नवीन समाचार, नैनीताल, 27 मई 2023। नगर के मल्लीताल चार्टन लॉज क्षेत्र में बीडी पांडे जिला चिकित्सालय के कर्मचारी आवासों एवं रोपवे स्टेशन के पास का स्थान सीवर लाइन के अक्सर ओवरफ्लो होकर उफनने का ‘हॉट स्पॉट’ बन गया है। यहां अक्सर सीवर लाइन उफनती है और सीवर की गंदगी पास के नाला नंबर 20 की शाखा के माध्यम से सीधे नैनी झील में जाती रहती है। यह भी पढ़ें : पत्रकार जगमोहन रौतेला की पत्नी का निधन, रुला देगी आखिरी पोस्ट और आखिरी वक्त में देहदान का जज़्बा…
गौरतलब है यहां स्थित सीवर लाइन पूरे सात नंबर क्षेत्र के सीवर को तीक्ष्ण ढलान पर लेकर आती है और यहां लाइन क्षैतिज हो जाने के कारण अक्सर उफनने लगती है। इसका कारण यह भी है कि कई जगह बारिश का पानी एवं मिट्टी-पत्थर भी सीवर लाइनों में चला जाता है, साथ ही कई लोग कपड़े आदि भी सीवर लाइनों में डाल देते हैं। इस कारण भी सीवर लाइनें चोक हो जाती हैं। यह भी पढ़ें : बड़ी दुर्घटना: कार के खाई में गिरने से 5 लोगों की मौत, मृतकों में 4 महिलाएं… देखें वीडिओ :
हाईकोर्ट के आदेश एवं डीएम की स्वीकृति के आदेश पर भी नहीं हुआ काम
नैनीताल। नगर में आंतरिक सीवर लाइनों की समस्या पर लगातार प्रकाशित होनेे वाले समाचारों पर स्वतः संज्ञान लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय से बीते वर्ष जिला प्रशासन को आदेश जारी किए थे। इस पर तत्काल जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने झील विकास प्राधिरण से जल संस्थान को ऐसे महत्वपूर्ण स्थानों पर वैकल्पिक लाइनों की स्थापना करने सहित अन्य आवश्यक कार्य करने के लिए आदेश जारी किए थे। यह भी पढ़ें : सेवानिवृत्त अधिकारी की संदिग्ध मौत, बेटे ने अपनी पत्नी पर लगाया ससुर की हत्या का आरोप, पुलिस जांच में जुटी…
इस पर जल संस्थान ने नगर पालिका को नगर के ऐसे विभिन्न स्थानों पर आवश्यक कार्यों के लिए करीब 80 लाख रुपए का प्रस्ताव दिया था। जल संस्थान के सहायक अभियंता डीएस बिष्ट ने बताया कि इसमें इस स्थान पर लाइन का बाइपास करने के लिए भी करीब दो-ढाई लाख का प्रस्ताव शामिल था। इस प्रस्ताव पर अब तक जल संस्थान को कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। यह भी पढ़ें : बड़ा समाचार: नैनीताल के पंजीकृत व गैर पंजीकृत होटलों की सूची तलब, टैक्सियों का किराया सार्वजनिक होगा, बिन पहचान पत्र नहीं कर सकेंगे पर्यटन कारोबार
यह भी समस्या है कि नगर में पेयजल एवं सीवर लाइनों के अनुरक्षण के कार्य तो जल संस्थान के द्वारा किए जाते हैं किंतु लाइनों के निर्माण एवं अन्य कार्यों के लिए धनराशि जल संस्थान की जगह जल निगम एवं निगम के एडीबी व अमृत योजना खंड को मिल जाती है। इससे जरूरी कार्य नहीं हो पाते हैं। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।