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October 6, 2024

जिम कॉर्बेट : प्रख्यात शिकारी व पर्यावरणप्रेमी: जो कीन्या में भी खुद को बताते थे ‘एजे कॉर्बेट फ्रॉम नैनीताल’

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Jim Corbett

Jim Corbett

डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। (Jim Corbett) अंग्रेजी दौर में नैनीताल में आज के दिन यानी 25 जुलाई को पैदा हुआ यानी नैनीताल का एक बेटा ऐसा था जो मूल रूप से तो अंग्रेज था। 1947 में अंग्रेजों के साथ भारत छोड़कर चला गया था, लेकिन विदेश में भी खुद की पहचान बताता था, ‘एजे कॉर्बेट फ्रॉम नैनीताल’। उसका नैनीताल और भारत के प्रति ऐसा प्रेम था कि 19 अप्रैल 1955 को जब 80 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई तो परंपरा से हटकर उनके मातृभूमि भारत व नैनीताल प्रेम को देखते हुए उनकी कब्र पर नैनीताल का नाम भी खोदा गया।

(Jim Corbett) कहानी दुनिया के जांबाज़ शिकारी जिम कार्बेट की – news virus networkउनके नाम पर उत्तराखंड के रामनगर में जिम कॉर्बेट पार्क और कालाढुंगी के छोटी हल्द्वानी और नैनीताल के अयारपाटा में उनका घर ‘गर्नी हाउस’ आज भी है। एक अंतर्राष्ट्रीय शिकारी होने के साथ ही इसके ठीक उल्टे विश्वप्रसिद्ध पर्यावरणप्रेमी भी माना जाने वाला वह व्यक्ति नैनीताल का म्युनिसिपल कमिश्नर भी रहा और उसने नगर के प्रसिद्ध बैंड स्टेंड के निर्माण सहित कई अन्य विकास कार्यों में भी योगदान दिया।

निश्चित ही यहां बात जिम कॉर्बेट पूरा नाम एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट की बात हो रही है। जिम के पूर्वज तीन पीढ़ियों पहले आयरलैंड छोड़कर हिंदुस्तान आ बसे थे। जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को क्रिस्टोफर कॉर्बेट व मेरी जेन कॉर्बेट के नैनीताल स्थित घर गर्नी हाउस में हुआ था। वह 16 भाई-बहनों में आठवें नंबर की संतान थे। नैनीताल के ओपन स्कूल व सेंट जोसफ कॉलेज से पढ़ाई की थी।

उनका बचपन गर्मियों में नैनीताल और सर्दियों में कालाढुंगी स्थित छोटी हल्द्वानी में बीता। नैनीताल के घर ‘गर्नी हाउस’ में जिम कॉर्बेट अपनी बड़ी व अविवाहित बहन मैगी कॉर्बेट के साथ 1945 तक रहे, और फिर बहन के स्वास्थ्य कारणों से कालाढुंगी में रहने लगे थे। नैनीताल के अयारपाटा में ही ‘द हाइव’ नाम के भवन में स्थित पोस्ट ऑफिस में उनके पिता पोस्टमास्टर थे।

1947 में अपनी बहन के स्वास्थ्य कारणों से ही केन्या जाते समय उन्होंने अपना यह घर कलावती वर्मा को बेच दिया था, जिसे बाद में कॉर्बेट म्यूजियम के रूप में स्थापित किया गया। कीन्या जाकर वह न्येरी नाम के गांव में विश्व स्काउट के जन्मदाता लार्ड बेडेन पावेल के घर के पास ’पैक्सटू’ नाम के घर में अपनी बहन के साथ रहे, और वहीं 19 अप्रैल 1955 को उन्होंने 80 वर्ष की आयु में आखरी सांस ली।

उनके नैनीताल प्रेम को इस तरह और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है कि न्येरी में उनके घर के पास ही स्थित वन्य जीवन दर्शन के लिहाज से विश्व के सर्वश्रेष्ठ व अद्भुत ‘ट्री टॉप होटल’ में उन्होंने सात पुस्तकें पूर्णागिरि मन्दिर पर ‘टेम्पल टाइगर एंड मोर मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं’, ‘माई इंडिया’, ‘जंगल लोर’, ‘मैन ईटिंग लैपर्ड आफ रुद्रप्रयाग’ तथा ‘ट्री टॉप’ पुस्तकें लिखीं। इसी ‘ट्री टॉप’ होटल में रहने व वन्य जीवन का दर्शन करने ब्रिटेन की राजकुमारी एलिजाबेथ सरीखी बड़ी हस्तियां भी आती थीं।

बताया जाता है कि इस होटल में जिम ने अपना परिचय ‘एजे कार्बेट फ्रॉम नैनीताल’ लिखा है, जिसे आज भी वहां देखा जा सकता है। 19 अप्रैल 1955 को उन्होंने 80 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली। घर के पास में ही स्थित कब्रग्राह में उन्हें पावेल की आलीशान कब्र के पास ही दफनाया गया। खास बात यह थी कि परंपरा से हटकर उनके मातृभूमि भारत व नैनीताल प्रेम को देखते हुए उनकी कब्र पर नैनीताल का नाम भी खोदा गया।

Jim Corbett : जिम की मां ने की थी नैनीताल में पर्यटन की शुरुआत

नैनीताल। जिम कॉर्बेट के नैनीताल से प्रेम के कई अन्य दिलचस्प तथ्य भी हैं। नगर में पर्यटन की शुरुआत का श्रेय जिम कॉर्बेट की मां मेरी जेन कार्बेट को जाता है। उन्होंने ही सबसे पहले अपना नैनीताल स्थित घर किराए पर दिया था। उनके बाद ही 1870-72 में मेयो होटल के नाम से टॉम मुरे ने नगर के पहले होटल (वर्तमान ग्रांड होटल) का निर्माण कराया। जेन की मृत्यु 16 मई 1924 को हुयी, उन्हें सैंट जोर्ज कब्रस्तान में पूर्व कमिश्नर लूसिंग्टन के करीब दफनाया गया था।

Jim Corbett : नैनीताल के म्युनिसिपल कमिश्नर रहे जिम कॉर्बेट

नैनीताल। जिम कॉर्बेट देश की सबसे पुरानी नगरपालिकाओं में दूसरी नैनीताल नगर पालिका के म्यूनिसिपल कमिश्नर भी रहे। तब सभासदों को म्युनिसिपल कमिश्नर कहा जाता था। नैनीताल बैंक की स्थापना में भी उनका योगदान था। देश छोड़कर जाने के बाद भी उन्होंने नैनीताल बैंक का अपना खाता बंद नहंी किया था, बल्कि आखिरी वक्त में कीन्या जाते समय वह बैंक को लिख कर दे गए थे कि उनके नौकर राम सिंह को उस खाते से हर महीने 10 रुपये दे दिए जाएं। जिम के दुनिया में रहने तक राम सिंह को यह धनराशि मिलती रही।

नैनीताल के म्युनिसिपल कमिश्नर रहते जिम कार्बेट ने 1890 में नैनी झील के किनारे वर्तमान बेंड स्टैंड की स्थापना की, जहां अंग्रेज बेंड का आनंद लेते थे। कहते हैं कि जिम ने स्वयं के चार हजार रुपये से यहां पर लकड़ी का बैंड स्टैंड बनाया था। 1960 के दशक में तत्कालीन पालिका अध्यक्ष मनोहर लाल साह द्वारा जीर्णोद्धार कराने से पहले बैंड स्टेंड का वही स्वरूप रहा। यहां आजाद हिंद फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी रहे कैप्टन राम सिंह ने सीजन के दिनों में बैंडवादन करते थे। (Jim Corbett, Corbet, Jim Corbett Nainital, Jim Corbett from Nainital, Corbett Museum, Chhoti Haldwani, Gurney House, Jim Corbett in Nainital, JIm Corbett Park,)

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यह भी पढ़ें : Jim Corbett : दिलचस्प एतिहासिक तथ्य, एक रात राजकुमारी बनकर एक पेड़ पर चढ़ीं और महारानी बनकर उतरी थीं एलिजाबेथ, नैनीताल का एक बेटा उस रात था उनके पास ही…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 12 सितंबर 2022। 70 वर्षों के रिकॉर्ड समय तक न केवल ब्रिटेन बल्कि कई राष्ट्रमंडल देशों की भी रानी रहीं क्वीन या महारानी एलिजाबेथ-2 का गत दिवस निधन हो गया। दिलचस्प बात है कि क्वीन एलिजाबेथ का नैनीताल से भी एक झीना सा संबध रहा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि जिस रात एलिजाबेथ एक राजकुमारी से रानी बनने के लिए अधीकृत हुईं, उस दिन वह अपने पति के साथ नैनीताल के एक बेटे Jim Corbett के आतिथ्य में और उनके साथ थीं।

जिम कॉर्बेट के ट्री हाउस में पति फिलिप के साथ राजकुमारी एलिजाबेथ
जिम कॉर्बेट के ट्री हाउस में भ्रमण के दौरान राजकुमारी एलिजाबेथ

हम बात कर रहे हैं नैनीताल के उस बेटे जिम कॉर्बेट की, जो 1947 में भारत छोड़कर जाने के बावजूद अपनी पहचान के रूप में लिखते थे, ‘एजे कॉर्बेट फ्रॉम नैनीताल’। जिनके नाम पर उत्तराखंड के राजनगर में जिम कॉर्बेट पार्क और कालाढुंगी के छोटी हल्द्वानी और नैनीताल के अयारपाटा में उनका घर ‘गर्नी हाउस’ आज भी है।

राजकुमारी एलिजाबेथ के रानी एलिजाबेथ-2 बनने की बेहद दिलचस्प कहानी है। बात 1952 की है। एलिजाबेथ के पिता किंग जार्ज-6 की खराब स्वास्थ्य के कारण हालत ठीक नहीं थी। पिता के बदले कई बार दौरों पर एलिजाबेथ ही जाया करती थीं। उम्मीद नहीं थी कि किंग ज्यादा दिनों तक जीवित रहेंगे। ऐसे में एलिजाबेथ की सचिव अपने साथ वह पत्र रखती थी, जिसमें राजा द्वारा घोषणा की गई थी कि राजा की बड़ी बेटी होने व कोई बेटा न होने के कारण उनके बाद एलिजाबेथ को गद्दी मिलेगी। यानी वह ही रानी बनेंगी।

फरवरी 1952 में एलिजाबेथ अपने पति के साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर निकली थीं। रास्ते में वे केन्या भी गए। वहां जंगल सफारी के दौरान वे 5 फरवरी की रात केन्या के न्येरी में जिम कॉर्बेट द्वारा जंगल में बनाए ‘ट्री टॉप’ नाम के घर-होटल में अपने पति फिलिप के साथ रुकी। ‘ट्री टॉप’ जिम कॉर्बेट की पर्यावरण संरक्षण की भावना से ओतप्रोत जंगल में पेड़ पर बनी मचानों की थीम पर आधारित होटल था।

यहां रात्रि में लोग मचान पर रुकते थे और रात्रि में वन्य जीवों को अच्छे से देख सकते थे। चूंकि इस रात्रि राजकुमारी और उनके पति यानी बेहद खास मेहमान उनके साथ थे, इसलिए शाही अंगरक्षकों के साथ ही जिम कॉर्बेट भी एलेजाबेथ की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। एलिजाबेथ रात को यहां एक पेड़ पर बनी मचान पर रुकीं। उसी रात इंग्लैंड में उनके पिता किंग जॉर्ज-6 की मृत्यु हो गई। अगले दिन 6 फरवरी की सुबह जब एलिजाबेथ मचान से उतरीं, तो उन्हें पिता की मृत्यु का समाचार मिला।

treetops Kenya
ट्री टॉप में एलिजाबेथ की स्मृति पट्टिका

इस पर जिम कॉर्बेट ने अपने घर ‘ट्री टॉप’ के नाम पर ही लिखी गई अपनी पुस्तक ‘ट्री टॉप’ में लिखा है, “ऐसा शायद पहली बार हुआ कि कोई राजकुमारी पेड़ पर चढ़ी और जब वह अगले दिन पेड़ से नीचे उतरी, तो रानी बन गई।” रानी बनने के बाद एलिजाबेथ, क्वीन एलिजाबेथ-2 कहलाईं क्योंकि उनसे पहले भी एलिजाबेथ नाम की एक रानी हो चुकी थीं।

उल्लेखनीय है कि तीन पीढ़ियों पहले जिम के पूर्वज आयरलैंड छोड़कर हिंदुस्तान आ बसे थे। जिम कॉर्बेट 25 जुलाई, 1885 को क्रिस्टोफर कॉर्बेट के घर जन्मे 16 भाई-बहनों में आठवें नंबर की संतान थे। छह साल की उम्र में ही पिता की मौत हो जाने और आर्थिक संक्रट के कारण उन्होंने रेलवे में नौकरी की। अपना घर उन्होंने नैनीताल जिलेे के कालाढूंगी और नैनीताल में बनाया। नैनीताल के घर ‘गर्नी हाउस’ में जिम कॉर्बेट अपनी बड़ी व अविवाहित बहन मैगी कॉर्बेट के साथ 1945 तक रहे, और फिर बहन के स्वास्थ्य कारणों से कालाढुंगी में रहने लगे थे। नैनीताल के अयारपाटा में ही ‘द हाइव’ नाम के भवन में स्थित पोस्ट ऑफिस में उनके पिता पोस्टमास्टर थे।

1947 में अपनी बहन के स्वास्थ्य कारणों से ही केन्या जाते समय उन्होंने अपना यह घर कलावती वर्मा को बेच दिया था, जिसे बाद में कॉर्बेट म्यूजियम के रूप में स्थापित किया गया। केन्या जाकर वह न्येरी नाम के गांव में विश्व स्काउट के जन्मदाता लार्ड बेडेन पावेल के घर के पास ’पैक्सटू’ नाम के घर में अपनी बहन के साथ रहे, और वहीं 19 अप्रैल 1955 को उन्होंने 80 वर्ष की आयु में आखरी सांस ली। उनके नैनीताल प्रेम को इस तरह और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है कि न्येरी में उनके घर के पास ही स्थित वन्य जीवन दर्शन के लिहाज से विश्व के सर्वश्रेष्ठ व अद्भुत ‘ट्री टॉप होटल’ में उन्होंने सात पुस्तकें पूर्णागिरि मन्दिर पर ‘टेम्पल टाइगर एंड मोर मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं’,‘माई इंडिया’, ‘जंगल लोर’,‘मैन ईटिंग लैपर्ड आफ रुद्रप्रयाग’ तथा ‘ट्री टॉप’ पुस्तकें लिखीं। इसी ‘ट्री टॉप’ होटल में रहने व वन्य जीवन का दर्शन करने ब्रिटेन की राजकुमारी एलिजाबेथ सरीखी बड़ी हस्तियां भी आती थीं।

इस होटल में जिम जब भी जाते थे, आवश्यक रूप से होटल के रिसेप्सन पर अपना परिचय ‘एजे कार्बेट फ्रॉम नैनीताल’ लिखा करते थे, जिसे आज भी वहां देखा जा सकता है। 19 अप्रैल 1955 को उन्होंने 80 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली। घर के पास में ही स्थित कब्रग्राह में उन्हें पावेल की आलीशान कब्र के पास ही दफनाया गया। खास बात यह थी कि परंपरा से हटकर उनके मातृभूमि भारत व नैनीताल प्रेम को देखते हुए उनकी कब्र पर नैनीताल का नाम भी खोदा गया।

जिम कॉर्बेट के नैनीताल से प्रेम के कई अन्य दिलचस्प तथ्य भी हैं। नगर में पर्यटन की शुरुआत का श्रेय जिम कॉर्बेट की मां मेरी जेन कार्बेट को जाता है। उन्होंने ही सबसे पहले अपना नैनीताल स्थित घर किराए पर दिया था। उनके बाद ही 1870-72 में मेयो होटल के नाम से टॉम मुरे ने नगर के पहले होटल (वर्तमान ग्रांड होटल) का निर्माण कराया। जेन की मृत्यु 16 मई 1924 को हुयी, उन्हें सैंट जोर्ज कब्रस्तान में पूर्व कमिश्नरी लूसिंग्टन के करीब दफनाया गया था।

जबकि जिम कॉर्बेट देश की सबसे पुरानी नगरपालिकाओं में दूसरी नैनीताल नगर पालिका के म्यूनिसिपल कमिश्नर भी रहे। तब सभासदों को म्युनिसिपल कमिश्नर कहा जाता था। नैनीताल बैंक की स्थापना में भी उनका योगदान था। देश छोड़कर जाने के बाद भी उन्होंने नैनीताल बैंक का अपना खाता बंद नहंी किया था, बलिक आखिरी वक्त में केन्या जाते समय वह बैंक को लिख कर दे गए थे कि उनके नौकर राम सिंह को उस खाते से हर महीने 10 रुपये दे दिए जाएं। जिम के दुनिया में रहने तक राम सिंह को यह धनराशि मिलती रही।

नैनीताल के म्युनिसिपल कमिश्नर रहते जिम कार्बेट ने 1890 में नैनी झील के किनारे वर्तमान बेंड स्टैंड की स्थापना की, जहां अंग्रेज बेंड का आनंद लेते थे। कहते हैं कि जिम ने स्वयं के चार हजार रुपये से यहां पर लकड़ी का बैंड स्टैंड बनाया था। 1960 के दशक में तत्कालीन पालिका अध्यक्ष मनोहर लाल साह द्वारा जीर्णोद्धार कराने से पहले बैंड स्टेंड का वही स्वरूप रहा। यहां आजाद हिंद फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी रहे कैप्टन राम सिंह ने सीजन के दिनों में बैंडवादन करते थे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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