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November 22, 2024

खबर का असर: गांव में परिवार सहित बंधक बनाया युवक मुक्त हो स्वदेश लौटा..

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जुलाई 2021। गत 9 जुलाई को पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल निवासी मनोज जोशी ने जनपद के चौरसा खैरना निवासी पान सिंह रौतेला पर उसके भाई भरेंदर जोशी उर्फ बीरू पुत्र बिमल जोशी को उसकी पत्नी व दो बच्चों के साथ पिछले चार वर्ष से घर में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगाया था कि आरोपित उसके भाई व उसके परिवार से पूरा काम कराते हैं, तथा कोई धनराशि नहीं देते,। उल्टे आए दिन मारपीट की जाती है, और खाने को बचा-खुचा खाना दिया जाता है। वह उसे घर नेताल भी नहीं जाने दे रहा। आपकी प्रिय एवं भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ ने यह समाचार 10 जुलाई को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसका एक दिन बाद ही असर हुआ है।

शनिवार को यह मामला दोनों पक्षों में समझोता होने के साथ निपट गया। भवाली थाने के अंतर्गत खैरना चौकी पुलिस के सक्रिय होने पर शनिवार को आरोपित पक्ष के हरक सिंह रौतेला ने खैरना पुलिस चौकी में पीड़ित को उसका पूरा पैंसा देकर घर जाने के लिए मुक्त किया। अलबत्ता बताया कि भूमि नंदन नाम का नेपाली करीब ढाई वर्ष पहले उसके घर काम मांगने आया था। उसे काम पर रखा गया और समय-समय पर थोड़ा-बहुत धनराशि भी दी गई। इस पर मनोज जोशी ने भी लिख कर दिया कि उसे भाई का पूरा पैंसा मिल गया है। अब वह अपने भाई को लेकर नेपाल जा रहा है।
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यह भी पढ़ें : नेपाली युवक को चार वर्ष से पत्नी-बच्चों सहित गुलाम बनाकर रखने का आरोप…

-एसएसपी को शिकायती पत्र सोंपा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 जुलाई 2021। पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल निवासी एक व्यक्ति ने अपने भाई को नैनीताल जनपद के भवाली के निकट चौरसा गांव में एक व्यक्ति द्वारा पिछले चार वर्षों से पत्नी-बच्चों सहित गुलामों की तरह बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया है। इस बारे में जनपद की एसएसपी को शिकायती पत्र सोंपकर भाई को परिवार सहित मुक्त कराने की गुहार लगाई गई है।

एसएसपी को दिए गए शिकायती पत्र में कालीकोट नेपाल निवासी मनोज जोशी ने कहा है कि उसका अनपढ़ भाई भरेंदर जोशी उर्फ बीरू पुत्र बिमल जोशी चार वर्ष पूर्व अपनी पत्नी कोकिला जोशी के साथ काम करने के लिए नैनीताल आया था। तब से उसका अपने घर-परिवार से कोई संपर्क नहीं रहा। चिंता होने मनोज अपने साथी अनिल शर्मा व लवराज को खोजते हुए नैनीताल आया। यहां से किसी तरह वह पता करते हुए वह गत 6 जुलाई को भवाली के पास चौरसा खैरना गांव पहुंचे, जहां उन्हें पान सिंह रौतेला के घर अपना भाई, भाभी व उसके दो बच्चे मिल गए। मनोज के अनुसार उसके भाई ने उसे बताया कि उसे व उसके परिवार को चार वर्ष से पान सिंह व उसके माता-पिता ने जबरन डरा-धमकाकर रखा है। उससे सारा काम कराया जाता है, पर काम के बदले कोई पैंसा नहीं दिया जाता है। उल्टे आए दिन मारपीट की जाती है, खाने को बचा-खुचा खाना दिया जाता है, किसी से मिलने-जुलने नहीं दिया जाता है। उसके पास फोन भी नहीं है कि वह किसी को संपर्क कर सके। मनोज ने उन्हें साथ लेने की कोशिश की पर पान सिंह के माता-पिता ने उन्हें भाई को लाने नहीं दिया, साथ ही धमकी दी कि यदि वह अपने भाई व उसके परिवार को वापस ले जाने को कहेगा तो वह उन्हें झूठे मुकदमे में फंसा देंगे। इस मामले में भवाली कोतवाली के प्रभारी आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया जाएगा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

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-हिमांचल प्रदेश के कबूतरबाजों ने मर्चेंट नेवी में नौकरी के नाम पर मलेशिया भिजवाकर घरेलू नौकर बनाकर किया उत्पीड़न
नवीन समाचार, नैनीताल, 22 अगस्त 2019। लगता है प्रदेश व खासकर राजधानी में कबूतरबाजों का कोई ऐसा गिरोह काम कर रहा है, जो प्रदेश के भोले-भाले युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर लाखों रुपए ऐंठ रहा है। ताजा मामला बागेश्वर जनपद के ग्राम भाखुलखोला, बैजनाथ निवासी वीरेंद्र कुमार का है, जो भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए देहरादून गया था। वहां से वह सेना में भर्ती नहीं हो पाया, लेकिन आशंका है कि यहीं से किसी तरह उसके मोबाइल नंबर व अन्य निजी डाटा कबूतरबाजों के पास चले गये। जिन्होंने इसके बाद से उसे संपर्क कर मर्चेंट नेवी में भर्ती कराने व विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर झांसे में लेना प्रारंभ किया।

आखिर वह हिमांचल प्रदेश के कुछ लोगों के चंगुल में आ गया, जिन्होंने उसे मलेशिया में अच्छी नौकरी देने का झांसा देकर बैंक खाते से 55, 35 व 25 हजार यानी कुल एक लाख 15 हजार रुपए एवं इसके अलावा भी करीब साढ़े तीन लाख रुपए ठग लिये और इस वर्ष 25 जनवरी के आसपास किसी शिपिंग कंपनी में नौकरी के नाम पर मलेशिया भेज दिया। लेकिन इसके करीब दो माह तक उसका अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ। करीब दो माह बाद किसी भारतीय सिख व्यक्ति के सहयोग से उसने अपने पिता को फोन किया कि उसे मलेशिया में कोई नौकरी नहीं मिली है। बल्कि उससे वहां घरेलू नौकर के रूप में मजदूरी करवाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। साथ ही संभवतया उसे नौकरी की जगह टूरिस्ट वीजा पर मलेशिया भेजा गया था। इसके बाद संभवतया वह किसी तरह उत्पीड़न करने वालों के चंगुल से निकलकर इमीग्रेशन के जरिये वापस आने का प्रयास करने लगा।

इस पर उसे मलेशिया भेजने वाले हिमांचल प्रदेश के लोगों ने पुनः उसके पिता से इमीग्रेशन के नाम पर 35 हजार रुपए लिये। वीरेंद्र के पहले भुवनेश्वर उड़ीसा व फिर दिल्ली आने की बात कही। पिता दिल्ली पहुंचे तो उसकी जगह किसी अन्य युवक से उसके कुछ कागजात वापस दिये गये। इस पर उसके पिता अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा से मिले। टम्टा के कहने पर बागेश्वर पुलिस ने केवल वीरेंद्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की पर ढूंढने को कुछ नहीं किया। इधर अधिवक्ता केके जोशी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वीरेंद्र को ढूंढकर न्यायालय के समक्ष पेश करने को ‘हैबियस कॉर्पस’ याचिका दायर की तो उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कृत कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय के जरिये पता लगाकर बताया कि वीरेंद्र को मलेशिया पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया है, और वह मलेशिया में सारागोई नाम के स्थान पर जेल में बंद है। किंतु किस आरोप में, यह नहीं बताया गया है। अब उच्च न्यायालय ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय से बताने को कहा है किस अपराध में बंद है। परिजनों ने किसी भी तरह उसे मलेशिया से भारत वापस लाने की गुहार लगाई है।

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