नवीन समाचार, हल्द्वानी, 13 फरवरी 2024 (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)। हल्द्वानी में 8 फरवरी को तो पुलिस कर्मियों व पत्रकारों के साथ नगर निगम के कर्मियों को पीटा ही गया, कल 12 फरवरी को भी नगर निगम के पर्यावरण मित्रों पर पथराव किये जाने का दावा (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting) किया गया है। हल्द्वानी के जवाहर नगर के वार्ड संख्या 13 में रहने वाले जिला कांग्रेस के युवा नेता जब्बर वाल्मीकि (बदला हुआ नाम) के मीडिया को दिये बयान के अनुसार जहाँ पर दंगे भड़के, वहां अगले दिन भी पर्यावरण मित्रों पर भी पत्थरबाजी हुई। उन्होंने दावा कि नगर निगम के लोगों पर सोमवार 12 फरवरी को भी पत्थर चले हैं।
हल्द्वानी में थाने का यह वीडियो हिला देगा…
उन्होंने पुलिस पर हमला करने वालों पर एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाए जाने को एक सही फैसला करार देते हुए कहा कि उन्होंने 8 फरवरी को हमले के लिए पहले से सारे इंतजाम कर रखे थे। रेलवे लाइनों के कटे हुए पत्थर जमा कर के हमले के लिए रखे गये थे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन के खिलाफ जाना इनकी सोची-समझी साजिश थी। उन्होंने अब्दुल मलिक को हल्द्वानी का सबसे अमीर व प्रभावशाली आदमी बताते हुऐ कहा कि उस पर रासुका लगनी चाहिए। कहा, पुलिस न होती तो कत्लेआम हो जाता। देखें वीडिओ-हल्द्वानी के पत्थरबाज अब कैसे मांग रहे माफी :
रास्तों में तार बिछाई गई थीं (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
वहीं एक अन्य सफाईकर्मी धर्मेंद्र वाल्मीकि (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 8 फरवरी को 20-25 सफाईकर्मियों को लेकर वह नगर निगम की गाड़ी चलाते हुए गए थे, लेकिन महिलाओं की भीड़ सामने आई और पुलिस से झड़प करने लगी, फिर बच्चों को आगे किया गया। उन्होंने बताया कि अचानक से पथराव शुरू हो गया, गाड़ी घेर ली गयी तो उन्हें उतर कर भागना पड़ा। इस दौरान धर्मेंद्र का पाँव भीड़ द्वारा बिछाई गई तार में फँस गया, फिर उन पर ईंटें बरसाई गईं। ऐसे में वह किसी तरह जान बचा कर निकले।
दोबारा वहाँ काम करने नहीं जाएँगे (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और 2 बेटे हैं, माँ-बाप भी नहीं हैं, न भागते तो वह जिंदा नहीं बचते। उन्होंने बताया कि भीड़ ने सरिया भी ले रखे थे, पुलिस वाले भी गिरते-पड़ते जान बचा कर भाग रहे थे। दूसरी ओर से सब मारो-भगाओ चिल्ला रहे थे। बच्चे तक पत्थर मार रहे थे। लोगों को जिंदा जलाने की साजिश थी। उनका उनका पाँव टूट गया है। सरकार इलाज चला रही है। अगर वह मर जाते तो कोई उनके घर को नहीं देखने वाला नहीं था। ऐसे में वह वहाँ दोबारा काम करने नहीं जाएँगे। अब वह अपनी नौकरी पर भी एकाध महीने तक नहीं जा पाएंगे।
हमारा खुद का घर तक नहीं है, जबकि अतिक्रमणकारी अवैध मकान बना कर रहे हैं (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
वहीं एक अन्य पर्यावरण मित्र सरोज वाल्मीकि (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह निगम की ओर से वहां गए थे। वहाँ महिलाओं को अधिकारी समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वापस आते समय भीड़ ने चारों तरफ से पत्थरबाजी की। उनके हाथ में पत्थरों के कारण जख्म हुआ है। यह भी बताया कि दूसरे पक्ष से कोई भी व्यक्ति मारपीट करने वालों को मना नहीं कर रहा था। उन्होंने बताया कि पुलिस और नगर निगम का एक भी कर्मचारी नहीं है जिसे चोट न लगी हो। उनका एक 15 साल का बेटा और एक बेटी है। उनका खुद का घर तक नहीं है। जबकि अतिक्रमणकारी अवैध मकान बना कर रहे हैं। कार्रवाई होने पर वह दंगे करते हैं।
हनुमान जी ने बचाया (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
सरोज कहते हैं, उन्हें हनुमान जी ने बचाया। उन्होंने बताया छोटे-बड़े पत्थरों के साथ गमले जैसी बड़ी चीज भी उठाकर मारी गई। उन्होंने हनुमान जी से गुहार लगाई कि वो उन्हें बचा लें, फिर उनके भीतर किसी तरह ताकत आई और वो सीधे भाग कर अपने वाल्मीकि मोहल्ले में पहुंचे। उनकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था। उनके आगे जेसीबी रास्ता बनाती हुई चल रही थी, वरना कँटीले तारों में उलझ कर कई लोग मारे जा सकते थे।
6 महीने से चल रही थी साजिश (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
नगर निगम के एक अन्य कर्मचारी समुद्र सोनकर (बदला हुआ नाम) भी घायल हैं। उन्होंने बताया कि वह दंगे के वक्त मौके पर मौजूद थे। जब दंगा हुआ तो उन्हें लगा कि उनकी मौत हो जाएगी। वह बेहोश हो गए थे। लगातार उनका खून बह रहा था। उन्हें घर भाग कर आते-आते 7-8 घंटे लग गए, क्योंकि जिस तरफ से वह जा रहे थे उधर ही पत्थर चल रहे थे। उन्होंने बताया कि अगर वह न भागते तो उनकी हत्या कर दी जाती। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 6 महीने से इसकी साजिश चल रही थी। (On 12th February also Stones pelted, Stone pelting)
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