राज्य आंदोलन की अग्रणी सेनानी सुशीला बलूनी का निधन, राज्य में शोक की लहर, सीएम धामी सहित कई ने जताया शोक…
नवीन समाचार, देहरादून, 9 मई 2023। उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी का मंगलवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष की थीं। मंगलवार शाम छह बजे घर पर अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए मैक्स अस्पताल ले गए थे। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने बताया कि वे लंबे समय से बीमार थीं। यह भी पढ़ें : हैरान करने वाला समाचार: नैनीताल घूमने के लिए निकले प्रतिष्ठित व्यवसायी 25 दिन से लापता
स्वर्गीय सुशीला ने राज्य आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह राज्य आंदोलन में बड़ी भूमिका में रही थीं। भाजपा सरकार के दौरान उन्हें महिला आयोग की अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा राज्य निर्माण एवं समाज सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा दिया गया योगदान सभी के लिए अनुकरणीय है। यह भी पढ़ें : नैनीताल: पति ने पत्नी व दो बच्चों को घर से निकाला, कैंप में मारपीट, तोड़फोड़…
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने बताया कि वह पिछले तीन साल से अस्वस्थ चल रही थीं। परिजनों के अनुसार पिछले साल जुलाई में उन्हें हृदय संबंधी समस्या के चलते स्टंट डला था। बलूनी के तीन पुत्र विनय बलूनी, संजय बलूनी और विजय बलूनी और एक बेटी शशि बहुगुणा है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल और वरिष्ठ राज्य आंदोलकारी रविंद्र जुगरान सहित कई गणमान्य लोगों ने उनके निधन पर शोक जताया है। यह भी पढ़ें : नैनीताल पुलिस ने गिरफ्तार किया जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने का आरोपित…
सुशीला बलूनी ने अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक यात्रा में एक बेहतरीन पारी खेली है। एडवोकेट सुशीला बलूनी 1980 के समय से हेमवती नंदन बहुगुणा के पौड़ी गढ़वाल लोक सभा चुनाव से राजनीति में सक्रिय रहीं और बहुगुणा के प्रबल समर्थकों में से थीं। वह उत्तराखंड क्रांति दल में भी लम्बे समय तक रहीं। उनकी उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका रही। उन्होंने देहरादून के मेयर का चुनाव भी लड़ा और त्रिकोणीय संघर्ष में अच्छे मत प्राप्त किए, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाईं। यह भी पढ़ें : पालिका सभासद गजब की ईमानदारी देख रह गईं दंग, 3 घंटे बाद सकुशल मिला सड़क पर छूटा 6 लाख रुपयों से भरा पर्स
बाद में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। वह उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद की अध्यक्ष और उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनकी छवि एक जुझारू, संघर्षशील और ईमानदार महिला नेत्री के रूप में रही। उन्हें उत्तराखंड में ताईजी के रूप में भी जाना जाता रहा है। यह भी पढ़ें : घोर कलयुग, सगा तवेरा भाई 13 साल की नाबालिग को अश्लील वीडियो से ब्लेकमेल कर लगातार बना रहा है अपनी हवश का शिकार
काबीना मंत्री सतपाल महाराज ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, राज्य आंदोलन में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि वह राज्य आंदोलन की सशक्त पक्षकार थीं, जो पृथक राज्य आंदोलन के दौरान कई बार जेल गईं। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
(Sushila Baluni, the leading fighter of the state movement passed away, wave of shake in the state, many including CM Dhami expressed grief, raajy aandolan kee agranee senaanee susheela baloonee ka nidhan, raajy mein shek kee lahar, seeem dhaamee sahit kaee ne jataaya shok)