उप्र में गोमाता को कटने नहीं देंगे : योगी आदित्यनाथ
नवीन समाचार, लखनऊ, 24 फरवरी 2022। उत्तर प्रदेश में चार चरणों का चुनाव सम्पन्न होने के बाद मुख्यमंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे लिए मतदाता एकजुट हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे प्रदेश में ‘गोमाता’ को कटने नहीं देंगे। न तो अवैध बूचड़खानों को चलने देंगे।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने चुनावी व्यस्तता के बीच ‘हिन्दुस्थान समाचार’ समाचार एजेंसी के साथ कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। ‘छुट्टा जानवरों (अन्ना पुश) से जुड़े एक सवाल पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम अन्नदाताओं की फसलों को नष्ट नहीं होने देंगे। इसके लिए भाजपा सरकार ने काफी काम किया है। हमारे पास कुछ अच्छे मॉडल्स भी हैं। हम उन्हें जल्द ही लागू करने जा रहे हैं। 10 मार्च के बाद इस दिशा में कार्य प्रारंभ होगा, जिनमें एक कार्य बड़े-बड़े गोशालाओं के निर्माण का भी है।
चौथे चरण का चुनाव संपन्न होने के बाद योगी आश्वस्त दिखे। इससे जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। मुझे विश्वास है कि जनता हमारे कार्यों का मूल्यांकन करेगी और फिर से भाजपा को प्रचंड बहुमत देगी। इसमें कोई संदेह नहीं है।’ आगे उन्होंने कहा कि जनता सपा, बसपा और कांग्रेस के कारनामों को जानती है। उन्हें इस चुनाव में भी सबक सिखाएगी।
चुनावी आरोप-प्रत्यारोप के बीच बसपा के प्रति नरमी बरतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट कर दूं कि दोनों पार्टियां समान रूप से दोषी रही हैं। भाजपा सरकार से ठीक पहले का कार्यकाल सपा का रहा है। सपा सरकार में प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने सबसे ‘निकम्मा’ मुख्यमंत्री (अखिलेश) घोषित किया था।
अपने पांच साल के अनुभव को साझा करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हमने कठिन कुछ भी नहीं माना। जब भी चुनौती सामने होती है तो कार्य करने का एक अवसर भी मिलता है। जब हमलोगों ने उप्र में शासन की बागडोर संभाली थी तो प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी खराब थी। हर तीसरे दिन कहीं न कहीं ‘दंगा’ होता था। हमारी सरकार ने ‘सबको सुरक्षा, सबको सम्मान’ देने का काम किया। आज उप्र की कानून-व्यवस्था देश के लिए नजीर बनी है। बीते पांच सालों के दौरान हमने प्रदेश की छवि को बदलने में सफलता पाई है। हिजाब विवाद पर आदित्यनाथ ने कहा कि हमारा यह विश्वास है कि देश की व्यवस्था संविधान से चलेगी, शरीयत से नहीं। यदि संस्था में कोई ड्रेस-कोड है तो उसे लागू होना चाहिए। हां, व्यक्तिगत रूप से या निजी कार्यों में कौन व्यक्ति क्या पहनता है, यह उसका निजी अधिकार है।
उत्तर प्रदेश चुनाव के चौथे चरण के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
सवाल: अत्यधिक व्यस्त कार्यक्रमों के बीच आपने हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी को समय दिया, इसके लिए आपका धन्यवाद। समय प्राप्त करने के दौरान कई बार यह अनुभव आया कि आपके चुनावी कार्यक्रम आठों पहर लगे हुये हैं। इतनी व्यस्तता के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। आखिर यह कैसे संभव हो पता है?
जवाब: देखिए, सकारात्मक भाव से ऊर्जा आती है। मैं समझता हूं कि पहला कारण तो यही है। दूसरा ‘अध्यात्म’ हमसब की पूंजी है। ऐसा व्यक्ति जो प्रत्येक दिन योग से जुड़ी क्रियाएं करता है और उसका निरंतर अभ्यास करता है तो उसके भीतर ऊर्जा का संचार होता रहता है और शक्ति मिलती है। यही कारण है कि हमलोग लगातार कार्य कर पाने में सफल होते हैं। सकारात्मक भाव रखने और नियमित रूप से योग क्रियाएं करने से व्यक्ति हमेशा तरोताजा रहेगा। हमारी दिनचर्या की निधि सकारात्मक भाव और अध्यात्म है। इससे हमें 24 घंटे काम करने की प्रेरणा मिलती है।
सवाल: चार चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है। आपका अनुमान क्या है?
जवाब: मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाएगी। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
सवाल: इस बार भाजपा को कितनी सीटें मिलने का अनुमान है?
जवाब: यह पहला चुनाव होगा, जिसमें परिवारवादी, दंगावादी और माफियावादियों की जमानत जब्त होगी। कुल 80 फीसदी सीटों पर भाजपा का कब्जा होगा। तीन सौ से ज्यादा सीटें भाजपा गठबंधन को मिलने जा रही हैं।
सवाल: चुनाव प्रचार क दौरान भाजपा जातिवाद और परिवारवाद पर लगातार तीखा हमला कर रही है। आपकी सरकार पर भी जातिवाद के आरोप लगे। इसपर आप क्या कहेंगे?
जवाबः महाकवि तुलसीदास ने एक सुंदर पंक्ति लिखी है- ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।’ हम राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो विरोधी लोग जातिवाद की बात करते हैं। हमलोग विकास की बात करते हैं तो वे वर्गवाद की बात करने लगते हैं। हमलोग गरीब कल्याण की बात करते हैं तो वे आतंकवाद का समर्थन करते हैं। इससे फर्क साफ हो जाता है। उनके पास विकास का कोई एजेंडा नहीं है। वे परिवारवादी और अपनी सोच से दंगावादी हैं। उनकी कार्यपद्धति आतंकी गतिविधियों को प्रश्रय देने वाली है। प्रदेश की जनता भुक्तभोगी रही है। वह उनके ऊपर विश्वास नहीं करेगी।
सवाल: चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के निशाने पर सबसे अधिक समाजवादी पार्टी और पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार का कामकाज है, जबकि बसपा के प्रति थोड़ी नरमी दिखाई दे रही है। ऐसा क्यों?
जवाब: यह स्पष्ट कर दूं कि दोनों पार्टियां समान रूप से दोषी रही हैं। भाजपा सरकार से ठीक पहले का कार्यकाल समाजवादी पार्टी का रहा है। समाजवादी पार्टी की सरकार में राज्य के मुख्यमंत्री को एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने प्रदेश का सबसे निकम्मा मुख्यमंत्री घोषित किया था। उन दिनों प्रदेश में कुशासन था। अराजकता थी और अव्यवस्था थी। इन सबसे लोगों को राहत देने में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार ने जो काम किया है, वह श्रेष्ठ है। पूरी बेशर्मी के साथ सपा ने आतंकवाद और माफिया का महिमामंडन किया। गरीब कल्याणकारी योजनाओं में सेंध लगाई, इसलिए चुनाव अभियान के दौरान वे ज्यादा फोकस हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त कोई विशेष बात नहीं है।
सवाल: विपक्षी पार्टियों का दावा है कि भाजपा को हिन्दू की तुलना में मुस्लिम मतदाता कम पसंद करते हैं। इसका क्या कारण है?
जवाब: हमारे लिए हर मतदाता एकजुट है।
सवाल- इस चुनाव में बुलडोजर की काफी चर्चा है। माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश के अभियान को खूब सराहा जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक चर्चा है कि 10 मार्च के बाद आप ‘डायल बुलडोजर’ का शुभारंभ करेंगे। इसमें कितनी सच्चाई है?
जवाबः उत्तर प्रदेश का बुलडोजर विकास और सुशासन का आधार है। एक तरफ बुलडोजर एक्सप्रेस-वे और आधारभूत संरचनाओं को तैयार कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ माफिया की अवैध कमाई पर भी यह चलता है। माफिया की अनैतिक कमाई को जब्त कर यह गरीब कल्याणकारी योजनाओं को हर गरीब तक पहुंचाने का भी काम करता है। इसलिए विपक्ष बुलडोजर को मुद्दा बनाना चाहता था। इसपर हमने कहा- यह मुद्दा सकारात्मक है। मुझे प्रसन्नता है कि विपक्ष ने इसको मुद्दा बनाया। हमने इसको हाथों-हाथ लेकर कहा कि ठीक है- बुलडोजर, इंफ्रास्ट्रक्चर को भी डेवलप करेगा। माफिया की अवैध कमाई को भी जब्त करेगा।
सवाल: यह बताएं कि 80 बनाम 100, या फिर 90 बनाम 100 का मतलब क्या है?
जवाब: सीधी सी बात है- 80 बनाम 20 की पूरी लड़ाई है। 80 फीसदी सीटें भाजपा जीतेगी, जबकि 20 फीसदी सीटों का बंटवारा सपा-बसपा एवं कांग्रेस में होगा। यही 2017 में भी हुआ था। 2019 में भी हुआ है और 2022 में भी होगा।
सवाल: यदि ऐसा होता है तो आपकी अगली सरकार का विकास मॉडल क्या होगा?
जवाब: हमारे विकास का मॉडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से ‘राष्ट्रवाद, विकास और सुशासन’ है। एक बार फिर इन तीनों को साथ लेकर चलेंगे। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए हर नौजवान के हाथ में काम देना, प्रत्येक किसानों के जीवन में खुशहाली लाना, महिलाओं को स्वावलंबी बनाना, सभी नागरिकों को सुरक्षित माहौल देते हुए उनके सम्मान की रक्षा करना हमारा लक्ष्य है। सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ आजीविका की गारंटी देना हमारी सरकार का प्राथमिक लक्ष्य रहा है। उत्तर प्रदेश को अगले पांच वर्षों में एक मिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की दिशा में अग्रसर करना है। इसके लिए एक निश्चित और दूरगामी कार्य योजना के साथ हम आगे कदम बढ़ रहे हैं।
सवाल: आबादी और भू-भाग के लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी बड़ा राज्य है। यह बताएं कि बीते पांच सालों में आपके लिए सबसे कठिन या चुनौतीपूर्ण कार्य क्या था?
जवाब: आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि हमने कठिन कुछ भी नहीं माना। जब भी चुनौती सामने होती है तो कार्य करने का एक अवसर भी मिलता है। जब हमलोगों ने उप्र में शासन की बागडोर संभाली थी तो प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी खराब थी। हर तीसरे दिन प्रदेश में कहीं न कहीं एक दंगा होता था। अपहरण, लूट-पाट, दूराचार, हत्या, भ्रष्टाचार जैसी घटनाओं ने संस्थागत रूप ले लिया था। हमने सबसे पहले कानून-व्यवस्था बेहतर की। ‘सबको सुरक्षा, सबको सम्मान’ दिया। तुष्टीकरण नहीं किया। चेहरा या जति-धर्म को देखकर नहीं, बल्कि ‘सबका साथ-सबका विकास’ करने का भाव प्रारम्भ किया। आज जब हमारा पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है, तो इस बात को बोल सकते हैं कि बीते पांच सालों में कोई दंगा नहीं हुआ। प्रदेश की कानून-व्यवस्था देश के लिए नजीर बनी है। हमें प्रदेश की छवि को बदलने में सफलता पायी है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है। निश्चय ही आने वाले समय में उत्तर प्रदेश नंबर-1 की अर्थव्यवस्था बनेगी।
सवाल: आपने ‘पुरोहित कल्याण बोर्ड’ के गठन की बात की है। यह आपकी इच्छा है या लोगों की मांग?
जवाब: कमोवेश यूपी के हर जिले के प्रत्येक गांव में एक मंदिर है। दूसरी बात यह कि कर्मकांड के साथ जुड़ाव रखने वाला एक बड़ा वर्ग है, जो लोगों की आस्था को संबल प्रदान करता है। इसके पीछे का भाव यह है कि भारत की सनातन धर्म की आत्मा, कर्मकांड के साथ-साथ मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर बसती है। उनके कल्याण के लिए कोई विशेष योजना आज तक नहीं बन पाई थी, इसलिए सरकार ने तय किया है कि हम एक ‘पुरोहित कल्याण बोर्ड’ बनाएंगे। पुरोहित कल्याण बोर्ड के माध्यम से ‘समग्र विकास’ और एक समावेशी विकास को ध्यान में रखकर उनके लिए एक योजना लेकर आएंगे। इसके साथ-साथ संस्कृत के अध्ययन और अध्यापन को भी प्रोत्साहित करेंगे।
सवाल: पिछले दिनों हिजाब का मुद्दा बहुत तेजी से उठा है। कर्नाटक में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या तक हो गयी। इस मुद्दे पर आप क्या सोचते हैं?
जवाब : हमारा यह विश्वास है कि देश की व्यवस्था संविधान से चलेगी, शरीयत से नहीं। दूसरी बात यह कि प्रत्येक संस्था का अपना अनुशासन होना चाहिए। यदि संस्था में कोई ड्रेस-कोड है तो उसे लागू होना चाहिए। व्यक्तिगत रूप से या निजी कार्यों में कौन व्यक्ति क्या पहनता है, यह उनका निजी अधिकार है।
सवाल: प्रधानमंत्री मोदी चुनाव के दौरान लोगों से एक नारा लगवा रहे हैं- ‘यूपी प्लस योगी= उपयोगी’ तो आप इसका क्या अर्थ निकालते हैं?
जवाब : बीते पांच सालों में उप्र में जो काम हुआ है, वह सब प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और उनकी प्रेरणा से ही संभव हो पाया है। उत्तर प्रदेश को लेकर प्रधानमंत्री का जो विकास मॉडल है, उसे प्रदेश की जनता ने 2014, 2017 और 2019 में स्वीकारा है। निश्चित रूप से 2022 में भी जनता इसे स्वीकार करेगी। मेरा यह मानना है प्रधानमंत्री मोदी के प्रति जनता जनार्दन का जो अपार स्नेह, समर्थन और विश्वास है, वही भाजपा की सबसे बड़ी पूंजी है। वे जब कोई नारा देते हैं तो आम नागरिक के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को भी गर्व की अनुभूति होती है।
सवाल: काशी,अयोध्या और विंध्याचल धाम के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर क्या कोई योजना है?
जवाब: मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, गोवर्धन इन सभी तीर्थ स्थलों पर विकास के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इन क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ की ओर से हमारा कार्य पिछले चार वर्षों से प्रारंभ हो चुका है।
सवाल: वर्ष 2017 के पहले वाले उत्तर प्रदेश और 2017 के बाद वाले उत्तर प्रदेश में आप क्या अंतर देख रहे हैं?
जवाब: पहले की योजनाओं का आधार जाति और मजहब हुआ करता था। ईद और मोहर्रम पर बिजली मिलती थी। होली, दीपावली पर बिजली गायब हो जाती थी। अब सबको बिना किसी भेदभाव के बिजली मिल रही है। भाजपा योजनाओं का लाभ पहुंचाने में भेदभाव नहीं करती। भाजपा सरकार में उप्र के सभी क्षेत्रों में चतुर्दिक विकास हुआ है। मैंने सिर्फ उदाहरण के तौर पर यह बात रखी है।
सवाल: उत्तर प्रदेश में छुट्टा जानवर (अन्ना पशु) की भारी समस्या है। स्वयं प्रधानमंत्री ने अपनी जनसभा में इस बात को स्वीकार करते हुए समाधान निकालने की बात कही है। यदि दोबारा आपकी सरकार आती है तो समाधान के तौर पर आपने क्या सोचा है?
जवाब: हमारा स्पष्ट कहना है कि ‘गोमाता’ को कटने नहीं देंगे। अवैध बूचड़खाना चलने नहीं देंगे। साथ ही अन्नदाताओं के फसलों को भी नष्ट नहीं होने देंगे। इसके लिए हमारी सरकार ने काम किया है। आने वाले समय में हमारे पास कुछ अच्छे मॉडल हैं, हम उन्हें लागू करने जा रहे हैं। हमारी सरकार 10 मार्च के बाद इस दिशा में कार्य करेगी। उनमें एक कार्य बड़े-बड़े गोशालाओं के निर्माण का भी है।
सवाल: युवाओं को लेकर आपके पास क्या योजना है?
जवाब: हमने पिछली सरकार में पांच लाख युवाओं को पारदर्शी पूर्ण तरीके से नौकरी दी है। अगली सरकार में हर परिवार के एक युवक को नौकरी और रोजगार दिए जाएंगे। दो करोड़ नौजवानों के लिए टेबलेट और स्मार्ट फोन भी सरकार बनने पर दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, बल्कि मेधावी छात्राओं को स्कूटी दी जाएगी। इसके साथ ही प्रतियोगी छात्रों के लिए प्रत्येक जिले में नि:शुल्क अभ्युदय कोंचिग की सुविधा मिलेगी। (हिन्दुस्थान समाचार) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-’इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर’ व ‘कॉम्पिटीटिव एग्जामिनेशन सेंटर’ के बाद अब ‘कार्पोरेट रिसोर्स सेंटर’ के गठन की योजना
-नैक के मूल्यांकन में कुमाऊंँ विश्वविद्यालय को ए-प्लस ग्रेड व राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क में शीर्ष स्थान दिलवाना प्राथमिकता
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जुलाई 2021। आज जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है और लंबे समय से पूरी तरह से एक तरह ‘लॉकडाउन’ की स्थिति में हैं। ऐसे कठिन दौर में भी कुमाऊं विश्वविद्यालय सोशल मीडिया, गूगल क्लासरूम एवं वेबसाइट आदि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जनिए देश के भविष्य को तैयार करने के लिए शिक्षण एवं शोध के साथ ही युवाओं को उनके भविष्य के लिए दिशा देने के लिए काउंसलिंग के कार्य अपने कार्य में जुटा रहा है। विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों एवं अधिकारियों ने कुलपति प्रो. एनके जोशी के दिशानिर्देशन में इस प्रक्रिया को मूर्त रूप देने में अहम भूमिका निभाई है। लॉकडाउन के दौरान छात्रों एवं शिक्षक को शिक्षा के आदान-प्रदान में कोई दिक्कत न हो इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये।
इन सफल प्रयासों के पीछे रहे कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी से हमने इन्हीं विषयों, विश्वविद्यालय में उपलब्ध पाठ्यक्रमों, नई योजनाओं और विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं, कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई और विश्वविद्यालय के विस्तार की योजनाओं पर एक्सक्लुसिव बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रश्नः आपको कोरोना काल शुरू होने के कठिन समय में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति पद का कार्यभार संभालने का आदेश मिला। कोरोना काल में विश्वविद्यालय की शिक्षण व्यवस्था को पटरी पर लाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी, इसको आपने कैसे संभाला ?
उत्तर: मुझे पहले लॉकडाउन के तुरंत बाद ही कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार संभालने का आदेश प्राप्त हुआ। मैंने तुरंत ही विश्वविद्यालय की स्थिति का आंकलन करके वरिष्ठ अधिकारियों व प्राध्यापकों की टीमों का गठन किया एवं शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों को ऑनलाइन माध्यमों से कराने की योजना बनाई। कोरोना काल में विश्वविद्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी विद्यार्थियों की शिक्षा में बाधा न आने देना, साथ ही उसके बाद परीक्षाओं को सही से सम्पादित करना। इसके लिए हमने तुरंत प्रभाव से आनलाइन माध्यमों के द्वारा छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा करवाया एवं परीक्षाओं को भारत सरकार की कोविड गाइडलाइन्स के अनुरूप सही से सम्पादित करवाने हेतु विशेष टीम का गठन किया। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा इस अंतराल में 100 के करीब ऑनलाइन व्याख्यान एवं वेबिनार भी आयोजित किए गए। लॉकडाउन के दौरान हमारे प्राध्यापकों ने 100 से अधिक विविध विषयों पर लघु कौशल विकास पाठ्यक्रम तैयार करने जैसे बहुत शानदार काम किये हैं, जो बड़ी उपलब्धि है।
प्रश्न: विश्वविद्यालय को सफलता के सोपान की ओर अग्रसर करने हेतु आपकी स्ट्रेटजी या क्लियर कट विजन क्या है?
उत्तर: मेरा एक सूत्रीय एजेंडा विश्वविद्यालय को ‘अपस्केल’ करना है। यह दौर ‘ह्यूमन पोटेंशियल मैनेजमेंट’ का है। उसी को लागू करना है। इसके लिए कुलपति हो या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, सभी को दायित्वों का निर्वहन करना होगा। विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को बेहतर करते हुए पूर्णतः कंप्यूटरीकृत करना है ताकि पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के साथ कार्यों का क्रियान्वयन हो। मेरा मानना है कि उच्च शिक्षा के लिए देश में संसाधनों की उतनी कमी नहीं है जितनी की अच्छे प्रबंधन की है। अनुभव बताता है कि महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के पास संसाधन होने पर भी अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त हुये हैं। अतः सुधार हेतु अच्छे प्रबंधन पर जोर देना आवश्यक है।
प्रश्न: विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए आपकी क्या कार्य योजना है ?
उत्तर: किसी भी शैक्षणिक संस्थान के विद्यार्थियों की सफलता ही उसकी प्रगति का पैमाना होती है। कुमाऊंँ विश्वविद्यालय का नाम देश-विदेश में जाना जाए, इसके लिए शैक्षणिक गुणवत्ता के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। शीघ्र ही फैकेल्टी को अपग्रेड किया जाएगा,। छात्र अनुभव को बेहतर करेंगे, विद्यार्थियों को आधुनिक व पारंपरिक दोनों प्रकार से शिक्षण व प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। शोध और प्रकाशन कार्यों के साथ ही ‘मॉड्यूल डेवलपमेंट’ पर जोर दिया जाएगा। ऑनलाइन कक्षाओं को आकर्षक और रोचक बनाजा जाएगा। उद्योगों की जरूरतों को देखते हुए पाठ्यक्रम इस तरह तैयार किए जायेंगे कि विद्यार्थी रोजगार लेने वाले ही नहीं देने वाले भी बन सकेंगे। साथ ही इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से पाठ्यक्रमों के स्वरूप में नियमित तौर पर बदलाव भी होता रहेगा, ताकि विद्यार्थियों की दक्षता बरकरार रहे। पाठ्यक्रम को रुचिकर भी बनाया जाएगा।
प्रश्न: विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए विश्वविद्यालय ने क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर: देशभर में कौशल विकास व उद्यमशीलता विकास की दिशा में चल रही पहल से कुमाऊंँ विश्वविद्यालय खुद को जोड़ने में सफल रहा है। कुमाऊंँ विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी उद्यमशील व व्यवसायी बनें, इसके लिए विश्वविद्यालय में ’इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर’ को स्थापित कर विद्यार्थियों को स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स बनाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है साथ ही ‘कॉम्पिटीटिव एग्जामिनेशन सेंटर’ के माध्यम से यूपीएससी, यूकेपीएससी, नेट, बैंकिंग, सीडीएस आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में विस्तृत जानकारी और संबंधित पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। शीघ्र ही ‘कार्पोरेट रिसोर्स सेंटर’ के गठन की भी योजना है जिससे इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम तैयार कर विद्यार्थियों को अधिक से अधिक प्लेसमेंट प्रदान किया जा सके। इसके अलावा विश्वविद्यालय ने कौशल विकास, उद्यमिता विकास व शोध की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं।
प्रश्न: विगत एक वर्ष में कुविवि का समाज के लिए क्या योगदान रहा है ?
उत्तर: कुमाऊं विश्वविद्यालय अपना सामाजिक दायित्व बखूबी समझता है। विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन में भी पर्यावरण जागरूकता, स्वच्छ परिसर-हरित परिसर, फिट इंडिया साइकिलिंग कम्पेनिंग, थ्रो आउट कोरोना एवं दस दिवसीय योग जागरण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया। प्राध्यापकों द्वारा लघु कौशल विकास पाठ्यक्रमों के माध्यम से लोगों का ऑनलाइन मार्गदर्शन कर स्वरोजगार हेतु प्रेरित किया गया।
प्रश्न: ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के सर्वे में विश्वविद्यालय का 27वां स्थान, ‘क्यूएस एशिया रैंकिंग’ में 551 से 600 के बीच स्थान तथा फार्मेसी विभाग को एनआईआरएफ में 75वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस रैंकिंग को और बेहतर करने की कोई योजना है ?
उत्तर: विश्वविद्यालय की रैंकिंग तय करने के कई मानक ‘स्टैंडर्ड’ है। इसमें संकायों की संख्या, प्रकाशनों की संख्या, उद्धरण, अनुसंधान निधि, अनुसंधान संकाय, अनुसंधान केंद्र, अंतराष्ट्रीय संस्थाओं से संबंध एवं सहयोग इत्यादि के बारे में जानकारी शामिल है। हम फिलहाल सभी को ध्यान में रखते हुए सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रश्न: नई शिक्षा नीति युवाओं के लिए किस तरह फायदेमंद होगी ?
उत्तर: नई शिक्षा नीति में स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ वोकेशनल ट्रेनिंग और ‘एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज’ को भी अहमियत दी जाएगी, जिससे छात्रों के पूर्ण विकास में मदद मिलेगी और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं। उच्च शिक्षा में विद्यार्थी को विषयों के चयन की छूट और ‘मल्टीपल एग्जिट सिस्टम’ विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगा। ‘प्रेक्टिकल एप्लीकेशंस ऑफ नॉलेज’ और ‘वर्कशॉप ट्रेनिग’ विद्यार्थियों के कौशल विकास में सहायक सिद्ध होगी।
प्रश्न: भविष्य में विश्वविद्यालय के लिए आपका क्या विजन हैं?
उत्तर: नैक के मूल्यांकन में कुमाऊंँ विश्वविद्यालय को ए-प्लस ग्रेड एवं राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में शीर्ष स्थान दिलवाने के साथ ही विश्वविद्यालय शोध, शिक्षण, प्रशिक्षण व संस्कृति के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई उंचाइयों को छुए यह मेरी पहली प्राथमिकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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नवीन समाचार, नैनीताल,4 जनवरी 2021। नैनीताल के छोटे से गांव भूमियाधार में एक मध्यम वर्गीय परिवार के श्री आनंद सिंह बिष्ट व श्रीमती शारदा बिष्ट के घर में जन्मे नवल सिंह बिष्ट ने औसत दर्जे के छात्र होने के बावजूद वर्ष 2019 की पीसीएस-जे की परीक्षा पास की और बन गये हैं युवाओं के प्रेरणास्रोत सिविल जज नवल सिंह बिष्ट। नवल अपनी दो बहनों रंजीता व दीपिका में सबसे छोटे हैं। नवल के पिताजी गांव में ही एक दुकान चलाते हैं, जबकि माता गृहणी हैं। हिंदी माध्यम के छात्र रहे नवल ने प्रारम्भिक व माध्यमिक शिक्षा भवाली में ग्रहण की। उसके पश्चात डीएसबी कॉलेज से बीए में स्नातक किया तथा एसएसजे परिसर अल्मोड़ा से एल.एल बी. किया। श्री नवल सिंह बिष्ट से ख़ास बातचीत की हमारे संवाददाता मो. खुर्शीद हुसैन (आज़ाद ) ने :-
आज़ाद सवाल (01) :- क्या बचपन से ही आपका जज बनने का सपना था?
जवाब सिविल जज :- जी, बिल्कुल बचपन से ही सपना था लेकिन हाँ वकालत की पढ़ाई के बाद ज्युडिशियल परीक्षा पास करना तो लक्ष्य ही बन गया…
आज़ाद सवाल (02) :- तो किस तरह से आपने ज्यूडिशियल परीक्षा की तैयारी की और क्या – क्या मुश्किलें आपके सामने आयीं?
जवाब सिविल जज :- जैसा कि मेरी हिंदी माध्यम में ही शिक्षा – दीक्षा हुई, इस कारण इंग्लिश लॉ बुक्स पढ़ने में समझने में बहुत ज़्यादा परेशानियों का सामना किया, दिल्ली जाने के पश्चात् ही मैंने राहुल्स आईएएस में जाकर इंग्लिश माध्यम से लॉ को पढ़ा, जिसमें राहुल सर और राहुल्स की टीम ने मुझे तराशा और लंबे समय तक पूरे-पूरे दिन, बिना रुके-बिना थके, कड़ी मेहनत मेहनत की। परिणाम आप सबके सामने है…
आज़ाद सवाल (03) :- एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिये दिल्ली में कोचिंग लेना आसान नहीं होता, आपने किस तरह मैनेज किया?
जवाब सिविल जज :- जी, एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिये कोचिंग लेना बजट से बाहर हो जाता है, लेकिन जब इरादे बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान होने लगती है, यही मेरे भी साथ हुआ, यार – दोस्त परिवार सबने मिलकर मेरा सहयोग किया…
आज़ाद सवाल (04) :- तो क्या न्यायिक परीक्षा पास करने के लिये सिर्फ़ कोचिंग ही पर्याप्त होती है?
जवाब सिविल जज :- नहीं, केवल कोचिंग के सहारे तो नहीं कहा जा सकता, मुझे यहाँ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट नैनीताल में प्रैक्टिस करने का बड़ा लाभ परीक्षा में मिला…थ्यौरी के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज बहुत मायने रखती है…
आज़ाद सवाल (05):- अपनी सफ़लता का श्रेय किसे देना चाहते हैं?
जवाब सिविल जज :- अपनी सफ़लता का श्रेय सबसे पहले मेरे माता – पिता, राहुल्स कोचिंग सेंटर दिल्ली के राहुल सर को जिन्होंने हर क़दम मेरा हौसला बढ़ाया उनके साथ ही नैनीताल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ता पंकज बिष्ट, भरत भट्ट, अखिलेश साह, बलवंत सिंह भौर्याल, पंकज चौहान, राजेश रौतेला, सिद्धार्थ सिंह के साथ कई अन्य अधिवक्ता मित्रों ने मेरा साथ दिया, जिसके लिये मैं उन सबका शुक्रगुज़ार हूं…
आज़ाद सवाल (06):- न्यायिक परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब सिविल जज:- संदेश यही है कि कभी भी किसी भी प्रकार की असफ़लता से न डरें, निराश न हों, गिरें, फिर उठें और एक नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें, कामयाबी आपको ज़रूर मिलेगी, मेहनत करते रहें, अथक परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है…