गौरवशाली क्षण ! गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी को मिला देश में प्रथम स्थान
नवीन समाचार, देहरादून, 30 जनवरी 2023। पहली बार राजपथ की जगह बदले नाम ‘कर्तव्य पथ’ पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित हुई पहली परेड में उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को देश में प्रथम स्थान मिला है। इसके साथ इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया। यह भी पढ़ें : दुःखद ब्रेकिंग: नैनीताल नगर पालिका सभासद राजू टांक का निधन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है, ‘गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर कर्तव्य पथ पर निकाली गई झांकियों में देवभूमि के वैभवशाली सांस्कृतिक गौरव को परिलक्षित करती ‘मानसखण्ड’ पर आधारित उत्तराखण्ड की झांकी को प्रथम स्थान प्राप्त होने पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई।’ यह भी पढ़ें : नैनीताल: सुबह तड़के बड़ी दुर्घटना, 100 मीटर गहराई में गिरी पिकअप, लिफ्ट लेकर चढ़े युवक की मौत
देश में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली उत्तराखंड की झांकी में मुख्य रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित जागेश्वर मंदिर, जिम कॉर्बेट पार्क, यहां की प्रसिद्ध छोलिया नृत्य कला और ऐपण लोक कला को प्रदर्शित किया गया था। उल्लेखनीय है कि स्कंद पुराण में उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के लिए ‘मानसखंड’ शब्द का प्रयोग किया गया है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड पुलिस की कोच से पहले से शादीशुदा व दो बच्चों के पिता द्वारा शादी का झांसा देकर दुष्कर्म-उत्पीड़न…
बताया गया है कि भारत सरकार को भेजी गई उत्तराखंड की झांकी का विषय मंदिर माला मिशन के अंतर्गत ‘मानसखंड’ को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ही सुझाया था। गणतंत्र दिवस से पहले जब दिल्ली कैंट में झांकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी निर्माण का निरीक्षण किया था और झांकी को उत्कृष्ट एवं राज्य की संस्कृति के अनुरूप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक-नोडल अधिकारी केएस चौहान को निर्देश दिए थे तथा झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, देहरादून, 30 दिसंबर 2022। आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड-2023 के लिए उत्तराखण्ड राज्य की झांकी का अंतिम चयन हो गया है। सूचना विभाग द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन के उपरान्त प्रस्तावित मानसखण्ड पर आधारित झांकी को भारत सरकार ने अंतिम रुप से नई दिल्ली कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित करने की स्वीकृति दे दी है। यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत के साथ उत्तराखंड में घर लौटते हुए बड़ा हादसा, गंभीर…
यह जानकारी देते हुए सूचना विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि झांकी के अग्र तथा मध्य भाग में उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में अवस्थित कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए हिरन, बारहसिंघा, घुरल, मोर के साथ यहां पाये जाने वाली विभिन्न पक्षियों को तथा झांकी के पृष्ठ भाग में देश के 51 ज्योर्तिलिंगों में शामिल प्रसिद्ध अल्मोड़ा जनपद में स्थित जागेश्वर मन्दिर समूह तथा देवदार के वृक्षों को दिखाया जायेगा। साथ ही प्रदेश की की प्रसिद्ध लोक कला ‘ऐपण’ का भी झांकी के मॉडल में समावेश किया गया है। झांकी के साथ प्रदेश की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए छोलिया नृत्य का दल सम्मिलित होगा। साथ ही झांकी का थीम सांग उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति पर आधारित होगा। यह भी पढ़ें : नैनीताल: चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित महिला को वापस ला रहे थे परिजन, तभी उसने पकड़ लिया एक का हाथ, और….
गौरतलब है कि श्री केदारनाथ व श्री बदरीनाथ की तर्ज पर कुमाऊ के पौराणिक मंदिरों के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मानसखण्ड मंदिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर मानसखण्ड पर आधारित झांकी का प्रदर्शन होने से देश-विदेश के लोग मानसखण्ड के साथ उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति से भी परिचित होंगे। यह भी पढ़ें : कलयुगी पिता ने अपनी सगी 15 वर्षीय बेटियों से 1 नहीं कई बार किया दुराचार….
ज्ञातव्य है कि गणतंत्र दिवस की झांकी के लिए लगभग 27 राज्यों ने अपने प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किये थे। इनमें से 16 राज्यों की झांकियों का ही अंतिम चयन हुआ है। राष्ट्रीय समारोह के नोडल अधिकारी संयुक्त निदेशक केएस चौहान द्वारा झांकी का डिजाइन, थ्री-डी मॉडल तथा संगीत के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय के अधीन गठित विशेषज्ञ समिति के सम्मुख नई दिल्ली में 7 बार प्रस्तुतीकरण करने के उपरान्त उत्तराखण्ड राज्य का अंतिम चयन हुआ है। यह भी पढ़ें : नए साल के लिए आज से ही शुरू हो जाएंगे यात्रा प्रतिबंध, इस दौरान नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर आना हो तो जरूर जान लें यातायात के प्रतिबंध…
उत्तराखण्ड राज्य द्वारा अभी तक गत वर्षों में 13 झांकियों एवं उत्तराखण्ड की कला एवं संस्कृति का प्रदर्शन तत्कालीन राजपथ-वर्तमान नाम कर्तव्य पथ पर किया गया है। इनमें वर्ष 2003 में ‘फुलदेई’, वर्ष 2005 में ‘नंदा राजजात’, वर्ष 2006 में ‘फूलों की घाटी’, वर्ष 2007 में ‘कार्बेट नेशनल पार्क’, वर्ष 2009 में ‘साहसिक पर्यटन’, वर्ष 2010 में ‘कुम्भ मेला हरिद्वार’, वर्ष 2014 में ‘जड़ीबूटी’, वर्ष 2015 में ‘केदारनाथ’, वर्ष 2016 में ‘रम्माण’, वर्ष 2019 में ‘अनाशक्ति आश्रम’, वर्ष 2021 में ‘केदारखण्ड’ तथा वर्ष 2022 में ‘प्रगति की ओर बढ़ता उत्तराखण्ड’ प्रदर्शित किए जा चुके हैं। यह भी पढ़ें : नैनीताल में चलते-चलते धू-धू कर जली कार…
झांकी का निर्माण 31 दिसम्बर से सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक, नोडल अधिकारी केएस चौहान के दिशा-निर्देशन में राष्ट्रीय रंगशाला शिविर नई दिल्ली में किया जायेगा तथा झांकी के साथ उत्तराखण्ड की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड के प्रसिद्ध छोलिया नृत्य का समूह 13 जनवरी को राष्ट्रीय रंगशाला शिविर नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेगा। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, देहरादून, 5 जनवरी 2019। नये वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी खास आकर्षण का केंद्र रहने वाली है। इस वर्ष की गणतंत्र दिवस की खास बात है इस मौके पर निकलने वाली देश के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों एवं अरुणांचल प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल की झांकियां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर केंद्रित होने वाली हैं, और इनमें भी उत्तराखंड की झांकी खास होने वाली है, क्योंकि यह स्वयं महात्मा गांधी द्वारा ‘भारत का स्विटजरलेंड’ कहे गये कौसानी में स्वयं गांधी जी द्वारा ही स्थापित उस ‘अनाशक्ति आश्रम’ की है, जहां गांधी जी ने अपनी ‘अनाशक्ति योग’ नाम की प्रसिद्ध कृति की समीक्षा लिखी थी।
उत्तराखंड की झांकी के अग्रभाग में अनाशक्ति योग लिखते हुए महात्मा गांधी जी की बड़ी आकृति को दिखाया गया है। मध्य भाग में कौसानी स्थित अनाशक्ति आश्रम को दिखाया गया है तथा आश्रम के दोनों ओर पर्यटक योग व अध्ययन करते हुए नागरिकों व पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत को महात्मा गांधी जी से वार्ता करते हुए दिखाया गया है। झांकी के पृष्ठ भाग में देवदार के वृक्ष, स्थानीय नागरिकों व ऊंची पर्वत श्रृखलाओं को दिखाया गया है। साइड पैनल में उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, जागेश्वर धाम, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ मंदिर को दर्शाया गया है।
सूचना विभाग के उप निदेशक एवं राष्ट्रीय समारोह के नोडल अधिकारी केएस चौहान के अनुसार इस वर्ष भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों को निर्देश दिये गये थे कि महात्मा गांधी जी की जयंती के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गणतंत्र दिवस की परेड़ की थीम महात्मा गांधी जी पर आधारित रखी जाए, जिसमें विभिन्न राज्यों में महात्मा गांधी जी के प्रवासी अवधि अथवा अन्य महत्वपूर्ण स्थलों से संबंधित झांकी को शामिल किया जायेगा, जिससे संबंधित झांकी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ चयन समिति के समक्ष छः दौर की बैठक में प्रभावी ढंग से प्रस्तुतिकरण किया गया, जिसके बाद उत्तराखंड राज्य की झांकी का अंतिम रूप से चयन किया गया। झांकी का विषय ‘अनाशक्ति आश्रम’ रखा गया है। झांकी में देवभूमि उत्तराखंड में कौसानी, जिसको महात्मा गांधी जी ने ‘भारत का स्विटजरलैंड’, कहा था। यहां स्थित ‘अनाशक्ति आश्रम’ बहुत ही शांतिपूर्ण स्थान है। महात्मा गांधी जी ने वर्ष 1929 में इस आश्रम का भ्रमण किया था तथा इसी स्थान पर ‘अनाशक्ति योग’ पुस्तक की समीक्षा लिखी थी। इस आश्रम का संचालन स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जाता है। आश्रम में प्रतिदिन सुबह व शाम प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है तथा आश्रम को पुस्तकालय व शोध केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।
बीते वर्षों में यह प्रदर्शित किया गया उत्तराखंड की झांकियों में
उत्तराखंड के द्वारा गणतंत्र दिवस की परेड में वर्ष 2003 में फूलदेई, 2005 में नंदा राजजात, 2006 में फूलों की घाटी, 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, 2009 में साहसिक पर्यटन, 2010 में कुम्भ मेला हरिद्वार, 2014 में जड़ी बूटी, 2015 में केदारनाथ, 2016 में रम्माण एवं 2018 ग्रामीण पर्यटन-होम स्टे विषय की झांकियां शामिल रही हैं। उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि राज्य गठन के बाद 18 वर्षों में अब तक 10 बार उत्तराखंड की झांकी का राजपथ पर प्रदर्शन हो चुका है, और अब 11वीं बार भी उत्तराखंड की झांकी शामिल होने जा रही है।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 26 जनवरी 2019। 70वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित हुई गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखण्ड राज्य की ‘‘अनाशक्ति आश्रम कौसानी’’की झांकी प्रदर्शित की गई। यह वर्ष राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का वर्ष है, इसलिए सभी 22 झांकियों में बापू की झलक देखने को मिली।
उत्तराखंड की झांकी में देवभूमि उत्तराखंड के कौसानी, जिसको महात्मा गांधी ने ‘‘भारत का स्विटजरलैण्ड’’, कहा था, स्थित ‘अनाशक्ति आश्रम’ का मॉडल दिखाया गया। महात्मा गांधी ने वर्ष 1929 में इस आश्रम का भ्रमण किया था तथा इसी स्थान पर ‘अनाशक्ति योग’ पुस्तक की समीक्षा लिखी थी। इस आश्रम का संचालन स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जाता है। झांकी के अग्रभाग में अनाशक्ति योग लिखते हुए महात्मा गांधी जी की बड़ी आकृति को दिखाया गया है। मध्य भाग में कौसानी स्थित अनाशक्ति आश्रम को दिखाया गया है तथा आश्रम के दोनों ओर पर्यटक योग व अध्ययन करते हुए नागरिकों व पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत को महात्मा गांधी जी से वार्ता करते हुए दिखाया गया है। झांकी के पृष्ठ भाग में देवदार के वृक्ष, स्थानीय नागरिकों व ऊंची पर्वत श्रृखलाओं को दिखाया गया है। साइड पैनल में उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, जागेश्वर धाम, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ मंदिर को दर्शाया गया है।
मंत्री की खबर, जो गणतंत्र दिवस का भाषण नहीं पढ़ पायीं
नवीन समाचार, 26 जनवरी 2019 । मध्य प्रदेश के ग्वालियर कांग्रेस की नई-नवेली, 12वीं पास, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी गणतंत्र दिवस पर भाषण नहीं पढ़ सकी। मंत्री को जब यह महसूस हुआ कि वो भाषण नहीं पढ़ पाएगी तो मंच पर मौजूद कलेक्टर को भाषण पढ़ने के निर्देश दे दिए। मंत्री यहां सीएम का संदेश पढ़ रही थी। साफ नजर आ रहा था कि भाषण पढ़ने में गलतियां कर रही हैं।
बवाल मचने के बाद मंत्री इमरती देवी ने टिवटर पर सफाई भी दी। बोली, तबीयत ठीक न होने की वजह से असहज महसूस कर रही थी। इस बारे डाक्टर से भी पूछा जा सकता है।
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-शीतकालीन विद्यालय रहते हैं बंद, अधिकांश बच्चों को नहीं पता कैसे मनाते हैं गणतंत्र दिवस
नवीन जोशी, नैनीताल, 26 जनवरी 2016। पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के पहाड़ी अंचलों में अधिकांश बच्चों को गणतंत्र दिवस मनाने के बारे में जानकारी नहीं है। कारण, उनके विद्यालय गणतंत्र दिवस के दौरान शीतकालीन अवकाश के लिए बंद होते हैं, इसलिए न स्कूलों में गणतंत्र दिवस का आयोजन होता है, और न ही बच्चों को ही देश के अपने संविधान के साथ वास्तविक स्वतंत्रता के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के आयोजन की जानकारी हो पाती है। इसलिये वे गणतंत्र दिवस आयोजनों में भी भागेदारी नहीं कर पाते हैं।
उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस, देश की आजादी का वास्तविक पर्व है। इसी दिन 1930 में देश ने ‘संपूर्ण स्वराज” की घोषणा की थी, और इसी दिन से राष्ट्र में अपने संविधान के साथ अपना वास्तविक राज कायम हुआ था। देश भर में यह आयोजन खासकर विद्यालयों में बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लेकिन नैनीताल जनपद की बात करें तो यहां कुल 976 प्राथमिक विद्यालयों में से 215 तथा जूनियर हाई स्कूल से इंटरमीडिएट तक के 91 सरकारी, मुख्यालय के एक स्थानीय निकाय संचालित नगर पालिका नर्सरी स्कूल एवं तीन अर्धशासकीय विद्यालयों भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय, सीआरएसटी इंटर कालेज व मोहन लाल साह बालिका विद्या मंदिर के साथ ही सभी निजी पब्लिक स्कूलों में इन दिनों शीतकालीन अवकाश होने के कारण गणतंत्र दिवस का आयोजन नहीं होता है। मुख्यालय में जहां अन्य राष्ट्रीय पर्वों पर सुबह प्रभात फे री से लेकर अपराह्न तक कार्यक्रम बच्चों से ही गुलजार रहते हैं, वहीं गणतंत्र दिवस की इकलौती प्रभात फेरी ऐसी होती है, जिसमें बच्चे शामिल नहीं होते हैं, तथा शिक्षक भी अन्य संस्थानों में उपस्थिति दर्ज कराकर औपचारिकता निभा लेते हैं। वर्षों से ऐसा परिपाटी के रूप में हो रहा है। इसका एक नुकसान यह भी है कि बच्चों को गणतंत्र दिवस के इस महत्वपूर्ण आयोजन की जानकारी ही नहीं हो पाती है, या तब होती है, जब वह ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले विद्यालयों में जाते हैं। इसका निदान क्या हो यह एक विचारणीय प्रश्न हो सकता है।
हल्द्वानी के स्कूली बच्चों को बुलाकर चलाया गया काम
नैनीताल। फ्लैट्स मैदान में गणतंत्र दिवस के अवसर पर नगर के स्कूलों के बंद होने की वजह से हल्द्वानी के निर्मला कान्वेंट, आर्यमन बिड़ला, सेंट थरेसा, निमोनिक कान्वेंट व डॉन बास्को स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, देशभक्ति गीत, योग पर आधरित कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी। गीत व नाट्य प्रभाग के कलाकारों तथा पुलिस लाईन के बच्चों ने भी कार्यक्रम पेश किये।