यूसीसी (UCC) लागू हुई तो कितने प्रभावित होंगे उत्तराखंड के मुस्लिम, यह 6 बदलाव हो सकते हैं

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The draft of the Uniform Civil Code (UCC) for Uttarakhand has been prepared and announced by Justice Ranjana Desai, President of the Uttarakhand UCC Committee. The draft was created after considering the opinions of politicians, ministers, legislators, and the general public. The expert committee held numerous meetings and received thousands of suggestions to shape the draft. The proposed UCC in Uttarakhand aims to provide equal rights to women, set the age of marriage for daughters at 21 years, prohibit polygamy, consider live-in relationships for registration, emphasize responsibilities of daughter-in-law and son-in-law towards dependent elders, grant equal property rights to women of all religions, and ensure equal rights for adopted children. The draft will be printed along with the report of the expert committee and handed over to the Uttarakhand government.

UCC
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नवीन समाचार, नैनीताल, 5 जुलाई 2023। उत्तराखंड में यूसीसी (UCC) यानी समान नागरिक संहिता लागू होने की एक तरह से उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इस मामले में यूसीसी तैयार कर रही कमेटी अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद यूसीसी के तैयार होने की बात कह चुकी है, और मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के बाद यूसीसी को शीघ्र लागू करने की बात कही है।

UCCबताया जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली यूसीसी एक तरह से पूरे देश के लिए प्रयोग की तरह होगी। यानी यहां इसके लागू होने पर आने वाली प्रतिक्रियाओं का असर इसे आगे पूरे देश में लागू होने पर पड़ेगा। यूसीसी का सर्वाधिक असर मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पड़ने की बात कही जा रही है, हालांकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी कह चुके हैं कि उनका इरादा किसी के पूर्व से चले आ रहे रिवाजों को छेड़ने का नहीं है।

जबकि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी कहा है कि कोई भी कानून किसी की मान्यताओं पर प्रभाव नहीं डालता है। यह जरूर होता है कि यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है और उसके खिलाफ शिकायत की जाती है तो कानून के तहत उस पर कार्रवाई हो सकती है। यहां हम यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि अब तक सूत्रों से यूसीसी के जिन प्राविधानों की जानकारी सामने आ रही है, उससे उत्तराखंड में रहने वाली करीब 15 से 16 लाख की मुस्लिम आबादी कितने प्रभावित होगी।

यूसीसी के सूत्रों से प्राप्त प्राविधानों के अनुसार कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाले यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने का फैसला हो सकता है। इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित सभी धर्मों की महिलाओं को परिवार और माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

1. 15 की जगह 21 साल में हो सकेगी बेटियों की शादी

बेटों की तरह बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला हो सकता है। जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ में मुस्लिम लड़की की शादी की उम्र 15 साल है। शादी की उम्र बढ़ने से उन्हें शारीरिक व मानसिक तौर पर बढ़ने के साथ ही पढ़ाई के भी अधिक अवसर मिल सकेंगे।

2. पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरे या बहुविवाह की अनुमति नहीं

किसी भी पुरुष और महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी। जबकि मुस्लिम शरीयत कानून की धारा दो के तहत कोई भी मुसलमान पुरुष कुछ शर्तों के साथ 4 शादियां कर सकता है। इसके लिए उसे पहली पत्नी की सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं इसके ठीक विपरीत मुस्लिम महिला अपने पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी नहीं कर सकती। अब अगर उत्तराखंड में यूसीसी लागू होगा तो मुस्लिम पुरुष भी बिना पहली पत्नी को कानूनी तौर पर तलाक दिए दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे। यूसीसी के ड्राफ्ट में सभी धर्मों पति और पत्नी को तलाक लेने के लिए समान अधिकार देने की सिफारिश की गई है। कोई भी दंपत्ति कानूनी प्रक्रिया के तहत ही तलाक ले सकते हैं। लेकिन वह पहले से हो चुके प्राविधान के तहत एक साथ तीन तलाक नहीं ले सकेंगे।

3. गुजारा भत्ता देने के नियम भी बदलेंगे

इसके अलावा मुसलमान पुरुषों को तलाक के बाद अपनी पत्नी को आजीवन या जब तक उसकी पत्नी दूसरी शादी नहीं कर सकती तब तक गुजारा भत्ता देना होगा। जबकि बताया जाता है कि मुसलमान पुरुषों को केवल तलाक के तीन महीने 10 दिन तक ही अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है।

4. महिलाओं को मिलेगा पैतृक संपत्ति में बराबर का हक

यूसीसी के प्राविधानों के अनुसार मुस्लिम महिलाओं को पैतृक संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में अपने भाइयों की तरह समान अधिकार मिल सकता है। जबकि अब तक पैतृक संपत्ति पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी मिलती है, लेकिन यूसीसी में बराबर के हक की वकालत की जा सकती है। इस तरह मुस्लिम महिलाएं लााभान्वित होंगी तो उनके भाइयों को यह नुकसानदेह लग सकता है।

5. गोद लिए बच्चों को भी मिलेगा जैविक बच्चों की तरह बराबरी का हक

यूसीसी मे एक बड़ा प्राविधान गोद ली जाने वाली संतानों को भी जैविक संतान के बराबर का ही हक देने का हो सकता है। लेकिन हिंदुओं से इतर मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में ऐसी गोद ली गई संतानों को बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में यूसीसी लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिल सकता है। यूसीसी के प्रस्तावित मसौदे में ‘हलाला’ और ‘इद्दत’ की प्रथा को बंद करने की सिफारिश की गई है। इस सिफारिश का खासकर मुस्लिम महिलाओं पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

6. बच्चों की संख्या हो सकती है तय

इसके अलावा यूसीसी के प्रस्तावित मसौदे में कथित तौर पर बच्चों की संख्या तय करने की सिफारिश की गई है। हालांकि इसमें संख्या का विवरण नहीं दिया गया है। इस सिफारिश का प्रभाव भी मुस्लिम धर्म के लोगों पर पड़ सकता है, जो कथित तौर पर बच्चों को ‘अल्लाह की मर्जी’ से जोड़ते हैं। 

(डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें, यहां क्लिक कर हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें। यहां क्लिक कर हमारे टेलीग्राम पेज से जुड़ें और यहां क्लिक कर हमारे फेसबुक ग्रुप में जुड़ें।

यह भी पढ़ें : समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा तैयार, उत्तराखंड लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा, जानें 10 बड़े प्राविधान जो यूसीसी में हो सकते हैं..

नवीन समाचार, देहरादून, 30 जून 2023। उत्तराखंड के यूसीसी (UCC) यानी यूनीफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है। इसकी घोषणा आज उत्तराखंड यूसीसी कमेटी की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने की। एक पत्रकार वार्ता में नई दिल्ली में न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने कहा, ‘मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मुद्रित की जाएगी। इसके बाद इसे उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा।’

UCCन्यायमूर्ति रंजना देसाई ने कहा कि कमेटी ने उत्तराखंड के राजनेताओं, मंत्रियों, विधायकों और आम जनता की राय लेने के बाद ही समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर बहुत उत्साहित हैं। सरकार बनने के बाद यूसीसी पर बहुत तेजी से काम हुआ है। अब यूसीसी का मसौदा तैयार हो चुका है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में यूसीसी के लिए ड्राफ्ट तैयार किए जाने को लेकर सरकार ने 27 मई 2022 को आदेश जारी कर विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इसके बाद से ही डॉक्टर रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी, ड्राफ्ट तैयार करने के लिए काम कर रही थी। विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को हुई थी। इसके बाद से अभी तक समिति की 63 बैठकें हो चुकी है। लोगों के सुझाव के लिए गठित उप समिति ने करीब 20 हजार लोगों से मुलाकात कर सुझाव लिए हैं, साथ ही समिति को करीब 2 लाख 31 हजार से ज्यादा लिखित सुझाव कमेटी को मिले थे।

इधर गत 2 जून को न्यायमूर्ति रंजना देसाई और उत्तराखंड के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्यों ने विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी और सदस्यों केटी शंकरन, आनंद पालीवाल और डीपी वर्मा से मुलाकात की थी। तब न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने कहा था कि विधि आयोग इस मुद्दे को लेकर काम करने पर विचार कर रहा है।

यह हो सकता है यूसीसी के ड्राफ्ट में :

सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर समिति कुछ अहम सिफारिशों के बारे में पता चला है।
1. कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाले यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने का फैसला हो सकता है। इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली सभी महिलाओं को परिवार और माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
2. बेटों की तरह बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला हो सकता है।
3. मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कोई भी मुसलमान पुरुष कुछ शर्तों के साथ 4 शादियां कर सकता है। लेकिन उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी।

4. उत्तराखंड में यूसीसी के तहत ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के रजिस्ट्रेशन के प्राविधान पर भी विचार चल रहा है। बताया जा रहा है लिव इन रिश्तों का भी शादी की तरह ही पंजीकरण करना अनिवार्य हो सकता है। लिव-इन रिलेशन पर रहने के लिए लिव-इन जोड़ों के लिए अपने माता-पिता को सूचित करना अनिवार्य होगा। मसौदे में विवाह के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया गया है।
5. एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा।
6. यूसीसी में यह प्रस्ताव भी दिया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए। इस नियम से मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। अब तक पैतृत संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन यूसीसी में बराबर के हक की वकालत की जाएगी। इस तरह किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी।

7. यूसीसी मे एक बड़ा फैसला गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर का ही हक मिलता है। लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में यूसीसी लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा और यह अहम बदलाव होगा।
8. यूसीसी के प्रस्तावित मसौदे में ‘हलाला’ और ‘इद्दत’ की प्रथा को बंद करने की शिफारिश की गई है।
9. ड्राफ्ट में पति और पत्नी दोनों को, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, तलाक लेने के लिए समान आधार और अधिकार देने की सिफारिश की गई है। कोई भी दंपत्ति कानूनी प्रक्रिया के तहत ही तलाक ले सकते हैं।
10. यूसीसी के प्रस्तावित मसौदे में कथित तौर पर बच्चों की संख्या तय करने की सिफारिश की गई है। हालांकि इसमें संख्या का विवरण नहीं दिया गया है।

Uniform Civil Code drafted, Uttarakhand will become the first state to implement, know 7 big provisions that can be in UCC ..

Naveen Samachar, Dehradun, 30 June 2023. The draft of UCC i.e. Uniform Civil Code i.e. Uniform Civil Code of Uttarakhand has been prepared. This was announced today by Justice Ranjana Desai, President of Uttarakhand UCC Committee. In a press conference in New Delhi, Justice Ranjana Desai said, ‘I am very happy to inform you that the draft of the proposed Uniform Civil Code of Uttarakhand is now complete. The report of the Expert Committee will be printed along with the draft. After this it will be handed over to the Uttarakhand government.

Justice Ranjana Desai said that the committee has prepared the draft Uniform Civil Code only after taking the opinion of politicians, ministers, legislators and general public of Uttarakhand. On the other hand, Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami said that he is very excited about the Uniform Civil Code ie UCC. After the formation of the government, the work on UCC has been done very fast. Now the draft of UCC is ready.

It is notable that the government had constituted an expert committee by issuing an order on May 27, 2022, regarding the preparation of draft for UCC in Uttarakhand. Since then, the committee constituted under the chairmanship of Dr. Ranjana Desai was working to prepare the draft. The first meeting of the expert committee was held on 4 July 2022. Since then, 63 meetings of the committee have been held so far. The sub-committee constituted for people’s suggestions has met about 20 thousand people and taken their suggestions, along with the committee had received more than 2 lakh 31 thousand written suggestions.

Here, on June 2, Justice Ranjana Desai and members of the committee that drafted the UCC for Uttarakhand met Law Commission Chairman Justice (retd) Rituraj Awasthi and members KT Sankaran, Anand Paliwal and DP Verma. Then Justice Ranjana Desai had said that the Law Commission is considering working on this issue.
This can happen in UCC draft

According to information received from sources, the committee has come to know about some important recommendations regarding the Uniform Civil Code in Uttarakhand.
1. It is being said that there may be a decision to give equal rights to women in the UCC to be implemented in Uttarakhand. Under this, all women belonging to any religion including Hindu, Muslim, Sikh, Christian will get equal rights in the property of family and parents.
2. Like sons, the age of marriage of daughters can also be decided to be 21 years.
3. Under Muslim Personal Law, any Muslim man can do 4 marriages with certain conditions. But under the proposed Uniform Civil Code in Uttarakhand, no man and woman will be allowed to do polygamy.

4. The provision of registration of ‘live in relationship’ under UCC is also under consideration in Uttarakhand. It is being told that registration of live-in relationships may be mandatory just like marriage.
5. There is also an important proposal that the daughter-in-law and son-in-law of the family will also be considered responsible for taking care of the elders dependent on them.
6. It can also be proposed in the UCC that women of any religion should get equal rights in property. With this rule, Muslim women will get more rights. So far, in the case of division of ancestral property, a man gets twice as much property as a woman, but equal rights will be advocated in the UCC. In this way, women belonging to any religion will be entitled equally in property.

7. A major decision in the UCC can also be regarding the rights of the children to be adopted. Under the Hindu Succession Law, an adopted son or daughter also has the same rights as a biological child. But there is no talk of equal rights in the personal law of Muslim, Parsi and Jewish communities. In such a situation, with the implementation of UCC, the adopted children will also get equal rights and this will be an important change.

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