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November 8, 2024

दुष्कर्म के आरोपित मुकेश बोरा को एक और झटका, गिरफ्तारी पर रोक संबंधित याचिका के बाद अग्रिम जमानत याचिका पर भी हाईकोर्ट ने किया इनकार

High Court of Uttarakhand Nainital Navin Samachar

नवीन समाचार, नैनीताल, 21 सितंबर (Mukesh Bora Case-HC rejected Anticipatory Bail) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लालकुआं दुग्ध संघ के पूर्व अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुकेश बोरा पर दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगे हुए हैं, जिसके बाद से वह फरार चल रहा है।

(Mukesh Bora Case-HC rejected Anticipatory Bail)मुकेश बोरा के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पर रोक की याचिका दाखिल की थी और अग्रिम जमानत की प्रार्थना की थी। इस पर शनिवार को न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई की। सरकार और पीड़िता पक्ष के अधिवक्ताओं ने आरोपित की अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि पॉक्सो, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) और पीसी आदि मामलों में अग्रिम जमानत पोषणीय नहीं है। साथ ही मुकेश बोरा के खिलाफ कुर्की वारंट जारी है, जिसके कारण उसे अग्रिम जमानत देना अपोषणीय माना गया।

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के जघन्य अपराधों में आरोपित को अग्रिम जमानत देना अनुचित होगा क्योंकि इससे जांच में बाधा पहुंच सकती है और आरोपित सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है। हाईकोर्ट का यह फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब सभी की निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और आरोपित को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाता है या नहीं।

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यह है पूरा मामला (Mukesh Bora Case-HC rejected Anticipatory Bail)

मामले के अनुसार, महिला ने आरोप लगाया है कि मुकेश बोरा ने उसे नौकरी देने के बहाने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी छेड़छाड़ की। महिला ने आरोप लगाया कि बोरा लगातार उसे धमकाता रहा और उसे चुप रहने के लिए दबाव डालता रहा।

आरोपित का दावा

आरोपित मुकेश बोरा ने न्यायालय में दावा किया कि उसके विरुद्ध साजिश रची गई है और वह निर्दोष है। उसने कहा कि यह घटना 2021 की है और अब जाकर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उसने यह भी दावा किया कि महिला उस पर दबाव डाल रही थी कि वह उसे नियमित कर्मचारी बना दे। (Mukesh Bora Case-HC rejected Anticipatory Bail)

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