नवीन समाचार, रुड़की, 28 सितंबर 2023 (Foreigners)। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में रुड़की के पास पिरान कलियर में इन दिनों चल रहे दरगाह साबिर पाक के 755वां सालाना उर्स मेले में पुलिस ने एक बांग्लादेशी को गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि वह 2012 से भारत में अवैध तरीके से रह रहा था। आरोपित के पास से पुलिस को कोई भी दस्तावेज बरामद नहीं हुआ है, इसलिए पुलिस ने पहले उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की और फिर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिरान कलियर में चल रहे उर्स में देश-विदेश से बड़ी संख्या में जायरीन पहुंच रहे हैं। ऐसे में पुलिस वहां चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुई है। इसी दौरान बीती देर रात पुलिस और खुफिया विभाग की टीम ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया। पुलिस ने जब आरोपित से पूछताछ की तो उसने खुद को गुजरात का निवासी बताया।
हालांकि, पुलिस को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो आरोपित ने पूरी सच्चाई बता दी। उसने पुलिस को बताया कि उसका नाम शेख अब्दुल रफीक पुत्र शेख अब्दुल अजीज उम्र 48 साल है। वह मोनी ग्राम पोस्ट जिला बागेरहाट डिवीजन खुलना बांग्लादेश का रहने वाला है।
आरोपित वर्ष 2012 से भारत में रह रहा है। वह 2012 में गुजरात आया था, जहां उसने मजदूरी की। दो दिन पहले वह गुजरात से ट्रेन में कलियर आया था। हालांकि, पुलिस अभी भी उससे गहनता से पूछताछ करने में जुटी हुई है। हरिद्वार एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह ने बताया कि बांग्लादेशी नागरिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
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-अफ्रीकी देश घाना का नागरिक गिरफ्तार
नवीन समाचार, देहरादून, 26 जनवरी 2023 (Foreigners)। कोई भी किसी को बिना कारण उपहार नहीं देता। ऐसे उपहार परिंदों को जाल में फंसाने के लिए डाले जाने वाले दाने भी हो सकते हैं। महंगा उपहार भेजने के नाम पर ऋषिकेश के व्यक्ति से 15 लाख रुपए ठग लिए गए। शिकायत पर साइबर पुलिस ने घाना के एक विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया है। आरोपित के पास से 10 मोबाइल और अन्य सामग्री बरामद हुई है। उसे न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है। यह भी पढ़ें : फिल्म की शूटिंग के बहाने नैनीताल की नाबालिग छात्रा की अश्लील फिल्म बनाई
बुधवार को एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि ऋषिकेश के एक व्यक्ति ने बीते दिसंबर माह में लिखित तहरीर देकर बताया था कि उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल और मैसेज आए। उसने खुद को विदेशी महिला बताया और उससे दोस्ती की बात कही। कुछ दिन बाद एक उपहार भेजने को कहा। इसके कुछ दिन बाद फिर एक फोन आया कि उन्हें विदेश से भेजा गया महंगा उपहार कस्टम विभाग वालों ने एयरपोर्ट पर पकड़ लिया है। यह भी पढ़ें : शादी से पहले ही लाखों रुपए लेने के बावजूद दहेज में कार की मांग पूरी न होने पर बारात लेकर नहीं पहुंचे दहेज के लोभी, फिर जो हुआ….
आरोपित ने उपहार छुड़वाने के लिए कस्टम अधिकारी बनकर अलग-अलग शुल्कों के नाम पर धीरे-धीरे डरा-धमका कर 15 लाख रुपये जमा करा लिए। साइबर पुलिस की जांच में सामने आए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों के आधार पर दिल्ली के मोहन गार्डन से मूल रूप से अफ्रीकी देश घाना निवासी एबुका ओबीआई नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, हरिद्वार, 29 अक्टूबर 2022। कोतवाली रानीपुर क्षेत्र में बीते कुछ समय से बिना पासपोर्ट एवं वीजा के अपने तीन बच्चों के साथ रह रही एक बांग्लादेशी महिला को एलआईयू और कोतवाली रानीपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
बताया गया है कि पकड़ी गई महिला पिछले दिनों यूपी एटीएस की टीम द्वारा हरिद्वार से गिरफ्तार किए गए आतंकी अली नूर की पत्नी है। वह हरिद्वार में कूड़ा बीनने का कार्य कर रही थी। उसे और उसके बच्चों को न्यायालय में पेश किया गया है। अब रानीपुर पुलिस पकड़ी गई महिला से पूछताछ में जुटी हुई है। यह भी पढ़ें : अजब मामला : चोरों ने रात्रि में दुकान का गल्ला तोड़कर उड़ाए 9 लाख रुपए, पर सुबह दुकान में होने लगी नोटों की बारिश….
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्हें सूचना मिली कि ग्राम दादूपुर में एक बांग्लादेशी 25 वर्षीय महिला रहीमा पत्नी अली नूर उर्फ जावाद मूल निवासी ग्राम हिरन, थाना कोटालियारा जिला गोपालगंज बांग्लादेश सितंबर 2022 से अपने तीन बच्चों के साथ रह रही है। महिला के पास किसी तरह का कोई पासपोर्ट या वीजा नहीं है। यह भी पढ़ें : नैनीताल: घर से स्कूल को निकली छात्रा बीते 10 दिनों से गायब….
उसने अपने आने की सूचना भी एलआईयू या संबंधित कोतवाली को नहीं दी। इस सूचना के आधार पर एलआईयू और कोतवाली रानीपुर पुलिस ने जांच पड़ताल की तो सूचना सही पाई गई। इसके बाद पुलिस ने आरोपित महिला को तीन बच्चों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : यूक्रेन से भारत लौटे जावेद व अर्श ने कहा, ‘मोदी हैं तो मुमकिन है’, निशा ने प्रधानमंत्री को भेजे 25 हजार रुपए…
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 5 मार्च 2022। यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को लाने के लिए केंद्र सरकार ने ऑपरेशन गंगा चलाया है। इस अभियान के तहत 6 हजार से अधिक भारतीय नागरिक जिनमें अधिकांश विद्यार्थी हैं भारत पहुंच चुके हैं, जबकि विदेश मंत्रालय के अनुसार अब तक 18 हजार से अधिक विद्यार्थी यूक्रेन के पड़ोसी देशों में पहुंच चुके हैं जहां उपस्थित भारतीय दूतावास के अफसर उनकी निगरानी कर रहे हैं तथा उन्हें वापस भारत भेजने का इंतजाम कर रहे हैं। इस पर सरकार के प्रयासों की आलोचना करने वालों की भी कमी नहीं है।
वहीं, भारत लौटे इन्हीं विद्यार्थियों में उत्तराखंड में रुद्रपुर के प्रीत विहार निवासी जावेद आलम एवं अर्श मलिक जब अपने घर पहुंचे तो उनके घरवालों की आंखों से आंसू निकल आए तथा वह मोदी सरकार के लिए दुआ करने लगे। घर पहुंचते ही जावेद आलम एवं अर्श मलिक के परिवारवालों ने भारत सरकार की ओर से की गई कोशिशों का तहे दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने भावुक होकर कहा, मोदी हैं तो मुमकिन है।
निशा ने पीएम फंड में दिए 25 हजार रुपए
ऋषिकेश। उत्तराखंड के गढ़ी श्यामपुर की एमबीबीएस की छात्रा निशा ग्रेवाल चार दिन पहले यूक्रेन से अपने घर पहुंची थी। निशा ग्रेवाल ने आज अपने पिता राजकुमार और मां गीता देवी के साथ ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाई को पीएम कम्फर्ट फंड में 25 हजार रुपये का चेक भेंट किया। निशा ग्रेवाल के पिता ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों से निशा भी अन्य छात्रों के साथ सकुशल घर पहुंच गई है। वह सरकार के प्रयासों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और अपनी ओर से एक छोटी सी भेंट सरकार को देते हैं। वैसे भी उनकी बेटी यूक्रेन से घर लौटती तो उनका खर्चा तो होता ही। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: यूक्रेन में फंसे नैनीताल के दोनों बच्चे सुरक्षित दिल्ली पहुंचे
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 4 मार्च 2022। नैनीताल नगर के युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे 4 बच्चों में से दो पहले ही घर लौट चुके थे, जबकि अब शेष दो भी शुक्रवार को घर पहुंच रहे हैं। पिछले करीब चार दिनों से यूक्रेन से रोमानिया पहुंचकर उड़ान का इंतजार कर रहे राहुल रावत शुक्रवार सुबह अभी-अभी नई दिल्ली पहुंच गए हैं, जबकि यूक्रेन के सर्वाधिक प्रभावित खारकीव में कई दिनों तक बंकर में रहकर रूस से हुए समझौते के बाद बुधवार को लिवीव के रास्ते पोलेंड पहुंची आयुषी जोशी भी अब से कुछ देर बाद नई दिल्ली पहुंचने वाली है। उसके परिजन भी दिल्ली पहुंचने वाले हैं।
बताया गया है कि आयुषी जिस उड़ान से आ रही है, उसे तुर्की के रास्ते, तुर्की में कुछ देर रुककर आना पड़ा है। इस कारण वह करीब दो घंटे के विलंब से आज पूर्वाह्न ही करीब साढ़े 11 बजे दिल्ली पहुंचेगी। इससे दोनों के परिजनों के साथ नगर के लोगों में भी हर्ष होना तय है। उल्लेखनीय है कि गुरुवार तक उत्तराखंड के यूक्रेन में फंसे 200 से अधिक बच्चों में से 82 स्वदेश लौट गई है। आज यह संख्या 100 से आगे बढ़ जाएगी। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : अपने रिस्क पर खारकीव से पोलेंड पहुंची नैनीताल की आयुषी, राहुल दो दिन से रोमानिया में…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 2 मार्च 2022। रूसी सेना के खारकीव में हमले तेज करने से वहां फंसे भारतीय विद्यार्थियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। इसी का परिणाम रहा कि कल एक भारतीय छात्र नवीन की खारकीव में रूसी हमले में मौत हो गई थी। अब उन्हीं के कॉलेज में पढ़ने वाली नैनीताल की आयुषी जोशी व उसकी सहेलियां अपने रिस्क पर रेलगाड़ी से लिवीव होते हुए सुरक्षित यूक्रेन से बाहर पोलेंड पहुंच गई हैं।
उधर, नगर के एक अन्य छात्र राहुल रावत कल ही सुरक्षित रोमानिया पहुंच गए हैं, और हवाई अड्डे से कुछ दूरी पर हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आज या कल, जब भी नंबर आएगा, भारत लौट आएंगे।
उन्होंने कल शाम अपने मामा, नगर के पत्रकार शीतल तिवारी को बताया कि खारकीव में रूसी सेना घुस चुकी है, और लगातार गोलीबारी कर रही है। उनके पास खाने का सामान खत्म हो गया है। उसने कल से कुछ भी नहीं खाया। कल खाना लेने के कारण ही उनके साथ ही हॉस्टल में रहने वाले सीनियर छात्र नवीन की मौत हो गई थी।
उसने कहा-बाहर लगातार शेलिंग हो रही है, इस बीच एक-एक घंटे के लिए गोलीबारी रुक रही है। ऐसे में रिस्क लेना ही पड़ेगा। इस बीच समय निकालकर वह लिवीव के लिए निकल रही है। रेलवे स्टेशन उनके अपार्टमेंट व जहां बंकर में वह पिछले छह दिनों से रुकी है, वहां से ढाई-तीन किलोमीटर दूर है। वहां टावर भी ब्लास्ट में ध्वस्त हो गये हैं। इसलिए मोबाइल नेटवर्क भी आ-जा रहे हैं।
वहीं आज संक्षिप्त वार्ता में उसने बताया कि वह रेलगाड़ी से लिवीव के लिए अपनी दोस्त के साथ निकल गई और लिवीव से तीन गुने किराये में टैक्सी पोलेंड पहुंच गई है। वहां भारतीय दूतावास के अधिकारियों से बातचीत कर प्रयास चल रहे हैं कि किसी तरह जल्दी भारत लौट आएं। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : युद्धग्रस्त यूक्रेन से घर लौटी नैनीताल की प्रेरणा ने बताई तिरंगे के सहारे सीमा पर आने और स्वदेश लौटने तक के भारतीय प्रबंधों की सच्चाई
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 1 मार्च 2022। युद्धग्रस्त यूक्रेन से बच्चों के भारत लौटने पर जमकर राजनीति भी हो रही है। सत्तापक्ष जहां अपने प्रयासों के लिए अपनी पीठ ठोक रहा है, वहीं विपक्ष कुछ बच्चों के वीडियो के माध्यम से सरकार के प्रबंधों की आलोचना कर रहा है। लेकिन अब से कुछ ही देर पहले नैनीताल अपने घर लौटी प्रेरणा ने यूक्रेन के हालातों और वहां से घर लौटने तक की पूरी सच्चाई बताई, जो सभी को जरूर जाननी चाहिए।
प्रेरणा ने बताया के यूक्रेन में रूसी हमले शुरू हो जाने के बाद हालात बेहद खराब हो गए थे। इस पर तत्काल ही इवानो स्थित कॉलेज के सभी बच्चों को वहां पहले से काफी संख्या बने अंडरग्राउंड बंकरों में से एक में ठहरा दिया गया। इन बंकरों में खाने-पीने से लेकर शौचालय आदि की व्यवस्थाएं होती हैं। लेकिन अपने घर से बाहर बहुतों की भीड़ में रहने की जो समस्याएं होती हैं वह तो हो ही रही थी। साथ में युद्ध के अपने खतरे और भय भी बना हुआ था।
मौका मिलने पर प्रेरणा और उनके साथी बस में भारतीय तिरंगा लगाकर रोमानिया की सीमा के लिए निकले, तो रास्ते में कोई समस्या नहीं आई। लेकिन सीमा पर पहुंचने से करीब 11 किलोमीटर पहले ही वाहनों की भीड़-जाम लग जाने से सीमा तक 11 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यूक्रेन की सीमा पर एक छोटे से गेट से केवल भारतीय छात्र-छात्राओं और यूक्रेन के निवासियों को भी करीब 20-20 के समूह में रोमानिया में प्रवेश कराया जा रहा था, और भीड़ अत्यधिक थी।
इस कारण कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ा। वहां यूक्रेन की पुलिस कई बार लाइन लगवाने के लिए धक्के मार रही थी, जबकि नाइजीरिया के लंबे लड़के लाइनों से हटाये जाने के कारण भारतीय छात्र-छात्राओं से झगड़ और मारपीट कर रहे थे।
लेकिन जैसे ही यूक्रेन की सीमा से रोमानिया में प्रवेश किया, वैसे ही सारी समस्याएं समाप्त हो गईं। वहां भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बहुत अच्छी व्यवस्थाएं की हुई हैं। वे हवाई जहाज के आने तक इंतजार से लेकर जहाज में बैठाने तक की हर व्यवस्था को बहुत अच्छे से निभा रहे हैं। दिल्ली पहुंचने पर उत्तराखंड की हेल्प डेस्क उन्हें फूलों के गुलदस्ते भेंटकर रिसीव कर रहे हैं।
प्रेरणा के पिता प्रेम सिंह बिष्ट ने बताया कि वह बेटी को लेने अपनी कार से दिल्ली गए थे, और उन्हें पहुंचने में थोड़ी देर हो गई थी, लेकिन उत्तराखंड के अधिकारी उनकी बेटी को संभाले हुए थे और उनके पहुंचने पर उन्होंने यह भी पूछा कि यदि उनके पास प्रबंध नहीं है तो वह उसे नैनीताल पहुंचाने का प्रबंध भी कर सकते हैं। ऐसे प्रबंधों से खुश श्री बिष्ट ने कहा कि वह सरकार के प्रबंधों को 100 में से 100 से भी अधिक अंक देंगे। इतने अच्छे प्रबंधों से कभी उनकी बेटी सामान्य परिस्थितियों में भी यूक्रेन से वापस नहीं आई थी।
इधर, बताया गया है कि पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल की पुत्री उर्वशी जंतवाल भी नई दिल्ली पहुंच गई है और वहीं अपनी बहन के पास रुक गई है। जबकि नैनीताल के एक छात्र राहुल रावत भी रोमानिया पहुंच गए हैं और आज शाम या कल सुबह तक भारत पहुंच जाएंगे। जबकि अब नगर की एकमात्र छात्रा आयुषी जोशी यूक्रेन के युद्ध से राजधानी कीव के बाद सर्वाधिक प्रभावित खारकीव शहर में होने की वजह से अभी यूक्रेन में ही फंसी हुई है, परंतु सुरक्षित है। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल की दो छात्राएं युद्धग्रस्त यूक्रेन से स्वदेश लौटीं
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 फरवरी 2022। युद्धग्रस्त यूक्रेन में कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहने के बाद आखिर नैनीताल की दो छात्राएं प्रेरणा बिष्ट व उर्वशी जंतवाल नई दिल्ली पहुंच गई हैं। नई दिल्ली पहुंचने पर दोनों का उत्तराखंड हेल्प डेस्क के सदस्यों ने स्वागत किया। इसके बाद दोनों नैनीताल के लिए प्रस्थान कर रही हैं। इससे सभी ने राहत की सांस ली है।
उल्लेखनीय है कि नैनीताल के कुल छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए थे। अब नगर की आयुशी जोशी व राहुल रावत यूक्रेन में फंसे हुए रह गए हैं। उनके भी शीघ्र ही स्वदेश लौटने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि 20 वर्षीय निशा ग्रेवाल पुत्री राजकुमार निवासी श्यामपुर ऋषिकेश, 22 वर्षीय आयुषी राय पुत्री अजय राय निवासी आवास विकास ऋषिकेश, 22 वर्षीय अदिति कंडारी पुत्री दरबान सिंह निवासी बौराड़ी नई टिहरी, 21 वर्षीय आकांक्षा पुत्री ईश्वर प्रसाद निवासी कीर्तिनगर, विभूति भारद्वाज निवासी प्रगति विहार देहरादून, अदनान खान पुत्र फैजान खान निवासी मोहल्ला मिरदगान मंगलौर रुड़की तथा आशुतोष पाल और खुशी सिंह शामिल हैं।
इनके अलावा रुड़की के जीशान, रानीखेत की प्रियंका अधिकारी, काशीपुर की कादंबिनी, कोटद्वार की पायल पंवार, उधमसिंह नगर के ललित कुमार, हल्द्वानी के विजय चौहान व खटीमा के तुषार कपूर भी स्वदेश लौट आए हैं। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की भाग्यशाली छात्र-छात्राएं पहुंचे घर, अन्य-खासकर छात्र इतने भाग्यशाली नहीं, हो रही मारपीट…
नवीन समाचार, देहरादून, 27 फरवरी 2022। यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के 200 से अधिक छात्र-छात्राओं में से 16 सबसे भाग्यशाली छात्र-छात्राएं अपने घर लौट आए हैं।
बताया गया है कि अदनान के पिता फैजान खान नैनीताल में सहायक राजस्व निरीक्षक हैं। वर्तमान में उनका परिवार देहरादून में रह रहा है। बताया गया है कि यूक्रेन में भारतीय छात्र-छात्राएं बेहद बुरी स्थिति में हैं। वहां से वापस लौटने के लिए भारत सहित दूसरे देशों के छात्र-छात्राओं के सीमाओं की ओर भारी भीड़ के साथ उमड़ पड़ने से वहां भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शून्य से नीचे के तापमान में खुले आसमान में भूखे-प्यासे रहने के साथ ही उन्हें पुलिस की प्रताणना के साथ यूक्रेन सहित दूसरे देशों के युवकों द्वारा की जा रही मारपीट का भी सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन पोलेंड सीमा पर हुई ऐसी ही मारपीट में कुछ भारतीय छात्राओं के भी चोटिल होने और उनका सामान हड़बड़ी में वहीं छूटने जैसी घटनाएं भी हो रही हैं। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : यूक्रेन से भारतीय को लेकर ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत तीसरी उड़ान भारत के लिए रवाना, जानें किस स्थिति में और कहां हैं नैनीताल-उत्तराखंड के विद्यार्थी
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 फरवरी 2022। यूक्रेन में फंसे भारतीय एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को भारत वापस लाने के लिए देश का ‘ऑपरेशन गंगा’ जारी है। यूक्रेन से भारतीय नागरिक बुडापेस्ट व रोमानिया की ओर आगे बढ़ रहे हैं, और वहां भारतीय दूतावास पर जांच के बाद उन्हें यूक्रेन से सुरक्षित वापस निकाला जा रहा है, और यहां से दोपहर करीब साढ़े 12 बजे 198 भारतीयों को लेकर एयर इंडिया की चौथी उड़ान बुकारेस्ट से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।
जबकि इससे पहले 219, 240 और 250 भारतीयों को लेकर एयर इंडिया का विमान पहली व दूसरी उड़ान के साथ बुकारेस्ट से मुंबई पहुंच चुकी है। इसके साथ भारतीयों को यूक्रेन से भारत वापस लाने के अभियान ने गति पकड़ ली है। इन उड़ानों में भारत पहुंच रहे करीब 900 से अधिक लोगों में कई उत्तराखंडी बच्चे भी शामिल बताए गए हैं।
जबकि नैनीताल के चार बच्चों के बारे में बताया गया है कि इनमें से तीनों छात्राएं रोमानिया पहंुच गई हैं, जबकि एक छात्र राहुल रावत अभी यूक्रेन में ही हैं, पर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उन्हें उनकी यूनिवर्सिटी की ओर से भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है। जबकि छात्राओं को उनकी यूनिवर्सिटी की ओर से इस तरह की मदद नहीं मिली। नगर की प्रेरणा बिष्ट हल्द्वानी की स्नेहा पांडे के साथ रोमानिया में प्रवेश कर गई हैं, और यहां पहुंचकर राहत महसूस कर रही हैं। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : केंद्रीय मंत्री भट्ट ने विदेश मंत्री को लिखे यूक्रेन में एक-एक बच्चे के लिए पत्र, उत्तराखंड के फंसे बच्चों की संख्या बढ़कर हुई 226
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 26 फरवरी 2022। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के लोकसभा सांसद व केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने यूक्रेन में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को हर बच्चे के लिए अलग-अलग पत्र लिखे हैं। पत्र में उन्होंने बच्चों की पूरी जानकारी के साथ उन्हें प्राथमिकता के साथ जल्द से जल्द एयरलिफ्ट कर भारत लाने का आग्रह किया है। यूक्रेन में फंसे 219 भारतीयों को लेकर पहली निकासी उड़ान महाराष्ट्र के मुंबई पहुंच चुकी है।
इधर शनिवार को भी उत्तराखंड सरकार नेयूक्रेन में फंसे 72 अन्य उत्तराखंडवासियों की सूची केंद्र सरकार के पास भेजी है। जबकि शुक्रवार को 154 लोगों की सूची भेजी थी। इस प्रकार अब तक कुल 226 लोगों की लिस्ट केंद्र सरकार के पास भेजी जा चुकी है। बताया गया है कि इसके बाद भी कुछ अन्य उत्तराखंडी यूक्रेन में हो सकते हैं। देखें यूक्रेन में किन हालातों में रह रहे हैं भारतीय बच्चे :
इधर नैनीताल सहित कई उत्तराखंडी बच्चों ने यूक्रेन के हालातों को बयां करती तस्वीरें, वीडियो व ऑडियो यहां भेजे हैं और बताया है कि किस तरह वह केवल चिप्स आदि के सहारे, बिना पानी व अन्य सामग्री के दो रातों से अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में काट रहे हैं। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : सुनें सच्चाई यूक्रेन में मौजूद छात्र-छात्राओं को भारतीय दूतावास से किस तरह मिल रही है मदद और कैसा मिल रहा व्यवहार…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 26 फरवरी 2022। यूक्रेन में भारतीय छात्र-छात्राओं को समाचार चैनलों में दिखाई जा रही खबरों से इतर कुछ अलग ही परेशान करने वाली सच्चाई से सामना करना पड़ रहा है। नैनीताल निवासी एक छात्रा आयुषी जोशी ने यूक्रेन से अपने दो साथी छात्र-छात्राओं के भारतीय दूतावास के अधिकारियों से हुई बातचीत के ऑडियो भेजे हैं। आप भी सुनें दो भारतीय छात्र-छात्राओं की यूक्रेन के खारकीव व डेनिप्रो से यूक्रेन के भारतीय दूतावास के अधिकारियों से बातचीत के ऑडियो:
इन ऑडियो में सुनाई दे रहा है कि भारतीय छात्र वहां अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों के अस्थायी बंकरों में किसी तरह अपनी जान बचाते हुए दूतावास के अधिकारियों से उन्हें बाहर निकालने के बारे में जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें भारतीय दूतावास से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। भारतीय दूतावास के अधिकारी परेशान छात्र-छात्राओं की मदद करना दूर, उनसे ठीक से बात तक नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने मीडिया में दो बसों से छात्र-छात्राओं को बाहर निकालने के समाचारों का भी खंडन किया है। अलबत्ता, यह कहा है कि जिन लोगों ने भी बाहर निकलने का प्रयास किया है, वह निजी स्तर पर और अपने जोखिम पर किया है। दूतावास की ओर से किसी को कोई आश्वासन भी नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि अभी सब कुछ बंद है, इसलिए उन्हें बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं है। और इन स्थितियों से बाहर निकलने के लिए कोई समयसीमा भी नहीं बताई जा रही है।
दूतावास भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के बीच बातचीत होने की तो पुष्टि कर रहा है, परंतु क्या बात हुई और इससे वहां फंसे व बीते दो दिनों से बिना सोये रह रहे करीब 5000 भारतीयों को बचाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं दी दे रहा है।
अलबत्ता, इधर यूक्रेन में फंसे 219 भारतीय छात्र-छात्राओं को लेकर रोमानिया से एयर इंडिया के एक विमान के भारत के लिए रवाना होने की मीडिया में जानकारी आ रही है। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं के बारे में आई नई अपडेट और नए नंबर, 188 लोग फंसे, सभी सुरक्षित
नवीन समाचार, देहरादून, 26 फरवरी 2022। यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के लोगों के बारे में नई जानकारी सामने आई है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि हमें उत्तराखंड के 188 लोगों के यूक्रेन में फंसे होने की सूचना मिली है। विदेश मंत्रालय उन्हें बाहर निकालने के लिए जरूरी इंतजाम कर रहे हैं। गृह विभाग ने यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के लोगों की जानकारी जुटाने के लिए दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया था।
उन्होंने बताया कि फिलहाल वहां सभी भारतीय सुरक्षित हैं। अभी तक की जानकारी के अनुसार देहरादून के 43, हरिद्वार के 26, टिहरी के 10, चमोली के 2, रुद्रप्रयाग के 5, पौड़ी के 13, उत्तरकाशी के 7, ऊधमसिंह नगर के 20, नैनीताल के 14, पिथौरागढ़ के 2, नैनीताल के 22, अल्मोड़ा के 1 व चम्पावत के 4 छात्र और अन्य व्यवसायों से जुड़े लोग यूक्रेन में फंसे हैं।
बताया गया है कि राज्य के लोग यूक्रेन में फंसे अपने लोगों की जानकारी देने के लिए इन हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। पी रेणुका देवी (नोडल अधिकारी) के 7579278144, प्रमोद कुमार (सहायक नोडल अधिकारी) के 9837788889 के साथ ही आपातकालीन टॉल फ्री नंबर 112, 1800118797, 9411112972, 011-23012113, 011-23014104, 011-23017905 एवं उत्तराखंड सदन नई दिल्ली के नंबर 011-26875614 व 15 पर संपर्क कर सकते हैं।
इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया क नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड के मुख्य स्थानिक आयुक्त कार्यालय को विदेश मंत्रालय के सम्पर्क में रहने को कहा गया है। इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिलों से फंसे लोगों का विवरण लेकर शासन तक पहुंचाने को कहा गया है। सरकार हर परिवार की चिंता में शामिल है। यूक्रेन में फंसे देश एवं उत्तराखंड के नागरिकों को सकुशल लाने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : यूक्रेन में नैनीताल के 4, जिले के 19 सहित उत्तराखंड के 95 छात्र सुरक्षित
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 फरवरी 2022। उत्तराखंड शासन के साथ ही जिला प्रशासनों की 112 नंबर के माध्यम से जानकारी एकत्र किए जाने की पहल के बाद उत्तराखंड के करीब 95 छात्र-छात्राओं के यूक्रेन में फंसे होने की जानकारी प्रदेश के पुलिस मुख्यालय की ओर से साझा की गई है।
इनमें नैनीताल जिले के 19 छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं। वहीं नैनीताल मुख्यालय की बात करें तो यहां के 4 छात्र-छात्राओं के यूक्रेन में फंसे होने और सुरक्षित होने की जानकारी मिली है। बताया गया है कि इनमें इवानो फ्रेंकिविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल की बेटी उर्वशी जंतवाल, इवनो फ्रेंकविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही कूर्मांचल बैंक में कार्यरत विवेक जोशी एवं बिड़ला स्कूल में शिक्षिका मंजू जोशी की पुत्री आयुषी जोशी,
चर्नविष्टि शहर में बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के अंतिम यानी पांचवे वर्ष की पढ़ाई कर रहे मनकापुर निवासी प्रह्लाद रावत के पुत्र राहुल रावत व इवानो फ्रेंकिविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा मल्लीताल बड़ा बाजार के पहाड़ी वस्त्र भंडार वाले प्रेम सिंह बिष्ट की बेटी प्रेरणा बिष्ट शामिल हैं। भवाली की एक छात्रा के भी होने की संभावना है।
बताया जा रहा है कि यूक्रेन में फंसे नैनीताल के उन्नीस विद्यार्थियों में नौ तो हल्द्वानी और काठगोदाम के ही हैं। एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले और छात्रों के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है। इस बीच यूक्रेन में एमबीबीएस की एक छात्रा टिम्सी मेहरा के एक वीडियो ने सभी को चिंता में डाल दिया है।
यह छात्रा पिछले चार साल से यूक्रेन के ओडीसा में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वतन वापसी के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है। इधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यूक्रेन में फंसे कई छात्रों के परिजनों से स्वयं बात कर उन्हें बच्चों की सुरक्षित घर वापसी के लिए आश्वस्त किया है।
डीएम ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर
जिलाधिकारी धीराज सिह गब्र्याल ने यूक्रेन में फंसे लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए हैं। उन्होंने परिजनों से इन नंबरों के माध्यम से फंसे लोगों के नाम, पता, दूरभाष, मोबाइल नम्बर व ईमेल की सूचना देने की अपील की है। परिजनन 100, 112 पुलिस कन्ट्रोल रूम डीसीआर नम्बर 05942-235487 आपदा कन्ट्रोल रूम नम्बर 05942-231178/231179/231181 व टोल फ्री नम्बर 1077 तथा ई-मेल आईडी dm.na.ua@nic.in पर देने को कहा है। अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड सरकार ने यूक्रेन संकट को देखते हुए राज्यवासियों एवं डीएम-एसएसपी को दिए निर्देश, की अपील
नवीन समाचार, देहरादून, 24 फरवरी 2022। यूक्रेन में रूस द्वारा हमला कर दिए जाने और तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाने की संभावनाओं के बीच वहां फंसे उत्तराखंड के नागरिकों, खासकर विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए उत्तराखण्ड शासन ने पहल की है।
उत्तराखंड शासन की ओर से यूक्रेन में रह रहे उत्तराखंडियों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने राज्य के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को अपने जनपदों के यूक्रेन में फंसे नागरिकों का विवरण-उनके नाम, उत्तराखंड एवं यूक्रेन में पता, मोबाइल न-बर, ई मेल, पासपोर्ट नंबर इत्यादि प्राप्त कर तत्काल प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं, ताकि उनकी सुरक्षा के सम्बंध में केंद्रीय विदेश मंत्रालय के माध्यम से आवश्यक कार्यवाही की जा सके।
साथ ही सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि यदि यूक्रेन में किसी का कोई परिजन अथवा संबंधी या परिचित है तो उनके सम्बन्ध में अपेक्षित सूचना 112 पर भी दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि यूक्रेन में उत्तराखंड के करीब 300 छात्र-छात्राएं मौजूद हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस बारे में केंद्रीय विदेश मंत्रालय से बात की है। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी स्थितियों पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री से इस बारे में पहल करने का अनुरोध किया है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व में रिहा किए पाकिस्तानी नागरिक की सजा रखी बरकरार…
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 22 सितंबर 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने जासूसी करने के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अजीत सिंह निवासी लाहौर (पाकिस्तान) की सजा को बरकरार रखा है।
साथ ही सरकार को उसके जमानत बांड को निरस्त कर उसे हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं। पीठ ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं। उसने पासपोर्ट अधिनियम के दुरुपयोग किया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में उसे निचली अदालत के आदेश पर, कई स्तरों पर हुई चूकों के साथ जेल से बरी कर दिया गया था।
विदित हो कि 25 जनवरी 2010 को हरिद्वार महाकुंभ के दौरान हरिद्वार की गंगनहर कोतवाली पुलिस ने लाहौद पाकिस्तान निवासी आबिद अली को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, विदेश एक्ट और पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन के आरोप में रुड़की से मेरठ, देहरादून, रुड़की और अन्य सैन्य ठिकानों के नक्शों तथा पेन ड्राइव व कई गोपनीय जानकारियों से जुड़े दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया था। साथ ही उसके रुड़की के मच्छी मुहल्ला स्थित ठिकाने पर बिजली फिटिंग के बोर्ड और सीलिंग फैन में छिपाकर रखे गए करीब एक दर्जन सिमकार्ड भी बरामद किए गए थे।
इसके बाद निचली अदालत में चले मामले में 19 दिसंबर 2012 को उसे दोषी पाते हुए सात साल की सजा सुनाई गई थी। इसके विरुद्ध उसके अधिवक्ता ने अपील दायर की गई लेकिन उसके पाकिस्तानी होने सहित पते के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा।
इस पर सुनवाई करते हुए अपर जिला जज (द्वितीय) हरिद्वार ने उसे बरी करने के आदेश पारित किए गए, लेकिन इसके बाद जेल अधीक्षक के स्तर से कोर्ट तथा एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि अभियुक्त विदेशी नागरिक है। इसलिए उसे रिहा करने से पहले उसका व्यक्तिगत बंधपत्र व अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हैं।
इस पर अपर जिला जज ने जेल अधीक्षक के पत्र के संदर्भ में स्पष्ट किया कि इसके लिए अलग से आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। यानी यह औपचारिकताएं पूरी करनी जरूरी हैं। लेकिन एसएसपी द्वारा इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई गई और उसे रिहा कर दिया गया। इस पर निचली अदालत के आदेश को सरकार ने उच्च न्यायालय में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी।
सरकार द्वारा कहा गया कि निचली अदालत ने बिना ठोस सबूत पाते हुए पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने के आदेश दिए हैं, जिसे निरस्त किया जाए। उसके खिलाफ जासूसी करने के कई सबूत हैं। दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : एटीएम पर अमेरिकी युगल को देखे जाने से हड़कंप
नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अप्रैल 2020। मंगलवार को कोरोना की परिस्थितियों के बीच मल्लीताल स्थित भारतीय स्टेट बैंक के एटीएम पर एक विदेशी युगल को देखे जाने से हड़कंप मच गया। पूछताछ में उसने बताया कि वह दोनों अमेरिका के हैं। इस पर लोग और भी अधिक आशंकित हो गये। किसी ने निकट ही स्थित पुलिस कोतवाली में भी सूचना दे दी।
पुलिस ने भी अमेरिकी युगल से पूछताछ की, जिसमें साफ हुआ कि यह अमेरिकी युगल जनपद में ही बाबा नीब करौरी के कैंची धाम के पास बीती 28 फरवरी से रुका हुआ है, और कोरोना के बारे में स्थितियां खराब होने के बाद स्वयं ही मुख्यालय स्थित बीडी पांडे जिला चिकित्सालय आकर अपनी स्वास्थ्य जांच करा चुका है और पूरी ऐहतियात बरत रहा है। आज रुपये समाप्त होने पर रुपये निकालने के लिए यहां आया था। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नेपाली मजदूरों पर हाईकोर्ट ने दिये राज्य सरकार को निर्देश
-कहा-उनके भोजन व मूलभूत जरूरतों की पूर्ति करे सरकार
नवीन समाचार, नैनीताल, 20 अप्रैल 2020। उत्तराखंड हाइकोर्ट की न्यायमूर्ति मनोज तिवारी व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने पिथौरागढ़ व चंपावत सहित राज्य के अन्य हिस्सों में कोरोना विषाणु के कारण लागू लॉक डाउन में फंसे सैकड़ों नेपाली मजदूरों को नेपाल भेजने व उनके खाने, पीने, रहने व अन्य जरूरी सुविधाएं देने को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुये नेपाली मजदूरों के खाने पीने व अन्य मूलभूत जरूरतों की पूर्ति करने का निर्देश दिया है।
अलबत्ता, पीठ ने इन मजदूरों को नेपाल भेजने का मामला दो देशों से जुड़ा होने के कारण कोई निर्देश जारी नहीं किया। इसके साथ ही पीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा निवासी गंगा गिरी गोस्वामी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पिथौरागढ़ के धारचूला, झूलाघाट में 1473 व चंपावत के टनकपुर में 237 सहित उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में नेपाली मजदूर लॉक डाउन के कारण फंसे हैं। वे अपने देश जाना चाहते हैं, लेकिन कोरोना विषाणु के भय से नेपाल सरकार उन्हें नेपाल में प्रवेश नहीं करने दे रही है।
इस कारण इन सैकड़ों मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी व आवास सहित कई अन्य तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गईं हैं। इसलिये इन मजदूरों को अपने घर जाने की अनुमति देने के आदेश भारत सरकार को दिए जाएं। याचिका में कहा गया है कि ये मजदूर नदी पार कर व जंगल के रास्ते जाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी आवश्यक है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : ताज़ा खुलासा : भारतीय पासपोर्ट सहित दो बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार
नवीन समाचार, देहरादून, 3 जनवरी 2019 । फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 20 साल से दून में रह रहे दो बांग्लादेशी घुसपैठियों को पुलिस ने सत्यापन अभियान के दौरान गिरफ्तार किया है। इनके पास से मतदान पहचान पत्र, राशन कार्ड और भारतीय पासपोर्ट भी बरामद किए गए हैं। जांच में पता चला है कि दोनों ने भारतीय लड़कियों से शादी भी की हुई है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। शुक्रवार को दोनों को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार के निर्देश पर इन दिनों दून में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की खोजबीन का अभियान चल रहा है। इसी क्रम में बृहस्पतिवार को पटेलनगर पुलिस, स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) के साथ सत्यापन अभियान चलाए हुए थी। इसी दौरान पुलिस ने माजरा में प्रधान वाली गली, हालीम मोहल्ला और शिमला बाईपास से दो संदिग्धों को पकड़ा गया।
इनमें से एक का नाम नजरूल इस्लाम (पुत्र शहजान) और दूसरे का नाम सहफुल हसन (पुत्र मोहम्मद हसन) है। जांच में पता चला कि दोनों मूल रूप ग्राम बोड़ोवाड़िया, थाना चीतलमारी, जिला बागेरहाट, बांग्लादेश के रहने वाले हैं। दोनों के खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इनमें से नजरूल इस्लाम शातिर किस्म का है।
उसने भारतीय पासपोर्ट के माध्यम से एक बार बांग्लादेश की यात्रा भी की है। वह कुछ दिन में फिर बांग्लादेश जाने वाला था। दोनों के पासपोर्ट की जांच की जा रही है। नजरूल ने वर्ष-2007 में देहरादून की रहने वाली लड़की से शादी की थी। जबकि, दूसरे युवक ने वर्ष-2010 में शादी की। पुलिस इस बात की जांच में जुटी है कि उनके किस-किस से संबंध हैं।
दोनों का कहीं किसी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले संगठन से नाता तो नहीं है। उनके सभी दस्तावेजों और उनसे मिली जानकारी को केंद्रीय एजेंसियों से साझा किया जा रहा है। ताकि, उनके बारे में गहनता से पड़ताल की जा सके। यह भी पता चला है कि यह दोनों मांस (मीट) का कारोबार करते थे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : चीन बार्डर की नजदीकी सीमा पर घुसपैठ के आरोप में यूरोप की प्रसिद्ध गायिका गिरफ्तार
विदेश मंत्रालय को जानकारी देने के बाद गायिका को भारत से ब्लैक लिस्ट कर डिपोर्ट कर दिया गया
नवीन समाचार, चकराता, 16 अक्टूबर 2018। यूरोप के एस्टोनिया प्रान्त की प्रसिद्ध युवा गायिका जन कास्क को पुलिस ने सोमवार को देहरादून जिले के चकराता में गिरफ्तार किया। स्थानीय अभिसूचना विभाग (एलआईयू) ने कास्क को चीन बार्डर के नजदीकी और गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना विदेशियों के प्रवेश के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
एलआईयू इंस्पेक्टर बलवंत सिंह रावत के अनुसार एस्टोनिया निवासी पॉप-रॉक गायिका जन कास्क (27) को चकराता से त्यूनी रोड स्थित होटल ग्रीन व्यू से गिरफ्तार किया गया है । एलआईयू अफसरों के मुताबिक कालसी से आगे चकराता और त्यूनी सामरिक महत्व व सैन्य कैंप के चलते संवेदनशील इलाकों में आता है।
इस क्षेत्र में विदेशियों को जाने के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति लेने होती है। कास्क अपने गुरुग्राम के दोस्तों संग वीडियो शूट के लिए बिना गृह मंत्रालय की अनुमति के उक्त क्षेत्र में पहुंच गईं। इसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि विदेश मंत्रालय को जानकारी देने के बाद गायिका को भारत से ब्लैक लिस्ट कर डिपोर्ट कर दिया गया है।
बताया गया है कि जन कास्क को हाल में भारत में घूमने के लिए एक वर्ष का टूरिस्ट वीजा मिला है। तीन अक्तूबर को वह वीजा मिलने के बाद भारत आईं। भारत पहुंचने पर वह गुरुग्राम में अपने दोस्तों के यहां ठहरी। दोस्तों ने कास्क को उनके गाने की वीडियो शूट के लिए चकराता क्षेत्र की शानदार लोकेशन के बारे में बताया। 11 अक्तूबर को वह दोस्तों संग दून पहुंचीं।
एक दिन दून में ठहरने के बाद वह कालसी के रास्ते चकराता चली गईं। जबकि कालसी से चकराता मार्ग पर विदेशियों के जाने से रोकने के लिए सेना ने चेकिंग गेट बनाया हुआ है, लेकिन वहां चेकिंग में कास्क को नहीं रोका गया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में हुआ सेटेलाइट फ़ोन का प्रयोग, एक विदेशी नागरिक गिरफ्तार
नवीन समाचार, उत्तरकाशी, 14 अक्टूबर 2018। प्रतिबंधित और हाई सेंसेटिव गंगोत्री घाटी में सेटेलाइट फोन के प्रयोग किए जाने का मामला सामने आया है। सेटेलाइट फोन का प्रयोग होने की जानकारी मिलते ही खूफिया विभाग और प्रशासन में हड़कंप मच गया। ये बात साफ हो गई है कि सेटेलाइट फोन का प्रयोग गंगोत्री ट्रैक से सतोपंथ को क्लाइंब करने गए स्पेन के पर्वतारोही दल के साथ बात करने के लिए गया गया है।
भारत चीन सीमा से लगे हिमालय क्षेत्र गंगोत्री ट्रैक से सतोपंथ आरोहण पर गए स्पेन के पर्वतारोही दल के सेटलाइट फोन से बात करने की पुष्टि डीएम आशीष चौहान ने की। जानकारी लगते ही खुफिया विभाग की टीमों ने एक विदेशी नागरिक को हिरासत में लिया है।
उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सेटेलाइट फोन का प्रयोग केवल पर्वतारोही कर सकते हैं, लेकिन वह इससे केवल प्रशासन और सरकार से अपने किसी परेशानी में होने की स्थिति में ही सिग्नल दे सकते हैं। किसी भी स्थानीय और विदेशी नागरिक को सेटेलाइट फोन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है।
दरअसल, सतोपंथ आरोहण के लिए पिछले 26 सितम्बर को पांच सदस्यों के एक दल गया है। इसमें दल के तीन विदेशी सदस्यों की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। इसके चलते उनको वापस लौटना पड़ा था। सेटेलाइट फोन को चलाए जाने की सूचना शुक्रवार को मिली थी। उसी दिन खुफिया विभाग की टीमें गंगोत्री के लिए रवाना हुईं और विदेशी नागरिक को हिरासत में ले लिया।
डीएम आशीष चौहान ने बताया कि एक विदेशी नागरिक के सेटेलाइट फोन प्रयोग करने की जानकारी मिली है। खूफिया विभाग फिलहाल मामले की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेटेलाइट फोन प्रयोग करने का मामला गंभीर है और इसे उतनी ही गंभीरता से लिया जा रहा है। मामले की पूरी जांच की जा रही है। संबंधित के खिलाफ कुछ भी संदिग्ध होने की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड के बाड़ाहोती पर अधिपत्य जमाने को 15 अगस्त के दिन भी हुई चीनी घुसपैठ की कोशिश ! LAC के 4 किमी अंदर घुसे
-उत्तराखंड के रास्ते आवागमन बढ़ाने को शुरू हुई पहल
नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल। पड़ोसी देश नेपाल में बेहतर हुए राजनीतिक हालातों के साथ नेपाल के पश्चिमी अंचल के पर्यटन व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने भारत का रुख किया है। नेपाल एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एंड टूर एजेंट्स फार वेस्टर्न रीजनल एसोसिएशन-नाटा का प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड से निकटता के मद्देनजर उत्तराखंड के रास्ते भारत-नेपाल के संबंधों को मजबूत करने की पेशकश लेकर एक बार फिर उत्तराखंड पहुंचा है।
नैनीताल पहुंचे एसोसिएशन के चेयरमैन माया प्रकाश भट्ट ने नगर के मनुमहारानी होटल में आयोजित बैठक में कहा कि नेपाल माता सीता, गौतम बुद्ध व एवरेस्ट पर्वत की धरती है। भारत और खासकर उत्तराखंड से नेपाल के इस अंचल के सदियों से सांस्कृतिक, धार्मिक व रोटी-बेटी के संबंध रहे हैं। दोनों एक जैसी भौगोलिक व प्राकृतिक स्थितियों वाले राज्य हैं।
भारत में टनकपुर के पास पूर्णागिरि शक्तिपीठ जाने वाले लाखों श्रद्धालु नेपाल के ब्रतापुर मंदिर में आते हैं और इसी तरह नेपाल के लोग केदारनाथ व बद्रीनाथ आना चाहते हैं। नेपाल टूरिज्म बोर्ड काठमांडू के मैनेजर सुमन घिमिरे ने कहा कि भारत के करीब ही महेंद्र नगर के पास शुक्लाफाटा राष्ट्रीय प्राणी उद्यान व धनगड़ी के निकट वन्य जीव विहारों में व नेपाल की प्राकृतिक सुंदरता को और नजदीक से देख पायेंगे, तथा दोनों देशों के रिश्ते और अधिक प्रगाढ़ होंगे।
नाटा के उपाध्यक्ष परमानंद भंडारी ने कहा कि नाटा भारत के पर्यटन व्यवसायियों के साथ नेटवर्क बनाना चाहता है, ताकि दोनों एक-दूसरे के यहां सैलानियों को भेजकर बेहतर सुविधाएं दिला सकें। स्थानीय आयोजक वाईटीडीओ के प्रमुख विजय मोहन सिंह खाती ने इस पर ‘इंडो-नेपाल एसोसिएशन’ बनाने का सुझाव दिया। साथ ही नेपाली प्रतिनिधिमंडल को नैनीताल की तरह सप्ताहांत पर आने वाले सैलानियों को बढ़ाने पर जोर देने के लिए दिल्ली में विज्ञापन देने की सलाह दी।
नैनीताल टैक्सी ट्रेवल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज जोशी व कमल जगाती ने नेपाल में भ्रमण पर भारतीय वाहनों के साथ नेपाल पुलिस की ज्यादतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। इस मौके पर नेपाली प्रतिनिधिमंडल के पदम सिंह, संतोष थापा, हेमंत, बसंत, प्रताप सिंह तथा भारत की ओर से केएमवीएन के साहसिक पर्यटन मैनेजर गिरधर सिंह मनराल, मनुमहारानी के रोहित पांडे, नगर के राजू बिष्ट, जावेद, सगीर खान, दर्शन भंडारी, गंगा सिंह, महावीर बिष्ट, महावीर सिंह, उमेश रौतेला, रमेश तिवाड़ी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
वर्ष 2017 की खबर : ताकि सनद रहे…उत्तराखंड के रास्ते आवागमन बढ़ाने को शुरू हुई पहल
-दून व नई दिल्ली में नेपाल व भारत की सचिव स्तरीय वार्ता में होगी बात
नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल। पड़ोसी देश नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने और पहली विदेश यात्रा भारत से शुरू करने के बाद दोनों देशों के बेहतर होते रिश्तों से नेपाल के व्यापारी उत्साहित हैं। नेपाल के पश्चिमी अंचल के पर्यटन व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने भारत का रुख किया है।
नेपाल एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एंड टूर एजेंट्स फार वेस्टर्न रीजनल एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड से निकटता के मद्देनजर उत्तराखंड के रास्ते भारत-नेपाल के संबंधों को मजबूत करने का पक्षधर है। इसके लिए उत्तराखंड-नेपाल सीमा पर धारचूला व बनबसा बार्डर पर वाहनों के चलने योग्य पुलों के निर्माण को जल्द शुरू करने के लिए अनुरोध करने उत्तराखंड होते हुए दिल्ली जा रहा है। शुक्रवार को यह दोनों देशों की सचिव स्तरीय वार्ता में भागीदार होगा।
नैनीताल पहुंचे एसोसिएशन के चेयरमैन माया प्रकाश भट्ट ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ से कहा कि नेपाल का पश्चिमी अंचल को नेपाल का सातवां नया राज्य बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ नेपाल में अगले एक वर्ष के भीतर ग्राम से लेकर संसद तक के तीन चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि नेपाल विकास के एक नये युग में प्रवेश करेगा।
इसकी तैयारी करते हुए उनकी एसोसिएशन ‘‘सुदुर पश्चिम को आवाज पर्यटन को विकास’ की थीम के साथ भारत की राह पर है। भारत और खासकर उत्तराखंड से नेपाल के इस अंचल के न केवल सदियों से सांस्कृतिक, धार्मिक व रोटी-बेटी के संबंध रहे हैं।
दोनों एक जैसी भौगोलिक व प्राकृतिक स्थितियों वाले राज्य हैं। भारत में टनकपुर के पास पूर्णागिरि शक्तिपीठ जाने वाले लाखों श्रद्धालु नेपाल के ब्रrापुर मंदिर में आते हैं और इसी तरह धारचूला की ओर से उग्रतारा सहित सात बहन देवियों के मंदिरों में 80-90 फीसद तक श्रद्धालु भारत से आते हैं।
वहीं उत्तराखंड वासियों को कैलास मानसरोवर जाने के लिये या तो पिथौरागढ़ की ओर के दुर्गम मार्ग से अथवा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खोले गये नाथुला र्दे या काठमांडू उड़कर जाना पड़ता है। इसके बजाय बनबसा से महेंद्रनगर, धनगड़ी होते हुए कैलास जाने का विकल्प है।
पश्चिमी अंचल से नया, करीब तिहाई कीमत में ही यह यात्रा हेलीकॉप्टरों व एसी बसों से कराने के लिए नया मार्ग बनाने के प्रयास चल रहे हैं। इस हेतु नेपाल सरकार से भी उनकी बात हो रही है और इन मागरे को तरजीह दिये जाने, बनबसा व धारचूला में सड़क पुल बनाने की मांग के साथ वे 22 को देहरादून और 24 को दिल्ली में वार्ता करने जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही इन पुलों को स्वीकृति दे चुके हैं, उनकी कोशिश इनका निर्माण शीघ्र कराने की है। इनके न होने से उन्हें उत्तराखंड में चार धाम यात्रा करने के लिये अपने वाहन नेपाल में उस ओर खड़े करके आना पड़ता है। इन पुलों के बनने से भारत के सैलानी नेपाल सीमा के निकट की वर्दिया व सुक्लाफाटा राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों व नेपाल की प्राकृतिक सुंदरता को और नजदीक से देख पायेंगे, तथा दोनों देशों के रिश्ते और अधिक प्रगाढ़ होंगे।
पश्चिमांचल पर्यटन सर्किट बनाने पर हुई बात
नैनीताल। यहां हुई एक संगोष्ठी में नैनीताल व नेपाल के पर्यटन व्यवसायियों के बीच उत्तराखंड-नेपाल पश्चिमांचल पर्यटन सर्किट बनाने पर बात हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केएमवीएन के जीएम त्रिलोक सिंह मतरेलिया ने भी कहा कि
भौगोलिक, सामाजिक, धार्मिक समानताओं वाले ये दोनों राज्य एक-दूसरे के सहयोग से पर्यटन के जरिये अपनी समृद्धि को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने नेपाली शिष्टमंडल से दोनों देशों की खुली सीमा का लाभ उठाते हुये उत्तराखंड के पर्यटन का भी प्रसार करने का अनुरोध किया, और अपनी ओर से भी उन्हें हरसंभव सहयोग का विास दिलाया।
इस मौके पर नेपाली प्रतिनिधिमंडल के कृष्ण बहादुर, दिनेश भंडारी, चित्रांग थापा, परमानंद भंडारी व भारत की ओर से नगर के टूर एवं ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय मोहन सिंह खाती, अनुराग भौंसले, नरेश गुप्ता, पवन कुमार, कमलेश सिंह, डीके शर्मा, राजू बिष्ट, जावेद, सगीर खान, दर्शन भंडारी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें : भारत के खिलाफ ‘बृहत्तर नेपाल’ के नाम पर मुहिम चलाने से बाज नहीं आ रहे नेपाली चरमपंथी
-1815 की सुगौली की संधि को नकारते हुए पूरे उत्तराखंड सहित हिमांचल प्रदेश को बिलासपुर तक बताया जा रहा ‘ग्रेटर’ नेपाल का हिस्सा
-भारत के हिमाचल, बिहार व पश्चिम बंगाल तथा बांग्ला देश के कुछ हिस्सों को भी ग्रेटर नेपाल का हिस्सा बताते हुए किया जा रहा है दुष्प्रचार
-फेसबुक सरीखी सोशल साइटों पर चलाई जा रही है मुहिम
नवीन जोशी, नैनीताल। हजारों करोड़ रुपए की भारतीय मदद और हमेशा से पड़ोसी मित्र राष्ट्र कहे जाने वाले के उलट नेपाल में ‘ग्रेटर नेपाल राष्ट्रवादी मोर्चा’ सरीखे कुछ संगठन भारत विरोधी छद्म युद्ध की जमीन तैयार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। नेपाल सरकार के आर्थिक मोर्चे पर चीन की और रहे झुकाव से भी उनकी मुहिम को बल मिल रहा है।
यह संगठन 2 दिसंबर 1815 को हस्ताक्षरित और 4 मार्च 1816 को पुष्टि होने वाली अंग्रेजों व गोर्खाओं के बीच हुई सुगौली की संधि से इतर भारत के हिमांचल, उत्तराखंड, बिहार व पश्चिम बंगाल तक गंगा नदी के उत्तर के क्षेत्रों और बांग्ला देश के भी एक हिस्से को जोड़कर ‘बृहत्तर नेपाल’ बनाने का दिवा स्वप्न पाल रहे हैं। नेपाल का संविधान बनाने में जुटी नेपाली संविधान सभा पर भी इस हेतु दबाव बनाया जा रहा है।
फेसबुक पर ग्रेटर नेपाल राष्ट्रवादी मोर्चा केंद्रीय समिति द्वारा तैयार पोस्टर को पोस्ट करते हुए टीका नाथ ढुंगाना का कहना है कि चार मार्च 1816 को हुई सुगौली की संधि में नेपाल के अनेक हिस्से भारत और बांग्लादेश में चले गए थे। इनमें से 14 अगस्त 1947 से दिनाजपुर व रंगपुर के हिस्से पूर्वी पाकिस्तान (1971 से बांग्लादेश) ने और 15 अगस्त 1947 से सिक्किम, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, जलपाइगुड़ी, सुपोल, जोगबनी, बेतिया, मोतिहारी, सारनलगायत व गंगा के उत्तर के क्षेत्रों में भारत का अवैध कब्जा है।
वर्ष 1950 में भारत और नेपाल के बीच जो संधि हुई थी, उसकी धारा-आठ में सुगौली की संधि को समाप्त घोषित कर दिया गया था। इसलिए मोर्चा द्वारा भारत द्वारा कथित तौर पर ‘हड़पी’ गई जमीन के लिए वह अपनी जनता से ‘आवाज से आवाज’ मिलाने का आह्वान कर रहे हैं। अपनी अपने मतलब की अधूरी जानकारी के आधार पर उनका कहना है कि 1801 में नेपाल का क्षेत्रफल 368000 वर्ग किमी. था।
वे यह नहीं बताते 1801 से पूर्व उत्तराखण्ड में चंद शासन के दौरान नेपाल का क्षेत्रफल कितना था। बहरहाल, उनका आरोप है कि भारत-बांग्लादेश ने उनकी 57,736 वर्ग किमी भूमि हड़पी है, जो उन्हें मिल जाए तो वर्तमान में 1,47,,181 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाला नेपाल, 2,04,917वर्ग किमी वाला ग्रेटर नेपाल हो जाएगा। खास बात यह भी है कि अपनी बात को वह भारत के फेसबुक ग्रुपों में पेस्ट करने से भी गुरेज नहीं कर रहे।
चीन के शडयंत्र का हिस्सा है यह मुहिम: ले.जनरल भंडारी
नैनीताल। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मोहन चंद्र भंडारी का कहना है कि नेपाल की यह मुहिम चीन के शडयंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि विस्तारवादी सोच वाला चीन तिब्बत को अपनी हथेली और लद्दाख, नेपाल, भूटान, सिक्किम व अरुणांचल प्रदेश को अपनी पांच अंगुलियां कहता है, और उसका मानना है कि जब वह हथेली यानी तिब्बत पर कब्जा कर चुका है, तो पांचों अंगुलियों को भी कब्जे में कर लेगा।
इसी मुहिम के तहत वह लद्दाख और अरुणांचल प्रदेश में जब-तब कब्जे के प्रयास करता रहता है। इधर चीन के इन मंसूबों से बेखबर बिना संविधान के चलने की वैंटीलेटर जैसी बदतर राजनीतिक स्थितियों से घिरा नेपाल, और खासकर उसके माओ आंदोलन से जुड़े दल देश की मूल समस्याओं से अपने देशवासियों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसी कोशिश कर रहे हैं।
पूर्व में नेपाल के माओवादी नेता प्रचंड ने उत्तराखंड के कालापानी को काली नदी का उद्गम स्थल बताकर कालापानी तक के 52 वर्ग किमी क्षेत्र पर भी नेपाल की ओर से दावेदारी की थी, जिन्में बाद में बता दिया गया था कि कालापानी नहीं लिपूगाड़ काली का उद्गम स्थल है।
यह है सुगौली की संधि और गोरखा राज का सच
भंडारी ने बताया कि सुगौली की संधि के तहत अंग्रेजों ने गोरखों को हराने के बाद उन्हें ब्रिटिश इंडिया से सकुशल लौटने के लिए उत्तराखंड के काली कुमाऊं यानी महाकाली नदी के इस ओर के हिस्से को छोड़ने और नेपाल में भी अपना प्रतिनिधि (रेजीडेंट) रखने की शर्तें रखी थी। इस पर गोरखों में मतभेद थे, इसलिए उन्होंने करीब एक वर्ष बाद 1816 में सुगौली की संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
क्योंकि अंग्रेज काली कुमाऊं के लिपुलेख दर्रे से उस दौर में तिब्बत के साथ बड़े पैमाने पर होने वाले मार्ग को किसी और के कब्जे में नहीं चाहते थे। भंडारी ने बताया कि इससे पूर्व भारत के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (गदर) में गोरखों ने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार की मदद के लिए एक ब्रिगेड (करीब तीन बटालियन) सेना भेजकर मदद की थी, इसके ऐवज में अंग्रेजों ने उन्हें मैदानी इलाका (मजेठी) दिया था।
इतिहास में कोई देश नहीं वरन अफगानिस्तान से बर्मा तक फैले भारत (आर्यावर्त) का ही हिस्सा था नेपाल
नैनीताल। इसी से जोड़ते हुए इतिहासकार डा. शेखर पाठक ने बताया कि इतिहास में नेपाल कोई देश नहीं था, वरन वह अफगानिस्तान से बर्मा तक फैसे भारत (आर्यावर्त) का ही हिस्सा था। 1785 में राणा रणबहादुर ने सशक्त होकर वहां की 46 छोटी रियासतों को मिलाया। कुछ समय के लिए (गढ़वाल अंचल में करीब 9-10 वर्ष) और कुमाऊं में 1790 से 1815 तक 25 वर्ष उनका राज रहा, जिसे प्रदेश वासी अंग्रेजी राज से भी बुरा मानते हैं।
गोरखाओं द्वारा यहां की जनता पर किए गए जुल्म उस दौर के सुप्रसिद्ध कवि गुमानी पंत ‘गौर्दा’ की कविता-दिन दिन खजाना का भार बोकना ले, शिब-शिब चूली में न बाल एकै कैका में दिखते हैं, जिन्हें झेलने के बाद उत्तराखंड के लोगों को अंग्रेजों के जुल्म भी कमतर ही लगे थे। आज भी देश में कोई अन्याय करता है, तो लोग कहते हैं-गोरखा राज चल रहा है क्या ।
सम्बंधित समाचार : नेपाल के हालातों से भारत में नेपाली श्रमिकों का टोटा
-मुख्यालय में नेपालियों की संख्या में 75 फीसद तक कमी के हालात, दशहरा-दीपावली पर नेपाल गए कर्मी चाहते हुए भी नहीं लौट पा रहे
नवीन जोशी, नैनीताल। नेपाल में नया संविधान बनने के बाद से चल रहे मधेसी आंदोलन को न सुलझा पा रही नेपाल सरकार का नौसिखियापन नेपाल की भारत में रोजगार की तलाश में आने वाली जनता पर भारी पड़ रहा है। इससे भारत में भी नेपाली श्रमिकों की उपलब्धता पर असर पड़ने लगा है। यहां मुख्यालय में नेपाली श्रमिकों की संख्या में 50 से 75 फीसद तक कमी देखी जा रही है।
अपने सबसे बड़े त्योहार दशहरे और दीपावली के दौरान भैया दूज के लिए नेपाल गए बड़ी संख्या में नेपाली मजदूर एक माह बाद भी चाह कर भी भारत वापस नहीं लौट पा रहे हैं। इससे नगर में भी श्रम से जुड़ी गतिविधियों पर प्रभाव पड़ने लगा है, और यहां मौजूद नेपाली भी मायूस नजर आ रहे हैं। हालात न सुधरे तो आगे परेशानी और बढ़ सकती है।
प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिला महामंत्री जगदीश बवाड़ी ने बताया कि उनके प्रतिष्ठान में हमेशा आठ नेपाली श्रमिक रहा करते हैं। इनका कार्य नगर में ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के घरों में सामान पहुंचाना तथा वाहनों से सामान उतारना व यहां-वहां ले जाना होता है। इधर दशहरा-दीपावली पर उनकी दुकान के मजदूर अपने घर नेपाल गए, लेकिन अब तक नहीं लौट पाए हैं। पूछने पर बताया जा रहा है कि नेपाल में खराब हालातों की वजह से नहीं आ पा रहे हैं।
लेकिन इधर करीब एक माह से उन्हें केवल दो मजदूरों से ही काम चलाना पड़ रहा है, और इस कारण सामान की होम डिलीवरी पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। यही समस्या नगर में घरेलू गैस इंडेन की होम डिलीवरी के कार्य के ठेकेदार पवन बोरा को भी आ रही है। उन्होंने बताया कि नेपाली दशहरे और भैया दूज को बड़ा त्योहार मानते हैं, इसलिए अपने देश गए थे, लेकिन पूरी संख्या में वापस नहीं लौटे हैं। इस कारण समस्या आ रही है।
वहीं इस बाबत बात करने पर कुमाऊं रेंज के डीआईजी पुष्कर सिंह सैलाल ने कहा कि नेपाल में वहां के लोगों के द्वारा संविधान के खिलाफ जाम आदि लगाए जा रहे हैं। वहां जाम में फंसे वाहनों को भारत की तरह वापस लौटने और पैदल, दो पहिया, साइकिल वाले यात्रियों को भी आने-जाने नहीं दिया जाता है। संभवतया इस कारण संभवतया दिक्कत आ रही हो। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से सीमा पर नाकेबंदी जैसी कोई स्थिति नहीं है।
स्वयं चालक ही बीते दिनों नेपाल में फंसने पर कई दिन भूखे रहने जैसी स्थितियों में फंसने और वाहनों में आग लगा दिए जाने जैसी संभावनाओं की वजह से स्वयं नेपाल नहीं जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने नेपाल में बिगड़े हालातों की वजह से भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रवासियों के आपसी संबंधों में किसी तरह की खटास, शादी-ब्याह के संबंधों में कमी आने जैसी खबरों से भी इंकार किया।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व, करीब एक दशक पहले नैनीताल में बसों से सामान उतारने के लिए नेपाली कुलियों में आपस में गजब का संघर्ष दिखना आम बात थी। वे करीब एक किमी पहले धर्मशाला के पास से ही बसों में लटक कर खिडकियों के रास्ते अपने टोकन यात्रियों को थमा देते थे, ताकि उन्हें सामान घर छोड़ने को मिल जाये, और नगर की बाजारों में उनकी भीड़ के बीच से बचकर निकलना कठिन कार्य होता था। सर्दियों की धूप में उनके झुण्ड के झुण्ड नगर में लेटे हुए नजर आते थे।