भाजपा मोदी के तो कांग्रेस अपने कट्टर समर्थकों के भरोसे ! वह भी भाजपा को ही वोट देने को मजबूर…!!
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 अप्रैल 2024 (2024 Election-Voting-Voters Mood Analysis)। देश-प्रदेश में हो रहे लोक सभा चुनाव के तहत शुक्रवार को हुए मतदान के दौरान मतदाताओं के मूड और चुनाव परिणाम को लेकर चर्चाएं हर ओर रहीं। संभवतया यह पहली बार होगा जब खासकर भाजपा के मतदाता बेझिझक और खुलकर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने का ऐलान करते या इशारों में अपने मतदान का खुलासा करते दिखे, जबकि कांग्रेस के मतदाता अपेक्षाकृत खामोश दिखे।
गौरतलब है कि कुछ दशकों पूर्व इसका उल्टा दिखता था, बल्कि पिछले कुछ चुनावों में दोनों ही दलों के मतदाता कमोबेश खामोश रहते थे, इस कारण चुनावी विश्लेषक भी चुनाव परिणाम पर स्पष्ट नहीं कह पाते थे और चुनाव परिणाम आने पर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये विजयी होने वाली पार्टी के पक्ष में ‘अंडर करंट’ बताते थे।
जबकि इस बार ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी मतदान के दौरान खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मुखर नजर आयी हैं। यह भी है कि चुनाव में केवल मोदी मुद्दा हैं। भाजपा या पार्टी के प्रत्याशी या अन्य प्रत्याशियों के नाम पर कोई चर्चा नजर नहीं आयी है। यानी विपक्षी भी कहीं चर्चा कर रहे हैं तो सीधे मोदी की ही कमियां बताने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह भाजपा और उनके प्रत्याशी केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू पर और मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कट्टर समर्थकों, पुराने कांग्रेसियों के भरोसे और शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम अल्पसंख्यक मतदाताओं के भरोसे दिख रही है।
कट्टर कांग्रेसी भी भाजपा को वोट देने को मजबूर (2024 Election-Voting-Voters Mood Analysis)
नैनीताल। सामान्यतया ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य या गांव के किसी राजनीतिक दल से जुड़े स्थानीय नेता के कहने पर मतदान करते हैं। इसलिये कि भविष्य में कभी कोई काम हो तो उसी नेता से अपने काम करवाएं। प्रत्याशी भी इन्हीं ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य या गांव के स्थानीय नेता के माध्यम से ही गांव में जनसंपर्क करते हैं। लेकिन इस बार इसे भाजपा की रणनीति कहें या कुछ और, अधिकांश स्थानीय नेता भाजपा में शामिल हो गये हैं। ऐसे में कट्टर कांग्रेसी ग्रामीण भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने को मजबूर हो गये हैं। (2024 Election-Voting-Voters Mood Analysis)
नहीं लग पाये कई जगह कांग्रेस सहित अधिकांश प्रत्याशियों के बस्ते (2024 Election-Voting-Voters Mood Analysis)
नैनीताल। चुनाव में राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों के बस्ते कहे जाने वाले टेबल लगने की परंपरा रही है। माना जाता है कि प्रत्याशियों के समर्थक उनके बस्तों के पास जाकर अपना नाम मतदाता सूची में देखते हैं और अपने बूथ का पता करते हैं। इन बस्तों पर लगने वाली मतदाताओं की भीड़ से प्रत्याशियों के जीतने के अनुमान लगाये जाते हैं। लेकिन संभवतया पहली बार होगा जब नैनीताल जनपद के पर्वतीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बूथों पर भाजपा के अलावा अन्य प्रत्याशियों के बूथ ही लगे नजर नहीं आये हैं। (2024 Election-Voting-Voters Mood Analysis)
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