‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.11 करोड़ यानी 21.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, उत्तराखंड के सबसे पुराने, जनवरी 2010 से स्थापित, डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपना विज्ञापन संदेश ह्वाट्सएप पर हमें भेजें 8077566792 पर। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन उपलब्ध कराएं। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर 'निःशुल्क' 'नवीन समाचार' उपलब्ध कराते रह सकें...

November 21, 2024

मुक्तेश्वर: यहां होते है प्रकृति के बीच ‘मुक्ति के ईश्वर’ के दर्शन, यहाँ एक छिद्र से गुजरकर हो जाती है नि:संतानो को संतान की प्राप्ति

0

Nainital: चट्टान में बने इस छेद को अगर पार कर ले कोई महिला तो भर जाती है सूनी  गोद! जानें सबकुछ - chauli ki jali mukteshwar lord shiva gives boon of havingडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 अगस्त 2022। देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में घने वनों के बीच प्रकृति की गोद में, सूर्यास्त के दौरान स्वर्णिम आभा से दमकते आकाश चूमते पर्वतों-हिमाच्छादित पर्वत चोटियों के स्वर्ग सरीखे रमणीक सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के दर्शन कराने वाला एक ऐसा खूबसूरत स्थान है जहां प्रकृति के बीच साक्षात मुक्ति के ईश्वर यानी देवों के भी महादेव के दर्शन है। इस बरसात के मौसम में मुक्तेश्वर किसी भी प्रकृति प्रेमी और शांति की तलाश में पहाड़ों की सैर पर आने वाले सैलानी का अभीष्ट हो सकता है। आइए जानते हैं, ऐसा क्या है मुक्तेश्वर में कि यहां हजारों सैलानी वर्ष भर खिंचे चले आते हैं:-

  1. समुद्र सतह से 2286 मीटर (7500 फीट) की ऊंचाई पर तथा नैनीताल से 52 व रेलवे स्टेशन काठगोदाम से 65 किमी दूर स्थित खूबसूरत अंग्रेजी दौर के बने हिल स्टेशन मुक्तेश्वर को ‘मुक्ति के ईश्वर’, संसार की बुरी शक्तियों के संहारक भगवान शिव का घर कहा जाता है।
  2. Mukteshwar Temple Nainital, Things to do, Timings & factsयहां भगवान शिव का 10वीं सदी पूर्व कत्यूरी राजाओं द्वारा अविश्वसनीय सा, केवल एक रात्रि में निर्मित किया गया भव्य ‘मुक्तेश्वर मंदिर’ स्थित है।
  3. यहां सामने नजर आती हैं शिव की पत्नी, हिमालय पुत्री पार्वती स्वरूप ‘नंदादेवी’ से लेकर शिव के प्रिय ‘त्रिशूल’ और पांडवों से संबंधित इतिहास संजोए ‘पंचाचूली’ की चोटियां, लगता है मानो शिव भी यहां लेटकर कर रहे हों अपने प्रिय स्थानों के दर्शन। मानव मन को भी मिलती है इसी तरह आत्मिक और मानसिक शांति।
  4. कहते हैं, मुक्तेश्वर मंदिर के नीचे स्थित लाल गुफा के पास आज भी मौजूद है वह ‘यज्ञ की बेदी’, जहां पर शिव-पार्वती ने विवाह के उपरांत पूजा-अर्चना की थी। सर्दियों में बर्फ से ढके मुक्तेश्वर में शिव के धाम कैलाश जैसा ही होता है अनुभव।
  5. Faith: इस छेद को पार करने मात्र से भर जाती है महिला की सूनी गोद, लगती है भक्तों की भीड़कहते हैं शिव यहां अक्सर तपस्या में लीन रहते थे। एक बार यहां मंदिर के निकट स्थित चौली की जाली के निकट शिव के गण सैम देवता के तपस्यारत होने के दौरान जागेश्वर के निकट झांकरसैम की यात्रा पर निकले बाबा गोरखनाथ का मार्ग रुक गया था, इस पर उन्होंने विशाल चट्टानों पर अपने गंडासे से वार कर एक छिद्र का निर्माण कर दिया, और यात्रा पर आगे बढ़ गए। अब विधि-विधान, पूजा-अर्चना के साथ इस छिद्र से आर-पार होने पर महिलाओं को शर्तिया होती है पुत्र रत्न की प्राप्ति। कई बार जुड़वा पुत्र उत्पन्न होने का भी जुड़ा है मिथक।
  6. मुक्तेश्वर में 1899 में डा. अल्फ्रेड लिंगार्ड द्वारा स्थापित किया गया आईवीआरआई यानी भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान, जहां कभी पशुओं की बीमारी एंथ्रेक्स के टीके बनते थे और अब खुरपका-मुंहपका सहित कई अन्य पशु रोगों पर होते हैं शोध अध्ययन।
  7. ब्रिटिशकालीन स्थापत्य कला के लिए मशहूर है मुक्तेश्वर, सूर्यास्त का दिखता है अनूठा नजारा। मुक्तेश्वर मंदिर, चौली की जाली और हिमाच्छादित चोटियों के लालिमा युक्त नजारे दिलाते हैं स्वर्गिक आनंद।
  8. यूं हर मौसम में है प्रकृति का स्वर्ग है मुक्तेश्वर, पर वर्षाकाल का है यहां अलग आकर्षण। आईवीआरआई के पास 25 किमी की परिधि में तीन हजार एकड़ क्षेत्र में फैले हैं बांज, बुरांश, तिलोंज व खिर्सू के इतने घने वन, कि दिन में भी धूप जमीन को नहीं छू पाती। इन वनों में झर-झर झरती बारिश की बूंदों के बीच सैर का होता है अलग ही मजा। यह भी देखें :

    रिसॉर्ट हो तो ऐसा….

  9. 12 किमी दूर रामगढ़ तहसील में गहना वाटर फॉल और 18 किमी दूर धारी तहसील में स्थित भालूगाड़ वाटर फॉल के भी हैं अलग मनभावन आकर्षण। आड़ू, खुमानी, पुलम व सेब के बागानों के लिए भी प्रसिद्ध है मुक्तेश्वर।
  10. उत्तराखंड के राज्य वृक्ष-बुरांश पर खिलने वाले लाल फूलों के लिए भी जाना जाता है मुक्तेश्वर।

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page