नवीन समाचार, नैनीताल, 28 फरवरी 2024 (Well done! Chetan, doing research in Cambridge)। ‘यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों के आगे अंगुलियां, रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है।’ ये पंक्तियाँ नैनीताल के निकटवर्ती गांव बजूँन निवासी चेतन पांडे पर सटीक बैठती हैं। चेतन ने अपनी मेहनत, मेधा, दृढ़ निश्चय व आत्मविश्वास से नैनीताल के एक गांव से इंग्लैंड के विश्व प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तक का सफर तय किया है।
चेतन ने अकेले रिकॉर्ड 121 नोबेल पुरस्कार देने वाले कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कठिन मानको की बाधा पार कर ‘प्लांट बायोटेक्नोलॉजिस्ट व माइक्रोबायलॉजिस्ट के रूप में प्रसिद्ध पादप विज्ञानी डॉ.सेबेस्टियन शोनार्क के निर्देशन में शोध कार्य प्रारंभ कर दिया है।
नैनीताल के सेंट जोसफ कॉलेज से पढ़े हैं चेतन (Well done! Chetan, doing research in Cambridge)
चेतन ने इंटर तक की शिक्षा शिक्षानगरी भी कहे जाने वाले नैनीताल के सेंट जोसेफ कॉलेज से आईएससी बोर्ड परीक्षा में 96.5 प्रतिशत अंकों के साथ नगर में दूसरा स्थान प्राप्त करते हुये उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने बीएससी व एमएससी ऑनर्स की परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से उत्तीर्ण की। बीएससी ऑनर्स में उन्होंने 9.757 सीजीपीए अंक प्राप्त कर हिंदू कॉलेज में प्रथम व संपूर्ण दिल्ली विश्वविद्यालय में तीसरा स्थान प्राप्त किया था और एमएससी की प्रवेश परीक्षा में प्रथम पाँच स्थान में रहकर दिल्ली विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त की।
दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान चेतन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ.प्रेम लाल उनियाल, डॉ.नेहा कपूर व डॉ.विभूति के दिशा-निर्देशन में ब्रायोफाइट सेलाजिनला में कैंसर रोधी गुण, मिलेट्स यानी मोटे अनाजों के एंटीआक्सीडेंट गुण व कोविड-19 में पादप न्यूट्रीएंट का प्रभाव आदि शोध कार्य किये। उनके तीन शोध पत्र विभिन्न जर्नलों में प्रकाशित तथा नाइपर एवं राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोकेमिस्ट्री द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत किये गये।
चेतन संगीत, आर्ट, फोटोग्राफी, गायन व लेखन में भी अच्छा दखल (Well done! Chetan, doing research in Cambridge)
शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ साथ चेतन संगीत, आर्ट, फोटोग्राफी, गायन व लेखन में भी अच्छा दखल रखते हैं। उनके स्पॉटीफाई चौनल पर 35 से अधिक देशों के प्रशंसक है। चेतन हिन्दी-अंग्रेजी के अलावा कोरियाई भाषा के भी जानकार है। कोविड महामारी के समय चेतन ने फ्लोरिडा व औरबर्न के छात्रों के लिये जीव विज्ञान, बायोकेमिस्ट्री व अंग्रेजी विषयों का ऑनलाइन कक्षायें संचालित कीं।
चेतन द्वारा सामाजिक जिम्मदारियों का निर्वहन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की फाइन आर्ट सोसाइटी, नार्थ ईस्ट सोसाइटी व पर्यावरण सोसाइटी में भी सक्रिय रूप से कार्य किया। चेतन के पिता कमलेश पांडे सेवानिवृत्त शिक्षक व माता जूनियर हाई स्कूल थापला में प्रधानाध्यापिका हैं। चेतन अपनी सफलता का श्रेय अपने पारिवारिकजनों, बुआ निर्मला पांडे और प्रिय मित्र अभिषेक यादव को देते हैं। (Well done! Chetan, doing research in Cambridge)
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