गांधी जयंती पर हुआ बड़ा निर्णय, नैनीताल की प्रसिद्ध गांधी जी की मूर्ति हटेगी, नई मूर्ति लगेगी
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अक्टूबर 2024 (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change)। गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन जिला व मंडल मुख्यालय सरोवर नगरी में स्थित गांधी मूर्ति को लेकर प्रशासनिक एवं राजनीति स्तर पर बड़ा निर्णय हुआ है। नगर के प्रवेश द्वार तल्लीताल डांठ पर स्थित महात्मा गांधी की हाथ में छड़ी लिये खड़ी काले रंग की खड़ी प्रतिमा हटायी जाएगी। जबकि इसी स्थान के पास सड़क के बीच में नई चरखा कातती हुई बैठी हुई प्रतिमा लगायी जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्थानीय विधायक सरिता आर्य, व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह एवं प्रतिमा के निर्माण से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोक निर्माण विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि नयी प्रतिमा 1 टन से अधिक भार की 6-7 फिट ऊंची अष्टधातु की बनी हुई होगी।
इस मूर्ति में गांधी जी चरखा कातते हुए नजर आएंगे। इसके नीचे अच्छे ग्रेनाइट के पत्थर युक्त रैम्प बनगी, जहां बैठकर लोग गांधी जी के साथ नैनीताल की झील एवं नगर के फोटो भी ले सकेंगे। इसके किनारे पैदल चलने वालों के लिये फुटपाथ और विकलांगों के लिये रैम्प भी होगा, अलबत्ता इस पर लोग गाड़ियां नहीं चढ़ा सकेंगे। (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change)
उल्लेखनीय है कि तल्लीताल से गांधी जी की मूर्ति को नगर के सात प्रमुख चौराहों के चौड़ीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत इस स्थान पर वाहनों के आवागमन में बाधा बनने के दृष्टिगत हटाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस मूर्ति को निकटवर्ती ग्राम – गांधी ग्राम ताकुला में गांधी मंदिर के पास स्थानांतरित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं के एक अन्य नगर अल्मोड़ा में भी गांधी जी की बैठी हुई ध्यानस्थ मुद्रा में मूर्ति है, अब नैनीताल में भी गांधी जी की खड़ी की जगह बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति होगी। (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change)
नैनीताल की मूर्ति नव सृजन का संदेश देगी (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change)
बैठक में शामिल व्यापारी नेता मारुति नंदन साह ने कहा कि नैनीताल की मूर्ति गांधी जी के चरखा कातने के साथ नव सृजन का संदेश भी देगी। गौरतलब है कि ऐसी ही मूर्ति का पिछले वर्ष सितंबर माह में जी-20 समिट के दौरान देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने नई दिल्ली स्थित गांधी दर्शन में भी शुभारंभ किया था।
सिचाई विभाग का नियंत्रण कक्ष भी हटेगा (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change)
नैनीताल। नगर के तल्लीताल डांठ के चौड़ीकरण की प्रक्रिया में गांधी जी की मूर्ति के साथ इसके बगल में स्थित सिचाई विभाग के झील नियंत्रण कक्ष और इसकी दीवार में हाल ही में लगाये गये सीमा पर सजग प्रहरियों के चित्र को भी हटाया जाएगा। झील नियंत्रण कक्ष अन्य आवंटित नये कक्ष में स्थानांतरित होगा। लोनिवि के सहायक अभियंता गोविंद सिंह जनौटी ने बताया कि इसके पास में स्थित बोट स्टेंड के पास कुमाउनी महिला व पुरुष की नैनी झील का दृश्य बाधित न करने वाली आधी पारदर्शी मूर्ति को स्थापित करने की भी योजना है।
ऐसी रही थी गांधी जी की नैनीताल व कुमाऊँ यात्रा
नैनीताल। नैनीताल एवं कुमाऊं के लोग इस बात पर गर्व करते हैं कि महात्मा गांधी जी ने यहां अपने जीवन के 21 खास दिन बिताऐ थे। वह अपने इस खास प्रवास के दौरान 13 जून 1929 से तीन जुलाई तक 21 दिन के कुमाऊं प्रवास पर रहे थे। इस दौरान वह 14 जून को नैनीताल, 15 को भवाली, 16 को ताड़ीखेत तथा इसके बाद 18 को अल्मोड़ा, बागेश्वर व कौसानी होते हुए हरिद्वार, दून व मसूरी गए थे, और इस दौरान उन्होंने यहां 26 जनसभाएं की थीं।
कुमाऊं के लोगों ने भी अपने प्यारे बापू को उनके ‘हरिजन उद्धार’ के मिशन के लिए 24 हजार रुपए दान एकत्र कर दिये थे। तब इतनी धनराशि आज के करोड़ों रुपऐ से भी अधिक थी। इस पर गदगद् गांधीजी ने कहा था विपन्न आर्थिक स्थिति के बावजूद कुमाऊं के लोगों ने उन्हें जो मान और सम्मान दिया है, यह उनके जीवन की अमूल्य पूंजी होगी।
इसी दौरान 14 जून का नैनीताल में सभा के दौरान उन्होंने निकटवर्ती ताकुला गांव में स्व. गोविंद लाल साह के मोती भवन में रात्रि विश्राम किया था। इस स्थान पर उन्होंने गांधी आश्रम की स्थापना की, यहाँ आज भी उनकी कई यादें संग्रहीत हैं। इसी दिन शाम और 15 को पुनः उन्होंने नैनीताल में सभा की। यहाँ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आप लोगों के कष्टों की गाथा यहां आने से पहले से सुन रखी थी। किंतु उसका उपाय तो आप लोगों के हाथ में है। यह उपाय है आत्म शुद्धि।’’
ताकुला में है गांधी जी द्वारा स्वयं निर्मित ऐसा गांधी मंदिर, जहां गांधी जी की कोई ही स्मृतियां नहीं… यहाँ बिन मूर्ति-बिन तस्वीर पूजे जा रहे हैं गांधी…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अक्टूबर 2021। नैनीताल के निकट गांधी ग्राम कहे जाने वाली ताकुला में गांधी जी द्वारा स्थापित एक गांधी मंदिर है। कहते हैं यह ऐसा इकलौता स्थान है, जहां गांधी जी दो बार आए। लेकिन दुःखद बात यह है कि इस मंदिर में, जिसे गांधी अध्ययन केंद्र बनाने सहित बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं, वहां गांधी जी की स्मृतियों के नाम पर केवल एक शिलापट लगा है, जिसमें लिखा है, ‘इस गृह की आधार शिला ज्येष्ठ शुदी 9 संवत 1986 में श्री महात्मा मोहन दास कर्म चन्द गांधी जी के हाथों लगाई गई’। यह भी पढ़ें : नैनीताल का गांधी ग्राम बनेगा खगोल पर्यटन ग्राम, ढाई करोड़ रुपए हुए स्वीकृत
इधर प्रशासन ने गांधी मंदिर का जीर्णोद्धार एवं इसके मार्ग में सुधार के काफी कार्य हुए हैं, परंतु गांधी मंदिर में न ही गांधी जी की कोई मूर्ति, न ही एक भी तस्वीर या उनके द्वारा उपयोग किए गए कोई सामान, उनके द्वारा पढ़ी गई पुस्तकें आदि ही उपलब्ध हैं। बताया गया कि ऐसी काफी सामग्री थी, लेकिन जिसके हाथ जो लगा, गायब कर अपने संग्रह में सजा दी गईं।
उल्लेखनीय है कि गांधी जी ने नैनीताल के अपने प्रवास के दौरान 14 जून 1929 को इस भवन की नींव रखी थी और जब 18 जून 1931 को नैनीताल दूसरी बार आए, तब तक यह भवन बन कर तैयार हो गया था। तब वह यहां पांच दिनों तक रहे। लेकिन इतनी लंबी अवधि तक रहने के बीच की उनकी कोई स्मृति यहां सुरक्षित नहीं है।
कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड नाम दिया
यह भाषण उन्होंने बाद में ताड़ीखेत में भी दिया था। 15 को ही उन्होंने भवाली में भी सभा कर खादी अपनाने पर जोर दिया। 16 को वह ताड़ीखेत के प्रेम विद्यालय पहुंचे और वहां भी एक बड़ी सभा में आत्म शुद्धि व खादी का संदेश दिया। 18 को वह अल्मोड़ा पहुंचे, जहां नगर पालिका की ओर से उन्हें सम्मान पत्र दिया गया। इसके बाद उन्होंने 15 दिन कौसानी में बिताए। कौसानी की खूबसूरती से मुग्ध होकर उसे भारत का स्विट्जरलैंड नाम दिया।
आगे 22 जून को कुली उतार आन्दोलन में अग्रणी रहे बागेश्वर का भ्रमण किया। यहां स्वतन्त्रता सेनानी शांति लाल त्रिवेद्वी, बद्रीदत्त पांडे, देवदास गांधी, देवकीनदंन पांडे व मोहन जोशी से मंत्रणा की। 15 दिन प्रवास के दौरान उन्होंने कौसानी में गीता का अनुवाद भी किया।
दूसरी बार 18 जून 1931 को नैनीताल पहुंचे
गांधी जी दूसरी बार 18 जून 1931 को नैनीताल पहुंचे और पांच दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने कई सभाएं की। इस दौरान उन्होंने संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर मेलकम हैली से राजभवन में मुलाकात कर जनता की समस्याओं का निराकरण कराया। उनसे प्रांत के जमीदार व ताल्लुकेदारों ने भी मुलाकात की और गांधी के समक्ष अपना पक्ष रखा। इस यात्रा के बाद उत्तर प्रदेश व कुमाऊं में आन्दोलन तेज हो गया। (Statue of Gandhiji in Nainital will be Change, Nainital News, Gandhi Statue, Mahatma Gandhi, Gandhiji’s Uttarakhand Visits)
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