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December 23, 2024

जसुली दीदी-उत्तराखंड की सबसे बड़ी दानवीर महिला : जो हेनरी रैमजे को नदी में रुपए बहाती मिली थीं

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डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल। स्व. जसुली दताल जिनकी पहचान जसुली शौक्याणी, जसुली दीदी व जसुली बुड़ी के नाम से और कुमाऊं-उत्तराखंड की सबसे बड़ी महान दानवीर महिला के नाम से विख्यात हैं, आज उनकी कहानी जानिए। उनका जन्म दांतू गाँव, तहसील धारचूला, परगना दारमा, जिला पिथौरागढ में हुआ था। धनी माता-पिता की इकलौती संतान जसुली कम उम्र में ही विधवा हो गयी थी और उनके एक मात्र पुत्र की भी असमय मृत्यु हो गयी थी।

जसुली देवी शौक्याणी कैसी बनी इतनी दौलतमंद ? पढ़िए यह रोचक लेख-कहते हैं कि सन्तानहीन व विधवा जसुली दीदी ब्रिटिश शासन काल में कुमाऊँ वासियों के पसंदीदा कमिश्नर रहे हेनरी रैमजे को दुग्तु से दांतू गांव जाने के दौरान न्यूलामती नदी के किनारे चांदी के सिक्कों को धन के प्रति निर्लिप्त भाव से एक-एक कर नदी में बहाते हुए मिलीं। यह देखकर रैमजे स्तब्ध रह गए।

दांतू पहुंच कर रैमजे ने गांव वालों से इस सम्बंध में पूछा तो पता चला कि जसुली दीदी हर सप्ताह मन भर रुपयों के सिक्के न्यूलामती नदी को दान कर देती हैं। रैमजे ने जसुली को समझाया कि इस धन का उपयोग जनहित में किया जाये तो पुण्य लाभ होगा। जसुली ने कमिश्नर की बात मान ली। जसुली का असीम धन घोडों और भेड़-बकरियों में लाद कर अल्मोड़ा पहुंचाया गया।

इसी धन से कमिश्नर रैमजे ने जसुली शौक्याण के नाम से 300 से अधिक धर्मशालाएं बनवाई। इन्हें बनवाने में लगभग 20 वर्ष लगे। उस दौर में यह धर्मशालायें नेपाल-तिब्बत के व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के रात्रि विश्राम का सहारा बनती थीं। इनमें पीने के पानी व अन्य चीजों की अच्छी व्यवस्था भी होती थी। 1970 तक सभी दूर-दराज क्षेत्रों के सड़क से जुड़ जाने से इन धर्मशालाओं का उपयोग बंद हो गया। धीरे-धीरे इन धर्मशालाएं वक्त के साथ-साथ जीर्ण होती चली गयी। कुछ सड़कों के निर्माण मार्ग में आने की वजह से तोड़ दी गयी।

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300 के करीब धर्मशालाओं का निर्माण किया था

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद के सीमांत धारचूला के दांतू गांव की निवासी जसुली दीदी ने लगभग 170 साल पहले दारमा घाटी से लेकर पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, धारचूला, टनकपुर, नारायण तेवाड़ी देवाल अल्मोड़ा, वीरभट्टी, सुयालबाड़ी, रामनगर, कालाढूंगी, रांतीघाट व भोटिया पड़ाव हल्द्वानी नैनीताल, पिथौरागढ़, भराड़ी, बागेश्वर, सोमेश्वर, लोहाघाट, टनकपुर, ऐंचोली, थल, अस्कोट, बलुवाकोट, धारचूला, कनालीछीना, तवाघाट, खेला, पांगू व बागेश्वर सहित कुमाऊं मंडल के पैदल रास्तों पर स्थित अनेक स्थानों पर 300 के करीब धर्मशालाओं का निर्माण किया था।

इनमें से ज्यादातर धर्मशालाएं अब खंडहर हो चुकी हैं। इन धर्मशालाओं का वर्णन 19वीं सदी के आठवें दशक (1870) में अल्मोड़ा के तत्कालीन कमिश्नर शेरिंग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है।

कुमाऊं की दानवीर जसुली दीदी की 170 वर्ष पुरानी विरासत का हुआ संरक्षण…

151 बर्ष पूर्व बनाई गई दारमा घाटी की जसूली शौक्याण धर्मशालाओं को मूर्त रूप  देने में जुटा दारमा घाटी का ही बेटा धिराज गर्ब्याल जिलाधिकारी ...जसुली शौक्याणी, जसुली दीदी व जसुली बुड़ी के नाम से विख्यात कुमाऊं की महान दानवीर महिला स्व. जसुली दताल की जनपद के सुयालबाड़ी में स्थित ऐतिहासिक धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं।  जनपद की जीवनदायिनी कोसी नदी के पास स्थित इस धर्मशाला के साथ ही यहां नदी में विभिन्न गतिविधियां के संचालन के साथ ही पार्क का 34 लाख की लागत से निर्माण कार्य किया गया है।

बताया गया है कि राज्य सरकार ने गत वर्ष जसुली दीदी द्वारा निर्मित सभी धर्मशालाओं के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव तैयार करवाया था। इसके तहत अब सुयालबाड़ी सहित कुछ अनय धर्मशालाओं का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया है।

यह भी पढ़ें : नैनीताल के स्टेट बैंक में अब देखें 3000 वर्ष पुराने-मौर्य, गुप्त, मुगल काल के सिक्के…

नवीन समाचार, नैनीताल, 13 अगस्त 2019। नगर में भारतीय स्टेट बैंक स्थित मुख्य शाखा में मंगलवार को बैंक के पुराने दस्तावेजों की हैरिटेज गैलरी खुल गयी है। मंगलवार को बैंक की मुख्य शाखा में बैंक के दिल्ली क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक विजय रंजन ने इस का औपचारिक शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने बैंक के नये एप योनो सहित अन्य सेवाओं के बारे में उपस्थित लोगों को विस्तार से जानकारी दी एवं इन सेवाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया। इस दौरान बैंक के कर्मचारी पूर्व ओलंपियन राजेंद्र सिंह रावत को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर बैंक के मुख्य प्रबंधक प्रदीप नारायण, राजेंद्र रावत, त्रिभुवन सिंह, नीरज गोयल, दिनेश सूदन, ओलंपियन राजेंद्र सिंह रावत, शंकर दुग्ताल, गिरीश जोशी, ममता पांडे, वरुण बुटोला, पीयूष जोशी सहित अन्य गणमान्यजन मौजूद रहे।

ईशा से 900 ईशा पूर्व के विष्णु के वराह अवतार के सिक्के भी मौजूद

नैनीताल। भारतीय स्टेट बैंक में खुली हैरिटेज गैलरी में 1865 में खुले बैंक शाखा में कभी जमा हुए ईशा से 850 से 900 ई पूर्व के भगवान विष्णु के वराह अवतार के चित्र युक्त सिक्कों के चित्रों से लेकर अनेक अन्य अनदेखे सिक्के व दस्तावेज मौजूद हैं। इनमें इस स्थान पर पूर्व में रहे बैंक ऑफ बॉम्बे, फिर बैंक ऑफ बंगाल, फिर बैंक ऑफ मद्रास, फिर अंग्रेजी दौर में रहे इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया एवं मई 1923 में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा की स्थापना से जुड़े विरासत महत्व के दस्तावेज, 3 मई 1923 को इंपीरियल बैंक की जगह भारतीय स्टेट बैंक की स्थापना, 21 मई 1923 को बैंक में मिट्ठन लाल नाम के व्यक्ति के पहले खाते, चंद्रगुप्त द्वितीय, समुद्र गुप्त, मौर्य वंश एवं सुंग वंश के साथ ही मुगल कालीन शासक हुमायूं, शेरशाह सूरी, अकबर व औरंगजेब के दौर के सिक्के एवं इंपीरियल बैंक के चेक तथा ब्रिटिश दौर की भारतीय मुद्रा भी प्रदर्शित की गयी है।

नैनीताल में विरासत महत्व के भवन

18 नवंबर 1841 में बसे नैनीताल के प्रमुख विरासत महत्व के भवनों में नगर का पहला भवन पिलग्रिम हाउस (1841), सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च (1846), मेथोडिस्ट चर्च व सीआरएसटी इंटर कालेज (1858), शेरवुड कालेज (1869), नैनीताल क्लब (1877) का मूल भवन (जो 1977 के अग्निकांड में जल गया), सेंट मेरी कान्वेंट (1878), सेंट जोसफ कालेज (1880), गर्नी हाउस (1881), नयना देवी मंदिर (1883), राजभवन (1897-1899), डीएसबी कालेज का पुराना भवन (1890), ग्रांड होटल (1892), रैमजे अस्पताल (1892), कैपिटॉल सिनेमा (1892), बिड़ला विद्या मंदिर (1885) आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा भी नगर के बीडी पांडे जिला चिकित्सालय, फेयरहैवन्स, वेल्वेडियर व बलरामपुर हाउस, क्लिफटन, ग्रासमेयर, प्रेयरी, न्यू बेरी लॉज, डडली ग्रोव, वुडस्टाक, मुलाक्लो, एवरफायल, माउंट प्लेजेंट, सेंट लू गार्ज, हटन हॉल, आर्ममोर, आर्डवेल, आर्ल्सफोर्ड, ब्रुकहिल, अर्ल्सकोर्ट, चार्लटन लॉज, कोजी विला, क्रेगलैंड, सैंट क्लाउड, डरहम हाउस, डांडा हाउस, दिलकुशा, एजहिल, एल्समेर, फर्न कॉटेज, फेयरी हॉल, ग्लेनथार्न, ग्लेनली, ग्लेनको, हेथार्न विला, हेल्वेलिन, हॉक्सडेल, इंद्रा लॉज, ऐटन हाउस, ऐमिली कॉटेल, जुबली एस्टेट, ज्वाला काटेज, जखवाल सदन, केनिलवर्थ, केंटन लॉज, किलार्नी, लेंगडेल एस्टेट, लंघम हाउस, लौगव्यू, मेनर हाउस, मेट्रोपोल, मेविला, मेलरोज, नारफोक काटेज, नैनी लॉज, ओक रिज काटेज, ओक लॉज, ओल्ड लन्दन हाउस, सेवन ओक्स, प्रायरी, पैरामाउंटसी, प्रिमरोज, कैंट क्विनटिन, रॉक हाउस, रोहिला लॉज, रोजमाउंट, स्प्रिंगफील्ड, स्टेनली हॉल, स्टेफोर्ड हाउस, सिल्वर डेन, स्ट्रॉवरी लॉज, सफौक्र हॉल, सनी बैक, सनी डेन, सुख निवास, टेम्पलटेन हॉल, थेनेट विला, दि हाइव, उषा सदन, वेलहैड, वर्नन काटेज, विजया भवन, वेभरली काटेज, फारेस्ट काटेज, वर्तमान उत्तराखंड हाईकोर्ट, जिला कलक्ट्रेट, कमिश्नरी, लोनिवि व नगर पालिका भवन।

कोई छूट गया हो तो बताएं…..

इन सभी इमारतों को एशियाई विकास बैंक की ‘हैरिटेज पाथ वॉक” योजना से जोड़ने की योजना है।

केएमवीएन मुख्यालय में भीषण अग्निकांड

KMVN Agnikand
29 अक्टूबर 2015 को हुए भीषण अग्निकांड में धू-धू कर जलाता कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय
KMVN Agnikand1
29 अक्टूबर 2015 को हुए भीषण अग्निकांड में धू-धू कर जलाता कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय

-गैस, मार्केटिंग, खनन व कम्प्यूटर रूम आदि युक्त ऊपरी मंजिल पूरी तरह खाक, कर्मचारी निचली मंजिल से आग के बीच घुसकर दस्तावेजों को बाहर लाने में रहे सफल
नैनीताल, 29 अक्टूबर 2015। बृहस्पतिवार सुबह तड़के नैनीताल स्थित कुमाऊं मंडल विकास निगम को अंग्रेजी दौर के बने विरासत महत्व के ओक पार्क स्थित ओक लॉज भवन कहे जाने वाले मुख्यालय में भीषण अग्निकांड हो गया। अग्निकांड में मुख्यालय की दूसरी मंजिल पूरी तरह से खाक हो गई, जबकि निचली मंजिल से हालांकि काफी उपयोगी सामग्री कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर सक्रियता व तेजी बरतते हुए सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन वह भी उपयोगी नहीं बची है। ऊपरी मंजिल में स्थित निगम के सर्वाधिक आय व लाभ प्रदान करने वाली एकमात्र इकाई गैस का पूरा डिवीजन खाक हो गया है, इसी तरह निगम के एमडी, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा कार्मिक अधिकारी आदि के कार्यालय, मार्केटिंग से संबंधित खनन, जड़ी-बूटी, एफएल-2, कंपनी सेक्रेटरी कार्यालय व कम्प्यूटर कक्ष आदि भी पूरी तरह से खाक हो गए हैं।

29 अक्टूबर 2015 को हुए भीषण अग्निकांड के बाद कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय
29 अक्टूबर 2015 को हुए भीषण अग्निकांड के बाद कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय
कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय अग्निकांड से पहले
कुमाऊँ मंडल विकास निगम का मुख्यालय अग्निकांड से पहले

नवंबर 95 से यहां संचालित था निगम मुख्यालय
नैनीताल। 1976 में स्थापित केएमवीएन का मुख्यालय पूर्व में वर्तमान हाईकोर्ट व तत्कालीन सेक्रेटरिएट में संचालित था। बताया जाता है कि उत्तराखंड बनने की संभावनाओं और सेक्रेटरिएट में नए राज्य का सेक्रेटरिएट या हाईकोर्ट संचालित किए जाने की संभावनाओं के बीच इसे वहां से हटाकर राज्य संपत्ति विभाग व लोनिवि की संपत्ति रहे ओक पार्क स्थित ओक लॉज हाउस में नवंबर 1995 से इसे संचालित किया जाने लगा। इधर वर्ष 2010में यह भवन निगम को हस्तांतरित हुआ था। इससे पूर्व 1935 में देश में ब्रिटिश राज में अंतरिम सरकार बनने के दौरान भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत भी इस घर में रहे थे।

सूखाताल टीआरएच से चलेगा निगम मुख्यालय
नैनीताल। ओक पार्क स्थित कार्यालय बृहस्पतिवार सुबह अग्निकांड में खाक होने के बाद इसके प्रतिस्थापन का खाका भी खींच लिया गया है। निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गब्र्याल ने कहा कि शीघ्र ही मुख्यालय को सूखाताल स्थित पर्यटक आवास गृह से संचालित किया जाएगा। यहां हाल में डांडी हाउस के टूटने के बाद से संचालित हो रहे केंद्रीय रिजर्वेशन सेंटर के साथ ही निचले तल में मुख्यालय के अलग-अलग खंड चलाए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर केवर्न रेस्टारेंट के कुछ हिस्से का उपयोग भी किया जा सकता है। इसके अलावा वर्तमान मुख्यालय को फिर से पुराने स्वरूप में ही पुर्नस्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यालय स्थानांतरित होने से निगम अपने दायित्वों पर प्रभाव नहीं पड़ने देगा, ऐसी कोशिश की जाएगी। कर्मचारियों के सर्विस बुक तरह के प्रपत्र कमोबेश सुरक्षित हैं, इसलिए उन्हें भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। अलबत्ता, उनकी एक वर्ष के भीतर निगम के सभी टीआरएच को आधुनिक करने की मुहिम पर हल्का प्रभाव पड़ सकता है।

कागजों पर गायब हुआ केएमवीएन, धरातल पर हुआ चालू
नैनीताल। बृहस्पतिवार को भीषण अग्निकांड में कुमाऊं मंडल विकास निगम का मुख्यालय बुरी तरह से क्षतिग्रस्त ही नहीं हुआ, वरन कागजों पर निगम का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। जी हां, इस दुर्घटना में 1976 में स्थापित निगम के कंपनी रजिस्ट्रार से रजिस्ट्रेशन के उपरांत प्राप्त सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं निगम को एक प्रतिष्ठान-कंपनी के रूप में मान्यता देने वाला फ्रेम कर संभाला गया इनकॉर्पोरेशन प्रमाण पत्र तथा 1976 से अब तक कंपनी एक्ट के तहत बेहद जरूरी वर्ष में चार बार होने वाली बोर्ड बैठकों के ‘मिनट्स” भी जलकर खाक हो गए हैं। कंपनी सचिव अनिल आर्य ने शुक्रवार को इसकी जानकारी निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल को देकर पुलिस में इसकी एफआईआर करा दी है। उनका कहना था कि इन प्रपत्रों की अनुपस्थिति में निगम कागजों में एक कंपनी के रूप में नहीं रह गया है। हालांकि उन्होंने बताया कि इसकी फोटो स्टेट कॉपी ढूंढ ली गई है, जिसके जरिए इसकी दूसरी कॉपी हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। इसी तरह अन्य अनेकों दस्तावेज भी आग की भेंट चढ़ गए हैं।

अग्निकांडों में खाक हुए हैं नैनीताल के अनेक विरासत महत्व के भवन

नवीन जोशी, नैनीताल। इसे दुर्याेग कहें या कुछ और, नैनीताल के ऐतिहासिक भवनों और आग का मानो चोली दामन का साथ है। नगर में हालिया दौर में 5 अक्टूबर 2010 को जिला कलक्ट्रेट व 2 अप्रेल 2013 को नैनीताल राजभवन, 14 सितंबर 2013 (शनिवार) को नयना देवी मंदिर के पास सेवा समिति के गोवर्धन संकीर्तन हांल एवं 26 अक्टूबर 2013  (शनिवार) की मध्य रात्रि नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपए की ‘शत्रु संपत्ति”-मेट्रोपोल होटल का बइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा पूरी तरह खाक हो गया था। इसके अलावा भी नगर में अग्नि की दुर्घटनाएं होती रही हैं। 1960 के दशक में जिम कार्बेट का कैलाश व्यू (हाडी-भांडी), शेरवुड के निकट क्लिफ्टन, 70 के दशक में तत्कालीन सेक्रेटरिएट (वर्तमान हाईकोर्ट), 27 नवंबर 1977 (रविवार)को नैनीताल क्लब, 1992 में डीएसबी परिसर का भौतिक विज्ञान विभाग, 2003 में राजभवन के एक हिस्से, इसके अलावा अयारपाटा का प्रायरी लॉज, हटन कटेज व वियना लॉज (धामपुर हाउस) में भी भीषण अगिकांड हुए हैं।
मंगलवार को अग्निकांडों का भी है अजब दुर्योग
नैनीताल। हालांकि केएमवीएन मुख्यालय में हुई अग्निकांड की घटना बृहस्पतिवार सुबह हुई है, लेकिन नैनीताल में होने वाले अग्निकांडों के साथ यह अजब दुर्योग भी जुड़ा है कि यहां आग की अमंगलकारी घटनाएं अक्सर मंगलवार को होती हैं। उस मंगलवार को, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से पंचतत्वों में अग्नि से जोड़ा जाता है। नैनीताल नगर का नाम ‘न” वर्ण से शुरू होने के नाते इस नगर की राशि बृश्चिक है, जिसका स्वामी मंगल होता है। मंगल गृह को लाल गृह, भूमि पुत्र व अंगारक भी कहा जाता है, लिहाजा मंगल का अगि से सीधा संबंध बताया जाता है। नैनीताल में मंगल और आग के बीच का यह संबंध अनेक एतिहासिक भवनों में हुए भीषण अगिकांडों के रूप में दिखाई देता है। 5 अक्टूबर 2010 जिला कलक्ट्रेट को भीषण अगिकांड का शिकार होना पड़ा था, उस दिन भी मंगल ही था। वहीं नैनीताल राजभवन में 2 अप्रेल 2013 का अग्निकांड भी मंगलवार को ही हुआ था।

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मंगलवार को होने वाले अधिकांश अग्निकांडों में खाक हुए हैं नैनीताल के कई विरासत महत्व के भवन

मंगलवार को होने वाले अधिकांश अग्निकांडों में खाक हुए हैं कई विरासत महत्व के भवन

नैनीताल। इसे दुर्योग कहें या कुछ और, नैनीताल के ऐतिहासिक भवनों और आग का मानो चोली दामन का साथ है, वहीं यह भी अजब संयोग है कि यहां आग की अमंगलकारी घटनाएं अक्सर मंगलवार को होती हैं। उस मंगलवार को, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से पंचतत्वों में अग्नि से जोड़ा जाता है। नैनीताल नगर का नाम ‘न” वर्ण से शुरू होने के नाते इस नगर की राशि बृश्चिक है, जिसका स्वामी मंगल होता है। मंगल ग्रह को लाल ग्रह, भूमि पुत्र व अंगारक भी कहा जाता है, लिहाजा मंगल का अग्नि से सीधा संबंध बताया जाता है। नैनीताल में मंगल और आग के बीच का यह संबंध अनेक एतिहासिक भवनों में हुए भीषण अग्निकांडों के रूप में दिखाई देता है। नैनीताल जिला कलक्ट्रेट 5 अक्टूबर 2010 एवं राजभवन में 2 अप्रेल 2013 के अग्निकांड मंगलवार को ही हुए थे। गौरतलब है कि मंगल को लाल ग्रह भी कहा जाता है, तथा अग्नि से उसका सीधा संबंध बताया जाता है। 5 अक्टूबर 2010 जिला कलक्ट्रेट को भीषण अग्निकांड का शिकार होना पड़ा था, उस दिन भी मंगल ही था।
इसके अलावा भी नगर में अग्नि दुर्घटनाएं होती रहती हैं। 1960 के दशक में जिम कार्बेट का कैलाश व्यू (हाडी-भांडी), शेरवुड के निकट क्लिफ्टन, 70 के दशक में तत्कालीन सेक्रेटरिएट (वर्तमान हाईकोर्ट), 27 नवंबर 1977 को नैनीताल क्लब, 1992 में डीएसबी परिसर का भौतिक विज्ञान विभाग, 2003 में राजभवन के एक हिस्से, 14 सितंबर 2013 को नयना देवी मंदिर के पास गोवर्धन संकीर्तन हॉल एवं 26 अक्टूबर 2013 की मध्य रात्रि नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपए की ‘शत्रु संपत्ति”-मेट्रोपोल होटल का बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा पूरी तरह खाक हो गया था। इसके अलावा अयारपाटा का प्रायरी लॉज, हटन कॉटेज व वियना लॉज (धामपुर हाउस) में भी भीषण अग्निकांड हुए। 

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