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December 6, 2024

(Corruption) अब पुलिस का दारोगा हुआ 4000 रुपये की रिश्वत लेते हुये गिरफ्तार

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Corruption

Friend's brutality, Himakat, Haldwani Vigilance arrested Teacher & Headmaster,

नवीन समाचार, रुद्रपुर, 30 जनवरी 2024 (Corruption)। विजीलेंस यानी सतर्कता अधिष्ठान ने मंगलवार को एक और बड़ी कार्रवाई करते हुये एक पुलिस दारोगा यानी उप निरीक्षक को 4000 रुपये की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथांे गिरफ्तार किया है। आरोपित के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत अभियोग दर्ज कर आगे जांच की जा रही है।

Corruptionप्राप्त जानकारी के अनुसार बाजपुर के गांव गणेशपुर निवासी एक शिकायतकर्ता ने सतर्कता अधिष्ठान के टॉल फ्री हेल्पलाईन नम्बर 1064 पर शिकायत अंकित करायी थी कि उसका अपने गांव गणेशपुर में मकान बन रहा है। जिसके लिये उसने अपने पड़ोसियों से बिजली ली हुयी थी। इस कारण बिजली विभाग के अवर अभियंता ने बिजली चोरी करने का आरोप लगाते हुये उसके विरुद्ध थाना कैलाखेड़ा में शिकायत दर्ज करायी थी।

इस पर कैलाखेड़ा थाने में तैनात उप निरीक्षक मोहन सिंह बोहरा उससे मुकदमा न लिखने के एवज में 4000 रुपये की माँग कर रहा है। शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता था, और भ्रष्ट दारोगा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही चाहता था।

इस शिकायत पर सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर नैनीताल हल्द्वानी ने जाँच से प्रथमदृष्टया आरोप सही पाये जाने पर तत्काल ट्रैप टीम का गठन किया और टीम ने नियमानुसार कार्यवाही करते हुए 30 जनवरी को थाना कैलाखेड़ा जनपद ऊधमसिंहनगर में नियुक्त उपनिरीक्षक मोहन सिंह बोहरा को शिकायतकर्ता से 4000 रुपये की रिश्वत लेते हुये थाना कैलाखेड़ा के पास से रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। विजीलेंस की ओर से कहा गया है कि आरोपित के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर आगे अनुसंधान किया जायेगा।

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यह भी पढ़ें : हल्द्वानी (Corruption): 2000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार…

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 17 जनवरी 2024 (Corruption)। सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार, घूसखोरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर तैनात एक दरोगा द्वारा 2000 रुपये की रिश्वत मांगता हुआ रंगे हाथों पकड़ा गया है। सीबीआई ने दरोगा को गिरफ्तार कर लिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार को लेकर चलाए जा रहे है अभियान की शिकायत के आधार पर बुधवार को सीबीआई ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर छापेमारी की। छापेमारी में हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ के जवान को 2000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है।

बताया जा रहा कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ का दरोगा दिनेश कुमार मीणा पार्किंग में टैक्सी पार्क करने की एवज में रिश्वत मांग रहा था। सीबीआई में इसकी ऑनलाइन शिकायत की गई थी। शिकायत मिलने के बाद सीबीआई की टीम दो दिन पहले हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पहुंची और मामले की गोपनीयता से जांच की।

मामला सही पाए जाने के बाद आज रिश्वत लेते हुए आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल सीबीआई की टीम पूरे मामले की जांच पड़ताल कर रही है। आरोपित को सीबीआई की टीम देहरादून लेकर जाएगी।

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यह भी पढ़ें : (Corruption) सड़क पर घूस लेता पकड़ा गया आरटीओ का प्रशासनिक अधिकारी

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 9 जनवरी 2024 (Corruption)। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर सरकार चाहे जितना लगाम लगाने की बातें करे, लेकिन राज्य में भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी का दीमक कम होने का नाम नहीं ले रहा। आज मंगलवार को विजिलेंस की टीम ने जनपद ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर स्थित आरटीओ कार्यालय में तैनात प्रशासनिक अधिकारी को सड़क पर 4000 रुपये रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता ने सतर्कता अधिष्ठान में शिकायत की थी कि उसने थाना हल्द्वानी से नीलामी में मोटर साइकिल ली थी। गाड़ी की आरसी यानी पंजीकरण के कागजातों को अपने नाम पर चढ़ाने के लिये आरटीओ कार्यालय रुद्रपुर के प्रशासनिक अधिकारी भाष्करानन्द जोशी ने उनसे आरसी बनाने के एवज में 4000 रुपये की मांग की।

शिकायत पर सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी ने गोपनीय जांच की और प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाये जाने पर तत्काल ट्रैप टीम का गठन कर मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारी भाष्करानन्द जोशी पुत्र भैरव दत्त जोशी निवासी फेस-3 डहरिया मुखानी, हल्द्वानी जनपद नैनीताल को शिकायतकर्ता से 4000 रुपये की रिश्वत लेते हुये देवलचौड़ चौराहा हल्द्वानी से रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। सतर्कता डॉ. वी मुरुगेशन ने ट्रैप टीम को नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है।

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यह भी पढ़ें : Corruption : विजीलेंस हल्द्वानी ने प्रशासनिक अधिकारी को रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ा…

नवीन समाचार, रामनगर, 22 दिसंबर 2023 (Corruption)। उत्तराखंड के सरकारी विभागीं में रिश्वतखोर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ विजिलेंस की कार्रवाई लगातार जारी है। विजिलेंस ने शुक्रवार को रामनगर के आरटीओ ऑफिस में बड़ी कार्रवाई करते हुये यहां कार्यरत प्रधान सहायक को 2200 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है।

आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत ललित मोहन आर्या एक ई रिक्शा के पंजीकरण के बदले रिश्वत की मांग कर रहा था। इसकी शिकायत ई-रिक्शा मालिक की ओर से विजिलेंस में की गई। इसके बाद विजिलेंस यानी सतर्कता अधिष्ठान सैक्टर हल्द्वानी ने पूरे मामले की गुप्त रूप से जांच की।

गुप्त जांच में शिकायत ठीक पाये जाने पर विजिलेंस ने ट्रैप टीम का गठन किया और शनिवार को एआरटीओ कार्यालय में छापेमारी की और आरोपित ललित मोहन आर्या को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मामले में आरोपित पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अभियोग दर्ज किया जा रहा है। जबकि सतर्कता निदेशक नेा ट्रैप टीम को नकद पुरुस्कार देने की घोषणा की है।

साथ ही आम जन से कहा है कि अगर आप से भी कोई सरकारी अधिकारी या चुना हुआ जनप्रतिनिधि किसी काम के बदले रिश्वत मांगे तो इसकी शिकायत विजिलेंस के टॉल-फ्री हैल्पलाईन नंबर 1064 एवं ह्वाट्सएप नंबर 9456592300 पर चौबीस घंटे की जा सकती है।

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यह भी पढ़ें (Corruption): चर्चित स्ट्रिंग मामला : भ्रष्टाचारी अधिकारी आखिरकार सेवानिवृत्ति के बाद गिरफ्तार.. डिमोशन भी हुआ था…

नवीन समाचार, पौड़ी, 3 नवंबर 2023 (Corruption)। पौड़ी जनपद के शिक्षा विभाग के चर्चित स्टिंग प्रकरण में आखिरकार पुलिस ने तत्कालीन सीईओ यानी मुख्य शिक्षा अधिकारी को देहरादून के बिंदाल क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद आरोपित को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत में पेश किया। न्यायालय ने आरोपित को 14 दिन की रिमांड पर सुद्धोवाला जेल भेज दिया है। प्रकरण से पूर्व सीईओ पदोन्नत होकर एससीईआरटी के निदेशक बन गए थे, जबकि प्रकरण के बाद वह पदावनत होकर उप निदेशक बन गए थे।

ये था मामला : शासन से परमिशन मिलने के बाद पौड़ी कोतवाली में 7 दिसंबर 2022 को वीडियो स्टिंग मामले में पौड़ी के तत्कालीन सीईओ मदन सिंह रावत, तत्कालीन डीईओ माध्यमिक हरे राम यादव और पटल सहायक दिनेश गैरोला के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस प्रकरण को लेकर पौड़ी निवासी आशुतोष नेगी ने पुलिस को शिकायती पत्र देने समेत स्टिंग का वीडियो दिया था। जिसमें शिक्षा विभाग के अफसर को पैसे का लेन देन करते दिखाया गया था।

(Corruption) पौड़ी पुलिस को शिकायत मिलने के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू की गई। इसके बाद पुलिस ने शिक्षा विभाग के इस वीडियो की सत्यता की जांच के लिए चंडीगढ़ प्रयोगशाला भेजा। इसके बाद आरोपियों पर कार्रवाई को लेकर शासन से परमिशन मांगी गई। बताया गया कि इस बीच आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्च न्यायालय की भी शरण ली।

(Corruption) लेकिन कोर्ट ने अंतरिम जमानत के प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने छह सप्ताह की मोहलत देते हुए कहा कि कोर्ट में सरेंडर करते हुए रेगुलर बेल मांगें। जिस पर बीते 26 सितंबर को छह सप्ताह की भी समय सीमा पूरी हो गई। पौड़ी पुलिस ने इस चर्चित स्टिंग मामले में पटल सहायक दिनेश गैरोला के रूप में पहली गिरफ्तारी बीते 15 अक्तूबर को की थी।

(Corruption) पुलिस ने यहां बताया कि आरोपी मुख्य शिक्षा अधिकारी की गिरफ्तारी देहरादून के बिंदाल क्षेत्र से की गई। सीओ नौटियाल ने तत्कालीन सीईओ मदन सिंह रावत की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। बताया कि मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरेराम यादव की तलाश जारी है। वह रिटायरमेंट के बाद से लापता चल रहे हैं।

यह भी पढ़ें : (Corruption) लगातार दूसरे दिन एक राजस्व उप निरीक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार…

नवीन समाचार, हरिद्वार, 27 अक्टूबर 2023 (Corruption)। उत्तराखंड में लगातार दूसरे दिन एक राजस्व उप निरीक्षक-लेखपाल को जनपद हरिद्वार में विजीलेंस यानी सतर्कता अधिष्ठान ने एक शिकायत पर रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

(Corruption) (Corruption) विजिलेंस के अधीक्षक धीरेंद्र गुंज्याल ने शुक्रवार शाम बताया कि एक शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि उसके पास गांव में 18 बीघा जमीन के अलावा, अन्य गांव डौसनी में भी सुरेश कुमार यादव, निवासी सी-127 सुभाष नगर, रूडकी (हरिद्वार) तथा उनकी पत्नी सरोज बाला की लगभग 24 बीघा जमीन है।

(Corruption) जिनकी जमीन की बटाई के बदले में प्रतिवर्ष फसल पर वह किराये की रकम देता है। इस साल बाढ़ आपदा के कारण फसल बर्बाद होने के कारण मुआवजे के लिये दिये गये प्रार्थना पत्र के आधार पर एसडीएम, लक्सर तथा नायब तहसीलदार, लक्सर से 13 सितंबर को इस सम्बन्ध में आदेश किये गए।

(Corruption) इसके बाद उस पर रिपोर्ट लगवाने को एवज में बछेड़ी खादर क्षेत्र के चकबंदी लेखपाल वीरपाल ने उससे 7,500 रुपये रिश्वत की माँग की जा रही है। शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने विजीलेंस में शिकायत की।

(Corruption) विजिलेंस की गोपनीय जाँच में प्रथम दृष्टया आरोप सही लगने पर विजीलेंस की ट्रैप टीम ने आज आरोपित वीरपाल पुत्र आशा राम निवासी, 54, पटेलनगर, गणेशपुर, रूड़की, निकट मालवीय चौक, थाना गंगनहर, जनपद हरिद्वार को शिकायतकर्ता से 7500 रुपये रिश्वत ग्रहण करते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। विजिलेंस निदेशक ने ट्रैप टीम को नकद पुरूस्कार की घोषणा की गयी है।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि इसके एक दिन पहले हल्द्वानी की विजीलेंस की टीम ने गुरुवार को सितारगंज क्षेत्र के एक राजस्व उप निरीक्षक-पटवारी को 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।

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यह भी पढ़ें : हल्द्वानी (Corruption) : एक और घूसखोर रंगे हाथों चढ़ा विजीलेंस के हत्थे, टीम को मिला 5000 का पुरस्कार

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 26 अक्टूबर 2023 (Corruption)। उत्तराखंड विजीलेंस यानी राज्य सतर्कता अधिष्ठान ने गुरुवार को भ्रष्टाचार पर एक और कार्रवाई करते हुये एक राज्स्व उप निरीक्षक यानी पटवारी को 8 हजार रुपये की घूस लेते हुये रंगे हाथों पकड़ा है। आरोप है कि आरोपित ने रुपये लेकर अपनी रिपोर्ट बदली दी थी। उसे पकड़ने वाली टीम को 5 हजार का ईनाम देने की घोषणा की गयी है।

Corruption) पटवारी त्रिलोचन सुयाल गिरफ्तार(Corruption) इस सम्बन्ध में उत्तराखंड विजीलेंस से सेक्टर हल्द्वानी में प्राप्त शिकायत पर सतकर्तता निदेशक के आदेशों पर गुरुवार को अधिष्ठान के पुलिस उपाधीक्षक अनिल मनराल के पर्यवेक्षण में तथा निरीक्षक विनोद कुमार यादव के नेतृत्व में विजिलेंस टीम ने शिकायत पर पटवारी त्रिलोचन सुयाल, पटवारी क्षेत्र साधुनगर-सरौजा, उप तहसील नानकमत्ता जनपद ऊधमसिंह नगर को उनके ग्राम सुनखरी कला नानकमत्ता स्थित कार्यालय से शिकायतकर्ता से 8,000 रुपये की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

(Corruption) बताया गया है कि शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि उसने अपने खेत में धान की रोपाई की थी। लेकिन जब धान पकने पर काटने गया तो गुरदीप कौर व उसके परिवार के लोग उसे धान नहीं काटने दे रहे थे। इस पर शिकायतकर्ता ने उप जिलाधिकारी तहसील सितारगंज को प्रार्थना-पत्र दिया। इस पर पटवारी त्रिलोचन सुयाल ने पहले भूमि पर विवाद होने की रिपोर्ट लगायी।

(Corruption) लेकिन पुनः उप जिलाधिकारी को प्रार्थना-पत्र देने पर पटवारी ने अपनी दोबारा लगायी गयी आख्या में शिकायतकर्ता के पक्ष में रिपोर्ट लगायी तथा इसके एवज में 8000 रुपये उत्कोच यानी घूस की मांग की। इस पर शिकायतकर्ता ने विजिलेन्स कार्यालय में प्रार्थना-पत्र दिया। शिकायतकर्ता की शिकायत की जांच कराने पर शिकायत सही पायी गयी। इस पर आज की कार्रवाई की गयी।

(Corruption) ट्रैप टीम में निरीक्षक मनोहर सिंह दसौनी, उपनिरीक्षक रमेश बिष्ट, वरिष्ठ आरक्षी दीप जोशी एवं आरक्षी संजीव नेगी भी शामिल रहे। इस सफलता पर सतर्कता निदेशक ने ट्रैप टीम को 5000 रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की है

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यह भी पढ़ें : Corruption : बच्चों द्वारा खुद जमा किये रुपये खा रहा शिक्षा विभाग, हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार रुपये का जुर्माना

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अक्टूबर 2023 (Corruption)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदेश के विद्यालयों में छात्रों की ओर से जमा की जाने वाली संचायिका के लाखों रूपये में गड़बड़ी और रुपये छात्रों को वापस न लौटाए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये शिक्षा विभाग पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।

(Corruption) मामले के अनुसार आरटीआई क्लब ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में 2016 तक छात्र-छात्राओं से बचत को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ धनराशि फीस के साथ संचायिका के रूप में जमा कराई जाती थी, जो विद्यालय छोड़ने पर उन्हें वापस कर दी जाती थी।

(Corruption) राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में इसे बंद कर दिया गया। लेकिन अनेक विद्यालयों ने संचायिका में जमा धनराशि छात्रों को वापस न लौटाकर इसमें गड़बड़ी कर इसका दुरुपयोग किया है।

(Corruption) जनहित याचिका में संचायिका का पैसा छात्रों को वापस करने और घोटाला करने वाले विद्यालयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है। अगर विद्यालय इस पैसे को वापस नहीं करते है तो इसका उपयोग विद्यालयों की सुविधाओं में किया जाए।

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यह भी पढ़ें : Corruption : 2 लाख रुपए के लिए आबकारी अधिकारी ने कर दिया खेल, अब सेवानिवृत्ति से 5 वर्ष पहले ही नौकरी जाने की नौबत

नवीन समाचार, रुद्रपुर, 8 सितंबर 2023 (Corruption) । बाबू से सहायक आबकारी आयुक्त बने एक अधिकारी द्वारा दो लाख रुपए के लिए जिला आबकारी कार्यालय में खड़े नए ट्रैक्टर की पुराने से अदला-बदली कर दी।

(Corruption) मामला प्रकाश में आने के बाद मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं, और जांच होने तक सहायक आबकारी आयुक्त को निलंबित कर दिया गया है और उस पर नौकरी से बर्खास्तगी या पदावनत होने की तलवार लटक गयी है। उसके पूरे कार्यकाल के क्रियाकलापों की कुंडली भी खंगाली जा रही है।

Corruption रुद्रपुर: सहायक आबकारी आयुक्त की तस्करों से मिलीभगत, दो लाख के लालच में आकर रच दी साजिश; खंगाली जाएगी कुंडली(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपित पन्ना लाल शर्मा आबकारी विभाग में बाबू के पद पर भर्ती हुए थे, लेकिन बाद में उन्होंने निरीक्षक की भर्ती उतीर्ण की और सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन के पद तक पहुंच गए। इधर उनका कार्यकाल अभी पांच वर्ष का बचा हुआ है, लेकिन आरोप है कि बीती तीन सितंबर की रात को मात्र दो लाख के लिए उन्होंने लालच में आकर जिला आबकारी कार्यालय में खड़े नए ट्रैक्टर की पुराने से अदला-बदली कर दी थी। इस मामले वह फंस गए हैं।

(Corruption) एक ओर पुलिस उनके प्रवर्तनीय कार्यकाल से लेकर उनकी पूर्व तैनाती के क्रियाकलापों को खंगालने जा रही है, जिसकी रिपोर्ट बनाकर वह विभाग को भेजेगी, वहीं आबकारी विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर कुमाऊं मंडल केके कांडपाल ने खुद इस मामले की जांच करने का निर्णय लिया है।

(Corruption) वहीं, जांच से पहले आरोपित आबकारी अधिकारी को निलंबित किया जा सकता है और उसके बाद उन्हें पदावनत यानी डिमोशन करने और अदालत के आदेशों पर आरोपित की बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। इसके लिए जिला आबकारी अधिकारी अशोक मिश्रा ने विभाग को अपनी रिपोर्ट दे दी है।

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यह भी पढ़ें : Corruption : वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी को हल्द्वानी विजीलेंस ने 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए किया गिरफ्तार, घर से 20 लाख रुपए भी बरामद

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 24 अगस्त 2023 (Corruption)। विजीलेंस ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करते हुए एक पीसीएस अधिकारी को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि पकड़े गए अधिकारी 2005 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। उनके घर से 20 लाख रुपए की नगदी भी बरामद की गयी है।

Corruption(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार के विरूद्ध मुहिम के अन्तर्गत जारी किये गये टोल फ्री नंबर 1064 में प्राप्त शिकायत पर सतर्कता निदेशक उत्तराखंड के आदेशों पर गरुवार को सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी के पुलिस अधीक्षक प्रहलाद नारायण मीणा के निर्देशन और पुलिस उपाधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी, अनिल मनराल के पर्यवेक्षण में विजिलेंस की टीम ने निरीक्षक ललिता पांडे के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई।

(Corruption) इस कार्रवाई में जिला पंचायत राज अधिकारी रुद्रपुर जनपद ऊधमसिंह नगर रमेश चंद्र त्रिपाठी पुत्र गंगा प्रसाद त्रिपाठी वर्तमान निवासी क्वार्टर 5 आफिसर्स कालोनी, विकास भवन के पीछे रुद्रपुर को स्मार्ट बाजार रुद्रपुर की पार्किग के लिए एक सप्लायर शिकायतकर्ता से एक लाख रूपये की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।

(Corruption) बताया गया है कि आरोपित अधिकारी के घर से 20 लाख रुपए की नगदी भी बरामद की गई है। टीम में मनोहर सिंह दसौनी, विजोर कुमार यादव, हेम चंद्र पांडे, वरिष्ठ आरक्षी जगदीश बोहरा, नवीन कुमार और गिरीश जोशी भी शामिल रहे।

(डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..यहां क्लिक कर हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें। यहां क्लिक कर यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से, हमारे टेलीग्राम पेज से और यहां क्लिक कर हमारे फेसबुक ग्रुप में जुड़ें। हमारे माध्यम से अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें Corruption : 9 किमी पैदल चलकर गांव पहुंचे डीएम तो खुली योजना की पोल, ईई का वेतन रोकने एवं ठेकेदार का भुगतान रोकने के निर्देश, एसडीएम करेंगे सभी कार्यों का सत्यापन

-ग्राम अल्चौना पहुंचे डीएम ने पकड़ी जल जीवन मिशन के कार्यों में कमियां
नवीन समाचार, नैनीताल, 6 फरवरी 2023 (Corruption) । नैनीताल जनपद के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने सोमवार को भीमताल विकासखंड के ग्राम अलचौना में जल जीवन मिशन के तहत चल रहे कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने बिछाई गई पाईप लाइनों को मानकों के अनुसार नही पाये जाने पर मानकों के अनुरूप कार्य नही होने पर पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता जीएस तोमर को कडी फटकार लगाई। यह भी पढ़ें : भाजयुमो से कांग्रेस में आए चर्चित नेता की गोलियों से भूनकर हत्या, हड़कंप मचा

(Corruption) तथा मुख्य विकास अधिकारी डॉ. संदीप तिवारी को अधिशासी अभियंता से स्पष्टीकरण लेने तथा सम्बन्धित ठेकेदार का भुगतान रोकने के निर्देश दिये। इसके अलावा जनपद में मिशन के तहत चल रहे समस्त कार्यों का उपजिलाधिकारियों से समिति गठित कर सत्यापन करने को भी कहा। साथ ही कमियों वाले कार्यों को एक सप्ताह के भीतर दोबारा करने के भी निर्देश दिये। यह भी पढ़ें : सौतेले पिता नाबालिग बेटी का अश्लील वीडियो बनाकर कर रहा परेशान, महिला को पति के नंबर पर आ रहे अश्लील संदेश…

(Corruption) सोमवार को जिलाधिकारी गर्ब्याल 9 किमी पैदल चलकर अलचौना पहुंचे और वहां जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत चल रहे कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उपस्थित ग्रामीणों ने पानी का सा्रेत योजना हेतु सही बताया। बताया कि यह योजना 9 किमी लम्बी है, इसकी लागत लगभग 95 लाख है।

(Corruption) इससे अलचोना के 4 तोकों के 130 से 140 परिवार लाभांवित होंगे। निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी डा. संदीप तिवारी, पीडीडीआरडीए अजय सिंह के साथ ही ग्राम प्रधान तथा क्षेत्रवासी उपस्थित रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : हद है, गरीब एससी-एसटी बीपीएल महिला से 8 हजार रिश्वत मांग रही थी महिला चिकित्सक, रंगे हाथों गिरफ्तार

Screenshot 2023 01 18 18 19 14 91 7ecc343528d84aae1423bfb8eca3bd44नवीन समाचार, उत्तरकाशी, 19 जनवरी 2023। (Corruption) जनपद के पशुपालन विभाग के नौगांव पशु चिकित्सालय में तैनात एक रिश्वखोर महिला चिकित्सक को विजिलेंस ने नौगाँव से रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। आरोप है कि महिला चिकित्सक ने अनुसूचित जाति-जनजाति की बीपीएल महिलाओं के लिये बकरी के लोन की योजना में सरकारी अंशदान का चेक देने के एवज में 8 हजार रुपए रिश्वत ली है। विजिलेंस आरोपित को देहरादून ले गई है। यह भी पढ़ें : भाजपा के मंडल अध्यक्षों की हुई घोषणा, देखें कौन बना आपके मंडल का अध्यक्ष

(Corruption) बकरी पालन के लिए आठ हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए में तैनात चिकित्सक मोनिका गोयल को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा। मध्य प्रदेश मुरैना निवासी डा. मोनिका गोयल पशुपालन विभाग उत्तरकाशी में 2011 से तैनात है। इस घटना से उत्तरकाशी पशुपालन विभाग सहित अन्य विभागों में हड़कंप मच गया है। यह भी पढ़ें : कांग्रेस नेता पालिकाध्यक्ष के भाजपा नेताओं के साथ लगे पोस्टरों से चर्चा का बाजार गर्म…

(Corruption) बताया गया है कि 12 जनवरी 2023 को हेल्पलाईन नंबर 1064 पर इस मामले में शिकायत मिली थी। इसके बाद पीड़ित ने 13 जनवरी को पुलिस अधीक्षक, सतर्कता अधिष्ठान, सेक्टर, देहरादून के कार्यालय में आकर एक शिकायती पत्र देकर कहा था कि अनुसूचित जाति-जनजाति की बीपीएल महिलाओं के लिये बकरी पालन योजना में मिलने वाले सरकारी अंशदान का चेक देने के ऐवज में पशुपालन विभाग नौगांव में नियुक्त पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ मोनिका गोयल आठ हजार रुपए रिश्वत की मांग की जा रही है।

यह भी पढ़ें : हद है, थाना प्रभारी के साथ थाने के ही पुलिस कर्मियों ने की मारपीट, रिपोर्ट दर्ज कराने को लेनी पड़ी कोर्ट की शरण…

(Corruption) इस शिकायत पर पुलिस अधीक्षक, सतर्कता अधिष्ठान, सेक्टर, देहरादून रेनू लोहनी ने मामले की गोपनीय जाँच करायी और जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सही पाये जाने पर त्वरित एक ट्रैप टीम का गठन कर आरोपित चिकित्सक डॉ. मोनिका गोयल को 8 हजार रुपए की रिश्वत ग्रहण करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : काबीना मंत्री के निजी सचिव व विभागाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज…

नवीन समाचार, देहरादून, 2022 (Corruption) । उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग के कबीना मंत्री सतपाल महाराज के निजी सचिव आईपी सिंह और लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष अयाज अहमद के खिलाफ डालनवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

(Corruption) यह कार्रवाई मंत्री के फर्जी हस्ताक्षर किए जाने के मामले में की गई है। दोनों पर इस मामले में जांच बैठाई गई थी। जाँच कमेटी की रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की गई है। कबीना मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ की ओर से मामले में तहरीर दी गई है। ‌‌

(Corruption) आरोप है कि कबीना मंत्री के विदेश दौरे के दौरान उनके निजी सचिव आईपी सिंह ने उनके फर्जी डिजिटल सिग्नेचर कर दिए थे। साथ ही लोनिवि के विभागाध्यक्ष पद के लिए आईपी सिंह ने ही अयाज अहमद के नाम का अनुमोदन कर दिया था। जिसके बाद मामले की जांच की जा रही थी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : पुराने काम को ही नया दिखाकर ले लिया भुगतान, मंडलायुक्त से की गई शिकायत

नवीन समाचार, नैनीताल, 23 नवंबर 2022 (Corruption) । जिला पंचायत बागेश्वर के विकास खंड कपकोट के ग्राम पंचायत बघर के तोक तल्ला डना में विधायक निधि से वर्ष 2016-17 में भोगशाला का निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत को शिकायती पत्र सोंपा गया है।

(Corruption) ग्राम दोबाढ़ पोस्ट कर्मी तहसील कपकोट जिला बागेश्वर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हुकुम सिंह बसेड़ा ने मंडलायुक्त को सोंपे पत्र में कहा है कि वर्ष 2016-17 में यह निर्माण किया जाना प्रस्तावित था। परन्तु जिला पंचायत बागेश्वर के दो कनिष्ठ अभियंताओं ने कुछ लोगों से आपसी सांठ-गांठ कर पहले से ही निर्मित कार्य का निर्माण करना दिखा कर फजी तरीके से भुगतान प्राप्त कर लिया गया। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड ब्रेकिंग: कल की छुट्टी पर आया बड़ा अपडेट

(Corruption) पत्र में कहा गया है कि इस प्रकरण के भुगतान हेतु जो प्रमाण पत्र सम्बन्धित ग्राम प्रधान द्वारा जारी किया गया, वह पूर्ण रूप से फर्जी था। उस प्रमाण पत्र को जारी करने की दिनांक तक अंकित नहीं की गई थी। प्रधान पति ने भी प्रमाण पत्र को फर्जी बताया। साथ ही आरोपित कनिष्ठ अभियंताओं ने भी कहा कि उनसे गलती हो गयी है, वह निर्माण करने को तैयार हैं। यह भी पढ़ें : पति को बांधकर विवाहिता के साथ चार युवकों ने किया सामूहिक दुष्कर्म, नाबालिग भतीजी के साथ भी की छेड़छाड़

(Corruption) लेकिन बागेश्वर की जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक से शिकायत करने और प्रधानमंत्री से की गयी शिकायत पर वहां से आरोपित कनिष्ठ अभियंता गौरव चौबे से दो बार स्पष्टीकरण मांगे जाने जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए मजबूर होकर मंडलायुक्त से शिकायत कर मामले की निष्पक्ष जांच की याचना की है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : अपनी साफगोई के लिए मशहूर पूर्व सीएम ने उत्तराखंड में कमीशनखोरी पर कही दो टूक, देखें क्या कहा….

नवीन समाचार, देहरादून, 13 नवंबर 2022 (Corruption) । अपने मुख्यमंत्री काल में ‘फटी जीन्स’ पर साफगोई के साथ दिए बयान से चर्चित हुए पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने एक और बयान के लिए चर्चा में हैं। ताजा वीडियो में वह किसी से राज्य के हालातों पर चर्चा करते हुए राज्य में कमीशनखोरी पर बात कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : आज व कल उत्तराखंड के एक दरोगा व दो पुलिस कर्मी भुगतेंगे अनूठी सजा, श्मशान घाटों पर शवदाह में करेंगे सहयोग, जानें क्यों देखें वायरल वीडियो:

(Corruption) उनका इस वीडियो में कहना है कि आज बहुत जगह बताते हैं कि राज्य में बिना कमीशनखोरी के काम नहीं हो रहे हैं। वह मुख्यमंत्री भी रहे, अभी सरकार में भी हैं, उन्हें कहना नहीं चाहिए, लेकिन उन्हें कहने में कोई हिचक नहीं कि जब हम उत्तर प्रदेश में थे और अलग हुए तो हमें कमीशनखोरी छोड़कर शून्य प्रतिशत पर आना चाहिए था।

(Corruption) लेकिन दुर्भाग्य रहा कि जहां उत्तर प्रदेश में शून्य से 20 प्रतिशत तक कमीशन जाता था। जल निगम, जल संस्थान, सड़क आदि में 2-3 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक कमीशन की बात सुनते थे। यह भी पढ़ें : पत्नी व उसके प्रेमी ने किया सोते हुए पति का गला दबाने का प्रयास, फिर….

(Corruption) उत्तराखंड बनने पर इसे शून्य प्रतिशत पर आना चाहिए था, लेकिन हम उत्तराखंड में दुर्भाग्य से 20 प्रतिशत से शुरू हुए। इसके लिए कोई एक व्यक्ति नहीं, इसके लिए अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों को अपनी मानसिकता सुधारने की जरूरत है कि यह मेरा प्रदेश है, मेरा परिवार है, यह भाव जब तक नहीं आएगा, तब तक यह स्थिति ठीक नहीं हो सकती।

(Corruption) जन प्रतिनिधि भ्रष्टाचार के आरोपों से बच नहीं सकता। हम अधिकारी को तो दंडित कर दे रहे हैं लेकिन पीछे कौन था। इसके लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारी बराबर के दोषी हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : मात्र 2800 रुपए पर भी टपकी रजिस्ट्रार कानूनगो की लार, रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार…

नवीन समाचार, देहरादून, 29 अक्तूबर 2022 (Corruption) । भ्रष्टाचार का खून यदि किसी की जुबान पर लग जाए तो वह कितनी भी छोटी धनराशि पर लार टपका देता है। हरिद्वार तहसील में तैनात रजिस्ट्रार कानूनगो को देहरादून की विजीलेस टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि वह दाखिल खारिज के नाम पर 2800 रुपये की रिश्वत वसूल रहा था। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड-बड़ा समाचार : कूड़ा बीनने वाली निकली विदेशी आतंकी की पत्नी

(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार विजिलेंस की टीम ने शनिवार को हरिद्वार तहसील में एक प्लॉट के दाखिल-खारिज के नाम पर 2800 की रिश्वत लेते हुए रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार मारवाह को गिरफ्तार किया है। टीम ने कई घंटे की पूछताछ के बाद आरोपित के ज्वालापुर स्थित आवास पर छापेमारी कर दस्तावेज खंगाले तथा टीम आरोपित को देहरादून ले गई। यह भी पढ़ें : दो बच्चों की मां को तीन बच्चों के पिता मकान मालिक से हुआ प्यार, फिर जो हुआ….

(Corruption) बताया गया है कि 18 अक्तूबर को हरिद्वार निवासी संजय सिंह ने विजिलेंस मुख्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुवे बताया कि उसने अपनी पत्नी के नाम एक भूखंड खरीदने के बाद दाखिल-खारिज के लिए हरिद्वार तहसील में आवेदन किया। लेकिन रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश मारवाह दाखिल खारिज करने के नाम पर रिश्वत मांग रहा है। यह भी पढ़ें : सीएम ने कहा गुलामी के सभी प्रतीको के नाम बदलेंगे, क्या मॉल रोड से लेकर अन्य स्थानों व संस्थानों के नामों तक भी जाएगी यह मुहिम…?

(Corruption) शिकायत के बाद विजिलेंस के अधिकारियों ने जांच की तो मामला सही निकला। शनिवार को एसपी विजिलेंस रेणू लोहनी के निर्देश पर सीओ सुरेंद्र सिंह सामंत की अगुवाई में टीम का गठन कर तहसील में रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय में छापा मारा।

(Corruption) जहां रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार मारवाह को 2800 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। विजिलेंस ने आरोपी के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई शुरू कर दी है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : दो अधिकारियों के खिलाफ विजीलेंस जांच के आदेश

नवीन समाचार, देहरादून, 20 अक्तूबर 2022 (Corruption)। राज्य सरकार का रुख भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कड़ा नजर आ रहा है। दुग्ध संघ और राज्य सहकारी बैंक के दो पूर्व अधिकारियों के खिलाफ शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए हैं। यह भी पढ़ें : बड़ा शातिर निकला छोटा खान, 5 साल से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध एक से बनाए, शादी दूसरी से कर ली….

(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून दुग्ध संघ के पूर्व प्रभारी महाप्रबंधक मान सिंह पाल एवं राज्य सहकारी बैंक के पूर्व महाप्रबंधक दीपक कुमार के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं एवं आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की गोपनीय शिकायत मिली थी। इस पर विजिलेंस ने करीब डेढ़ माह तक मामले में गोपनीय जांच की। यह भी पढ़ें : हंगामे की भेंट चढ़ी उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के मुद्दे पर आयोजित बार की बैठक, समर्थन में आए पूर्व में रहे विरोधी….

(Corruption) इसके बाद दोनों अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक जांच कर विजिलेंस ने विस्तृत जांच के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। इसी क्रम में बुधवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता वाली सतर्कता समिति की बैठक में दोनों अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी हो गए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें(Corruption)  : बिग ब्रेकिंग : कानूनगो 10 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार….

नवीन समाचार, अल्मोड़ा, 28 सितंबर 2022 (Corruption) । राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के बावजूद राज्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं दिख रहा है। अल्मोड़ा जनपद में विजिलेंस ने बड़ी कार्रवाई को करते हुए जिले की सल्ट तहसील में कार्यरत एक रजिस्ट्रार कानूनगो को 10 हजार रुपए की धनराशि लेते हुए गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि यह धनराशि रिश्वत के रूप में ली जा रही थी। विजिलेंस की इस कार्रवाई के बाद तहसील के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।

(Corruption) विजिलेंस के पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि एक शिकायत के बाद बुधवार को एक टीम सल्ट भेजी गई थी। विजिलेंस की टीम ने तहसील में जाल बिछाकर तहसील में कार्यरत एक रजिस्ट्रार कानूनगो हबीब अहमद को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में रंगेहाथ पकड़ लिया है। मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : कांग्रेस सरकार के धनकुबेर मंत्री के 40 ठिकानों से 110 करोड़ की अघोषित संपत्ति आई सामने, हिस्सेदारों की 18 करोड़ की संपत्ति भी उजागर

Income Tax: सपा नेता सहित दो नेताओं के पांच ठिकानों पर छापा, करोड़ों के  पार्टी के फंड लेन-देन में हुई कार्रवाई - glbnews.comनवीन समाचार, रुद्रपुर, 15 सितंबर 2022 (Corruption) । राजस्थान सरकार के धनकुबेर गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व घर पर आयकर विभाग की छापेमारी में आय से अधिक करीब 110 करोड़ रुपए की संपत्ति मिलने का मामला सामने आया है।

(Corruption) यह भी बताया जा रहा है कि मंत्री के हिस्सेदारों ने अभी तक 18 करोड़ की बेनामी अघोषित आय घोषित कर दी है। जांच जारी है। ऐसे में और भी अघोषित आय मिल सकती है। बताया गया है कि मंत्री मूलतः किच्छा के ही निवासी हैं। यहां उनके कई कारोबार चलते हैं।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि टीम ने मंत्री राजेंद्र यादव के किच्छा स्थित पैतृक आवास व फ्लोर मिल सहित व्यवसायिक प्रतिष्ठानों-यादव फूड़स व आरएस यादव एंड संस पर गत सात से नौ सितंबर तक 47 घंटे तक छापेमारी की थी।

(Corruption) आयकर विभाग के सूत्रों से प्राप्त जानकारी मंत्री के कोटपुतली स्थित फैक्ट्री, बहरोड़, भीलवाड़ा, पाली, जयपुर के बनी पार्क और सहकार मार्ग स्थित आवास स्थित करीब 40 ठिकानों से अब तक करीब 110 करोड़ रुपये की अघोषित आय पकड़ी जा चुकी है।

(Corruption) यह भी बताया जा रहा है कि मंत्री के एक हिस्सेदार के मालवीय नगर स्थित ठिकाने से 2.90 करोड़ रुपये की नकदी व 1.25 करोड़ रुपये मूल्य के जेवहरात भी बरामद हुए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : उत्तराखंड के एक और भ्रष्टाचारी (पीसीएस) अधिकारी पर गिरी गाज, विजीलेंस ने रंगे हाथ दबोचा…

Dehradun Crime News : Vigilance Arrested ARTO Anand Jaiswal On Corruption  Charges - Dehradun News: एआरटीओ आनंद जायसवाल को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार,  चालान की धनराशि में गबन करने का है ...डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 सितंबर 2022। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार रहित ‘जीरो टॉलरेंस’ का नारा देने वाली सरकार में एक और अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी हुई है।

(Corruption) विजिलेंस की टीम ने बुधवार को एक पीसीएस अधिकारी, वर्तमान में देहरादून परिवहन मुख्यालय में एआरटीओ के पद पर कार्यरत आनंद जायसवाल को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। 2009 बैच के पीसीएस अधिकारी जायसवाल एआरटीओ हैं।

(Corruption) उन पर चालान के जुर्माने को अधिक वसूलने और राजस्व कोष में कम पैसा दर्शाने के और इस तरह करीब 29 लाख रुपए का गबन करने का गंभीर आरोप है। इस आरोप पर उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 409 आईपीसी एवं पीसी एक्ट की धारा 13 (1) 13 (2) के तहत कार्रवाई की गई है।

(Corruption) बताया जा रहा है कि आनंद जायसवाल जब ऋषिकेश में एआरटीओ के पद पर तैनात थे, तब उन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगे थे। आरोप है कि ऋषिकेश में अपने कार्यकाल के दौरान आनंद जायसवाल गाड़ियों का मोटर यान अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सीज करते थे और फिर उनकी जुर्माने की राशि में घपलेबाजी करते थे।

(Corruption) उसके बाद से ही विजिलेंस की विवेचना चल रही थी और कार्रवाई पूरी होते ही विजिलेंस ने आनंद जायसवाल को देहरादून परिवहन मुख्यालय से गिरफ्तार किया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : विस अध्यक्ष खंडूड़ी बोलीं, ‘न खाऊंगी-न खाने दूंगी’, सचिवालय भर्ती घोटाले पर किए दो बड़े ऐलान…

Uttarakhand Assembly Recruitment : Speaker Ritu Khanduri Bhushan Formed  Inquiry Committee - Uttarakhand Assembly Recruitment: स्‍पीकर ऋतु खंडूड़ी  ने गठित की जांच कमेटी, कहा- न खाऊंगी न खाने दूंगीनवीन समाचार, देहरादून, 3 सितंबर 2022। (Corruption) उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय भर्ती प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने शनिवार को अपना पक्ष रखते हुए दो बड़े एलान किए। इस संबंध में पत्रकार वार्ता में उन्होंने भर्ती मामले में विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने और अगले आदेशों तक के लिए विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को अवकाश पर भेजने की घोषणा की।

(Corruption) साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की तर्ज पर कहा, ‘न खाऊंगी-न खाने दूंगी।’ इस मामले में जांच समिति की रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। फिर वह चाहे कोई भी हो। देखें वीडियो विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कहा:

(Corruption) अलबत्ता यह भी कहा कि इस मामले में दो समय कालों के हिसाब से अलग-अलग जांच होगी, पहली वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद से उत्तर प्रदेश की नियमावली के 2011 तक लागू रहने तक एवं 2011 के बाद प्रदेश की अपनी नियमावली लागू होने के बाद से 2022 तक।

(Corruption) विधानसभा की भर्तियों के प्रकरण की जांच के लिए उन्होंने जो तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की है,, उसमें पूर्व आइएएस डीके कोटिया को अध्यक्ष और सुरेंद्र सिंह रावत व अवनेंद्र नयाल को सदस्य बनाया गया है। समिति एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी। जांच होने तक सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को छुट्टी पर भेजा गया है।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि राज्य में यूकेएसएसएससी पेपर लीक घोटाले के बाद पिछले कुछ दिनों से पिछली विधानसभाओं में विधानसभा सचिवालय में हुई 72 नियुक्तियों में कथित अनियमितता का मामला तूल पकड़ा हुआ है। इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : नया बखेड़ा : युवती ने पूर्व जज पर लगाया नौकरी के बदले रुपये व शारीरिक सम्बंध बनाने की मांग का आरोप, एक और परीक्षा आरोपों के घेरे में..

नवीन समाचार, देहरादून, 20 अगस्त 2022 (Corruption) । उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बाद अब राज्य लोक सेवा आयोग से वर्ष 2018 में हुई लेक्चरर भर्ती में भी गड़बड़ी की शिकायत की गई है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक युवती के ऑडियो को शिकायत का आधार बनाया गया है।

(Corruption) भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने इस प्रकरण को उठाते हुए मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और राज्य महिला आयोग से मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। मैखुरी ने कहा कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहे ऑडियो में युवती ने पूर्व में जज रहे उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के एक पूर्व सदस्य पर पैसे मांगने और शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

(Corruption) युवती का कहना है कि वर्ष 2018 में उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग- समूह ग) की लिखित परीक्षा पास करने के बाद उन्हें महिला व सामान्य वर्ग में साक्षात्कार के लिए चयनित किया गया। उसके दोनों ही साक्षात्कार, संबंधित सदस्य के पैनल में थे।

(Corruption) आरोप है कि साक्षात्कार के बाद आयोग के सदस्य ने उन्हें दस्तावेज दुरुस्त करने के नाम पर एक स्थान पर बुलाया। वहां उससे पैसे की मांग के साथ ही शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला गया। यह भी कहा कि किसी से कुछ कहा तो उसका रिजल्ट उनके हाथ में है।

(Corruption) वायरल ऑडियो के अनुसार आयोग के आरोपित सदस्य ने युवती को अगली परीक्षाओं में चयन कराने का भरोसा भी दिलाया। युवती को सहायक से संपर्क में बने रहने को भी कहा गया। युवती के अनुसार उसने जिन बच्चों को उसने पढ़ाया उनका चयन प्रतियोगी परीक्षाओं में हो चुका है, लेकिन उसका नहीं हुआ।

(Corruption) युवती का आरोप है कि इस संबंध में वह बीते कई वर्षों से शिकायत कर रही है, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई।उसने 12 मार्च 2020 को पुलिस महानिरीक्षक को लिखित शिकायत में कहा कि नौकरी के नाम पर आयोग के सदस्य ने उससे छेड़छाड़ व अश्लीलता की। अब मैखुरी के अनुसार पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने प्रकरण में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : जिला कलक्ट्रेट परिसर में खुलेआम 50-60 हजार की रिश्वत मांगे जाने का वीडियो आया सामने !

वीन समाचार, हरिद्वार, 11 अगस्त 2022 (Corruption) । उत्तराखंड में भ्रष्टाचार थमा नहीं है, बस सतह के नीचे राख के नीचे अंगारों की तरह छुपा है। कथित तौर पर हरिद्वार डीएम कार्यालय के बाहर से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर डीएम के पेशकार के नाम पर बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए 50-60 हजार रुपए की मांग की जा रही है। देखें वीडियो:

वीडियो में दिखाया जा रहा है, कि एक शख्स बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए 50-60 हजार की मांग कर रहा है। बताया गया है कि संबंधित व्यक्ति ने दलाल के रुपयों की मांग करते समय का वीडियो बना लिया और इसेडीएम के पेशकार को भेज दिया।

(Corruption) वीडियो भेजने के बाद डीएम के पेशकार सुदेश कुमार ने सिडकुल थाने में दलाल केके शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। इस घटना के बाद जिला कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : ब्रेकिंग-बड़ा समाचार : विजीलेंस ने आज फिर एक रिश्वतखोर को रंगे हाथों धरा….

विजिलेंस टीम ने रुद्रपुर में चकबंदी अधिकारी सुभाष गुप्ता के पेशकार आनंद को घूस लेते गिरफ्तार किया।नवीन समाचार, रुद्रपुर, 10 अगस्त 2022। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर शिकायतें मिलने पर विजिलेंस लगातार कार्रवाई कर रही है। बुधवार को विजीलेंस की टीम ने रुद्रपुर के जिला कलक्ट्रेट परिसर स्थित चकबंदी अधिकारी सुभाष गुप्ता के दफ्तर में जाल बिछाकार चकबंदी अधिकारी के पेशकार आनंद को गिरफ्तार किया है। इससे विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों में खलबली मची है। आरोपित से विजिलेंस टीम पूछताछ कर रही है।

बताया गया है कि टीम आरोपित पेशकार विरासत पर नाम चढ़ाने के एवज में तीन हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है। विस्तृत समाचार इसी लिंक पर अपडेट किया जाएगा। अपडेटेड समाचार प्राप्त करने के लिए इसी लिंक को रिफ्रेश करते रहें। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनीताल की एक तहसील का रजिस्टार कानूनगो 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार

Screenshot 2022 0805 123207.jpgनवीन समाचार, हल्द्वानी, 4 अगस्त 2022। शुक्रवार सुबह जनपद की प्रतिष्ठित हल्द्वानी तहसील में अचानक विजीलेंस की टीम की छापेमारी से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि विजिलेंस की टीम ने यहां तैनात रजिस्टार कानूनगो बनवारी लाल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। टीम रिश्वतखोर को अपने साथ ले गई है।

बताया गया है कि हल्द्वानी निवासी जफर खान नाम के व्यक्ति ने आरके बनवारी लाल पर खाता खतौनी के बदले घूस मांगने का आरोप लगाया था। इस पर एसआई एमएस दसौनी के नेतृत्व में विजिलेंस की टीम ने शुक्रवार सुबह को तहसील कार्यालय स्थित आरके दफ्तर में अपना जाल बिछा कर बनवारी लाल को कैमिकल लगे नोटों के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। एसपी विजलेंस प्रह्लाद मीणा ने बताया की टीम द्वारा रजिस्ट्रार कानूनगो से पूछताछ की जा रही है, जिसके बाद न्यायालय में पेश किया जाएगा। (नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : हल्द्वानी निवासी कानूनगो रिश्वत लेते कानून के हाथों ‘रंगे हाथों’ गिरफ्तार…

Screenshot 2022 07 23 18 17 18 97 6012fa4d4ddec268fc5c7112cbb265e7नवीन समाचार, सितारगंज, 23 जुलाई 2022। ऊधमसिंहनगर जिले के सितारगंज में रिश्वतखोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। विजिलेंस हल्द्वानी की टीम ने सितारगंज तहसील से कानूनगो को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इसके बाद आरोपित रिश्वतखोर कानूनगो को एकांत स्थान पर ले जाकर पूछताछ की जा रही है।

(Corruption) सूत्रों के अनुसार विजिलेंस टीम ने जाल बिछाकर पीड़ित को रसायन लगे नोट पकड़ाकर भेजा था। जैसे ही काननूगो ने रिश्वत लेने के लिए पीड़ित को निर्धारित स्थान पर बुलाया उसे दबोच लिया गया। उसके नोट पकड़े हाथों को पानी में डाला गया तो हाथ रंग गए। इसे ही रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ा जाना कहते हैं।

विजिलेंस एसपी पह्रलाद मीणा ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपित से गोपनीय स्थान पर ले जाकर पूछताछ की जा रही है। कार्रवाई पूरी होते ही मामले से संबंधित सारी जानकारी साझा की जाएगी। बताया गया है कि एक किसान की शिकायत पर विजिलेंस की टीम ने कानूनगो बंदोबस्त अशरफ अली को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।

विजिलेंस एसपी प्रहलाद मीणा ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम बिजटी पटिया निवासी किसान सुखदेव पुत्र करनैल सिंह ने शिकायत की थी कि कानूनगो उससे दाखिल खारिज के बदले 15 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा है। उसने रिश्वत के रूप में छह हजार रुपये दे दिए थे। शिकायत की जांच के लिए इंस्पेक्टर चंचल शर्मा को नियुक्त किया गया। जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए। इस पर विजिलेंस टीम ने अपना जाल बिछाया।

शनिवार को योजना के अनुसार विजिलेंस टीम सितारगंज पहुंची। किसान ने रिश्वत में मांगी गई रकम आरोपी कानूनगो को दे दी। इस पर टीम ने कानूनगो अशरफ अली निवासी ग्राम ककरौआ थाना शहजाद नगर, वर्तमान पता उत्तर उजाला, बरेली रोड हल्द्वानी को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि विजिलेंस की टीम कानूनगो को गिरफ्तार करके हल्द्वानी ले जा रही है। लिखा-पढ़ी के बाद कानूनगो को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले की जांच इंस्पेक्टर हेमा गुणवंत को सौंपी गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में 21-22 लाख की वित्तीय अनियमितता, कैग-डीजी तक शिकायत

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 जुलाई 2022 (Corruption) । जिला मुख्यालय स्थित बीडी पांडे जिला चिकित्सालय के खातों में करीब 21-22 लाख रुपए की अनियमितता सामने आई है। बताया गया है कि अनियमितता इतनी धनराशि की इंट्रियां न होने को लेकर है। हालांकि स्थानीय सीए की जांच में बैंक खाते एवं कैश बुक में पूरी धनराशि का मिलान हो गया है, यानी कोई धनराशि गायब नहीं है। अनियमितता को लिपिकीय त्रुटियों के स्तर का भी बताया जा रहा है।

(Corruption) अलबत्ता इस मामले में जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्ष डॉ. वीके पुनेरा ने प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक व महालेखाकार यानी कैग सहित डीएम, कमिश्नर आदि विभिन्न स्तरों पर कर मामले की जांच करने की मांग की है, ताकि खातों में स्थितियां स्पष्ट हो सकें।

(Corruption) डॉ. पुनेरा ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जुलाई को जब उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया था तब बैंक खाते एवं कैश बुक के खातों में 21-22 लाख रुपए का मिलान नहीं हो पा रहा था। कैश बुक में इतनी धनराशि की इंट्रियां नहीं हुई थीं। इसकी उन्होंने स्थानीय सीए यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट से जांच कराई तो खातों का मिलान हो गया।

(Corruption) अलबत्ता उन्होंने कहा कि कैश बुक व खातों में इंट्रियां न होना भी वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। इसलिए उन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में लंबे समय से खातों में मिलान संबंधी दिक्कतें रही हैं। 2018-19 में भी खातों में मिलान न होने की बात प्रकाश में आई थी, तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने खातों को सही करवाया था। यह भी बताया कि इससे पहले भी सीए ने खातों को सही करवाया था।

(Corruption) चिकित्सालय में बांडेड चिकित्सकों को चार माह से वेतन न मिलने सहित कई समस्याएं
नैनीताल (Corruption) । बीडी पांडे जिला चिकित्सालय इसके अलावा भी कई समस्याएं झेल रहा है। बताया गया है कि चिकित्सालय में कार्यरत बांड वाले चिकित्सकों सहित कुछ अन्य चिकित्सा कर्मियों को पिछले 4 माह से वेतन नहीं मिला है। एक-दो दिन चलने के बाद सीटी स्कैन मशीन नहीं चल पाई है। चिकित्सालय में लिफ्ट लगाने और प्राइवेट वार्डों का कार्य काफी पूरा होने के बाद भी शुरू नहीं हो पाई हैं।

(Corruption) चिकित्सालय में पानी गर्म करने का सौर ऊर्जा संयंत्र भी खराब पड़ा है। चिकित्सालय में चिकित्सकों के अपनी सीट पर न मिलने की समस्याएं भी आम हैं। चिकित्सालय में स्तनों की जांच के लिए लगी मैमोग्राफी की मशीन भी लंबे समय से बंद पड़ी है। स्थानीय लोगों-मरीजों को चिकित्सालय का ऊपरी गेट बंद होने से काफी परेशानी हो रही है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कानूनगो 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों कानून के हत्थे चढ़ा…

रेवेनुए इंस्पेक्टर 28 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार -  newswitnessindiaनवीन समाचार, ऋषिकेश, 8 जून 2022। विजिलेंस की टीम ने डोईवाला तहसील में कार्यरत कानूनगो को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

(Corruption) देहरादून सेक्टर की एसपी विजिलेंस रेनू लोहनी ने बताया कि गत 2 जून को विभाग के टोल फ्री नंबर पर एक व्यक्ति ने देवाला में तैनात कानूनगो मोतीलाल पुत्र स्वर्गीय तिलक चंद निवासी न्यू शिव मार्केट शास्त्री नगर ज्वालापुर हरिद्वार पर कृषि भूमि का भू-उपयोग बदलने संबंधी दो फाइलों के लिए 10 हजार रुपये की मांग करने की शिकायत की थी।

(Corruption) इस पर विजिलेंस की टीम ने जाल बिछाकर बुधवार को तहसील में आरोपित कानूनगो को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। टीम में इंस्पेक्टर तुषार बोरा मनोज रावत, विभा वर्मा, आरक्षी मनोज शर्मा, गोपाल सिंह, नितिन और इखलाक आदि शामिल रहे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : बड़ा समाचार : 2016 में बिना लिखित परीक्षा के नेताओं के संबंधियों को दे दी थी नौकरी, हाईकोर्ट ने दिए 3 माह में जांच कराने के आदेश

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 16 फरवरी 2022 (Corruption) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने सिडकुल पंतनगर में वर्ष 2016 में 40 पदों पर नियम विरुद्ध तरीके से की गई नियुक्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका में सरकार को तीन माह के भीतर एसआईटी के माध्यम से जांच पूरी कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही संबंधित जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।

(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्द्वानी निवासी प्रकाश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2016 में सिडकुल पंतनगर में विभिन्न 40 से 45 पदों के सापेक्ष नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी हुई थी। इन पदों के लिए कई अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था, लेकिन इन पदों के लिए राजनेताओं के संबंधियों को कोई लिखित परीक्षा लिए बिना नियुक्तियां कर दी गईं। लिहाजा याची ने इस पूरे मामले की जांच उच्चस्तरीय कमेटी से कराने की गुहार लगाई थी।

(Corruption) जबकि सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान बताया गया कि इस मामले में एसआईटी की जांच पहले से चल रही है। बुधवार को सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को तीन माह के भीतर एसआईटी के माध्यम से इसकी जांच पूरी कराने के निर्देश देते हुए जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटाए थे विधायक प्रत्याशी, हाईकोर्ट ने किया बहाल

-एसआईटी जांच रहेगी जारी, पर गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जनवरी 2022 (Corruption) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें बहाल कर दिया है।

(Corruption) शुक्रवार को मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इसके साथ ही बिजल्वाण के विरुद्ध एसआईटी की जाँच जारी रखने तथा उन्हें गिरफ्तार नही करने के आदेश भी दिए हैं। उल्लेखनीय है कि बिजल्वाण गत दिवस भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, और उन्हें कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा का टिकट भी दे दिया है।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने उन्हें सरकार द्वारा पद से हटाए जाने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने न्यायालय में कहा कि कुछ सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर शिकायत की गई थी कि उनके द्वारा सरकारी धन का दुरप्रयोग व करोड़ो रूपये की अनिमियतताएं की गई हैं।

(Corruption) मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण की जांच हेतु सचिव पंचायती राज को आदेश दिए। सचिव पंचायतीराज राज ने इसकी जांच जिला अधिकारी उत्तरकाशी से कराई। जिला अधिकारी ने अपनी जाँच रिपोर्ट में अनियमितताएं बरतने की आंशिक पुष्टि की।

(Corruption) उसके बाद सरकार ने इस मामले की जाँच 21 जून 2021 को गढ़वाल के मंडलायुक्त से कराई। सरकार ने पंचायती राज अधिनियम की धारा 138(1)(घ)(पअ) के तहत उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। उन्होंने 1 अक्टूबर 2021 को इसका जवाब देते हुए कोई वित्तीय अनियमितता नही करने और उनके विरुद्ध शिकायत राजनैतिक दुर्भावना से की गई बताई।

(Corruption) फिर भी सरकार ने निर्माण कार्य मे घटिया सामग्री का उपयोग करने, करोड़ो रुपये के फर्जी निर्माण कार्य दिखाने और मजदूरों के फर्जी मस्टरोल भरे जाने के आरोप में उन्हें गत 7 जनवरी 2022 को जिला पंचायत अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। बिजल्वाण ने कहा था कि वह जनप्रतिनिधि है उन्हें सेवा के लिए जनता ने चुना है। इसलिए उन्हें बहाल किया जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : नैनीताल : पेशकार पर लगाए वारंटियों को जेल भेजने का डर दिखाकर रिश्वत लेने का आरोप…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 जनवरी 2022 (Corruption) । जिला न्यायालय में कार्यरत एक अधिवक्ता ने जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव तथा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के ज्यूडिशियल रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर एक पेशकार पर दुर्व्यवहार व मुल्जिमों से जबरन धन वसूली करने के आरोप लगाये हैं। शिकायती पत्र में अधिवक्ता सुंदर मेहरा ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में कार्यरत एक पेशकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका 138-एनआई एक्ट का एक मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

(Corruption) इस मामले में आरोपित अपने खिलाफ जारी वारंट को अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होकर निरस्त करवाने आया था, लेकिन पेशकार द्वारा आरोपित से दुर्व्यवहार किया गया, साथ ही उसकी पत्रावली को सीजेएम यानी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में भेजने की धमकी देकर 500 रुपए अवैध रूप से वसूल लिए।

(Corruption) अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि पेशकार वारंटियों को जेल भेजने का डर दिखा कर व डरा धमकाकर जबरन धन वसूली कर रही है, जिससे सभी जूनियर अधिवक्ता परेशान हैं। यह भी कहा कि पेशकार के विरुद्ध पहले भी धन वसूली के आरोप लग चुके है तब पेशकार का स्थानांतरण नैनीताल से रामनगर कर दिया गया था लेकिन अब फिर से वह रिश्वतखोरी पर आमादा है।

(Corruption) इस मामले में संबंधित पेशकार ने कहा है कि शिकायत पूरी तरह से झूठी व निराधार है, तथा केवल बदनाम करने की नीयत से की गई है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : बड़ा फर्जीवाड़ा: नैनीताल जनपद में 1110 आयकरदाता ले रहे पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अक्टूबर 2021 (Corruption) । देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की सहायता के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री किसान निधि योजना का नैनीताल जनपद में कुछ लोगों के द्वारा दुरुपयोग किए जाने और संबंधित विभाग द्वारा इस ओर उदासीनता का मामला प्रकाश में आया है।

(Corruption) सूचना के अधिकार के तहत हुए खुलासे के अनुसार नैनीताल जनपद में 1110 लोग आयकर दाता होने के बावजूद प्रधानमंत्री किसान निधि योजना का लाभ ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि योजना में आयकर रिटर्न फाइल करने वाले लोग पात्र नहीं हैं, और उनसे उनके द्वारा ली गई प्रधानमंत्री किसान निधि की राशि की वसूली किए जाने का प्राविधान है।

(Corruption) नैनीताल जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने गत 11 सितंबर को लोक सूचना अधिकारी-मुख्य विकास अधिकारी से प्रधानमंत्री किसान निधि योजना से संबंधित 6 बिदुओं पर सूचना मांगी थी। इस पर जनपद के मुख्य कृषि अधिकारी के कार्यालय से जानकारी उपलब्ध कराई गई है। जिसमें बताया गया है कि जनपद में 55 हजार 363 किसानों को प्रधानमंत्री किसान निधि योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है।

(Corruption) अब तक सात किस्तें किसानों को मिल चुकी हैं। 6000 रुपए की सातवीं किस्त 42 हजार 905 लोगों को दी गई है। योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों में 1110 किसान आयकर दाता भी हैं। सूचना में यह तो बताया जा गया है कि इन आयकर दाता कृषकों से उन्हें दी गई प्रधानमंत्री किसान निधि की वसूली की जा रही है, पर यह नहीं बताया गया है क्या दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।

(Corruption) सिर्फ बताया गया है कि दंडात्मक कार्रवाई का विवरण शून्य है। यह सूचना प्राप्त करने वाले श्री धौनिया ने कहा कि यह योजना का दुरुपयोग है। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ विभाग को दंडात्मक कार्रवाई भी करनी चाहिए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Corruption) : बलियानाला में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप, प्रधानमंत्री से की अब तक खर्च की जांच की मांग

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 21 अक्टूबर 2021 (Corruption) । नगर के एक सभासद एवं अन्य युवाओं ने नैनीताल के आधार बलियानाला में बीते वर्षों में जमकर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भिजवाया है।

(Corruption) बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री को भेजने के लिए एसडीएम प्रतीक जैन को सोंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि 1973 से बलियानाला में भूस्खलन हो रहा है। इस बीच करोड़ों रुपए बलियानाला के उपचार पर खर्च हो गए हैं, लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ है। प्रशासन की भूमिका केवल लोगों के बसे-बसाए घर खाली करने तक सीमित रह गई है।

(Corruption) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी बलियानाला के संरक्षण के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक की अगुवाई में उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर उसके निर्देशन में कार्य करने के आदेश दिए थे, लेकिन जिला प्रशासन ने इस पर भी कोई कार्य नहीं किया गया।

(Corruption) लिहाजा उन्होंने बलियानाला में अब तक खर्च हुई करोड़ों की धनराशि की जांच करने की मांग प्रधानमंत्री से की है। ज्ञापन सोंपने वालों में प्रदीप उप्रेती, अभिषेक मुल्तानिया, सौरभ रावत, नवीन जोशी, ओम वीर, भाष्कर आर्या, आशीष राणा, गौरव चौहान, अजय कुमार, गौरव आर्या व राम कुमार सिलेनान शामिल रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : पुस्तकालय घोटाले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को डीएम की रिपोर्ट में क्लीन चिट

-रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 जुलाई 2021। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को जिलाधिकारी कीे ओर से उच्च न्यायालय में पेश की गई रिपोर्ट में 41.70 लाख रुपये के चर्चित पुस्तकालय घोटाले में क्लीन चिट दी गई है, और आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया गया है।

(Corruption) हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर की ओर से मंगलवार को उच्च न्यायालय में पेश की गई रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि 41.70 लाख रुपये की विधायक निधि से बने 10 पुस्तकालय भवनों को हरिद्वार नगर निगम ने अपने हाथ में ले लिया है और जनहित में इनका संचालन भी कर दिया गया है।

(Corruption) सरकार की ओर से पुस्तकालयों के रख रखाव व संचालन के लिए पृथक से 25,88,120 रुपये का बजट भी जारी किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित है और लोकप्रियता पाने के लिए उच्च न्यायालय में वाद दायर किया गया है।

जिलाधिकारी की ओर से पेश शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय में दायर याचिका में 12 पुस्तकालयों के निर्माण की बात कही गई, जबकि इनकी वास्तविक संख्या 10 है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2014 में दिनेश चंद्र जोशी की ओर से इसी विषय पर दायर की गई जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय पहले ही निर्णय जारी कर चुका है।

(Corruption) उच्च न्यायालय के आदेश पर ग्रामीण विकास विभाग के परियोजना निदेशक अरविंद मोहन गर्ग के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में मामला दर्ज किया गया था। मगर जांच में भ्रष्टाचार से संबंधित तथ्य नहीं पाए गए।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल की ओर से इस मामले को हाल ही में जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए हरिद्वार के विधायक एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश के मुख्य सचिव, जिलाधिकारी हरिद्वार और डीआरडीए को इस मामले में पक्षकार बनाया गया था। न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने गत 24 जून को इस मामले की सुनवाई के बाद सरकार और जिलाधिकारी हरिद्वार को रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

(Corruption) याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में 2006 से 2011 के बीच विधायक निधि से बनने वाले 12 पुस्तकालय भवनों के निर्माण में धांधली का अंदेशा जताया गया था। आरोप लगाया गया था कि ग्रामीण विकास विभाग की ओर से अनियमिततायें बरतते हुए पुस्तकालय भवनों की भूमि का हस्तांतरण नहीं किया गया और न ही भवनों को नगर निगम की ओर से अपने हाथ में लिया गया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Corruption) : गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति के ठिकानों पर सीबीआई का छापा

नवीन समाचार, देहरादून, 10 जुलाई 2021। दिल्ली और उत्तराखंड सीबीआई की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जेएल कॉल और उनके तत्कालीन ओएसडी के 14 आवास व कार्यालय आदि ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें 12 ठिकाने उत्तराखंड और एक-एक दिल्ली व नोएडा के हैं।

(Corruption) छापेमारी के दौरान सीबीआई के हाथ गड़बड़ी से जुड़े कुछ अहम सुराग लगे हैं। खासकर सीबीआई को विभिन्न बैंकों में उनके तीन लाकरों का भी पता चला है। सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी के अनुसार इस मामले में जिन लोगों के यहां छापेमारी की गई उनमें पूर्व कुलपति जेएल कौल, उनके विशेष कार्याधिकारी डीएस नेगी के अलावा अनिल सैनी, अरविंद गुप्ता, जीडीएस वारने, संजय चौधरी, जोगिंदर सिंह व समय प्राइवेट संस्थान शामिल हैं।

(Corruption) सीबीआई के अनुसार पूर्व में शिकायत मिली थी कि कौल के द्वारा गढ़वाल विवि में 2014 से 2016 के दौरान कुलपति रहते विश्वविद्यालय से जुड़े कई संस्थानों को तमाम नियम-कानून ताक पर रखकर उनकी मान्यताएं आगे बढ़ाई गईं और अन्य लाभ पहुंचाए गए। इस शिकायत के आधार पर आरंभिक जांच की गई।

(Corruption) आरंभिक जांच में महत्वपूर्ण तथ्य मिलने पर सीबीआई ने कुलपति सहित अन्य अधिकारियों और अलग-अलग निजी संस्थानों के खिलाफ विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत कुल 6 मामले दर्ज किए थे। इन्हीं मुकदमों के तहत अब यह छापेमारी की गई है।

(Corruption) सीबीआई के मुताबिक इस छापेमारी के दौरान अनेक बैंकों में रखे गए लॉकरों की चाबियां भी बरामद हुई हैं जिन्हें अभी खोला जाना बाकी है। सीबीआई जल्द ही इस मामले के आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाएगी। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Corruption) : बार लाइसेंस के लिए एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए दो अभियंता रंगेहाथों गिरफ्तार

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 08 जुलाई 2021 (Corruption) । सतर्कता सेक्टर यानी विजिलेंस हल्द्वानी की टीम ने लोनिवि के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रानीखेत में छापा मार अधिशासी अभियंता व सहायक अभियंता को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया है। आरोप है कि बार के लाइसेंस की अनापत्ति के लिए शिकायकर्ता से रुपयों की मांग की जा रही थी। सतर्कता सेक्टर हल्द्वानी में गोपनीय शिकायत पर यह कार्रवाई की गई। विजिलेंस के छापे व दो अभियंताओं की गिरफ्तारी से हड़कंप मचा रहा।

(Corruption) प्राप्त जानकारी के अनुसार बीती छह जुलाई को अधीक्षक सतर्कता सेक्टर हल्द्वानी (विजिलेंस) राजेश कुमार भट्ट को शिकायती पत्र मिला था। शिकाय के अनुसार रेस्टोरेंट में बार लाइसेंस के लिए डीएम तथा जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में उसने वर्ष 2019 में आवेदन किया था। डीएम के आदेश पर नौ विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना था।

(Corruption) इसी के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग रानीखेत डिवीजन से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना था। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों ने अनापत्ति की एवज में तीन लाख रुपये की मांग की। शिकायतकर्ता के अनुसार एक लाख रुपये में अनापत्ति दिए जाने पर बात बनी।

(Corruption) इस पर विजिलेंस टीम ने गोपनीय जांच की। मामला सही पाया गया। एसपी विजिलेंस राजेश ने टीम गठित की। इसमें निरीक्षक हेम चंद्र पांडे, भानु प्रकाश आर्या, चंचल शर्मा, मनोज मठपाल, नागेंद्र भट्ट, नरेंद्र सिंह टगढिया को शामिल किया गया। दो राजकीय स्वतंत्र साक्षी भी साथ लिए गए। बृहस्पतिवार को एसपी विजिलेंस मय टीम एनएच के रानीखेत डिवीजन पहुंचे।

(Corruption) इसी दौरान कार्यालय में छापा मार सहायक अभियंता हितेश कांडपाल व ईई एमपी कालाकोटी को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। एसपी (विजिलेंस) के अनुसार जांच शुरू कर दी गई है। अचानक मारे गए छापे से एनएच के साथ ही अन्य डिवीजन कार्यालयों में हड़कंप रहा। सायं कार्यालय को सील कर अभिलेखों की जांच तेज कर दी गई। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Corruption) : पैथकाइंड लैब ने बिगाड़े आज के नैनीताल व राज्य के कोरोना आंकड़े, आरटीपीसीआर टेस्ट का 700 की जगह 1200 लेते भी रंगे हाथों पकड़े गए…

-28 अप्रैल से 6 मई के करीब 500 पॉजिटिव मामले एक साथ आज अपलोड करने से जिले में 1100 कोरोना रोगियों की दिखी बड़ी संख्या
नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मई 2021 (Corruption) । बंदर के हाथ में यदि अदरक दे दें, यानी गैर जिम्मेदार व्यक्ति या संस्था को कोई शक्ति या दायित्व दे दें तो वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग ही करेगा। नैनीताल जनपद में शासन-प्रशासन ने आरटीपीसीआर जांच का दायित्व पैथकाइंड लैब को क्या सोंपा कि वह मनमानी पर उतर आए। आज इस लैब की दो बड़ी कारगुजारियां सामने आईं।

(Corruption) एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी ने मुखानी चौक के पास मालती काम्प्लेक्स स्थित पैथ काइंड लैब के बाबत आ रही शिकायतों की एसओजी से जांच कराई और अपने कर्मचारी को ग्राहक बनाकर हस्ताक्षर युक्त नोट के साथ यहां आरटीपीसीआर जांच कराने भेजा तो लैब के द्वारा निर्धारित 700 की जगह उससे 1200 रुपए ले लिए गए, जैसी कि शिकायतें भी मिल रही थीं। इस पर पुलिस पैथ काइंड लैब के संचालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 व 51-डी आपदा प्रबंधन अधिनियम व 3 कालाबाजारी अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत कर दिया है।

(Corruption) वहीं दूसरी ओर सामने आया कि पैथकाइंड लैब ने गत 28 अप्रैल से 6 मई के करीब 500 कोरोना पॉजिटिव लोगों के आंकड़े हर दिन की जगह एकमुश्त आज संबंधित पोर्टल पर अपलोड कर दिए। इससे आज नैनीताल जनपद में एक दिन में 1152 और राज्य में पिछले तीन दिनों के बाद वृद्धि के साथ 7120 लोगों में कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने का आंकड़ा सामने आया। इस पर डीएम धीराज गर्ब्याल ने पुलिस वाली घटना की रिपोर्ट प्राप्त होने से पूर्व बताया कि पैथकाइंड लैब को अंतिम चेतावनी जारी कर दी गई है।

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नवीन समाचार, देहरादून, 17 मार्च 2021 (Corruption) । मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पूरी तरह एक्शन मोड में हैं। बीती 15 मार्च को रिखणीखाल निवासी देवेश आदमी नाम के व्यक्ति ने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए किमी-155 पर मलयखांद बैंड पर बिछाए गए डामर का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया था।

(Corruption) वीडियो में दिखाया गया था कि कुछ दिन पूर्व हुए डामरीकरण को देवेश हाथ से उखाड़ रहे थे। इस वीडियो पर कार्रवाई करते हुए सीएम तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को लक्ष्मणझूला-कांडी-दुगड्डा-रथुवाढाब-धुमाकोट मार्ग के नवीनीकरण के काम की खराब गुणवत्ता के लिए संबंधित सहायक अभियंता अजीत सिंह और अपर सहायक अभियंता अनिल कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सही अर्थों में पिछली सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति को मूर्तरूप करके दिखाया है।

(Corruption) बताया गया है कि स्वर्गीय जगमोहन सिंह नेगी राज्य राजमार्ग संख्या-नौ (लक्ष्मणझूला-कांडी-दुगड्डा-रथुवाढ़ाब-धुमाकोट) के दो किमी के हिस्से पर अलग-अलग टुकड़ों में नवीनीकरण का कार्य लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-दुगड्डा की ओर से कराया गया था। वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-दुगड्डा के अधिशासी अभियंता ने मौके पर जाकर मुआयना किया। शासन को भेजी गई उनकी जांच रिपोर्ट में घटिया निर्माण की पुष्टि हुई।

(Corruption) जांच में पाया गया कि मार्ग के निर्माण कार्य में ठेकेदार ने सड़क की सतह की ठीक तरह से सफाई नहीं की। साथ में गीली सतह पर टैक कोट डाला गया। इस वजह से टैक कोट की पुरानी सतह से बांडिंग नहीं हो पाई और सतह उखड़ गई। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सहायक अभियंता अजीत सिंह व अपर सहायक अभियंता अनिल कुमार ने दायित्व को ठीक तरीके से नहीं निभाया।

(Corruption) आरोपों की प्रकृति इस तरह की है कि विस्तृत जांच में पुष्टि होने पर उन्हें कड़ा दंड दिया जा सकता है। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन ने उक्त दोनों अभियंताओं को निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उक्त दोनों लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता कार्यालय पौड़ी से संबद्ध रहेंगे।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 10 मार्च 2021 (Corruption) । जनपद के बेतालघाट विकासखंड के ग्राम धनियाकोट-मल्लाकोट में जलागम विभाग में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। क्षेत्रीय ग्रामीण पुष्कर सिंह पनौरा के प्रयासों से यह मामला जलागम विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के बाद आखिर विभाग ने भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार सरकारी कार्मिकों एवं ग्रामीणों से वसूली की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

(Corruption) उप निदेशक जलागम राजेश रंजन ने बताया कि यह पूरा मामला करीब 62 हजार रुपए के भ्रष्टाचार का है। मामले में एक कार्मिक से 12 हजार रुपए की वसूली कर ली गई है। शेष दो कार्मिकों से इसी माह वसूली हो जाने की उम्मीद है। वहीं दो ग्रामीणों की भी मामले में संलिप्तता है। उन्हें दो नोटिस भेजे जा चुके हैं। यदि वे सरकारी धनराशि वापस नहीं करते हैं तो राजस्व विभाग को वसूली करने के लिए मामला भेजा जाएगा।

(Corruption) उल्लेखनीय है क्षेत्रीय ग्रामीण पुष्कर सिंह पनौरा इस मामले को पिछले दो वर्षों से उठा रहे हैं। इधर उन्होंने सीएम पोर्टल पर भी इस मामले की शिकायत की थी। उनका कहना है कि गांव में वर्षा जल संग्रहण के लिए बनने वाले टैंकों को भरने के लिए नियमानुसार नालियां नहीं बनाई गई हैं। जांच में पुष्टि होने के बावजूद कार्रवाई करने में हीलाहवाली की जा रही है।

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नवीन समाचार, लालकुआं, 1 नवम्बर 2020। उत्तराखंड की मित्र पुलिस पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिल्सी से भाजपा विधायक पंडित राधा कृष्ण शर्मा के बाद अब आंवला के भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने लालकुआं व ऊधमसिंह नगर पुलिस पर अवैध वसूली के आरोप लगाए हैं। दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद सत्तारूढ़ दल के विधायक-सांसद द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद अब लालकुआं व ऊधमसिंह नगर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में यूपी के वाहन स्वामियों की शिकायत पर बीते माह अक्टूबर में बिल्सी के विधायक पंडित राधा कृष्ण शर्मा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, पीएमओ समेत प्रदेश के तमाम अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें लालकुआं समेत नैनीताल व उधम सिंह नगर के कई कोतवाली व थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा वाहनों से अवैध वसूली की शिकायत की गई थी। विधायक ने पुलिस पर चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की थी। जिसके बाद पुलिस विभाग द्वारा मामले की जांच की जा रही है।

इधर शनिवार को आंवला के लोकसभा सदस्य धर्मेंद्र कश्यप ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर लालकुआं ऊधमसिंह नगर पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पत्र में कहा गया है कि पुलिस द्वारा महीना लेकर ओवरलोड उपखनिज का परिवहन कराया जा रहा है। जिससे जहां करोड़ों की सड़कों की दुर्दशा हो रही है वहीं ईमानदारी से चलने वाले वाहन स्वामी बेरोजगार हो रहे हैं। पुलिस की कार्यप्रणाली से क्षेत्र में भी आक्रोश फैलने लगा है।

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस गांव के लिंक मार्गों पर चलने वाले दोपहिया वाहन चालकों पर भारी भरकम जुर्माना लगा रहे हैं। जबकि हाइवे पर ओवरलोड वाहन दौड़ रहे हैं। बिल्सी विधायक की शिकायत के बाद पुलिस अपने को बचाने की जुगत में लग गई है। जिसके लिए पुलिस क्षेत्र लोकल के वाहन स्वामियों व चालकों को अपने प्रभाव में बयान लिए जा रहे है।

(Corruption) कई वाहन चालकों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हमें तो रोज पर सड़क पर गाडिया चलानी है। जो पुलिस कहेगी वही बयान देने पड़ेंगे। विदित रहे कि लालकुआं से यूपी के तमाम शहरों में उपखनिज का परिवहन किया जाता है। रोजाना सैकड़ों ओवरलोड उपखनिज लेकर यूपी जाते है।

आरोप है कि पुलिस ओवरलोड वाहनों से महीना लेती है जबकि जो वाहन इमानदारी से चलता है उसको तमाम कमियां गिनाकर उनका उत्पीडन किया जा रहा है। पुलिस के उत्पीडन से त्रस्त होकर अक्टूबर माह में यूपी के वाहन स्वामियों द्वारा बिल्सी के भाजपा विधायक पंडित राधा कृष्ण शर्मा से लालकुआं समेत नैनीताल व उधम सिंह नगर के कई कोतवाली व थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा वाहनों से अवैध वसूली की शिकायत की।

यह भी पढ़ें : 13 करोड़ के कार्य में गुणवत्ता पर सवाल, आंदोलन की धमकी..

नवीन समाचार, नैनीताल, 17 सितंबर 2020। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत निर्माणाधीन 20 किमी लंबे देवीधुरा-बोहरागांव-फतेहपुर मोटरमार्ग में इन दिनों 13 करोड़ की लागत से चल रहे डामरीकरण के ‘इंटर टॉप सोलिंग’ के कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्य में मानकों के विपरीत निर्माण सामग्री प्रयोग की जा रही है। देवीधुरा के ग्राम प्रधान धर्मेंद्र सिंह ने इस पर विभाग के इंजीनियरों, अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए आंदोलन की धमकी दे दी है।

उनका कहना है कि इस मोटर मार्ग में विभिन्न चरणों में पिछले सात-आठ वर्षों में करोड़ों रुपया खर्च हो चुका है। अब 13 करोड़ से चल रहे डामरीकरण के कार्य में स्थानीय निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है जबकि निविदा के मानकों के अनुसार गौला नदी की सामग्री का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(Corruption) उन्होंने मार्ग किनारे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाते हुए राजकीय इंटर कालेज परिसर, देवीधुरा और पापड़ी गांवों में आपदा आने का अंदेशा भी जताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी शिकायतों पर विभाग मूक दर्शक बना रहता है तो जनता को साथ लेकर सड़क पर उतर कर आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के एक पीसीएस अधिकारी के घर विजिलेंस ने मारा छापा…

नवीन समाचार, मेरठ (उत्तर प्रदेश), 7 मार्च 2020। उत्तराखंड के देहरादून में तैनात राज्य कर अधिकारी अनिल कुमार के मोदीपुरम की शिवनगर कालोनी में स्थित घर पर देहरादून की विजिलेंस टीम ने छापेमारी की है। वर्तमान में अनिल कुमार देहरादून जेल में बंद हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने हरियाणा के हिसार निवासी कारोबारी से 29 हजार 500 रुपये की अवैध वसूली की है।

देहरादून की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट से सर्च वारंट लेकर विजिलेंस की टीम यहां पहुंची। विजिलेंस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर प्रदीप पंत कर रहे थे, जिनके साथ एक महिला दारोगा समेत चार अन्य कर्मचारी थे। टीम ने सबसे पहले पल्लवपुरम थाने में आमद दर्ज कराई। उसके बाद थाना पुलिस को साथ लेकर शिवनगर में अनिल कुमार के घर छापा मारा।

(Corruption) घर पर अधिकारी की पत्नी, बच्चों समेत रिश्तेदार थे। यहां पड़ोसियों की भीड़ जमा हो गई। करीब चार घंटे में टीम ने मकान के कागज से लेकर कार, बाइक, स्कूटी, एलआइसी, बैंक पासबुक और अन्य कागजों की पड़ताल कर लिस्ट तैयार की और स्वजनों के हस्ताक्षर कराए।

आरोप है कि 16 फरवरी की रात अनिल कुमार ने हरियाणा के हिसार से माल लेकर देहरादून आ रहे ट्रक ड्राइवर की जेब से जबरन 9500 रुपये निकाले थे। अनिल कुमार ने हिसार के व्यापारी से 20 हजार रुपये अपने साथी व केस में सह-आरोपित अजय मलिक के खाते में डलवाए और वाहन को छोड़ दिया।

(Corruption) गाड़ी में लोड माल देहरादून के कारोबारी अनिल माटा के कारखाने में जा रहा था। पीड़ित व्यापारी ने प्रकरण की शिकायत सीएम पोर्टल पर दर्ज कराई थी। अनिल कुमार को निलंबित कर जांच की गई तो आरोप सही पाए गए। केस दर्ज कर आरोपित अनिल कुमार को मेरठ से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

सेना के जवान से शिक्षक और अधिकारी तक का सफर

अनिल कुमार की सेना से सेवानिवृत्त होने के कुछ महीनों बाद ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के पद पर नौकरी लग गई। करीब दो वर्ष की नौकरी के दौरान ही उन्होंने उत्तराखंड पीसीएस की परीक्षा पास कर ली। वर्तमान में अनिल कुमार देहरादून में राज्य कर अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी तैनाती मोबाइल दस्ते में थी।

यह भी पढ़ें : वन आरक्षी भर्ती में अब उत्तराखंड सरकार का एक अधिकारी गिरफ्तार…

नवीन समाचार, देहरादून, 23 फरवरी 2020। उत्तराखंड पुलिस ने प्रदेश के बहुचर्चित वन आरक्षी भर्ती परीक्षा की धांधली में शामिल अभ्यर्थी को पांच लाख रुपये में नकल कराने के आरोप में एक कृषि विभाग के अधिकारी को गिरफ्तार किया है।

(Corruption) कोटद्वार में तैनात आरोपित सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार पर आरोप है कि उसने अपने ही रिश्तेदार युवक को परीक्षा में पास कराने का झांसा दिया था। साथ ही रुड़की स्थित ओजस्वी करियर सेंटर के संचालक मुकेश सैनी गिरोह से बहु उसके तार जुड़े बताए जा रहे हैं, जिसे पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

उल्लेखनीय है कि गत 16 फरवरी को प्रदेश में विभिन्न केंद्रों पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वन आरक्षी भर्ती परीक्षा हुई थी। यह परीक्षा कराई गई थी। परीक्षा संपन्न होते ही ओएमआर शीट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थी। कुछ घंटों के अंतराल में परीक्षा में अन्य गड़बडिय़ों की शिकायतें भी सामने आईं।

(Corruption) पुलिस को शुरुआती जांच में पता चला कि कुछ केंद्रों पर अभ्यर्थियों को नकल कराने के लिए एक गिरोह ने पांच लाख रुपये तक में सौदा किया हुआ था। इन्हें ब्लूटूथ के जरिये प्रश्नों के उत्तर बताए जाने थे, इसके लिए बाकायदा कोड वर्ड बनाए गए थे।

परीक्षा के अगले ही दिन इस मामले में पौड़ी और हरिद्वार में 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। जांच में पता चला कि हरिद्वार जिले के मंगलौर स्थित ओजस्वी करियर सेंटर का संचालक मुकेश सैनी गिरोह को संचालित कर रहा था। उसने कुछ युवकों को पौड़ी और हरिद्वार के सेंटरों में नकल कराने के लिए भेजा था। इसके बाद इधर रविवार देर शाम पौड़ी जिले की पुलिस ने इस मामले में कोटद्वार में तैनात सहायक कृषि अधिकारी सुधीर कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

मंगलौर निवासी गोपाल सिंह ने सुधीर समेत चार लोगों के खिलाफ पौड़ी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। गोपाल सिंह ने शिकायत में बताया था कि हरिद्वार निवासी पंकज, संजय और सौरभ ने उनके बेटे को पांच लाख रुपये में भर्ती परीक्षा में नकल करवा कर उत्तीर्ण करवाने की बात कही थी। उसके बेटे से उक्त तीनों युवकों की बात कोटद्वार में रह रहे उनके रिश्तेदार सुधीर ने कराई थी।

यह भी पढ़ें : प्रतियोगी परीक्षाओं में ब्लू टूथ से नकल कराने वाला कथित ‘गुरुजी’ गिरफ्तार, अपना कोचिंग सेंटर भी चलाता था..

नवीन समाचार, देहरादून, 21 फरवरी 2020। विगत कई समय से उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व प्रावधिक शिक्षा परिषद में पेपर लीक कराने व ब्लू टूथ के माध्यम से प्रतियोगिता परीक्षा मे नकल कराने वाले गिरोह की सूचना प्राप्त हो रही थी। इस सन्दर्भ में एसटीएफ उत्तराखण्ड व जनपद हरिद्वार पुलिस लगातार सक्रिय होकर काम कर रही थी।

इसी परिपेक्ष मे उत्तराखण्ड वन आरक्षी की परीक्षाओ मे नकल कराये जाने की सूचना के बाद गत 17 फरवरी को ब्लूटूथ के माध्यम से नकल करने के लिऐ ठगी के सम्बन्ध मे मुकेश सैनी ओजस्वी कैरियर कोचिंग सैन्टर गुरुकुल नारसन के विरुद्ध थाना मंगलौर पर धारा 420 भादवि के तहत मुकदमा पजीकृत कराया तथा। बताया कि इस परीक्षा मे पहले पेपर लीक कराने और बाद में ब्लूटूथ मे माध्यम से नकल कराने की एवज मे 4 लाख रुपये की सौदेबाजी मुकेश सैनी द्वारा की गयी थी। एक लाख एडवांस लिए गये थे।

इस घटना का सोशल मीडिया व अखबारों के माध्मय से लोगो को जानकारी होने पर इस परीक्षा मे शांमिल परीक्षार्थी व शिक्षित बैरोजगारों में काफी असन्तोष व्याप्त था तथा लगातार गिरोह के पर्दाफाश की मांग की जा रही थी। इस तरह के गिरोह के अनावरण हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार द्वारा पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के निर्देशन मे क्षेत्राधिकारी मंगलौर तथा लक्सर के नेतृत्व में पुलिस टीमों का गठन किया गया और गिरोह की घरपकड हेतु पुलिस द्वारा अभियुक्त के ठिकाने पर छापेमारी की व मुखविर तथा सर्विलास की मदद ली गयी।

आखिर 21 फरवरी को मुखविर की सूचना पर गैग के मुख्य सरगना मुकेश सैनी पुत्र स्व. जलसिह निवासी ग्राम हरचन्दपुर कोतवाली मंगलौर जिला हरिद्वार को गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से ब्लूटूथ डिवाइस मोबाईल आदि बारामद हुआ।

(Corruption) आरोपित ने पूछताछ पर बताया कि वह तथा उसके टीम के सदस्य कोचिगं सेन्टर मे पहले ग्राहको को नौकरी दिलाने के नाम पर फॅसाते है तथा कुछ अग्रिम धन लेकर उत्तराखण्ड में व एसएससी में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओ मे पेपर लीग करके या ब्लूटूथ डिवाईस के माध्यम से नकल कराकर लोगों को नौकरी दिलाते थे। इससे पूर्व इनके द्वारा कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में इस तरह के कार्य किये गये हैं। विवेचना में साक्ष्य के आधार पर धारा 66 (डी) की बढोतरी की गयी।

यह भी पढ़ें : ऐसे देंगे शिक्षा ? जिले का मुखिया 15 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

नवीन समाचार, नैनीताल, 5 फरवरी 2020। अल्मोड़ा जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया यानी मुख्य शिक्षा अधिकारी जगमोहन सैनी बुधवार को प्रदेश की ‘जीरो टॉलरेंस’ की सरकार की मंशा को पलीता लगाते हुए 15 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए हैं।

(Corruption) उस वक्त देखने को मिला जब कुमाऊ विजिलेंस ने अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी जगमोहन सैनी को 15000 रुपये घूस ग्रहण करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।  विजिलेंस की टीम ने सीईओ सैनी के आवास से 1 लाख 93 हजार 200 रुपए बरामद किये हैं।

शिकायतकर्ता राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोनी ताड़ी खेत, जिला अल्मोड़ा के शिक्षक नंदन सिंह परिहार पुत्र माधव सिंह ने गत 28 जनवरी को एक शिकायती पत्र पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान हल्द्वानी नैनीताल को इस आशय का दिया कि उसकी पिछली तैनाती हाई स्कूल डोनी ताकुला में थी। उक्त नियुक्ति अवधि में मध्यान्ह भोजन योजना के बिल वाउचर के संबंध में जगमोहन सोनी, मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा ने एक स्पष्टीकरण मांगा।

उनके द्वारा सभी कार्य नियमपूर्वक किये गए थे और ये बात स्पष्ट रूप से मुख्य शिक्षा अधिकारी को बता दी थी, फिर भी उनके द्वारा स्पस्टीकरण पत्र देकर मामले को निपटाने के एवज मे 15000 की घूस की मांग की जा रही है।

(Corruption) उक्त प्रकरण की जांच में आरोप सही पाए जाने पर आरोपी के राजपत्रित अधिकारी होने के कारण शासन की अनुमति प्राप्त कर पांच फरवरी को आरोपी जगमोहन सोनी मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायतकर्ता से से 15000 घूस ग्रहण करते हुए रंगे हाथों समय शाम 4.40 बजे सतर्कता अधिष्ठान हल्द्वानी ट्रैप टीम द्वारा आरोपी के कार्यालय मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा कार्यालय से गिरफ्तार किया गया।

सतर्कता विभाग द्वारा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु 18001806666 टोल फ्री हेल्पलाइन की व्यवस्था की गयी है। वृहद प्रचार-प्रसार हेतु बोर्ड लगाये गये है, तथा Facebook व Whatsapp No. – 9456592300 / 05946246372पर भी सतर्कता विभाग सक्रिय है। जनता से अनुरोध है कि इस मुहिम में हमें सहयोग दें।
यह भी पढ़ें : विजिलेंस ने रिश्वत लेते सर्वे कानूनगो को रंगे हाथों किया गिरफ्तार…

नवीन समाचार, देहरादून, 28 जनवरी 2020। विजिलेंस ने देहरादून में एक सर्वे कानूनगो किशन सिंह नेगी पुत्र स्व. विजय राम नेगी निवासी ग्राम थुराऊ पोस्ट कालसी गेट तहसील व थाना कालसी को रिश्वत लेते हुए कार्यालय बंदोबस्त पटेलनगर देहरादून में तैनात रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। सर्वे कानूनगो के खिलाफ विजिलेंस को शिकायत मिली थी कि वह सेवानिवृत्त सैनिक से खतौनी में पिता का नाम सुधारने के बदले 5 हज़ार रुपये मांग रहा था।

शिकायतकर्ता के इस बाबत भेजे गए शिकायती पत्र पर पुलिस अधीक्षक सतर्कता देहरादून की टीम ने पुष्टि होने पर मंगलवार को कार्यवाही की, और दोपहर 3:30 बजे उसे उसके कार्यालय से रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। सतर्कता निदेशक ने टीम के उत्साहवर्धन हेतु नगद पुरस्कार की घोषणा की है।

यह भी पढ़ें : गणतंत्र दिवस पर इधर सम्मानित हो रहे थे उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मी, उधर रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ा गया पुलिस कर्मी

नवीन समाचार, सितारगंज, 26 जनवरी 2020। गणतंत्र दिवस के दिन जब देश-प्रदेश से लेकर जनपदों तक पुलिस एवं अन्य विभागों के उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरकारी अधिकारी व कर्मचारी पुरस्कृत किये जा रहे थे, उसी समय उत्तराखंड पुलिस के एक सिपाही को हल्द्वानी विजिलेंस टीम ने एसपी विजिलेंस अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में आई टीम के द्वारा रविवार अपराह्न करीब सवा तीन बजे 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।

ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा थाने के अंर्तगत आने वाली झनकैया पुलिस चौकी में शिकायतकर्ता दयाशंकर प्रजापति की गत 24 जनवरी को हल्द्वानी स्थित विजिलेंस कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर विजीलेंस ने जाल बिछाकर झनकैया थाने में तैनात निकटवर्ती चकरपुर निवासी आरक्षी कुशल कन्याल पुत्र दीवान सिंह कन्याल को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

उस पर आरोप लगाया गया था कि मकान बिक्री के हिस्से-बंटवारे में उनकी भाभी द्वारा की गई शिकायत का समाधान कर उसे लाभ पहुंचाने के ऐवज में कन्याल 20,000 रूपये की रिश्वत मांग रहा था। आरोपी सिपाही के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें : यहां नगर पालिका में फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर पांच लोग कर रहे नौकरी…

नवीन समाचार, अल्मोड़ा, 18 जनवरी 2020। अल्मोड़ा पालिका में वर्ष 2000 से 2004 के बीच फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर पांच लोगों द्वारा नौकरी पाने एवं पदोन्नति लेने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी के बाद हुए खुलासे के बाद शहरी विकास निदेशालय ने पालिका को कार्यवाही करने का निर्देश देते हुए रिपोर्ट तलब की है। पालिका प्रशासन ने पांचों कर्मचारियों पर कार्यवाही करते हुए रिपोर्ट शहरी विकास निदेशक को भेज भी दी है।

गौरतलब है कि जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हरजिंदर सिंह ने वर्ष 2005 में अल्मोड़ा पालिका में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सहायक लिपिक के पदों पर पदोन्नति की जानकारी मांगी थी। इसके बाद शहरी विकास निदेशालय ने अपने स्तर से पड़ताल की तो पालिका में कार्यरत पांच कर्मचारियों के कागजात एवं शैक्षिक दस्तावेज फर्जी होने का अंदेशा हुआ।

(Corruption) जांच कराने के बाद उनके प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इसके बाद शहरी विकास निदेशक विनोद कुमार सुमन ने दोषी कर्मचारियों पर अक्टूबर माह में पालिका अल्मोड़ा को नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।

इसके बाद पालिका ईओ श्याम सुंदर प्रसाद ने मामले की जांच अपने स्तर से करने के बाद सभी कर्मचारियों को नोटिस देकर रिकवरी के आदेश दे दिए हैं। सूचना के अधिकार में खुलासा होने के बाद 26 सितंबर 2019 को शहरी विकास के निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी नगर आयुक्तों व पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों व अधिशासी अधिकारियों को पत्र भेजकर सभी नियुक्तियों एवं शैक्षिक अर्हताओं की जांच के आदेश जारी किए गये थे।

पत्र में स्पष्ट किया है कि हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद द्वारा संचालित प्रथमा, मध्यमा अथवा कोई उच्चतर परीक्षा परिषद को हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा परिषद से न तो पूर्व में मान्य थी और न ही वर्तमान में मान्य है। मामले में पालिका ईओ श्याम सुंदर प्रसाद ने बताया कि फर्जी दस्तावेज एवं अमान्य शैक्षिक योग्यता के मामले में पालिका के पांच कर्मचारी पकड़ में आये हैं। उनमें से 2004 में एक अनुसेवक सेवानिवृत्त एवं एक का तबादला अन्यत्र हो गया है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में हरीश चंद्र आर्य माली के पद पर तैनात है। इसके अलावा प्रकाश चंद्र पंत एवं दीप चंद्र जोशी जो कि दोनों चतुर्थ श्रेणी से प्रोन्नत होकर सहायक लिपिक पद पर कार्यरत हैं। सभी कर्मचारियों से रिकवरी के आदेश दे दिए हैं। साथ ही सभी पर नियमानुसार आगे की कार्यवाही अमल में लाई जा रही है। कार्यवाही की रिपोर्ट शहरी विकास निदेशालय को भी भेज दी गई है।

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नवीन समाचार, देहरादून, 17 जनवरी 2020। विजीलेंस की टीम ने देहरादून में बिजली का घरेलू कनेक्शन लगाने के ऐवज में 75 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे विद्युत वितरण खंड के घूसखोर अवर अभियंता को 75 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोच लिया है।

(Corruption) विजीलेंस को शिकायत मिली थी कि अवर अभियंता घरेलू कनेक्शन लगाने की फाइल को लंबे समय से अटकाए हुए था और 75 हजार रुपए मांग रहा था। इस पर उसे सेलाकुई क्षेत्र से जाल बिछाकर रिश्वत में दिये गए रुपयों के साथ पकड़ लिया गया। सहायक श्रम आयुक्त कमल जोशी भी विजीलेंस की टीम के साथ मौजूद रहे।

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नवीन समचार, जसपुर (ऊधमसिंह नगर), 26 दिसंबर 2019। राजस्व कर्मी ने राजकीय कोष में धनराशि जमा न करके तीन माह तक अपने पास रख ली। जांच में यह साबित होने पर तहसील प्रशासन ने डीएम के आदेश पर उन्हें पहले ही निलंबित नायब नाजिर के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया है। 

घटनाक्रम के अनुसार गत 18 सितंबर को एसडीएम सुंदर सिंह को तहसील कार्यालय का औचक निरीक्षण करने के दौरान नायब नाजिर नीरज कुमार द्वारा दिखाए गए अभिलेखों में गड़बड़ी का शक हुआ। एसडीएम ने तहसीलदार विपिन पंत, नायब तहसीलदार सुदेश कुमार एवं उपकोषाधिकारी निरूपमा पांडे की तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर प्रकरण की जांच के निर्देश दिए थे।

(Corruption) जांच में पाया गया था कि नायब नाजिर ने खनन के जुर्माने, डोलबंद, मिट्टी उठान एवं सीमांकन में आई एक लाख तैंतालिस हजार 889 रुपये की धनराशि राजकोष में जमा न कराकर अपने पास रख ली और तीन माह एवं छह माह के अंतराल में यह धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराई।

जांच समिति ने नायब नाजिर के इस कृत्य को वित्तीय अनियमितता एवं सरकारी धन का दुरुपयोग बताकर एसडीएम को रिपोर्ट सौंपी। इस पर एसडीएम ने नायब नाजिर पर कानूनी कार्रवाई के लिए डीएम को रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट पर बुधवार को डीएम ने नायब नाजिर को निलंबित कर जिला मुख्यालय में अटैच कर दिया है। साथ ही गुरुवार को नायब तहसीलदार सुदेश कुमार ने उन पर गबन का केस दर्ज करा दिया।

कोतवाल उमेद सिंह दानू के अनुसार आरोपित पर गबन का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। वहीं आरोपित नीरज कुमार का कहना है कि जांच समिति ने न ही उसके बयान दर्ज किए और न ही उससे स्पष्टीकरण मांगा। उसके द्वारा पैसा जमा करा दिया गया था।

यह भी पढ़ें : एमडी पर 100 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप, हाइकोर्ट ने 3 सप्ताह में मांगा जवाब

नवीन समाचार, नैनीताल, 14 दिसंबर 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पेयजल निगम के एमडी पर भ्रष्टाचार करने के आरोप में दायर जनहित याचिका को स्वीकारते हुए एमडी सहित सभी पक्षकारों से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले के अनुसार मूलतः गुड़गांव दिल्ली व हाल देहरादून निवासी मुकेश कुमार सिन्हा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पेयजल निगम के एमडी भजन सिंह ने कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार किया हुआ है।

इसलिए उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाये और भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई से जांच कराई जाये। याची ने अपनी याचिका में एमडी पर यह आरोप भी लगाए हैं कि उनके द्वारा नियमविरुद्ध तरीके से अपने चहेतों को निविदा आवंटित कर दी हैं जिसके कारण सरकार को सौ करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व की हानि हुई है। एमडी द्वारा 9 लाख रुपये की नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पैसो से अपने घर के लिए पेड़-पौधे खरीदे गए।

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यह भी पढ़ें : एमडी पर 100 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप, हाइकोर्ट ने 3 दिन में मांगा जवाबनवीन समाचार, 7 दिसंबर 2019। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एमडी पयेजल निगम के द्वारा भ्रष्टाचार करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकर्ता से 10 दिसम्बर तक तथ्यो के साथ शपथ पत्र पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधिश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।

मामले के अनुसार मुकेश कुमार सिन्हा गुड़गांव दिल्ली हाल निवासी देहरादून ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि एमडी पेयजल निगम भजन सिंह ने कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार किया हुआ है इसलिए उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाय और भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई से जांच कराई जाय।

(Corruption) याचिकर्ता ने अपनी याचिका में एमडी पेयजल पर यह आरोप लगाए है कि उनके द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अपने चेहतों को टेंडर आवंटित कर दिए है, जिसके कारण सरकार को सौ करोड़ रुपये आए अधिक राजस्व की हानि हुई है। एमडी द्वारा 9 लाख रुपये की नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पैसो से अपने घर के लिए पेड़-पौधे खरीदे गए ।

यह भी पढ़ें : आरटीओ ऑफिस में कर्मचारी नेता की सीट पर बैठ दलाल ले रहा था रिश्वत, 3 गिरफ्तार कर जेल भेजे

नवीन समाचार, देहरादून, 22 नवंबर 2019। देहरादून के आरटीओ कार्यालय में विजिलेंस के छापे में ट्रैक्टर का कामर्शियल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने के नाम पर प्रमुख सहायक की कुर्सी पर छह हजार की रिश्वत वसूलते हुए दलाल पकड़ा गया। विजिलेंस ने नेटवर्क में शामिल दो दलालों और दफ्तर के मुख्य सहायक-यशबीर बिष्ट, जो कि कर्मचारी नेता भी है, को गिरफ्तार कर आज जेल भेेेज दिया।

विजिलेंस के पुलिस उप महानिरीक्षक कृष्ण कुमार वीके ने बताया कि एक किसान ने 19 नवंबर को विजिलेंस की एसपी रेणु लोहनी से मिलकर शिकायत की थी कि ट्रैक्टर के व्यावसायिक प्रयोग के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के लिए उसने संभागीय परिवहन कार्यालय में आवेदन किया था। वह संबंधित कागजात और फीस जमा कराने के बाद आरटीओ आफिस के काउंटर नंबर चार पर पहुंचा। यह सीट मुख्य सहायक यशबीर बिष्ट की है। उस पर मोनू मलिक उर्फ संदीप बैठे हुआ था।

आरोप लगाया कि उसने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के लिए अलग से छह हजार रुपये की रिश्वत मांगी और इसके बिना कार्य होने से साफ इंकार कर दिया। उसने कहा कि यदि काम कराना है तो 21 अक्तूबर को रकम लेकर आ जाना। डीआईजी ने बताया कि गोपनीय जांच में आरोप की पुष्टि के बाद एसपी ने ट्रैप टीम गठित कर दी। शिकायतकर्ता बृहस्पतिवार दोपहर रकम लेकर काउंटर पर पहुंचा तो वहां पर मुख्य सहायक यशबीर बिष्ट के स्थान पर मोनू बैठा था।

रिश्वत लेने के बाद मोनू ने फाइल पास में खडे़ अन्य एजेंट प्रदीप कुमार को दे दी। विजिलेंस टीम ने प्रदीप कुमार निवासी विकास लोक सहस्त्रधारा रोड और मोनू मलिक उर्फ संदीप कुमार निवासी मोहब्बेवाला को दबोच लिया। तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। आईजी ने ट्रैप टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।

यह भी बताया गया कि आरटीओ कार्यालय में विजिलेंस का छापा पड़ने की सूचना ऑफिस के कर्मचारियों ने अपने जिलाध्यक्ष यशवीर बिष्ट को दी तो वह भी ऑफिस पहुंच गए। वहां मोनू नाम का दलाल यशवीर बिष्ट की गैरमौजूदगी में उनकी सीट के पास खड़ा होकर रिश्वत ले रहा था। जैसे ही सूचना पर यशवीर बिष्ट वहां पहुंचे विजिलेंस टीम ने उनको भी गिरफ्तार कर दिया।

यह भी पढ़ें : लोनिवि का अधिकारी विजिलेंस के हाथों रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 24 अक्तूबर 2019। विजिलेंस यानी सतर्कता प्रतिष्ठान ने हल्द्वानी में नैनीताल जनपद के लोक निर्माण विभाग के प्रधान सहायक को भुगतान कराने के एवज में ठेकेदार से पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। उसे पकड़ने वाली विजिलेंस की टीम को पुरस्कार की घोषणा भी की गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार लोनिवि द्वारा वर्ष 2015 में जनपद के लालकुआं में तहसील बनाने का ठेका एक ठेकेदार को दिया गया था। विभाग में बजट न होने के कारण यह कार्य बीच में रुका रहा, और इधर इसी वर्ष पूरा हुआ। इस पर ठेकेदार द्वारा विभाग से समय बढ़ाने की मांग की गई तो लोनिवि के अधीक्षण अभियंता द्वितीय वृत्त नैनीताल के प्रधान सहायक प्रदीप पांडे ने ठेकेदार से 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी।

इस पर ठेकेदार ने उसे चार हजार रुपए की रिश्वत दी और इधर दो दिन पूर्व 22 अक्तूबर को पांडे ने ठेकेदार को अपेक्षित कार्य हो जाने की जानकारी देते हुए रिश्वत के शेष छह हजार रुपए की मांग की, और मिन्नतें करने पर पांच हजार रुपए लेकर कार्य करने को तैयार हुआ। ठेकेदार ने इसकी सूचना सतर्कता प्रतिष्ठान हल्द्वानी के एसपी अमित श्रीवास्तव से की, जिन्होंने जाल बिछाकर बृहस्पतिवार को पांडे को सरस मार्केट हल्द्वानी में ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

आगे उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत करने की तैयारी की जा रही है। वहीं उसे पकड़ने वाली टीम को सतर्कता निदेशक की ओर से पुरस्कार देने की घोषणा भी की गई है।

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  • देहरादून में पीरू के सैलून में था डकैताें का ‘कंट्रोल रूम’, यहां तैयार होती थी धन्नासेठों की कुंडली  
  • पीरू ने ही लिखी थी ईश्वरन और आरटीओ कर्मी जैसे अमीरों के घर डकैती की पटकथा

नवीन समाचार, देहरादून, 5 अक्तूबर 2019। इन दिनों आरटीओ ऑफिस देहरादून खास चर्चा में है। हो भी क्यों नहीं। राजधानी में हुवे एक बड़े लूट कांड के आरोपियों को जब पकड़ा गया तो उन्होंने बताया कि इसके पहले देहरादून में ही आर टी ओ के एक कर्मचारी के यहां से उन्होंने 1 करोड़ 34 लाख रुपए लूट लिए थे। डकैती विजय पार्क एक्सटेंशन में हुई थी। उधर जिसके यहां डकैती हुई उसने इतनी बड़ी लूट की कोई भी शिकायत आज तक पुलिस से नहीं की।

जब पुलिस ने आर टी ओ के उस कर्मचारी से बुला कर पूछताछ की तो उसने लूट की घटना को स्वीकार किया लेकिन कोई भी एफ आई आर लिखवाने से साफ इंकार कर रहा है। फिलहाल उनके आलोक से पूरा आर टी ओ ऑफिस जगमगा रहा है। यह है उत्तराखंड में सिर्फ एक विभाग में भ्रष्टाचार का जीता जागता नमूना। पूरे उत्तराखंड में लूट और भ्रष्ट्राचार का आलम क्या होगा इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

अब दूसरा पक्ष :

कई बार इतिहास अपने आपको दोहराता नजर आता है। फिल्म शोले में हरीराम नाई के किरदार को कौन भूल सकता है। वह जेल में होने वाली हर गतिविधि की मुखबिरी जेलर को करता था। दून में एक करोड़ 34 लाख की डकैती पड़ने के बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज न कराने पर आरटीओ कर्मी अब आयकर विभाग के निशाने पर आ गया है, लेकिन शहर के लोगों की जुबान पर यह सवाल तैर रहा है कि आखिर डकैतों को कैसे पता चला कि एक आरटीओ कर्मी के घर इतनी बड़ी रकम मौजूद है और वह डकैती के बारे में किसी से जिक्र तक भी नहीं करेगा।

पुलिस भी इसी बात को लेकर हैरान थी कि डकैत किस ‘ज्योतिषी’ की सलाह पर इतना बड़ा हाथ मार ले गये और किसी को कानोंकान खबर तक न चल पाई। अब जाकर पुलिस ने डकैतों के जासूस ‘हरीराम’ नाई को खोज निकाला है। लोगों की हजामत बनाने वाला सैलून संचालक पीरू शहर के धन्नासेठों की लंबे समय से ‘हजामत’ बना रहा है और उसका हिस्सा अपने आप उसके पास पहुंच जाता था। वह उनकी ‘कुंडली’ डकैतों को सौंप देता था। जिसके आधार पर डकैत अपना शिकार चुनते थे।

एक तरह से पीरू का सैलून डकैतों का कंट्रोल रूम था, जहां पर शहर के अमीरों की कुंडली तैयार करने का काम होता था। छोटी-छोटी जानकारी पता करने के साथ उनकी कमजोरी पर खास फोकस किया जाता था, ताकि वारदात के समय शिकार विरोध करने की हिम्मत तक न जुटा सके।

(Corruption) अभिमन्यु एकडेमी के मालिक आरपी ईश्वरन, आरटीओ कर्मचारी के घर डकैती, बिल्डर राकेश बत्ता और प्रमुख चिकित्सक के आवास पर डकैती के प्रयास की घटना का सूत्रधार यही सैलून संचालक मुजिब्बुर रहमान उर्फ पीरू उर्फ हरीराम नाई निकला। वह डकैतों के मुखबिर तंत्र के रूप में बड़ा किरदार निभाता था।

बरसों से राजेन्द्र नगर में सैलून की बदौलत धनाढ्य परिवारों में पीरू का खासा दखल था। ईश्वरन लूटपाट प्रकरण से पहले पीरू के इस खौफनाक चेहरे से कोई वाकिफ नहीं था। डकैती का शिकार हुए आरटीओ कर्मचारी की पत्नी करीब डेढ़ दशक से सैलून की सेवाएं ले रही थी। परिवार के शाही रहन सहन से लेकर काली कमाई तक पीरू ने पूरी जानकारी जुटाई थी। वहीं इनकम टैक्स की धरपकड़ में नाम आने के बाद आरपी ईश्वरन के परिवार का पूरा चिट्ठा पीरू ने परिचितों के माध्यम से तैयार किया था।

हालांकि ईश्वरन ने पीरू से मुलाकात से इनकार किया था। बिल्डर राकेश बत्ता पर भी उसके करीबियों की मदद से पूरा होमवर्क किया गया था। पीरू ने ही बत्ता पर विश्वास जमाने के लिए रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ के नाम का प्रयोग करने की सलाह दी थी। डकैतों ने दोनों घटनाओं में बाहर रहने वाले उनके बच्चों की जान का डर दिखाकर पीड़ित परिवाराें को घुटने टेकने को मजबूर किया था।

पीरू अपने नेटवर्क की बदौलत डकैती की रकम में बराबर का हिस्सेदार होता था। पुलिस हिरासत में हैदर ने खुलासा किया कि आरटीओ कर्मचारी के घर से मिले कैश में पीरू और उसके साथी फुरकान के हिस्से में भी 23-23 लाख रुपये आए थे। ईश्वरन लूटपाट प्रकरण में पांच-पांच लाख रुपये की हिस्सेदारी मिलने की खबर है। इसके चलते पीरू को सैलून से ज्यादा ‘हरीराम’ नाई का यह काम रास आ रहा था।

ऐसे में पीरू के मुखबिर तंत्र में कुछ और लोगों के शामिल होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। एसएसपी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि पुलिस तमाम पहलुओं पर काम कर रही है। पहले वांछित लोगाें की गिरफ्तारी और माल की रिकवरी पर फोकस है। अगले चरण में पर्दे के पीछे छिपे और चेहरों को भी बेनकाब किया जा सकता है। (साभार ई न्यूज़ 24X7)

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-पिथौरागढ़ की खाद्य सुरक्षा अधिकारी को 5 वर्ष की जेल की सजा
नवीन समाचार, नैनीताल, 26 सितंबर 2019। जिला एवं सत्र न्यायाधीश-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव कुमार खुल्बे की अदालत ने पिथौरागढ़ की तत्कालीन खाद्य सुरक्षा अभिहीत अधिकारी अर्चना सागर को अलग-अलग धाराओं में पांच व चार वर्ष की जेल की सजा तथा 15 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भुगतने की दशा में उन्हें दो व तीन माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में किसी महिला अधिकारी को सजा मिलने का यह अपनी तरह का पहला मामला बताया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिथौरागढ़ की तत्कालीन खाद्य सुरक्षा अभिहीत अधिकारी अर्चना सागर पर 11 मार्च 2013 को कैंट रोड कुमौड़ पिथौरागढ़ स्थित वर्षा स्वीट्स के स्वामी जगदीश प्रजापति पुत्र प्रेमचंद्र ने उनकी दुकान के फूड लाइसेंस का नवीनीकरण करने की एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए विजीलेंस से शिकायत की थी। इस पर विजीलेंस की टीम ने 16 मई को उन्हें जाल बिछाकर 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।

मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से संयुक्त निदेशक डीएस जंगपांगी ने पैरवी करते हुए आठ गवाह पेश किये। फलस्वरूप शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव कुमार खुल्बे की अदालत ने अर्चना सागर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) डी सपठित 13 (2) के तहत 5 वर्ष की जेल व 10 हजार रुपए के जुर्माने तथा जुर्माना न भुगतने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा तथा धारा 7 के तहत 4 वर्ष की जेल व पांच हजार रुपए जुर्माना एवं जुर्माना न भुगतने की स्थिति में दो माह की अतिरिक्त जेल की सजा सुनाई है। दोनों सजा साथ-साथ चलेंगी।

यह भी पढ़ें : राजस्व विभाग में अजब ‘जीरो टॉलरेंस’: कहीं ट्रस्ट के नाम डाली जा रही राजकीय कोष की राशि, कहीं अधिकारी की पत्नी का ब्यूटी पार्लर बिल भुगत रहे मातहत !

नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2019। प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त ‘जीरो टॉलरेंस’ के नारे का राजस्व विभाग में अजब ही तरीके से मखौल उड़ता दिख रहा है। एक मामला ऐसा प्रकाश में आया है जहां विभागीय अधिकारी चालान के जुर्मानों व विभागीय हर्जानों की धनराशि राजकीय कोष में जमा कराने की जगह ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ में जमा करा रहे हैं, वहीं एक मंडलीय आधिकारी की धर्मपत्नी के ब्यूटी पार्लर के 25 हजार रुपए के बिल मातहतों पर थोपने की बात इन दिनों खासी चर्चा में है। इन अधिकारी पर पूर्व में उनके मातहत उत्पीड़न का आरोप लगा चुके हैं।

ताजा मामला गत सोमवार का है। ग्रामीण गांव के स्कूल में शिक्षकों की मांग पर ओखलकांडा के खनस्यूं गये हुए थे। लौटते हुए ग्रामीण वाहनों की कमी से एक वाहन में ही लदकर, कुछ वाहन के पीछे लटककर भी आ रहे थे, तभी तहसीलदार ने वाहन को रोककर गाड़ी व चालक के कागजात ले लिये। इन्हें छुड़ाने के लिए जब वे तहसील पहुंचे तो उन्हें आरटीओ का चालान करवाकर आरटीओ हल्द्वानी से कागजात वापस प्राप्त करने और दूसरे तहसील में ही 5 हजार रुपए का जुर्माना भुगतने के दो विकल्प दिये गये।

ग्रामीणों ने किसी तरह मान-मनुहार कर तहसील में ही तीन हजार रुपए का जुर्माना भुगतने का विकल्प स्वीकार लिया। लेकिन जुर्माना किसी राजकीय कोष में जमा कराने की जगह ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ की तीन हजार रुपए की रसीद थमा दी गयी। इस मामले में संबंधित अधिकारी अपनी गलती मान रही हैं।

(Corruption) मामले में इससे भी बड़ा मामला यह है कि ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ की रसीद बुक तहसील मुख्यालय में पड़ी हुई है, और यहां तक बताया जा रहा है कि तहसील में बर्षों से बंदूकों के लाइसेंसों के रिन्यूअल का ‘सुविधा शुल्क’ व विभिन्न हर्जाने भी राजकीय कोष में जमा होने के बजाय ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ को दिये जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि धारी के एसडीएम ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ के सचिव एवं डीएम अध्यक्ष हैं। आगे यह बड़ी जांच का विषय है कि यह धनराशि ‘श्री 1008 सोमवारी बाबा ट्रस्ट पदमपुरी’ के खाते में भी जमा हो रही है अथवा कोई बाहर-बाहर ही तो इसे नहीं खा जा रहा है।

यहां हम स्पष्ट कर दें कि हमारा उद्देश्य किसी अधिकारी को टार्गेट करना नहीं है, इसी लिए हम संबंधित अधिकारी का नाम जाहिर नहीं कर रहे हैं। हमें यह भी पता चला है कि केवल ये अधिकारी ही नहीं, बल्कि इनसे पूर्व के अब तक के अधिकांश अधिकारी भी यही करते रहे हैं। इसलिए हमारा मानना है कि जो भी व्यवस्थागत तौर पर गलत चल रहा है, वह तुरंत रुके। अन्यथा हमें अधिकारियों का नाम सार्वजनिक करने से भी कोई गुरेज नहीं होगा।

यह भी पढ़ें : प्रदेश के बहुचर्चित, भ्रष्टाचार के मामले में विजीलेंस की जद में आये उच्च वनाधिकारी की गिरफ्तारी पर रोक…

नवीन समाचार, नैनीताल, 29 अगस्त 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित, भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे आईएफएस अधिकारी, नंदा देवी नेशनल पार्क के डिप्टी फॉरेस्ट कंजरवेटर किशन चंद की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अलबत्ता उन्हें विवेचना में सहयोग करने के आदेश दिए है।

मामले के अनुसार आईएफएस किशन चन्द ने हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है। उनका कहना है कि विजिलेंस के द्वारा बिना किसी कारण व नोटिस के उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पति रखने व भ्रष्टाचार के मामले में एंटी करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13(1)(ई) के तहत दर्ज किये गये मुकदमे को निरस्त किया जाय।

यह भी पढ़ें : तहसीलदार 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, रुपए मुंह में डालकर निगलने का किया प्रयास..

नवीन समाचार, उत्तरकाशी, 21 अगस्त 2019। जनपद के चिन्यालीसौड़ तहसील के तहसीलदार चंदन सिंह राणा को बुधवार को विजिलेंस की टीम ने उनके कार्यालय में छापा मारकर 10000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। बताया गया है कि विजिलेंस को राणा के खिलाफ एक ग्रामीण द्वारा जमीन के दाखिल खारिज के लिए रिश्वत मांगे जाने की शिकायत मिली थी। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार चिन्यालीसौड़ ब्लाक के कैंथोगी गांव निवासी नारायण सिंह पंवार ने कुछ माह पूर्व चिन्यालीसौड़ नगर पालिका क्षेत्र में जमीन खरीदी थी। जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए वह लंबे समय से तहसील के चक्कर काट रहे थे।

(Corruption) तहसीलदार ने दाखिल खारिज के एवज में 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। काफी मिन्नत करने के बाद भी तहसीलदार 10 हजार रुपये रिश्वत मिलने तक काम करने को राजी नहीं हुआ। इस पर विजिलेंस की टीम ने विजिलेंस ने पूरा जाल बिछाकर उन्हें पीड़ित व्यक्ति से 10000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।

प्रत्यक्षदशियों के अनुसार छापामारी की भनक लगते ही तहसीलदार ने सारे रुपए मुंह में डालकर निगलने का प्रयास किया, लेकिन विजिलेंस की टीम में शामिल अधिकारियों ने उसे दबोच कर मुंह में से रुपये बाहर निकाल दिए। विजिलेंस की टीम तहसीलदार को गिरफ्तार कर देहरादून ले गई। इस सूचना से प्रदेश के राजस्व विभाग के साथ ही प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया। विजिलेंस के द्वारा अब उन्हें न्यायालय में पेश करने के लिए आगे की कार्रवाई की जा रही है।

यह भी पढ़ें : नगर पालिका के पूर्व रिश्वतखोर अधिशासी अधिकारी को 4 साल की जेल की सजा…

नवीन समाचार, नैनीताल, 19 अगस्त 2019। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव कुमार खुल्बे की अदालत ने जसपुर नगर पालिका के पूर्व अधिशासी अधिकारी को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में दोषी पाते हुए चार वर्ष की जेल व 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भुगतने पर दो माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

मामले के अनुसार जसपुर नगर पालिका के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी अजहर अली के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान हल्द्वानी में हाजी मोहम्मद सरफराज पुत्र हाजी मो. रफीक ने 5 दिसंबर 2012 को शिकायत दर्ज कराई कि अजहर अली उसके करीब 2 लाख रुपए के जेसीबी मशीन के कूड़ा उठान के बिल के भुगतान के ऐवज में 20 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है। इस पर 7 दिसंबर को अजहर अली को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपए लेते रंगे हाथों दबोचा।

इधर न्यायालय ने आरोपित पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 4 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5 हजार रुपए जुर्माना तथा धारा 13-1 व 2 के तहत 4 वर्ष के कठोर कारावास व 5 हजार के जुर्माने एवं जुर्माना न चुकाने पर दो-दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई।

यह भी पढ़ें : अब गोपनीय नहीं रहेंगे उत्तराखड के दागी व भ्रष्ट अधिकारियों के नाम, खुल जाएगी ढोल की पोल…

-सतर्कता विभाग का घोषित करनी होगी भ्रष्ट व दागी अधिकारियों की सूची: हाईकोर्ट
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून 2019। स्वराज व भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग अब गोपनीय सूचना के नाम पर भ्रष्ट अधिकारियों के नाम नही छुपा सकेंगे, बल्कि उन्हें इन्हें सार्वजनिक करना होगा। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्वराज व भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग की सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 24 (4) के तहत ऐसी सूचनाएं सार्वजनिक न करने से संबंधित याचिका खारिज कर दी है।

उल्लेखनीय है कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत हल्द्वानी निवासी चन्द्रशेखर करगेती ने वर्ष 2017 में स्वराज व भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग से राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों की सूचना मांगी थी। जिसमें उन्होंने बिंदुवार पूछा था कि राज्य के कितने अधिकारियों के खिलाफ जनता ने शिकायत की है। उन शिकायतों की जांच में कितनी शिकायते सही पाई गईं और कितने अफसरों के खिलाफ कार्यवाही की गई। लेकिन विभाग ने सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 24 (4) की आड़ में ये सूचनाएं नहीं दीं, जिसमें गोपनीय सूचनाओं को सार्वजनिक न करने का उल्लेख है।

स्वराज व भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी के इस फैसले को करगेती ने द्वितीय अपीलीय अधिकारी के समक्ष चुनौती दी। लेकिन अपीलीय अधिकारी ने भी यह सूचना नहीं दी। इसके खिलाफ करगेती ने सूचना आयोग में शिकायत की। सूचना आयोग ने मामले की सुनवाई में पाया कि सतर्कता विभाग धारा 24 (4) से संरक्षित है जिसके तहत जनहित व राष्ट्रहित की गोपनीय सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं। किंतु भ्रष्ट व शिकायती अधिकारियों की सूचना देने के लिए इस धारा का उपयोग नहीं किया जा सकता।

इसलिए विभाग सूचना के अधिकार के के तहत मांगी गई सूचनाएं निर्धारित समय में उपलब्ध कराए। आयोग के इस फैसले के खिलाफ सतर्कता विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने खारिज कर दिया तथा सतर्कता विभाग को निर्देश दिए कि वह सूचना आयोग के फैसले का क्रियान्वयन छः हफ्ते के भीतर करना सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब सतर्कता विभाग को भ्रष्ट व दागी अधिकारियों की सूची सार्वजनिक करनी ही होगी।

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-बागेश्वर जिले के सीमांत क्षेत्र में जलागम प्रोजेक्ट के तहत न लगी सोलर लालटेन, न बने पशुनाद, यहां तक कि मजदूरों को मेहनताना भी नहीं मिला, बावजूद जांच में सब कुछ ‘ओके’
नवीन समाचार, नैनीताल, 31 मई 2019। एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें शिकायतकर्ता की मानें तो कुमाऊं मंडल के तेजतर्रार आयुक्त राजीव रौतेला द्वारा एक घोटाले की जांच के लिए जिला स्तर पर गठित जांच समिति ने भी घोटाला कर डाला है।

(Corruption) मामला जलागम विभाग के प्रोजेक्ट से संबंधित है, जिसके तहत बागेश्वर जिले के कपकोट विकासखंड के सीमांत ग्राम पंचायत दोबाड़ में वित्तीय वर्ष 2016-17 में ग्रामीणों को 81 सोलर लालटेन व एक पावर विडर यानी छोटा ट्रेक्टर मिलना था, तथा तीन पशुनाद यानी पशुओं के चारा खाने के हौंदे और पांच पशु आवास तथा एक टैंट हाउस बनना था।

आरोप है कि इन सभी कार्यों के लिए धनराशि खर्च हो चुकी है, और कार्य पूरे दिखाये जा चुके हैं, लेकिन दो वर्ष के बाद भी न ही 21वीं सदी में भी बिजली की रोशनी से वंचित ग्रामीणों को सोलर लालटेन ही मिली हैं, न पावर विडर मिला है और न ही पशु नाद, पशु आवास और टैंट आवास ही बने हैं। बड़ा आरोप यह भी है कि मामले में मंडलायुक्त राजीव रौतेला को की गयी शिकायत पर उनके द्वारा डीएम बागेश्वर के स्तर से कराई गई जांच में सब कुछ ठीक दिखा दिया गया है।

इस मामले में शिकायतकर्ता दोबाड़ गांव के ही निवासी हुकुम सिंह बसेड़ा ने बताया कि योजना के तहत गांव के महेश चंद्र सिंह, बसंती देवी, तारा देवी के घर पशुनाद बनने थे, किंतु बने नहीं। इसकी शिकायत उन्होंने 18 जुलार्इ्र 2017 को जलागम के दून स्थित प्रोजेक्ट मैनेजर एवं बागेश्वर के डीएम से की। इस पर विभाग ने जांच कराई, जिसमें कार्य करने वाले गांव में कोई कार्य पूर्ण हुआ दिखा नहीं पाये। उन्होंने बताया कि संबंधित फर्म को पैंसा दे दिया गया है। लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट शिकायतकर्ता को नहीं दी गयी।

वहीं डीएम बागेश्वर द्वारा 24 जनवरी 2019 को सीडीओ को जांच करने के आदेश दिये गये, किंतु जांच नहीं हुई। इस पर शिकायतकर्ता ने 13 फरवरी 2019 को कुमाऊं आयुक्त श्री रौतेला से इसकी शिकायत की। आयुक्त ने एक अप्रैल को डीएम बागेश्वर को जांच के आदेश दिये। इस पर योजना के पात्रों के बजाय अन्य लोगों के पहले से बने पशुनाद, पशु आवास तथा डिब्बों में बंद पावर वीडर व सोलर लाइट आदि दिखा दिये गये। इसके अलावा बसेड़ा ने बताया कि चुकरामून नाम के स्थान पर एक धारा निर्माण का कार्य भी इस योजना के तहत होना था।

यह 14वें वित्त आयोग से भी निर्मित बताया गया है और इस योजना के तहत भी। यहां तक कि इस निर्माण कार्य में मजदूरों को उनकी मजदूरी तक नहीं दी गयी, और उनके फर्जी हस्ताक्षर करा लिये गये थे, किंतु जांच टीम ने मजदूरों के बयान भी नहीं लिये। इस पर बसेड़ा ने एक बार पुनः मंडलायुक्त को बीती 29 मई को शिकायती पत्र सोंपकर पूरी योजना की निश्पक्ष जांच कराने की मांग की है।

जांच प्रक्रिया पर हमेशा उठते हैं सवाल

किसी घोटाले की शिकायत चाहे प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति के स्तर पर ही क्यों न कर दी जाए, आखिर जांच क्षेत्र के निचले स्तर के अधिकारियों के द्वारा ही की जाती है, और वे कहीं न कहीं घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों के संपर्क में होते हैं। ऐसे में रिपोर्टें अक्सर ठीक बना दी जाती हैं।

(Corruption) उदाहरण के लिए यदि कोई किसी विद्यालय में मध्याह्न भोजन में बच्चों को नियमानुसार भोजन न मिलने की शिकायत चाहे जिस भी स्तर पर करता है, आखिर जांच उस विद्यालय से संबंधित शिक्षा विभाग के सबसे निचले श्रेणी के जिम्मेदारों की जानकारी में ही होती है, और वे स्वयं कहीं न कहीं इस घोटाले में शामिल होते हैं, और जांच को आसानी से प्रभावित कर लेते हैं।

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-हालांकि तीन वर्ष या कम की सजा होने के मद्देनजर दोनों आरोपितो को अंतरिम जमानत भी मिली
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 अप्रैल 2019। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण-जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की अदालत ने सोमवार को छह वर्ष पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में शिक्षा विभाग के दो कर्मियों को तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1-1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। हालांकि सजा की अवधि तीन वर्ष के अधीन होने के दृष्टिगत आरोपितों के प्रार्थना पत्र पर नियमानुसार दोनों को अंतरिम जमानत भी मिल गयी, यानी दोनों जेल जाने से बच गये।

विदित हो कि 20 सितंबर 2013 को हल्द्वानी की विजीलेंस की टीम ने ब्लॉक संसाधन केंद्र धौलाखेड़ा के तत्कालीन समन्वयक भगवान सिंह बोरा और खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के तत्कालीन कनिष्ठ सहायक नीरज कुमार आर्य को 25-25 हजार यानी कुल 50 हजार रुपये के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। दोनों को सोमवार को अदालत ने तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1-1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

इसके पश्चात आरोपितों ने सजा की मात्रा तीन वर्ष या कम होने के प्राविधानों के तहत उच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त करने तक समय देने का अनुरोध करते हुए जमानत का प्रार्थना पत्र दिया, जिसे नियमानुसार स्वीकार कर लिया गया। फलस्वरूप आरोपित जेल जाने से बच गये। उल्लेखनीय है कि आरोपित सजा की घोषणा से पूर्व भी जमानत पर जेल से बाहर ही थे।

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नवीन जोशी @ नवीन समाचार नैनीताल, 6 अप्रैल 2019। लोक सभा चुनाव में जनता के मन में देश के मुद्दों के साथ जो मुद्दा सबसे अधिक मतदाताओं के मन में दिखाई दे रहा है, वह है भ्रष्टाचार व घोटाले का मुद्दा। देवभूमि के नाम से विख्यात होने और केवल 18 वर्ष की छोटी सी उम्र के बावजूद राज्य ने जितने बड़े भ्रष्टाचार के विषय सुने व देखे हैं, उनकी मिसाल पुराने व बड़े प्रदेशों में भी नहीं सुनाई देते।

राज्य में करीब 200 करोड़ रुपये का गलत तरीके से मुआवजा बांटकर राज्य के कोष को नुकसान पहुंचाने वाले एनएच-74 का घोटाला और करीब 500 करोड़ रुपये का समाज कल्याण विभाग रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला खासकर चर्चा में हैं। इसके अलावा भी कई घोटाले लगातार प्रकाश में आते जा रहे हैं।

इनके अलावा भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक 10 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का मामला जनहित याचिका के रूप में चल रहा है, जिसमें राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिए ट्रेड टैक्स अफसरों पर उद्योगपतियों से एक हजार करोड़ रुपये लेने पर राजकीय कोष में जमा नहीं करने के आरोप लगाये गये हैं। इस मामले में कुल 10 हजार करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के आरोप लगाये गये हैं। राज्य के 37 अधिकारियों पर इस मामले में तलवार लटकी हुई है।

वहीं यहां नैनीताल में स्वयं विधायक ने पिछली सरकार के कार्यकाल में एडीबी के माध्यम से नगर की पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बनी योजना में 88 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाये गये हैं। जबकि उनके पिता व परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने परिवहन निगम में पूर्ववर्ती हरीश रावत की सरकार के समय पुरानी अप्रचलित बीएस-3 मॉडल की रोडवेज की 429 बसें खरीदने में 100 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाये हैं।

इसके अलावा नैनीताल में दिसंबर 2014 में संयुक्त मजिस्ट्रेट के स्तर पर दिसंबर 2014 में हुई जांच में एनआरएचएम यानी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एवं राष्ट्रीय शिशु स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम में 4.67 करोड़ के दुर्विनियोग एवं एक करोड़ रुपये की शासकीय क्षति पहुंचाने के आरोप भी लगे थे।

(Corruption) इसी तरह आईडब्ल्यूएमपी यानी समेकित जलागम प्रबंधन कार्यक्रम में सरकारी कर्मचारियों, मानसिक दिव्यांगों, संविदा कर्मचारियों और छात्रों के नाम पर करीब 70 लाख रुपये की बंदरबांट करने का मामला भी न्यायालय में चल रहा है। 2014-15 के इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के ओएसडी सहित चार अधिकारियों पर मामला चलाने के अदालत आदेश दे चुकी है।

(Corruption) इसी तरह जनपद के भीमताल स्थित औद्योगिक आस्थान में बीते 17 वर्षों में तीन दर्जन से अधिक कंपनियों के अनुदान खाकर भागने और एक भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई न होने एवं यहीं एक कंपनी एक्वामाल का कई बार नाम बदलकर लाभ लेने एवं इधर पिछली सरकार के दौर में ही 5 मई 2017 को एक्वामाल की दो कंपनियों को शराब बॉटलिंग प्लांट की कंपनी शीतला उद्योग इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की सरकारी जमीन को नियमविरुद्ध बेचने सहित अरबों रुपये का घोटाला करने का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है, एवं समाचार पत्रों की सुर्खियां बन चुका है।

इस बारे में स्थानीय लोगों, खासकर भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी पिछली सरकार के नित नये घोटाले प्रकाश में आ रहे हैं, जबकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मामले हवा-हवाई हैं। किसी मामले में जांच मुकाम तक और अदालत से दोषियों को सजा मिलने तक नहीं पहुंची है। अलबत्ता जनता इन मुद्दों को जेहन में रखकर भी वोट करने की बात कह रही है।

यह भी पढ़ें : एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया वन दारोगा

नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अप्रैल 2019। एसपी विजिलेंस अमित श्रीवास्तव की टीम ने एक दारोगा शैलेन्द्र चौहान को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया है। उसके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोपित दारोगा को बुधवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा। सतर्कता निदेशक ने टीम के उत्साहवर्धन हेतु नगद पुरस्कार की घोषणा की है।

सतर्कता निरीक्षक राम सिंह मेहता के नेतृत्व में गठित ट्रैप टीम ने बुधवार को गुलजारपुर वन चौकी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग, रामनगर मंे तैनात वन दरोगा शैलेन्द्र चौहान पुत्र भारत सिंह, निवासी पट्टी चौहान, जसपुर, जनपद ऊधमसिह नगर, को रंगे हाथों एक लाख रुपये की रिश्वत के साथ रामनगर भवानी गंज चौराहे से गिरफ्तार किया।

(Corruption) उसके विरुद्ध रामनगर के रहने वाले फईम अहमद ने पुलिस अधीक्षक सतर्कता सेक्टर नैनीताल के हल्द्वानी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके व उसके साथी नियाज अली के डम्पर बीती सात मार्च को अंदर जाने का टोकन होने के बावजूद बंजारी गेट रामनगर के अंदर वन विभाग की टीम ने गलत तरीके से सीज किये थे।

बावजूद जब वह और नियाज वाहन छुड़वाने के लिए रेंजर से मिले तो उन्होंने वन दारोगा शैलेन्द्र चौहान से मिलने को कहा। दारोगा शैलेन्द्र चौहान ने उच्चाधिकारियों का हवाला देकर डंपर छोड़ने के लिए दो लाख रुपये की मांग की थी। इस शिकायत के जांच करने पर तथ्य सही पाए जाने पर विजीलेंस ने मंगलवार को कार्रवाई की।

खनन कंपनी के एमडी ने की थी एसपी को रिश्वत देने की जुर्रत, अदालत का यह रहा रुख

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 अप्रैल 2019। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की अदालत ने बागेश्वर जनपद के पुलिस अधीक्षक को 20 हजार रुपये की रिश्वत देने के आरोपित एक खनन कंपनी के एमडी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

(Corruption) सोमवार को आरोपित एमडी भगवान सिंह पुत्र आदित्य नारायण, मूल निवासी ग्राम बरवाड़ा जिला कटनी मध्य प्रदेश की जमानत अर्जी का जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने विरोध करते हुए अदालत को बताया कि 9 जनवरी 2019 को आरोपित ने एसपी बागेश्वर के कार्यालय में जाकर खनन कंपनी कटियार माइन्स के खड़िया से ओवरलोडेड भरे ट्रकों को छोड़ने में सहयोग चाहते हुए 20 हजार रुपये की रिश्वत मना करने के बाद भी दी थी।

इस पर एसपी ने बागेश्वर पुलिस कोतवाली से पुलिस बल बुलाकर आरोपित व उसके साथी, कंपनी के लीगल एडवाइजर इंद्र सिंह को मौके से ही तत्काल गिरफ्तार करवा दिया था। दोनों के पास से कंपनी की डायरी, रुपये एवं मोबाइल फोन आदि भी बरामद किये गये थे। इस प्रकार आरोपितों पर लगे सभी आरोप स्पष्ट हैं और उन्हें जमानत देने की कोई तुक नहीं है। इस पर न्यायालय ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

यह भी पढ़ें : कभी भी हो सकती है पिथौरागढ़ के जिला समाज कल्याण की गिरफ्तारी..

नवीन समाचार, नैनीताल, 15 फरवरी 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति लोकपालसिंह की एकलपीठ ने पिथौरागढ़ के जिला समाज कल्याण अधिकारी कांति राम जोशी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इसके बाद जोशी पर कभी भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है।

उल्लेखनीय है कि जोशी पर लोक सेवक रहते सरकारी धन को खुर्दबुर्द करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज है। आरोप है कि वर्ष 2001 मं जोशी ने अपर जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते अपने स्तर से 28 दुकानों को बिना तय प्रक्रिया को अपनाये आवंटित किया

(Corruption) और 15 दुकानों के आवंटन को मनमर्जी से निरस्त करके इनमें से 14 दुकानों को अपात्रों को आवंटित कर दिया था। इसकी जांच तत्कालीन डीएम ओमप्रकाश व मौजूदा डीएम एसए मुरुगेशन के साथ ही विभागीय जांच में भी समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह ने भी जोशी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की संस्तुति की थी।

इधर उनके विरुद्ध सतर्कता विभाग भी जांच कर रहा है। पूर्व में 25 जून 2018 में आईटी सेल के नोडल अधिकारी अनुराग शंखधर ने भी समाज कल्याण विभाग में फर्नीचर घोटाले को लेकर जोशी के खिलाफ थाना रायपुर में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी।

यह भी पढ़ें (Corruption) : उत्तराखंड की इस आईएएस के पिता निकले 400 करोड़ के ‘गलत’ राम !

नवीन समाचार, नैनीताल, 29 जनवरी 2019(Corruption) । जी हां, उत्तराखंड की आईएएस अधिकारी व टिहरी की डीएम सोनिका के पिता का नाम तो सहीराम मीणा है, किंतु वे ‘आंख के अंधे-नाम नैन सुख’ की तर्ज पर ‘गलत राम’ निकले हैं, और वह भी 400 करोड़ रुपये के। राजस्थान के आईआरएस अधिकारी सहीराम के ठिकानों से अब तक की जांच में 400 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला है।

(Corruption) खास बात यह भी है कि आईआरएस अधिकारी सही राम को इसी साल जुलाई में सेवानिवृत्त होना था। लेकिन उनका इरादा राजस्थान के राजेश पायलट की सीट रही दौसा से लोकसभा चुनाव लड़ने का भी था। उन्होंने हाल ही में हुए राजस्थान विधानसभा के चुनाव में गंगानगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन वीआरएस का आवेदन मंजूर नहीं हो पाने के कारण उनका इरादा पूरा नहीं हो सका।

(Corruption) गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस समारोह में 1989 बैच के इस आईआरएस अधिकारी नारकोटिक्स विभाग में एडिशनल कमिश्नर के पद पर तैनात सहीराम मीणा जनता को सदाचार का पाठ पढ़ा रहे थे, किंतु इसके कुछ देर बाद ही उन्हें एसीबी यानी राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के द्वारा उनके कोटा स्थित आवास से चित्तौडगढ़ निवासी एक व्यक्ति को अफीम का पट्टा जारी करने के एवज में एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए उनके लिए दलाली करने वाला कमलेश नाम के व्यक्ति के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया है।

(Corruption) साथ ही उनकी करीब 400 करोड़ रुपये की सम्पति भी अब तक की जांच में सामने आ चुकी है। एसीबी के अधिकारियों के अनुसार सहीराम मीणा ने इन संपत्तियों में अपने व अपने परिवार के सदस्यों के नाम से निवेश कर रखा था। राजस्थान के इतिहास में इसे एसीबी की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। एसीबी के अधिकारियों ने सोमवार को सहीराम के 15 बैंक खातों और लॉकरों को खोला तो चौंक गए। लॉकरों में नकदी और ज्वलैरी के साथ ही हीरे भी मिले। मीणा के कोटा और जयपुर स्थित आवास से करीब सात करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई।

(Corruption) अब तक की जांच में पता चला है कि सहीराम मीणा तथा उसकी पत्नी और बेटा 106 आवासीय प्लॉट,एक मैरिज गार्डन, 25 दुकानों, दो औद्योगिक प्लॉट, एक पेट्रोल पंप, मुम्बई और दिल्ली में एक-एक फ्लैट, सात बीघा कृषि भूमि, एक फार्म हाउस, चार ट्रक, एक टायर फर्म और एक शिक्षण संस्थान के मालिक हैं। उन्होंने सवाई माधोपुर जिले में स्थित अपने गांव जीबली के कुछ गरीब लोगों के नाम से भी रणथम्भौर सेंचूरी के आसपास बेनामी भूखंड खरीद रखे हैं।

(Corruption) पूछताछ में यह भी पता चला कि सहीराम मीणा के दो रिश्तेदार भाजपा के बड़े नेता हैं जबकि एक रिश्तेदार कांग्रेस का प्रभावशाली नेता है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई उम्मीदवारों को फंडिंग भी की थी।

(Corruption) पूछताछ के दौरान सहीराम ने सीने में दर्द और बेचौनी की शिकायत की। इस पर उसे कोटा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद उसे और उसके दलाल कमलेश को एसीबी की विशेष अदालत के मजिस्ट्रेट के घर पेश किया गया जहां से उसे रिमांड पर भेज दिया गया।

यह भी पढ़ें (Corruption) : अधिकारी को एक हाथ मिला मुख्यमंत्री अवार्ड, और दूसरे हाथ भ्रष्टाचार पर पद से हटने का आदेश…

नवीन समाचार, देहरादून, 27 जनवरी 2019 (Corruption) । राजकाज में ऐसा भी होता है। उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री अवॉर्ड हासिल करने के चंद घंटों के भीतर एक अधिकारी को भ्रष्टाचार के आरोप में हटा दिया गया है। अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी जगमोहन सोनी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राज्य की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने पुरस्कृत किया था।

(Corruption) लेकिन अल्मोड़ा में भव्य गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान सोनी जब केंद्रीय मंत्री अजय टमटा और उत्तराखंड सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत से अवॉर्ड हासिल कर रहे थे, उसी दौरान देहरादून में उनको हटाने का आदेश टाइप हो रहा था। छुट्टी के बावजूद राज्य के शिक्षा सचिव भूपिंदर कौर औलख को रिपब्लिक डे के दिन दफ्तर पहुंचकर सोनी को हटाने के आदेश पर दस्तखत करने के लिए कहा गया।

(Corruption) मुख्य शिक्षा अधिकारी सोनी पर शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान लाखों की रिश्वत लेने का आरोप है। आरोपी अधिकारी को अब देहरादून में शिक्षा निदेशालय से अटैच कर दिया गया है। हालांकि सरकार की तरफ से जारी आदेश में सोनी को हटाने की वजह नहीं बताई गई है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन पर सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में घूस लेने का आरोप है। सोनी ने अपने खिलाफ कार्रवाई और हटाए जाने का आदेश मिलने की पुष्टि की है। इसके साथ ही उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को झूठा बताया है।

(Corruption) सोनी ने कहा, ‘मुझे खुद पर लगाए गए आरोपों के बारे में जानकारी है लेकिन वे आधारहीन हैं। मुझे राज्य में शिक्षा के लिए योगदान देने पर अवॉर्ड दिया गया और उसी दिन मुझे पद से हटा दिया गया। यह अन्याय है।’ अधिकारियों के मुताबिक सोनी को हटाने का फैसला शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के आदेश के बाद लिया गया, जो शुक्रवार को अल्मोड़ा में थे। एक अधिकारी ने बताया, ‘स्थानीय लोगों ने शिकायत की थी कि सोनी समेत कुछ अधिकारी शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए लाखों रुपये तक की रिश्वत मांग रहे थे। मामले की पूरी जांच की जाएगी।’

यह भी पढ़ें (Corruption) : पिछली कांग्रेस सरकार का एक और घोटाला उजागर, सीएम के ओएसडी सहित चार अफसरों पर चलेगा केस

नवीन समाचार, देहरादून, 10 जनवरी 2019 (Corruption) । पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के भ्रष्टाचार के मामलों के उजागर होने का सिलसिला थम नहीं रहा। अब चार साल पुराने मामले में मुख्यमंत्री के ओएसडी जेसी खुल्वे समेत चार तत्कालीन अफसरों पर मुकदमा चलेगा। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एमएम पांडेय की अदालत ने यह आदेश दिया है। चारों अफसरों पर केंद्र की समेकित जलागम प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) और राष्ट्रीय जलागम विकास योजना में 2014-15 में 70 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा करने का आरोप है।

(Corruption) तत्कालीन सहायक कृषि अधिकारी (वर्ग-दो) रमेश चंद चौहान की शिकायत पर पूर्व में दो प्रशासनिक जांचें हुईं। सूत्रोंं के अनुसार इस जांच में 70 लाख रुपये का भ्रष्टाचार कर बंदरबांट करने, सरकारी कर्मचारी, मानसिक दिव्यांग, संविदा कर्मचारियों और छात्रों के नाम योजना में हुए कार्यों में दिखाकर उनके जरिये फंड का भुगतान कर वित्तीय गड़बड़ी की बात सामने आई।

(Corruption) तत्कालीन एसएसपी और पटेलनगर इंस्पेक्टर से शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने आरटीआई से जांच रिपोर्ट की सत्यापित प्रतियां लेकर सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया गया।

(Corruption) इस पर सीजेएम एमएम पांडेय की अदालत ने आदेश दिया कि यह वाद अदालत में चलेगा। सक्षम अधिकारी से भी इसकी जांच कराई जाएगी। इस समय मुख्यमंत्री के ओएसडी  खुल्बे उस वक्त कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी चकराता के पद पर तैनात थे।

(Corruption) मामले में जेसी खुल्बे, तत्कालीन कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी चकराता (वर्तमान ओएसडी मुख्यमंत्री), ओमवीर सिंह, तत्कालीन सहायक कृषि अधिकारी (वर्ग तीन), गौरी शंकर, तत्कालीन कृषि निदेशक उत्तराखंड कृषि निदेशालय (नंदा की चौकी व विजय देवराड़ी, तत्कालीन मुख्य कृषि अधिकारी देहरादून आरोपित हैं।

यह भी पढ़ें (Corruption) : उत्तराखंड के नगर निकायों में करोड़ों के घोटाले उजागर

नवीन समाचार, देहरादून, 8 जनवरी 2019 (Corruption) । नगर निकायों में गली-मुहल्लों और वार्डों में भले ही गंदगी से आम आदमी का जीना मुहाल हो, या लोग टूटी सड़कों-नालियों से परेशानहाल हों, लेकिन शहरी निकाय बुनियादी जरूरतों से मुंह चुराकर जनता की गाढ़ी कमाई का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। प्रोक्योरमेंट नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य कराए जाने से लाखों की धनराशि अनियमित तरीके से खर्च की ही गई है, साथ में तकनीकी मंजूरी के बगैर कराए गए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी सवालों के दायरे में आ गई है।

(Corruption) अल्मोड़ा में तो ठेकेदार को बगैर कार्य के ही 41.45 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। रुड़की नगर निगम में तो वर्ष 2016-17 में सभी निर्माण कार्य बगैर तकनीकी स्वीकृति के कराए गए हैं। रुड़की नगर निगम समेत अल्मोड़ा, पौड़ी, नई टिहरी व मसूरी नगरपालिका परिषद समेत कुल पांच निकायों के ऑडिट में निर्माण कार्यों, करों की वसूली, जुर्माना वसूली में करोड़ों रुपये की अनियमिताएं सामने आई हैं।

(Corruption) मसूरी नगरपालिका को छोड़कर उक्त सभी निकायों के वर्ष 2016-17 के कार्यों का ऑडिट किया गया है। मसूरी नगरपालिका में वर्ष 2016-17 में बड़े पैमाने में अनियमितता सामने आने के बाद एक वर्ष पहले यानी 2015-16 का ऑडिट भी कराया गया है।

नगर निगम रुड़की

(Corruption) निगम में तमाम निर्माण कार्यों में उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावी, 2008 को ताक पर रखकर बगैर तकनीकी स्वीकृति के 332.10 लाख की राशि का अनियमित भुगतान किया गया है। यही नहीं निर्माण कार्यों में देरी होने की स्थिति में ठेकेदारों से जुर्माना वसूली की हिम्मत नहीं दिखाई गई। नतीजतन 2.08 लाख की राशि की कटौती नहीं हो पाई।

नगरपालिका परिषद पौड़ी

(Corruption) बगैर अनुमति के 14.24 लाख रुपये वाहन खरीदने में खर्च कर डाले। पालिका कैशबुक व पत्रावली में बोर्ड फंड का ग्रीष्मोत्सव पौड़ी मेला संचालन में खर्च होना दर्शाया गया है। ऐसी 20 लाख रुपये की राशि का अब तक समायोजन नहीं हो सका है।

नगरपालिका परिषद मसूरी

(Corruption) पर्यटकों की पसंदीदा पहाड़ों की रानी मसूरी में टेंडर कराए बगैर कंपनी बाग कार पार्किंग व मसूरी झील ठेके को अनियमित रूप से दिया गया। विभिन्न संसाधनों से 149.30 लाख रुपये कम आय होने से पालिका को राजस्व का चूना लगा।

(Corruption) वहीं अस्थायी व स्थायी वसूली, भवन व व्यावसायिक प्रतिष्ठान के सालाना कर मूल्यांकन में कटौती, कार पार्किंग का बकाया, रायल्टी कटौती न होने, ठेका अनुबंध स्टांप पेपर पर नहीं कराने समेत विभिन्न तरीके से करीब 194.41 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसमें 20.61 लाख रुपये कार पार्किंग की बकाया राशि की वसूली न होना भी शामिल है।

नगरपालिका परिषद नई टिहरी

(Corruption) अवर अभियंता ने नई टिहरी व बौराड़ी क्षेत्र में मस्टरोल के जरिये अकुशल श्रमिकों से नाली की सफाई का कार्य कराया। इन श्रमिकों को 832 दिनों के लिए प्रतिदिन 350 रुपये की दर से 2.91 लाख का भुगतान दर्शाया गया है, जबकि कार्यालय प्रमुख अभियंता व विभागाध्यक्ष लोक निर्माण विभाग के पत्र के मुताबिक अकुशल श्रमिक के लिए प्रतिदिन 275 रुपये की दर निर्धारित की गई।

(Corruption) इससे अवर अभियंता को 62 हजार रुपये का अधिक भुगतान किया गया। बिजली उपकरणों व अन्य सामान खरीद में खामियां बरती गईं। इसमें मैसर्स विनायक ट्रेडर्स मेरठ व मैसर्स जीरो वेस्ट इनकॉरपोरेाश्न, ऋषिकेश को लाखों की राशि का त्रुटिपूर्ण भुगतान किया गया है।

नगरपालिका परिषद अल्मोड़ा

(Corruption) अवस्थापना विकास से संबंधित 493.08 लाख की निष्फल योजनाओं के लिए अनुदान से ठेकेदार को बगैर कार्य के लिए 41.45 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। अनुदान की राशि का इस्तेमाल अन्य परियोजनाओं व कार्यों में किए जाने से 215.17 लाख की राशि के गबन का अंदेशा जताया गया है।

(Corruption) एकीकृत आवास एवं मलिन बस्ती सुधार की 833.32 लाख की योजना में कार्यदायी संस्था से अवशेष धनराशि 186.96 लाख की वसूली नहीं की गई। ठेकेदारों के देयकों, लेबर सेस में कटौती नहीं कर पालिका के राजस्व को हानि हुई। (रविंद्र बड़थ्वाल साभार)

यह भी पढ़ें : दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की उत्थान योजना में घोटाले की आशंका

-प्रतिभागियों को प्रशिक्षण अवधि, रविंद्र बड़थ्वाल में नहीं दी गयी टूल किट, शिकायत करने पर की गयी खानापूरी

नैनीताल, 1 अक्टूबर 2018 (Corruption) । नैनीताल नगर पालिका के सूडा यानी राज्य नगरीय विकास अधिकरण के द्वारा दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत कराये गये उत्थान यानी ‘इम्प्लॉयमेंट थ्रू स्किल ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट’ के तहत ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण में प्रतिभागियों के द्वारा प्रशिक्षण संस्था के द्वारा सांठगांठ से घोटाला किये जाने की संभावना जताई गयी है। बताया गया है कि प्रशिक्षण अवधि में ही प्रतिभागियों को टूल किट दी जानी थी। किंतु नहीं दी गयी।

(Corruption) प्रतिभागियों को खुद ही सामग्री जुटानी पड़ी। इसकी शिकायत गत 26 सितंबर को नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी से किये जाने के बाद सोमवार को प्रशिक्षण दे रही संस्था इंपीरियल इंस्टीट्यूट के द्वारा टूलकिट देने की खानापूरी की गयी है। प्रतिभागियों के अनुसार प्रत्येक प्रतिभागी को 1500 रुपए की टूलकिट दी जानी थी, किंतु ऐसा लगता है कि सबको मिलाकर 1500 रुपए की किट दे दी गयी है। किट में केवल एक-एक बैग, कंघा, जूड़े की पिन, छोटी पिन एवं दो अन्य सामग्री ही दी गयी है।

(Corruption) साथ ही प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र में डिप्लोमा एवं अधिकांश प्रतिभागियों का नाम भी गलत अंकित किया गया है। इस संबंध में पूूछे जाने पर नगर की प्रभारी ईओ लता आर्य ने मामला संज्ञान में न होने और अब संज्ञान में लेने की बात कही है।

यह भी पढ़ें (Corruption) : अब उत्तराखंड में सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाने वाला एक नया घोटाला !

    • उत्तराखंड के मुख्य सचिव, आयकर निदेशक-लखनऊ व सीबीआई के निदेशक सहित 37 अधिकारियों का उच्च न्यायालय ने किया जवाब तलब
  • उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भी आरोप लगाने के कारण एक लाख रुपये न्यायालय में जमा करने को कहा

(Corruption) उत्तराखंड में सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये का एक नया घोटाला प्रकाश में आ रहा है। इस मामले में रुड़की निवासी धर्मेन्द्र सिंह नाम के व्यक्ति ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उत्तराखंड में उद्योगों की स्थापना के लिए ट्रेड टैक्स अफसरों ने उद्योगपतियों से एक हजार करोड़ रुपए टैक्स के तौर पर लिए हैं। परन्तु यह रकम सरकार के खाते में जमा नहीं की गई है। इससे अब तक राज्य सरकार को कुल मिलकर दस हजार करोड़ रुपये का घाटा हो गया है।

(Corruption) इस प्रकार 10 हजार करोड़ रुपये की टैक्स चोरी से जुड़े इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं लोकपाल सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव, राजस्व सचिव , मुख्य राजस्व आयुक्त, आयकर निदेशक-लखनऊ व सीबीआई के निदेशक सहित 37 अधिकारियों का जवाब तलब कर दिया है। इन सभी अधिकारियों को जवाब पेश करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है। जबकि याचिकाकर्ता को भी आरोप लगाने के कारण एक लाख रुपये न्यायालय में जमा करने को कहा है। 

(Corruption) उल्लेखनीय है कि इस मामले में पूर्व में ट्रेड टैक्स कमिश्नर ने पांच अधिकारियों-सहायक आयुक्त विनय कुमार, डिप्टी कमिश्नर पीपी शुक्ला, पीएस डुगरियाल, शिवेंद्र प्रताप सिंह, संयुक्त आयुक्त पीएस नगन्याल को नोटिस जारी किए थे, जबकि संयुक्त आयुक्त नवीन जोशी के खिलाफ सूचना आयोग ने राज्य सरकार को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। आरोप है कि सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की।

(Corruption) इधर सोमवार को सुनवाई पर एक लाख रुपया जमा करने के याचिकाकर्ता को निर्देश देने से परेशान याचिकाकर्ता ने एक प्रार्थनापत्र लगाकर अपनी गरीबी का हवाला दिया। इस दौरान वित्त सचिव अमित नेगी ने जवाब पेश कर सभी आरोप गलत बताये। सभी पक्षों की दलील सुनने पर न्यायालय ने मुख्य सचिव समेत 37 अफसरों का जवाब तलब कर दिया है।

यह भी पढ़ें : (Corruption) नैनीताल में 88 करोड़ का घोटाला, खुद विधायक ने किया खुलासा

नैनीताल। (Corruption) नैनीताल विधायक संजीव आर्य ने सरोवरनगरी में पेयजल की किल्लत के लिए पिछली सरकार के दौर की 88 करोड़ रुपए की एडीबी के माध्यम से बनी योजना को जिम्मेदार बताया है। आरोप लगाया कि इसमें धन का दुरुपयोग व बंदरबांट हुई, लिहाजा इतनी बड़ी धनराशि खर्च होने के बावजूद नगर में पेयजल की किल्लत बनी हुई है। कहा कि इस विषय को सदन के पटल पर रखेंगे, तथा जांच की मांग भी करेंगे।

(Corruption) साथ ही कहा कि आगे अमृत योजना के तहत मुख्यालय में पेयजल की किल्लत में सुधार करने का प्रयास भी किया जाएगा। उन्होंने इसके अलावा पहाड़ों से पलायन पर एक नया तर्क देते हुए कहा कि पलायन के लिए बेरोजगारी के साथ ही पानी की कमी भी बड़ा कारण है। पानी नहीं होगा तो लोग क्या करेंगे। पानी नहीं होने की वजह से भी लोग खेती छोड़ने और पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। कहा कि पानी के साथ जवानी में कौशल विकास करना भी उनकी कार्य योजनाओं में शामिल है।

यह भी पढ़ें : परिवहन निगम में 100 करोड़ का घोटाला, होगी जांच

(Corruption) भारतीय मजदूर संघ द्वारा पूर्व हरीश रावत की सरकार में हुए परिवहन निगम में हुए घोटालों का मामला कार्यक्रम में मंच से उठाने के बाद परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच कराने की घोषणा की है।

(Corruption) उन्होंने कहा कि मामले की बिना दुर्भावना के जांच कराई जाएगी। इस संबंध में परिवहन सचिव से जांच के लिये समिति का गठन करने को कहा गया है।आर्य ने बताया कि पिछले दिनों पूर्व भारतीय मजदूर संघ के कार्यक्रम में उनके समक्ष कई बिन्दुओं को संज्ञान में लाया गया जिसमें पिछली सरकार में रोडवेज के लिए 100 करोड़ रूपये की बसें खरीदने में हुए घपलें की बात कही गयी।

(Corruption) इसके बाद उन्होंने विधानसभा में अपने कार्यालय में समीक्षा बैठक के दौरान इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने के आदेश दिये है। कांग्रेस शासनकाल के आखिरी समय में कुछ महीनों के लिए परिवहन विभाग की जिम्मेदारी नवप्रभात को दी गयी थी।

(Corruption) उसी समय में रोडवेज के लिए नयी बसों को लोन प्रक्रिया के तहत 100 करोड़ की लगभग 429 साधारण बसों को खरीदा गया है। इस खरीद में सवाल उठाया गया है कि उस वक्त बीएस-3 मॉडल के वाहनों को क्यों खरीदा गया था जबकि यह मॉडल न सिर्फ बाहर हो रहा था बल्कि बीएस-4 वाहनों के आने की पूरी संभावना हो गयी थी। इसके अलावा निगम में कलपुर्जे आदि की खरीद में भी अनिमित्ता की संभावना जताई गयी है।

पूर्व आलेख : नैनीताल एनआरएचएम में घोटाले की बू !

    • प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव को किया निर्देशित
  • नैनीताल डीएम के आदेश पर दिसंबर 2014 में संयुक्त मजिस्ट्रेट स्तर से की गयी प्रारंभिक जांच में 4.67 करोड़ रुपये के दुर्विनियोग एवं एक करोड़ रुपये की शासकीय क्षति पहुंचाने का है रिपोर्ट में उल्लेख

नवीन जोशी, नैनीताल। (Corruption) प्रधानमंत्री कार्यालय ने नैनीताल जनपद के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्य मिशन एवं राष्ट्रीय शिशु स्वास्य कार्यक्रम के बाबत संयुक्त मजिस्ट्रेट स्तर पर हुई एक जांच में उजागर हुए तथ्यों के आधार पर मिली एक शिकायत पर संज्ञान लिया है, और राज्य के मुख्य सचिव से इस मामले में आवेदक की शिकायत पर कार्रवाई करने एवं कृत कार्रवाई से आवेदक को अवगत कराने एवं वेब पोर्टल पर भी जानकारी सार्वजनिक करने के आदेश दिये हैं।

(Corruption) प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार मिशन के तहत खातों में चार करोड़ 67 लाख 39 हजार 389 रुपये अधिक दिखाये गये हैं, तथा नौ लाख 53 हजार 563 रुपये से अधिक की शासकीय कोष को क्षति पहुंचाने की बातें कही गयी हैं। उल्लेखनीय है कि इस मामले में शिकायतकर्ता के वाहन भी चलते रहे हैं, तथा इसी सम्बन्ध में चेकों से छेड़छाड़ के आरोप में शिकायतकर्ता के घर की कुर्की हो चुकी है।

(Corruption) उल्लेखनीय है कि हालिया जनपद के निगलाट और मूलत: बागेश्वर जिले के ग्राम बघर निवासी कुंवर सिंह देव ने दिसंबर 2014 में डीएम नैनीताल के आदेश पर संयुक्त मजिस्ट्रेट एसडीएम आशीष कुमार चौहान द्वारा नैनीताल जनपद के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्य मिशन एवं राष्ट्रीय शिशु स्वास्य कार्यक्रम की जांच रिपोर्ट में प्रकाश में आये तयों को प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रेषित करते हुए कार्रवाई की मांग की थी।

(Corruption) इस जांच रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2011-12 में समस्त योजनाओं का कुल अंतिम अवशेष 2,30,88,877 रुपये, जबकि वर्ष 2012-13 का प्रारंभिक शेष रुपये 2,40,79,138 यानी 9,90,261 रुपये अधिक और इसी तरह 2012-13 का अंतिम अवशेष रुपये 4,96,35,497 जबकि वर्ष 2013-2014 का प्रारंभिक शेष रुपये 4,97,56,417 यानी 1,20,920 रुपये तथा दोनों को मिलाकर 11 लाख 11 हजार 181 रुपये अधिक दिखाया गया है।

(Corruption) इस अतिरिक्त धनराशि का स्वास्य विभाग के खातों में कोई उल्लेख नहीं है। इसी तरह आरसीएच फ्लैक्सीपूल, एनआरएचएम एडीशनलिटीज व इम्युनाइजेशन योजनाओं में भी व्यय धनराशि एवं बैंकों में उपलब्ध धनराशि में 46 लाख 73 हजार 938 रुपये का अंतर जांच में सामने आया है।

(Corruption) रिपोर्ट के अनुसार अंतिम अवशेष चार करोड़ दो लाख 430 रुपये है, जबकि बैंक खातों में तीन करोड़ 55 लाख 26 हजार 492 रुपये ही जमा हैं। इसके अलावा सीएमओ कार्यालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2010-11 से वर्ष 2012-13 तक उपलब्ध कराये गये आंकड़ों में भी इन तीनों वर्षो में क्रमश: 41452467, 17773458 एवं 29660141 रुपये का अधिक व्यय दिखाया गया है।

(Corruption) इसी तरह राष्ट्रीय बाल स्वास्य कार्यक्रम के तहत किराये पर लिये गये वाहनों के परिचालन में 5,26,469 रुपये की अधिक धनराशि की शासकीय क्षति उद्घाटित हुई है। वाहनों के संचालन में रुपये 2,93,112 के औचित्य पर भी सवाल उठाये गये हैं, जिसमें शिकायतकर्ता के वाहन भी संचालित बताये गये हैं। साथ ही वाहनों के 27,313 किमी अनौचित्यपूर्ण तरीके से चलने और इस कारण 1,33,982.68 रुपये का अधिक भुगतान किये जाने की बात रिपोर्ट में कही गयी है।

(Corruption) वाहन संचालक द्वारा वाहन उपलब्ध न कराने की दशा में अर्थदंड के रूप में 99,375 की वसूली न करके भी शासकीय क्षति किये जाने की बात रिपोर्ट में है। इसके अलावा रिपोर्ट में राष्ट्रीय बाल स्वास्य कार्यक्रम के तहत नियुक्त चिकित्सकों की टीमों द्वारा दायित्वों का निर्वहन न किये जाने की बात भी कही गयी है। चिकित्सकों के मोबाइल हेल्थ रजिस्टरों और वाहन ठेकेदारों की रिपोटरे व वाहन लॉग बुक में समानता नहीं है।

(Corruption) कार्यक्रम में फार्मासिस्ट की नियुक्ति में कम्प्यूटर कार्य में कुशलता संबंधित निर्धारित पात्रता की तथा स्टाफ नर्स की नियुक्ति में नर्सेज एंड मिडवाइफ काउंसिल में पंजीकरण कराये बिना की किये जाने जैसी भी तमाम अनियमितताओं की बात कही गयी है। जांच रिपोर्ट में बिलों के भुगतान, सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां देने आदि में भी तमाम अनियमिततायें उजागर की गई हैं।

विधायक का नैनीताल विधानसभा के लिए करीब 200 करोड़ की कार्य योजनाएं स्वीकृत करने का दावा, पर कार्यान्वयन में दिक्कत, अलबत्ता बेतालघाट तक सीमित दिख रहीं विधायक की योजनायें 

-विधायक संजीव आर्य ने एक वर्ष के कार्यों का ब्यौरा किया पेश

नैनीताल। (Corruption) क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य ने अपने व सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर रविवार को किये गये कार्यों के ब्यौरे पेश किये। दावा किया कि एक वर्ष में अपने विधानसभा क्षेत्र में करीब 200 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत कराई गयी हैं। अलबत्ता लगा कि विधायक का ध्यान अधिकतम राजनीतिक रूप से उनके गढ़ बेतालघाट में ही अधिक है, तथा एक वर्ष में योजनाएं केवल कागजों में ही हैं। विधायक ने भी स्वीकारा कि उनकी विधायक निधि सहित अन्य कार्यों में क्रियान्वयन में दिक्कतें हैं।

(Corruption) रविवार को नैनीताल क्लब में पार्टी की बैठक के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए विधायक ने बताया कि करीब 50 करोड़ की लागत से 44 सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया जिला स्तर पर पूर्ण कर केंद्र सरकार में नोडल स्तर तक तक पहुंचा दी गयी हैं। इनमें से 11 में सैद्धांतिक स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है, जबकि 7 पर कार्य भी प्रारंभ हो गया है। इसके अलावा जनपद के बेतालघाट से लगे गांवों के लिए कोसी नदी से पानी लिफ्ट करने के लिए 48 करोड़ की योजनाएं एनआरडीडब्लूपी के तहत शासन को प्रस्ताव भेजे गए हैं।

(Corruption) साथ ही 82 गांवों में जल संरक्षण हेतु 24 करोड़ के कार्य स्वीकृत किये गए हैं। बताया कि जनपद में केवल उनकी विधानसभा के इन 82 गांवों में ही यह योजना स्वीकृत हुई है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अपनी विधायक निधि के 3.75 करोड़ में से एक वर्ष में 4.21 करोड़ रुपए के कार्यों की अब तक घोषणा कर चुके हैं, अलबत्ता कार्य शुरू होने में विभागों के स्तर से देरी हो रही है, व दिक्कत आ रही है।

(Corruption) इसके अलावा गांवों में पेयजल, सड़क, बारातघर जैसे छोटे कार्यों के लिए 61 लाख रुपए की योजनाएं स्वीकृत की गयी हैं। उन्होंने जनपद व विधानसभा के दूरस्थ बेतालघाट विकासखंड में एक दंत चिकित्सक व दो महिला चिकित्सकों सहित 5 चिकित्सक पहुंचा दिये गये हैं, जबकि राज्य बनने के बाद से यहां केवल 1 ही चिकित्सक रहे हैं।

(Corruption) अलबत्ता मुख्यालय स्थित जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी पर बोलते हुए विधायक ठिठकते दिखे। मुख्यालय के लिए उन्होंने केवल 50 करोड़ की पार्किंग स्वीकृत कराने भर का जिक्र किया, और यह कब तक स्वीकृति के बाद बनना शुरू होगी, इस पर कुछ नहीं कहा। नालों की सफाई, नैनी झील के सिचाई विभाग को हस्तांतरित होने के बावजूद कोई कार्य न होने के विषयों पर भी विधायक ने कुछ नहीं कहा।

(Corruption) ​इस मौके पर मुख्यमंत्री राहत कोष से 14 आवेदकों को 5 से 10 हजार रुपए की मिलाकर कुल 91 हजार रुपए की अनुमन्य राशि के चेक भी भेंट किये गये। कार्यक्रम में नगर अध्यक्ष मनोज जोशी, बिमला अधिकारी, विवेक साह, भुवन हरबोला, अरविंद पडियार, नितिन कार्की, पान सिंह रौतेला, दया किशन पोखरिया, विश्वकेतु वैद्य, संदीप कांडपाल व अतुल पाल सहित बड़ी संख्या में भाजपाई मौजूद रहे।

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