ऐसे हैं मंगलौर व बद्रीनाथ उपचुनाव के समीकरण, होगी भाजपा व धामी की असली अग्नि परीक्षा, एक सीट पर तो भाजपा कभी नहीं जीती-चौथे स्थान पर भी रही..
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 19 जून, 2024 (Political Equations of Manglaur and Badrinath)। लोक सभा चुनाव में पांचों सीटें जीतने के रथ पर सवार भाजपा और प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी के लिये उप चुनाव के रूप में बड़ी राजनीतिक परीक्षा सामने आ गयी है। इसलिये कि प्रदेश की जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उन दोनों पर पर भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं जीती थी, बल्कि इनमें से एक सीट तो ऐसी है, जिस पर भाजपा आज तक के चुनावी इतिहास में कभी भी नहीं जीती है। देखें वीडियोः
जी हां, हम उत्तराखंड की हरिद्वार जनपद की मंगलौर विधान सभा की बात कर रहे हैं। यहां तीन प्रमुख राजनीतिक दलों-भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने यहां से काजी निजामुद्दीन को अपना प्रत्याशी बनाया है जब की भाजपा ने हरिद्वार से कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक करतार सिंह बड़ाना को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
भड़ाना अभी हाल में लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। जबकि बसपा ने दिवंगत विधायक सरवर करीम अंसारी के पुत्र उदेबुर्रहमान को अपना प्रत्याशी बनाया है। गौरतलब है कि सरवर करीम अंसारी के इंतकाल की वजह से ही यहां उपचुनाव हो रहा है।
मंगलौर विधान सभा का राजनीतिक इतिहास ऐसा है कि यहां हमेशा से मुस्लिम उम्मीदवार ही विधान सभा पहुंचता रहा है। और भाजपा का प्रत्याशी यहां चौथे स्थान पर रहता रहा है और वर्ष 2002 से 2022 तक के विधानसभा चुनाव में यहां से कभी भाजपा नहीं जीत पाई है। इस तरह भाजपा के पक्ष में जीत की संभावना का कोई समीकरण नहीं है, केवल इसके कि राज्य में हुए सभी उपचुनावों में हमेशा सत्तारूढ़ दल का प्रत्याशी जीतता है।
इस बार चुनावी संघर्ष इसलिये थोड़ा सा दिलचस्प हो गया है कि यहां भाजपा-कांग्रेस दोनों ने दलबदलू नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस चुनाव में यदि उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी के जीतने का संयोग बना तो यह अपने आप में इतिहास होगा, लेकिन यदि ऐसा न हुआ तो विपक्ष को आसन्न निकाय चुनाव से पहले एक मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने का मौका मिल जाएगा।
मंगलौर विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आई थी। इससे पूर्व मंगलौर क्षेत्र लक्सर विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 और 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा से काजी निजामुद्दीन ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। पहली बार उन्होंने लोकदल के प्रत्याशी और दूसरी बार कांग्रेस के हाजी सरवत करीम अंसारी को हराया था।
भाजपा दोनों बार चौथे स्थान पर रही थी। इसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं यानी सरवत करीम अंसारी और काजी निजामुद्दीन ने पाला बदल लिया था। बसपा से दो बार विधायक रहे काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था जबकि हाजी सरवत करीम अंसारी बसपा में शामिल हो गए थे।
ऐसा है उत्तराखंड में विधानसभा उपचुनावों का इतिहास (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
उत्तराखंड में विधानसभा उपचुनाव का गणित हमेशा से सत्ताधारी दल के पक्ष में झुका रहा है। अब तक हुए 15 में से 14 उपचुनावों में सत्ता पक्ष को जीत मिली है। उत्तराखंड में विधानसभा का पहला उपचुनाव 2002 में रामनगर सीट पर हुआ, जहां तत्तकालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।
इसी प्रथम विधानसभा में द्वाराहाट से उक्रांद के विधायक विपिन त्रिपाठी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में त्रिपाठी के पुत्र पुष्पेश त्रिपाठी उक्रांद के टिकट पर निर्वाचित हुए। यह इकलौता उदाहरण है जब सत्तारूढ़ दल का प्रत्याशी उत्तराखंड के इतिहास में चुनाव हारा। जबकि इसके बाद प्रदेश में 13 सीटों पर समय-समय पर उपचुनाव हो चुके हैं, जिसमें हर बार हमेशा की तरह सत्ताधारी दल को सफलता मिली है, हालांकि लोकसभा उप चुनावों में विपक्ष को भी जीत मिली है।
मंगलौर विधानसभा का चुनावी इतिहास (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
मंगलौर का चुनावी समीकरण किसी भी कोण से भाजपा के लिए ठीक नही बैठता है। यह विधान सभा सीट पूरी तरह मुस्लिम मतदाताओं पर आधारित है। यहां आज तक भाजपा का खाता नहीं खुल पाया है। इस बार उप चुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशी सामने हैं। यहां समीकरण बसपा के पक्ष में इस तरह हैं कि बसपा के सरवत करीम अंसारी ने पिछला विधानसभा चुनाव यहां से जीता था, और अब उनके पुत्र यहां से अपने पिता की मौत के साथ सहानुभूति के साथ चुनाव मैदान में हैं।
अलबत्ता बसपा का जनाधार प्रदेश में लगातार सिकुड़ रहा है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में यह बात जाती है कि वह दो बार इस सीट से बसपा के टिकट पर विधायक रहे हैं लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मंगलौर में 23001 मतों की बढ़त मिली थी।
मंगलौर विधान सभा के 2022 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 1,09,503 है। इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 58,658 और महिला मतदाताओं की संख्या 50,820 थी, जबकि वर्ष 2023 में कुल मतदाताओं की संख्या बढ़ कर 1,19,930 हो चुकी है। इसमें से पुरुष मतदाता 63,287 और महिला मतदाता 56,616 एवं तृतीय लिंग के 26 मतदाता हैं। आगे देखना दिलचस्प होगा कि उपचुनाव में मंगलौर की जनता क्या फैसला सुनाती है।
बद्रीनाथ विधानसभा का चुनावी इतिहास (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
दूसरी ओर चमोली जनपद के बद्रीनाथ विधानसभा के चुनावी इतिहास की बात करें तो यह सीट तत्कालीन कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के गत दिनों लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी और अपनी विधायकी से त्यागपत्र देने से खाली हुई है। इसके बाद उपचुनाव की घोषणा होने पर भाजपा ने भंडारी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
यानी मंगलौर और बद्रीनाथ दोनों सीटों पर भाजपा ने हाल में लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी से आये नेताओं को टिकट दिये हैं। भंडारी का बद्रीनाथ सीट पर बरसों से अच्छा प्रभाव रहा है। कभी वह तो कभी उनकी पत्नी बद्रीनाथ के चमोली जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे हैं। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
बद्रीनाथ के चुनावी इतिहास की बात करें तो 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस केवल 991 मतों के अंतर से जीती थी, तब कांग्रेस के अनुसुइया प्रसाद मैखुरी ने भाजपा के केदार सिंह फोनिया को हराया था। लेकिन 2007 में फोनिया ने अपनी मैखुरी को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों ने अपने प्रत्याशी बदले। इस चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी ने भाजपा के प्रेम बल्लभ भट्ट को हराया। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी को हरा दिया। लेकिन 2022 के चुनाव में भंडारी ने भट्ट को चुनाव हरा दिया था। अब भंडारी बद्रीनाथ से भाजपा के प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस ने लखपत बुटौला को बद्रीनाथ से अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में पलड़ा यदि उनके दलबदल से जनता में कोई नाराजगी न हुई तो पहली बार चुनाव लड़ रहे के विरुद्ध भाजपा के राजेंद्र भंडारी के पक्ष में ही नजर आ रहा है। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
यह भी दिलचस्प है कि यहां हमेशा भाजपा-कांग्रेस एक-दूसरे के विरुद्ध ब्राह्मण या क्षत्रिय जाति के समीकरण के अनुसार प्रत्याशी उतारते हैं। यानी यदि भाजपा ब्राह्मण प्रत्याशी उतारती है तो कांग्रेस क्षत्रिय प्रत्याशी देती है, और यदि भाजपा क्षत्रिय प्रत्याशी उतारती है तो कांग्रेस ब्राह्मण प्रत्याशी। और दोनों ही जातियों के प्रत्याशी यहां एक-एक कर जीतते रहते हैं। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
पिछले पांच में से 3 चुनाव में क्षत्रिय और 2 में ब्राह्मण प्रत्याशी जीते हैं। यानी एक-तरह से चुनाव जातीय आधार पर नहीं लड़ा जाता है। वहीं पार्टियों के आधार पर बात करें तो कांग्रेस 3 और भाजपा 2 बार जीती है। यानी इस आधार पर भी बद्रीनाथ किसी एक पार्टी की निश्चित सीट नहीं कही जा सकती है। (Political Equations of Manglaur and Badrinath)
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