नवीन समाचार, हरिद्वार, 28 नवंबर 2023। उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को हरिद्वार में बड़ी कामयाबी मिली है। उत्तराखंड एसटीएफ ने हरिद्वार के मंगलौर थाना क्षेत्र से एनआईए यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी द्वारा कनाडा में रहने वाले आतंकी (Aatankwad) घोषित गैंगस्टर अर्शप्रीत उर्फ अर्श डाला के सहयोगी को रंगदारी के मामले में गिरफ्तार किया है।
बताया गया है कि अर्श डाला (डल्ला) पंजाबी संगीत उद्योग जगत की एक हस्ती की हत्या कराना चाहता था। अर्श डाला के मुख्य शूटर राजप्रीत उर्फ राजा बम को दिल्ली पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद ही पुलिस सुशील कुमार तक पहुंच पाई।
उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि हरिद्वार जिले के मंगलौर थाने में कुख्यात अपराधी अर्श प्रीत उर्फ अर्श डाला और उसके सहयोगियों पर रंगदारी मांगने और धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ है। इनकी गिरफ्तारी के लिए उत्तराखंड एसटीएफ लगातार प्रयास कर रही थी। तभी दिल्ली पुलिस के हाथ अर्श डाला का मुख्य सहयोगी शूटर राजप्रीत आ गया, जिसकी निशानदेही पर उत्तराखंड एसटीएफ ने सुशील कुमार को गिरफ्तार किया।
बताया गया है कि आरोपित सुशील कुमार अर्श डाला के मुख्य शूटर राजप्रीत उर्फ राजा बम का करीबी है और उनको हथियार सप्लाई करता था। राजप्रीत उर्फ राजा बम पंजाब में हत्या के एक मुकदमे में फरार चल रहा था, जिसे बीती 26 नवंबर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि इसी साल जनवरी 2023 से लेकर जुलाई 2023 तक राजप्रीत हरिद्वार जिले के टिकोला गांव में सुशील कुमार के घर पर छिपकर रहा था।
उत्तराखंड एसटीएफ का कहना है कि राजप्रीत जिस समय सुशील कुमार के घर पर छिपा हुआ था, तब वह अर्श डाला से बात करता था। राजप्रीत ने सुशील कुमार की बात अर्श डाला से भी कराई थी, तभी दोनों में जान पहचान हुई थी। उत्तराखंड एसटीएफ का दावा है कि सुशील कुमार ने सिग्नल एप के जरिए अर्श डाला से बात की थी।
उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि सुशील कुमार ने हरिद्वार के टिकोला निवासी कविंद्र प्रमुख को अर्श डाला से धमकी दिलवायी थी। यह मामला मंगलौर कोतवाली में दर्ज है। उत्तराखंड एसटीएफ को सुशील कुमार के घर से बड़ी मात्रा में अवैध हथियार और कारतूस बरामद हुए हैं, जिसको लेकर अभी सुशील कुमार से पूछताछ की जा रही है।
उत्तराखंड एसटीएफ का कहना है कि सुशील कुमार की कविंद्र प्रमुख से पुरानी रंजिश है, जिस कारण उसने अर्शप्रीत अर्फ अर्शडाला से कविंद्र प्रमुख को रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी दिलवाई थी। उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि अर्श डाला को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल आतंकी घोषित किया था।
27 वर्षीय अर्श डाला मूल रूप से पंजाब के मोगा जिले के डाला गांव का रहने वाला है। वह अब कनाडा में रहता है और उस पर पंजाब में आतंकी फंडिंग, सीमा पार से हथियारों की तस्करी और कई टारगेट किलिंग को अंजाम देने का आरोप है। सितम्बर 2023 में कनाडा में अर्श डाला के करीबी सुखविंदर गिल उर्फ सुक्खी दुनेकी की हत्या हो गयी थी। इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेन्स बिश्नोई गैंग ने ली थी।
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यह भी पढ़ें : दिल्ली से गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) शाहनवाज उत्तराखंड में 3 दिन रुका, पाइप बनाने की थी कोशिश, मकान मालिक की समझबूझ से रहा विफल…
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 15 अक्टूबर 2023। दिल्ली में कुछ समय पूर्व गिरफ्तार हुए संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) शाहनवाज के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) शाहनवाज ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा में तीन दिन तक रुकने का खुलास हुआ है।
पुलिस सूत्रों की बात मानें तो आतंकी (Aatankwad) यहां पाइप बम बनाने की कोशिश में भी था, अलबत्ता एक मकान मालिक की समझबूझ से वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाया। इधर जांच एजेंसी अब इस बात का पता लगा लगाने में जुट गई है कि उत्तराखंड दौरे के दौरान शाहनवाज किन-किन लोगों से संपर्क में आया था। ऐसे लोगों के लिये आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार एनआईए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की जांच के दौरान शाहनवाज और उसके साथी के नवंबर 2021 में किच्छा के सिरौलीकला में तीन दिन रुकने का खुलासा हुआ है।
इसकी पुष्टि के लिए बीते शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम संदिग्ध आतंकी, पाकिस्तानी आतंकी (Aatankwad) संगठन लश्कर-ए-तैयबा एवं आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया से जुड़े आतंकी शाहनवाज को लेकर उत्तराखंड के किच्छा के सिरौलीकला पहुंची थी।
टीम उसे सिरौलीकला के उस मकान में ले गई जहां वह अपने साथी के साथ तीन दिन रुका था। सूत्रों के अनुसार दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने कुछ लोगों से शाहनवाज और उसके साथी के किच्छा के सिरौलीकला में रहने के दौरान गतिविधियों को लेकर पूछताछ भी की है।
ऊधमसिंह नगर जिले के एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि ने बताया कि माह भर पूर्व एनआईए ने इस मामले में शाहनवाज के हवाले से खुलासा किया कि शाहनवाज व अन्य पाइप बम बनाने के लिए नवंबर 2021 में किच्छा आए थे। आतंकियों (Aatankwad) ने खुलासा किया कि वह दिल्ली से बरेली और फिर पहचान छुपाने के लिए भीड़भाड़ वाले सीमांत क्षेत्र की तलाश में यहां आए।
एसएसपी ने बताया कि यहां मकान मालिक ने आतंकियों (Aatankwad) से पहचान पत्र देने और सत्यापन कराने को कहा, लेकिन शाहनवाज व उसके साथी दो दिनों तक बिना इसके मकान किराये पर देने का दबाव बनाते रहे। इसके बाद तीसरे और चौथे दिन मकान मालिक व शाहनवाज व उसके साथियों के बीच झगड़ा भी हुआ, जिसके बाद शाहनवाज व उसके साथी बैरंग वापस लौट गये। बताया गया है कि एनआईए ने मौके पर ऐसा दृश्य रिक्रिएट भी किया।
एसएसपी ने कहा कि संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) शाहनवाज किच्छा के अलावा ऊधमसिंह नगर में और कहां रुका, इसकी जांच के लिये विशेष टीम बनायी गयी है। यह टीम यह भी पता लगाएगी कि संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) की कोई मदद तो नहीं कर रहा था।
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यह भी पढ़ें : Aatankwad : दिल्ली को दहलाने की साजिश में हल्द्वानी का भी नाम !
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 8 अक्टूबर 2023 (Aatankwad)। दिल्ली को दहलाने की साजिश में हल्द्वानी का नाम भी आ रहा है। एक राष्ट्रीय समाचार पत्र का दावा है कि दिल्ली को दहलाने के लिए जिस आईईडी यानी ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ का इस्तेमाल होना था, उसके धमाकों का परीक्षण हल्द्वानी में किया गया था। हालांकि हल्द्वानी पुलिस और खुफिया एजेंसियां ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार कर रही हैं।
विदित हो कि दिल्ली पुलिस ने संदिग्ध आतंकी (Aatankwad) शाहनवाज, रिजवान अली और रिजवान अशरफ को गिरफ्तार किया है। बकौल दिल्ली पुलिस उन्हें जांच के दौरान पता चला है कि शाहनवाज ने रिजवान अली के साथ मिलकर दिल्ली के जैतपुर के जंगलों में हल्के धमाके कर आईईडी का परीक्षण किया था।
यह भी बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के हल्द्वानी के अलावा राजस्थान में भी धमाके के परीक्षण किये गये थे और इसके वीडियो पाकिस्तान में बैठे आकाओं को भेजे गये थे। इसके बाद पाकिस्तान से बम को और ताकतवर बनाने के दिशा-निर्देश जारी हुए थे। इस मामले में नैनीताल के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा का कहना है कि नैनीताल पुलिस के पास इस तरह की जानकारी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि खनन में इंजीनियरिंग करने वाला शाहनवाज एसएससी की तैयारी करने दिल्ली आया था। वह पहले से ही आईएस की विचारधारा से प्रभावित था। जबकि दिल्ली के जामिया नगर में अबुल फजल व रिजवान अली सहित कुछ लोगों के संपर्क में आने के बाद अचानक उसकी विचारधारा में बदलाव आया।
(Aatankwad) यहां मुस्लिम समुदाय पर जुल्म होने की झूठी की कहानियां सुनाकर उसका ब्रेनवॉश किया गया। पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों ने उन्हें भारत में नेटवर्क खड़ा करने को कहा।
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यह भी पढ़ें : Aatankwad : उत्तराखंड से हो रही थी खालिस्तानियों को हथियारों की आपूर्ति, एनआईए ने 2 गिरफ्तारियों के साथ की बड़ी कार्रवाई
नवीन समाचार, देहरादून, 27 सितंबर 2023 (Aatankwad)। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती हिमाकत और इसी कारण भारत व कनाडा के संबंधों में आई खटास के बीच एनआईए यानी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी उत्तराखंड में खालिस्तानियों और गैंगस्टरों के गठजोड़ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई रही है।
प्रदेश के ऊधमसिंह नगर के बाजपुर और देहरादून में एनआईए ने छापेमारी कर दोनों स्थानों से बंदूकों के डीलरों को हिरासत में ले लिया है। डीलरों पर खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट को कारतूस व गोलियों की आपूर्ति करने का आरोप है।
बताया जा रहा है कि एनआईए को पुख्ता संकेत मिले थे कि उत्तराखंड से कुछ लोग हवाला के जरिए खालिस्तान समर्थकों और गैंगस्टरों को नेटवर्क को मदद पहुंचा रहे थे। इस सूचना पर एनआईए बुधवार सुबह से ऊधमसिंह नगर के बाजपुर और देहरादून में छापेमारी की कार्रवाई की है।
बताया जा रहा है कि बाजपुर कोतवाली के ग्राम धनसारा में गन हाउस स्वामी शकील अहमद के घर व गन हाउस पर छापा मारा और जांच पड़ताल करते हुए शकील के साथ ही उसके पूरे परिवार से कड़ी पूछताछ की है। शकील के छोटे बेटे नाजिम को एनआईए पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है और बड़े बेटे आसिम को तलब किया गया है।
बताया गया है कि शकील अहमद के बड़े बेटे मो. आसिम पर पंजाब के 2016 के नाभा जेल प्रकरण में आतंकवादियों (Aatankwad) को जेल तोड़ने में सहयोग करने का आरोप लगा था। इस मामले में आसिम जेल गया था। अभी हाल में ही आसिम जेल से बाहर आया है। ऊधमसिंह नगर के एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पिछले दो दिन से एनआईए की टीम उनके संपर्क में है।
एनआईए को कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं, जिनकी जांच हो रही है। एनआईए की टीम के साथ रिजर्व पुलिस फोर्स और बाजपुर कोतवाली पुलिस की टीम भी मौजूद है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे घर को पुलिस ने चारों ओर से घेरा हुआ है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में पूर्व में भी खालिस्तान का समर्थन करने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में कोशिश की जा रही है कि अगर प्रदेश में कोई उनका समर्थक है तो उस गठजोड़ को तोड़ा जा सके।
देहरादून में भी बंदूक डीलर पकड़ा गया
उधर एनआईए ने देहरादून के क्लेमेंटाउन क्षेत्र में स्थित रॉयल गन हाउस मालिक परीक्षित नेगी के घर पर छापेमारी की है। नेगी को पिछले साल दिल्ली पुलिस ने गोलियों के साथ दबोचा था। बताया गया है कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने पांच लोगों को 2000 अवैध कारतूसों के साथ पकड़ा था।
(Aatankwad) जांच में पता चला कि कारतूस देहरादून के बंदूक डीलर परीक्षित नेगी से खरीदे गए थे। इस मामले में परीक्षित फिलहाल जमानत पर था। उसके गन हाउस का लाइसेंस भी प्रशासन ने निरस्त कर दिया था।
यह भी सामने आया था कि परीक्षित नेगी ने मई 2022 में अमृतसर में भी कारतूसों की आपूर्ति की थी। परीक्षित नेगी पर खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट को गोलियों की आपूर्ति करने, कारतूस बेचने और हवाला से पैसे भेजने का आरोप भी है। एनआईए की टीम ने नेगी को हिरासत में लिया गया है। कुछ जरूरी दस्तावेज भी कब्जे में लिए गये हैं।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
गौरतलब है कि लंबे समय से आशंका जताई जाती रही है कि लंदन में रहने वाले कुछ खालिस्तानी समर्थकों का सीधा ताल्लुक ऊधमसिंह नगर जिले से हो सकता है। इस साल मार्च महीने में भी एनआईए उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के बाजपुर में ग्राम रतनपुरा में गुरविंदर सिंह के घर व बड़े फार्म हाउस पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। इस दौरान गुरविंदर देश से बाहर था। अमृतपाल को लेकर भी स्थानीय पुलिस से लेकर तमाम एजेंसी कई बार इस इलाके में पहुंच चुकी हैं।
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यह भी पढ़ें : Aatankwad : आतंकवादी (Aatankwad) कृत्य को आयोग ने बताया ‘हत्या’ की जगह ‘लापरवाही की वजह से मौत’ ! उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुँचा मामला
नवीन समाचार, नैनीताल, 20 सितंबर 2023 (Aatankwad)। जी हां, ‘क्या किसी आतंकवादी (Aatankwad) कृत्य को ‘हत्या’ के बजाय ‘लापरवाही की वजह से मौत’ के तौर पर देखा जा सकता है?’ उत्तराखंड उच्च न्यायालय से इस सवाल का बड़ा जवाब मिल सकता है। हुआ यह है कि राज्य न्यायिक सेवा की सिविल जज के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कुछ सवालों का मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंचा है।
यह सवाल उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) द्वारा आयोजित की गयी न्यायिक सेवा की परीक्षा में पूछे गये खास कर एक सवाल पर उठ खड़ा हुआ है। पूछा गया था- ‘ए’ ने एक मेडिकल स्टोर में बम रखा और बम विस्फोट होने से पहले लोगों को बाहर निकलने के लिए तीन मिनट का वक्त दिया। आर्थराइटिस से पीड़ित एक मरीज ‘बी’ वहाँ से निकलने में सफल नहीं हो सका और मारा गया। इसके लिए ए पर किस धारा के तहत मामला दर्ज किया जाएगा?
इस प्रश्न के जवाब में चार विकल्प ए, बी, सी और डी दिए गए थे। परीक्षा में शामिल हुए अधिकतर आवेदकों ने विकल्प ‘ए’ (भादंसं यानी भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 302 के तहत हत्या) का चयन किया, लेकिन इसी वर्ष मई 2023 में घोषित किए गए
(Aatankwad) इस परीक्षा के परिणामों के बाद आयोग ने सही उत्तर ‘डी’ (भादंसं की धारा 304ए यानी गैर इरादतन हत्या/मानव संहार) के विकल्प को सही माना। इस बीच इस याचिका ने कानूनी हलकों में इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या किसी आतंकवादी (Aatankwad) कृत्य को ‘हत्या’ के बजाय ‘लापरवाही की वजह से मौत’ के तौर पर देखा जा सकता है?
परीक्षा में पूछे गये ऐसे विवादास्पद सवालों व उनके उत्तरों पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। इस मामले की सुनवाई करते हुये उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने आयोग को सवालों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने परीक्षा में उत्तरदाताओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे कुछ विवादास्पद प्रश्नों को हटाने का आदेश भी दिया है, और कहा है कि इस आधार पर ही चयन की पूरी प्रक्रिया चार सप्ताह के अंदर खत्म की जानी चाहिए। इसके साथ ही एक नई मेरिट लिस्ट तैयार की जानी चाहिए जिसके आधार पर चयन प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने न्यायालय में तर्क दिया कि ”हत्या का इरादा न होने से यह मामला भादंसं की धारा 302 का नहीं बल्कि यह लापरवाही की वजह से मौत से जुड़ा मामला है।” इस मामले पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा, “हमारे लिए यह कहना काफी है कि विषय विशेषज्ञ ने मध्य प्रदेश के मोहम्मद रफीक के मामले में 2021 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भरोसा किया है। अदालत विषय विशेषज्ञ की राय से इतर कोई भी राय देने से परहेज करती है।”
गौरतलब है कि मोहम्मद रफीक के मामले में मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधिकारी को एक तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया था। जब उसने ट्रक पर चढ़ने की कोशिश की और ड्राइवर रफीक ने उसे धक्का देकर गिरा दिया।
इस मामले में उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत का कहना है, “यह स्पष्ट रूप से लापरवाही का मामला नहीं है क्योंकि कृत्य ही स्वयं इरादे को दर्शाता है और ‘ए’ अपने काम के नतीजों को जानता था। इसलिये बिना किसी संदेह के, यह मामला भादंसं की धारा 302 हत्या के दायरे में आता है।”
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यह भी पढ़ें : Aatankwad : आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के नाम से नैनीताल की धमकी देने वाला आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार
नवीन समाचार, नैनीताल, 30 अगस्त 2023 (Aatankwad)। पिछले दिनों आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के नाम से नैनीताल को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। नैनीताल पुलिस की एसटीएफ यानी विशेष कार्य बल ने आरोपित को आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार को उसे पुलिस सुरक्षा के बीच मेडिकल के लिए बीडी पांडे जिला चिकित्सालय लाया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत दिनों नगर के मेट्रोपोल कंपाउंड में चले ध्वस्तीकरण अभियान के दौरान 27 जुलाई 2023 को नैनीताल पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर नितिन शर्मा नाम के एक उपयोक्ता ने लिखा था, “हम नैनीताल के अलग अलग स्थानों में 24 घंटे के भीतर बम विस्फोट करेंगे।
(Aatankwad) हर बम फूटेगा और हिजबुल मुजाहिद्दीन इसकी जिम्मेदारी लेता है”। मामले में नैनीताल पुलिस के मीडिया सेल की तहरीर पर थाना तल्लीताल में आईटी एक्ट की धारा 66 एफ के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
तल्लीताल के थाना प्रभारी रोहताश सिंह सागर ने बताया कि मामला आतंकी संगठन से जुड़ा और नगर को बम से उड़ाने की धमकी का होने का कारण मामले की विवेचना एसटीएफ को सोंपी गई थी। विवेचना में संदिग्ध व्यक्ति की पहचान नितिन शर्मा पुत्र सुरेन्द्र शर्मा निवासी 481/2बी मंदिर मार्ग बलजीत नगर थाना पटेलनगर के रूप में हुई। यह भी जानकारी मिली कि नितिन ने अपना धर्म परिवर्तन कर अपना नाम ‘खालिद’ रख लिया था और वह वर्तमान में आंध्र प्रदेश में रह रहा था।
बताया गया है कि इससे पूर्व भी नितिन ने ही 4 अक्टूबर 2022 को नैनीताल पुलिस कंट्रोल रुम को इसी प्रकार की नैनीताल के विभिन्न स्थानों में बम बलास्ट होने की सूचना दी थी। एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया की एसटीएफ की टीम कई चुनौतियों का सामना करते हुए 20 दिन विजयवाड़ा सहित आंध्रप्रदेश के विभिन्न जनपदों में दर्जनों सीसीटीवी खंगाल कर आरोपित को आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार कर ले आई है।
बुधवार को आरोपित ‘खालिद’ को मेडिकल के लिए नैनीताल के बीडी पांडे जिला चिकित्सालय ले जाया गया। बताया गया है कि आरोपित ने इस प्रकरण में गम्भीरता से पूछताछ की जा रही है। उसे गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून के पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा निरीक्षक विकास भारद्वाज, उप निरीक्षक राजेश ध्यानी व राजीव सेमवाल तथा आरक्षी शादाब अली शामिल रहे।
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(Aatankwad) हल्द्वानी जेल में बंद छोटा राजन का पूर्व सहयोगी दिल्ली यह भी पढ़ें : पुलिस ने किया गिरफ्तार, आतंकियों से संबंध खंगाल रही पुलिस…
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 7 फरवरी 2023 (Aatankwad)। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के गुर्गे भूपिंदर उर्फ भूपी को गिरफ्तार करने का दावा किया है। कहा है कि आरोपित भूपिंदर खालिस्तान के गिरफ्तार आतंकी नौशाद व जगजीत सिंह उर्फ जग्गी के साथ हल्द्वानी जेल में बंद था।
(Aatankwad) ऐसे में पुलिस आतंकियों व छोटा राजन के साथी के संबंधों को खंगाल रही है। यह भी पढ़ें : दुल्हन को विदा कराते ही दूल्हे की ड्रेस में ही परीक्षा देने चला गया दूल्हा, दुल्हन करती रही इंतजार…
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस के खुफिया विभाग ने सोमवार को लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल के कार्यालय में उससे कई घंटे पूछताछ की। दूसरी ओर स्पेशल सेल ने नौशाद व जगजीत सिंह उर्फ जग्गी को अभी भी पुलिस रिमांड पर ले रखा है।
(Aatankwad) स्पेशल सेल हल्द्वानी जेल में बंद अन्य बदमाशों की कुंडली भी खंगाल रही है। साथ ही देश भर में दबिश देकर इनसे संबंधित सभी से पूछताछ करने में लगी हुई है। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी: विवाहिता ने पुलिस से लगाई गुहार, पति दोस्तों को घर बुलाकर जबर्दस्ती शराब पिलाता है, दहेज के लिए घर से निकाला….
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उत्तराखंड निवासी भूपिंदर उर्फ भूपी की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपित को देश में नकली नोटों की सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2020 में दिल्ली में पांच लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए गए थे। इस मामले में भूपिंदर फरार था।
भूपिंदर नैनीताल जिले में रंगदारी के एक मामले में नौशाद के साथ हल्द्वानी जेल में बंद था। वह नेपाल भी जा चुका है। स्पेशल सेल ने आरोपित को सोमवार को कोर्ट में पेश कर चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आरोपित भूपिंदर के छोटा राजन से किस तरह के संबंध हैं।
दूसरी स्पेशल सेल ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के गूलरभोज क्षेत्र के ग्राम कोपा किरपाली निवासी जगजीत सिंह और जहांगीरपुर, दिल्ली निवासी नौशाद को 14 जनवरी को जहांगीरपुर से गिरफ्तार किया है।
(Aatankwad) नौशाद के पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई और हरकत उल अंसार व लश्कर ए तैय्यबा से संपर्क सामने आए हैं। वहीं जगजीत सिंह के कनाडा में बैठे आतंकी अर्शदीप उर्फ डल्ला के संबंध हैं। उसे खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें (Aatankwad) : दीपावली पर उत्तराखंड में आधा दर्जन स्थानों को बम धमाकों से दहलाने की साजिश ! आतंकी संगठन की ओर से मिला कथित पत्र…
नवीन समाचार, हरिद्वार, 15 अक्तूबर 2022 (Aatankwad)। एक बार फिर दीपावली से पहले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से आगामी 25 और 27 अक्टूबर को हरिद्वार, ऋषिकेश के अलावा चारधाम में बम धमाके करने की धमकी भरा एक कथित पत्र मिला है।
धमकी भरा यह कथित पत्र बीती 10 अक्टूबर को हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर मिला है। लेकिन पुलिस ने इस मामले को अब तक दबाकर रखा था। धमकी भरे पत्र आने के मामले में जीआरपी हरिद्वार पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा एक विशेष एसआईटी का गठन कर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। यह भी पढ़ें : नैनीताल ब्रेकिंग : रात्रि में खाई में गिरा युवक, सुबह पता चलने पर बचाया, पर हुई मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर की ओर से भेजा गया पत्र हरिद्वार के स्टेशन अधीक्षक एमके सिंह को गत 10 अक्टूबर को मिला। इसकी सूचना उन्होंने तत्काल जीआरपी और आरपीएफ पुलिस हरिद्वार को दी। यह भी पढ़ें : महिला की मौत मामले में उत्तराखंड में जिस खनन माफिया जफर की तलाश में घुसी
पत्र में आतंकी संगठन ने 25 अक्टूबर को हरिद्वार व ऋषिकेश और 27 अक्टूबर को चारधाम में एक साथ बम धमाके करने की खुली चेतावनी दी है। इस पत्र के मिलने के बाद पुलिस के आला अधिकारियों ने न केवल हरिद्वार ऋषिकेश बल्कि चार धामों में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड सचिवालय से हटाए गए कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर लगी रोक
थानाध्यक्ष जीआरपी हरिद्वार अनुज कुमार ने बताया इस संबंध में संबंधित धाराओं में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। रेलवे स्टेशन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ा दी गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की धर्म नगरी में ‘गजवा-ए-हिंद’ के मकसद को लेकर सक्रिय आंतकी संगठन के दो आतंकवादी (Aatankwad) गिरफ्तार…
नवीन समाचार, हरिद्वार, 12 अक्तूबर 2022। उत्तर प्रदेश के आतंकवाद (Aatankwad) निरोधक दस्ता (एटीएस) ने हरिद्वार से दो आतंकियों को गिरफ्तारी किया है। बताया गया है कि दोनों आतंकी संगठन भारत में गजवा-ए-हिंद के मकसद को लेकर सक्रिय है। आतंकी संगठन भारत में घुसपैठ कर सीमावर्ती राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, असम में कट्टरपंथी विचारधारा वाले व्यक्तियों को जोड़ते हुए मदरसों में अपनी जड़े मजबूत कर चुके हैं।
वे कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रहे हैं। उन्हें इसके लिए टेरर फंडिग की जा रही थी। वे अपना नाम बदल कर कट्टरपंथी विचारधारा के व्यक्तियों को अपने साथ जोड़ते हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। उत्तराखंड की पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसी सतर्क हो गई है। अब इन आतंकवादियों (Aatankwad) से जुड़े लोगों की जांच की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश एटीएस ने बीते दिनों अलकायदा के इंडियन सब कांटिनेंट माड्यूल अलकायदा बर्र-ए-सगीर और उसके सहयोगी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) से जुड़े आठ आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
(Aatankwad) उनसे पूछताछ के आधार पर हरिद्वार से बांग्लादेश मूल के अली नूर और रुड़की निवासी मुदस्सिर को भी गिरफ्तार किया गया है। पता चला है कि दोनों बांग्लादेशी आतंकी तल्हा एवं अली कुछ माह से नूर सिडकुल से सटे गांव सलेमपुर गांव में किराये पर रह रहे थे।
यूपी एटीएस के इस सनसनीखेज खुलासे ने उत्तराखंड पुलिस की भी नींद उड़ाकर रख दी है। अब खुफिया एजेंसियां स्थानीय स्तर पर आतंकियों के नेटवर्क को खंगालने के साथ ही चौकसी बढ़ा दी गई है।
(Aatankwad) यूपी एटीएस की ओर से जारी प्रेस नोट में जानकारी दी गई है कि रुड़की के गांव नगला इमरती के रहने वाले मुदस्सिर और कामिल निवासी जाहीरपुर देवबंद सहारनपुर ने आरोपियों को यहां ठहराया था। पिछले कई साल से कामिल भी यहां रहकर दिहाड़ी मजदूरी कर रहा था और वह ही मुदस्सिर से जुड़ा हुआ था।
मुदस्सिर ने ही दोनों बांग्लादेशियों को कामिल के पास भेजा था। एटीएस की तफ्तीश में खुलासा हुआ कि कामिल के बैंक खाते में ढाई लाख की टेरर फंडिंग भी की गई थी। यहां आने से पहले बांग्लादेशी अली नूर उर्फ जहांगीर मंडल उर्फ इनामुल हक बांग्लादेशी आतंकियों के साथ पानखीउड़ा मदरसे ग्वालपाड़ा असम में शिक्षक के तौर पर रह रहा था, जिसके बाद वह यहां आया था।
आतंकियों का हरिद्वार कनेक्शन सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियों के होश फाख्ता है, चूंकि सलेमपुर मिश्रित आबादी वाला क्षेत्र है लिहाजा खुफिया एजेंसियां इस बात की तह तक जाने में जुटी हैं कि कई वर्षों से रह रहे कामिल के संपर्क में आखिर कौन-कौन लोग थे। सूत्रों की मानंे तो दोनों बांग्लादेशी चंद दिन पूर्व ही यहां पहुंचे थे।
लेकिन फिर भी उनके नेटवर्क की थाह ली जा रही है। जिस स्थानीय व्यक्ति के घर कमरा किराए पर लिया गया था, उससे भी खुफिया एजेंसियों ने कई चरण में पूछताछ करते हुए आरोपियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली।
(Aatankwad) यह भी पता चला है कि आतंकी पुलिस एवं अन्य एजेंसियों से बचने के लिये कुछ खास मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हैं और अपने संगठन में जुड़ने वाले नये लोगों को इन ऐप और अपने बातचीत करने के कोड का भी प्रशिक्षण देते हैं।
एसएसपी डॉ योगेंद्र सिंह रावत ने पुष्टि करते हुए बताया कि यूपी एटीएस के आतंकी संगठनों से जुड़े आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात संज्ञान में आई है। पूर्व में भी हरिद्वार में आतंकी घटनाओं की धमकियां मिलती रही हैं। पुलिस चौकसी बरतती आ रही है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर आतंकी संगठन के झंडों व दृश्यों के साथ धमकी के वीडियो मामले में मुकदमा दर्ज
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मई 2022। नगर में गत 5 मई को प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान को आतंकी संगठन आईएसआईएस के साथ जोड़ते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया था।
28 सेकेंड के इस वीडियो के मामले में मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने मंगलवार की देर रात्रि अज्ञात के विरुद्ध सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने व धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 295 व 193 ए के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कर दिया है। नगर कोतवाली प्रीतम सिंह ने बताया कि मामले की जांच एसएसआई दीपक बिष्ट को सोंपी गई है।
उल्लेखनीय है कि वीडियो में नैनीताल में चले अतिक्रमण विरोधी अभियान के वीडियो के साथ पुरुष की आवाज में कहा गया था, आज जुल्मोसितम का दौर है, पर इंसाफ का भी एक दौर आएगा। हो सकता है तुम हमें मिटा दो इस प्यारे वतन से, पर तुम्हें मिटाने कल कोई और आएगा।’ इस वीडियो के पीछे आईएसआईएस के वाहन एवं झंडे दिखाई दे रहे थे, तथा ‘अल्ला हू अकबर’ जैसे धार्मिक शब्द भी सुनाई दे रहे थे।
सर्वधर्म की नगरी में साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला अपनी तरह का यह पहला मामला था और यह एक तरह से प्रशासनिक कार्रवाई को खुली चुनौती भी माना जा रहा था। इस मामले में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नितिन कार्की ने मल्लीताल कोतवाली में शिकायती पत्र सोंपकर कहा था कि प्रायोजित तरीके से समाज में भय का वातावरण उत्पन्न करने के उद्देश्य से यह कृत्य किया गया है।
(Aatankwad) लिहाजा इस वीडियो को प्रसारित होने से रुकवाने तथा मामले की जांच कर उचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाए, ताकि भविष्य में कोई साम्प्रदायिक घटना होने से रोकी जा सके।
इसके बाद पुलिस ने इस वीडियो को अपने स्टेटस पर लगाने वाले, अलबत्ता दूसरों को शेयर न करने वाले एक संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की व उसके मोबाइल को कब्जे में लेकर उसे सोशल मीडिया सर्विलांस यूनिट को जांच के लिए भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में ‘नवीन समाचार’ में सबसे पहले समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के स्तर से नैनीताल पुलिस से पूछा गया। इसके बाद पुलिस धार्मिक सौहार्द बरकरार रखने के लिए सतर्क हो गई। समाचार को न प्रकाशित करने को भी कहा गया। अब नगर कोतवाल प्रीतम सिंह ने कहा है कि जांच में आने वाले तथ्यों के आधार पर मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : आतंकवादी (Aatankwad) को शरण देने के आरोप में कुमाऊं पुलिस ने तीन लोगों को किया गिरफ्तार
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 22 जनवरी, 2021। उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले से सनसनीखेज मामला सामने आ रहा है। पंजाब के तीन शहरों में हुए बम ब्लास्ट के फरार आतंकी को आश्रय देने के आरोप में बाजपुर और केलाखेड़ा के चार लोगों को पुलिस और एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। जबकि आतंकी टीम के पहुंचने से पहले ही फरार हो गया था। फिलहाल पुलिस पकड़े गए आतंकी की चारों साथियों से पूछताछ कर रही है।
ज्ञात हो कि नवंबर माह में पंजाब के तीन शहरों पठानकोट, नवाशहर और लुधियाना में आतंकी हमले हुए थे, इससे पंजाब में हड़कंप मच गया था। इस मामले में पंजाब पुलिस ने आतंकी हमले में शामिल छह आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
(Aatankwad) जबकि एक आतंकी सुखप्रीत उर्फ सुक्खा फरार होने में कामयाब हो गया था। पंजाब पुलिस उसकी तलाश में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों की पुलिस की मदद से उसकी तलाश में थी। इसके बाद उत्तराखंड की एसटीएफ भी सतर्क हो गई थी।
इस दौरान फरार आतंकी के बाजपुर और केलाखेड़ा में होने की एसटीएफ को इनपुट मिले थे। इसके बाद ऊधमसिंह नगर पुलिस और एसटीएफ ने आतंकी की तलाश में बाजपुर और केलाखेड़ा में डेरा डाल दिया था। इसी दौरान शुक्रवार देर रात एसटीएफ ने बाजपुर और केलाखेड़ा में दबिश दी लेकिन आतंकी तब तक फरार हो चुका था।
इस पर पुलिस ने उसे शरण देने वाले केलाखेड़ा के ग्राम रामनगर निवासी शमशेर सिंह उर्फ शेरा उर्फ शाबी पुत्र गुरनाम और हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पुत्र गुरनाम सिंह निवासी रामपुर, स्वार हाल बाजपुर संधू ढाबा निवासी गुरपाल सिंह उर्फ गुर्री ढिल्लो पुत्र गुरदीप सिंह और ग्राम बाजपुर निवासी अजमेर सिंह उर्फ लाडी पुत्र गुरवेल सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : सूत्रों से बड़ी खबर: कश्मीर में ‘टार्गेट किलिंग’ के मामले में उत्तराखंड से एक कश्मीरी छात्र गिरफ्तार….
नवीन समाचार, देहरादून, 15 नवंबर 2021। उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ यानी विशेष कार्यबल और अभिसूचना इकाइयों ने पिछले कुछ महीनों से कश्मीर में चल रहे घटनाक्रम को लेकर सतर्कता बरतते हुए कुछ कश्मीरी छात्रों को गत 11-12 नवंबर को उठा कर उनसे पूछताछ की थी।
बताया गया था कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कश्मीर में आपराधिक घटनाओं में शामिल कुछ लोग इनसे मिले हैं। हालांकि, तब प्रेमनगर थाना क्षेत्र में रहकर पढ़ाई कर रहे खासकर दो छात्रों से चली पूछताछ में एसटीएफ को कोई जानकारी नहीं मिलने की बात कही गई थी,
(Aatankwad) इसलिए इन दोनों छात्रों से 24 घंटे से ज्यादा पूछताछ के बाद वापस हॉस्टल छोड़ दिया गया। लेकिन अब बड़ी खबर आई कि इनमें से रविवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस देहरादून से अपने साथ ले गई है।
सूत्रों के अनुसार रविवार को अचानक जम्मू कश्मीर पुलिस देहरादून पहुंची और एक छात्र को अपने साथ ले गई। बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में बढ़ी ‘टार्गेट किलिंग’ यानी वहां के अल्पसंख्यक हिंदू वर्ग के लोगों या उदारवादी लोगों की हत्या को लेकर उससे पूछताछ की जाएगी। शक है कि वह इस मामले में किसी संदिग्ध के संपर्क में था। हालांकि, दून पुलिस को जानकारी नहीं दी गई है।
उल्लेखनीय है कि कश्मीर में धारा 370 हटने और काफी सतर्कता बरते जाने के बाद इधर हालिया दिनों में काफी अशांति दिख रही है। वहां पर 1990 के बाद एक बार फिर से गैर-मुस्लिमों की हत्या के मामले सामने आ रहे हैं।
(Aatankwad) टारगेट किलिंग के इन मामलों ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के कान तो खड़े किए ही, साथ ही सरकार के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गयीं। ऐसे में वहां पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद (Aatankwad) की कमर तोड़ने को सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन भी चलाए।
इस बीच उत्तराखंड पुलिस को भी कुछ इनपुट मिले थे। बताया जा रहा है कि कुछ लोग जो वहां पर इन गतिविधियों में शामिल रहे हैं वो देहरादून में रह रहे कश्मीरी छात्रों के संपर्क में हैं। सूचना तो यहां तक भी थी कि वह लोग इनके पास आए हैं। इन्हीं सूचनाओं की तस्दीक के लिए पुलिस ने कुछ कश्मीरी छात्रों को उठाया था।
पुलिस के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उनसे नियमानुसार प्रेमनगर थाने लेकर पूछताछ की गईं। लेकिन, इस पूछताछ में पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि जिससे लगे कि ये छात्र या इनका कोई संबंधी इन गतिविधियों में शामिल हो। बताया जा रहा है कि पुलिस की यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व प्रेमनगर में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी दबोचा गया था। जबकि 2001 में क्लमेंटाउन में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी की गिरफ्तारी हुई। इसके अलावा मुंबई में हुए बम ब्लास्ट में एटीएस 2007 में सेलाकुई से एक आतंकी को पकड़कर ले गई थी। एक अन्य कॉलेज से संदिग्ध कश्मीरी की गिरफ्तारी हुई थी।
जबकि 2008 में यूपी एसटीएफ ने ऋषिकेश से हूजी के एक संदिग्ध को पकड़ा था। हाल ही में नाभा जेल पर हमला कर खालिस्तानी आतंकी (Aatankwad) को छुड़ाने की साजिश भी आतंकियों ने देहरादून में रहकर ही रची थी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में एक बार फिर कश्मीरी छात्र पुलिस व खुफिया एजेंसियों के रडार पर, हुई पूछताछ
नवीन समाचार, देहरादून, 12 नवंबर 2021। उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ यानी विशेष कार्यबल और अभिसूचना इकाइयों ने पिछले कुछ महीनों से कश्मीर में चल रहे घटनाक्रम को लेकर सतर्कता बरतते हुए कुछ कश्मीरी छात्रों को उठा कर उनसे पूछताछ की है।
(Aatankwad) बताया गया है कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कश्मीर में आपराधिक घटनाओं में शामिल कुछ लोग इनसे मिले हैं। हालांकि, देर शाम तक चली पूछताछ में एसटीएफ को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : किसान आंदोलन के बाद उत्तराखंड में खालिस्तान के स्वर, ‘खालिस्तान जिंदाबाद और मोदी मुर्दाबाद, न बोलने पर भाजयुमो नेता से मारपीट
नवीन समाचार, सितारगंज, 09 जनवरी 2021। किसान आंदोलन में सुनाई दे रहे खालिस्तान (Aatankwad) के स्वर उत्तराखंड में भी सुनाई देने लगे हें। राज्य के ऊधमसिंहनगर के सितारगंज में भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष से मारपीट का मामला सामने आया है। मारपीट का आरोप पूर्व प्रधानपति पर लगा है।
खास बात यह है कि आरोपों के अनुसार पिटाई कथित तौर पर ‘खालिस्तान जिंदाबाद और मोदी मुर्दाबाद नहीं कहने पर की गई है। मामले में पीड़ित नेता भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष आदेश ठाकुर की तहरीर पर कोतवाली पुलिस को पूर्व प्रधानपति के खिलाफ मारपीट की तहरीर दी है। इस पर पुलिस ने हालांकि अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया है, अलबत्ता जांच के लिए आरोपी को हिरासत में ले लिया है।
तहरीर के अनुसार पूर्व प्रधानपति ने आदेश ठाकुर की गाड़ी के आगे अपनी गाड़ी लगाकर उनको गाड़ी से उतरने को और बाहर आने पर ‘खालिस्तान जिन्दाबाद और नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद का नारा लगाने को कहा। इससे इनकार करने पर उसने ठाकुर से लात-घूंसों से पीटना शुरू कर दिया। यही नहीं चाकू से वार कर जान लेने की कोशिश भी की।
लेकिन मौके पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया। इस पर आरोपी जान से मारने की धमकी देता हुआ मौके से फरार हो गया। मारपीट से पीड़ित के मुंह, नाक व शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें भी आईं। इसके बाद ठाकुर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कोतवाली पहुंचे और तहरीर सौंपी, जिस पर आरोपी को हिरासत में ले लिया गया।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में खालिस्तान समर्थक पहले से चिन्हित हैं। वर्ष 2019 में खटीमा, सितारगंज और बाजपुर व रुद्रपुर थाना क्षेत्र में फेसबुक पर खालिस्तान के समर्थन में वीडियो और पोस्ट डालने पर पुलिस कम से कम आठ लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है।
(Aatankwad) हालांकि उन्हें माफीनामा और भविष्य में उसे इस तरह की आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड नहीं करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया था। इससे पहले पुलिस सात खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी थी।
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यह भी पढ़ें : उत्तराखंड पुलिस के वाहन चलाता को पंजाब पुलिस को मोस्ट वॉन्टेड ड्रग माफिया, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से भी थे करीबी संबंध..
नवीन समाचार, देहरादून, 3 फरवरी 2020। उत्तराखंड के कुछ पुलिस वालों के वाहन पंजाब पुलिस का मोस्ट वॉन्टेड ड्रग माफिया आशीष चलाता था और दिन-रात थाने-चौकी में ही डेरा जमाए रहता था। किसी खास दबिश के दौरान गंगनगर थाना कोतवाली पुलिस की जीप या वाहन का ड्राइवर आशीष ही होता था।
यूपी पुलिस के एटीएस द्वारा रुड़की से आशीष की गिरफ्तारी के बाद ये तमाम सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। पंजाब पुलिस का मोस्ट वॉन्टेड ड्रग माफिया आशीष कुछ दिन पहले पाकिस्तान में गोलियों से भून डाले गए खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के सरगना हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पीएचडी के राइट हैंड ड्रग सप्लायर गगुनी ग्रेवाल का विश्वासपात्र है।
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून-व्यवस्था) अशोक कुमार ने सोमवार को इसकी जांच कराए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘हां, यह बात सामने आई है कि सिविलियन होने के बावजूद आशीष गंगनहर कोतवाली (रुड़की) के कुछ पुलिस वालों के संपर्क में था। उस पर गंभीर आरोप हैं। हकीकत जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगी।’
उल्लेखनीय है कि आशीष को जनवरी 2020 के अंतिम दिनों में रुड़की से उत्तर प्रदेश पुलिस आतंकवाद (Aatankwad) रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार किया गया है। एटीएस की पूछताछ में आशीष ने स्वीकार किया कि वह पंजाब के कुख्यात अंतरराष्ट्रीय ड्रग सप्लायर गुगनी ग्रेवाल का उत्तराखंड में ‘किंग-पिन’ था। गुगनी ग्रेवाल कुछ दिन पहले पाकिस्तान में ढेर कर दिए गए खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के सर्वेसर्वा हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पीएचएडी का विश्वासपात्र है।
एटीएस ने आशीष को गिरफ्तार कर पंजाब पुलिस के हवाले कर दिया है क्योंकि असल में आशीष पंजाब में वॉन्टेड था। पंजाब पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आशीष को वर्ष 2009 में बिट्टू के साथ शराब की तस्करी करते लाडलू, मोहाली में पहली बार पकड़ा गया था। फिर उसे अप्रैल 2010 में डोडा के साथ दबोचा गया। उस मामले में बिट्टू और आशीष को पंजाब की अदालत ने सजा भी सुनाई थी।
उसी मामले में आशीष सन 2014 से जमानत पर जेल से बाहर आया हुआ था। उत्तराखंड पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आशीष की गिरफ्तारी के बाद से ही गंगनहर कोतवाली पुलिस में तैनात दारोगा-हवलदार-सिपाहियों में हड़कंप है। सबको डर है कि न मालूम पंजाब पुलिस की पूछताछ में आशीष यहां तैनात किस-किस पुलिसकर्मी की कुंडली खोल बैठे ?
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : लूटपाट के आरोप में पकड़े गये बदमाश के निकले आतंकी संगठन से संबंध, हड़कंप..
नवीन समाचार, रुड़की, 20 जनवरी 2020। रुड़की पुलिस के हत्थे रविवार को लूटपाट के आरोप में तमंचे के बल पर लूटपाट करने वाले एक शातिर गैंग का पर्दाफाश करते हुए चार बदमाशों को लूट में इस्तेमाल की गई कार, तीन तमंचे, चार जिंदा कारतूस समेत कई लूट के सामान के साथ गिरफ्तार किया था। पकड़े गए चार बदमाशों में से एक अय्यूब नाम के आरोपित का आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से भी जुड़ाव सामने आया है।
बताया गया है कि वह पूर्व में पीएसी कैंप पर आतंकी हमले के मास्टर माइंड और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी सलीम पतले का करीबी हुआ करता था। वर्ष 1993 में सलीम पतले के साथ मिलकर ही उसने मेरठ स्थित पीएसी कैंपों में धमाके किए थे। इसमें उनके साथ मेरठ का रहने वाला अब्दुल जब्बार भी शामिल था। मामले में पुलिस ने अय्यूब और जब्बार को गिरफ्तार कर लिया था जबकि सलीम पतला फरार हो गया था।
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(Aatankwad) बताया गया है कि वर्ष 1992-93 में हाशिमपुरा दंगे के बाद हापुड़ अड्डे के पास इमलियान के सामने पीएसी की 41वीं वाहिनी कैंप पर 26 जनवरी 1993 को बम से हमला हुआ था। इसमें गाजियाबाद के हवलदार समेत दो जवान शहीद हो गए थे जबकि दो जवान घायल हुए थे। पुलिस जांच में मास्टर माइंड सलीम पतला, अय्यूब और जब्बार के नाम सामने आए थे।
(Aatankwad) पुलिस ने अय्यूब और जब्बार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दोनों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जबकि, फरार सलीम पर यूपी पुलिस ने दो लाख का इनाम घोषित किया था। कुछ समय पूर्व 21 साल बाद अय्यूब को कोर्ट ने रिहा कर दिया था।
(Aatankwad) एसएसपी डी सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस ने रविवार को लूट का खुलासा करते हुए पत्रकारों को बताया कि बीती 31 दिसंबर को यादवपुरी (रामनगर) क्षेत्र के एक उद्यमी मदनमोहन के घर में हुई लूट में भी इन्हीं बदमाशों का हाथ था।
(Aatankwad) एसएसपी के अनुसार बदमाशों की पहचान रईस अहमद, अनीस अहमद निवासी मोदीनगर (गाजियाबाद), अय्यूब और अजहरुद्दीन निवासी मेरठ के तौर पर हुई है। उन्होंने बताया कि लूट में शामिल बदमाश रईस अहमद 1993 में मेरठ में हुए बम ब्लास्ट के मामले में भी जेल जा चुका है। उस पर टाडा एक्ट लगा था। वह मेरठ जेल में करीब बीस साल सजा काट चुका है। तीन महीने पहले ही वह जमानत पर जेल से बाहर आया था।
(Aatankwad) एसएसपी ने बताया कि रईस के खिलाफ हत्या, लूट समेत 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह लिसाड़ी गेट थाने का हिस्ट्रीशीटर भी है। अय्यूब, अजहरुद्दीन पर भी कई मामले दर्ज हैं। लूटपाट में अय्यूब के पकड़े जाने के बाद पुलिस कई बिंदुओं पर जांच कर रही है। वह ब्लास्ट की घटना में भी शामिल था। इसलिए पुलिस बारीकी से जांच कर रही है। साथ ही मेरठ पुलिस से संपर्क कर छानबीन कर रही है।
यह भी पढ़ें (Aatankwad) : महबूबा के खिलाफ नैनीताल के पुलिस कप्तान को सोंपी गयी तहरीर, बन सकता है राष्ट्रद्रोह व सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 26 फरवरी 2019। (Aatankwad) जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के खिलाफ हल्द्वानी के सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने एसएसपी सुनील कुमार मीणा को तहरीर सौंपी है।
(Aatankwad) चड्ढा ने महबूबा मुफ्ती के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। तहरीर में जिस तरह के आरोप लगाये गये हैं यदि उन पर पुलिस कार्रवाई करती है तो महबूबा पर राष्ट्रद्रोह व सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला बन सकता है।
(Aatankwad) उल्लेखनीय है कि चड्ढा ने अपनी तहरीर में कहा है कि महबूबा मुफ्ती ने 25 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस में देश में हिंसा फैलाने और देश के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर धमकाने वाला बयान देते हुए जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35 ए और 370 को खत्म करने पर धमकी दी है। मेहबूबा ने कहा है, ”आग के साथ मत खेलो।
(Aatankwad) यदि आपने अनुच्छेद-35ए के साथ छेड़छाड़ की तो आपको वो देखने को मिलेगा, जो 1947 से अब तक नहीं हुआ। यदि आपने कुछ भी हरकत की तो मैं नहीं जानती कि जम्मू-कश्मीर के लोग तिरंगे के बदले कौन सा झंडा थाम लेंगे। अनुच्छेद-35ए धारा 370 का एक हिस्सा है, जो हमें कुछ अधिकार देता है।”
(Aatankwad) चाद्द्य ने कहा-चूंकि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, इसलिए यह अदालत की अवमानना की श्रेणी में आता है। यह भी कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को धमकाते हुए कहा कि 35 ए के साथ छेड़छाड़ की गई तो कश्मीर सीधे तौर पर भारत के विलय की वैधता खत्म कर देगा। यह बयान देश की एकता, अखंडता तथा देश के कानून और राष्ट्र ध्वज को अपमानित करने वाला है।
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ऊधमसिंह नगर, 16 अक्टूबर 2018 (Aatankwad) । अपराध के दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले ऊधमसिंह नगर जिले में भी खालिस्तान समर्थकों की सोशल मीडिया के माध्यम से मुहीम लगातार बढ़ने के प्रयास जारी हैं। तीन माह पहले जहां पुलिस ने खटीमा क्षेत्र से खालिस्तान समर्थक को जेल भेजा वहीं चार दिन पहले रुद्रपुर में एक बुजुर्ग को वीडियो और पोस्ट सोशल साइट पर पोस्ट करने के मामले में पुलिस ने पकड़ा है।
(Aatankwad) उल्लेखनीय है कि 1984 के सिख दंगों के बाद 1990 के दशक में तराई भी सिख आतंकवाद (Aatankwad) से प्रभावित हुई थी। इसी दौरान सिख समाज के लिए अलग राष्ट्र की मांग उठाने वाले पंजाब के जनरैल सिंह भिंडरवाला की ओर से चलाई गई खालिस्तान बिग्रेड से कुछ लोग जुड़े और 20-20 खालिस्तान रिफ्रेंडम के नाम से मुहिम छेड़ी।
(Aatankwad) इस मुहिम में खालिस्तान समर्थकों ने भारत में ही सिख समाज के लोगों के लिए एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग उठाई जिसमे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, यूपी और उत्तराखंड राज्य को शामिल करने की मांग की गई।वर्तमान में भी भिंडरवाला समर्थक सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार के लिए भारत के नक्शा प्रेषित कर उसमें उक्त राज्यों के क्षेत्रफल को नारंगी रंग में दर्शाते हैं।
(Aatankwad) पुलिस प्रशासन की सख्ती के बाद भिंडरवाला के कुछ समर्थक विदेश भाग गए और वर्तमान में वहीं से सोशल मीडिया के जरिये खालिस्तानी विचारधारा को प्रचारित- प्रसारित कर रहे है। सूत्रों के अनुसार पिलीभीति के भी कुछ खालिस्तान समर्थक ऊधमसिंह नगर जिले में सक्रियता बढ़ा रहे हैं।
(Aatankwad) खटीमा में पकड़े गये खालिस्तान समर्थकों से पूछताछ के दौरान मुहीम से जुड़ा परमिंदर बोरा भी एक नाम पुलिस के सामने आया था जिसकी जांच पड़ताल पुलिस और खुफिया एजेंसिया कर रही हैं। साथ ही वर्ष 2011 में रामनगर के बैलपड़ाव क्षेत्र से भी पुलिस ने एक खालिस्तान समर्थक को पकड़कर उसके पास से हथियार बरामद किए थे।
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खटीमा, 4 सितंबर 2018। उत्तराखंड की खटीमा पुलिस ने निकट के जादौपुर गांव के रहने वाले हरजीत सिंह उर्फ बाबी भिंडर पुत्र बख्शी सिंह नाम के युवक को गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार उसके खिलाफ राजद्रोह तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 153बी, 505 व आई एक्ट केे तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
(Aatankwad) उस पर सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक ‘भिंडरवाला’ नाम से सोशल मीडिया में ग्रुप बनाकर संदेश प्रसारित करने और लोगों को देशद्रोह के लिए भड़काने और दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के आरोप लगाये गये हैं।
(Aatankwad) वह अपने नाम के आगे भी भिंडरवाला लिखता है। पुलिस इस ग्रुप के मुख्य एडमिन के बारे में पता लगाने का प्रयास कर रही है। साथ ही उसके अन्य साथियों पर भी शिकंजा कस रही है। मामला संगीन होने के कारण पुलिस के अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
(Aatankwad) उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व उत्तराखंड पुलिस ने सितंबर 2016 में भी ऋषिकेश से भी एक खालिस्तान समर्थक जगजीत सिंह सिंह उर्फ जग्गा पुत्र हरविंदर सिंह निवासी तिलक मार्ग ऋषिकेश को गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार आरोपी शिरोमणि अकाली दल (मान) अमृतसर का युवा उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष भी था।
(Aatankwad) उसने अपनी फेसबुक वॉल पर राष्ट्रविरोधी नारे व पोस्टर अपलोड किए थे, साथ ही 22 फरवरी 2016 को अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट शेयर की थी। इसमें मोहम्मद अली जिन्ना व आतंकवादी (Aatankwad) जनरैल सिंह भिंडारवाला के पोस्टर शामिल थे। उसके खिलाफ भी राष्ट्रद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
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हरिद्वार, 9 अक्टूबर 2018 (Aatankwad) । देहरादून के एक संस्थान में आईटी के छात्र के जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी बनने की बात प्रकाश में आने के अगले ही दिन हरिद्वार के रेलवे स्टेशन अधीक्षक महावीर सिंह को मिले एक पत्र ने उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड के सुरक्षा में तैनात अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
(Aatankwad) इस पत्र में उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों के अलावा उत्तराखंड के चारों धामों, हर की पैड़ी सहित रूड़की के धार्मिक स्थलों और काठगोदाम से लेकर देहरादून तक के तमाम रेलवे स्टशेनों को बम से उड़ाने की चुनौती दी गई है।
(Aatankwad) हिंदी में लिखे इस पत्र में दावा किया गया है कि पत्र लश्करे तैयबा के एरिया कमांडर मौलवी अम्बी सलीम की ओर से भेजा गया है और पत्र में जेहादियों की मौत का बदला लेने की धमकी दी गई है। खासकर उत्तराखंड के बारे में लिखा गया है कि उत्तराखंड को खून से रंग देंगे,
(Aatankwad) यहां तबाही ही तबाही मचा देंगे। पत्र के अंत में लकश्कर जिंदाबाद, सईद जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे गए हैं। स्टेशन अधीक्षक ने यह पत्र जीआरपी को सौंप दिया है। अब खुफिया एजेंसियां पत्र की सच्चाई को लेकर छानबीन में जुट गई हैं।
(Aatankwad) पत्र में लिखा गया है कि बीस अक्टूबर को देहरादून, हरिद्वार, रूड़की, लक्सर,मुरादाबाद,बरेली, काठगोदाम, नैनीताल, रामपुर, सहारनपुर,मेरठ, मुजफ्फरनगर,सहित उत्तराखंड की रेलवे स्टशेनों को बम से उड़ा दिया जाएगा। (संभवत: धमकी देने वाले को पता नहीं होगा कि नैनीताल में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। उसने बीच में हल्द्वानी का जिक्र नहीं किया है। )
(Aatankwad) पत्र में आगे कहा गया है कि 10 नवंबर को हरिद्वार की हर की पैड़ी, लक्ष्मण झूला, चारों धाम व रूड़की के धार्मिक स्थल (इनमें मजार भी शामिल हैं ) को बम से उड़ा दिया जाएगा। हरिद्वार रेल्वे स्टेशन अधीक्षक महावीर सिंह ने बताया कि पांच अक्टूबर को उन्हें डाक से यह पत्र मिला था
(Aatankwad) जिसे तत्काल जीआरपी को सौंप दिया गया था। पत्र के एक पन्ने पर आतंकवारदी संगठन, लश्करे तैयबा, एरिया कमांडर मौलवी अंबी सलीम, किश्तवाड़़, कश्मीर जम्मू, करांची पाकिस्तान लिखा है।
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देहरादून, 8 अक्टूबर 2018 (Aatankwad) । उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दूसरी बार आतंकी कनेक्शन सामने आया है। यहां के एक संस्थान में आईटी के छात्र के जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी बनने की बात प्रकाश में आया है। गौरतलब बात यह भी है कि यह अपनी तरह का पहला नहीं, बल्कि दूसरा मामला है, और ऐसा भी लग रहा है जैसे पिछली बार की कहानी भी केवल नाम के बदलाव से दोहराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि मई 2017 में देहरादून के एक संस्थान में अध्ययनरत श्रीनगर कश्मीर निवासी छात्र दानिश परीक्षा बीच में छोड़ गायब हो गया था। दून पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, कि तभी दानिश एक आतंकी के जनाजे की फोटो में देखा गया, और इस फोटो में उसके एक देहरादून के सहपाठी ने उसे पहचान लिया। अलबत्ता जून 2017 में दानिश आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ गया था।
कुछ ऐसी ही कहानी इस बार दून के प्रेमनगर थाना क्षेत्र स्थित एक इंस्टीट्यूट में बीएससी आइटी तृतीय वर्ष के छात्र कश्मीर के कुलगाम के बमब्रत गांव के रहने वाले 22 साल के शोएब अहमद लोन के साथ दोहरायी गयी है। बताया गया है कि पंद्रह दिन पहले शोएब कॉलेज के लिए निकला था, लेकिन लापता हो गया। शोएब यहां से गायब होकर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ गया है, और उसे संगठन ने मुरसी भाई नाम दिया है।
इधर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर में वह हाथ में एके-47 लिए हुए दिखाई दे रहा है। फोटो पर उसका नाम, पता, पिता के नाम के साथ हिजबुल से जुड़ने की तिथि 20 सिंतबर 2018 लिखी हुई है।
(Aatankwad) बताया गया है कि वह इस वर्ष जनवरी में परीक्षा देने के बाद घर गया तो लौटकर नहीं आया। चार महीने पहले इंस्टीट्यूट ने शोएब के घर वालों को उसके गैरहाजिर होने के संबंध में पत्र भेजा। तब उसके घर वालों ने तलाश शुरू की।
इस बीच सोशल मीडिया पर शोएब की आतंकियों की वेशभूषा में फोटो और वीडियो वायरल हो गई। जिसके बाद सेना और पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस से संपर्क भी किया। इधर पांच दिन पूर्व उसकी मां ने सेना और पुलिस के अधिकारियों से संपर्क साधा और शोएब को वापस लाने की गुजारिश की।
(Aatankwad) इसके बाद से शोएब के बारे में जानकारी जुटाने के लिए खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट मोड में आ गई। बताया जा रहा शोएब वर्ष 2015 में देहरादून आया था। यहां उसने बीएससी आइटी में दाखिला लिया।
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लंढौरा, 4 सितंबर 2018। उत्तराखंड में अवैध रूप से रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को एलआईयू ने रविवार को लंढौरा क्षेत्र से सत्यापन अभियान के दौरान गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि यह बांग्लादेशी नागरिक पिछले कई सालों से बिना पासपोर्ट के उत्तराखंड में रह रहा था। बकायदा यहां उसने क्लिनिक भी खोल दिया था, और स्थानीय युवती से शादी कर ली थी और उससे उसकी दो बेटियां भी हैं।
पूर्व में उसे उत्तराखंड पुलिस गिरफ्तार कर बांग्लादेश सीमा पर छोड़ आई थी, लेकिन वह फिर दिल्ली होते हुए यहां लौट आया। इस बार उसके खिलाफ अवैध तरीके से बिना पासपोर्ट के रहने के मामले में गिरफ्तार कर विदेशी अधिनियम सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया, और कोर्ट के आदेशों पर जेल भेज दिया गया।
बांग्लादेशी नागरिक की पहचान अलाउद्दीन सरकार पुत्र हकीमुल्ला उर्फ अब्दुल मलिक निवासी मोहल्ला आदरा पोस्ट तलतौला जिला बीबरया बांग्लादेश के रूप में हुई है। सत्यापन के दौरान एलआईयू को पूछताछ में उसने बताया कि कुछ साल पूर्व वह अवैध तरीके से भारत में घुसा था और
(Aatankwad) लंढौरा क्षेत्र में आकर रहने लगा। यहां रहते हुए ही उसने एक स्थानीय युवती से शादी भी कर ली और क्लीनिक भी खोल लिया था। इधर वह अपनी पत्नी और दो बेटियों से मिलने आया था।
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ऊधमसिंह नगर जिले के गदरपुर में 367 बांग्लादेशी घुसपैठियों के घुस आने और सभी प्रकार के प्रमाण पत्र भी हासिल करने तथा यही नहीं ग्राम पंचायत के पदों पर भी कब्जा करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जिले में बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी का मामला सामने आने के बाद पुलिस व खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं।
वहीं उत्तराखंड हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले के 367 बांग्लादेशी बांग्लादेशियों की घुसपैठ की शिकायत को बेहद खतरनाक मानते हुए केंद्र व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 14 सितंबर नियत की गई है।
उल्लेखनीय है कि गदरपुर निवासी सुरेश मंडल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनकी ग्राम पंचायत में 367 बांग्लादेशी घुस आए हैं। उन्होंने सभी प्रकार के प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिए हैं। यही नहीं ग्राम पंचायत के पदों पर भी कब्जा कर लिया है।
(Aatankwad) याचिकाकर्ता का कहना है कि याचिका दायर होने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं और प्रताड़ित किया जाने लगा है। आरोप लगाया है कि पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत से याचिकाकर्ता को गैंगस्टर घोषित करने की कोशिश की गई है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कर्इ मामले सामने आ चुके हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में भी इनके द्वारा घुसपैठ की जा चुकी है। उत्तराखंड पुलिस कर्इ घुसपैठियों को हिरासत में भी ले चुकी है।
(Aatankwad) हाल ही में हरिद्वार के कलियर से भी एक बांग्लादेशी घुसपैठ को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है। अब मामले के हार्इ कोर्ट में जाने से राज्य सरकार इन पर कार्रवाई तेज करेगी, ऐसी उम्मीद है।
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स्पेशल सेल ने अल-कायदा के एक संदिग्ध आतंकी समीउन रहमान उर्फ सूमोन हक उर्फ राजू भाई (28) को लैपटॉप और मोबाइल फोन के साथ गिरफ्तार करने में सफलता अर्जित की है।
(Aatankwad) इन्हें फरेंसिक जांच के लिए लैब भेज दिया है। इससे कुछ और राज बाहर आने की उम्मीद है। रहमान से पूछताछ में पता चला है कि उसका असली मकसद भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की एक फौज बनाकर उन्हें म्यांमार आर्मी के सामने खड़ा करना था।
सूत्रों के मुताबिक, रहमान रोहिंग्या मुसलमानों की सेना बनाने के लिए मणिपुर या मिजोरम में ट्रेनिंग कैंप भी स्थापित करना चाहता था। इस फौज को हथियार अल-कायदा से मिलने थे। हालांकि, इससे पहले ही वह पकड़ा गया। इस बात की जांच की जा रही है कि वह सितंबर में शुरू होने जा रहे फेस्टिव सीजन में दिल्ली-एनसीआर में रामलीलाओं, दुर्गा पूजा, दशहरा या फिर दिवाली पर कोई आतंकवादी (Aatankwad) हमला तो नहीं करने वाला था?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पूछताछ के दौरान रहमान ने कबूला है कि बांग्लादेश की जेल में रहने के दौरान उससे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों ने संपर्क किया था। इससे भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के उन दावों की पुष्टि होती है,
(Aatankwad) जिनके मुताबिक डी-कंपनी आईएसआई की मदद से भारत में आतंकी गतिविधियों को हवा दे रही है। बता दें कि हाल ही में इंटेलिजेंस एजेंसियों ने डी-कंपनी से जुड़े एक अन्य मेंबर शम्सुल हुदा की भारत में रेल दुर्घटनाओं में भूमिका होने में आशंका जताई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रहमान ने इंटेलिजेंस एजेंसियों को बताया है कि खुद को डी-कंपनी का ऐक्टिव मेंबर बताने वाला फारूख नाम का एक शख्स ढाका जेल में उससे 2016 में मिला था। रहमान के मुताबिक, फारूख ने उसे भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए हथियारों और गोला बारूद की सप्लाई देने का वादा किया था।
(Aatankwad) फारूख को रहमान के अल-कायदा से जुड़े होने के बारे में पता था। उसने रहमान से कहा कि वह जेल से अप्रैल 2017 में बाहर आने के बाद डी-कंपनी के एक अन्य सदस्य रऊफ से संपर्क करे।
स्पेशल सेल ने दाऊद के सहयोगियों के तौर पर रऊफ और फारूख की पहचान की पुष्टि की है। एजेंसियां इन दोनों की भूमिकाओं के बारे में पता लगाने में जुट गई है। रऊफ पिछले साल तक भारतीय जेल में था। छूटने के बाद उसे डिपोर्ट कर दिया गया था। पुलिस ने मंगलवार को बताया कि रहमान 10 दिन पुलिस कस्टडी में रहेगा।
(Aatankwad) उससे सबूतों के आधार पर पूछताछ की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों की पहचान की है, जिनकी भर्ती रहमान ने की थी। भर्ती का मकसद आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिलाना था। एजेंसियां उस शख्स को भी पकड़ने के काफी करीब हैं, जिससे मिलने रहमान मणिपुर जाने वाला था।
रहमान से संबंधित और ज्यादा जानकारी निकलवाने के लिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ढाका पुलिस से संपर्क किया है। दिल्ली पुलिस अदनान और तंजील नाम के उन दो लोगों से पूछताछ कर सकती है, जिन्हें 2014 में रहमान के साथ बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था।
(Aatankwad) पुलिस का कहना है कि रहमान करीब दर्जन भर रोहिंग्या शरणार्थियों के संपर्क में भी था, जिन्हें उसने जिहाद के मकसद से रिक्रूट किया था। सूत्रों के मुताबिक, इन लोगों को ढूंढकर डिपोर्ट करने की योजना है।
रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का गुस्सा नैनीताल तक पहुंचा
पड़ोसी देश म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, हत्याओं के विरोध में सरोवरनगरी के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शुक्रवार (15 सितम्बर 2017) को जुम्मे की नमाज के बाद नगर में मौन जुलूस निकाला, और राष्ट्रपति को ज्ञापन भिजवाया।
(Aatankwad) जश्न-ए-ईद मिलादुन नबी कमेटी के बैनर तले नगर के मुस्लिम धर्मावलंबी जुम्मे की नमाज के उपरांत मल्लीताल जामा मस्जिद से माल रोड होते हुए मौन जुलूस की शक्ल में जिला कलक्ट्रेट के लिये निकले, और जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को ज्ञापन भिजवाया।
ज्ञापन में कहा गया है कि म्यांमार (बर्मा) में रोहिंग्या मुसलमानों और हिंदुओं की हत्या करने, जला कर मारने की देश भर के मुसलमानों के साथ वे निंदा करते हैं। इस संबंध में भारत सरकार से निंदा करते हैं कि म्यांमार सरकार से अविलंब बातचीत कर निर्दोष बच्चों, बूढ़ों व जवान मुसलमानों का कत्लेआम रोका जाए। साथ ही भारत सरकार मानवीय सहायता की खेप लेकर म्यांमार में अपने प्रतिनिधि भेजकर रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करे।
ज्ञापन भेजने वालों और जुलूस में कमेटी के सदर फिरोज खान, नायब सदर मोहम्मद नसीम, महासचिव मो. नाजिम बख्श, याकूब, मो. इस्लाम, सगीर अहमद, मो. अजीम, अहाहिद वारसी, मुजाहिद, रईश भाई, गजाला कमाल, रईश वारसी, रमजान बख्श, समीर अहमद सहित अनेक लोग शामिल रहे।
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान ?
रोहिंग्या मुसलमान सुन्नी इस्लाम को मानने वाले लोग हैं। बौद्ध बहुल देश म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमान 1400 ई. के आस-पास से बर्मा (आज के म्यांमार) के अराकान (रखाइन) प्रांत में रह रहे हैं।
(Aatankwad) इनके पुरखे अराकान पर शासन करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला (बर्मीज में मिन सा मुन) के राज दरबार में नौकर थे। इस राजा ने मुस्लिम सलाहकारों और दरबारियों को अपनी राजधानी में प्रश्रय दिया था। हालांकि रोहिंग्या संगठनों की मानें तो वे 12वीं शताब्दी से म्यांमार में रहते चले आ रहे हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों को नहीं मिली नागरिकता
रोहिंग्या मुसलमान विश्व का ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिनकी आबादी करीब दस लाख के बीच है। लेकिन इनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है।
(Aatankwad) 1982 में म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता भी छीन ली। जिसके बाद से वे बिना नागरिकता के जीवन बिता रहे हैं। इन्हें आधिकारिक रूप से देश के 135 जातीय समूहों में शामिल नहीं किया गया है।
इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। इसलिए सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। ये रोहिंग्या या रुयेन्गा भाषा बोलते हैं। जो रखाइन और म्यांमार के दूसरे भागों में बोली जाने वाली भाषा से कुछ अलग है,
(Aatankwad) और बांग्लादेश की बांग्ला से काफी मिलती-जुलती है। जिसके चलते अधिकांश बौद्ध रोहिंग्या मुसमानों को बंगाली समझने लगे और उनसे नफरत करने लगे। ये खुद को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं।
अराकान रोहिंग्या नेशनल ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक रोहिंग्या रखाइन में प्राचीन काल से रह रहे हैं। 1824 से 1948 तक ब्रिटिश राज के दौरान आज के भारत और बांग्लादेश से एक बड़ी संख्या में मजदूर वर्तमान म्यांमार के इलाके में ले जाए गए। ब्रिटिश राज म्यांमार को भारत का ही एक राज्य समझता था
(Aatankwad) इसलिए इस तरह की आवाजाही को एक देश के भीतर का आवागमन ही समझा गया। ब्रिटेन से आजादी के बाद, इस देश की सरकार ने ब्रिटिश राज में होने वाले इस प्रवास को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसी आधार पर रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया।
म्यांमार में रोहिंग्या लोगों को एक जातीय समूह के तौर पर मान्यता नहीं है। इसकी एक वजह 1982 का वो कानून भी है जिसके अनुसार नागरिकता पाने के लिए किसी भी जातीय समूह को यह साबित करना है कि वो 1823 के पहले से म्यांमार में रह रहा है।
रोहिंग्या मुसलमानों को बिना अधिकारियों की अनुमति के अपनी बस्तियों और शहरों से देश के दूसरे भागों में आने जाने की इजाजत नहीं है। यह लोग बहुत ही निर्धनता में झुग्गी झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर हैं। पिछले कई दशकों से इलाके में किसी भी स्कूल या मस्जिद की मरम्मत की अनुमति नहीं दी गई है।
(Aatankwad) नए स्कूल, मकान, दुकानें और मस्जिदों को बनाने की भी रोहिंग्या मुसलमानों को इजाजत नहीं है और अब उनकी जिंदगी प्रताड़ना, भेदभाव, बेबसी और मुफलिसी से ज्यादा कुछ नहीं है।
म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। म्यांमार में बहुत से लोग रोहिंग्या को अवैध प्रवासी मानते हैं। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या को राज्य-विहीन मानती है और उन्हें नागरिकता नहीं देती। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं।
(Aatankwad) ऐसे प्रतिबंधों में आवागमन, मेडिकल सुविधा, शिक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल है। हालांकि ताजा विवाद के बाद म्यांमार की काउंसलर और नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की ने कहा है कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
1.23 लाख रोहिंग्या कर चुके हैं पलायन, मारे जा चुके हैं 400 लोग
म्यामांर के रखाइन में 25 अगस्त की सुबह चौबीस पुलिस चौकियों और सैन्य अड्डों पर रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले में एक दर्जन सुरक्षाकर्मियों सहित लगभग 89 लागों की मौत हो गई। स्टेट काउंसलर के कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक तकरीबन 150 रोहिंग्या विद्रोहियों ने दो दर्जन से ज्यादा पुलिस चौकियों और एक सैन्य अड्डों पर तेज हमला किए।
इस हमले में देसी बारूदी सुरंगों का भी प्रयोग किया गया। रखाइन के साथ-साथ बुथिदाउंग शहर भी भीषण हिंसा का शिकार हुआ। धार्मिक घृणा के चलते बंटे तटीय देश में पिछले साल अक्टूबर से चल रही हिंसा में यह सबसे बड़ा हमला था। रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ पिछले वर्ष भी सेना ने बड़ी कार्रवाई की थी, जिसकी वजह से लगभग 87 हजार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश चले गए थे।
म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। 25 अगस्त के हमले के बाद सेना ने रोहिंग्या विद्रोहियों और उनके अड्डों को खत्म करने का अभियान छेड़ दिया है। एक सितंबर तक इस खूनी टकराव में लगभग 400 लोग मारे जा चुके हैं।
(Aatankwad) म्यामांर सेना के मुताबिक मरने वालों में 370 रोहिंग्या विद्रोही, 13 सेना के जवान, दो सरकारी अधिकारी और 14 आम नागरिक हैं। इसके अलावा कुछ विद्रोहियों को पकड़ा भी गया है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस सैन्य अभियान के बाद 38 हजार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर गए हैं और तकरीबन बीस हजार से ज्यादा शरणार्थी सीमावर्ती इलाकों में फंसे हुए हैं। इस दौरान शरणार्थियों से लदी एक नौका
(Aatankwad) म्यामांर तथा बांग्लादेश को बांटने वाली नफ नदी में डूब गई थी जिसमें तकरीबन 40 लागों की मौत हो गई। बांग्लादेश के सीमाई इलाके कॉक्स बाजार में हजारों की तादाद में भूखे-प्यासे रोहिंग्या शरणार्थी पहुंच रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने हिंसा में आम लोगों मारे जाने की रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई है। गुतेरस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिका की ओर से जारी बयान में बांग्लादेश से शरणार्थियों का सहयोग करने आग्रह किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अनुसार म्यांमार में 25 अगस्त को भड़की हिंसा के बाद करीब दो हफ्तों में करीब 1.23 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं, जबकि करीब 400 लोग मारे जा चुके हैं।
रखाइन प्रान्त में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है. इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 2012 में धार्मिक हिंसा का चक्र शुरू होने के बाद से लगभग एक लाख बीस हजार रोहिंग्या लोगों ने रखाइन छोड़ दिया है.
(Aatankwad) इनमें से कई लोग समंदर में नौका डूबने से मारे गए हैं। और यह बांग्लादेश या फिर भारत में अपनी जान बचाने के लिए शरण मांगते दर-दर भटक रहे हैं।
वहीं अक्तूबर 2016 से अब तक 87 हज़ार मुसलमान अपना घर बार, कार्य स्थल और खेत छोड़कर चले गये हैं। रोहिंग्या कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके साथ के 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. म्यामांर के सैनिकों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के संगीन आरोप लग रहे हैं.
1978 में भी बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश चले गए थे। इसके बाद दिसंबर 1991 से मार्च 1992 तक की अवधि में तकरीबन दो लाख रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश भाग गए थे। रोहिंग्या मुसलमानों के जब तब थाईलैंड और मलेशिया भागने की खबरे आती रहती हैं।
सन 2014 के बाद से अब तक एक लाख अड़सठ हजार रोहिंग्या मुसलमानों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है। वर्तमान में म्यांमार में लगभग 11 लाख, बांग्लादेश में तीन लाख, मलेशिया में एक लाख, भारत में 40 हजार और इण्डोनेशिया में दो हजार रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक सैटलाइट तस्वीर जारी की थी. इसमें बताया गया था कि पिछले 6 हफ्तों में रोहिंग्या मुसलमानों के 1,200 घरों को तोड़ दिया गया.और इसके साथ इन अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ लूट, हत्या और महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध भी कर रहे हैं.
अपनी स्थितियों के लिए खुद भी हैं जिम्मेदार :
(Aatankwad) मानवाधिकारवादी बुद्धिजीवी चाहे कितना ही प्रलाप क्यों न कर लें किंतु वास्तविकता यह भी है कि रोहिंग्या मुसलमान अपनी बुरी स्थिति के लिए स्वयं ही जिम्मेदार हैं। ये लोग मूलतः बांग्लादेश के रहने वाले हैं। आरोप है कि जिस तरह करोड़ों बांग्लादेशी भारत में घुस कर रह रहे हैं,
(Aatankwad) उसी प्रकार ये भी रोजी-रोटी की तलाश में बांग्लादेश छोड़कर बर्मा में घुस गए। 1962 से 2011 तक बर्मा में सैनिक शासन रहा। इस अवधि में रोहिंग्या मुसलमान चुपचाप बैठे रहे किंतु जैसे ही वहां लोकतंत्र आया, रोहिंग्या मुसलमान बदमाशी पर उतर आए।
(Aatankwad) जून 2012 में बर्मा के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों ने एक बौद्ध युवती से बलात्कार किया। जब स्थानीय बौद्धों ने इस बलात्कार का विरोध किया तो रोहिंग्या मुसलमानों ने संगठित होकर बौद्धों पर हमला बोल दिया। इसके विरोध में बौद्धों ने भी संगठित होकर रोहिंग्या मुसलमानों पर हमला कर दिया। इस संघर्ष में लगभग 200 लोग मारे गए जिनमें रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या अधिक थी।
तब से दोनों समुदायों के बीच हिंसा का जो क्रम आरम्भ हुआ, वह आज तक नहीं थमा। रोहिंग्या मुसलमानों ने नावों में बैठकर थाइलैण्ड की ओर पलायन किया किंतु थाइलैण्ड ने इन नावों को अपने देश के तटों पर नहीं रुकने दिया। इसके बाद रोहिंग्या मुसलमानों की नावें इण्डोनेशिया की ओर गईं और वहाँ की सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दी।
(Aatankwad) रोहिंग्या मुसलमानों ने बर्मा में रोहिंग्या रक्षा सेना का निर्माण करके अक्टूबर 2016 में बर्मा के 9 पुलिस वालों की हत्या कर दी तथा कई पुलिस चौकियों पर हमले किए। इसके बाद से बर्मा की पुलिस रोहिंग्या मुसलमानों को बेरहमी से मारने लगी और उनके घर जलाने लगी इस कारण बर्मा से रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन का नया सिलसिला आरम्भ हुआ।
(Aatankwad) वर्तमान में लगभग 20 हजार रोहिंग्या मुसलमान बर्मा तथा बांग्लादेश की सीमा पर स्थित नाफ नदी के तट पर डेरा डाले हुए हैं। वे भूख से तड़प रहे हैं तथा उन्हें जलीय क्षेत्रों में रह रहे सांप भी बड़ी संख्या में काट रहे हैं। उनमें से अधिकतर बीमार हैं तथा तेजी से मौत के मुंह में जा रहे हैं।
(Aatankwad) इसके अलावा पिछले दिनों म्यांमार में मौंगडोव सीमा पर अज्ञात लोगों के साथ झड़प में 9 पुलिस अधिकारियों के मारे जाने के बाद रखाइन स्टेट में सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया था. सरकार के कुछ अधिकारियों का दावा है कि ये हमला रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने किया था.
(Aatankwad) इसके बाद सुरक्षाबलों ने मौंगडोव ज़िला की सीमा को पूरी तरह से बंद कर दिया और एक व्यापक ऑपरेशन शुरू किया. सैनिकों पर प्रताड़ना, बलात्कार और हत्या के आरोप लग रहे हैं. हालांकि सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. कहा जा रहा है कि सैनिक रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले में हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
(Aatankwad) उल्लेखनीय है कि म्यांमार में 25 वर्ष बाद पिछले साल चुनाव हुआ था. इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी हालांकि संवैधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं. सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं.
रोहिंग्याओं के आतंकी कनेक्शन भी :
(Aatankwad) यह लड़ाई बौद्ध धर्म और इस्लाम के बीच नहीं है. तथ्य यह है कि पश्चिमी सरकारें, उनके संस्थान और मानवाधिकार संगठन रोहिंग्या लोगों की आवाज को उठा रहे हैं और वह भी शुरू से जब 2012 में रखाइन में यह संकट शुरू हुआ.
(Aatankwad) म्यांमार और बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियां ही रोहिंग्या लोगों की ज्यादा मदद कर रही हैं जबकि जिहादी समूह, तुर्की के राष्ट्रपति रैचेप तैयप एर्दोआन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं.
(Aatankwad) 25 अगस्त को म्यांमार के सुरक्षा बलों पर हमला करने वाले गुट अराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी के जिहादी संगठनों से रिश्ते हैं. ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि रोहिंग्या चरमपंथियों के सऊदी अरब, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी लिंक हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जिहादी गुट रोहिंग्या लोगों के नाम पर चंदा जमा करते हैं. इंडोनेशिया के चरमपंथी भी इस मामले में शामिल हो रहे हैं.
(Aatankwad) इनमें से बहुत से लोगों के अल कायदा और तथाकथित इस्लामी स्टेट से रिश्ते हैं. म्यांमार की सरकार कह रही है कि वह सिर्फ जिहादी खतरे से निपट रही है. एक हद तक यह बात सही भी है, लेकिन म्यांमार की सरकार इसके जरिए रोहिंग्या लोगों के उत्पीड़न को भी उचित ठहराने की कोशिश करती है।
(Aatankwad) दुनिया भर में मुसलमानों की समस्याओं पर इस्लामी संगठनों का रवैया भी एक जैसा नहीं होता. मध्य पूर्व के गरीब देश यमन में शिया लोगों पर जब बमबारी की गयी तो सऊदी अरब के किसी सहयोगी देश ने इसका विरोध नहीं किया. 2015 से अब तक यमन में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार या फिर खाड़ी देशों की तरफ से सऊदी अरब की कभी आलोचना नहीं की गयी.
(Aatankwad) सीरिया और इराक के संकट पर भी मुस्लिम देशों का रवैया इस बात पर निर्भर करता है कि वे सऊदी अरब के करीब हैं या फिर ईरान के. इस्लामी कट्टरपंथियों की वजह से जो मानवीय त्रासदी, नरसंहार और अत्याचार हो रहे हैं, उन्हें भी मुस्लिम देश अकसर सांप्रदायिक चश्मे से ही देखते हैं।
भारत-बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के आने से समस्या :
(Aatankwad) संयुक्त राष्ट्र ने तीन हजार से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों के बांग्लादेश में पहुंचने की पुष्टि की है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन संस्था के मुताबिक अब तक 18445 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में अपना पंजीकरण करा चुके हैं। हजारों की तादाद में बांग्लादेश पहुंच रहे रोहिंग्या शरणार्थियों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।
(Aatankwad) इनमें कई गोली से घायल हैं तो कई बीमार हैं। म्यांमार की सीमा से लगते बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के अस्पतालों में इन शरणार्थियों का इलाज चल रहा है। रोहिंग्या शरणार्थियों के आने से बांग्लादेश की समस्याएं बढ़ने लग गई है।
(Aatankwad) बांग्लादेश की तरह भारत में भी रोहिंग्या शरणार्थी पहले से मौजूद हैं। अब नए शरणार्थियों के आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। भारत में रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हैदराबाद और राजस्थान में रह रहे हैं।
(Aatankwad) भारत सरकार इनको बांग्लादेश भेजने की तैयारी में है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता केएस धातवालिया के अनुसार भारत में रह रहे 14 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों को संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने पंजीकृत किया है। इससे भारत में दशकों से रह रहे बाकी रोहिंग्या शरणार्थी अवैध माने जाएंगे। इसलिए उन सभी अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को अब बाहर भेजा जाएगा।
(Aatankwad) दरअसल भारत ने संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन में शरणार्थियों को लेकर कोई दस्तखत नहीं किए हैं। इसलिए देश में शरणार्थियों पर कोई राष्ट्रीय कानून नहीं है। फिलहाल इसमें कूटनीतिक स्तर पर बांग्लादेश व म्यांमार से बातचीत जारी है।
(Aatankwad) भारत में भी कश्मीर से हजारों पंडितों के विस्थापन पर कोई बात नहीं होती है, परन्तु जिस तरह रोहिंग्याओं को भारत में शरण देने के लिए विपक्षी दलों से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है, हिन्दू बहुल जनता में इससे अच्छा सन्देश नहीं जा रहा है।
(Aatankwad) बहुत से रोहिंग्या मुसलमानों ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली किंतु भुखमरी तथा जनसंख्या विस्फोट से संत्रस्त बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों का भार उठाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए इन्हें वहाँ भोजन, पानी रोजगार कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ और
(Aatankwad) हजारों रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत की राह पकड़ी। भारत का पूर्वी क्षेत्र पहले से ही बांग्लादेश से आए मुस्लिम शरणार्थियों से भरा हुआ है, अतः भारत नई मुस्लिम शरणार्थी प्रजा को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है।
समस्या के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास शुरू(Aatankwad) : तुर्की के राष्ट्रपति रचैब तैयब बांग्लादेश जाकर इस समस्या का समाधान करना चाहते हैं तथा वे अंतर्राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से रोहिंग्या मुसलमानों को बर्मा में ही रहने देने के लिए बर्मा की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची पर दबाव बनाना चाहते हैं।
(Aatankwad) इस बीच अफगानिस्तान की नोबल पुरस्कार विजेता मलाला ने ट्वीट जारी कर सू ची की निंदा करते हुए कहा है कि मैं बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न के समाचारों से दुखी हूँ।
(Aatankwad) सू ची की कठिनाई यह है कि यदि वह रोहिंग्या मुसलमानों का कठोरता से दमन जारी नहीं रखती हैं तो बर्मा में 50 सालों के संघर्ष के बाद आया लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा तथा बर्मा की सेना, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को कमजोर घोषित करके पुनः सत्ता पर अधिकार जमा लेगी।
(Aatankwad) इसी बीच भारत में भी कम्युनिस्ट विचारधारा तथा मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले संगठनों से जुड़े बुद्धिजीवियों के धड़ों ने भारत सरकार पर दबाव बनाना आरम्भ कर दिया है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत स्वीकार करे।
(Aatankwad) प्रश्न ये है कि इस बात की क्या गारण्टी है कि रोहिंग्या मुसलमान आगे चलकर भारत के लिए सिरदर्द सिद्ध नहीं होंगे! जबकि आगे चलकर देखने की जरूरत नहीं है, वे आज ही भारत के लिए सिरदर्द बन चुके हैं।
(Aatankwad) ‘बर्मा के बिन लादेन’ कहे जा रहे बौद्ध गुरु विराथु की भी बड़ी भूमिका : ‘बर्मा के बिन लादेन’ कहे जा रहे बौद्ध गुरु विराथु ने रोहिंग्या मुस्लिमों को भगाने के लिए यह तरीका भी उपयोग किया। जैसे मुसलमानों का ‘786’ का नंबर लकी माना जाता है, वैसे ही विराथु ने ‘969 ‘ का नंबर निकाला, और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपने जगह पर लगायें.
(Aatankwad) इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर, दूकान वालों ने दूकान पर, इसको लगाना शुरू किया. विराथु का सन्देश साफ़ था कि हम बौद्ध अपने सारे खरीदारी और व्यापार वहीँ करेंगे जहां ये स्टीकर लगा होगा. किसी को टैक्सी में चढ़ना हो तो उसी टैक्सी में चढ़ेंगे जिसके ऊपर ये स्टीकर होगा, उसी रेस्टोरेंट में खायेंगे जहां ये स्टीकर होगा।
(Aatankwad) उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है ऐसी हालत में रोहिंग्या सऊदी से आये पैसों के दम पर अपने माल को कम कीमत पर बेच कर आपको आकर्षित करें, लेकिन आप ध्यान रखना, आप दो पैसा ज्यादा देना, और सोचना कि आपने अपने देश के लिए पैसा लगाया है, दो पैसे कम में खरीद कर मातृभूमि से गद्दारी मत करना, वो आपके पैसे आपको ही मिटाने में लगाते हैं, मूर्खता मत करना।
(Aatankwad) हालत ये हो गए कि रोहिंग्या मुस्लिम के व्यापार ठप्प पड़ गए। ये लोग इतने आतंकित हुए कि इस स्टीकर लगे टैक्सी को चढ़ना तो दूर, किनारे से कन्नी काटने लगे। पुरे देश में मुसलमानों के होश ठिकाने आ गए, और फिर ये स्टीकर एक तरह से देशभक्ति का प्रमाण बन गया, उनके जिहाद का जवाब बन गया, और इस अनोखे आईडिया का प्रभाव यह हुआ कि आज बर्मा से रोहिंग्या मुस्लिम भाग चुके हैं….