तरह इससे लगती चंपावत सीट पर भी धामी को हराकर अपने लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी का सपना सजा सकते हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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Navratri से ठीक पहले पूर्णागिरि धाम पहुंचे CM धामी, कहां से लड़ेंगे  उपचुनाव? मंच से बताया अपना मन - pushkar dhami tells how he wants to contest  bye polls as he visitsनवीन समाचार, देहरादून, 17 अप्रैल 2022। ऐसा लगता है कांग्रेस विधायक हरीश धामी के मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट छोड़ने की बात कुछ अहम कारणों से अटक गई है। इसके बाद हरीश धामी देहरादून से वापस अपने क्षेत्र लौट गए हैं और कांग्रेस पार्टी से अपनी नाराजगी बरकरार बताने के बावजूद अपने हालिया बयानों से करीब-करीब पलट गए हैं। सूत्र बताते हैं कि धामी की धारचूला सीट से बात इसलिए भी बिगड़ी कि इस सीट से भाजपा राज्य बनने के बाद एक बार भी नहीं जीत पाई है, इसलिए हरीश धामी के सीट छोड़ने के बावजूद भाजपा यहां से सीएम पुष्कर धामी की जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हो पा रही थी।

वहीं चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी का सीएम धामी के लिए सीट छोड़ना कमोबेश तय हो गया है। हालांकि अभी कोई भी इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहा है, परंतु बताया जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी सीएम के चंपावत से चुनाव लड़ने को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद गहतोड़ी अपने क्षेत्र से देहरादून के लिए रवाना हो गए हैं। वह शीघ्र ही विधानसभा से त्यागपत्र दे सकते हैं, ताकि उपचुनाव में धामी यहाँ से लड़ सकें।

विदित हो कि चंपावत खटीमा से लगती विधानसभा है। आधी पहाड़ व आधी मैदान की यह विधानसभा भाजपा के लिए काफी मुफीद है। दो बार गहतोड़ी इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। चुनाव परिणाम के बाद सबसे पहले गहतोड़ी ने ही धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी। स्वयं धामी ने भी गत दिनों पूर्णागिरि मेले के उद्घाटन में पहुंचकर इस सीट से लड़ने का इशारा किया था।

धामी के चंपावत से चुनाव लड़ने से धामी चंपावत के साथ अपनी परंपरागत खटीमा सीट पर भी बराबर ध्यान दे पाएंगे और अगले विधानसभा चुनाव में वह फिर से अपनी खटीमा से और गहतोड़ी चंपावत से चुनाव लड़ पाएंगे। इससे दोनों की सीटें और राजनीति भविष्य के लिए सुरक्षित भी रहेगी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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कांग्रेस में मचा नया बवाल,प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा-नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की नियुक्ति के बाद विधायकों की नाराजगी से हलचलनवीन समाचार, देहरादून, 12 अप्रैल 2022। कांग्रेस पार्टी में एक माह की देरी के बाद नेता प्रतिपक्ष, उप नेता एवं प्रदेश अध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति के बाद पार्टी में विरोध के स्वरों के साथ राजनीतिक हलचलें बढ़ गई हैं। कम से कम छह से लेकर 10 तक विधायक पार्टी हाईकमान के इस निर्णय से नाराज बताए जा रहे हैं। उनके नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के साथ बैठक करने की भी चर्चाएं हैं।

बताया जा रहा है कि बुधवार को कांग्रेस के 10 विधायक बैठक कर सकते हैं, और कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। इनमें 5 विधायक कुमाऊं के भी हो सकते हैं। बैठक करने वालों में विधायक हरीश धामी, मदन बिष्ट, मनोज तिवारी, मयूख महर, खुशाल अधिकारी, ममता राकेश, विक्रम नेगी व राजेंद्र भंडारी के नाम अब तक सामने आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रीतम सिह के साथ कुमाऊं के द्वाराहाट से विधायक मदन बिष्ट के साथ गढ़वाल से आने वाले राजेंद्र भंडारी पहले ही अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर चुके हैं। प्रीतम व भंडारी के कई समर्थकों ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफे भी सोंप दिये हैं।

इधर, मंगलवार को दो प्रमुख मुलाकातें हुई हैं। नव मनोनीत नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से बंद कमरे में मुलाकात व बात की है। वहीं करन महरा भी हरीश रावत से मिलने पहुंचे। रावत और महरा के बीच आपस में जीजा-साले का रिस्ता है, और कहा जा रहा था कि महरा को हरीश रावत की वजह से ही प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला।

किंतु बताया जा रहा है कि दोनों के बीच कुछ खास बात नहीं हुई। हरीश रावत ने इस मुलाकात के बाद कोई सकारात्मक बयान नहीं दिया। बल्कि पत्रकारों से कहा कि उनकी जगह नए लोगों की प्रतिक्रिया लें। क्योंकि वह तो अब पुराने गुड़-चावल हैं। उनकी जरूरत कभी-कभी ही पड़ती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : तीन पदों पर नियुक्ति होते ही कांग्रेस पार्टी में घमासान ! सीएम धामी से मिले प्रीतम, तीन पार्टी नेताओं ने किया कांग्रेस को अलविदा करने का ऐलान

Imageनवीन समाचार, देहरादून, 11 अप्रैल 2022। इधर कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के पदों पर नियुक्ति की, उधर पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने पहुंच गए, तो चर्चाएं होनी तो लाजिमी थी ही, और शुरू भी हो गईं। कहा जा रहा है कि प्रीतम तीनों पदों पर हुई ताजपोषी को खुद को उपेक्षित किया जाना मान रहे हैं। खासकर पार्टी में यशपाल आर्य की नेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्ति पर घमासान शुरू हो गया है।

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नहीं मिलने से प्रीतम सिंह कुछ नाराज हैं। यह भी बताया जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर प्रीतम सिंह को दोबारा मौका न दिए जाने से कांग्रेस के एक बड़े वर्ग में नाराजगी है। यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने से नाराज पार्टी के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुधीर कुमार सुनेहरा और पार्टी के प्रदेश सचिव नवीन सिंह पयाल ने भी इस्तीफा दे दिया है। साथ ही पूर्व प्रदेश सचिव गिरीश चंद्र पुनेड़ा ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है।

सुनेहरा ने कहा है कि प्रीतम से बेहतर नेता प्रतिपक्ष कोई और नहीं हो सकता था। सुनेहरा ने कहा है, आर्य पहले सत्ता की खातिर भाजपा में चले गए। जब लगा कि कांग्रेस की सरकार आ रही है तो चुनाव से पहले फिर लौट आए। अब नेता प्रतिपक्ष पर पर उनकी ताजपोशी कर निष्ठावान प्रीतम की अनदेखी कर दी गई है।

इसी बात पर प्रीतम के एक अन्य समर्थक, पूर्व प्रदेश सचिव गिरीश चंद्र पुनेडा ने अपने सोशल मीडिया पेज पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पर पद बेचने का आरोप लगाया है। कहा कि पहले टिकट बेचे गए और अब महत्वपूर्ण दायित्व भी करोड़ों रुपये में बेचे गए हैं। हाईकमान को इसका संज्ञान लेना चाहिए। माना जा रहा है कि यह घमासान आने वाले दिनों में अभी और बढ़ सकता है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : यह क्या ? दो कांग्रेसी विधायकों की ढुलमुल चर्चाओं के बीच हरीश रावत से सीएम के बाद अब मिलीं विधानसभा अध्यक्ष

Imageनवीन समाचार, देहरादून, 28 मार्च 2022। क्या उत्तराखंड की राजनीति में कोई नया गुल खिलने जा रहा है ? यहां आ रहे संकेत क्या इशारा कर रहे हैं ? एक ओर हरीश रावत के एक बेहद निकटस्थ कांग्रेसी विधायक सहित दो कांग्रेसी विधायकों के सीएम पुष्कर सिंह धामी के उपचुनाव लड़ने के लिए सीट चढ़ने की चर्चाएं हैं, दूसरी ओर हरीश रावत पर उनकी ही पार्टी के नेता भष्मासुर व जिल्लेइलाही जैसे शब्दों का प्रयोग कर हमले तेज कर रहे हैं, वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी के बाद सोमवार को प्रदेश की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने हरीश रावत से उनके आवास पर आकर भेंट की है।

यह सब तब है, जबकि हरीश रावत स्वयं विधानसभा के सदस्य यानी विधायक भी नहीं हैं। फिर भाजपा के लोग कांग्रेस से उपेक्षित हरीश रावत को क्यों ऐसे गले लगा रहे हैं ? यह सवाल उत्तराखंड की राजनीति में नए प्रश्न खड़े कर रहा है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : समझें निहितार्थ : हरीश रावत से मुलाकात के बात सीएम धामी ने कहा-‘सज्जनों में श्रेष्ठ’, पर किसे ?

नवीन समाचार, देहरादून, 26 मार्च 2022। कुछ-कुछ अपनी पार्टी भाजपा की तरह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार अपराह्न पूर्व मुख्यमंत्री एवं बीते चुनाव में एक तरह से अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हरीश रावत के ओल्ड मसूरी रोड स्थित घर गुलदस्ता लेकर पहुंचकर सबको चौंका दिया। इस दौरान दोनों नेताओं की काफी देर तक बात भी हुई। हालांकि दोनों नेताओं ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया।

इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने संस्कृत के श्लोक ‘न प्रहॄष्यति सन्माने नापमाने च कुप्यति। न क्रुद्ध: पुरूषं ब्रूयात् स वै साधूत्तम: स्मॄत:॥’ का प्रयोग करते हुए कहा है, ‘जो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर क्रोध न करें, क्रोधित होने पर कठोर वचन न बोलें, उनको ही सज्जनों में श्रेष्ठ कहा गया है।’ इसके निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि धामी किसे “सज्जनों में श्रेष्ठ” बताने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि लगता है कि धामी ने एक तरह से स्वयं को श्रेष्ठ बताने के लिए ही इस तरह की पहल की है।

बताया गया है कि इस दौरान दोनों नेताओं के बीच आधा घंटे से ज्यादा वक्त उनके साथ गुजारा, और राज्य हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से सकारात्मक चर्चा की। अचानक ही रावत के आवास पर पहुंचे धामी को देखकर वहां मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ता और रावत का स्टाफ भी हैरान रह गया। रावत ने खुद बाहर आकर धामी का स्वागत किया। तो धामी ने भी कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता को गुलदस्ता देकर सम्मान दिया। रावत ने धामी को दोबारा सीएम बनने पर शुभकामनाएं दी।

कहा कि उन पर अब और भी अधिक जिम्मेदारी हैं। सरकार को राज्य की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। रावत के मीडिया कोर्डिनेटर जसबीर सिंह रावत ने कहा कि दोनों ने काफी समय साथ गुजारा। इस दौरान विभिन्न विषयों पर बातचीत की। राजनीतिक और वैचारिक रूप से कट्टर विरोधी माने जाने वाले दोनों नेताओं की यह मुलाकात सोशल मीडिया और सियासी हल्कों में खासी चर्चा में है।

8 जुलाई 2020 को अपने हाथों से त्रिवेन्द्र रावत को आम खिलाते हरीश रावत.

हालांकि यदि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट भी माना जाए तो भी उत्तराखंड में वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्रियों की मुलाकात सामान्य घटना नहीं है। इससे पूर्व त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके हरीश रावत की ‘आम पार्टी’ में जाने के अलावा ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं। गौरतलब है कि गत विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टियों का चेहरा होने के बावजूद धामी और हरीश रावत दोनों चुनाव हारे हैं। इन दिनों हरीश रावत अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़े हैं। उनके साथ ही उनके खेमे के अधिकांश नेता भी चुनाव हार चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि चुनाव परिणाम के बाद हरीश रावत ने गत दिवस धामी की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान धामी पर खूब हमले बोले, किंतु उन्होंने जिस शालीनता से इन हमलों का जवाब दिया, वह काबिले-तारीफ है। उनके लिए राजनीतिक हमले करने की मजबूरी भी थी। उन्होंने धामी की यह कहकर भी तारीफ की थी कि धामी दूसरों से हमेशा सीखते रहते हैं। धामी के इस कदम से रावत की बात की पुष्टि भी हो रही है कि धामी एक राजनेता के तौर पर विरोधियों को भी राजनीतिक लाभ लेने के लिए गले लगाने की कला भी सीख रहे हैं। इसके अलावा भी जहां कई कांग्रेस नेता चुनाव हारने के बावजूद धामी को सीएम बनाने को लोकतंत्र का अपमान बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे, वहीं हरीश रावत ने भाजपा के इस निर्णय की ‘साहसिक निर्णय’ कहकर तारीफ की थी।

आज ऋतु खंडूडी को राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनाने की भी हरीश रावत ने ‘श्रेष्ठ निर्णय’ कहकर प्रशंसा की है। रावत ने पूर्व में ‘उज्याड़ू बल्द’ कहे जाने पर कड़ी तकरार करने वाली रेखा आर्य के कुमाउनी परिधान में मंत्री पद की शपथ लेने पर भी ‘शाबास… उत्तराखंडियत’ कहकर भी तारीफ की है। ऐसे में अपनी व पार्टी की हार के बाद कांग्रेस पार्टी में अलग-थलग पड़े हरीश रावत के बारे में कई राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : धामी दो-तिहाई टीम से ही खेलेंगे, कुमाऊं मंडल के 3 मंत्रियों का पत्ता कटना और 3 का मंत्री बनना, जबकि कांग्रेसी मूल के 4 का मंत्री बनना तय…

नवीन समाचार, देहरादून, 23 मार्च 2022। उत्तराखंड में दो-तिहाई बहुमत से जीती भाजपा के मुख्यंमत्री पुष्कर सिंह धामी की नई टीम में 11 सीटें होने के बावजूद फिलहाल केवल 8 यानी करीब दो-तिहाई खिलाड़ी ही खेलेंगे। ‘नवीन समाचार’ को मिल रही एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार उनकी टीम में पिछली टीम में शामिल रहे कुमाऊं मंडल के तीन मंत्रियों को दुबारा जगह नहीं मिलने जा रही है।

वहीं कुमाऊं मंडल से केवल तीन मंत्री बनने की ही स्थिति बन रही है। जबकि कांग्रेसी मूल के चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है। कुमाऊं के 6 में से 3 जनपदों-नैनीताल, चंपावत व पिथौरागढ़ जिलों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पाया है।

मंत्री बनने हेतु शपथ लेने के लिए गोपन विभाग की ओर से प्रस्तावित मंत्रियों को फोन जाने शुरू हो गए हैं। बताया गया है कि अब तक सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्या, गणेश जोशी, प्रेम चंद्र अग्रवाल, सौरभ बहुगुणा, चंदन रामदास को फोन आ गए हैं। अलबत्ता, वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत का नाम नजर नहीं आ रहा है। ऋतु खंडूड़ी को विधानसभा अध्यक्ष बनने बनाए जाने की बात भी प्रकाश में आ रही है। यह भी बताया जा रहा है कि आज शपथ लेने वाले सभी आठ मंत्री कैबिनेट स्तर के होंगे, कोई स्वतंत्र प्रभार या राज्य मंत्री नहीं होंगे। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड राजनीति ब्रेकिंग : हो गया उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री का ऐलान

Imageनवीन समाचार, देहरादून, 21 मार्च 2022। उत्तराखंड में गत 10 मार्च को हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद से राज्य के अगले मुख्यमंत्री के लिए बना असमंजस समाप्त हो गया है। उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही होंगे। सोमवार को राजधानी स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में ठीक पांच बजे से केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह एवं मीनाक्षी लेखी के साथ ही प्रदेश प्रभारी प्रह्लाद जोशी एवं भाजपा के विधायकों की बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की गई। इसके बाद अब जल्द ही नव मनोनीत मुख्यमंत्री धामी जल्द ही प्रदेश के राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने धामी के नाम का प्रस्ताव रखा जिसका पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने अनुमोदन किया एवं सभी राजनाथ सिंह के अनुसार सभी 47 भाजपा विधायकों ने ताली बजाकर समर्थन किया।

इसके बाद नव मनोनीत मुख्यमंत्री धामी प्रदेश के राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन को रवाना हो गए हैं। बताया गया है कि 23 मार्च को धामी के नेतृत्व में भाजपा की नई सरकार शपथ ग्रहण करेगी। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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Imageनवीन समाचार, नई दिल्ली, 21 मार्च 2022। नई दिल्ली से उत्तराखंड के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी प्रह्लाद जोशी के साथ निजी चार्टर्ड प्लेन से देहरादून पहुँच गए हैं। राजनाथ सिंह की गाड़ी से कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी भी साथ ही विधानमंडल की होटल पैसिफिक में आयोजित हो रही बैठक में पहुंच रहे हैं। अनिल बलूनी व मदन कौशिक भी साथ में नजर आ रहे हैं। इस बीच त्रिवेंद्र रावत ने कहा है, वह मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हैं, क्योंकि वह चुनाव ही नहीं लड़े हैं। अलबत्ता उन्होंने कहा, जो भी मुख्यमंत्री बनेगा-जोरदार बनेगा।

Imageइससे पूर्व बंशीधर भगत उत्तराखंड के प्रोटेम स्पीकर बन गए। देहरादून स्थित राजभवन में उत्तराखंड के राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर कार्यकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राजभवन में उपस्थित रहे।

इसके बाद बंशीधर भगत विधानसभा पहुंचे और  सबसे पहले भाजपा विधायक अरविंद नौटियाल ने शपथ ली। उनके बाद अरविंद पांडे, फिर आदेश चौहान, कांग्रेस विधायक आदेश सिंह चौहान, उमेश कुमार पत्रकार के क्रम में सभी 69 विधायकों को शपथ दिलाई। तिलक राज बेहड़ किसी कारणवश शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंच पाए। विधायक ऋतु खंडूरी और महाराज ने संस्कृत और किशोर उपाध्याय ने पहले गढ़वाली और फिर हिंदी में शपथ ली।

इससे पूर्व 5वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक विधानसभा पहुंचे। पहली बार निर्वाचित विधायक सविता कपूर व त्रिलोक सिंह चीमा आदि कई विधायकों ने विधानसभा भवन को नमन कर भीतर प्रवेश किया। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 20 मार्च 2022। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत के बावजूद भाजपा विधायक दल के नेता को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए विधायक दल की बैठक सोमवार को देहरादून में होगी। यह भी तय हो गया है कि नई सरकार का शपथ ग्रहण 23 मार्च को राजभवन की जगह परेड ग्राउंड में होगा।

बताया गया है कि सोमवार सुबह 10 बजे राजभवन में राज्यपाल लेज गुरमीत सिंह (सेनि) प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत को शपथ दिलाएंगे। जिसके बाद प्रोटेम स्पीकर विधायकों की शपथ 11 बजे से विधानसभा में कराएंगे। इसके लिए अधिकृत तौर पर सभी विधायकों को सूचित कर दिया गया है। उसके बाद सोमवार शाम 5 बजे भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए विधायक दल की बैठक देहरादून के एक निजी होटल में होगी। विधानमण्डल दल की बैठक में नए सीएम की घोषणा की जाएगी। जिसको लेकर दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी की मौजदूगी में उत्तराखंड में चुनाव जीते तमाम भाजपा विधायक सोमवार को अपने नेता का चुनाव करेंगे जो प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।

इसी क्रम में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए दिल्‍ली में आज भाजपा की अहम बैठक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई। बताया जा रहा है कि इस बैठक में अमित शाह ने उत्तराखंड के नेताओं को अपने पक्ष में मुख्यमंत्री पद के लिए लॉबिंग करने पर फटकार भी लगाई। बैठक के बाद सभी नेता रमेश पोखरियाल निशंक के घर पहुंचे। बैठक के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भाव-भंगिमा, बॉडी लैंग्वेज उत्साहजनक नहीं दिखाई दी है। ऐसे में माना जा रहा है राज्य को एक नया मुख्यमंत्री मिलना कमोबेश तय है और राजनीतिक समीकरणों व चर्चाओं को देखते हैं कि राज्य को करीब 9 वर्ष के बाद एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिल सकता है। उधर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत काफी चहके हुए लग रहे हैं।

बैठक में मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, सांसद अनिल बलूनी, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, सतपाल महाराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीएल संतोष, राज्य के संगठन महामंत्री अजय कुमार और प्रदेश प्रभारी प्रहलाद जोशी भी शामिल रहे। सूत्रों का कहना है दिल्ली में अमित शाह के आवास पर हुई बैठक में सीएम का नाम तय हो चुका है ।

नया सीएम कौन होगा इसका फैसला बीजेपी आलाकमान कर रहा है जिसकी औपचारिक घोषणा विधानमंडल दल की बैठक में होगी। इससे पहले सुबह पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी देहरादून पहुंच जाएंगे जिसके बाद पार्टी की तमाम प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 18 मार्च 2022। उत्तराखंड में नई सरकार के गठन की समयसीमा करीब आते और होली का त्योहार निपटते राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। शनिवार शाम केंद्रीय नेतृत्व से आए बुलावे पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली रवाना हो गए हैं। इससे पहले उन्होंने पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ से भी मुलाकात की है।

उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक भी दिल्ली गए हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री व भाजपा विधायक ऋतु खंडूड़ी भी दिल्ली में हैं। शनिवार को त्रिवेंद्र व ऋतु दोनों ने कंेद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य केंद्रीय नेताओं से भेंट की। उधर दिल्ली आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी नई दिल्ली से महाराष्ट्र लौट चुके हैं।

इधर, पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का पहले रविवार को देहरादून पहुंचने का कार्यक्रम था, लेकिन अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है। समझा जा रहा है कि अब पर्यवेक्षक सोमवार को पहुंचेंगे और इसी दिन या फिर मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है।

उधर, भाजपा बिना कुछ भी तय हुए शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी ने मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए परेड मैदान का चयन किया है। समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की संभावना है।

इधर, रविवार को विधायक दल की बैठक की संभावना क्षीण ही नजर आ रही है। वहीं माना जा रहा है कि सोमवार को प्रोटेम स्पीकर की राजभवन में शपथ होगी और फिर इसी दिन या अगले दिन विधानसभा में नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। यह भी चर्चा है कि विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक हो सकती है।

उधर, प्रदेश भाजपा मुख्यालय में शनिवार शाम को हुई बैठक में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों को लेकर प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार ने पार्टी पदाधिकारियों संग मंथन किया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने बताया कि परेड मैदान में शपथ ग्रहण समारोह भव्य होगा। प्रयास यह है कि समारोह में प्रदेश के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। इसी हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : दूल्हे-बारातियों व बारात की तारीख का पता नहीं, शादी का मंडप सजना शुरू और नई सरकार के गठन की तिथि तय

नवीन समाचार, देहरादून, 18 मार्च 2022। उत्तराखंड में दूल्हे एवं बारातियों यानी मुख्यमंत्री एवं मंत्री कौन बनेंगे, यह अभी तय नहीं है। यह भी तय नहीं है कि राज्य में विधानमंडल दल की बैठक कब होगी और इस बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह व मीनाक्षी लेखी कब देहरादून पहुचेंगे व कब विधायकों से रायशुमारी करेंगे, किंतु इतना निश्चित है कि राज्य में 23 मार्च से पहले नई सरकार का गठन हो जाएगा। क्योंकि इससे पहले सरकार का गठन करने की संवैधानिक मजबूरी है।

यह भी है कि विधानमंडल दल की बैठक के लिए भाजपा ने 20 मार्च यानी रविवार से पार्टी विधायकों को देहरादून में मौजूद रहने का फरमान दे दिया है। इसके बाद कयास ही लगाए जा रहे हैं कि 21 को विधानमंडल दल की बैठक तथा 21 मार्च को ही राज्यपाल पहले प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत को थपथ दिलाएंगे और फिर भगत सभी नए विधायकों को शपथ दिलाएंगे। नए मुख्यमंत्री व कुछ मंत्री 23 मार्च को भी शपथ ले सकते हैं। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड के भाजपा विधायकों को 20 से देहरादून में रहने के आदेश..

नवीन समाचार, देहरादून, 18 मार्च 2022। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के चयन के साथ-साथ नई मंत्रिपरिषद के सदस्यों के चयन का होमवर्क कमोबेश हो गया है। भाजपा के राज्य मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने उत्तराखंड के सभी भाजपा विधायकों को 20 मार्च को देहरादून पहुंचने के लिए कहा है।

माना जा रहा है कि भाजपा विधायक दल की बैठक होली के बाद 20 मार्च को हो सकती है। हालांकि इसकी अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। माना जा रहा है कि 20 को ही मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला होने के साथ ही नए मंत्रियों के नामों का भी ऐलान कर दिया जाएगा। यह भी तय माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री के साथ ही मंत्री पदों पर चौकाने वाला है। कोई भी विधायक दावे के साथ खुद को कोई पद मिलने का दावा नहीं कर सकता है।

सूत्रों के अनुसार 19 मार्च को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अहम बैठक होनी है। इस दौरान राज्य के नये सीएम के नाम पर मुहर लग सकती है। वहीं, उत्तराखंड में नये मुख्यमंत्री और मंत्रियों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम 22 मार्च को होने की संभावना है। खबर है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के आधार पर नए मंत्रिमंडल के गठन की कवायद चल रही है। विदित हों कि कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

सूत्रों के अनुसार, 22 मार्च होने वाला उत्तराखंड में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह मेगा इवेंट की तरह आयोजित किया जाएगा, जिसमें केंद्रीय नेताओं के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। शपथ ग्रहण कार्यक्रम का उत्तराखंड के सभी जिलों और मंडलों में एलईडी पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे। इस पूरे आयोजन की जिम्मेदारी जिला व मंडल इकाइयों के पदाधिकारी, स्थानीय नेता को दी जाएगी।

नई सरकार के गठन के तत्काल बाद चूंकि विधानसभा का बजट सत्र शुरू होना है। ऐसे में सदन में विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए सरकार का संपूर्ण रूप में सदन में होना जरूरी है। इसीलिए माना जा रहा है कि मंत्रियों के ऐलान और शपथ में इस बार देरी की संभावना नहीं है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता बंशीधर भगत भाजपा के केंद्रीय हाईकमान के बुलावे पर दिल्ली रवाना, क्या सच साबित होने जा रही ‘नवीन समाचार’ की खबर ?

Uttarakhand : Bjp Most Senoir Mla Banshidhar Bhagat Appointed As Protem  Speaker, Appointed By Governor - Uttarakhand: भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायक बंशीधर  भगत को बनाया गया प्रोटेम स्पीकर ...नवीन समाचार, हल्द्वानी, 16 मार्च 2022। उत्तराखंड में सीएम पद को लेकर कवायद तेजी से चल रही है। बुधवार सुबह ही ‘नवीन समाचार’ ने कुमाऊं के ब्राह्मण नेता को मुख्यमंत्री बनाने की संभावना पर समाचार प्रकाशित किया था। शाम होने तक यह खबर तब और अधिक चर्चाओं में आ गई जब भाजपा के केंद्रीय हाईकमान ने कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता बंशीधर भगत को दिल्ली बुला लिया और भगत शाम चार बजे दिल्ली रवाना हो गये। उनके दिल्ली रवाना होने से सियासी हलकों में अटकलों का दौर भी शुरू हो गया। यह भी पढ़ें: कुमाऊं के ब्राह्मण नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है भाजपा…!

ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में सेतु की भूमिका निभाएं भाजपा कार्यकर्ता: भट्ट

इस बीच सियासी गलियारे में यह जानकारी भी आई कि 80 के दशक से एक विधायक को सीएम बनाए जाने की बात चल रही थी। अब अचानक भगत को दिल्ली बनाए जाने से इन दोनों चर्चाओं को और बल मिल गया है। उल्लेखनीय है कि भगत उत्तराखंड के नवनिर्वाचित विधायकों में सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, इस कारण उन्हें प्रोटेम स्पीकर भी चुना गया है। वहीं पूछे जाने पर भगत ने कहा कि वह निजी काम से दिल्ली जा रहे हैं। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 16 मार्च 2022। उत्तराखंड में सरकार गठन की तेज होती कोशिशों के बीच मंगलवार को प्रदेश के अनेक नेता नई दिल्ली में रहे। इस दौरान कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संग उनके संसद भवन स्थित कार्यालय में सियासी चर्चा की। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के साथ चुनाव नतीजों के बाद की समीक्षा की।

इस दौरान धामी एवं बलूनी ने पुष्पगुच्छ देकर शाह का अभिनंदन किया। सूत्रों ने बताया कि धामी की काफी देर तक शाह के साथ नतीजों को लेकर चर्चा हुई। शाह ने उत्तराखंड में दोबारा भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिलने पर बधाई दी। शाह ने खटीमा से हार की वजह के बाबत भी धामी से पूछा और उन्हें भरोसा दिया कि भविष्य में सब अच्छा ही रहेगा।

इससे पहले धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर मंगलवार सुबह दिल्ली पहुंचे। उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, गृह मंत्री अमित शाह समेत नेताओं से मुलाकात भी हुई। इस दौरान उन्होंने वर्तमान परिदृश्य के मद्देनजर केंद्रीय नेताओं को फीडबैक दिया। साथ ही अन्य विषयों को लेकर चर्चा की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि मंगलवार को राज्य विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर ही केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा हुई।

सूत्रों ने बताया कि नड्डा ने कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की जीत और हार का भी फीड बैक लिया। इसके साथ ही 19 मार्च को होने वाली संभावित विधायक दल की बैठक को लेकर भी चर्चा की तथा उत्तराखंड में चुनाव प्रबंधन में लगी टीम को भी बधाइयां दी। इस दौरान उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम के साथ ही सह प्रभारी लॉकेट चटर्जी, रेखा वर्मा और आरपी सिंह भी मौजूद रहे। कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूड़ी, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, रानीखेत के विधायक प्रमोद नैनवाल, लालकुआं विधायक डॉ. मोहन बिष्ट आदि कई विधायक भी दिल्ली में ही बताए जा रहे हैं।

निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष और ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने भी मंगलवार को नई दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला से भेंट की। बिड़ला ने उन्हें लगातार चौथी जीत पर बधाइयां दी। बताया गया कि भाजपा विधायक दल की बैठक होली पर्व के तुरंत बाद 19 मार्च को होने की पूरी संभावना है। केंद्रीय रक्षा मंत्री और पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और सह पर्यवेक्षक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी भी इसी दिन पहुंचेंगे। सूत्रों ने बताया कि भाजपा हाईकमान उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का नाम तय कर चुका है। विधायक दल की बैठक में सिर्फ इस नाम पर सहमति बनाई जाएगी। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 15 मार्च 2022। उत्तराखंड में नई सरकार के गठन, मुख्यमंत्री के चयन एवं मंत्रिमंडल के गठन के लिए नई दिल्ली में सरगर्मी बढ़ गई हैै। राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ ही मंत्री रेखा आर्य, मुन्ना सिंह चौहान, विनोद कंडारी, प्रमोद नैनवाल व ऋतु खंडूड़ी के साथ ही सांसद अजय भट्ट, अजय टम्टा, माला राजलक्ष्मी व तीरथ सिंह रावत एवं प्रदेश प्रभारी प्रह्लाद जोशी आदि सभी लोस व रास सांसद दिल्ली में हैं।

यहां पार्टी नेताओं की प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात हुई है और उत्तराखंड सदन में पार्टी नेताओं की बैठक होने की उम्मीद है। दिल्ली में पार्टी के संसदीय दल की बैठक भी चल रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में पार्टी नेताओं के साथ मुख्यमंत्री पद पर चर्चा व निर्णय हो सकता है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि उत्तराखंड पर निर्णय 19 मार्च के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा।

इस बीच रेखा आर्य ने पुष्कर धामी को केवल 6 माह का ही कार्यकाल मिलने और इसके बावजूद उनके द्वारा पार्टी को बड़ी जीत दिलाने की बात कहते हुए उन्हें एक और अवसर दिए जाने की पैरवी की है। साथ ही खुद को प्रदेश की वरिष्ठतम महिला नेत्री बताते हुए हुए अपनी दावेदारी भी बताई है। वहीं तीरथ सिंह रावत ने धामी पर कोई भी टिप्पणी से इंकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर यह जीत मिली है। मुख्यमंत्री पद पर पार्टी नेतृत्व को निर्णय लेना है। कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार पूरे पांच वर्ष तक के लिए मुख्यमंत्री चुनना चाहती है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 मार्च 2022। चर्चा है कि निवर्तमान कैबिनेट मंत्री व कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत को प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और उनके बदले किसी और को कैबिनेट में लिया जा सकता है। उनका प्रोटेम स्पीकर बनना भी तय माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ऋषिकेश विधायक व निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल स्पीकर की बजाय कैबिनेट मंत्री बनने के इच्छुक हैं वहीं मदन कौशिक की भी अध्यक्ष की कुर्सी की बजाय कैबिनेट मंत्री बनने में अधिक दिलचस्पी है।

वहीं मंत्री पदों की बात करें तो इस बार भाजपा अधिक बोल्ड तरीके से यानी बिना किसी दबाव के मंत्री बना सकती है। इस बार पार्टी के समक्ष पिछली बार की तरह कांग्रेसी खेमे से आए विधायकों को मुख्यमंत्री बनाने का कोई दबाव नहीं है, क्योंकि अब सभी पार्टी में पुराने हो चुके हैं। विधायकों ने चुनाव अपने दम की बजाय प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर अधिक जीता है, और अब यह स्थापित तथ्य है, इसलिए कोई भी विधायक मंत्री बनाने के लिए किसी तरह का दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है।

ऐसे में उम्मीद है कि पार्टी क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधते हुए योग्य नेताओं को ही मंत्री बनाएगी। ऐसे में पिछले कार्यकाल में अपनी जिम्मेदारी से न्याय न कर पाए कई मंत्री हटाए और नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। हरक व यशपाल के जाने से भी भाजपा के पास इस बार मंत्री बनाने के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध रहेंगे। गौरतलब है कि भाजपा गुजरात में इसी तरह का बहुमत आने की स्थिति में पूरे मंत्रिमंडल को भी बदल चुकी है। उत्तराखंड में भी पार्टी के पास यह विकल्प है।

होली से पहले नहीं बनेगी सरकार
नैनीताल। विधानसभा चुनाव में जनादेश हासिल करने के बाद भाजपा में नए मुख्यमंत्री को लेकर लेकर चर्चा है तो वहीं नए मंत्रिमंडल को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने नई विधानसभा के गठन को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन खबरों के अनुसार होली से पहले विधानसभा के गठन में एक पेंच फंसता नजर आ रहा है और सरकार के गठन में देरी हो सकती है। इसकी बड़ी वजह आजकल होलाष्टक का लगा हुआ माना जा रहा है।

गौरतलब है कि होलाष्टक 10 मार्च से अगले आठ दिनों तक रहेगा। माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं और शुभ कार्यों से बचा जाता है। यह भी माना जा रहा है कि यूपी में मंत्रिमंडल के गठन के बाद ही उत्तराखंड में सरकार गठन पर चर्चा होगी। वैसे भी राज्य में वर्तमान विधानसभा का 24 मार्च तक का समय शेष है। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा के एक बागी का ऐसा हाल, दो भाइयों के परिवार में 10 सदस्य और वोट मिले सिर्फ 4, लगाए ईवीएम पर आरोप

नवीन समाचार, देहरादून, 12 मार्च 2022। कैंट विधानसभा से चुनाव हारे भाजपा के एक बागी दिनेश रावत ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि उन्हें उनके सहयोगियों के बूथ परएक भी वोट नहीं मिला है। यहां तक कि उनके दो भाइयों के परिवार के सदस्यों के भी पूरे वोट उन्हें नहीं मिले। उनके दो भाइयों के परिवार में 10 मतदाता सदस्य हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ 4 वोट मिले हैं। लिहाजा उन्होंने चुनाव आयोग से वीवीपैट पर्चियों से वोटों की मिलान करने की मांग उठाई है।

भाजपा के बागी नेता का हाल, दो भाइयों का परिवार, 10 वोट और पड़े सिर्फ चार
कैंट विधानसभा से चुनाव हारे भाजपा के एक बागी दिनेश रावत

बागी प्रत्याशी दिनेश रावत ने बताया कि उन्होंने चुनाव में दिन-रात मेहनत की। दावा किया है कि उनको वास्तव में दस से 12 हजार वोट पड़े हैं, लेकिन ईवीएम की गणना में मात्र 1056 वोट मिले हैं। इससे साफ है कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ी थी। कहा कि बूथ संख्या 42 पर उनके दो भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों के दस वोट थे, लेकिन इस बूथ पर उनको मात्र चार वोट मिले हैं।

साथ ही करीब चालीस लोग चुनाव में उनके सहयोगी थे और दिन-रात उनके साथ थे, लेकिन उनके बूथों पर उनको एक भी वोट नहीं मिला। मतगणना स्थल पर उन्होंने इसका विरोध भी किया और अधिकारियों से वीवीपैट से मिलान करने की मांग की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। कहा कि विपक्ष कई सालों से ईवीएम में गड़बड़ी की आरोप लगा रहा था, उनका आरोप गलत नहीं है। इसकी जांच होनी जरूरी है। दूसरी ओर जनता उन पर मजे ले रही है। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा प्रत्याशी के समर्थक से चुनावी रंजिश में मारपीट, घरों पर पथराव

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 21 फरवरी 2022। चुनावी रंजिश में एक भाजपा कार्यकर्ता की पिटाई एवं अन्य के घर पर पथराव के मामले सामने आए हैं। पहले मामले के अनुसार मूल रूप से पहाड़पानी व हाल बृजवासी कालोनी बिठौरिया निवासी पूरन मिश्रा ने कोतवाली में तहरीर देकर बताया है कि वह भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा का समर्थक है। पहाड़पानी निवासी गिरीश मिश्रा उससे पुरानी रंजिश रखता है। बीते शुक्रवार की रात गिरीश ने फोन कर उसे रोडवेज स्टेशन बुलाया।

सुल्तानपुर: चुनावी रंजिश में बवाल दौड़ा-दौड़ा कर पीटागिरीश के साथ तीन-चार अन्य लोग थे। यहां पहुंचने पर गिरीश ने पुरानी रंजिश को भुला देने की बात कही, मगर राजनीतिक चर्चा होने पर फिर बात बिगड़ गई। आरोप है कि इसके बाद गिरीश व उसके साथियों ने उसे पीटा और फिर सिर पर शराब की बोतल से वार किया। इसमें वह घायल हो गया। आरोप है कि विधायक कैड़ा के लिए भी अपशब्द कहे। कोतवाल हरेंद्र चौधरी ने बताया कि तहरीर के आधार पर नामजद गिरीश सहित अन्य आरोपितों पर मुकदमा दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है।

वहीं एक अन्य मामले में शहर के आवास विकास में भाजपा के दो नेताओं के घर पर पथराव का मामला सामने आया है। शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। भोटिया पड़ाव पुलिस चौकी में दी गई तहरीर में भाजपा के बूथ अध्यक्ष गोपाल मेहरा ने पुलिस को बताया कि बीते शनिवार की शाम साढ़े सात बजे वह घर पर टीवी देख रहे थे। इसी बीच कुछ लोगों ने रेलवे पटरी की तरफ से उनके घर पर पथराव किया।

वहीं, सोशल मीडिया प्रदेश सह प्रभारी भुवन जोशी व जीवन जोशी ने बताया कि जिस समय पथराव हुआ वह घर पर नहीं थे। पथराव से उनके परिजन दहशत में आ गए। उन्होंने आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की है। क्षेत्र में इस घटना को चुनावी रंजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है। रविवार को भोटियापड़ाव चौकी इंचार्ज प्रकाश पोखरियाल ने मौका मुआयना किया। साथ ही सीसीटीवी फुटेज खंगाले। उन्होंने बताया कि जांच की जा रही है। इसके बाद मुकदमा दर्ज किया जाएगा। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कांग्रेसी नेताओं की ‘कौन बनेगा सीएम’ की चर्चाओं के बीच दो नए पुराने सीएम की मुलाकात से सियासी गलियारों में हलचल

CM धामी-पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की मुलाकात से सियासी गलियारों में हलचल, दिल्ली से लौटने के बाद त्रिवेंद्र के घर पहुंचे पुष्करनवीन समाचार, देहरादून, 20 फरवरी 2022। उत्तराखंड कांग्रेस में चल रही ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ की बहस के बीच उत्तराखंड की राजनीति में रविवार को दो नए-पुराने मुख्यमंत्रियों की मुलाकात की तस्वीर सामने आई है। इससे सियासी गलियारों में जमकर हलचल मच गई है।

बताया गया है कि रविवार शाम को नई दिल्ली से लौटने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी अचानक ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के घर में उनसे मिलने पहुंच गए। भाजपा के दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद कई मायने निकाले जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस दौरान दोनों नेताओं के बीच सियासी मुद्दों को लेकर जमकर चर्चा हुई।

गौरतलब है कि इससे पूर्व भाजपा के दो-तीन विधायकों के विधानसभा चुनाव के दौरान भितरघात को लेकर की गई सार्वजनिक चर्चाओं और एक विधायक द्वारा प्रदेश अध्यक्ष पर सीधे गंभीर आरोप लगाने के बाद सीएम धामी व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक दिल्ली चले गए थे। बताया जा रहा है कि उन्हें ऐसी चर्चाओं की सच्चाई जानने के लिए दिल्ली तलब किया गया था। अब धामी की दिल्ली से लौटने के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र से चर्चा होनी लाजिमी है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी सहित 24 समर्थकों पर भाजपा प्रत्याशी के पुत्र को जिंदा जलाने के प्रयास के आरोप में मुकदमा दर्ज

नवीन समाचार, जसपुर, 15 फरवरी 2022। उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर की जसपुर विधानसभा में चुनावी रंजिश में विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी आदेश चौहान और उनके 23 साथियों पर कारों में तोड़फोड़ कर भाजपा समर्थकों को जिंदा जलाने के प्रयास का सनसनीखेज आरोप लगा है। मामले में भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल के बेटे सिद्धार्थ मोहन सिंघल की तहरीर पर पुलिस ने विधायक और उनके 23 साथियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।

तहरीर में कहा गया है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से बीती देर रात रामनगर वन गांव में मतदाताओं को पैसे बांटने की सूचना मिली थी। इस पर सिद्धार्थ अपने कुछ साथियों के साथ गांव में पहुंचे तो आरोप है कि विधायक के समर्थकों राहुल चौहान व विजय पाल सिंह ने अपने 15-20 साथियों के साथ उनकी गाड़ी को रोककर घेर लिया और गालीगलौज करने लगे। इस पर उन्होंने अपने साथियों को फोन करके वहां बुला लिया। इस बीच विधायक आदेश चौहान भी अपने काफिले के साथ वहां पर आ धमके और उनकी गाड़ी के सामने अपनी गाड़ी लगाकर उन्हें घेर लिया। उनकी गाड़ियों के पीछे भी ट्रैक्टर लगा दिया।

आरोपों के अनुसार इसके बाद आदेश चौहान ने अपने साथी टिकेंद्र, राजेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू, हिमांशु नंबरदार, नितिन, अवधेश सिंह चौहान, रितिक आदि अपने साथियों के साथ गाड़ियों से निकलकर गालीगलौज कर उन पर लाठी-डंडों से गाड़ियों पर हमला कर दिया। यही नहीं, उनकी गाड़ी में आग लगाकर जिंदा जलाने का प्रयास किया। तीन गाड़ियों के शीशे भी तोड़ दिए।

इस घटना में एक गाड़ी में बैठे उज्ज्वल गोयल, अक्षत गोयल और शिवा मिश्रा को चोटें आईं। वह बड़ी मुश्किल से वहां से जान बचाकर निकले। पुलिस ने इस मामले में विधायक सहित नौ नामजद और 15 अज्ञात समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। दूसरी ओर विधायक आदेश सिंह चौहान का कहना है कि उनके ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं जांच में यह बात साबित हो जाएगी। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : महिला निर्दलीय प्रत्याशी व उनके 40-50 समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

नवीन समाचार, रामनगर, 15 फरवरी 2022। रामनगर पुलिस ने रामनगर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी श्वेता मासीवाल एवं उनके 40-50 समर्थकों के खिलाफ मुदमा दर्ज किया है। बताया गया है कि बीती रात्रि जब एसडीएम, सीओ व नगर कोतवाल आदि विधानसभा निर्वाचन के दृष्टिगत क्षेत्र भ्रमण पर थे तभी उनके खताड़ी, भवानीगंज, गुलरघट्टी क्षेत्र का भ्रमण करते हुए ब्रजेश अस्पताल के पीछे गली में पहुंचते निर्दलीय प्रत्याशी श्वेता मासीवाल अपने 40-50 समर्थकों के साथ गाड़ियों के पीछे से आकर अचानक गाडियों के आगे बैठ गयीं तथा अधिकारियों की सभी गाडियों को रोक दिया तथा अपने आपको फेसबुक लाइव कर गाली गलौच कर अनर्गल बातें करने लगीं।

श्वेता अपने समर्थकों को भी फेसबुक लाइव आने को कहकर भड़काने लगीं। उन्हें मौके पर अधिकारियों ने काफी समझाया परंतु उन्होंने किसी भी बात नहीं सुनी। इसलिए निर्दलीय प्रत्याशी श्वेता मासीवाल व उनके समर्थकों के विरुद्ध थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 353, 341, 186, 188 व 504 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : हल्द्वानी : बूथ पर वोट डालते हुए फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करने पर युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज, उधर पुलिस को भांजनी पड़ीं लाठियां

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 14 फरवरी 2022। हल्द्वानी के भोटिया पड़ाव बूथ पर एक मतदाता को वोट देने के दौरान बूथ में फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डालना भारी पड़ गया। पुलिस ने युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसा पुलिस ने विकास सिंह सिजवाली पुत्र आनंद सिंह सिजवाली निवासी जगदम्बा नगर, वार्ड संख्या 8 के खिलाफ बूथ संख्या 36, भोटिया पड़ाव हल्द्वानी मतदान केंद्र पर जाकर अपने प्रत्याशी को वोट करते हुए उसकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया में शेयर कर दी। इस पर पुलिस ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए तत्काल युवक पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 128 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर दिया है।

उधर बनभूलपुरा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बूथ में सपा और कांग्रेस समर्थकों के बीच किसी बात को लेकर झड़प हो गई। सपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बूथ के अंदर एजेंट बने कांग्रेसियों के साथ और लोग भी घुस रहे हैं। इस पर पुलिस बल को मतदान केंद्र के चारों तरफ से कवर के लिए कहा गया। पुलिस ने पहले लोगों को समझाया उसके बाद लाठियां भांजकर खदेड़ा। बूथ के आसपास सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ा दी गई है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग : हरीश रावत को वोट देते हुए फोटो वायरल, चुनाव आयोग की सतर्कता पर सवाल

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 फरवरी 2022। उत्तराखंड की लालकुआं विधानसभा में दौलतपुर मतदान केंद्र में मतदान के दौरान विधायक प्रत्याशी पूर्व सीएम हरीश रावत को वोट देते हुए एक फोटो वायरल किया गया है। इससे लोगों में नाराजगी है, और चुनाव आयोग की सतर्कता पर सवाल उठ रहे हैं। ललित बेलवाल नाम के स्थानीय ट्विटर खाते से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है।

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डीएम धीराज गर्ब्याल ने बताया कि मामले में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी विधानसभा में भी इसी तरह के मामले में दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

इसी तरह कालाढुंगी विधानसभा के एक बूथ एवं हल्द्वानी के एमबीपीजी बूथ संख्या 33 पर भी एक मतदाता के द्वारा एक प्रत्याशी को वोट डालते हुए सोशल मीडिया पर फोटो डालने पर मुकदमा दर्ज हुआ है। जबकि भीमताल विधानसभा के ओखलकांडा ब्लॉक के चमोली गांव में भी एक प्रत्याशी को वोट डालते हुए वीडियो वायरल हो रहा है।

यह भी पढ़ें : आखिर भाजपा ने कर दिया बड़ा ‘डैमेज कंट्रोल’

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 30 जनवरी 2022। कालाढुंगी विधानसभा से निर्दलीय ताल ठोंकने वाले भाजपा नेता गजराज बिष्ट मान गए हैं। इसकी भूमिका तभी बन गई थी जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उनके हल्द्वानी स्थित आवास पर उन्हें मनाने पहुंचे। इस दौरान ही उनकी चेहरे की भावभंगिमा से लग रहा था कि वह पार्टी नेतृत्व के आश्वासन पर संतुष्ट हैं। ऐसा इसलिए भी लगा कि आधे घंटे से अधिक समय तक गजराज के आवास पर बातचीत हुई, और आखिर गजराज मान गए। इस दौरान लालकुआं विधायक नवीन दुम्का भी साथ रहे।

उल्लेखनीय है कि गजराज राज्य बनने के बाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का मन बनाए हुए थे। तब से चार चुनावों में टिकट नहीं मिलने पर उनका सब्र टूट गया, और इधर वह पार्टी के कालाढुंगी प्रत्याशी कबीना मंत्री बंशीधर भगत के साथ ही हल्द्वानी प्रत्याशी डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला के खिलाफ भी मुखर हुए।

Uttarakhand Election 2022 : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद मान गए शेर सिंह धामीजबकि पार्टी की कोशिश थी कि उनके सहित सभी बागी हो रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को नाम वापसी की आखिरी तिथि 31 जनवरी से पूर्व मना लिया जाए। इस कोशिश में आज भाजपा ने कपकोट में शेर सिंह गड़िया, द्वाराहाट में कैलाश भट्ट व जागेश्वर में सुभाष पांडे सहित किच्छा सहित कई अन्य सीटों पर नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाकर अपने प्रत्याशियों की राह निष्कंटक बना ली है।

इसी तरह किच्छा में टिकट ना मिलने से नाराज ब्लाक प्रमुख ममता जल्होत्रा के पति सांसद प्रतिनिधि विपिन जल्होत्रा को सांसद अजय भट्ट ने मना लिया। रामनगर में भाजपा के बागी राकेश नैनवाल को मनाने में भाजपा नेता कामयाब हुए। उधर काशीपुर में विरोध का बिगुल फूंक चुकी मेयर उषा चौधरी व राम मल्होत्रा को भी भाजपाई मना चुके हैं। अब यह सभी प्रत्याशी अपने नाम वापस ले लेंगे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : भाजपा ने घोषित किए दो टिकट, आखिरी क्षणों में पलटा एक टिकट, कांग्रेसियों ने जलाई अपनी ही प्रचार सामग्री

Imageनवीन समाचार, देहरादून, 28 जनवरी 2022। प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा ने टिकटों के वितरण में आखिरी क्षणों में डोईवाला सीट का टिकट बदल दिया। पहले यहां पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव दीप्ति रावत की जगह बृज भूषण गैरोला को टिकट थमा दिया। इसके बाद गैरोला ने अपना नामांकन भी करा दिया है।

इस दौरान कांग्रेस के खेमे में तब अजीब नजारा देखा गया जब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने प्रत्याशी गौरव चौधरी के विरोध में अपनी ही पार्टी की चुनाव प्रचार सामग्री को जला दिया। गैरोला के अलावा टिहरी से किशोर उपाध्याय के नाम की घोषणा भी कर दी गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : रणजीत की वजह से रण छोड़ा… दो बेटियों का टिकट काट खुद के साथ अपनी बेटी को टिकट दिया

-महिलाओं के सम्मान में-एक बेटी मैदान में

भाजपा की नीतियों से जनता परेशान “2022 में होगा प्रदेश में परिवर्तन, बनेगी  कांग्रेस की सरकार” संध्या डालाकोटी - UK LIVE 24 NEWS NETWORKनवीन समाचार, हल्द्वानी, 27 जनवरी 2022। नामांकन के लिए केवल शुक्र व शनिवार के दो दिन शेष रहते राजनीतिक गतिविधियां चरम पर पहुंचने जा रही हैं। खासकर अपने पुराने सिपहसालार रणजीत सिंह रावत की वजह से रामनगर का ‘रणछोड़’ कर हरीश रावत के आने से हॉट शीट में तब्दील हुई लालकुआं सीट पर राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं।

बताया जा रहा है कि हरीश रावत के आने से पहले बगावती तेवर दिखा रहे हरेंद्र बोरा गुट आत्मसमर्पण करने यानी हरीश रावत के समर्थन में आने जा रहा है, वहीं हरीश दुर्गापाल मनाए जाने के बावजूद अभी भी बागी रुख अपनाए हुए हैं, जबकि कांग्रेस की घोषित प्रत्याशी संध्या डालाकोटी ने अब बगावती रुख अपना लिया है।

संध्या अपने चुनाव में ‘महिलाओं के सम्मान’ का मुद्दा उठाने जा रही हैं। उनका कहना है कि टिकट घोषित होने के बाद उनके साथ ही बरखा रानी सहित दो महिलाओं के टिकट काट दिए गए, जबकि हरीश रावत खुद के साथ अपनी बेटी के लिए भी टिकट ले आए। यानी अपनी बेटी बेटी, और दूसरे की बेटी-दूसरे की। दूसरे यह भी है कि लालकुआं विधानसभा सीट पर 2012 में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कभी भी कांग्रेस ने जीत दर्ज नहीं की है। एक बार पीडीएफ की ओर से निर्दलीय के तौर पर हरीश दुर्गापाल और दूसरी बार भाजपा के नवीन दुम्का प्रदेश में दूसरे नंबर के सर्वाधिक वोटों से जीते। इन दोनों में यह भी साम्य है कि दोनों ब्राह्मण हैं, जबकि इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों से क्षत्रिय उम्मीदवार हो गए हैं।

कांग्रेस ने पूरे कुमाऊं मंडल में केवल एक महिला रुद्रपुर में मीना शर्मा को छोड़कर किसी महिला को टिकट नहीं दिया है। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरिता आर्य इसी उपेक्षा के कारण कांग्रेस छोड़ भाजपा में जा चुकी हैं। लिहाजा महिलाओं को टिकट की अनदेखी का मुद्दा भी संध्या निर्दलीय चुनाव में कूदते हुए उठा सकती हैं। उन्होंने नारा दिया है, ‘महिलाओं के सम्मान में, संध्या मैदान में’। इसके अलावा वह ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में भी लाभ ले सकती हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : रामनगर: हरीश रावत की घोषित सीट पर सियासी भूचाल, सल्ट से लेकर कालाढुंगी-लालकुआं तक असर !

नवीन समाचार, रामनगर, 26 जनवरी 2022। कांग्रेस पार्टी द्वारा हरीश रावत को आवंटित रामनगर सीट पर सोशल मीडिया से शुरू हुई चर्चाओं से सियासी तूफान आ गया है। यहां आम कांग्रेसी नेताओं में चर्चा है कि हरीश रावत की जगह रामनगर से डॉ. महेंद्र पाल चुनाव लड़ेंगे। मूलतः भीमताल विधानसभा से टिकट के लिए आवेदन करने वाले डॉ. महेंद्र पाल को अब तक कालाढुंगी सीट से टिकट दिया गया था। कालाढुंगी से अब महेश शर्मा को टिकट दिया जाएगा, जबकि हरीश रावत रामनगर की जगह लालकुआं से चुनाव लड़ेंगे। जबकि रामनगर में हरीश रावत का विरोध कर रहे रणजीत रावत डॉ. महेंद्र पाल के रामनगर आने के बाद सल्ट से चुनाव लड़ने को तैयार हो गये हैं।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद हरीश रावत को रामनगर से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित करने वाले प्रमुख कांग्रेस नेता पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने सोशल मीडिया पर ‘अलविदा कांग्रेस’ लिख दिया। हालांकि बाद में इस पोस्ट को हटा दिया गया है। इस बीच कांग्रेसी नेताओं के सोशल मीडिया खातों पर एक-दूसरे के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की जा रही हैं। इन्हें देखकर पुलिस-प्रशासन भी सतर्क हो गया है।

इधर, डॉ. महेंद्र पाल के एक करीबी नेता पूर्व दायित्वधारी रईश भाई ने ‘नवीन समाचार’ को बताया कि वह शनिवार सुबह नामांकन कराने के लिए रामनगर जा रहे हैं। उधर हरीश रावत के सोशल मीडिया पर अभी भी उनके द्वारा 28 जनवरी को रामनगर से नामांकन करने की, जबकि संजय नेगी के खाते पर 27 जनवरी की सुबह 11 बजे गर्जिया देवी मंदिर में आर्शीवाद लेकर रामनगर में चुनाव प्रचार का शुभारंभ करने की बात लिखी गई है। आगे देखने वाली बात होगी कि अगले कुछ घंटों में रामनगर में कांग्रेस का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : संध्या ने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत ऐसे कर चौंकाया, वहां भी मिला चौंकने को मिला बहुत कुछ…

नवीन समाचार, लालकुआं, 25 जनवरी 2022। लालकुआं से कांग्रेस की घोषित प्रत्याशी संध्या डालाकोटी ने टिकट मिलने पर अपने चुनाव अभियान की शुरुआत पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल का उनके हल्दूचौड़ का आर्शीवाद लेकर आगे बढ़ने से करके विरोधियों को भी चौंका दिया। इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। अलबत्ता, वहां भी जो नजारा देखने को मिला, वह भी कम चौंकाना वाला नहीं निकला।

पहला, उन्हें दुर्गापाल समर्थकों ने उनके लिए द्वार बंद कर उन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिया। दूसरे दुर्गापाल के आवास पर उनके धुर विरोधी व दो बार उनके विरुद्ध चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा भी साथ दिखे। बाद में दुर्गापाल के पुत्र ने संध्या डालाकोटी को फिलहाल कार्यकर्ताओं के आक्रोश को देखते हुए वापस लौटने को कहा। इस दौरान ‘लालकुआं के दो ही लाल-हरेंद्र बोरा-दुर्गापाल’ के नारे भी सुनाई दिए। संध्या डालाकोटी उनके आवास के बाहर जमीन पर धरने पर बैठ गई।

अलबत्ता, इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर चल रही प्रतिक्रियाओं को देखें तो संध्या डालाकोटी ने हरीश दुर्गापाल के घर जाकर राजनीतिक लाभ ले लिया है। साथ ही दुर्गापाल समर्थकों द्वारा एक महिला को दरवाजे से लौटाए जाने पर भी सोशल मीडिया पर भी उन्हें समर्थन मिल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता भी इस पूरे ऐपिसोड पर आनंद ले रहे हैं।

इस पूरे ऐपिसोड का अंत हरीश दुर्गापाल के घर से कांग्रेस का झंडा उतारने और दुर्गापाल द्वारा समर्थकों के द्वारा कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करने के साथ हुई। इसके बाद संध्या डालाकोटी उनके घर से लौटी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस की प्याली में आज तूफान उठने का दिन….

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जनवरी, 2021। कांग्रेस ने जहां असंतोष टालने को प्रत्याशियों की सूची जारी करने में देरी कर जितने प्रयास किए हों, लेकिन पार्टी में कई सीटों पर असंतोष का तूफान उठना तय माना जा रहा है। खासकर किच्छा सीट पर जहां पार्टी ने रुद्रपुर सीट से दो बार चुनाव हारे कार्यकारी अध्यक्ष तिलक राज बेहड़ को टिकट दिया है। यहां किसान नेता गणेश उपाध्याय सहित कई स्थानीय कांग्रेस नेता पहले ही बाहरी प्रत्याशी का विरोध करने का खुला ऐलान कर चुके हैं।

इसी तरह बाजपुर सीट पर भी कांग्रेस में सुनीता टम्टा बाजवा द्वारा यशपाल आर्य को टिकट मिलने से बगावत का ऐलान किया जाना तय माना जा रहा है। बाजवा समर्थक पहले ही यशपाल का भाजपा से कांग्रेस में आने के दिन से विरोध कर रहे हैं।

इधर, हल्द्वानी सीट पर कांग्रेस ने खुद ही दीपक बल्यूटिया को उचकाकर उनसे काफी मेहनत करवाई और आखिर सुमित हृदयेश को टिकट दे दिया। यहां राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी से लेकर व्यापारी नेता हुकुम सिंह कुंवर भी प्रबल प्रत्याशी के रूप में दावेदारी कर रहे थे और वंशवाद के नाम पर सुमित के टिकट का विरोध कर रहे थे।

अल्मोड़ा सीट पर भी कांग्रेस ने इसी तरह मनोज तिवारी का टिकट तय होने के बावजूद बिट्टू कर्नाटक को टिकट के लिए उचकाया और आखिर टिकट देने के नाम पर टरका दिया है। गंगोलीहाट सीट पर भी अल्मोड़ा की तरह हरीश रावत अपने समर्थक, हल्द्वानी से गंगोलीहाट की राजनीति करने वाले खजान गुड्डू को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इससे यहां के पूर्व विधायक नारायण राम आर्य के समर्थकों में कॅरियर खत्म होने की चिंता होनी तय है।

इसी तरह गढ़वाल में कर्णप्रयाग सीट पर राज्य निर्माण आंदोलन से जुड़े हरिकृष्ण भट्ट व सहसपुर में आर्येंद्र के खिलाफ आठ स्थानीय आठ नेता खुले आम विद्रोह की चेतावनी दे चुके हैं। रायपुर सीट पर प्रभुलाल बहुगुणा पिछले काफी समय से तैयारी कर रहे थे। हाल में शामिल महेंद्र गुरू जी के समर्थकों को टिकट की उम्मीदें थी। कैंट और रायपुर सीट पर भी घमासान के हालात हैं। यमकेश्वर में ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा प्रबल दावेदार थे, वह भी विरोध के स्वर बुलंद कर सकते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : एक मंच पर आए भाजपा के चार दावेदार, पार्टी के निर्णय पर जताया विरोध…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 21 जनवरी, 2021। नैनीताल विधानसभा सीट पर भाजपा से सरिता आर्य को प्रत्याशी घोषित करने के एक दिन के बाद भाजपा के चार प्रत्याशी-दिनेश आर्य, प्रकाश आर्य, कमला आर्य व सागर आर्य शुक्रवार को एक मंच पर आए। उन्होंने पत्रकार वार्ता कर कहा कि उनका पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर विरोध है। एक-दो दिन में पुनः बैठकर आगे के लिए कोई निर्णय लेंगे। अन्य प्रत्याशी मोहन पाल को भी उन्होंने साथ बताया। उधर अन्य प्रत्याशी हेम आर्य का मोबाइल प्रत्याशी की घोषणा के बाद से स्विच ऑफ हो गया है।
इस मौके पर पार्टी के प्रबल प्रत्याशी रहे दिनेश आर्य ने कहा कि भाजपा अब तक ‘दलबदलू’ के मुद्दे को लेकर चुनाव में आगे बढ़ रही थी। अब भाजपा के द्वारा भी दलबदलू को टिकट दे दिए जाने के बाद दोनों पार्टियों से दलबदलू प्रत्याशी हो गए हैं, लिहाजा यह मुद्दा पार्टी के हाथ से चला गया है। नैनीताल बड़ी व दुर्गम विधानसभा है। सरिता आर्य पूरे विधानसभा तक न पिछली बार पहुंच पाई थीं न इस बार पहुंच पाएंगी। उन्हें टिकट दिए जाने का आर्थिक कारण भी नहीं है। ऐसे में कैसे जीत की उम्मीद की जा सकती है।

भाजपा प्रत्याशी व भाजपा के दावेदार सहित चार लोगों ने लिए नामांकन पत्र
नैनीताल। शुक्रवार को विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ संभावित प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र लिए। नामांकन पत्र लेने वालों में भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य के साथ ही भाजपा से प्रबल दावेदार रहे दिनेश आर्य, उनके ही हमनाम अधिवक्ता दिनेश चंद्र व उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी ओम प्रकाश उर्फ सुभाष कुमार ने नामांकन पत्र लिए। आगे शनिवार व रविवार के अवकाश के बाद सोमवार को नामांकन पत्र लेने एवं जमा करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। नामांकन की प्रक्रिया में एसडीएम-रिटर्निंग ऑफीसर प्रतीक जैन, तहसीलदार-सहायक रिटर्निंग ऑफीसर नवाजिश खलीक, लता पांडे, प्रकाश पांडे, जफर आलम आदि कर्मी जुटे रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : सरिता आर्य का भाजपा में आगमन पर हुआ स्वागत

भाजपा में शामिल होने पर सरिता आर्य का स्वागत करते पार्टी कार्यकर्ता।

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 जनवरी 2022। भाजपा नगर मंडल के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पार्टी में हाल ही में शामिल हुई पूर्व विधायक सरिता आर्य का स्वागत अभिनंदन किया। साथ ही इस दौरान पूर्व में पार्टी में शामिल हुए हेम आर्य एवं कांग्रेस की महिला कांग्रेस की पूर्व प्रदेश महासचिव रेखा बोरा गुप्ता का भी फूल माला पहनाकर स्वागत-अभिनंदन किया गया।

उल्लेखनीय है कि बुधवार को पार्टी के कृष्णापुर, तल्लीताल बाजार, सूखाताल, नैनीताल क्लब व स्नो व्यू शक्ति केंद्रों के बूथ अध्यक्षों की बैठक आयोजित हुईं। इस दौरान नैनीताल क्लब शक्ति केंद्र की बैठक के दौरान सरिता आर्य, रेखा बोरा गुप्ता व हेम आर्य का स्वागत किया गया। इस दौरान सरिता आर्य ने कहा कि वह बिना शर्त भाजपा में आई हैं। पार्टी जो भी जिम्मेदारी उन्हें देगी उसका निर्वहन करेंगी। उन्होंने कहा कि महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष होते हुए न खुद टिकट प्राप्त कर पा रही थीं, न पार्टी की महिलाओं को टिकट दिला पा रही थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी में रहने का कोई अर्थ नहीं था।

इस मौके पर भाजपा के विधानसभा प्रभारी देवेंद्र ढैला, संघ के विधानसभा पूर्णकालिक आलोक तिवारी, विधानसभा प्रभारी प्रगति जैन, नैनीताल मंडल के अध्यक्ष आनंद बिष्ट, भवाली मंडल अध्यक्ष की महिला मोर्चा की अध्यक्ष आशा आर्या, अरविंद पडियार, कुंदन बिष्ट, अशोक तिवारी, तारा राणा, लता दफौटी, तारा बोरा, गजाला कमाल, मधु बिष्ट सहित अन्य पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : हरक की भाजपा से बर्खास्तगी से बिगड़े कोटद्वार से लेकर नैनीताल-भीमताल तक कई सीटों के चुनाव समीकरण

Bihar Election 2020 Result: People of Delhi will keep an eye on the Bihar  assembly election resultsडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 जनवरी 2022। उत्तराखंड की राजनीति में अचानक, फिलवक्त ‘न घर के-न घाट के’ दिख रहे, कांग्रेस में वापसी के प्रयास करने पर भाजपा द्वारा निकाले गए, परंतु कांग्रेस द्वारा दो दिनों के बाद भी स्वीकार न किए गए कद्दावर नेता हरक सिंह रावत की वजह से कोटद्वार से लेकर नैनीताल व भीमताल तक कई सीटों के चुनाव समीकरण बदलने की उम्मीद है।

2017 में जीतने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कोटद्वार सीट पर हरक को भाजपा से टिकट पक्का माना जा रहा था, जबकि कांग्रेस से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी मजबूत दावेदार हैं। चूँकि हरक कोटद्वार की जगह केदारनाथ, लैंसडॉन व डोईवाला आदि सीटों पर टिकट चाह रहे थे, इसलिए इन सभी सीटों से अब टिकट के गणित भी बदलने की उम्मीद है। पहले तो भाजपा को कोटद्वार से कोई दमदार प्रत्याशी तलाशना है। माना जा रहा है कि भाजपा यहां अपना कोई पुराना चेहरा उतार सकती है।

वहीं लैंसडॉन व डोईवाला में भाजपा के गोपाल रावत व त्रिवेंद्र रावत की राह निष्कंटक हो गई है, जबकि केदारनाथ से कांग्रेस के विधायक मनोज रातव की चिंता बढ़ गई हैं। इधर नैनीताल जनपद के इधर नैनीताल सीट की पूर्व विधायक सरिता आर्य का भाजपा में आना भी हरक फैक्टर का ही परिणाम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि हरक की ओर से अपनी बर्खास्तगी के बाद ‘आंसू टपकाते’ हुए जो बेचारगी की तस्वीर मीडिया में पेश की जा रही थी, उससे ध्यान हटाने के लिए ही अचानक भाजपा की ओर से सरिता आर्य को पार्टी में शामिल कराने की पटकथा लिखी गई। उनके पार्टी में आने के बाद से नैनीताल सीट पर भी चुनाव व भाजपा के टिकट के समीकरण बदल गए हैं। कहा जा रहा है कि सरिता अघोषित तौर पर टिकट की गारंटी मिलने पर ही भाजपा में आई हैं।

उल्लेखनीय है कि सरिता नैनीताल नगर पालिका की पहली महिला पालिकाध्यक्ष और पहली महिला विधायक रह चुकी हैं। शहर में उनकी छवि अच्छी है। साथ ही महिला होने के नाते भी वह यहां वोटों का गणित एक हद तक गड़बड़ाने की क्षमता रखती हैं। अलबत्ता, ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी कमजोरी और पार्टी संगठन द्वारा उन्हें स्वीकार किए जाने पर अभी प्रश्न चिन्ह बने हुए हैं।

इसी तरह, भीमताल सीट पर 2017 में निर्दलीय जीते व अब भाजपा में आए विधायक राम सिंह कैड़ा चूंकि हरक के कांग्रेस में रहने के दौर से बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्हें इस बार भाजपा से टिकट दिलाने में भी हरक की बड़ी भूमिका हो सकती थी, किंतु वह अपने हितों के लिए कोर कमेटी की टिकटों के पैनल बनाने हेतु आहूत बैठक से ही नदारद रहे, ऐसे में कैड़ा को टिकट का समीकरण भी गड़बड़ा गया है। यहां पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट भी टिकट की उम्मीद में हैं, जबकि मनोज साह ने तो चुनाव कार्यालय भी खोल दिया है।

सरिता ने ग्वेल देवता से लिया भाजपा की जीत का आशीर्वाद
नैनीताल। मंगलवार को भाजपा में शामिल होने के बाद नैनीताल लौटीं सरिता आर्य ने घोड़ाखाल मंदिर में दर्शन किए और इसके बाद कहा कि ग्वेल देवता से भाजपा की जीत का आशीर्वाद लिया है। जिसे भी टिकट मिलेगा, उसे जिताएंगे और भाजपा की सरकार बनाएंगे। अभी टिकट पर कुछ भी फाइनल नहीं है।

‘दल नहीं दिल बदल’: सरिता
नैनीताल। भाजपा में शामिल होने के बाद अपने गृह क्षेत्र पहुंचीं सरिता आर्य ने खुद का दल बदल नहीं ‘दिल बदल’ होने की बात कही और यशपाल आर्य पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाते पर नैनीताल में उनका और बाजपुर में सुनीता बाजवा टम्टा का टिकट कटवाने का बड़ा आरोप लगाया। साथ ही कहा कि हरीश रावत ने उन्हें टिकट के लिए दो टूक मना कर महिलाओं का अपमान किया। उन्होंने बताया जल्द कांग्रेस के बहुत सारे लोग भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, शीघ्र भाजपा के सभी प्रत्याशियांे से मुलाकात करेंगे और जिसे भी टिकट मिलेगा, उसकी जीत के लिए कार्य करेंगे।

इधर नगर में भाजपा की ओर से सरिता आर्य के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई है। भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट ने बताया कि बुधवार को मल्लीताल चीना बाबा मंदिर के पास शक्ति केंद्र की बैठक के दौरान सरिता आर्य का पार्टी में अभिनंदन किया जाएगा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : पिछले हफ्ते उत्तराखंड की राजनीति गर्माने वाले दो रावत होटल में मिले ! फिर उत्तराखंड की राजनीति गर्माने की चर्चाएं

नवीन समाचार, देहरादून, 28 दिसंबर 2021। तीन दिन पहले इस्तीफे की धमकी देकर और इससे दो दिन पहले राजनीति में मगरमच्छों की बात कह उत्तराखंड की राजनीति को राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में लाने वाले दो रावतों के बीती रात्रि एक साथ एक होटल में साथ दिखने से उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गर्म होती नजर आ रही है। राज्य की अभिसूचना इकाइयां भी इस मुलाकात की टोह ले रही हैं। हालांकि हरक ने हरीश के साथ एक ही वक्त एक ही होटल परिसर में होने की बात तो स्वीकार की है लेकिन हरीश से मुलाकात की बात को खारिज किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीती रात्रि करीब 9.30 बजे हरक सुभाष रोड स्थित एक होटल में अपने गनर के साथ पहुंचे और लॉबी में बैठ गए। इसी बीच हरीश रावत के सहयोगी जसबीर सिंह रावत व संजय चौधरी भी वहां आ गए और हरक को वहां मौजूद देख उनके साथ बैठ गए। थोड़ी देर बाद हरक दूसरे तल स्थित अपने कमरे में चले गए। करीब 20 मिनट बाद कांग्रेस भवन में चुनाव समितियों की बैठक से लौटते हुए हरीश भी वहां आए और वो भी उसी तल पर स्थित अपने दूसरे कमरे में चले गए।

करीब आधा घंटे बाद हरीश वहां से अपनी टीम के साथ अपने घर लौट गए। इस पर सोशल मीडिया पर दोनों रावतों की मुलाकात की चर्चा चली तो भाजपा भी कुछ समय को असहज हो गई। सूत्रों के अनुसार खुफिया विभाग कर्मियों ने भी होटल जाकर दोनों रावतों की मुलाकात की जानकारी ली। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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Harak Singh Rawat | उत्तराखंड में BJP को बड़ा झटका, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह  रावत ने दिया इस्तीफा, Uttarakhand Cabinet Minister Harak Singh Rawat  resigns setback BJP before Election

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 26 दिसंबर 2021। महाकवि घाघ की मौसम को लेकर एक मशहूर उक्ति है-‘शुक्रवार की बादरी रहे शनीचर छाय, घाघ कहे सुन घाघनी बिन बरसे नहीं जाए।’ यानी शुक्रवार के बादल यदि शनिवार को भी छाये रहें तो वे बिन बरसे नही जाते’। उत्तराखंड की सियासत में भी शुक्रवार को उमड़े बादल शनिवार को भी कमोबेश छाये रहे। महाकवि घाघ की मानें तो यह बादल बिन बरसे नहीं जाएंगे। वहीं उत्तराखंड की लोकभाषाओं गढ़वाली और कुमाउनी में एक शब्द है ‘फरकना’ यानी पलट जाना। सवाल यह है कि बार-बार फरक जाने वाले हरक क्या फिर फरक सकते हैं। यह दोनों बातें आगे उत्तराखड की राजनीति में बहुत प्रासंगिक होने वाली हैं।

उत्तराखंड की राजनीति में शुक्रवार देर रात धामी सरकार की कैबिनेट बैठक से उठी सियासी चिंगारी के बाद शनिवार को जो राजनीतिक गतिविधियां हुईं उनका विश्लेषण करने पर यह बात साफ हो जाती है। एक ओर जहां सत्तापक्ष की ओर से इस चिंगारी को आग बनने से रोकने के लिए सत्ता पक्ष बयानों के ठंडे पानी की बौछार करता रहा। जबकि हरीश रावत ने दोहराया, 2016 के लोकतंत्र के अपराधी यदि माफी मांगते हैं तो वह डंडा पकड़े नहीं खड़े हैं। यह भी बोले, पार्टी में किसी को शामिल करना-न करना उनका नहीं पार्टी अध्यक्ष का काम है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, हरक और काऊ उनके संपर्क में नहीं हैं। प्रीतम सिंह भी हरक से संपर्क से इंकार करते रहे।

गौरतलब है कि राजनीति में जो कहा जाता है, वही नहीं होता, बल्कि कई बार इसका उल्टा होता है। ऐसे में दो बातें साफ हैं। एक-हरक कांग्रेस के संपर्क में हो सकते हैं। माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह की ओर से हरीश रावत के विरुद्ध मोर्चा बनाने के लिए हरक को कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश चल रही है, और हरीश अभी भी इसमें स्वाभाविक तौर पर बाधा बने हुए हैं। दूसरे-हरीश गुट भी चाहता है कि उन्हें कांग्रेस में लेकर भाजपा पर मनोवैज्ञानिक बढ़त ली जाए, जैसा उन्होंने यशपाल आर्य को पार्टी में शामिल करके किया है। इसलिए हरीश गुट की ओर से कोशिश है कि हरक से माफी मंगवाकर उन्हें मनोवैज्ञानिक तौर पर दबा लिया जाए।

दूसरी ओर भले सियासी ड्रामे पर परदा डालने के लिए सत्ता पक्ष कोटद्वार मेडिकल कॉलेज की आड़ ले रहा हो मगर शुक्रवार रात से लगभग शनिवार रात तक हरक सिंह का किसी बड़े भाजपा नेता के संपर्क में न रहना और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का दिनभर उनका इंतजार करते रहना, हरक सिंह रावत की मीडिया से दूरी और देर रात तक सीएम आवास में सीएम, हरक सिंह, धन सिंह रावत, उमेश शर्मा काऊ और भाजपा के संगठन महामंत्री अजेय कुमार की बैठक किसी और ही कहानी का इशारा कर रही है।

सवाल यह भी है कि क्या रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आने से पहले भाजपा प्रदेश स्तर पर ही चिंगारी को शोला न बनने देने और किसी सियासी फजीहत से निपटने के लिए मसले का का निपटारा कर लेना चाहती है। दरअसल हरक सिंह रावत भले किसी पार्टी में रहे हों मगर वह किसी हद को नहीं मानते और आस-पास खींची हुई हदों को तोड़ते रहे हैं, नतीजतन संभवतः वह प्रदेश के अकेले ऐसे नेता हैं जो भाजपा-कांग्रेस और बसपा समेत उत्तराखंड के सभी बड़े राजनीतिक दलों के घाट का पानी पी चुके हैं। भाजपा छोड़ने के बाद एक बार तो उन्होंने अपना राजनीतिक दल भी बनाया था।

सियासी पैंतरेबाजी में निपुण हरक सिंह रावत जिस भी सरकार में रहे विवादों से उनका नाता तो रहा ही वह सीधे तब के मुख्यमंत्रियों को भी चुनौती पेश कर अपने स्वतंत्र वजूद का अहसास कराते रहे हैं। तिवारी सरकार से लेकर पुष्कर सरकार तक वह अपने तेवर दिखाते रहे हैं । हरीश रावत के समय बगावत में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका थी। उन्हें नाथना हर सीएम के लिए बहुत दुष्कर रहा है। हरीश रावत इसी वजह से उन्हें ‘उज्याड़ू बल्द’ कहते और उन पर काबू रखने के लिए त्रिवेंद्र रावत की प्रशंसा करते रहे हैं। माना जाता है कि त्रिवेंद्र सरकार को रुखसत करने में उनका बड़ा योगदान रहा।(प्रेरणा-अरविंद शेखर, देहरादून) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2021। उत्तराखंड की भाजपा सरकार में कबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत बीती रात्रि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान अपने साथी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के मुद्दे पर हुई तनातनी के बाद इस्तीफा देने की धमकी देकर निकल गए। इसके बाद देश भर की मीडिया की सुर्खियों में रहे हरक ने भले आज दूसरे दिन इस्तीफा न दिया हो लेकिन उनका राजनीतिक इतिहास जानने वालों की मानें तो हरक का रूठना-मनाना सब कुछ अस्थायी है। उनका राजनीतिक इतिहास जानकारी यह बात साफ हो जाती है, साथ ही यह अंदाजा भी लग जाता है कि वह आगे क्या करने वाले हैं।

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मूलरूप से श्रीकोट स्थित गंगनाली गांव में 15 दिसंबर 1960 को पैदा हुए हरक ने 80 के दशक में श्रीनगर गढ़वाल विवि की छात्र सियासत से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उत्तर प्रदेश के समय 1984 में भाजपा से पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन हार नहीं मानी। वर्ष 1991 में भाजपा के टिकट पर दुबारा पौड़ी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की, और भाजपा की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार में पर्यटन मंत्री के रूप में सबसे कम उम्र में मंत्री बने। वर्ष 1993 में एक बार फिर हरक भाजपा के टिकट पर पौड़ी से ही चुनाव लड़े और दोबारा विधायक बने। लेकिन तीसरी बार टिकट नहीं मिलने पर बिना कोई मुरौबत किये भाजपा छोड़ दी और बसपा का दामन थाम लिया। बसपा भी उन्हें अधिक दिन रास नहीं आई और वह बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हरक लगातार सत्ता से जुड़े रहे हैं। वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में हरक कांग्रेस के टिकट पर लैंसडाउन सीट से विधायक चुने गए और राज्य की पहली नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में बनी निर्वाचित सरकार में मंत्री बने, लेकिन सरकार के एक साल बीतते ही वह विवादों में आ गए और जैनी प्रकरण में फंस गए। इस मामले में हरक को मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। मामले की सीबीआई जांच तक हुई। हालांकि बाद में हरक इस मामले से पाक साफ बाहर निकल आए।

2007 में भी हरक लैंसडाउन से दोबारा कांग्रेस से ही चुनाव लड़े और जीते। इस बार कांग्रेस सत्ता में नहीं आई लेकिन हरक नेता प्रतिपक्ष बन गए। इस बीच उत्तराखंड में आयोजित एक जनसभा में उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने कह दिया था कि उन्हें संसद में दिया गया राहुल गांधी का भाषण पसंद नहीं आया।

2012 के विधानसभा चुनाव में हरक ने रुद्रप्रयाग से अपने रिश्तेदार भाजपा नेता मातबर सिंह कंडारी के खिलाफ चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 2013 में सरकार बनने के एक साल बाद ही हरक फिर विवादों में आ गए। इस बार उनके विवाद का कारण मंत्री पद के साथ बीज एवं तराई विकास निगम के अध्यक्ष पद पर भी आसीन होना था। इस पर भाजपा ने उन पर नियमों के विरुद्ध दोहरे लाभ के पद पर आसीन होने का आरोप लगाया। इस पर उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि बाद में इस संबंध में उच्च न्यायालय में दायर हुई याचिका पर हरक को राहत मिल गई थी। हरक जब लाभ के पद के विवाद को लेकर विपक्ष के हमलों से जूझ ही रहे थे, इसी बीच 2014 में मेरठ की युवती ने उन पर दिल्ली के सफदरगंज थाने में दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवा दिया।

इस बहुचर्चित मामले में राजनीति खूब गर्म रही, लेकिन कुछ ही समय बाद यह मामला धुंधला होता चला गया। बताया गया कि युवती ने अपने आरोपो को वापस ले लिया था। इस विधानसभा में 2016 का साल कांग्रेस सरकार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व को हरक अपने बगावती तेवरों से परेशान किए रहे। चुनाव के लिए एक साल से कम का वक्त बचा तो हरक ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया और विजय बहुगुणा और अन्य सात विधायकों के साथ मिलकर पार्टी तोड़ दी। इसके साथ ही हरक सिंह रावत ने भाजपा का भी दामन थाम लिया था।

इस बीच हरीश रावत का एक स्टिंग सामने आया। इस स्टिंग में हरक फोन पर हरीश रावत से बात करते हुए भी दिखाए गए थे। यही नहीं, एक अन्य स्टिंग में हरक कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के साथ भी बैठकर बात करते नजर आए। उनकी बगावत का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा। उन्हें विधानसभा की सदस्यता गवानीं पड़ी, और वह भाजपा में शामिल हो गए।

2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में आई भाजपा सरकार में हरक फिर मंत्री बने। इस दौरान उनकी त्रिवेंद्र से टकराव की खबरें लगातार सतह पर आती रहीं। कर्मकार बोर्ड में नियुक्तियों और कामकाज की शैली को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से हरक सिंह रावत की खूब ठनी। त्रिवेंद्र ने उन पर अंकुश लगाने के लिए पूरा कर्मकार बोर्ड, अध्यक्ष के रूप में हरक, उनका दफ्तर और उनकी बहुचर्चित सचिव को बदल दिया।

इसी बीच अपने शासन काल के चौथे साल खत्म होते-होते त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से विदाई हो गई। इस पर हरक सीएम बनने का ख्वाब देखने लगे। त्रिवेंद्र के बाद तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद जब पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया तो हरक नाराज हो गए। इस पर सीएम धामी को उन्हें मनाने के लिए शपथ ग्रहण के तत्काल बाद उनके घर तक जाना पड़ा। इसके बाद हरक भाजपा के दिल्ली दरबार की दौड़ लगाने लगे और विधानसभा का समय कम होने के साथ उनके भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं के कयास बढ़ते जाने लगे। इस पर हरीश रावत ने अक्टूबर में यह तक कह दिया था कि बिन माफी मांगे किसी नेता को कांग्रेस में जगह नहीं दी जाएगी। इसके बाद हरक ने दो बातें कही थीं। एक-वह 2022 में चुनाव लड़ना नहीं चाहते और दूसरी कि जो उन्होंने कांग्रेस और उसके नेतृत्व के बारे में बोला था वो गलत है।

ऐसे में समझा जा सकता है कि हरक प्रकरण कितना ठंडा हो चुका है, अथवा गरम रहेगा। सूत्रों के मानें तो उनकी कांग्रेस आलाकमान से बातचीत पूरी हो चुकी है। अगले कुछ दिनों, 5 जनवरी तक वह फिर उत्तराखंड की राजनीति को गर्म कर सकते हैं। उनके साथ कम से कम दो और नेताओं की भी कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: मुख्यमंत्री रावत ने की पत्रकार वार्ता, इस्तीफे पर कुछ भी नहीं कहा…

नवीन समाचार, देहरादून, 02 जुलाई 2021। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अभी-अभी देहरादून में पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने अपनी 114 दिन की सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। बताया कि इस दौरान राज्य की जनता को कोविड-19 से हुई आर्थिक स्थिति से राहत के लिए दो हजार करोड़ रुपए की राहत दिलाई गई। आगे उन्होंने 22340 पदों पर नियुक्तियां देने की बात कही। 11 व 12वीं कक्षा के बच्चों को कम्प्यूटर देने की बात कही, लेकिन अपने इस्तीफे को लेकर ना ही पत्रकार वार्ता और ना ही पत्रकार वार्ता से लौटते हुए पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर ही कोई टिप्पणी की। इसके साथ आज रात्रि में इस्तीफा देने की संभावना भी कम ही नजर आ रही है।

वहीं एक महत्वपूर्ण अपडेट यह है कि भाजपा विधायक दल की बैठक शनिवार की अपराह्न तीन बजे बुला ली गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक के लिए पार्टी के सभी विधायकों को देहरादून बुला लिया गया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में मौजूद रहेंगे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : चिंतन शिविर के तत्काल बाद सीएम रावत दिल्ली बुलाए गए, नेतृत्व परिवर्तन तक पहुंची चर्चाएं

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 जून 2021। उत्तराखंड भाजपा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चले तीन दिन लंबे मंथन के तत्काल बाद अचानक प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भाजपा हाईकमान ने दिल्ली बुला लिया है। इसके बाद मुख्यमंत्री के पहले से तय आज के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री को आज ही दिल्ली रवाना होना है। उन्हें दिल्ली से बुलावे की कोई वजह अभी तक सामने नहीं आ सकी है। हालांकि चर्चाएं मुख्यमंत्री को बदले जाने तक की चल पड़ी हैं। हालांकि माना जा रहा है सीएम को पार्टी हाईकमान ने उपचुनाव को लेकर रणनीति पर विचार करने के लिए बुलाया है। भाजपा के तीन दिवसीय चिंतन शिविर से लौटते ही सीएम को दिल्ली का यह बुलावा मिला। उपचुनाव के बारे में चिंतन शिविर में भी पार्टी कोर ग्रुप के कुछ प्रमुख नेताओं के बीच चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाकर केंद्रीय नेतृत्व उनसे इस विषय पर विस्तार से चर्चा कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि रामनगर में हुए चिंतन शिविर से छन कर खबरें आईं कि इस दौरान भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के उपचुनाव को लेकर नहीं, बल्कि विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा कीं। पार्टी ने आगामी 6 माह के कार्यक्रम भी तय किए पर उप चुनाव को लेकर कुछ नहीं कहा। लेकिन राज्य की जनता इस शिविर से मुख्यमंत्री के साथ राज्य के राजनीतिक भविष्य को जानने को लेकर अधिक उत्सुक थी। ऐसे में राज्य मंे हो रही हर राजनीतिक गतिविधि के अर्थ निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाने पर भी इसी कारण कयास लगाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होना है। बताया जा रहा है सीएम तीरथ सिंह रावत गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि फिलहाल चुनाव आयोग की उपचुनाव पर लगी रोक है। नियमों के मुताबिक मुख्यमंत्री को 10 सितंबर से पहले चुनकर आना है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने या जल्दी चुनाव होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह पार्टी ने अगले 6 माह के कार्यक्रम तय किए हैं, उससे इस कयास को बल नहीं मिलता है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और सीएम तीरथ के बीच इन विषयों पर चर्चा हो सकती है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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