नवीन समाचार, देहरादून, 30 अक्टूबर 2023। उत्तराखंड के बहुचर्चित दारोगा भर्ती घोटाले (Ghotala) की विजिलेंस जांच के बाद निलंबित हुये दारोगाओं की मुसीबत बढ़ सकती है। विजीलेंस जल्द उनके बयान दर्ज कर सकती है। इसके लिए दो जोन बने हैं।
गढ़वाल मंडल के निलंबित दारोगाओं के देहरादून व कुमाऊं मंडल के दारोगा के हल्द्वानी विजिलेंस थाने में बयान दर्ज किये जायेंगे। बताया जा रहा है कि बयान दर्ज होने के बाद उन्हें आरोपित बनाया जा सकता है। इसके बाद अन्य संदिग्ध दारोगाओं को भी विजीलेंस अपनी जांच में शामिल कर सकती है।
विदित हो कि 23 जनवरी 2023 को अपर पुलिस महानिदेशक वी मुरुगेशन ने दारोगा भर्ती घोटाले (Ghotala) में 20 दारोगा को निलंबित किया था। तब से दारोगा लाइन हाजिर हैं और विजिलेंस साक्ष्य एकत्र कर रही है।अब विजिलेंस सूत्रों के अनुसार, दारोगाओं व उनके परिजन के बैंक खातों की जानकारी जुटा ली गयी है।
इसके अलावा कई महत्वपूर्ण दस्तावेज कब्जे में लिये गये हैं और अब निलंबित दारोगाओं के पहली बार बयान दर्ज किए जाने की तैयारी है। इसके लिए विजिलेंस ने सवालों की लंबी लिस्ट तैयार कर ली है। सवाल पूछे जाएंगे कि परीक्षा में उत्तीर्ण किये गए तो किन शर्तों पर हुए। रुपये सीधे दिए गए या बिचौलियों को। बयान दर्ज करने के बाद दारोगाओं को आरोपित बनाया जाएगा।
इस मामले में एसपी विजीलेंस धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि दारोगा भर्ती घोटाले (Ghotala) की जांच चल रही है। दारोगाओं के बयान दर्ज होने हैं। जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर जांच आगे बढ़ेगी।
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यह भी पढ़ें : उद्यान घोटाले (Ghotala) में आया 1 भाजपा विधायक के भाई का नाम, राजनीति हुई शुरू…
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अक्टूबर 2023 (Ghotala)। प्रदेश के बहुचर्चित उद्यान विभाग के घोटाले में कल उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिये थे। आज इस मामले में रानीखेत के भाजपा विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल का नाम सामने आया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में भाजपा विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल का जिक्र किया है, जिसके बाद कांग्रेस को भाजपा पर हमला करने का मौका मिल गया है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा सालों से उत्तराखण्ड में चल रहे उद्यान घोटालों की जांच सीबीआई को देने से सिद्ध हो गया है कि उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश में सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया है।
खासकर सत्तारूढ़ दल के रानीखेत विधायक द्वारा अपने कथित बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत करने से सिद्ध होता है कि राज्य के उद्यान घोटालों (Ghotala) में केवल निदेशक बबेजा ही लिप्त नहीं हैं बल्कि प्रदेश सरकार और भाजपा के विधायक व नेता भी सम्मलित हैं। इस आदेश में दलनाम आने के बाद राज्य के उद्यान मंत्री और रानीखेत विधायक को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये ।
यशपाल आर्य ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है इसलिए राज्य के अधिकारी व जांच एजेंसियां भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हुए उनके विरुद्ध सही जांच नहीं कर रही हैं। उन्होंने साफ किया कि राज्य के अधिकारी और एसआईटी जांच में नाकारा सिद्ध हुए हैं इसलिए उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले (Ghotala) की जांच सहित उत्तराखण्ड से संबधित तीन घोटालों (Ghotala) की जांच सीबीआई को सोंपी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल में विजीलैंस जांच में दोषी अधिकारी बबेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया कि उसे घोटालों (Ghotala) को करने में महारत हासिल थी।
उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा ने उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनिमय) कानून-2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति हेतु उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी ‘‘अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कंही जमीन ही नहीं थी।
शिकायत मिलने पर उत्तरकाशी के जिला अधिकारी ने मामले की जांच कराई तो सभी शिकायतें सही पायी गयीं। क्योंकि पौध आपूर्ति का यह कार्य पूरे राज्य के लिए दिया जा रहा था तो भ्रष्टाचार केवल जिला उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी के हाथों से नहीं हो रहा था।
भ्रष्टाचार की इस पटकथा के असली लेखक उद्यान विभाग के निदेशक और उससे भी ऊंपर का कोई और था जो अधिकारियों द्वारा बेखौफ होकर इस तरह का करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा था। जिला अधिकारी उत्तरकाशी की रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने न कोई जांच बैठाई न कार्यवाही की।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश ने राज्य सरकार के ‘‘जीरो करप्शन माडल’’ की हकीकत सामने ला दी है। निर्णय की हर पंक्ति यह सिद्ध कर रही है कि प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं।
भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल ने किया फैसला का स्वागत: उद्यान विभाग में चल रही गड़बड़ी का मामला उत्तरकाशी जिले की पुरोला विधानसभा सीट से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल ने भी उठाया था। उन्होंने मौके पर जाकर एक वीडियो बनाया था, जो काफी वायरल हुआ था, जिसके बाद से ही उद्यान विभाग के घोटाले के मुद्दा सियासत में उठ गया था।
अब इस मामले पर विधायक दुर्गेश्वर लाल की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कहा कि जिस तरह से सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है, उसी का नतीजा है कि भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो रही है।
वहीं, इस मामले में भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल का नाम सामने आने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि जिसने भी गलत काम किया होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं इस बारे में भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल का कहना है कि उद्यान विभाग के कुछ अधिकारी मिलकर उत्तराखंड के लोगों का बेवकूफ बना रहे थे और सरकार का पैसा अपने चहेतों में बांट रहे थे। इस मामले में अगर किसी और का भी नाम सामने आता है तो उसकी भी जांच होनी चाहिए और दोषी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि अगर कृषि मंत्री गणेश जोशी इस मामले में अच्छा काम करते तो कोर्ट को इस पूरे मामले में संज्ञान नहीं लेना पड़ता। उन्होंने कहा कि बवेजा पर 500 से 600 करोड़ के गबन का मामला केवल उत्तरकाशी जिले में है। इसके अलावा 300 से 400 करोड़ के मामले प्रदेश के अन्य जिलों के हैं।
(Ghotala) उन्होंने रानीखेत में वर्तमान भाजपा विधायक के भाई का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर विभाग ने बिना जमीन के पौधे वितरित किए हैं। कहा कि इस मामले में बवेजा तो केवल एक कठपुतली हैं, जबकि मगरमच्छ तो कोई और है। खुद मंत्री को इस पूरे मामले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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यह भी पढ़ें : Ghotala : सेवानिवृत्ति के दिन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिये उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश…
-तीन माह के भीतर जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के भी दिये हैं आदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 26 अक्टूबर 2023 (Ghotala)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आज सेवानिवृत्त हो गये मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित उद्यान विभाग घोटाले (Ghotala) में बड़ा आदेश सुनाया है। खंडपीठ ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने और सीबीआई को 3 महीने के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए है।
साथ ही कहा है कि उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक हरविंदर बवेजा के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े जो भी दस्तावेज और सबूत राज्य सरकार की जांच एजेंसी के पास हैं, उन्हें सीबीआई को हस्तांतरित किया जाए। खंडपीठ के इस आदेश से उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक हरविंदर बवेजा की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है।
गौरतलब है कि धामी सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में बवेजा को पहले ही निलंबित कर दिया है, जिसके बाद एसआईटी यानी विशेष जांच दल इस मामले की जांच कर रही है। आज मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई इसी महीने अक्टूबर में पूरी हो गई थी। ऐसे में कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि इस मामले की सीबीआई से ही जांच करवाई जाए।
उल्लेखनीय है कि उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक हरविंदर बवेजा पर वितरण के लिए खरीदे गए कीवी के पौधों की कीमतों में बढ़ोत्तरी सहित अन्य मामलों में भ्रष्टाचार (Ghotala) के आरोप लगे थे। इस कारण उत्तराखंड सरकार ने बवेजा को निलंबित कर दिया था।
यह है पूरा मामला: इस मामले को लेकर दीपक करगेती ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर उद्यान विभाग पर फल और अन्य प्रजातियों के पौधारोपण में गड़बड़ियां कर लाखों रुपए के घोटाले (Ghotala) के आरोप लगाया था।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि उद्यान विभाग ने एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू और कश्मीर से कीवी के पेड़ लाना दिखाया। इसका भुगतान भी कर दिया गया है, जो किसी भी कीमत पर संभव नहीं है। ऐसा करके उद्यान विभाग ने बड़ा घपला किया है। याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच सीबीआई या अन्य निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की थी।
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यह भी पढ़ें : Ghotala : 500 करोड़ रुपए की जमीनों की रजिस्ट्री में हेराफेरी के मामले के मुख्य आरोपित की जेल में संदिग्ध मौत ! कोई साजिश तो नहीं ?
नवीन समाचार, देहरादून, 20 अक्टूबर 2023 । देहरादून के जमीनों की रजिस्ट्री कार्यालय में बैनामों से छेड़छाड़ और रजिस्ट्रियों के फर्जीवाड़े (Ghotala) के काफी दिनों से सुर्खियों में चल रहे मामले में बड़ा व सनसनीखेज समाचार है। 500 करोड़ रुपए की जमीनों की रजिस्ट्री में हेराफेरी के इस बहुचर्चित मामले के मास्टरमाइंड बताये जा रहे केपी सिंह यानी कंवरपाल सिंह की सहारनपुर उत्तर प्रदेश में मौत हो गयी है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि उसके पास ऐसे कई सबूत हो सकते थे, जो शायद ही पुलिस अब पता कर पाएगी। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि केपी सिंह की मौत किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है। उसकी मौत के पीछे कोई सफेदपोश तो नहीं है, जिन्हें उसकी मौत से लाभ हो सकता है। सवाल यह भी है कि केपी सिंह की मौत के बाद कहीं पुलिस की जांच प्रभावित तो नहीं होगी?
क्या मुख्य आरोपी के दुनिया से चले जाने से कई ऐसे लोगों के नाम के खुलासे नहीं हो पाएंगे, जिनके बारे में सिर्फ केपी सिंह ही जानता था? हालांकि, दून पुलिस का कहना है कि एसआईटी ने पर्याप्त पूछताछ में तमाम तथ्य केपी सिंह से उगलवा लिए थे।
सहारनपुर जिला जेल अधीक्षक के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले (Ghotala) में सहारनपुर जेल में बंद केपी सिंह यानी कंवरपाल सिंह की गुरुवार को 19 अक्टूबर को उस वक्त मौत हो गई, जब उसके सीने में अचानक दर्द उठा और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके कुछ ही देर में उसकी जान चली गई।
केपी सिंह के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भी कई मुकदमे दर्ज थे। ऐसे में हाल ही में सहारनपुर पुलिस उसे देहरादून से लेकर गई थी। सहारनपुर जेल प्रशासन ने केपी सिंह की मौत को सामान्य बताया है।
केपी सिंह कितना शातिर था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने अब तक 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनों की रजिस्ट्री में हेराफेरी की थी। उसने करीब 50 ऐसे प्लॉट भी बेच दिए थे, जो या तो देहरादून और आसपास विरासत महत्व के भवन थे या उसमें चाय बागान थे। उत्तराखंड राज्य गठन से पहले देहरादून और तमाम जगहों की रजिस्ट्री सहारनपुर रजिस्ट्रार ऑफिस में आज भी रखी हुई हैं। पुराने दस्तावेज आज भी उत्तर प्रदेश के पास हैं।
इसी का फायदा उठाकर केपी सिंह ने अधिवक्ता कमल विरमानी के साथ मिलकर पुरानी रजिस्ट्री में हेराफेरी करता था। केपी सिंह और इस पूरे गिरोह के निशाने पर सबसे ज्यादा वह लोग रहते थे, जिनके रिश्तेदार या बच्चे विदेश में रहते थे और उनकी जमीन देहरादून या फिर उसके आसपास हुआ करती थी।
पहले केपी सिंह और उसके साथ के लोग उन जमीनों की रेकी करते थे। जिन जमीनों पर सालों से कोई आना-जाना नहीं होता। उसकी रजिस्ट्री निकाल कर उसमें हेराफेरी कर दी जाती थी। केपी सिंह की मौत के बाद यह भी पर्दा शायद उठ पाए कि सहारनपुर और देहरादून रजिस्ट्रार ऑफिस में उसकी सहायता कितने लोग करते थे।
एक आरोपी कमल विरमानी फिलहाल जेल में बंद है, लेकिन केपी सिंह की मौत के बाद ये भी सवाल खड़ा हो रहा है कि अभी इस मामले में देहरादून के वो कौन सफेदपोश लोग शामिल थे, जिनको उसने जमीन ओने पौने दामों में दिलवाई थी या कब्जे करवाए थे। केपी सिंह ने करीब 70 रजिस्ट्री अपने नाम से भी करवायी थीं।
पहले भी हो चुकी है तीन लोगों की मौतः अब तक की जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक करीब 500 करोड़ से ज्यादा की जमीन के फर्जीवाड़े करने वाले इस रजिस्ट्री घोटाले (Ghotala) से संबंधित चार लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। इसलिये भी सवाल उठ रहा है कि कहीं केपी सिंह की मौत के पीछे कोई रहस्य तो छुपा नहीं है।
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यह भी पढ़ें : Ghotala : 1 प्रशासनिक अधिकारी बढ़ाता रहा अपना वेतन, शिक्षा विभाग रहा बेखबर !
-करीब 20 लाख रुपये की हेराफेरी का लगाया जा रहा है अनुमान, वित्तीय अधिकारों पर लगी रोक, वेतन रोका, वित्त अधिकारी के नेतृत्व में चल रही है जांच
दान सिंह लोधियाल @ नवीन समाचार, धानाचूली, नैनीताल, 12 सितंबर 2023। नैनीताल जिले में शिक्षा विभाग में कार्यरत रहा एक प्रशासनिक अधिकारी बीते कई सालों से अपना वेतन हर माह बढ़ाता रहा पर विभाग को इस घपले की भनक तक नही लगी।
अलबत्ता एक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने यह मामला पकड़ा तो तब जाकर विभाग जांच करने लगा। अलबत्ता आरोप यह भी लग रहे हैं कि विभाग इस मामले को रफा-दफा करने में जुटा हुआ है। बताया जा रहा है अभी तक इस अधिकारी पर कोई कार्यवाही नही हुई है। उसका अल्मोड़ा जनपद में स्थानांतरण भी किया जा चुका है।
इस मामले को पकड़ने वाले नैनीताल के संत सोमवारी महाराज राजकीय इंटर कॉलेज पदमपुरी के पूर्व प्रधानाचार्य बलवंत सिंह मनराल ने बताया कि पदमपुरी इंटर कालेज में आरोपित विजय जोशी जुलाई 2022 में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर आया था। वह एलटी वेतनमान के शिक्षकों से अधिक वेतन ले रहा था।
फरवरी 2023 में प्रारंभिक जांच में लगा कि वह नथुवाखान, चौरलेख आदि कई विद्यालयों में रहते लंबे समय से और खासकर वर्ष 2016 से छठे वेतनमान के जरिये वेतन बढ़ने के बाद से संबंधित विद्यालयों के अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षरों अधिक वेतन का एलपीएस यानी ‘लास्ट पे सर्टिफिकेट’ यानी अंतिम वेतन के प्रमाण पत्र के जरिये अधिक वेतन ले रहा था। इसलिए उन्होंने बतौर प्रधानाचार्य विजय जोशी से लिखित में तीन बार स्पष्टीकरण मांगा और उसका वेतन रोकने के निर्देश दिए, साथ ही उसके वित्तीय अधिकारों पर रोक लगा दी।
तब उसने लिखित में माफी मांगकर अधिक ले गये वेतन को जमा करने की बात भी कही। उन्होंने इस घपले की जानकारी खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को दी। खण्ड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट ने मामले की जांच वित्त अधिकारी को सोंप दी। इस बीच प्रधानाचार्य मनराल इस विद्यालय से स्थानांतरित हो गये, जबकि प्रशासनिक अधिकारी ने भी भीमताल निवासी अन्य प्रशासनिक अधिकारी से ‘म्युच्युअल’ यानी पारस्परिक आधार पर अपना स्थानांतरण अल्मोड़ा जनपद के चौबटिया के पास एक दूरस्थ विद्यालय में करा लिया है।
इसके अलावा बताया जा रहा है कि विजय जोशी सबसे पहले बेसिक शिक्षा नैनीताल में कार्यरत था। जहां उसने 2007-8 में कार्य किया। तत्पश्चात उसका स्थानांतरण धारी पर विकासखंड के चोरलेख हुआ। उसके बाद राजकीय इंटर कॉलेज नथुवाखान फिर जीआईसी पदमपुरी हुआ। पदमपुरी में यह मामला पकड़े जाने पर उसने अपना अल्मोड़ा जिले में पारस्परिक स्थानांतरण करा लिया।
तब से वह अल्मोड़ा में कार्यरत है। सूत्रों का कहना है यह कई समय से इस कार्य को अंजाम देता आ रहा है। यह पूरा खेल ऑनलाइन चलता है। सूत्रों के हवाले से माना जा रहा है कि 15 से 20 लाख का घोटाला (Ghotala) यह अधिकारी कर चुका है। यह कितनी सत्यता है यह जांच के बाद ही साफ हो सकेगा। मामले में जांच अधिकारी वित्त अधिकारी कैलाश आर्य व मुख्य शिक्षा अधिकारी जगमोहन सोनी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
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-एसआईटी 15 दिन में करे जांच और जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष पेश करे
नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अगस्त 2023। उत्तराखंड में काफी समय से चर्चा में चल रहे उद्यान विभाग में हुए घोटाले (Ghotala) का मामला बुधवार को उच्च न्यायालय में चर्चा का विषय बना रहा। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई करते हुए घोटाले (Ghotala) की जांच कर रही एसआईटी को इस मामले की जांच के लिए 15 दिन का समय दिया है।
साथ ही ताकीद की है कि एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष पेश करे, ताकि न्यायालय देख सके कि एसआईटी सही जांच कर रही है या नहीं। यह भी आदेश दिए है कि जो सील बंद रिकार्ड एसआईटी को दिया जाएगा उसकी सील खोलकर उद्यान सचिव उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के सम्मुख उन प्रपत्रों का डिजिटलाइजेशन करें। मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
उल्लेखनीय है कि दीपक करगेती नाम के याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में लाखों रुपए के घोटाले (Ghotala) का आरोप लगाया है। कहा है कि उद्यान विभाग में फलों और अन्य पौधों के रोपण में गड़बडियां की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि विभाग द्वारा एक ही दिन में वर्क ऑर्ड़र जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया गया है। पौधों का लाखों रुपए का भुगतान भी कर दिया गया।
आरोप लगाया है कि शीतकालीन सत्र में निलंबित किए जा चुके उद्यान निदेशक ने पहले एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों रुपए के पौध खरीद के कार्य देकर बड़े घोटाले (Ghotala) को अंजाम दिया।
जब ‘उद्यान लगाओ-उद्यान बचाओ’ यात्रा से जुड़े किसानों और उत्तरकाशी के किसानों ने इस प्रकरण को जोर-शोर से उठाया तो आनन-फानन में अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया, फिर भी पौधे अनिका ट्रेडर्स के ही बांटे गए। लिहाजा याचिका में मामले की जांच सीबीआई या किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
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यह भी पढ़ें Ghotala : सीएनआई में देश के सबसे बड़े घोटाले (Ghotala) का आरोप….
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 9 अगस्त 2022। सीएनआई यानी चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया देश के इसाई-मसीही समाज की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक है। इसमें देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला (Ghotala) होने का आरोप लगा है। मसीह समाज के नितिन लॉरेंस राकेश क्षेत्री ने नई दिल्ली में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि सीएनआई में अरबों-खरबों रुपए की सरकारी जमीनों की बंदरबांट की गई है।
दावा किया कि यह मामला विजय माल्या के 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ रुपए की दोनों की कुल धोखाधड़ी से तीगुने बड़े स्तर का है। इस धोखाधड़ी का मुख्य आरोप सीएनआई के वर्तमान मॉडरेटर यानी अध्यक्ष बिशप प्रेम चंद सिंह ‘पीसी सिंह’ व उनके साथियों पर लग रहा है। दावा किया गया है कि उन पर 107 या इससे अधिक प्राथमिकी पुलिस में दर्ज हैं।
विदित हो कि नैनीताल में भी प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज सहित दो विद्यालय सीएनआई के अधीन संचालित हैं। पिछले दिनों शेरवुड कॉलेज पर कब्जे को लेकर भी विवाद चरम पर रहा है।
क्षेत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सीएनआई अपने संविधान-ग्रीन बुक के विपरीत कार्य कर भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत अधिकांश ईसाइयों के विश्वास और धार्मिक अधिकारों में बाधा डालने का कार्य किया जा रहा है। सीएनआई के वर्तमान मॉडरेटर पीसी सिंह सहित कुछ निष्पादन समिति के सदस्यों के अवैध, असंवैधानिक, मनमानी और गैरकानूनी कृत्यों के कारण सीएनआई के निर्णय लेने, प्रशासन और कामकाज में अनेकों अनियमितताएं हैं।
अक्टूबर 2017 में हुए चुनाव के 3 साल की अवधि बीतने के बाद साल 2020 में चुनाव होना था। संविधान के अनुसार 1 साल कार्यकाल आगे बढ़ाने का प्रावधान भी है। इसके बावजूद 4 अक्टूबर 2021 तक पीसी सिंह पद में थे लेकिन 4 अक्टूबर 2021 बीत जाने के बाद उनके द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय मान्य नहीं है। इसके बावजूद भी वह अपनी मनमानी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जब भारत देश आजाद हुआ तब ईसाई मिशनरियों द्वारा भारत सरकार से करार करके पूरे भारत में खास कर नार्थ ईस्ट, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि में (केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटक को छोड़ कर) शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य जनपयोगी कार्य के लिये भारत में कार्य कर रही ईसाई मिशनरियों को जमीनों को लीज पर सौपा था। सौपी गये जमीनो पर स्कूल, अस्पताल एवं अन्य जनपयोगी कार्य के अंतर्गत निर्माण कार्य हेतु लीज पर दी गई थी।
लेकिन इसके उलट विगत कई वर्षों से सीएनआई के बिशप पीसी सिंह, मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश जैकब व संजय सिंह एवं उनके साथियों द्वारा जमीनों को अवैध रूप से धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। जबकि जमीनों को विक्रय करने से पूर्व भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमति अनिवार्य है।
इसके पूर्व भी देश के विभिन्न राज्यों जैसे दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश (मालवा क्षेत्र), मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा में स्थित ईसाई मिशनरियों की जमीनों को आरोपितों एवं उनके साथियों के द्वारा अवैध रूप से विक्रय कर करोड़ो रुपये अर्जित किये गये हैं, और अवैध रूप से जमीनों के विकय से अर्जित लाभ से भारत सरकार को अंधेरे में रखा गया।
बताया जा रहा है कि सीएनआई में विभिन्न संस्थानों में कब्जे के लिए नियमों को तोड़ने-मरोड़ने एवं अपने हित अनुसार करने, अपने लोगों को इन संस्थानों पर वैध-अवैध तरीके से बैठाने की कवायद भी बड़े पैमाने पर की जा रही है।
(Ghotala) इस मामले के सामने आने पर इन संस्थानों से अवैध तरीके से लाभान्वित हो रहे लोगों पर भी गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि यह मामले किसी धर्म के लोगों के खिलाफ नहीं, बल्कि धर्म से जुड़े लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किए जाने का है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : कोरोना के फर्जी जांच घोटाले (Ghotala) में तीन आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 मार्च 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने कुंभ मेले में कोरोना जांच के फर्जीवाड़े में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत, मलिका पंत व नलवा लैब के आशीष वशिष्ठ की ओर से दायर तीन अलग-अलग जमानत प्रार्थना पत्रों पर एक साथ सुनवाई की, और तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों को निरस्त कर दिया। कहा कि इन्होंने आपदा अधिनियम 2005 के तहत गंभीर अपराध किया है।
शुक्रवार को जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपितों द्वारा फर्जी जांच की गई है, जिसके एवज में सरकार को चार करोड़ का बिल भी दिया गया है। सरकार ने इसमें से 15 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया। जब जांच के लिए सरकार ने विज्ञप्ति निकाली थी तो मैक्स सर्विसेज ने भी टेंडर डाला।
(Ghotala) विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा था कि वही लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनके पास आईसीएमआर का सर्टिफिकेट होगा। इस पर मैक्स सर्विसेज ने शपथ पत्र देकर कहा था कि उनकी लाल चंदानी व नलवा लैब हैं, जिनको आईसीएमआर का सर्टिफिकेट मिला हुआ है। इस आधार पर इनको कुंभ में कोरोना टेस्टिंग का ठेका दिया गया।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि लालचंदानी लैब के सभी टेस्ट वैध थे, जबकि नलवा लैब ने जांच कराने के लिए अप्रशिक्षित छात्रों को अधिकृत किया। जांच की रिपोर्ट हरियाणा, यूपी व राजस्थान से कराई गई। जबकि जिस स्थान पर जांचें हुईं, वहीं से रिपोर्ट अपलोड होनी थी। मैक्स व नलवा ने एक ही आईडी पर हजारों जांचें कीं।
(Ghotala) जो जांचें की गईं उनमें से अधिकतर की रिपोर्ट निगेटिव अपलोड की गईं, ताकि वे पकड़ में न आ सकें। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि उसके पास कई गवाह भी हैं, जिन्होंने जांच कराई ही नहीं, फिर भी उनकी रिपोर्ट आई।
दूसरी ओर आरोपियों के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उनके द्वारा कोई फर्जी जांचें नहीं की गईं। सरकार जांच में एक भी जांच को फर्जी साबित नहीं कर पाई। कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के जत्थे ही जत्थे आ रहे थे, इसलिए अखाड़ों ने एक ही आईडी नंबर से टेस्ट कराए।
(Ghotala) जांच अधिकारी उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए। सरकार ने उनको अभी तक कोई भुगतान नहीं किया है। यह भी कहा गया कि वे नवंबर 2021 से जेल में हैं। जबकि न्यायालय ने पूर्व में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, उसके बाद जांच अधिकारी ने धारा 467 और बढ़ा दी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें (Ghotala) : 7 मृतकों को जीवित दिखाकर लाखो की पेंशन हड़पने वाला नैनीताल निवासी लालची लेखाकार गिरफ्तार…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 21 फरवरी 2022 (Ghotala) । नैनीताल पुलिस ने 7 मृतक सरकारी कर्मचारियों को जीवित दिखाकर उनके नाम पर लाखों रुपए की पेंशन हड़पने वाले लालची लेखाकार को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार को चौकी प्रभारी खैरना गुलाब सिंह कंबोज ने कोतवाली भवाली में हाल ही में भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420 व 467 के तहत दर्ज मुकदमे में धोखाधड़ी में संलिप्त आरोपित 43 वर्षीय संजय कुमार पुत्र त्रिलोक राम निवासी स्टाफ हाउस मल्लीताल को गिरफ्तार किया।
आरोप है कि आरोपित संजय कुमार ने पूर्व में कोश्या कुटोली कोषागार में लेखाकार के पद पर नियुक्त रहते हुए पद का दुरुपयोग कर 7 मृतक पेंशनरों की 13 लाख 66 हजार 931 रुपए की पेंशन को अपने खाते में डालकर राजकीय धन का गबन किया था। इस पर संबंधित विभागाध्यक्ष ने आरोपित को प्रशासनिक आधार पर निलंबित कर कोषागार नैनीताल में संबद्ध किया गया था।
कोतवाली भवाली में पंजीकृत धोखाधड़ी के मुकदमे में आरोपों की पुष्टि होने पर आरोपित को नैनीताल पुलिस द्वारा आज कोषागार परिसर नैनीताल से गिरफ्तार कर न्यायालय नैनीताल में पेश में किया गया। गिरफ्तारी करने वाली टीम में आरक्षी राजेंद्र गोस्वामी व प्रयाग जोशी भी शामिल रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें (Ghotala) : डाकघरों में जमा साढ़़े चार लाख से अधिक की धनराशि का किया गबन, जमानत अर्जी खारिज…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 फरवरी 2022 (Ghotala) । जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र जोशी की अदालत ने खाताधारकों के फर्जी तरीके से चार लाख 54 हजार से अधिक रुपए ठिकाने लगाने के आरोपित डाकघर रामगढ़ के उपडाकपाल भुवन राम आर्य निवासी धनियांकोट, गरमपानी वर्तमान निवासी ब्लॉक रोड भीमताल का जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने अभियोजन की ओर से आरोपित की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए तर्क दिया कि आरोपित ने रामगढ, नथुवाखान, झुतिया व हरतोला के डाकघों में उपभोक्ताओं द्वारा खाते खोलकर जमा किये गए रुपए हड़प् लिये।
(Ghotala) जब संबंधित खातेदार संबंधित डाकघरों में जमा धन की परिपक्वता अवधि पूर्व होने के उपरान्त पैसे लेने पहुंचे तो पता चला कि उप डाकघर रामगढ़ में 15 जून 2017 से चार अप्रैल 2019 तक डाक पाल के पद पर कार्य करते हुए बचत खातों में धन का दुर्विनियोग किया गया है।
जिसकी सूचना मिलने पर सहायक अधीक्षक पूर्वी उपमंडल नैनीताल एसपीएस बिष्ट की ओर से जांच की गई और दोषी पाये जाने पर 5 जून 2021 को भवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना के दौरान गवाह रामगढ़ के उपडाकपाल गोपाल कृष्ण बिष्ट, हरतोला के शाखा डाकपाल भैरव दत्त पाण्डे व अन्य दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर आरोपित के विरुद्ध साक्ष्य एकत्रित हुए और आरोपों की पुष्टि हुई।
(Ghotala) इस आधार पर अदालत ने आरोपित को जमानत नहीं दी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें (Ghotala) : हद है, लेखाकार ने मृतक पेंशनरों के नॉमिनी की जगह अपने व अपनी पत्नी के खाते में डाल दी 13 लाख से अधिक की धनराशि
नवीन समाचार, भवाली, 10 जनवरी 2022 (Ghotala)। कोश्यां कुटौली तहसील स्थित उप कोषागार में तैनात एक लेखाकार पर 13 लाख रुपए से अधिक के गबन के आरोप में पुलिस ने अभियोग पंजीकृत किया गया है। हालांकि बताया जा रहा है कि आरोपित ने गबन की गई धनराशि को गलती बताते हुए वापस राजकोष में जमा करा दिया है।
कोतवाली पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोश्या कुटौली उप कोषागार की सहायक लेखाकार हिमानी वाल्मीकि ने कोतवाली भवाली में लेखाकार संजय कुमार पुत्र त्रिलोक राम निवासी स्टाफ हाउस, मल्लीताल, नैनीताल के विरुद्ध शिकायती पत्र दिया है। आरोप लगाया गया है कि लेखाकार संजय कुमार ने पेंशन पटल पर कार्य करते हुए मृतक पेंशनरों के नॉमिनी कॉलम में हेराफेरी कर 13 लाख 66 हजार 931 रुपए की धनराशि अपने व अपनी पत्नी नीतू आर्य के खाते में डाल दिए हैं।
यद्यपि मामला पकड़ में आने पर आरोपित ने गबन की धनराशि को चालान के माध्यम से राजकोष में जमा कर दिया है। तथापि यह बड़ा अपराध है। मामले में शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने आरोपित संजय कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 420 व 467 के तहत अभियोज पंजीकृत कर लिया है और मामले की जांच एसएसआई गुलाब सिंह कंबोज को सौंप दी गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें (Ghotala) : पिछली सरकारों में मुख्यमंत्री की फ्लीट की गाड़ियों के एक करोड़ से अधिक के फर्जी बिलों का मामला हाईकोर्ट पहुंचा
-चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 दिसंबर 2021। (Ghotala) उत्तराखंड की पिछली सरकारों के दौर में हुए घोटालों (Ghotala) के मामले अब तक आते जा रहे हैं। 2009 से 2013 के बीच मुख्यमंत्री की फ्लीट में चलने वाले वाहनों के नाम पर हुए फर्जी बिल घोटाले (Ghotala) का मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंच गया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, स्वास्थ्य महानिदेशक, स्वास्थ्य निदेशक तथा टिहरी, हरिद्वार तथा देहरादून के सीएमओ और एसएसपी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने याचिका दाखिल कर कहा है कि 2009 से 2013 के बीच की सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय के कुछ लोगों की मिली भगत से सीएम की फ्लीट में लगी गाड़ियों के फर्जी बिल लगा कर एक करोड़ 43 लाख के करीब भुगतान लिया गया। इस घपले की जांच होने पर शक की सुई अधिकारियों तक भी पहुंची लेकिन केवल ट्रेवल एजेंसी पर मुकदमा दर्ज किया गया।
(Ghotala) याचिका में पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के साथ घपले के जिम्मेदार लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है। ऐसे में लगता है कि चुनाव से पूर्व यह मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की फिर बढ़ी मुश्किलें, HC ने सीबीआई जांच के लिए चेताया, डीएम ने दी थी क्लीन चिट
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 सितंबर 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले (Ghotala) के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पुस्तकालय की निविदा से लेकर अब तक के सभी रिकार्ड तलब कर लिए हैं। चेतावनी दी है कि सभी प्रपत्र उपलब्ध न कराए गए तो मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि यह मामला भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से जुड़ा है। इस मामले में इसी वर्ष जुलाई माह में हरिद्वार के डीएम ने अपनी जांच में कौशिक को क्लीन चिट दी थी और मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था।
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बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता शिव भट्ट ने पीठ को बताया कि 12 पुस्तकालय में से 10 पुस्तकालय मंदिरों में व स्थानीय विधायक मदन कौशिक के कार्यकर्ताओं के घरों में बनाए गए है, और अभी चालू स्थिति में भी नही है। इनमें से पांच पुस्तकालयों पर कब्जा नहीं लिया जा सकता, क्योंकि वे घरों में बने हैं। इसका संज्ञान लेते हुए पीठ ने सारा रिकॉर्ड तलब किया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था।
पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दी गई लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी सहित ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला (Ghotala) किया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के एक आरोपित को मिली हाइकोर्ट से जमानत
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 सितंबर 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के आरोपित कृष्णा इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भगवानपुर हरिद्वार के अध्यक्ष अनिल कुमार सैनी की जमानत मंजूर कर ली है। उन्हें जमानत मिलने के बाद तीन हफ्ते के भीतर 5 लाख रुपये समाज कल्याण विभाग के खाते में जमा करने होंगे।
उल्लेखनीय है कि छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) की जांच को लेकर उच्च न्यायालय में विचाराधीन जनहित याचिका में पारित आदेशों के क्रम में गठित एसआईटी ने अनिल कुमार सैनी को गिरफ्तार कर अगस्त 2020 में जेल भेज दिया था। उन पर 14 लाख से अधिक की छात्रवृत्ति का गबन करने का आरोप था।
(Ghotala) लेकिन सैनी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि यह छात्रवृत्ति कॉलेज के खाते में नहीं बल्कि छात्रों के खाते में आई थी। कोर्ट ने याची के तर्कों से सहमत होकर उन्हें सशर्त जमानत दे दी है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : कुंभ कोरोना जांच घोटाले (Ghotala) में याची ने कहा, सारा काम अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में हुआ, तो अकेले वे दोषी कैसे ?
-न्यायालय ने सरकार से बृहस्पतिवार तक जवाब देने को कहा और सुनवाई के लिए 24 की तिथि नियत की
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 22 सितंबर 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने कुम्भ मेले मे कोरोना की जांचों के फर्जीवाड़े (Ghotala) में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सेवा प्रदाता शरद पंत व मलिका पंत की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कल यानी बुधवार तक जवाब पेश करने को कहा है,
(Ghotala) ओर अगली सुनवाई के लिए 24 सितम्बर की तिथि नियत कर दी है। याचिका में याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई है।
याचिका में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वह मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में सेवा प्रदाता है। कोरोना के नमूनों के परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी शामिल नहीं था। यह सारा कार्य स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। यदि कुछ भी गलत हुआ है तो कुंभ मेले की पूरी अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें (Ghotala) : छात्रवृत्ति के 73 हजार 450 रुपए हड़पने के मामले में एक आरोपित की जमानत अर्जी खारिज
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अगस्त 2021 (Ghotala)। जनपद की विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण प्रीतू शर्मा की अदालत ने समाज कल्याण छात्रवृत्ति घोटाला (Ghotala) मामले में नौ अगस्त से न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद राजेंद्र कुमार निवासी वार्ड-सात, निकट छोटी मस्जिद किच्छा जिला उधमसिंह नगर की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
जिला शासकीय फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए तर्क रखा कि उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर पारित आदेश के अनुपालन में की जा रही एसआईटी द्वारा एससीएसटी-ओबीसी से सम्बन्धित दशमोत्तर छात्रवृत्ति की अनियमिताओं की जांच में पाया कि विकास खण्ड जसपुर, काशीपुर, बाजपुर के छात्र छात्राओं, जिनके द्वारा गैर राज्यों में स्थित शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत रहकर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति प्राप्त की है।
इस मामले में राज्य सरकार के कुल 73 हजार 450 रुपये हड़पकर सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया है। छात्रवृत्ति वितरण सूची में अंकित छात्रों का भौतिक सत्यापन किये जाने पर पाया गया कि शरन कालेज आफ एजुकेशन घुरकड़ी जिला कांगड़ा हिमाचल में वर्ष 2011-2012 में अध्ययनरत दर्शायी गयी दो छात्राओं में से एक छात्रा द्वारा उक्त शिक्षण संस्थान में 2011-2012 में स्नातक किया जाना व छात्रवृत्ति भी प्राप्त करना था जबकि 2012-2013 में उसके द्वारा उक्त शिक्षण संस्थान में ना प्रवेश लिया, ना ही कोई छात्रवृत्ति प्राप्त की।
(Ghotala) छात्रवृत्ति आवेदन फार्म पर चस्पा की गई फोटो अन्य छात्रा की मिली। वहीं दूसरी छात्रा ने इस शिक्षण संस्थान में वर्ष 2011 में बीएड कोर्स किया लेकिन छात्रवृति प्राप्त नहीं हुई। प्रथम दृष्टया जांच में अज्ञात बिचौलियों द्वारा शरन कालेज के स्वामी, प्रबन्धक, अधिकारी, कर्मचारीगणों से सांठगांठ कर तथा समाज कल्याण विभाग के अधिकारी-कर्मचारी के साथ मिलकर दोनों छात्राओं के फर्जी छात्रवृत्ति आवेदन फार्म तैयार कर गलत छात्रवृत्ति आवंटित कराने में प्रयोग किया गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार
नवीन समाचार, देहरादून, 14 अगस्त 2021 (Ghotala)। उत्तराखंड पुलिस की डालनवाला कोतवाली पुलिस ने छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। राम अवतार वर्ष 2012-13 में देहरादून में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहे थे। उन पर इस दौरान छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में शैक्षणिक संस्थाओं को सीधे लाभ पहुंचाने, छात्रों के खाते में पैसे डालने के बजाए सीधा कॉलेज के खातों में पैसे जमा करवाने का आरोप है।
लंबी जांच के उन्हें गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि जैसे-जैसे पुलिस मामले में खुलासे करने के साथ ही अधिकारियों पर शिकंजे कस रही है, वैसे-वैसे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचता जा रहा हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें (Ghotala) : घोटाले में समाज कल्याण निदेशालय का बाबू गिरफ्तार
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 10 जून 2021 (Ghotala)। उत्तराखंड के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में पुलिस ने समाज कल्याण निदेशालय के पटल सहायक मोहन गिरी गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में यह आठवीं गिरफ्तारी है। आरोपी पटल सहायक को आज बृहस्पतिवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
बुधवार को इस मामले के जांच अधिकारी डीएसपी प्रमोद कुमार शाह द्वारा जारी वारंट के आधार पर भीमताल थाना पुलिस ने आरोपी को हल्द्वानी स्थित समाज कल्याण निदेशक के कार्यालय से गिरफ्तार किया। एसओ रमेश सिंह बोहरा ने बताया कि आरोपी को थाने में दाखिल कर दिया गया है। बृहस्पतिवार को नैनीताल में न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014-15 में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी जगमोहन कफोला और पटल सहायक मोहन गिरी गोस्वामी ने हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से 28 छात्रों को अध्ययरत दिखाते हुए 20.63 लाख से अधिक धनराशि को घोटाला (Ghotala) किया था। मामले की एसआईटी जांच के बाद 26 सितबंर 2019 को आरोपियों के खिलाफ भष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(क) 13 (2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 420 406 467 468 471 409 120ई में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई।
पुलिस इस मामले में यूनिवर्सिटी के कुलपति रमेश अग्रवाल, शशांक जैन और संचालक मंडल के सदस्यों समेत सात आरोपियों की गिरफ्तारी कर चुकी है। गिरफ्तारी टीम में एसआई भुवन जोशी, कांस्टेबल राजेश कुमार, दर्शन सिंह, भरत सिंह शामिल थे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें (Ghotala) : उत्तराखंड एक्सक्लूसिव: लॉकडाऊन के दौरान 10 करोड़ का राशन फर्जीवाड़ा, सरकारी तंत्र भी शक के दायरे में..
रवीन्द्र देवलियाल @ नवीन समाचार, नैनीताल, 01 मार्च 2021 (Ghotala) । कोरोना महामारी के दौरान जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा था वहीं उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जनपद के किच्छा तहसील में सस्ता गल्ला के व्यापारियों व सरकारी तंत्र द्वारा फर्जीवाड़ा कर सरकारी खजाने को दस करोड़ का चूना लगाये जाने का मामला सामने आया है। इसमें पौने छह करोड़ का घोटाला (Ghotala) कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को बंटने वाले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत किया गया है।
यह खुलासा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में निखिलेश घरामी की ओर से दायर जनहित याचिका में हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से ऊधमसिंह नगर जनपद के सितारगंज व किच्छा में सस्ते गल्ले की दुकानों में राशन फर्जीवाड़े को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गयी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली पीठ में हुई।
इसी याचिका के जवाब में यह रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी। पेश की गई रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि लॉकडाऊन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत निशुल्क राशन वितरण में ही पांच करोड़ 78 लाख रुपए का घोटाला (Ghotala) किया गया है। यही नहीं, इसमें नियमित मिलने वाले राशन को जोड़ दिया जाये तो अकेले इसी अवधि में सरकारी खजाने को 10 करोड़ की चपत लगायी गयी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिला पूर्ति कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। सस्ते गले की दुकानदारों द्वारा फर्जी यूनिटों के माध्यम से सरकारी खजाने को चूना लगाया गया है। जिस जगह यह घोटाला (Ghotala) सामने आया है वहां जिलापूर्ति निरीक्षक के बजाय एक लिपिक (बाबू) को प्रभारी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता ने इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को की और प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से किच्छा के तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी की अगुवाई में इस मामले की जांच करायी गयी। रिपोर्ट में जिलापूर्ति अधिकारी श्याम आर्य पर भी सवाल उठाये गये हैं और इस मामले की विस्तृत जांच एसआईटी (विशेष जांच दल) से कराने की मांग की गयी है।
जंाच में जो तथ्य सामने आये हैं वह चौकाने वाले हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि किच्छा में सन् 2017-18 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 535 राशन कार्ड के माध्यम से 16070 यूनिटों की बढ़ोतरी कर 633 कुंतल राशन का अंतर सामने आया है। इसी प्रकार अंत्योदय योजना के अंतर्गत 295 व राज्य खाद्य योजना में 6050 राशनकार्ड की बढ़ोतरी की गयी है। यह सब उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा है कि वर्तमान में किच्छा में अंत्योदय, एपीएल व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 387447 यूनिट मौजूद हैं जो कि किच्छा की आबादी के हिसाब से मेल नहीं खाते हैं। जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि ऊधमसिंह नगर के किच्छा तहसील को छोड़कर अन्य बाकी तहसीलों जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रूद्रपुर, सितारगंज व खटीमा में अधिकांश जगहों में सन् 2017 से 2019 के मध्य तीन सालों में राशन कार्डों के आंकड़ों में कटौती की गयी है जबकि किच्छा में ही राशन कार्डों व यूनिटों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव को भी शिकायत भेजी गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अंततः इस मामले में जनहित याचिका दायर की गयी। याचिकाकर्ता के अधिकवक्ता देवेश उप्रेती ने बताया कि अदालत ने इस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) व राज्य सरकार को जवाब देने को कहा है।
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-जमानत अर्जी पर मंगलवार को हो सकती है सुनवाई
नवीन समाचार, नैनीताल, 21 दिसम्बर 2020। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव कुमार गुप्ता की अदालत ने रविवार को प्रदेश के बहुचर्चित करोडों़ रुपए से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में देहरादून से गिरफ्तार किए गए ऊधमसिंह नगर जिले के पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
इसके साथ ही बताया गया है कि आरोपित ने न्यायालय में जमानत का प्रार्थना पत्र भी दे दिया है। इस पर न्यायालय ने अभियोजन पक्ष से रिपोर्ट तलब कर ली है। आगे मंगलवार को आरोपित की जमानत अर्जी पर सुनवाई हो सकती है।
(Ghotala) बताया गया है कि आरोपित अनुराग शंखधर पर आरोप है कि उन्होंने पद पर रहते हुए छात्रवृत्ति के 1.18 करोड़ रुपए का चेक सीधे मेरठ के महावीर कॉलेज को दे दिए थे, जबकि यह पैंसा विद्यार्थियों को मिलना था। उन्हें गिरफ्तारी के बाद एक दिन की रिमांड मिली थी। इस पर उसे आज जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण की अदालत में पेश किया गया था।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 20 मार्च 2020। उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को देहरादून के एमकेपी कॉलेज यानी महादेवी कन्या पाठशाला में किए गए 45 लाख के गबन मामले में राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें पुष्टि हुई है कि एमकेपी के प्रधानाचार्य और तत्कालीन सचिव द्वारा घोटाला (Ghotala) किया गया है। कोर्ट ने सरकार से 25 मार्च तक इस मामले में की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है
उल्लेखनीय है कि एमकेपी की पूर्व छात्रा सोनिया बेनीवाल की हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि एमकेपी में विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की गई 45 लाख रुपए की राशि का गबन किया गया है।
(Ghotala) 2012-2013 के सत्र में इस पैसे का इस्तेमाल एप्पल के महंगे उपकरण खरीदने में किया गया और ऐसे कई उपकरण 2019 में किये गये परीक्षण में पाए ही नहीं गए। खरीद कानून के अनुसार टेंडर न करते हुए केवल कोटेशन के आधार पर की गई। एक जगह आर्डर की तिथि के बाद का कोटेशन लगाया गया।
किसी जगह बिल से अधिक का भुगतान किया गया और किसी जगह बिल से कम भुगतान किया गया। इतना ही नहीं ज़्यादा वालों से पैसे वापिस लेने के कोई प्रयास नहीं किया गया और न कम पैसे वाले ने कभी पूर्ण बिल की मांग की। राज्य सरकार द्वारा कराए ऑडिट में सरासर गलत पाया गया और एमकेपी के डॉ सूद और जितेंद्र नेगी से वसूली की बात की गई। सीएजी से भी इस प्रकरण की जांच कराई गई जिसमें कहा गया कि सभी खरीददारी शक के घेरे में हैं।
इस विषय में 2016-2017 में एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन मामले को दबाया रखा गया। 2019 जनवरी में शासन के स्थलीय निरक्षण के दौरान भी 768000 की सामग्री पाई ही नहीं गई। इस वजह से यूजीसी ने एमकेपी को अपने अगले पंचवर्षीय योजना में शून्य रुपए दिए, जिससे छात्राओं की शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
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-मृतक के नाम पर भी शौचालय बनाये बिना भुगतान ले लिया गया
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मार्च 2020। उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हरिद्वार जिले के इमरती ग्राम सभा में ग्रामप्रधान द्वारा किए गए घोटाले (Ghotala) के मामले में दायर जनहित याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी मो. नावेद ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार के इमरती नारशन ग्राम में ग्रामप्रधान द्वारा शौचालय निर्माण सहित पंचायत के विकास कार्यों में करीब 15 लाख का घोटाला (Ghotala) किया गया है और अपात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुचाया है। यहाँ तक कि एक मृतक के नाम पर भी शौचालय बनाये बिना भुगतान ले लिया गया।
इसकी पूर्व में जिलाधिकारी द्वारा जांच की गई जिसमे ग्रामप्रधान दोषी पाते हुए प्रधान को नोटिस जारी किया गया था लेकिन उसपर कोई कार्यवाही नही की गई। याचिकाकर्ता ने मांग की थी उक्त घोटाले (Ghotala) की एसआईटी जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
यह भी पढ़ें : धान घोटाले (Ghotala) में सरकार से तीन सप्ताह में जवाब तलब
नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मार्च 2020। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुद्रपुर धान मिल से कोटद्वार स्टेट पूल डिपो में भेजे गए धान मामले में हुए घोटाले (Ghotala) के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ में सहारनपुर निवासी अवनीश जैन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि ऊधमसिंह नगर की राइस मिल से कोटद्वार स्टेट पूल डिपो में धान भेजने के बहाने लाखों का घोटाला (Ghotala) किया गया है। पूर्व में अपर सचिव द्वारा करायी गई जांच में प्रथम दृष्टया प्रकरण में गम्भीर अनियमितता पाई गई थी, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है उनके द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ है, जिन वाहनों से धान भेजा गया वो वाहन नम्बर दुपहिया वाहनों के है। याचिकाकर्ता ने धान घोटाले (Ghotala) की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
यह भी पढ़ें : 2018 के भर्ती घोटाले (Ghotala) में सरकारी कर्मियों सहित 9 गिरफ्तार, 4 फरार…
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 9 मार्च 2020। ऊधमसिंह नगर पुलिस ने वर्ष 2018 में प्रदेश में एलटी के सहायक अध्यापक पद की लिखित परीक्षा के दौरान हुये भर्ती घोटाले (Ghotala) का खुलासा करने का दावा करते हुये नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि चार पुलिस के हाथों से बच निकलने में कामयाब हो गए हैं।
एसपी सिटी देवेन्द्र पींचा ने बताया कि 19 जुलाई 2019 में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अनुसचिव राजन मैठाणी द्वारा थाना रायपुर देहरादून में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि सहायक अध्यापक एलटी की लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट की स्कैंनिंग के दौरान जिला ऊधमसिंह नगर में 21 अभ्यर्थियों के द्वारा सुनियोजित षडयंत के तहत छद्म अभ्यर्थी के माध्यम से परीक्षा दिये जाने और उक्त अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन पत्र भरते समय ई मेल के कालम में एक ही ईमेल का प्रयोग किया गया।
विवेचना के लिये एसआईटी का गठन किया गया था। जांच रायपुर से जिला ऊधम सिंह नगर को स्थानातंरण की गई। इस मामले में शामिल आरोपियों में 9 को उनके घरों से गिरफ्तार कर लिया। जबकि चार-विजयवीर सिंह, मीना राम, मोहम्मद जावेदुल्लाह और रिंकू कुमार भागने में सफल रहे। पकड़े गये आरोपियों में यूपी के जिला मुरादाबाद व अमरोहा के निवासी तथा कई सरकारी अध्यापक व एक पुलिस का फायरमैन भी है। उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
(Ghotala) टीम में देहरादून के सीओ शेखर सुयाल, निरीक्षक राकेश गुंसाई, एसआई जितेन्द्र कुमार, मनमोहन सिंह, राहुल कापड़ी समेत एसओजी टीम शामिल रहे।
यह भी पढ़ें : छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र के और करीब आई गिरफ्तारी की तलवार
-उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर के बेटे अमित कपूर की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से किया इनकार
नवीन समाचार, नैनीताल, 21 जनवरी 2020। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर के बेटे अमित कपूर की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने इस मामले में सरकार को 11 फरवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
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मामले के अनुसार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर के बेटे अमित कपूर ने हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि एसआईटी ने छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में बतौर आरोपी उनके खिलाफ देहरादून के सहसपुर थाने में मामला दर्ज किया है। एसआईटी ने अमित कपूर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने छात्रों के फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति की धनराशि को अपने संस्थान के खाते में डलवाया है।
यह भी पढ़ें : सात साल से डाला जा रहा था कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं व किशोरियों की थाली में डाला, एक की सेवा समाप्त..
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 24 दिसंबर 2019। कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं व किशोरियों को सही पोषण देने के लिए दिए जाने वाले टेक होम राशन (टीएचआर) की रकम हड़पने का मामला प्रकाश मंे आया है। मामले में जिला मुख्यालय में ट्रांजिट कैंप में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करने वाली महिला अल्पना रस्तोगी के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज कराया गया है, और महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकत्री की सेवा समाप्त कर जांच बैठा दी है।
महिला पर आरोप है कि उसने टीएचआर खरीद के लिए मिली रकम का भुगतान निजी खातों में कराकर हड़प लिया। बताया गया है कि वार्ड नंबर दो के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 12 में बीते सात साल से मासूमों के हिस्से की रकम का गबन हो रहा था। शिकायत विभाग में पहुंचने के बाद सुपरवाइजर गायत्री आर्या ने जांच शुरू की तो मामला सही पाया गया। जांच रिपोर्ट पर सीडीपीओ रमा रावत ने कार्रवाई करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सेवा समाप्त कर दी।
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यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में मृतकों की उम्र 130 साल बनाकर उनका ‘कल्याण’ भी कर रहा प्रदेश का ‘घोटाला’ (Ghotala) विभाग
-समाज कल्याण विभाग के रिकॉर्ड में प्रदेश में 100 से 130 साल के हजारों पेंशनर
-पेंशन पोर्टल पर सामने आई समाज कल्याण के पेंशनरों की चौंकाने वाली जानकारी,
-100 से 130 आयुवर्ग में इतनी बड़ी संख्या संदेह के घेरे में, पिथौरागढ़ में 1957 तो बागेश्वर में शून्य है ऐसे पेंशनरों की संख्या
-पेंशन पोर्टल पर सामने आई समाज कल्याण के पेंशनरों की चौंकाने वाली जानकारी
नवीन समाचार, देहरादून, 20 दिसंबर 2019। जापान के ओसाका निवासी 115 वर्षीय महिला मिसाको ओकावा को दुनिया की सबसे उम्रदराज जीवित व्यक्ति माना जाता है, लेकिन उत्तराखंड के घोटाला (Ghotala) विभाग ने प्रदेश के दशकों पूर्व मर चुके सैकड़ों लोगों को कागजों में जिंदा रखकर उनकी उम्र 100 से 130 वर्ष कर विश्व रिकॉर्ड से भी कहीं आगे बढ़ा दी है, ताकि उनकी पेंशन खुद खाई जा सके।
समाज कल्याण विभाग 6444 ऐसे लोगों को पेंशन का भुगतान कर रहा है, जिनकी आयु 100 से लेकर 130 साल के बीच है। समाज कल्याण विभाग की आईटी सेल की नोडल अधिकारी ने सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को एक पत्र लिखा है। इसमें यह जानकारी मिल रही है। राज्य स्तरीय पेंशन पोर्टल पर लाभार्थियों की जन्मतिथि के आधार पर गणना की गई तो यह जानकारी सामने आयी कि प्रदेश में समाज कल्याण विभाग ऐसे 6444 लोगों को पेंशन दे रहा है।
नोडल अधिकारी हेमलता पांडेय ने लिखा है कि इस प्रकार के पेंशनरों की जनपदवार आख्या में देखा गया तो भिन्नता पायी गयी। स्थिति यह है कि समाज कल्याण विभाग के रिकार्ड के अनुसार जहां पिथौरागढ़ में 100 से 130 वर्ष आयु के 1957 पेंशनर दिखाए जा रहे हैं वहीं पड़ोसी बागेश्वर जनपद में इतनी उम्र का एक भी व्यक्ति नहीं है।
(Ghotala) इसी तरह चंपावत जनपद में ऐसे लोगों की संख्या 603 है। दिलचस्प बात यह है कि टिहरी गढ़वाल में इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या 106 है उससे सटे उत्तरकाशी में सिर्फ दो लोग हैं। संख्या में इतना अंतर ही इन आंकड़ों पर संदेह कर रहा है।
वहीं सौ से अधिक आयुवर्ग के लोगों की इतनी बड़ी संख्या भी सवालों के घेरे में है। हेमलता पांडेय ने लिखा है कि इस तरह की भिन्नताओं को देखते हुए जांच की जानी चाहिए। जिला समाज कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि रैंडम सैम्पलिंग के आधार पर इसकी जांच की जाए। उल्लेखनीय है कि कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि समाज कल्याण विभाग मृतकों को भी पेंशन देता रहा है। 100 से 130 आयुवर्ग के पेंशनरों की संख्या इतनी अधिक होने से समाज कल्याण विभाग एक बार फिर से संदेह के घेरे में आ गया है।
यह भी पढ़ें : कैग की रिपोर्ट में बेपर्दा हुआ उत्तराखंड का ‘घोटाला (Ghotala) विभाग’ ! साढ़े 6 साल तक मुर्दों को पेंशन बांटी, खजाने को लगाया 87 करोड़ का चूना, 901 साल के भी बुजुर्ग बताए
नवीन समाचार, देहरादून, 12 दिसंबर 2019। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने उत्तराखंड के इन दिनों बहुचर्चित 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के बाद ‘घोटाला (Ghotala) विभाग’ भी कहे जाने लगे समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना में करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बड़ी उजागर की है।
कैग ने पाया कि योजना की चयन प्रक्रिया खामियों के चलते विभाग ने पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधमसिंह नगर में 74 मृतकों को एक माह से लेकर साढ़े छह साल तक भेजी जाती रही। इससे विभाग को 10.35 लाख रुपये की वित्तीय हानि हुई। अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार, पिथौरागढ़ व यूएसनगर में 1147 मामलों में पति और पत्नी को 4.18 करोड़ रुपये की पेंशन बांट दी गई। गलत रिपोर्ट पेश करने पर सरकारी खजाने को 87 करोड़ का चूना लग गया।
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वहीं राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत 2015 से 2018 के बीच 11हजार से ज्यादा पेंशन धारकों को तय सीमा से ज्यादा पेंशन भी डाली गई. कई पेंशन धारकों को दोहरी पेंशन दी गई। वहीं, उन्हें भी पेंशन दी गई जो पात्र ही नहीं थे, जबकि कई लोग ऐसे रहे जिनकी मासिक आय पहले से ही अच्छी है उन पर भी समाज कल्याण विभाग मेहरबान रहा। 6184 ऐसे लोगों को पेंशन बांट दी गई, जो बीपीएल की श्रेणी में नहीं थे। इससे विभाग को 7.25 करोड़ की चपत लगी।
614 प्रकरणों में विभाग ने 17 लाख रुपये अधिक भुगतान किया, जबकि 85 लाभार्थियों को डबल पेंशन देकर 21 लाख रुपये की वित्तीय हानि की। इसके अलावा वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान सरकार ने 7,65,599 लाभार्थियों के लिए 235.08 करोड रुपए की मांग की। इसके सापेक्ष उसे 180.48 करोड़ रुपये मिले। लेकिन विभाग ने 6,46,687 लाभार्थियों को 268.37 करोड़ वितरित किए। इस प्रकार गलत आंकलन के चलते राज्य सरकार पर 87.89 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
ऐसा 33.29 करोड़ रुपये केंद्र से कम मांग के कारण हुआ। इसके अलावा विभाग में पेंशन भुगतान के लिए 12.36 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई थी। ये धनराशि न तो बांटी गई न सरकार को समर्पित की गई। इसमें राज्यांश 11.08 करोड़ रुपये और केंद्राश 1.28 रुपये था। कैग को विभाग ने जवाब नहीं दिया कि पांच जिला कोषागारों में यह धनराशि क्यों पड़ी रही।
इसके अलावा कैग ने विभाग के राष्ट्रीय सूचना केंद्र के सहयोग से बनाए गए ईएसपीएएन सॉफ्टवेयर में डेटाबेस की गंभीर खामियां उजागर की। कैग ने पाया कि आयु कालम में 901 वर्ष तक की आयु को देखा गया। 4000 रुपये से अधिक की राशि के इनपुट को रोकने के लिए इनपुट कंट्रोल की कमी थी। मोबाइल नंबर बीपीएल डेटाबेस से लिंक, प्रणाली में एक हजार तक प्रति व्यक्ति पेंशन सीमित करने का कोई प्रावधान नहीं था। पुत्र की मासिक आय व पुत्र व्यवसाय कालम में शून्य है, जबकि यह पेंशन की पात्रता का अहम मानक है।
सरकार की सफाई, दोषियों पर होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिहं रावत ने कैग की इस रिपोर्ट के आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर इसमें कोई वित्तीय अनिमियता जानबूझकर की गई है, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे खुद इसको देखेंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं यदि यह रिपोर्ट तैयार करने में जानबूझकर गलती की होगी तो भी बड़े से बड़े अधिकारी को नहीं बख्शा जाएगा।
यह भी पढ़ें : 16 करोड़ के समाज कल्याण छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के संयुक्त निदेशक को भी हाईकोर्ट से मिली जमानत
नवीन समाचार, नैनीताल, 10 दिसंबर 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रमेश चंद खुल्बे की एकलपीठ ने छात्रवृति घोटाले (Ghotala) में 16 करोड़ रुपये के घोटाले (Ghotala) के आरोप में एक नवम्बर 2019 से जेल में बंद मुख्य आरोपी तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी व वर्तमान समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीतराम नौटियाल की जमानत मंजूर कर ली है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि सरकार ने 2006 व 2009 शासनादेश के आधार पर उनको 2012 में छात्रवृत्ति देने को कहा था।
उसी के आधार पर उन्होंने छात्रवृत्ति आवंटित की और कभी भी सरकारी धन का उपयोग अपने व्यग्तिगत हित के लिए नही किया। छात्रवृत्ति का जो रुपया आया था उनके द्वारा सम्बन्धित संस्थानों को भुगतान किया गया। कोर्ट ने पूर्व में ही सह अभियुक्त अनुराग शंखधर सहित कई अन्य की जमानत दी गयी थी इसी को आधार मानकर कोर्ट ने गीतराम नौटियाल की जमानत मंजूर कर ली।
यह भी पढ़ें : घोटाले (Ghotala) के पूरे 20 लाख जमा कराने के बाद हाईकोर्ट ने दी घोटाले (Ghotala) के आरोपितों को जमानत
-छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में पूरी राशि जमा कराने के बाद मोनाड यूनिवर्सिटी के प्रबंधक सहित चार को मिली जमानत
-आरोपितों ने जमा कराया 20 लाख 63 हजार 9 सौ रुपये का बैंक ड्राफ्ट
नवीन समाचार, नैनीताल, 6 दिसंबर 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में लिप्त मोनाड यूनिवर्सिटी हापुड़ के प्रबंधक सहित तीन अन्य लोगो को सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।
(Ghotala) पीठ ने जमानत के लिए पहले छात्रवृत्ति के 20 लाख 63 हजार 9 सौ रुपये का बैंक ड्राफ्ट समाज कल्याण विभाग नैनीताल के नाम पर जमा कराने की शर्त रखी और धनराशि जमा करने के बाद चारों आरोपितों की जमानत मंजूर कर ली।
(Ghotala) मामले के अनुसार 26 सितम्बर 2019 को भीमताल थाने में मोनाड यूनिवर्सिटी हापुड़ के प्रंबधक व तीन अन्य लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच में पाया गया कि इनके द्वारा यूनिवर्सिटी में 28 स्थानीय छात्रों को प्रवेश देने के नाम पर उनके प्रमाण पत्र लेकर उनके नाम पर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया गया।
(Ghotala) प्रंबधक सहित तीन अन्य लोगो ने कुल 20 लाख 63 हजार 9 सौ रुपये का घोटाला (Ghotala) किया। पीठ ने मामले को सुनने के बाद पिछली तिथि को आरोपितो से पूरा पैसा जमा करने को कहा था। आज आरोपियो की ओर से गबन किया हुआ 20 लाख 63 हजार 9 सौ रुपया समाज कल्याण विभाग के नाम जमा किया गया। इस आधार पर पीठ ने चारो आरोपितो की जमानत मंजूर कर ली।
यह भी पढ़ें : छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में 20 लाख हड़पने वाले चार विश्वविद्यालय संस्थापकों की जमानत अर्जी खारिज..
-मोनार्ड विवि के चार संस्थापकों पर 20 लाख रुपए से अधिक हड़पकर गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप
नवीन समाचार, नैनीताल, 23 नवंबर 2019 (Ghotala) । प्रभारी जिला जज-प्रथम अपर सत्र न्यायधीश विनोद कुमार की अदालत ने प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के मामले में 20 लाख रुपए से अधिक धनराशि को गलत तरीके से हड़पने के आरोप में मोनार्ड विवि के चार आरोपित संस्थापक सदस्यो की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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(Ghotala) मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने न्यायालय को बताया कि मोनार्ड विवि के खाता संख्या 33110100002014 को संचालित करने के लिए रजिस्ट्रार कर्नल डीपी सिंह, शशांक जैन एवं रमेश अग्रवाल को मोनार्ड एजुकेशन सोसायटी ने नियुक्त किया था।
(Ghotala) इन तीनों के हस्ताक्षर से ही मोनार्ड विवि के खाते से समाज कल्याण विभाग नैनीताल से अनुसूचित जाति के छात्रों की पढ़ाई के लिए मिले 20 लाख 63 हजार 900 रुपए पंजाब नेशनल बैंक के दूसरे खाते में डालकर मोनार्ड विवि द्वारा लिये गए लोन को चुकाने के लिए नियमविरुद्ध इस्तेमाल किये गये।
(Ghotala) मामले में गिरफ्तार मोनार्ड विवि के चार संस्थापक सदस्य-आनंद प्रकाश गर्ग, अनिल कपूर, शशांक जैन एवं रमेश अग्रवाल का हित लाभ है। इसलिए न्यायालय ने चारों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
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-छात्रवृत्ति घोटाला (Ghotala) के मुख्य आरोपित नौटियाल को सर्वोच्च न्यायालय से नहीं मिली कोई राहत
-सात दिन के भीतर करना होगा आत्म समर्पण, कानून के अनुसार ही होगी जमानत पर कार्रवाई
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 अक्तूबर 2019। छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के मुख्य आरोपित गीता राम नौटियाल को सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने नौटियाल की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है।
(Ghotala) साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि उच्च न्यायालय द्वारा उसके विरुद्ध पारित आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय में डाली गयी उसकी याचिका से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नौटियाल को सात दिन के भीतर आत्म समर्पण करना होगा, और यदि वह जमानत के लिए कोई आवेदन करता है तो उस पर भी कानून के अनुसार ही कार्रवाई होगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी एवं न्यायमूर्ति एमआर शाह की अदालत में हुई।
(Ghotala) उल्लेखनीय है कि गत 18 अक्तूबर को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने समाज कल्याण विभाग के 500 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के मामले में मुख्य आरोपी गीता राम नौटियाल की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
(Ghotala) सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब एसआईटी कभी भी नौटियाल को गिरफ्तार कर सकती है, अथवा उसे आत्मसमर्पण करना होगा। ज्ञातव्य है कि इस मामले में गठित एसआईटी गीताराम नौटियाल के खिलाफ जांच कर रही है।
(Ghotala) एसआईटी ने कोर्ट में मामले की गोपनीय रिपोर्ट भी पेश की थी। इसमें नौटियाल के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे। एसआईटी की ओर से कहा गया था कि नौटियाल जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार लोकेशन बदल रहे हैं।
(Ghotala) यह भी उल्लेखनीय है कि नौटियाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहले भी याचिकाएं दायर की थीं और दोनों अदालतों ने उसकी याचिकाएं खारिज कर दी थी।
(Ghotala) इस बीच एसआईटी ने गीताराम नौटियाल पर मुकदमा दर्ज किया। गीताराम नौटियाल इसे उत्पीड़न बताते हुए एससी-एसटी आयोग भी गए। आयोग ने नौटियाल पर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए। आयोग के इस आदेश को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आयोग की ओर से गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को निरस्त कर दिया था और नौटियाल पर जुर्माना भी लगाया था।
यह भी पढ़ें (Ghotala) : समाज कल्याण विभाग द्वारा 271 मृतकों को 40 लाख से अधिक की पेंशन बांटने का मामला उजागर…
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 5 अप्रैल 2019। (Ghotala) उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा मृत्यु उपरांत भी 271 पेंशनरों को पेंशन बांटने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। शासन स्तर पर कराये गये सोशल ऑडिट सर्वे में इस अंधेरगर्दी का खुलासा हुआ। इसके बाद ऐसे 271 खातों से अब तक 40 लाख 21 हजार 754 रुपये वापस लिये जा चुके हैं।
(Ghotala) उल्लेखनीय है की जिले के सभी ब्लॉकों में पेंशनधारकों के सत्यापन का दायित्व सहायक समाज कल्याण अधिकारियों पर होता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार किसी पेंशन योजना में लाभार्थी के सत्यापन और मौत होने पर जानकारी देने का दायित्व इन्हीं पर था।
(Ghotala) किन्तु विभागीय अधिकारी कह रहे हैं कि सत्यापन के लिये राजस्व विभाग को पत्र लिखे गये थे। जब तक पेंशनर का मृत्यु प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, पेंशन नहीं रोकी जाती।
(Ghotala) सर्वे में कुछ पेंशन लाभार्थियों के खातों में मौत के बाद भी 24 हजार से 50 हजार तक की रकम आती रही, गनीमत रही कि खातों से उनके परिजनों ने नहीं निकाली। सर्वे रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि संबंधित को वास्तव में पेंशन की जरूरत थी भी या नहीं?
(Ghotala) संभव है कि गलत तरीके से पेंशन का लाभ लेने के लिये इन लोगों ने गलत आय प्रमाणपत्र बनवाये थे। उल्लेखनीय है प्रमाणपत्र राजस्व या संबंधित ग्रामसभा से जारी होते हैं। ऐसे में गलत प्रमाण पत्र देने वाले भी जांच के दायरे में आ गए हैं। वृद्धावस्था पेंशन बैंक खातों के सत्यापन को लेकर भी प्रशासन, समाज कल्याण और बैंक अफसरों के बीच बैठकें होती रहती हैं।
(Ghotala) सर्वे रिपोर्ट में साफ हुआ है कि जिले में कई पेंशनरों के खाते कई साल से संचालित नहीं हो रहे थे। इसके बावजूद बैंकों की ओर से ऐसी कोई जानकारी विभाग को क्यों नहीं दी गयी ? इस सम्बन्ध में जिला समाज कल्याण अधिकारी नवीन भारती ने कहा कि उन्होंने कुछ समय पहले ही पद संभाला है।
(Ghotala) इसलिये पहले क्या हुआ, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। मृत पेंशनरों के संबंध में सूचना ग्रामसभा या सहायक समाज कल्याण अधिकारियों के स्तर पर दी जाती है। पेंशनधारकों का सत्यापन किया जा रहा है।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 5 अप्रैल 2019 (Ghotala) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने समाज कल्याण विभाग में करीब 500 करोड़ रूपये के छात्रवृत्ति घोटला मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाये, क्योंकि इस मामले के तार उत्तराखंड सहित कई अन्य राज्यो से जुड़े होने की आशंका है।
(Ghotala) इसके साथ ही खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तिथि नियत कर दी है। सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि एसआईटी की जांच में स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूलों के छात्रों और कई स्कूलों में ऐसे छात्रांे को भी छात्रवृत्ति देने की बात प्रकाश में आई है, जिनकी स्कूल में उपस्थिति 50 फीसद से कम रही।
(Ghotala) मामले के अनुसार देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान व अन्य ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया,
(Ghotala) जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला (Ghotala) किया गया है। जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा गठित एसआईटी को 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा गया था,
(Ghotala) परंतु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नही हो सकी। इसके साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए। पूर्व में खंडपीठ ने पुरानी एसआईटी टीम के अध्यक्ष टीसी मंजुनाथ से ही मामले की जांच कराने के आदेश दिए थे। जांच के दौरान सरकार ने उनका ट्रांसफर कर दिया था जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इस मामले में रुड़की के प्रतिष्ठित स्कूलों के एमडी आदि भी गिरफ्तार हो चुके हैं।
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नवीन समाचार, रूडकी, 12 फरवरी 2019। छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) की जांच में जुटी एसआईटी ने रुड़की स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (आईपीएस) के एमडी व एसोसिएट डायरेक्टर अंकुर शर्मा पुत्र दीन दयाल शर्मा निवासी ईदगाह, प्रकाशनगर कैंट देहरादून को गिरफ्तार कर लिया है।
(Ghotala) आरोपी के खिलाफ सिडकुल थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़पने का आरोप लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में एक दिन पूर्व ही उच्च न्यायालय सीबीआई जाँच कराने का इशारा कर चुका है।
(Ghotala) मालूम हो कि प्रदेश के बहुचर्चित समाज कल्याण विभाग से करोड़ों रुपये की धनराशि का गबन किए जाने से संबंधित प्रकरण की जांच मंजूनाथ टीसी पुलिस अधीक्षक अपराध हरिद्वार की अध्यक्षता में गठित एसआईटी कर रही है। एसआईटी की जांच में 1 दिसंबर 2018 को सिडकुल में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसकी विवेचना कमल कुमार लुण्ठी कर रहे हैं।
(Ghotala) विवेचना के दौरान यह बात सामने आई कि जिला समाज कल्याण अधिकारी हरिद्वार ने रुड़की स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज को वर्ष 2014-15 व वर्ष 2015-16 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 2032 छात्र छात्राओं को 6,28,94,750 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई थी।
(Ghotala) जांच में यह बात सामने आई कि अधिकांश छात्र छात्राओं ने उक्त शैक्षणिक संस्थान में शिक्षा ही ग्रहण नहीं की। इतना ही नहीं छात्र छात्राओं का पंजीकरण भी संबंधित परिषद-विश्वविद्यालय में नहीं था। ऑन लाइन बैंक खातों में भेजी गई धनराशि अधिकांश एक ही बैंक शाखा में भेजी गई और अधिकांश कथित छात्र छात्राओं को संस्थान के मोबाइल नंबर भी एक पाए गए। बैंक खातों में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंचते ही धनराशि को संस्थान के बैंक खाते में स्थानांतरित करा दिया गया।
(Ghotala) इस मामले में संस्थान के एमडी व एसोसिएट डायरेक्टर संस्थान का अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया, जो उन्होंने उपलब्ध नहीं कराए। उक्त संस्थान ने पूरी योजना के तहत छात्रवृत्ति की रकम हड़प ली। जिसके बाद अंकुर शर्मा को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट मे पेश रिमांड पर लिया है। जबकि विवेक शर्मा नाम का एक आरोपी फरार चल रहा है।
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छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) में मयंक नौटियाल का मामला, पिता की आय चार लाख से ज्यादा होने के बावजूद कुछ हजारों में दिखाई थी आय, कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जनवरी 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने समाज कल्याण विभाग में हुए 100 करोड़ के बताये जा रहे छात्रवृत्ति घोटाले (Ghotala) के एक आरोपी मयंक नौटियाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता और सरकार को एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि मयंक नौटियाल ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर एसआईटी की 11 जनवरी की दर्ज एफआईआर निरस्त करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की थी। मालूम हो कि राज्य में छात्रवृत्ति में लाखों के घोटाले (Ghotala) में एसआईटी ने मयंक नौटियाल के खिलाफ डोईवाला थाने में एफआईआर दर्ज की है।
मयंक पर आरोप है कि उसने 2013-14 में गलत प्रमाण पत्र लगाकर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था। इन प्रमाण पत्रों में मयंक ने अपने पिता की आय 3500, 5000 और 6500 रुपए दर्शायी थी जबकि उसके पिता ने उसी वित्त वर्ष में चार लाख से ज्यादा का आयकर जमा किया था और उसके घर में कई गाड़ियां भी खरीदी गई थीं।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 6 दिसंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों की छात्रवृत्ति में घोटाले (Ghotala) के आरोपों को गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार से अगले बुधवार तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर स्थिति साफ करने के निर्देश दिये हैं।
उल्लेखनीय राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला (Ghotala) किया गया है । 2017 में इसकी जांच के लिए मुख्यमन्त्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और तीन माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था परन्तु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नही हो सकी।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए । मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने सरकार से बुधवार तक स्थिति साफ करते हुए रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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नवीन समाचार, काशीपुर, 21 सितंबर 2019। उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले की काशीपुर कोतवाली की कटोराताल पुलिस चौकी में देश की सबसे बड़ी एफआईआर लिखी गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस 58 पेज की इस एक एफआईआर को लिखने में सात दिन का समय लगा हैं।
इसे 14 सितंबर से लिखना प्रारंभ किया गया था और इसे लिखने का कार्य 21 सितंबर की रात्रि को पूरा किया गया।यह एफआईआर राज्य में चल रहे अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना में किए गए घोटाले (Ghotala) की है।
इस एफआईआर के जरिये काशीपुर के एमपी मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक डा. संतोष श्रीवास्तव व हॉस्पिटल कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के राज्य स्वास्थ्य अधिकरण के अधिशासी अधिकारी धनेश चंद्र की ओर से काशीपुर के दो निजी अस्पताल संचालकों के खिलाफ एसएसपी को पुलिस को दो तहरीरें सौंपी गई थीं, जो करीब एक हफ्ते पहले कोतवाली पहुंचीं। इसमें से एक तहरीर 64 पृष्ठ की और दूसरी तहरीर करीब 24 पृष्ठों की है।
कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने वाले सॉफ्टवेयर की क्षमता दस हजार शब्दों से अधिक नहीं है। इसलिए तहरीरों में अधिक विवरण होने के कारण ऑनलाइन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती थी, इसलिए इन्हें लिखकर दर्ज किया जा रहा है। हिंदी और अंग्रेजी भाषा में भेजी गई इन दोनों एफआईआर लिखने में थाने के मुहर्रिरों के पसीने छूट रहे हैं।
मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत योजना के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले भारत सरकार के सॉफ्टवेयर के द्वारा काशीपुर के रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकीनंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। इसके बाद हुई जांच में दोनों अस्पतालों के संचालकों की तरफ से नियम विरुद्ध रोगियों के फर्जी उपचार बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ में आया था।
एमपी अस्पताल में रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाए गए। आईसीयू में भी क्षमता से अधिक रोगियों का उपचार दर्शाया गया। डायलिसिस केस एमबीबीएस डॉक्टर की ओर से किया जाना बताया गया और वो भी अस्पताल की क्षमता से कई गुना ज्यादा। जांच के तथ्यों के अनुसार कई प्रकरणों में बिना इलाज किए ही क्लेम प्राप्त कर लिया गया, जिसकी मरीज को भनक तक नहीं है।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 1 अगस्त 2019। उत्तराखंड के जसपुर के मनोरथपुर व भोगपुर में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का स्वामी मुन्ने खां वर्ष 2008 से यानी पिछले 11 वर्षों से ग्रामीणों के 191 फर्जी राशन कार्ड बनाकर उनमें दर्ज में 607 यूनिटों के हिस्से के सरकारी सस्ते गल्ले के राशन को खुद खा जा रहा था।
इस घोटाले (Ghotala) की शिकायत उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के जरिये की गयी है। इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार से एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
याचिका में बताया गया है कि 191 में से 45 मुस्लिम राशन कार्ड धारकांे का निवास स्थान ग्राम भोगपुर में दर्शाया गया है जबकि भोगपुर में एक भी मुस्लिम परिवार निवास नही करता है। याची ने इस बाबत जिला अधिकारी ऊधम सिंह नगर को भी प्रार्थना पत्र दिया था। जिला अधिकारी द्वारा बीडीओ से कराई गयी जाँच में 191 राशन कार्ड फर्जी पाये गए।
पिछली कांग्रेस सरकार के एक घोटाले में 10 अधिकारियों से करीब डेढ़ करोड़ की वसूली के आदेश
नवीन समाचार, देहरादून, 21 दिसंबर 2018। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2008 से 2013 के बीच स्वास्थ्य विभाग में हुए टैक्सी बिल घोटाले में दोषी 10 अधिकारियों से करीब डेढ़ करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी। इस हेतु उत्तराखंड राजभवन ने अनुमति दे दी है। शुक्रवार (आज) स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी दोषी अधिकारियों से वसूली करने के आदेश जारी हो सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में राज्य के 13 जिलों के 13 में से 12 सीएमओ एवं सीएमएस स्तर के डा. आरएस असवाल, डॉ.जीसी नौटियाल, डॉ.एमपी अग्रवाल, डा. वीके गैरोला, डॉ.आरके पंत, डॉ.दीपा शर्मा, डॉ.मीनू, एसडी सकलानी, राकेश सिन्हा और वाईएस राणा को दोषी पाया गया है। साथ ही दो पूर्व मुख्यमंत्रियों डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ एवं विजय बहुगुणा के पांच निजी सचिव दोषी पाए गए थे। अलबत्ता अभी निजी सचिव सजा से बचे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस घोटाले में पहले ही राज्य लोक सेवा आयोग ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ वसूली की मंजूरी दे दी थी। जबकि इधर राजभवन ने भी इस कार्रवाई की अनुमति दे दी है। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव नितेश झा का कहना है कि टैक्सी बिल घोटाले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के संबंध में विभाग की ओर से भी आदेश जारी किए जाएंगे।
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-स्वतंत्रता दिवस यानी राष्ट्रीय पर्व के छुट्टी के दिन किया गया था 20 लाख का भुगतान, उच्च न्यायालय ने सरकार ने मांगा जवाब
नवीन समाचार, नैनीताल, 19 दिसंबर 2018। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के घोटालों की परतों के खुलने का सिलसिला जारी है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पिछली कांग्रेस सरकार के कायर्काल में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के नाम पर दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर लाखों रुपये के घोटाले के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है।
बुधवार को उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने न्यायालय के आदेश पर जवाब पेश करते हुए खंडपीठ को बताया कि 15 अगस्त 2008 के राष्ट्रीय पर्व-अवकाश के दिन 20 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। खंडपीठी ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि 8 जनवरी की नियत कर दी है।
सरकार के इस जवाब पर खंडपीठ ने टूर के नाम पर 20 लाख रुपये का भुगतान 15 अगस्त 2008 को छुट्टी के दिन करने पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। उधर कोर्ट ने कालागढ़ रेंज के प्रभारी आरके तिवारी को इस जनहित याचिका में स्वतः सज्ञान लेकर पक्षकार बनाया है और उनको दस्ती नोटिस जारी कर 8 जनवरी तक जवाब पेश करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि आरके तिवारी ने 2012 के एक पत्र में कहा है कि उनके पास 20 लाख रुपये टूर के लिए आये थे। पर यह रुपये कहां खर्च हुए उसके बारे में वे नही जानते हैं।
उल्लेखनीय है कि याची व अधिवक्ता जय प्रकाश डबराल ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि 2006 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री नवप्रभात व तत्कालीन विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल सहित 3 वन अधिकारी और कई अन्य लोग ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे। उस दौरे में उन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग किया था, लिहाजा मामले की उच्च न्यायालय की सीधी निगरानी में जांच कराई जाए।
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-हल्दूचौड़ आर्युवेदिक अस्पताल की मिट्टी को बेचे जाने की विजीलेंस जांच की मांग
नवीन समाचार, नैनीताल, 14 दिसंबर 2018। पिछले दिनों एक उत्तराखंडी गीत आया था-कथगा खैल्यो, यानी कितना खाओगा। इधर राज्य के घोटालेबाज अधिकारियों को शायद कुछ खाने को नहीं मिल रहा है, या कि पेट व भूख इतनी बढ़ गयी है कि जो मिले-वही खा जाओ की तर्ज पर वे मिट्टी भी खा गये हैं। मामला हल्दूचौड़ के आर्युवेदिक अस्पताल के निर्माण के दौरान बेसमेंट की मिट्टी का है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया के द्वारा मुख्यमंत्री के सचिव कुमाऊं मंडलायुक्त राजीव रौतेला से इस लाखों की मिट्टी को खुर्दबुर्द किये जाने की शिकायत करते हुए मामले की विजीलेंस जांच की मांग की गयी है। बताया गया है कि इस शिकायत पर सचिव श्री रौतेला ने जांच के आदेश भी दे दिये हैं।
गौनिया ने सचिव श्री रौतेला से शिकायत की है कि लाखों रुपये की मिट्टी को खुर्दबुर्द करने की शिकायत वे पूर्व में एसडीएम हल्द्वानी के साथ ही डीएम, मंडलायुक्त एवं मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री उत्तराखंड तथा प्रधानमंत्री से भी कर चुके हैं। मामले में पूर्व में मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री ने जांच के आदेश भी दिये थे, जिसकी जांच रिपोर्ट फर्जी बनाकर आगे भेज दी गयी।
लिहाजा मामले की विजीलेंस जांच की जाए। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व गौनिया हल्द्वानी के कालाढुंगी रोड स्थित कपिलाज रेस्टोरेंट के पास निर्माणाधीन नाले हेतु किये गये खुदान से निकली मिट्टी को खुर्द-बुर्द करने के मामले में भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां हासिक कर जांच की मांग कर चुके हैं। उनका कहना है कि विभाग मिट्टी को बेचने से प्राप्त लाखों रुपये की धनराशि को स्वयं ही हड़प जाते हैं। इसकी रॉयल्टी भी जमा नहीं करायी जाती है।
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इंटरनेट पर वायरल प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के मुख्य बिंदु : (नोट: हम इन आरोपों की पुष्टि नहीं करते, केवल अपना नाम भी न लिखकर आवाज उठा रहे लोगों के स्वर बनने की कोशिश भर है)
- ऊधमसिंह नगर के मुख्य विकास अधिकारी पर लगाया गया है कोई भी कार्य बिना कमीशन के न करने का आरोप
- 14वें वित्त आयोग की धनराशि प्रधानों को जारी करने में 15 फीसद तक कमीशन लेने, डीपीआरओ का भी हिस्सा होने का आरोप
- एक भी शौचालय व प्रधानमंत्री आवास बिना कमीशन लिए न बनवाने का आरोप
- शिकायत करने वालों की जांच कराने का आरोप
- मंत्री के नाम पर भी कमीशन लेने का आरोप
- परियोजना निदेशक को इस भ्रष्टाचार की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताया गया है
- पूर्व परियोजना निदेशक 400-500 लेकर करती थी शौचालय का भुगतान, भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया गया
- अब 1500-2000 तक लिए जा रहे हैं प्रत्येक शौचालय के भुगतान के एवज में
- खंड विकास अधिकारी को भी कमीशन जाने का आरोप
- जिला पंचायत राज अधिकारी व उपरोक्त अधिकारीयों पर पंचायती राज मंत्री के नाम पर करोड़ों रुपये एकत्र करने का आरोप
- मंत्री पुत्र की शादी में प्रति ग्राम पंचायत अधिकारी 20000 रुपये लेने का आरोप
- जिला पंचायत राज अधिकारी पर पंचायत विकास अधिकारियों व ग्राम प्रधानों से टीएम, पंचायती राज मंत्री व सीडीओ के नाम पर 1-1 व अपना 3 मिलाकर 6 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप
- इधर नगर निगमों में शामिल हुई पंचायतों के लिए 8 से 15 प्रतिशत तक नगद कमीशन तय करने का आरोप
- ग्राम प्रधानों द्वारा प्रधानमंत्री आवासों के लिए 10 से 40 हजार व शौचालयों के लिए 2 से 3 हजार तक कमीशन दिया गया
- अनाम पत्र को जनहित याचिका की तरह मानने की मांग
नवीन जी 32वीं नहीं 33वीं गिरफ्तारी है।