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November 6, 2024

अपडेट : उच्च न्यायालय में आज जो अभूतपूर्व हुआ, जानें पूरा मामला और आखिर क्या हुआ…

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-आईडीपीएल की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई हाईकोर्ट को यहां स्थानांतरित करने की बात
नवीन समाचार, नैनीताल, 8 मई 2024 (Unprecedented Situation in High Court onShifting)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने बुधवार को ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल यानी इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड के मामले में राज्य सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एक बेंच ऋषिकेश के आईडीपीएल में शिफ्ट करने के आदेश जारी करने की बात कही। इसका अधिवक्ताओं ने भारी विरोध किया।

Unprecedented Situation in High Court onShifting, Uttarakhand High Court issued an order to shift a bench of the High Court to IDPL
उच्च न्यायालय की बेंच के स्थानांतरित होने की सुगबुगाहट के बीच बार सभागार में बैठक करते आक्रोशित अधिवक्ता।

मामले के अनुसार बुधवार को हरिद्वार जिले में ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस याचिका में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी ऑनलाइन जुड़ीं। सुनवाई के बाद आदेश लिखाते समय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी ने उच्च न्यायालय को गौलापार शिफ्ट करने को गलत कदम बताते हुए कहा कि इसके लिए ऋषिकेश में आईडीपीएल की 850 एकड़ भूमि उपर्युक्त स्थल है। इस भूमि में से 130 एकड़ भूमि में पूर्व कर्मचारी रहते हैं।

उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने के आदेश पर हुआ अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

नैनीताल। उच्च न्यायालय की बेंच के उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने से इतर अन्य मामले में ऋषिकेश में स्थानांतरित करने का आदेश पारित होने की जानकारी मिलने पर अधिवक्ताओं के बीच खलबली मच गई। बड़ी संख्या में अधिवक्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सभागार में एकत्रित हुए और सभा की।
इस दौरान अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी याचिका के बाद आदेश लिखाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह उच्च न्यायालय को गौलापार स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं हैं।

उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले वादकारियों के लिए एक बेंच ऋषिकेश में स्थापित करने का प्रस्ताव किया। इस पर सभी अधिवक्ताओं ने एक स्वर में इसका विरोध करने का निर्णय लिया। उनका कहना था कि जबसे उच्च न्यायालय स्थापित हुआ है, तब से अब तक सभी पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति तक नही हुई है, इसके बावजूद हर वर्ष में एक बार न्यायालय को स्थानांतरित करने का मामला सामने आ जाता है।

इस पर आक्रोशित अधिवक्ता मुख्य न्यायालधीश की अदालत में घुस गये। ऐसे में उच्च न्यायालय परिसर में सुरक्षा के दृष्टिगत बड़ी मात्रा में पुलिस बल भी मुस्तैद हो गये। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं को अपराह्न 2 बजे मिलने समय दिया। दो बजे भी मुख्य न्यायाधीश की अदालत में 6 से 7 सौ अधिवक्ता घुस आये। वार्ता के दौरान अधिवक्ता अदालत पर अधिवक्ताओं को स्थान के आधार पर बांटने का आरोप लगाते भी सुने गये।

आखिर बेहद हल्ले-गुल्ले के बीच लंबी चली वार्ता के बाद मुख्य न्यायालय ने अभी उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के आदेश पर हस्ताक्षर न करने का आश्वासन देते हुये हल्द्वानी के गौलापार की भूमि को वहां पेड़ों की मौजूदगी के आधार पर अनुपयुक्त बताते हुये बार से एक सप्ताह के भीतर बिना जंगल की 85 हैक्टेयर वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराने को कहा।

बार के पूर्व अध्यक्ष सैयद नदीम मून ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने वार्ता के दौरान गौलापार के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है। कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को पेड़ों को काटना मंजूर नहीं है। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी पूछा कि क्या वे पेड़ काटना चाहते हैं, इस पर अधिवक्ताओं ने भी ‘नां’ कहा। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

इस मौके पर उच्च न्यायालय बार के अध्यक्ष डीसीएस रावत, सचिव सौरभ अधिकारी, विजय भट्ट, प्रभाकर जोशी, सैय्यद नदीम मून, विकास गुगलानी, पुष्पा जोशी, रमन साह, ललित बेलवाल, दीप प्रकाश भट्ट, कुर्बान अली, कैलाश तिवारी, सौरभ पाण्डे, दीप जोशी, हरेंद्र बेलवाल, भुवन रावत, दुष्यंत मैनाली, डीएस मेहता, एमसी कांडपाल, अजय बिष्ट, लता नेगी, सुहेल अहमद सिद्दीकी आदित्य साह सैकड़ों सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

बार अध्यक्ष ने कही यह बात (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र सिंह रावत ने वार्ता के उपरांत पूछे जाने पर कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने उनकी आपत्ति को स्वीकार कर लिया है, और उनसे एक सप्ताह में वैकल्पिक स्थान का प्रस्ताव देने को कहा है। गौलापार को खारिज करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के हंगामे के दौरान उच्च न्यायालय में सुरक्षा के दृष्टिगत स्वयं ही पुलिस आ गयी थी। इसका भी अधिवक्ताओं ने विरोध किया है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

बार-बेंच की वार्ता के दौरान यह भी हुआ (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

अपराह्न 2 बजे बार एवं बेंच यानी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ एवं हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के बीच वार्ता हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं से कहा कि वह बाहर की हैं। उन्हें नहीं पता कि पूर्व में उच्च न्यायालय को गौलापार स्थानांतरित करने की बात किसने कही थी ?

कहा कि दो वर्ष पूर्व 2022 में 26 हैक्टेयर भूमि गौलापार में चिन्हित हुई थी। लेकिन गौलापार की चिन्हित भूमि में उच्च न्यायालय को स्थापित किया जाना ठीक नहीं है। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी कि क्या पेड़ काटकर भवन बनाना ठीक है ? इस पर अधिवक्ताओं ने भी नां में जवाब दिया। इस पर उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि वह एक सप्ताह में बिना जंगल की 85 हैक्टेयर भूमि कहीं है तो बताएं ?

यह भी कहा कि वह नैनीताल के वर्तमान ऐतिहासिक महत्व के भवन को नहीं छोड़ेंगे। अलबत्ता वह सोच रही हैं कि एक बेंच देहरादून में स्थापित की जाए। उच्च न्यायालय नैनीताल में ही रहे। उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि आप समाधान पर ध्यान दें।

इस दौरान एक बार नाराज होते हुए उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने आदेश पारित कर दिया है। सरकार एसएलपी यानी विशेष अनुमति याचिका दायर कर सकती है। इस दौरान उन्होंने महाधिवक्ता को तत्काल न्यायालय में बुलाया और कहा कि वह सरकार को उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने को लेकर सूचित करें।

उन्होंने अधिवक्ताओं से विकल्प के रूप में रामनगर में उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने के लिए भी कहा। जिसका अधिवक्ताओं ने विरोध करते हुये कहा कि यह अधिवक्ताओं को बांटने की कोशिश है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

मुख्य न्यायाधीश ने युवा अधिवक्ताओं से कहा कि हाइब्रिड सिस्टम शुरू होने के बाद अधिवक्ता घर से बहस कर रहे हैं। यानी उच्च न्यायालय कहीं होने से फर्क नहीं पड़ता है। हमें अगले 50 से 60 वर्षों के लिये समय की जरूरत के अनुसार देखते हुए आधुनिक भवन निर्माण और सुविधाएं देखनी चाहिए। उन्होंने अधिवक्ताओं से यह भी कहा कि हम आदेश में जगह न लिखकर एक अच्छे सुविधाजनक स्थल के लिए लिखेंगे। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

इस दौरान न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने कहा कि उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने की मांग यहीं यानी नैनीताल उच्च न्यायालय से ही आई। हल्द्वानी का प्रस्ताव इसलिये आया क्योंकि नैनीताल में जगह नहीं है। यहां पहले तीन न्यायाधीश थे फिर 11 बने और आगे 80 भी बनेंगे, तो उन व्यवस्थाओं को देखते हुए तैयारी करनी होगी। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

इस दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य विजय भट्ट ने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथन के कार्यकाल में बार ने लिखित में दिया था कि न्यायालय को किसी भी मैदानी क्षेत्र में शिफ्ट न करके पहाड़ों में ही रखा जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह दौर ‘ब्रिटिशकाल’ की याद दिला रहा है। वहीं बार के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने कहा कि आर्डर में बैंच को स्थानांतरित करने की बात कही गयी है तो आप अधिवक्ताओं से उसी पर पूछें, उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने के बारे में नहीं। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि उच्च न्यायालय को हल्द्वानी अथवा रामनगर स्थानांतरित करने पर बार एसोसिएशन को जनमत के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए, तांकि जर्नल हाउस में सही निर्णय निकल सके। उन्होंने न्यायालय से यह भी पूछा कि इतनी पुलिस क्यों बुलाई गई है ? उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से उनके आदेश पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अभी आदेश पर हस्ताक्षर नहीं किये गये हैं। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

बार के पूर्व अध्यक्ष सैय्यद नदीम मून ने कहा कि हमने पृथक पर्वतीय राज्य के लिए आंदोलन किया था। किसी संस्थान का पहाड़ से मैदानी क्षेत्र में जाना एक बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डीके शर्मा ने कहा कि उधमसिंह नगर जिले में 5000 एकड़ जमीन में सिडकुल बना है। उच्च न्यायालय वहां भी स्थानांतरित किया जा सकता है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

पटवाडांगर व रानीबाग के विकल्प हैं उपलब्ध

-पटवाडांगर में निष्प्रयोज्य पड़ी है 103 एकड़ भूमि और भवन
डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल जिला मुख्यालय के पास हल्द्वानी मार्ग पर नैनीताल से 12 किलोमीटर दूर स्थित पटवाडांगर में 103 एकड़ भूमि उपलब्ध है। लगभग पांच अरब रुपये कीमत के इस परिसर में पिछली सदी की शुरुआत से यानी 1903 में वैक्सीन इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी। वर्ष 1957 में इस संस्थान में एंटी रैबीज वैक्सीन और बाद में टिटनेस की वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू किया गया। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

वर्ष 1980 में विश्व से चेचक का उन्मूलन होने के बाद वर्ष 2003 तक यहां तरह-तरह की वैक्सीन बनती रहीं। बाद के वर्षों में आधुनिक तकनीक के अभाव में यहां वैक्सीन का निर्माण बंद कर दिया गया। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

इसके बाद 2005 में राज्य सरकार ने संस्थान को पंतनगर के गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को सौंपकर यहां जैव प्रौद्योगिक संस्थान के रूप में बदल दिया। 15 साल तक यह संस्थान पंतनगर विवि के पास रहा लेकिन कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल न हो सकी। वर्ष 2020 में उत्तराखंड शासन ने इसे पंतनगर विवि की जगह उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी को सौंप दिया। इस तरह पिछले 19 वर्षों से इस बहुमूल्य राजकीय संपत्ति का समुचिक उपयोग नहीं हो रहा है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष सैयद नदीम मून ने कहा कि उच्च न्यायालय के विस्तार के लिये पटवाडांगर सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। वहां उच्च न्यायालय का कार्यालय या कुछ न्यायाधीशों की बेंच स्थापित हो सकती हैं। इससे उच्च न्यायालय को अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिये राष्ट्रपति से अधिसूचना भी जारी नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि नैनीताल में उच्च न्यायालय राष्ट्रपति से अधिसूचना से स्थापित है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

रानीबाग स्थित एचएमटी फैक्टरी का विकल्प भी उपलब्ध (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

नैनीताल जनपद के रानीबाग में एक दौर में देश के बड़े उद्योगों में शामिल 91 एकड़ में फैली एचएमटी फैक्टरी स्थापित थी। राज्य बनने से पूर्व ही यह फैक्टरी तकनीकी में बदलाव व अन्य कारणों से बंद हो गयी। इस 91 एकड़ की संपत्ति में से 45.33 एकड़ फैक्ट्री की खरीदी हुई और शेष भूमि राज्य सरकार व वन विभाग की थी। वर्ष 2020 में इस फैक्टरी का 45.33 एकड़ का परिसर केंद्र सरकार से प्रदेश सरकार को 72 करोड़ की धनराशि में हस्तांतरित हो चुका है। जबकि शेष वन विभाग की भूमि भी राज्य सरकार के स्वामित्व में है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

यह स्थान भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लिये बेहतर विकल्प हो सकता है। पटवाडांगर व रानीबाग के विकल्पों के उपयोग से पर्यटन नगरी नैनीताल में उच्च न्यायालय की वजह से यहां आने वाले वादकारियों की वजह से लगने वाले वाहनों के जाम में भी कमी आ सकती है। (Unprecedented Situation in High Court onShifting)

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