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November 22, 2024

तो क्या उत्तराखंड की पांच में से एक सीट खोने को तैयार है भाजपा !

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Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand

Uttarakhand Rajniti

नवीन समाचार, देहरादून, 5 मार्च 2024 (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)। देश-प्रदेश में सत्तारूढ़ एवं मोदी के साथ जीत की गारंटी के रथ पर सवार भाजपा यानी भारतीय जनता पार्टी ने गत दिवस उत्तराखंड की 5 में से 3 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये। इस दौरान एक खास बात यह हुई कि राजनीति में शुचिता को अब भी मानने वाले लोगों ने एक घोषणा टिकटों के वितरण से पहले ही कर दी थी कि अनिल बलूनी को टिकट नहीं मिलने जा रहा है। अनिल बलूनी के बारे में और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।

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Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand LokSabha Elections : 2019 में सपा व बसपा के जिन सीटों पर मिली जीत, उन सीटों  पर 2024 में BJP ने कौन से उतारे प्रत्याशी…इसलिये कि जिस पत्रकार वार्ता में टिकटों की घोषणा की गयी उसमें पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख के नाते उत्तराखंड से आने वाले अनिल बलूनी भी न केवल मौजूद थे, बल्कि उन्होंने ही पत्रकार वार्ता ही शुरुआत की। इसके बाद यह संभव नहीं लगा कि उनकी या पत्रकार वार्ता में मौजूद नेताओं में से किसी भी नेता को टिकट मिलने की भी घोषणा की जाये।

इससे पहले भी जब राज्य सभा सांसद के रूप में बलूनी का टिकट कटा और उनकी जगह भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को उनकी जगह राज्य सभा का टिकट देकर जिता दिया, तब भी संभवतया भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बलूनी को फिलहाल आगे टिकट न देने का संदेश दिया। इसके बाद यह भी संभावना नजर आने लगी थी कि भाजपा राज्य सभा के साथ अपने लोक सभा के सांसदों के भी टिकट काट सकती है।

लेकिन यह संभावना सिरे नहीं चढ़ पाई। भाजपा ने 5 में से 3 सीटों के टिकट दिये, और तीनों टिकट वर्तमान सांसदों को दे दिये। टिकट देते हुए न उम्र देखी, न क्षेत्र में सक्रियता। शायद देखा तो यह कि उन्हें पार्टी ने सांसद की जो जिम्मेदारी दी गयी उसे उन्होंने चुपचाप निभाया। कभी पार्टी नेतृत्व से कोई उम्मीद खासकर सार्वजनिक तौर पर तो कभी नहीं की। यही भाजपा में टिकट मिलने का फॉर्मूला भी बताया जाता है।

बातें बड़ी-बड़ी (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

इससे इतर बलूनी राज्य सभा सांसद के तौर पर खासकर मीडिया में सर्वाधिक सक्रिय दिखे। बल्कि कई बार ऐसा भी लगा कि पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रहते मीडिया में उत्तराखंड से अधिक खुद को आगे बढ़ाते-दिखाते रहे। यह अलग शोध का विषय है कि उत्तराखंड में लगातार होने वाली दुर्घटनाओं पर उनकी हर जिले में ट्रॉमा सेंटर, राज्य में टाटा का कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने, त्योहार गांव में मनाने व नैनीताल-मसूरी के लिये करोड़ों की पेयजल योजनायें बनाने जैसी बातें धरातल पर कितनी उतरीं।

बलूनी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रहते उनके गृह-लोक सभा क्षेत्र के नेताओं की छवि राष्ट्रीय स्तर पर बिगड़ी (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

वहीं दूसरी ओर उनके राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रहते यह भी हुआ कि उसके गृह-लोक सभा क्षेत्र पौड़ी से आने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कार्यकाल में राज्य की पांचों लोक सभा सीटें और निकाय व पंचायत चुनावों में भी पार्टी को अच्छी जीत दिलाने के बावजूद एक राष्ट्रीय मीडिया चैनल पर देश के सबसे फिसड्डी मुख्यमंत्री बताये गये।

वहीं उनकी बीच कार्यकाल हटने के बाद उनके ही गृह-लोक सभा क्षेत्र से आने वाले तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पुराने ‘फटी जीन्स’ और कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर गलत जानकारी देने जैसे बयानों पर राष्ट्रीय मीडिया चैनलों पर खूब कोसे गये और आखिर पद से भी उन्हें हटना पड़ा। इसके अलावा भी उनके ही गृह-लोक सभा क्षेत्र से आने वाले एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री जैसे बड़े पद से जिस तरह विदाई हुई, वह भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

लोक सभा के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार रहे हैं बलूनी (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

गौरतलब है कि बलूनी न केवल लोकसभा बल्कि बरसों से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार रहे हैं। वह केवल अपनी छवि चमकाते हैं और दोनों ओर यानी लोक सभा और मुख्यमंत्री पद के अपने प्रतिद्वंद्वियों की छवि को धूमिल करने से गुरेज नहीं करते। पूर्व में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री उन्हें बड़ा नेता मानते हुये उनके माध्यम से ही प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृह मंत्री अमित शाह से मिलते रहे। इसका भी बलूनी को लाभ मिला। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

यहां तक भी कहा जाता है कि पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख होने के नाते उन्हें मोदी सरकार से उत्तराखंड के लिये स्वीकृत होने वाली योजनाओं की जानकारी सबसे पहले संबंधित मंत्रालयों से मिल जाती है। इसका फायदा उठाकर वह तत्काल संबंधित मंत्री को उसी विषय में अपनी ओर से एक ज्ञापन सोंपकर मांग कर देते हैं और बाद में योजना की घोषणा होने पर उन्हें उस योजना को उत्तराखंड में लाने का श्रेय मिल जाता है। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

जनता से जुड़ाव नहीं, कोई चुनाव नहीं लड़े (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

इसके अलावा बलूनी की छवि को देखें तो वह ‘एक्स’ यानी पूर्व ट्विटर पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राजनेता माने जाते हैं। ट्विटर पर भी उनका जनता से संपर्क ‘वन-वे’ रहता है, यानी वह अपनी बात तो कहते हैं परंतु खासकर राज्य के आम जन की किसी मांग या समस्या को नहीं सुनते। वह पूर्व में कोई भी जनता से सीधे जुड़ा चुनाव नहीं लड़े हैं। इसलिये भी जनता से उनका कोई सीधा जुड़ाव नहीं है। आरोप यहाँ तक है कि वह अपनी क्षमता के बावजूद कभी किसी जरूरतमंद की व्यक्तिगत मदद करना तो दूर सांत्वना के दो शब्द भी नहीं बोलते। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

पौड़ी, हरिद्वार के अलावा इस तीसरी सीट से भी टिकट मिलने की चर्चा (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

इस सब के बावजूद मीडिया के एक वर्ग में चर्चा है कि भाजपा ने उत्तराखंड की जिन दो सीटों पौड़ी और हरिद्वार पर टिकटों की घोषणा नहीं की है, उसके पीछे बलूनी ही हैं। बताया जा रहा है कि बलूनी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को इतने प्रिय हैं कि वह उन्हें इन सीटों से टिकट देना चाहते हैं। उनकी पहली प्राथमिकता पौड़ी है, लेकिन पौड़ी क्षत्रिय बहुल विधान सभा है। हमेशा से पौड़ी से क्षत्रिय प्रत्याशी को टिकट मिलता रहा है। चूंकि बलूनी ब्राह्मण वर्ग से आते हैं, इसलिये उनकी पौड़ी से राह आसान नहीं होगी। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

पौड़ी से टिकट न मिलने पर उन्हें हरिद्वार सीट से टिकट मिलने के दावे किये जा रहे हैं, जबकि हरिद्वार सीट पर बलूनी की राजनीतिक उपस्थिति नां के बराबर रही है। यह भी गौरतलब है कि इन दोनों सीटों पर वह अपने ही गृह-लोक सभा क्षेत्र पौड़ी से आने वाले तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का राजनीतिक भविष्य अटकाये हुए हैं। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

इसके अलावा बलूनी के प्रशंसकों की मानें तो भाजपा उन्हें दिल्ली की पूर्वी दिल्ली सीट से भी लोक सभा चुनाव में उतार सकती है। उनके लिये प्रधानमंत्री मोदी की तर्ज पर ‘बलूनी है तो मुमकिन है’ और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की तरह ‘बलूनी है जरूरी’ जैसे नारे भी उछाले जाते हैं लेकिन याद रखना होगा कि जिस तरह अपने जनता से कटे-अक्खड़ स्वभाव के कारण जनता ने खंडूड़ी को उनकी सीट से हराकर उनके जरूरी होने पर संदेश दिया, कहीं वैसी ही संदेश बलूनी को भी न मिल जाये। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

आगे देखना होगा कि वास्तव में भाजपा का बलूनी के प्रति कितना प्रेम है और वह बलूनी के प्रेम में क्या एक सीट गंवाने की हद तक भी जा सकती है। (Is BJP ready to lose one seats in Uttarakhand)

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