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January 8, 2025

उत्तराखंड के 8 आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चुना गया, लेकिन सामने आईं विसंगतियों से उठे बड़े सवाल…

IPS Officers

नवीन समाचार, देहरादून, 6 जनवरी 2025 (Irregularitiy in IPS officers Central Deputation)। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के आठ आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चुना है। यह निर्णय राज्य के पुलिस विभाग में कई चर्चाओं का विषय बना हुआ है। क्योंकि इससे उभर कर आई वरिष्ठता की विसंगतियों के कारण कई अधिकारी सूत्रों के अनुसार प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाना चाहते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इन स्थितियों में उत्तराखंड गृह विभाग ने केंद्र से इनमें से चार अधिकारियों के नाम हटाने का अनुरोध किया था। इस मामले में गृह विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आई है और आईपीएस कैडर में गंभीर विसंगतियां उजागर हुई हैं।

कैडर में विसंगति का प्रभाव

(Irregularitiy in IPS officers Central Deputation)प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के आईपीएस अधिकारियों का केंद्रीय सूची में इंपैनल्ड न होना प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। वर्ष 2005 और 2006 बैच के कुल दस आईपीएस अधिकारियों में से केवल दो ही केंद्रीय सूची में आईजी रैंक में इंपैनल्ड हैं। अन्य अधिकारी अभी भी डीआईजी के पद पर दर्ज हैं, जबकि राज्य में वे पहले ही आईजी रैंक पर पदोन्नत हो चुके हैं।

केंद्र सरकार की ऑफर लिस्ट और विसंगतियां

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रतिनियुक्ति की सूची में अधिकतर अधिकारियों को उनके पद से एक रैंक नीचे दर्शाया गया है। इसका तात्पर्य है कि वे अभी तक केंद्रीय सूची में इंपैनल्ड नहीं हो पाए हैं। वर्ष 2005 बैच के छह अधिकारियों में केवल रिद्धिम अग्रवाल आईजी रैंक में इंपैनल्ड हैं। शेष पांच अधिकारी- केवल खुराना, नीरू गर्ग, कृष्ण कुमार वीके, मुख्तार मोहसिन और नीलेश आनंद भरणे अभी भी डीआईजी रैंक पर दर्शाए गए हैं। इसी प्रकार वर्ष 2006 बैच में स्वीटी अग्रवाल इकलौती अधिकारी हैं जो केंद्रीय सूची में आईजी रैंक पर हैं। उनके अन्य सहपाठी अरुण मोहन जोशी, अनंत शंकर ताकवाले और राजीव स्वरूप डीआईजी रैंक पर दर्ज हैं।

कनिष्ठ अधिकारी के नीचे काम करना पड़ सकता है

वर्तमान परिदृश्य में, यदि उत्तराखंड कैडर का कोई वरिष्ठ अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाता है, तो उसे अपने से कनिष्ठ अधिकारी के नीचे काम करना पड़ सकता है। उदाहरण स्वरूप वर्ष 2005 बैच की नीरू गर्ग, जो राज्य में आईजी रैंक पर कार्यरत हैं, अभी भी केंद्रीय सूची में डीआईजी रैंक पर हैं। वहीं वर्ष 2006 बैच की स्वीटी अग्रवाल केंद्रीय सूची में आईजी रैंक पर हैं। इससे वरिष्ठ अधिकारियों को कनिष्ठ अधिकारियों के अधीनस्थ कार्य करना पड़ सकता है।

गृह विभाग का पक्ष (Irregularitiy in IPS officers Central Deputation)

उत्तराखंड के गृह विभाग के सचिव ने कहा कि प्रतिनियुक्ति के लिए पुलिस मुख्यालय के द्वारा आठ नाम प्रस्तावित किए गए थे। हालांकि कुछ अधिकारियों ने प्रतिनियुक्ति में असमर्थता जताई और उनके नाम हटाने के लिए केंद्र को पत्र भेजा गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इंपैनल्ड की प्रक्रिया केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर अलग-अलग होती है।

पुलिस विभाग में उत्पन्न इस स्थिति ने गृह विभाग और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यह मामला न केवल अधिकारियों की वरिष्ठता और पदोन्नति के स्तर तक सीमित है, बल्कि इससे विभागीय कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं।

ऐसी विसंगतियों को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करना होगा। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी अधिकारियों को उनकी योग्यता और अनुभव के अनुसार उचित पदोन्नति मिले। इसके अतिरिक्त आईपीएस कैडर में पारदर्शिता और समन्वय स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। (Irregularitiy in IPS officers Central Deputation)

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