-कनाडा में दूसरी पुस्तक ‘वेद‘स लिटिल बुक ऑन डिवोसन’ हुई लॉंच
-बिक्री के मामले में अमेजन पर बच्चों की हिंदू धर्म की पुस्तकों में सर्वाधिक बिकने वाली सूची में दो दिन में ही दूसरे स्थान पर आ गयी है यह पुस्तक
नैनीताल, 5 सितंबर 2018। दिवाली के त्यौहार पर नैनीताल की एक बेटी दीक्षा पाल नारायणन सात समुंदर पार अमेरिका में भारत की समृद्ध विरासत की जानकारी देने के अपने मिशन पर एक कदम और आगे बढ़ी हैं। इस मौके पर उनकी वेद सिरीज की दूसरी पुस्तक ‘वेद‘स लिटिल बुक ऑन डिवोसन’ बाजार में आ गयी है। बीती 3 नवंबर को मिल्टन पब्लिक लाइब्रेरी की मुख्य शाखा में आधिकारिक तौर पर एमपीपी परम गिल के हाथों से लॉन्च की गई थी। इस मौके पर शहर के कार्यकारी काउंसलर (महापौर) कॉलिन बेस्ट, काउंसलर रिक डि लोरेन्जो और कनाडाई भारतीय संघ के अध्यक्ष जग मोहन मेनरा भी उपस्थित रहे।
दीक्षा ने बताया कि पहली पुस्तक की तरह ही उनकी दूसरी पुस्तक का लक्ष्य भी हिंदू रीति-रिवाजों व त्योहारों को युवा बच्चों के लिए लोकप्रिय व सरल बनाना है। तस्वीर प्रारूप वाली इस पुस्तक में हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण मूल्यों, इसके सबसे लोकप्रिय प्रतीकों, और पूरे साल मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों को खूबसूरती से चित्रित किया गया है। दीक्षा का कहना है कि हम एक ऐसी भूमि-भारत से हैं जो विविधता का जश्न मनाती है। उनकी कोशिश है कि उनकी पुस्तक से प्राप्त ज्ञान के साथ, सभी बच्चे एक-दूसरे की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बेहतर ढंग से समझ सकें। उत्तरी अमेरिका के बच्चों को दक्षिण एशियाई मूल के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों, साहित्य का नितांत अभाव है। उनकी पुस्तक इस कमी को दूर करते हुए बच्चों को मजेदार चित्रों व कहानियों के माध्यम से भारत व दक्षिण एशिया की जानकारी देती है। उल्लेखनीय है कि दीक्षा की पहली पुस्तक ‘वेद एंड फ्रेंड् सेलीब्रेट दशहरा एंड दिवाली’ वर्तमान में अमेजन पर बच्चों की हिंदू धर्म की पुस्तकों में सर्वाधिक बिकने वाली सूची में पहले स्थान पर है, और दो दिन में ही उनकी दूसरी पुस्तक भी इस सूची में दूसरे स्थान पर आ गयी है। उल्लेखनीय है कि वेद उनके बेटे का नाम है। दीक्षा ने अपने लेखन की शुरुआत वर्ष 2003-06 के दौरान नैनीताल के डीएसबी परिसर में पढ़ाई के दौरान परिसर की पत्रिका ‘कैंपस रिपोर्टर’ से लेखन व पत्रकारिता से की थी। बाद में वह केरल निवासी कनाडा में एयरोनॉटिकल इंजीनियर कार्तिक नारायण से विवाह कर कनाडा चली गयी थीं। उनकी मां कामिनी पाल नगर के ऑल सेंट्स कॉलेज में शिक्षिका व अच्छी लेखिका हैं। जबकि पिता डा. वाईएस पाल ओमान में एक चिकित्सालय में रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं।
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दीक्षा व उनकी पुस्तक ‘वेद एंड फ्रेंड्स’ के साथ मिल्टन के मेयर गॉर्डन क्रांट्ज। लेखिका के तौर पर पहली पुस्तक ‘वेद एंड फ्रेंड्स’ बिक्री के मामले में अमेजॉन पर बच्चों की पुस्तकों में शीर्ष-5 में पहुंची
- पुस्तक में कुमाउनी रंग्वाली पिछौड़ा पहने युवती खील-खिलौनों के जरिए मनाती है दिवाली
- कुमाऊं विवि के नैनीताल स्थित डीएसबी परिसर की पत्रिका ‘कैंपस रिपोर्टर’ से डेढ़ दशक पूर्व की थी लेखन व पत्रकारिता की शुरुआत
- भारतीय काउंसलेट में भारतीय काउंसल जनरल ने किया पुस्तक का विमोचन, इन दिनों मनाये जा रहे ‘हिंदू विरासत माह’ के मौके पर मेयर ने बच्चों को वितरित की पुस्तक

नवीन जोशी, नैनीताल। करीब डेढ़ दशक पूर्व सरोवरनगरी स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के सर्वप्रमुख डीएसबी परिसर की पत्रिका ‘कैंपस रिपोर्टर’ से लेखन व पत्रकारिता की शुरुआत करने वाली नगर की एक बेटी दीक्षा पाल नारायण एक लेखिका के रूप में सात समुंदर पार कनाडा में भारतीय संस्कृति की ‘दीक्षा’ देते हुए देश ही नहीं पूरे दक्षिण एशिया का मान बढ़ा रही है। दीक्षा एक लेखिका के रूप में भारतीय व खासकर हिंदू दर्शन का सरल शब्दों में बच्चों में बीजारोपण करने का बड़ा कार्य कर रही हैं। उनकी पहली पुस्तक ‘वेद एंड फ्रेंड्स’ भारतीयों व अन्य दक्षिण एशियाई देशों व कनाडाई लोगों में इस कदर पसंद की जा रही है, कि यह दो माह के भीतर ही बिक्री के मामले में अमेजॉन पर बच्चों की पुस्तकों में शीर्ष-5 में पहुंच गयी है।

उनकी पुस्तक में कुमाउनी रंग्वाली पिछौड़ा पहने युवती खील-खिलौनों के जरिए दिवाली मनाती है। साथ ही मुख्य पात्र वेद तीन खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक के जरिये दिवाली, होली जैसे भारतीय त्योहारों के साथ ही राम, श्री कृष्ण व पांडव की जीत तथा रावण दहन व कौरवों की हार आदि भारतीय मिथकों के पात्रों व कहानियों के जरिए असत्य पर सत्य की जीत तथा वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय संदेश से अंग्रेजी दुनिया को परिचित करा रही हैं। इसका प्रभाव यह है कि उन्हें कनाडाई स्कूली बच्चे और शिक्षक ‘दिवाली टीचर’ कहकर संबोधित करने लगे हैं। इस सफलता से उत्साहित दीक्षा अब एक और पुस्तक प्रकाशन करने की तैयारी में हैं। उन्होंने बताया कि बीती 25 सितंबर को उनकी पुस्तक ‘वेद एंड फ्रेंड्स’ का विमोचन भारतीय कांउसलेट में भारतीय काउंसल जनरल दिनेश भाटिया ने किया, जबकि इन दिनों कनाडा के शहर मिल्टन के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर मनाये जा रहे ‘हिंदू विरासत माह’ मना रहे एचएसएस यानी ‘हिंदू स्वयं सेवक संघ’ ने उनसे पुस्तकें खरीद कर शहर के मेयर गॉर्डन क्रांट्ज के हाथों स्थानीय बच्चों को वितरित की, और इसे पूरी दुनिया के बच्चों में संस्कारों के बीजारोपण के लिए अत्यधिक लाभदायक बताया। इस पुस्तक के जरिए उनकी कोशिश कनाडा व अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया को भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्ध विरासत से परिचित कराना है। वे अपनी पुस्तक में रोशनी के उद्धरण के साथ दीपावली को क्रिसमस की तरह बताते हुए कनाडा की संस्कृति को भारतीय संस्कृति से जोड़ती हैं, ताकि वहां के बच्चों को यह आसानी से समझ में आए। पुस्तक बच्चों के साथ उनके शिक्षकों को भी काफी पसंद आ रही है।
बच्चों में भारतीय संस्कारों का बीजारोपण करती है ‘वेद एंड फ्रेंड्स’
नैनीताल। दीक्षा ने बताया कि उन्होंने अपने पुत्र वेद में भारतीय संस्कारों का बोध कराने और उसे अपनी कुमाऊं-उत्तराखंड के साथ पिता के केरल की संस्कृति से परिचित कराने की कोशिश में ‘वेद एंड फ्रेंड्स’ पुस्तक की परिकल्पना की, और इसके जरिए केवल अपने पुत्र में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बच्चों को आकर्षक कार्टूनों के जरिए सरल भाषा में भारतीय संस्कृति व दर्शन से परिचित कराने का बीड़ा उठा लिया। उन्होंने खुलासा कि उनकी पुस्तक का मुख्य पात्र वेद उनका पुत्र वेद ही है, और पुस्तक में वे स्वयं तथा उनके पति भी हैं।
डीएसबी के कैंपस रिपोर्टर से की पत्रिका की शुरुआत
नैनीताल। उनकी माता कामिनी पाल नगर के ऑल सेंट्स कॉलेज में शिक्षिका रहीं, तथा वर्तमान में सीआरएसटी इंटर कॉलेज के अरविंदो आश्रम की संयोजिका होने के साथ अच्छी लेखिका हैं। जबकि पिता डा.वाईएस पाल ओमान के एक चिकित्सालय में रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। अपने नैनीताल में बिताए दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वह डीएसबी परिसर की पत्रिका कैंपस रिपोर्टर से 2003 से 2006 तक जुड़ी थीं, और 2006 में इसकी मुख्य संपादक रहीं। इसके बाद वे केरला निवासी कनाडा में एयरोनॉटिकल इंजीनियर कार्तिक नारायण से विवाह कर कनाडा चली गयीं। वहां उन्होंने एक पत्रकार के रूप में कनाडा के रॉजर्स टीवी के लिए दो शो किए, और ओमनी टीवी में एक पत्रकार के रूप में कार्य किया, व कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाईं, जिसे ‘रॉयलओंटेरियो म्यूजियम’ में दिखाया गया, और इसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘मार्टी’ज अवार्ड’ मिला।