
नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अगस्त 2023। पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल के आधार कहे जाने वाले व दशकों से जबर्दस्त भूस्खलन बलियानाला (Baliyanala) के उपचार की उम्मीद बन गई है। इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 177.91 करोड रुपए की वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है और 20 करोड़ की धनराशि अवमुक्त कर दी है।
इस पर केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री व नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने मुख्यमंत्री का आभार जताया है। श्री भट्ट ने कहा कि नैनीताल के तल्लीताल में बलिया नाला क्षेत्र में भूस्खलन और भू धसाव को रोकने के लिए सरकार पूर्ण रूप से प्रयासरत है।
इसी कड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्षेत्र के सुरक्षात्मक एवं पर्यटन विकास संबंधी कार्यों के लिए 177.91 करोड़ रुपए की परियोजना को वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रथम किश्त के रूप में 20 करोड़ की धनराशि अवमुक्त कर दी है। इसके बाद जल्द ही सरकार के प्रयासों से धरातल में कार्य शुरू होगा।
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-बलियानाला (Baliyanala) के सुदृढ़ीकरण कार्यों के दृष्टिगत डीएम ने जीआईसी व जीजीआईसी का किया निरीक्षण
-जीआईसी के मैदान तक संपर्क मार्ग के लिए जीआईसी का बड़ा हिस्सा और जीआईसी के बच्चों को जीजीआईसी में स्थानांतरित करने के लिए जीजीआईसी की प्रयोगशाला की जाएगी ध्वस्त
नवीन समाचार, नैनीताल, 4 फरवरी 2023 (Baliyanala)। नैनीताल नगर के आधार बलियानाला (Baliyanala) में बड़े स्तर पर सुदृढीकरण के कार्य होने हैं। जोशीमठ की आपदा से पहले से नैनीताल का बलियानाला, ठंडी सड़क और गरमपानी में हुए भूस्खलनों का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। प्रदेश के मुख्य सचिव इस हेतु कई बैठकें ले चुके हैं। बलियानाला में करीब 200 करोड़ रुपए से सुदृढ़ीकरण कार्य होने हैं। यह भी पढ़ें : कहा-बहुत दूर जा रहे हैं, सुबह पेड़ पर लटके मिले युवक-युवती, दोनों अलग-अलग विवाहित, दोनों का एक-एक बेटा…
इन कार्यों को शुरू करने के लिए लगभग 18 करोड के यूटिलिटी शिफ्टिंग के कार्य होने हैं। इन कार्यों के तहत नगर के ऐतिहासिक जीआईसी का बड़ा हिस्सा ध्वस्त होने जा रहा है। जीआईसी से होते हुए जीआईसी के मैदान तक संपर्क मार्ग बनना है, जिससे बड़े वाहन व मशीनें बलियानाला क्षेत्र में जाएंगे। जीआईसी के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का विस्थापन व पुर्नवास होना है। इसके लिए निकटवर्ती ताकुला गांव में 50 नाली भूमि चिन्हित की गई है। यह भी पढ़ें : 18 वर्षीय युवक की मैदान में व्यायाम करते-करते हृदयाघात से मौत…
इन्हीं कार्यों के लिए दो दिनों से डीएम धीराज गर्ब्याल विशेष रूप से सक्रिय हैं। शुक्रवार को इस संबंध में बैठक लेने के बाद शनिवार को उन्होंने जीआईसी और जीजीआईसी का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जीआईसी के ध्वस्तीकरण की स्थिति में वहां के बच्चे जीजीआईसी में पढ़ेंगे। इसके लिए जीजीआईसी की जीर्ण-शीर्ण व निष्प्रयोज्य प्रयोगशाला को ध्वस्त किया जाएगा और इसके स्थान पर आधुनिक तकनीक से दोमंजिला हल्का भवन बलियानाला परियोजना के अंतर्गत तैयार किया जाएगा। यह भी पढ़ें : आवारा कुत्ते की मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई, 5 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज, बढ़ सकती हैं धाराएं…
इस दौरान उन्होंने प्रयोगशाला भवन के साथ ही जीआईसी के मैदान तक संपर्क मार्ग बनाने की राह में आ रहे जीआईसी के भवनों को ध्वस्त करने के ध्वस्तीकरण करने के निर्देश दिए। जबकि जीजीआईसी के अन्य भवनों की टपक रही छत की मरम्मत के लिए लोनिवि के अभियंताओं को निर्देशित किया। इस अवसर पर जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी शैलेश कुमार, जीजीआईसी की प्रधानाचार्या बिमला बिष्ट जीआईसी की प्रभारी प्रधानाचार्या रेखा नेगी सहित अन्य संबंधित विभगीय अधिकारी उपस्थित रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने दिए निर्देश, नैनीताल के लिए आज हुए सवा 200 करोड़ से अधिक रुपए स्वीकृत
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 6 दिसंबर 2022 (Baliyanala)। नैनीताल नगर की सबसे बड़ी समस्या, नगर को लीलने पर आमादा नगर का आधार बलियानाला का न केवल उपचार होगा, वरन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह दावा और निर्देश उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने मंगलवार को आयोजित आपदा प्रबंधन विभाग की राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में दिए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में अपने हल्द्वानी कैम्प कार्यालय से मंडलायुक्त दीपक रावत भी शामिल हुए। इस दौरान राज्य आपदा मोचन निधि और राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के अंतर्गत कुमाऊं मण्डल के विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई। यह भी पढ़ें : नशे के खिलाफ बड़ी सफलता: पिता-पुत्र से नैनीताल पुलिस ने बरामद की 10 लाख से अधिक की स्मैक
बैठक में सबसे खास बात 208.12 करोड़ की लागत के बलियानाला ट्रीटमेंट कार्य को सहमति प्रदान की गई। इसे सहमति देते हुए मुख्य सचिव ने योजना में कार्य को 2 या 3 शिफ्ट में युद्ध स्तर पर करके पूर्ण होने के प्रस्तावित समय 4 साल को घटा कर 2 साल किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो कार्य समानांतर शुरू किए जा सकते हैं, किए जाएं, एवं टेंडर भी तुरंत जारी किए जाएं। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड निवासी युवक ने की अपनी लिव-इन-पार्टनर महिला साथी के दोनों हाथ पाटल से काट कर की हत्या…
उन्होंने मण्डलायुक्त दीपक रावत को इस कार्य में पर्यटन की संभावना को तलाशते हुए पर्यटन से जोड़े जाने की बात भी कही। कहा कि बलियानाला क्षेत्र को आकर्षक पर्यटन स्पॉट में विकसित किया जाए। इस दौरान 1020.09 लाख रुपए की लागत से नैनीताल में डीएसबी परिसर के बालिका छात्रावास और ठंडी सड़क के भूस्खलन की रोकथाम एवं खैरना-गरमपानी कार्य के लिए 750 लाख रुपए की लागत को भी सहमति प्रदान की गई। यह भी पढ़ें : सुबह का सुखद समाचार : उत्तराखंड में 929 पदों पर भर्तियों के लिए आदेश जारी, अन्य के लिए भी बने आसार
इसके अलावा वीसी में अल्मोड़ा की ग्राम सभा तड़कोट में रुपये 68.02 लाख की लागत से जोड़े जाने वाले मुख्य मार्ग में भूस्खलन से आबादी को उत्पन्न खतरे को रोकने हेतु सुरक्षा कार्य, धारचूला के ग्वालगांव क्षेत्र (ऐलधारा) में रुपये 1 करोड़ की लागत से किये जाने वाले सुरक्षात्मक कार्य को भी सहमति प्रदान की गई। साथ ही 15.0 करोड़ की लागत से आपदा के त्वरित प्रतिवादन हेतु राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आईआरएस सिस्टम और सॉफ्टवेयर विकास कार्य को भी स्वीकृति प्रदान की गई। उन्होंने इसमें आईटीडीए को भी शामिल किए जाने के निर्देश दिए। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल (Baliyanala): ठंडी सड़क भूस्खलन के सुरक्षा कार्यों के लिए 12 करोड़ स्वीकृत
नवीन समाचार, नैनीताल, 18 नवंबर 2022 (Baliyanala)। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पिछले वर्ष नैनीताल की ठंडी सड़क पर हुए भूस्खलन के सुरक्षा कार्यों के लिए 12 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए हैं। शुक्रवार को धामी के हल्द्वानी दौरे के दौरान पूर्व मंडल अध्यक्ष मनोज जोशी एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र नेता हरीश राणा ने उनसे मुलाकात के बाद यह जानकारी दी और सीएम का आभार जताया। यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट के बाद नैनीताल तीन अन्य मुख्यालयों को भी शिफ्ट करने की उठी मांग, आगे 9 पर्वतीय जिलों के मुख्यालयों के लिए उठ जाए यही मांग तो आश्चर्य नहीं….
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष बरसात के मौसम में एवं उसके बाद अक्टूबर महीने में हुई भारी बरसात के दौरान डीएसबी परिसर के केपी एवं गौरा देवी बालिका छात्रावासों के नीचे की पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन हुआ था। इससे छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को वहां से अन्यत्र विस्थापित किया गया था। लगातार हो रहे भूस्खलन से छात्राओं के मन में भय व्याप्त था। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में दो वर्ष के बाद हुए पहले छात्र संघ चुनाव में ही छात्रों के सिर फूटे…
इस पर लगातार कई बार मुख्यमंत्री से मिलकर समाधान का आग्रह किया गया था। बीते माह नैनीताल में कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय विधायक सरिता आर्या ने भी इस मामले को प्राथमिकता में रखते हुए मुख्यमंत्री की इस घोषणा को अतिशीघ्र पूर्व करवाने हेतु आग्रह किया था। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें (Baliyanala) : वरुणावत पर्वत का सफल ट्रीटमेंट कर चुके अधिकारी ने किया नैनीताल के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा, बनी स्थायी उपचार की उम्मीद
-प्रदेश के आपदा सचिव ने भू-स्खलन रोकने के लिए ड्रेनेज सपोर्ट, सिस्टम सपोर्ट को ठीक करने एवं बायोट्रीटमेंट की जरूरत जताई
-भू-कटाव से पहले के एवं ट्रीटमेंट कार्यों के बाद की फोटोग्राफी एवं विडियोग्राफी उपलब्ध कराने तथा यथाशीघ्र ट्रीटमेंट का प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 26 सितंबर 2022 (Baliyanala)। पूर्व में जिलाधिकारी रहते उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत का सफल ट्रीटमेंट कर चुके प्रदेश के आपदा सचिव रणजीत सिन्हा ने सोमवार को जनपद मुख्यालय में भूस्ख्लन प्रभावित बलियानाला, पाइंस के समीप भवाली हाइ-वे राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर विगत माह आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त सड़क आदि का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उल्लेखनीय गत दिनों स्थानीय विधायक सरिता आर्य ने श्री सिन्हा को नैनीताल आमंत्रित करने की बात कही थी, और उम्मीद जताई थी कि वे सहज ही नैनीताल में हो रहे भूस्खलनों का भी स्थायी समाधान कर सकते हैं।
इस दौरान श्री सिन्हा ने ने लोनिवि, सिंचाई, जलसंस्थान एवं नगरपालिका के अधिकारियों के साथ क्षेत्र में हो रहे भू-धसाव, भू-कटाव एवं सीवरेज के सम्बंध में गहनता से विचार-विमर्श करते हुए क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया, और अधिकारियों को सम्पूर्ण क्षेत्र का परीक्षण के उपरान्त प्रस्ताव बनाने को कहा, ताकि क्षेत्र में हो रहे भू-स्खलन जैसी घटनाओं को रोका जा सके। इसके लिए उन्होंने भू-स्खलन रोकने के लिए ड्रेनेज सपोर्ट, सिस्टम सपोर्ट को ठीक करने एवं बायोट्रीटमेंट की जरूरत जताई। उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को आपदा के तहत किए जाने वाले कार्यों के प्रस्ताव यथाशीघ्र बनाते हुए आपदा मुख्यालय देहरादून को भेजने को भी कहा।
इसके अलावा उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों से भू-कटाव से पहले के एवं ट्रीटमेंट कार्यों के बाद की फोटोग्राफी एवं विडियोग्राफी उपलब्ध कराने को भी कहा, ताकि सम्भावित खतरे का सही-सही आंकलन किया जा सके। इस दौरान उनके साथ निरीक्षण में अशोक जोशी, अधिशासी अभियन्ता लोनिवि दीपक गुप्ता, एई राजेश, एसडीओ सिंचाई डीडी सती, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई अनिल वर्मा, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी शैलेश कुमार, अधिशासी अभियन्ता जलसंस्थान विपिन कुमार, ईओ नगरपालिका अशोक कुमार वर्मा सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : बलियानाला (Baliyanala) क्षेत्र में हुआ भूस्खलन, जीआईसी के मैदान का 20 मीटर हिस्सा गायब…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 3 अगस्त 2022। नगर के बलियानाला क्षेत्र में मंगलवार की रात्रि एक बार फिर बड़ा भूस्खलन हो गया है। इस बार राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान का हरिनगर की ओर का करीब 20 मीटर हिस्सा बलियानाले में समा गया है। बलियानाला (Baliyanala) क्षेत्र में की जा रही मुनादी भी सुनिए :
क्षेत्रीय निवासी एवं बलियानाला संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुख्त्यार अली ने बताया कि रात्रि में करीब 11 बजे यहां भूस्खलन हुआ। उन्होंने बताया कि यह हिस्सा पिछले वर्ष ही जाने को था लेकिन बारिश रुक जोन के कारण जाने से रुक गया था। यह भी बताया कि इस क्षेत्र में कोई भी परिवार खासकर रात्रि को नहीं रह रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रशासन लोगों को यहां से हटने को कहता है। इस बार भी 55 लोगों को नोटिस जारी हुए, लेकिन लोगों ने नोटिस नहीं लिए। लोग यहां से जाने को भी तैयार नहीं हैं। इस पर उनका कहना था कि प्रशासन दुर्गापुर में विस्थापन कर रहा है, वह क्षेत्र स्वयं बलियानाला के भूस्खलन की जद में है। वहां जाने के लिए रास्ता और वहां विद्यालय व स्वास्थ्य आदि की अन्य सुविधाएं नहीं हैं, जिससे वहां रहकर लोग शहर में अपना परंपरागत कार्य कर सकें। प्रशासन ने ताकुला में स्थान दिलाने की बात कही थी, लेकिन उसमें भी ठोस नहीं हुआ।
यह भी कहा कि क्षेत्रीय लोग स्थान छोड़ भी दें, तब भी भूस्खलन ने जारी रहना है। इस तरह एक तरह से लोग अपने साथ नगर को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रशासन बलियानाला क्षेत्र में करीब 50 करोड़ रुपए लगाकर भी क्षेत्र को बचाने का कोई प्रभावी कार्य नहीं कर पाया है।
वहीं इस बारे में तहसीलदार नवाजिश खलीक ने बताया कि सूचना मिलने के बाद राजस्व उप निरीक्षक एवं कानूनगो सहित विभागीय टीम को मौके पर भेजा गया है। क्षेत्रीय लोगों को पहले ही घर खाली करने के नोटिस भेजे गए हैं। उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। यदि वे घर खाली नहीं करेंगे तो उन्हें डीएम एक्ट के तहत जबरन हटाया जाएगा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
देखें बलियानाला (Baliyanala) में 2 अगस्त 2022 को हुए भूस्खलन की ताजा वीडियो:
देखें 23 अक्टूबर 2021 हुए भूस्खलन की ताजा वीडियो:
देखें इससे पहले 20 अक्टूबर 2021 को हुए भूस्खलन का विडियो :
तब पैदल चलने की भी थी मनाही, अब धड़धड़ाते हैं वाहन
नैनीताल। 10 सितंबर 2014 को हुए भूस्खलन से यहां जीआईसी से ब्रेवरी को जाने वाला सीसी पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया था। इस कारण तब से चार पहिया वाहनों के लिये तो यह मार्ग बंद हो चुका है, किंतु अभी भी ज्योलीकोट-हल्द्वानी जाने के लिए दो पहिया वाहनों के लिए अवैधानिक तरीके से ‘बाई-पास’ के रूप में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि 1898 के भूस्खलन के बाद अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में भूक्षरण रोकने वाली बड़ी मात्रा में घास और जंगल में पेड़ों की सघनता बढ़ाई गई थी। साथ ही लोगों की पैदल आवाजाही भी प्रतिबंधित कर दी थी। वर्ष 1900 के दौर में एक फारेस्ट गार्ड ने ज्योलीकोट से जल्दी पहुंचने पर शाबासी मिलने की चाह में अपने अधिकारी अंग्रेज डीएफओ को इस रास्ते से आने की जानकारी दी। इस पर डीएफओ ने उस पर उल्टे पांच रुपए का जुर्माना ठोंक दिया था।
नगर का शुरुआती होटल था रईश होटल
नैनीताल। रईश होटल क्षेत्र में वास्तव में नगर का शुरुआती दौर का वर्तमान जीआईसी मैदान के पास चार मंजिलों वाले तीन भवनों का रईश होटल स्थित था। बाद के दौर में यहां लोगों ने कब्जे कर लिए। क्षेत्र के विमल जोशी व जसोेदा बिष्ट ने बताया कि 1981 तक होटल बेहद जीर्ण-शीर्ण हो गया था। 81 में एक इसका एक भवन गिर पड़ा, जबकि 97 में शेष को जर्जर होने की वज से तोड़ डाला गया। भवन में 15-20 परिवार काबिज थे, जिनमें से कुछ ने बाद में पास की खाली जमीन पर कब्जा कर लिया, और कुछ अपने कब्जों को किराए पर लगाकर अन्यत्र चले गए। लेकिन बाद में इस बेहद खतरनाक व हर दम जान हथेली पर रखने जैसी जगह पर भी लगातार लोग आते और बसते चले गए। आरोप है कि यही लोग अब अपना यहां अपना हक जता रहे हैं, जबकि मूल वासिंदों का कोई सुधलेवा नहीं है।
नैनीताल में भूस्खलनों का पुराना इतिहास
- 1866 में आल्मा की पहाड़ी पर हुआ था भारी भूस्खलन।
- जुलाई 1867 में नैनीताल क्लब क्षेत्र हुआ था भारी भूस्खलन।
- 1888 में मंदिर के मध्य में भूस्खलन हुआ था।
- 1888 में 28 अगस्त को नैना पीक व चायना पीक चट्टान दरकी।
- 1924 अयारपाटा क्षेत्र में भारी भूस्खलन
- 1987 व 1988, चायना पीक पर भूस्खलन से सौ पेड़ धराशाई हो गए थे। 61 भवनों को नुकसान हुआ और 470 परिवार प्रभावित हुए।
- 21 जून 1988 को सीआरएसटी के ऊपर भूस्खलन से विज्ञान प्रयोगशालाओं को नुकसान हुआ।
- 1990 से पहले डीएसबी के समीप राजभवन रोड, ठंडी सड़क पर भूस्खलन आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : बलियानाला (Baliyanala) के दीर्घकालीन सुधार के लिए शुरू हुआ सर्वेक्षण कार्य
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 जनवरी 2022 (Baliyanala)। नैनीताल नगर के आधार बलियानाला में पिछले कई वर्षों से लगातार खतरनाक स्तर तक जारी भूस्खलन को रोकने एवं बचाव कार्यों के लिए प्रस्तावित दीर्घकालीन कार्यों के लिए सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो गया है। पुणे की जेनस्ट्रू कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के विशेषज्ञों एवं कर्मियों ने इस कड़ी में गुरुवार को नगर के तल्लीताल डांठ एवं ठंडी सड़क क्षेत्र में जियोलॉजिकल टेक्निकल एवं फिजिकल सर्वे कार्य शुरू किए।
बताया गया है कि आगे वह बलियानाला 500-700 वर्ग मीटर की परिधि में आने वाले दोनों ओर के हल्द्वानी व भवाली रोड तथा कैंट क्षेत्र में यह सर्वेक्षण कर वहां की भूस्थिति का जायजा लेंगे, और अगले छह माह के भीतर इस कार्य हेतु डीपीआर यानी विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट सरकार को सौपेंगे।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने बताया कि टीम ने कुछ दिन पूर्व ही यह सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस कड़ी में ड्रोन से भी सर्वेक्षण किए गए हैं। पूर्व में आईआईटी रुड़की ने राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान के पास बड़ा भूजल भंडार होने का खुलासा किया था। इस भूजल भंडार से पानी बाहर निकालने के लिए करीब 100 मीटर गहराई तक ड्रिलिंग की जानी थी, लेकिन वहां तक बड़ी मशीनों के न पहुंच पाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। अब इस बारे में भी इस सर्वेक्षण में विस्तृत रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। सर्वे कार्य में जियोलॉजिस्ट समाधान मदने, डॉ घनश्याम व सिविल इंजीनियर आशुतोष सिंह तथा उनकी टीम के अन्य सदस्य लगे हुए हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल के आधार बलियानाला में फिर भूस्खलन, झील के गेट खुलने से भूस्खलन बढ़ने की संभावना
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 अगस्त 2021। भूगर्भीय दृष्टि से कमजोर नगर के आधार बलियानाला क्षेत्र में इस बरसात में भी भूस्खलन प्रारंभ हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले शुक्रवार रात्रि रईश होटल के मोड़ के पास सिपाही धारे के रास्ते के नीचे बड़ा और शनिवार रात्रि जीआईसी के फील्ड के पास छोटा भूस्खलन हुआ है। बलियानाला संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुख्तार अली ने बताया कि रामलीला स्टेज से सड़क के किनारे आधे पाइप से जाने वाले पानी को इस भूस्खलन का बड़ा कारण बताया जा रहा है।
बारिश होने पर यह पानी बढ़ जाता है और रईश होटल क्षेत्र में भूस्खलन का कारण बन रहा है। क्षेत्रीय लोग विस्थापन के भय से भूस्खलन की सूचना प्रशासन को देने से भी बच रहे हैं। आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेश कुमार ने भी ताजा भूस्खलन की जानकारी किसी माध्यम से मिलने से इंकार किया, अलबत्ता बताया कि करीब एक सप्ताह पहले भी यहां भूस्खलन हुआ था। तब सिंचाई विभाग के अधिकारियों व कर्मियों ने मौका मुआयना किया था।
उल्लेखनीय है कि बलियानाला प्रदेश स्तर पर चर्चा में रहता है, और शासन से यहां चल रहे कार्यों की समीक्षा और जापान की जायका सहित बड़ी-बड़ी एजेंसियों से यहां बलियानाला के संरक्षण के कार्य किए जाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन मलबा कुछ लोगों के लिए करोड़ों रुपए का हलुवा साबित होने के अतिरिक्त धरातल पर कोई स्थायी कार्य नहीं दिखता है।
गत दिनों डीएम धीराज गर्ब्याल ने जीआईसी के नीचे 70 मीटर लंबी भूजल राशि मिलने के भूवैज्ञानिकों के दावे के बाद पानी को बाहर निकालकर इसकी पेयजल हेतु आपूर्ति करने अथवा नैनी झील में पहुंचाने के लिए सिचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता हरीश चंद्र सिंह भारती को नोडल अधिकारी बनाकर जिम्मेदारी सोंपी थी, लेकिन भारती विभाग ही छोड़ अन्यत्र प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। इधर नैनी झील 11.10 इंच से अधिक के स्तर तक यानी लबालब हो चुकी है, और कभी भी अगली बारिश होने पर झील के गेट खोलने की स्थिति आ सकती है। ऐसे में भूस्खलन के और बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।