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July 27, 2024

State News : 4 राज्यों के चुनाव परिणामों के 5 बड़े राजनीतिक निहितार्थ-संदेश…

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State News

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 3 दिसंबर 2023 (State News)। ‘नवीन समाचार’ रविवार को सुबह से 4 राज्यों के चुनाव आयोग के आधार पर विश्वसनीय चुनाव परिणाम अपने हेडर पर अपने पाठकों को उपलब्ध करा रहा है। अब तक प्राप्त नतीजों में 4 में से 3 राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनती साफ नजर आ रही है। देखें वीडिओ :

चार राज्यों के चुनाव आयोग के आधार पर विश्वसनीय परिणाम :

मध्य प्रदेश (कुल सीटें : 230) : भाजपा: 163, कांग्रेस: 66, अन्य: 1 
राजस्थान (कुल सीटें : 199): भाजपा: 115, कांग्रेस: 69, अन्य: 15
छत्तीसगढ़ (कुल सीटें : 90): भाजपा: 54, कांग्रेस: 35, अन्य: 1
तेलंगाना (कुल सीटें : 119): भाजपा: 8, कांग्रेस: 64, बीआरएस: 38, एआईएमआईएम: 7, अन्य: 1

State News Vidhansabha Chunav Result: मंत्री हारे...मुख्यमंत्री पीछे...शाम से शुरू हो  सकता है इस्तीफों का दौर; 3 राज्यों में सरकार पलटी । Vidhansabha Chunav  Result | MP Vidhan Sabha Chunav ...इनमें से मध्य प्रदेश में जहां भाजपा 18 वर्षों की अपनी सत्ता को और 5 वर्षों के लिये सुनिश्चित कर रही है, वहीं राजस्थान में उसने 5 वर्ष में सत्ता बदलने का रिवाज जारी रखा है, जबकि छत्तीसगढ़ में भी 5 वर्ष के बाद कांग्रेस की सत्ता की रोटी पलट दी है। अलबत्ता तेलंगाना में कांग्रेस बड़े बहुमत के साथ बीआरएस को सत्ता से बेदखल कर सत्ता में आने जा रही है।

साथ ही इस चुनाव परिणाम के कई बड़े संदेश भी साफ नजर आ रहे हैं। जैसे कांग्रेस का प्रधानमंत्री मोदी को ‘पनौती’ कहना भारी व उल्टा पड़ा है। इसके बाद भाजपा के कुछ प्रवक्ता यह कहते भी सुने जा रहे हैं कि राहुल गांधी यदि राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के साथ तेलंगाना भी गये होते तो शायद तेलंगाना के चुनाव परिणाम भी भाजपा के पक्ष में होते।

यह भी स्पष्ट है कि इस चुनाव में जातीय जनगणना का मुद्दा नहीं चला है। विपक्षी पार्टियों को सनातन धर्म विरोधी बयान भी भारी पड़े हैं। कांग्रेस का सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस देने का दांव भी असर नहीं कर पाया है। इस तरह अगले वर्ष होने जा रहे लोक सभा चुनाव में ‘हेट ट्रिक’ यानी लगातार तीसरी जीत की उम्मीद कर रही भाजपा को तीन राज्यों में जीत के रूप में ‘हेट ट्रिक’ मिलनी तय हो गयी है।

यह चुनाव विपक्षी I.N.D.I.A. के बनने के बाद विपक्षी दलों की पहली परीक्षा और अगले वर्ष प्रस्तावित लोक सभा चुनाव का सेमीफाइनल कहे जा रहे थे। ऐसे में भले विपक्षी दल साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ पाये। लेकिन साफ संदेश दिख रहा है कि आगे 2024 के फाइनल में कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष की राह कठिन हो जायेगी।

यह संदेश भी गया है कि कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड सहित अपनी 5 वर्ष की सत्ता को बरकरार नहीं रख पा रही है, ऐसे में उसकी विपक्षी I.N.D.I.A. में पकड़ कमजोर होनी तय है। समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की ओर से कांग्रेस को इस पर तीखी टिप्पणी के जरिये संदेश दे भी दिया गया है।

वहीं विपक्ष के लिये यह संदेश भी यदि वह लेना चाहें तो यह है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को समझें। उन पर ऐसे तीखे शब्दबाण न चलायें जिनका नुकसान उन्हें जनता की नाराजगी के रूप में दिखे। राज्य-देश की अधिसंख्य जनता को बांटने के जातीय जनगणना व सनातन को गाली देने जैसे प्रयास न करें। गौरतलब है कि इस बारे में कांग्रेस के नेता ही कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं।

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जहां साफ तौर पर कांग्रेस की हार को उसके सनातन विरोधी रुख का परिणाम बताया है, जबकि वामपंथी पृष्ठभूमि से आये कन्हैया कुमार ने मध्य प्रदेश में पूर्व सीएम कमल नाथ के बाबा बागेश्वर की शरण में जाने को लेकर अपने ही पार्टी नेता पर तंज कसा है।

एआईएमआईएम के नेता भी आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस न तो मुस्लिमों की पार्टी बन पा रही है और न ही हिंदुओं की रह पा रही है। यानी वह दोनों के वोट लेने के फेर में किसी की नहीं रह गयी है। इन स्थितियों का असर आगे इंडी गठबंधन के और कमजोर होने के रूप में दिखे तो आश्चर्य नहीं करना होगा।

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यह भी पढ़ें State News : बड़ा राजनीतिक विश्लेषण: कर्नाटक विधान सभा चुनाव परिणाम का सबसे बड़ा संदेश, गांधी परिवार के लिए बजी खतरे की ‘जोर की घंटी’

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 12 मई 2023 (State News)। कर्नाटक के विधान सभा चुनाव के कांग्रेस के लिए अप्रत्याशित तौर पर आए ‘क्लीन स्वीप’ चुनाव परिणाम के हर ओर अलग-अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। लेकिन हम यहां इस चुनाव परिणाम का सबसे बड़ा संदेश बताने जा रहे हैं, जो गांधी परिवार के लिए खतरे की बड़ी घंटी हो सकता है। यह भी पढ़ें : तिहरे हत्याकांड में एक और शव मिला, चौथा शव भी महिला का, अनाथ हो गए हत्यारोपित के डेढ़ व तीन वर्षीय बच्चे

देखें वीडिओ :

(State News) कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 136, भाजपा को मात्र 65, जनता-दल सेक्युलर को 19 व अन्य को 4 सीटें मिली हैं। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा अपना साम्प्रदायिक एजेंडा नहीं चला पाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी,

(State News) आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वशर्मा जैसे बड़े व करिश्माई बताए जाने वाले नेताओं के पूरा जोर लगाने के बावजूद भाजपा अपना दक्षिण का एकमात्र किला बचा नहीं पाए और कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। यह भी पढ़ें : बाबा नीब करौरी के कैंची धाम में चेकिंग के दौरान तमंचे के साथ पकड़ा गया स्कूटी सवार

(State News) यह अलग बात है कि पिछली बार के मुकाबले 8 लाख अधिक वोट लाने के बावजूद भाजपा बुरी तरह से हार गई है, और पिछली बार जेडीएस को समर्थन देकर उनका मुख्यमंत्री बनाने वाली कांग्रेस इस बार जेडीएस के वोटों में आई 5 प्रतिशत गिरावट को अपने पक्ष में करके 136 सीटों की बड़ी लैंडस्लाइड विक्ट्री प्राप्त कर पाई है।

(State News) गौरतलब है कि पिछली बार भाजपा को एक करोड़ 32 लाख और इस बार एक करोड़ 40 लाख वोट मिले हैं, जबकि जेडीएस को पिछली बार 67 लाख 26 हजार व इस बार 52 लाख यानी 15 लाख कम वोट मिले। यह भी पढ़ें : भाजपा के लिए जरूरी थी कर्नाटक की हार

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State Newsयह वोट कांग्रेस को चले गए। कांग्रेस को पिछली बाद एक करोड़ 39 लाख व इस बार एक करोड़ 68 लाख यानी 29 लाख अधिक वोट मिले हैं।  एक तथ्य यह भी है कि कर्नाटक में 130 सीटों पर जीत का अंतर 20 हजार से कम वोटों का रहा और इन कम अंतर वाली 130 सीटों में से 73 सीटों पर कांग्रेस, 40 पर भाजपा और 14 पर जेडीएस जीती।

(State News) यानी हार का यह अंतर थोड़ा भी इधर-उधर होता तो चुनाव का नतीजा कुछ और होता। यह भी पढ़ें : नैनीताल: दुर्घटना में 18 वर्षीय युवक के सीने के आर-पार हुआ 5 सूत का सरिया

(State News) इस चुनाव ने यह संदेश भी दिया है कि राज्य की राजनीति स्थानीय मुद्दों पर आधारित होती है और वहां स्थानीय नेताओं की भूमिका ही केंद्रीय नेताओं से बड़ी भूमिका निभाती है। इस चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस को आगे राजस्थान व मध्य प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव तथा इसके बाद होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले बड़ी ताकत न केवल राजनीतिक तौर पर मिलगी, बल्कि काफी धनी राज्य माने जाने वाले कर्नाटक को जीतने से उसे बड़ी आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।

(State News) यह भी है कि कांग्रेस ने यहां जेडीएस यानी जनता दल सेक्युलर के रूप में तीसरे या क्षेत्रीय दल के कमजोर पड़ने पर भाजपा से आमने-सामने की लड़ाई में जीत दर्ज करने का रास्ता भी खोज लिया है। इससे विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को हरा सकने का विश्वास भी जगा है। यह भी पढ़ें : युवकों एवं पुलिस कर्मी के बीच मारपीट, अवैध वसूली के आरोप भी, एसपी ने सोंपी जांच…

(State News) लेकिन इस चुनाव में इससे बड़ा एक संदेश यह है कि जहां इससे पहले भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां अपना गृह राज्य हिमांचल प्रदेश नहीं बचा पाए, वहीं कांग्रेस के केंद्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपने गृह राज्य में पार्टी को जिता ले गए। यही नहीं, इस चुनाव में इससे भी बड़ा एक संदेश हिमांचल प्रदेश के चुनाव परिणाम से जोड़ते हुए छिपा हुआ है। यह भी पढ़ें : चार बच्चों के पिता-व्यवसायी ने शादी-बच्चों की बात छुपाकर युवती से 4 वर्ष तक किया दुष्कर्म

(State News) उल्लेखनीय है कि मल्लिकार्जुन खड़गे 26 अक्टूबर 2022 को 24 वर्ष बाद कांग्रेस पार्टी के गैर कांग्रेसी केंद्रीय अध्यक्ष बने थे। इससे पहले सितंबर 1996 से 14 मार्च 1998 तक सीताराम केसरी कांग्रेस पार्टी के गैर कांग्रेसी केंद्रीय अध्यक्ष रहे थे।

(State News) इसे संयोग भी मान लें तो खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने उनके अध्यक्ष बनने के बाद हुए हिमांचल प्रदेश के बाद कर्नाटक के विधान सभा चुनाव भी जीत लिए हैं, जबकि इससे सोनिया गांधी व राहुंल गांधी की अध्यक्षता के दौर में कांग्रेस 30 से अधिक चुनाव हारती जा रही थी। यह भी पढ़ें : नैनीताल: ढाबे की आढ़ में शराब पिलाने वाला गिरफ्तार, खुले में पीने वाले 6 शराबियों पर भी कार्रवाई

(State News) खड़गे ने हिमांचल प्रदेश में हार के इस सिलसिले पर ब्रेक लगाए। वह भी तब, जब हिमांचल भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह प्रदेश था और इससे कुछ ही समय पहले, इससे लगे और समान परिस्थितियों उत्तराखंड में भाजपा ने हर चुनाव में सत्ता बदलने का ‘रिवाज’ बदलकर अपना ‘राज’ कायम रखा था।

(State News) यानी सीधे-सीधे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जबड़े से जीत छीन ली, और अब कर्नाटक में भी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा है। यह भी पढ़ें : ऐसी घृणित घटना न सुनी होगी, युवक ने गौशाला में घुसकर कुछ ऐसा कर दिया…

(State News) उल्लेखनीय है कि 80 वर्षीय खड़गे ‘सोलीलादा सरदारा’ के नाम से मशहूर हैं यानी अजेय योद्धा माने जाते हैं। कर्नाटक की जीत के साथ खड़गे ने अपनी छवि भी मजबूत कर ली है। गौरतलब है कि जब से खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं तब से भारतीय जनता पार्टी उन पर गांधी परिवार के वर्चस्व का आरोप लगाती रही है।

(State News) उन पर आरोप लगाया जाता रहा है कि खड़गे कांग्रेस के केवल रबर स्टांप हैं। पार्टी तो वास्तव में गांधी परिवार के इशारों पर ही चलती है। यह भी पढ़ें : बाबा नीब करौरी के कैंची धाम में चेकिंग के दौरान तमंचे के साथ पकड़ा गया स्कूटी सवार

(State News) लेकिन याद रखना होगा कि हिमांचल और कर्नाटक के चुनाव में प्रियंका गांधी को छोड़कर गांधी परिवार की भूमिका बेहद सीमित रही है। हिमांचल के चुनाव तो राहुल गांधी कमोबेश पूरी तरह से ‘दूर रखे’ गए और कर्नाटक के चुनाव में भी उनकी भूमिका बेहद सीमित रही है। दोनों चुनावों से सोनिया गांधी भी दूर रही हैं। वहीं राहुल गांधी की लोक सदस्यता जाने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली है।

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(State News) यानी केंद्रीय अध्यक्ष होने के नाते भी और अपना गृह राज्य होने के नाते भी खड़गे कर्नाटक के चुनाव में मुख्य नेतृत्वकर्ता के रूप में थे। लिहाजा हिमांचल के बाद कर्नाटक में भी मिली कांग्रेस की जीत से गांधी परिवार के लिए खतरे की घंटी जोर से बजती नजर आ रही है कि कांग्रेस पार्टी के गांधी परिवार से बाहर आने के बाद ‘अच्छे दिन’ लौटने लगे हैं और कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के बिना भी ‘फुल टाइम पॉलिटिक्स’ करने वाले खड़गे जैसे मजबूत हाथों में आगे बढ़ सकती है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

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