May 3, 2024

Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala, Khatna..1: ‘खतना, इद्दत, हलाला….’ मुस्लिमों के संबंध में क्या है उत्तराखंड के बहुचर्चित यूसीसी बिल में… ?

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Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala

Apharan,

नवीन समाचार, देहरादून, 7 फरवरी 2024 (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा में यूनिफार्म सिविल कोड का बिल पेश कर दिया, जिस पर दूसरे दिन भी सदन में चर्चा जारी है। करीब 4 भागों और 800 पन्ने के यूसीसी के ड्राफ्ट में कई प्रावधान किए गए हैं। यहां क्लिक करके पढ़िये उत्तराखंड का पूरा यूसीसी बिल।

UCC, Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala, हालांकि देश के इस पहले समान नागरिक संहिता बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नही है, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ियों, परंपराओं और प्रथाओं को खत्म करने का आधार बनाया गया है। बिल में इद्दत, हलाला (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। वहीं शादी, तलाक, उत्तराधिकारी, बच्चों को गोद लेने के नियमों और पैतृक संपत्तियों में बेटों और बेटियों को बराबर का हक देने की बात कही गई है। हालांकि एक चर्चा खतना को लेकर भी है। अलबत्ता यूसीसी के ड्राफ्ट में खतना प्रथा पर रोक नहीं लगाई गई है।

उत्तराखंड यूनिफार्म सिविल कोड के ड्राफ्ट में अलग धर्मों की 10 सिविल कानून को भी शामिल किया गया हैं, जिसमें विवाह अधिनियम भी शामिल है।

ये हैं अहम प्रावधान (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

लोगों में उत्सुकता है कि आखिर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता बिल में खासकर मुस्लिमों के लिये क्या खास है। विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार से लेकर क्या-क्या अब बदल जाएगा। आखिर इस बिल में ऐसा क्या है, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युगांतकारी कह रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं। इस बिल के लागू होते ही सभी धर्मों में महिलाओं के अधिकार एक समान हो जायेंगे। विवाह की उम्र सभी के लिए 21 साल होगी, जो कि वर्तमान में 18 साल है।

गौरतलब है कि मुस्लिम वर्ग में लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र वह होती है, जिस आयु में उनका मासिक धर्म शुरू होता है। इसके अलावा इस बिल में गोद लेने, तलाक लेने, और पैतृक सम्पत्तियों में महिलाओं के अधिकार का भी प्रावधान किया गया है। शादी के नियमों का उल्लंघन करने पर 6 महीने की सजा और 50 हजार का जुर्माना भी है।

एक से अधिक पत्नियों वाले पुरुष को तलाक लेने के दौरान पत्नी को अदालती कार्रवाई का खर्चा देना होगा। हर महीने गुजारा भत्ता भी देना होगा। गुजारा भत्ते के ऐसे आवेदनों को 60 दिन के भीतर निस्तारित करना होगा। इतना नहीं तलाक के मामले में अवयस्क बच्चे की अभिरक्षा कोर्ट तय करेगा, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चे की अभिरक्षा मां को मिलेगी। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

नये कानून में एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है। वहीं इद्दत-हलाला पर बिल में सीधे नहीं, अलबत्ता परोक्ष तौर महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक नहीं करना होगा।

यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) शाहबानो प्रकरण भी बना यूसीसी का आधार

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने के लिए इंदौर की शाहबानो के मामले को भी आधार बनाया गया है। इसमें बताया गया कि कैसे 62 वर्ष की उम्र में शाहबानो को उनके पति ने तलाक दे दिया था। उनके पांच बच्चे थे। वह न्यायालय गईं तो उन्हें 25 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्णय हुआ। इससे असंतुष्ट शाहबानो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय गईं, जिसने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 179.20 रुपये प्रतिमाह कर दिया, मगर पति ने भत्ता देने से इन्कार कर दिया।

अप्रैल 1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर मुहर लगा दी। लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार इसके विरुद्ध नये प्राविधान ले आयी। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) बहु विवाह प्रतिबंधित किया गया

नये यूसीसी बिल में बहु विवाह को पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया गया है। हर विवाह और तलाक का पंजीकरण ग्राम, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका के स्तर पर अथवा ऑनलाइन कराया जाना जरूरी होगा। बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक विवाह होने के बाद दूसरा विवाह पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) विवाह की आयु

सभी धर्मों के लिए विवाह की आयु समान की गई है। पुरुष के लिए कम से कम 21 वर्ष और स्त्री के लिए न्यूनतम 18 वर्ष। मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह की आयु बालिग होने या 15 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन अब प्रदेश में सबके लिए आयु की एक ही सीमा होगी। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि इससे किसी धर्म, मजहब, पंथ, संप्रदाय और मत के अपने-अपने रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

निकाह, आनंद कारज, अग्नि के समक्ष फेरे और होली मेट्रिमोनी जैसे रीति रिवाज अपनी मान्यताओं के अनुसार ही होंगे। हालांकि, नये बिल में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अनुसूचित जनजातियां यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगी। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) प्रथा, रूढ़ि और परंपरा के तहत तलाक मान्य नहीं

यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि इस अधिनियम के अलावा किसी अन्य प्रथा, रूढ़ि, परंपरा के तहत तलाक मान्य नहीं होगा। किसी प्रथा, रुढ़ी या परंपरा के तहत तलाक देने पर तीन साल की जेल और जुर्माना होगा। पूर्व की पत्नी होने के बावजूद पुनर्विवाह करने पर तीन वर्ष की जेल, एक लाख रुपये तक जुर्माना और सजा छह माह तक बढ़ाई जा सकती है। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) उत्तराखंड में 2010 के बाद हुई शादी तो कराना होगा पंजीकरण, वरना जुर्माना

अगर आपका विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआ है, तो उसका पंजीकरण कराना होगा। पहले जो करा चुके हैं, उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में यह प्रावधान है। खास बात ये भी है कि कानून लागू होने के छह माह के भीतर पंजीकरण न कराने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

पंजीकरण में गलत तथ्य देने वालों पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि विवाह करने वालों में से अगर स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका शादी का पंजीकरण अनिवार्य होगा। 26 मार्च 2010 (उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण एक्ट) तक के जो विवाह पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें यूसीसी लागू होने के बाद छह माह के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें कानून लागू होने के छह माह के भीतर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा पेश करनी होगी (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

(Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala) यूसीसी के अंतर्गत निम्न रिश्तों में विवाह को कानूनी रूप से निषिद्ध किया गया है :

यह सूची बताती है कि यूसीसी लागू होने के बाद पुरुष किन महिलाओं और महिलाएँ किन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेंगी। बहन-भाई, भांजी-भांजा, भतीजी-भतीजा, मौसी-चाचा-ताऊ, बुआ-चचेरा भाई, चचेरी बहन-फुफेरा भाई, फुफेरी बहन-मौसेरा भाई, मौसेरी बहन-ममेरा भाई, ममेरी बहन-नातिन का दामाद, माँ-पिता, सौतेली माँ-सौतेला पिता, नानी-दादा, सौतेली नानी-सौतेला दादा, परनानी-परदादा, सौतेली परनानी-सौतेला परदादा, माता की दादी-परनाना (पिता का नाना), माता की दादी-सौतेला परनाना, दादी-नाना, सौतेली दादी-सौतेला नाना, पिता की नानी-परनाना.

पिता की सौतेली नानी-सौतेला परनाना (माता का सौतेला परनाना), पिता की परनानी-माता के दादा, पिता की सौतेली परनानी-माता का सौतेला दादा, परदादी बेटा-सौतेली परदादी दामाद, बेटी पोता-बहू (विधवा) बेटे का दामाद, नातिन नाती-पोती बेटी का दामाद, पोते की विधवा-बहू परपोता, परनातिन-पोते का दामाद, परनाती की विधवा-बेटे का नाती, बेटी के पोते की विधवा-पोती का दामाद, बेटे की नातिन-बेटी का पोता, परपोती-नाती का दामाद, परपोते की विधवा-नातिन का बेटा, नाती की विधवा-माता का नाना.

इन सभी रिश्तों में किए गए विवाह को यूसीसी के अंतर्गत वैध रिश्ते नहीं माना जाएगा। गौरतलब है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत यह बंदिशें पहले से देश की बहुसंख्यक आबादी पर लागू थीं। अब यह उत्तराखंड के भीतर पूरी जनता पर लागू होंगी। (Uttarakhand UCC bill for Muslims Iddat-Halala)

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