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November 21, 2024

Happy New Year : कम हुआ नैनीताल का क्रेज या साजिशन कर दिया गया ? कौन जिम्मेदार…. ?

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Happy New Year

Hotel fraud, cheating tourists, Nainital tourist season

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2024 (Happy New Year)। कुछ वर्ष पूर्व तक नैनीताल में नये वर्ष के स्वागत में मनाये जाने वाले जश्न की बात ही कुछ और थी। सप्ताह के बीच के दिनों में होने पर भी नव वर्ष मनाने के लिये सैलानी कम से कम एक दिन पहले ही पहुंच जाते थे। 31 दिसंबर को सुबह से ही सैलानियों का नैनीताल में उमड़ना प्रारंभ हो जाता है और पूरे दिन नैनी झील में नौकाओं का मेला और मॉल रोड सहित नगर के अन्य स्थानों पर रेला सा नजर आता था। देखें नैनीताल में ऐसे किया गया नए वर्ष का स्वागत :

शाम को अच्छी कड़क ठंड के बावजूद नगर की करीब डेढ़ किमी लंबी मॉल रोड मानो दुनिया का सबसे लंबा-बड़ा डांसिंग फ्लोर बन जाती थी। थोड़ी-थोड़ी दूर में लाउड स्पीकर और उनके पास अलाव जलते थे। दर्जनों की संख्या में सैलानी ऐसे हर स्थान पर झुंड में नाचते-गाते हुये बीत रहे वर्ष को विदाई देते और नये वर्ष का स्वागत करते थे। अनेकों होटलों के साथ अब बंद हो चुके क्लबों में भी मध्य रात्रि के बाद तक नाच-गाना होता था। नैनीताल ही नहीं आसपास के पर्यटन स्थल भी सैलानियों से भर जाते थे।

रात्रि तक सैलानियों का वाहनों से नगर में पहुंचने का सिलसिला जारी रहता था। डीएसए का फ्लैट्स मैदान वाहनों से पूरा पट जाता था। कई लोग अपने वाहनों में भी रात बिताने को मजबूर रहते थे। कई जगह हुड़दंग भी होते थे। इन स्थितियों को संयत करने के लिये पुलिस के अतिरिक्त कर्मी अन्य जिलों से तैनात किये जाते थे। 1-2 वर्षों में 31 की रात्रि 1-2 लोगों की नगर में गिरने से मौत भी हुईं।

होटलों में नये वर्ष के स्वागत के लिये दो रात-तीन दिन के पैकेज भी खूब चलते थे। वहां बाहर से कलाकार भी खास तौर पर नये वर्ष के स्वागत के लिये मंगाये जाते थे। कई स्थानीय गायक भी होटलों में महफिलें सजाते थे। होटलों से रंग-बिरंगी घूमने वाली स्पॉट लाइटें आसमान की ओर छोड़ी जाती थीं। मध्य रात्रि घड़ी की सुइयों के मिलते ही नगर में जोरदार आतिषबाजी होती थी।

लोग एक-दूसरे को न जानते हुये भी गले-मिलकर बधाई देते थे और इसके बाद भी जश्न का सिलसिला चलता रहता था। नये वर्ष के दौरान बढ़े काम के बाद कई होटल शीतकाल के लिये बंद भी हो जाते थे। 2017 में पर्यटन व्यवसायियों के विरोध-प्रदर्शनों के बावजूद ऐसी रही थी 31 दिसंबर 2017 को सैलानियों की भीड़ :

लेकिन इस वर्ष स्थिति यह रही कि नगर के होटल भी नहीं भर पाये। मॉल रोड पर रेडियो से भी धीमी, सुनी भी न जा सकने वाली गति से केवल गीतों की धुनें बजीं। कुछ सैलानी अपने लाउड स्पीकर लाकर नाचते दिखे। इसके अलावा शहर में कमोबेश पूरी तरह से उत्साह नदारद और शांति दिखी। नैनीताल के साथ ही आसपास के स्थलों में भी सैलानी नहीं पहुंचे। इससे शीतकाल में सैलानियों की कम आवक के बीच इस दौरान खर्चें निकाल लेने की उम्मीद कर रहे पर्यटन व्यवसायी भी निराश से दिखे।

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2017 से बिगड़े हालात

नैनीताल। इन स्थितियों की शुरुआत 2015 के बाद से नगर में सैलानियों के प्रवेश पर पाबंदियां लगाने से होने लगी थी। 2017 तक स्थितियां इतनी बिगड़ीं कि उस वर्ष भी 31 अक्टूबर 2017 को रविवार की शाम नगर में व्यवसायियों के साथ आम सामाजिक लोगों ने ‘आज पार्किंग नहीं तो गाड़ी रुकवाते हो-कल गेहूं न होगा तो जहर दिलाओगे.., जाम तो एक बहाना है, अंग्रेजी शासन लाना है, रोडवेज बस शहर में आ सकती है तो पर्यटक बस क्यों नहीं,

नैनीताल पर्यटन स्थल है-इसे पर्यटन स्थल रहने दो, हड़पो नहीं, नैनीताल में वीवीआईपी जमावड़ा क्यों, टैक्सी से नैनीताल प्रतिबंधित मोहर हटाओ, रोजी-रोटी पर तकरार-यह कैसा मौलिक अधिकार’ सरीखे नारे लिखी पट्टियों के साथ नव वर्ष के स्वागत की जगह सरोवरनगरी ऐसे नारों से शाम ढलते गूंज उठी, और अंधेरा घिरने के साथ दिन में भी आंख मूंदे हुक्मरानों को रोशनी दिखाने को हाथों में मोमबत्तियां जल उठीं।

लोग कदम से कदम मिलाते हुए गहरी नाराजगी के साथ मल्लीताल रामलीला मैदान से एकत्र होकर तल्लीताल तक आक्रोश के साथ गए और वापस लौटे। इइन स्थितियों के दौरान मॉल रोड को सजाया भी नहीं गया और मॉल रोड पर गीत-संगीत का आयोजन भी नहीं हुआ।

इसके बाद अगले वर्ष 2018 में भी गीत-संगीत के कार्यक्रम नहीं हुए और यह सिलसिला आगे भी जारी रहा। 2020-21 के दौरान कोरोना आने से स्थितियां और खराब होती चली गयीं। इधर दो वर्ष से वापस मॉल रोड को सजाना फिर से शुरू किया गया है, लेकिन स्थितियां सुधरती नजर नहीं आ रही हैं।

नगर क्षेत्राधिकारी विभा दीक्षित ने कहा कि इस वर्ष 31 दिसंबर को नगर में आने वाले सैलानियों की संख्या इतनी कम रही कि किसी भी सैलानी को नगर में आने से नहीं रोका गया और 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक के लिये बनायी गयी 6 स्तरीय यातायात योजना को लागू ही नहीं करना पड़ा।

नैनीताल की स्थितियों के खराब होने के कुछ कारण

इन स्थितियों के पीछे बीते वर्षों में लगातार नये वर्ष और ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन से पहले नैनीताल के पैक होने, वाहनों को यहां तक कि ऊधमसिंह नगर में उत्तर प्रदेश की सीमा से और आगे मोटाहल्दू, कालाढुंगी व रानीबाग तथा रूसी बाइपास, नारायण नगर आदि में वाहनों को रोकने व अन्यत्र भेजने, बिना बुकिंग वाले सैलानियों के चार पहिया वाहनों के साथ दोपहिया वाहनों से लोगों को न आने देने,

नगर में पंजीकृतों से कई गुना अधिक की संख्या में मौजूद गैर पंजीकृत होटलों की नगर में आने वाले सैलानियों की संख्या की हिसाब से मनमाने तरीके से बढ़ने वाली दरों, होटल स्वामियों द्वारा अपने होटलों को लीज पर दे दिये जाने, नगर में सक्रिय गैर पंजीकृत गाइडों, घोड़े, टैक्सीवालों आदि की मनमानी व सैलानियों को बेवकूफ बनाने जैसी हरकतों की वजह से भी नैनीताल के प्रति क्रेज के घटने के कुछ प्रमुख कारण बताये जा रहे हैं।

ऐसे में नगर के पर्यटन व्यवसायियों के साथ अपरोक्ष तरीके से भी पर्यटन से जुड़े नागरिक पूछ रहे हैं कि नैनीताल के प्रति सैलानियों के घटता क्रेज किसी साजिश के कारण तो नहीं है ? इस प्रश्न का जवाब हर किसी को खोजना भी चाहिये।

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यह भी पढ़ें : Happy New Year : नए वर्ष पर पूरी रात मस्ती ! उत्तराखंड सरकार ने जारी किए बड़े आदेश, पर तारीख बताना शायद भूल गए…

नवीन समाचार, देहरादून, 27 दिसंबर 2023। उत्तराखंड सरकार ने नव वर्ष के मौके के लिए हिमांचल प्रदेश की तर्ज पर रेस्टोरेंट, होटल एवं ढाबा आदि को 24×7 की अवधि खुले रखने के आदेश जारी किए हैं। अलबत्ता आदेश में यह नहीं बताया गया है कि आदेश कब से कब तक लागू रहेंगे। 

सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के हस्ताक्षरों से जारी आदेशों के अनुसार “उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन एवं सेवा शर्त) अधिनियम, 2017” के प्राविधानों के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य में रेस्टोरेंट, होटल एवं ढाबा आदि को 24×7 की अवधि खुले रखने की अनुमति प्रदान की गयी है। इसके साथ ही उक्त प्रतिष्ठानों में दिन एवं रात्रि दोनों पालियों में सभी कर्मकारों को कतिपय शर्तों के अधीन कार्य करने की भी अनुमति दी गयी है।

आदेश में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में नव वर्ष, 2024 के आगमन अवसर पर अन्य राज्यों से भारी मात्रा में पर्यटक उत्तराखण्ड राज्य में आ रहे हैं। अतः पर्यटकों की सुविधा के दृष्टिगत सभी रेस्टोरेंट, होटल एवं ढाबा आदि के मालिकों से अपील है, कि श्रम विभाग के उक्त कानून के अन्तर्गत अपने-अपने रेस्टोरेंट, होटल एवं ढाबा आदि को 24×7 की अवधि में खुला रखने का कष्ट करें।’

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यह भी पढ़ें : Happy New Year :  31st पर नये वर्ष के स्वागत के लिये नैनीताल तैयार, इस बार आसमान से झरेंगे सितारे… सप्ताहांत के बाद भी जमे सैलानी…

नवीन समाचार, नैनीताल, 18 दिसंबर 2023। सरोवरनगरी नैनीताल में नये वर्ष (Happy New Year) के स्वागत का जश्न इस बार खास होने वाला है। नैनीताल होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने इसके लिये तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।

एसोसिएशन की कोशिश है कि इस बार नगर के प्रमुख आकर्षण नैनी सरोवर के किनारे करीब डेढ़ किमी लंबी मॉल रोड एक बार फिर न केवल अच्छे लाउड स्पीकरों से संगीत की स्वर लहरियों के साथ ‘डांसिंग फ्लोर’ में तब्दील हो जायेगी, बल्कि इस दौरान मॉल रोड किनारे के बड़े आकर्षण अफगानी चिनार के पेड़ों पर ऐसी रोशनी की लड़ियां लगाये जाने की तैयारी है, जिनसे सितारे आसमान से जमीं पर झरते-गिरते से नजर आयेंगे।

इसके अलावा नगर के प्रमुख होटलों के द्वारा नये वर्ष (Happy New Year) के स्वागत के लिये अपनी ओर से भी अलग से विशिष्ट तैयारियां की जा रही हैं। नैनीताल होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट ने नए वर्ष के स्वागत के लिए मॉल रोड को तल्लीताल से लेकर मल्लीताल गोल घर चौराहे तक मॉल रोड पर और चिड़ियाघर रोड पर रंग-बिरंगी बिजली की लड़ियां और जगह-जगह रंग-बिरंगी सितारे झरते से लगने वाली लाइटें लगाने की कोशिश है, जबकि पिछली बार पेड़ों को फोकस लाइटों के नए प्रयोग से सजाया गया था।

संभवतया इन्हीं तैयारियों का प्रभाव है कि सरोवरनगरी में सोमवार को सप्ताहांत के बाद भी सैलानियों की खासी रौनक दिखाई दी है। नैनी झील में रंग-बिरंगी नौकाओं के साथ मॉल रोड पर सैलानी सैर करते हुये हुये नगर में सर्दियों की गुनगुनी धूप का आनंद लेते हुये रोमांचित हो रहे हैं। ऐसे में सैलानी सप्ताहांत पर भी नगर में आते अधिक लौटते कम नजर आये हैं।

परिवारों के साथ नगर में देशी-विदेशी सैलानियों के बड़े-बड़े ग्रुप भी पहुंच रहे हैं। फलस्वरूप सोमवार को सप्ताहांत के बाद भी डीएसए मैदान स्थित नगर की प्रमुख कार पार्किंग वाहनों से भरी हुई है। तल्लीताल में आगे खिसकाई गयी लेक ब्रिज चुंगी के साथ मल्लीताल पंत मूर्ति से पहले वाहनों की कतारें-जाम भी नजर आ रहा है।

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यह भी पढ़ें : नैनीताल (Happy New Year) : मध्य रात्रि के बाद तक चला हुड़दंगियों का जश्न, सिर भी फूटे… ऐसी रही बीतते साल की आखिरी शाम और नए वर्ष का पहला दिन…

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2023। आखिर एक वर्ष के इंतजार के बाद नया साल आ गया। सभी को नया वर्ष मुबारक (Happy New Year)। बहुत लोगों की बीते वर्ष की आखिरी शाम नाचते-झूमते हुए और नए वर्ष का पहला दिन मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुई। यही भारतीय सभ्यता की खूबसूरती है, जो 75 वर्ष पूर्व अंग्रजों को देश से भगाने के बावजूद उनके अंग्रेजी कलेंडर को हल्की झिझक के बावजूद पूरे जोश से मनाते हैं। देखें वीडियो:

एक-दूसरे को नए वर्ष की मुबारकबाद (Happy New Year) देते हैं। नए वर्ष के लिए कुछ पुरानी बुरी आदतों को त्यागने और कुछ नया बेहतर करने के नए संकल्प लेते हैं। यह भी पढ़ें : नैनीताल: 45 अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण पर अगले आदेशों तक रोक देखें विडिओ :

बहरहाल, पर्यटननगरी नैनीताल की बात करें तो यह भी सच है यहां नए वर्ष के स्वागत (Happy New Year) के उल्लास का मतलब हुड़दंग भी रहता है, और इसमें उस शराब की भी बड़ी भूमिका रहती है, जिसके बारों को सरकार ने इस वर्ष 24 घंटे के लिए खोल दिया था।

(Happy New Year) कोरोना के दो वर्ष के व्यवधान के बाद बीती एक शाम कितने करोड़ों की शराब गटक ली गई और कितने बकरों और मुर्गों की बलि चढ़ी, इसके सही-सही आंकड़े अभी मिलने मुश्किल हैं, लेकिन यह विचारणीय प्रश्न अवश्य है। यह भी पढ़ें : वह लड़के सामने आए, जिन्होंने दुर्घटना के बाद ऋषभ पंत का नगदी से भरा सूटकेस निकाला था…

यह भी है कि बीते वर्ष की आखिरी रात्रि, मध्य रात्रि के बाद तक उत्साह-उल्लास से इतर हुड़दंग की शक्ल में चला जश्न आम लोगों की शांति भंग करने और डराने वाला था। चला इस दौरान कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई, यह बड़ी राहत की बात है। अबलत्ता छोटी-छोटी कई घटनाएं हुई हैं। नगर के तल्लीताल क्षेत्र में नव वर्ष (Happy New Year) मनाने घर आए एक युवक का नाबालिग किशोरों ने पत्थरों से सिर फोड़ दिया।

(Happy New Year) उसके सिर में रात्रि दो बजे बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में करीब आधा दर्जन टांके लगाने पड़े। उसका महंगा आईफोन भी छीन लिया गया। गनीमत रही कि सुबह मोबाइल क्षतिग्रस्त अवस्था में ही सही वापस लौटा दिया गया। यह भी पढ़ें : क्रिकेटर ऋषभ पंत के स्वास्थ्य पर आई अपडेट, जानें कब तक लौटेंगे मैदान में….

अलबत्ता यह भी सुखद है कि अनेक लोगों ने नए वर्ष (Happy New Year) की शुरुआत अपने घरों के साथ नगर के, नगर की आराध्य देवी माता नयना के साथ नगर के सबसे पुराने पाषाण देवी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना से ही। घोड़ाखाल एवं कैंची धाम मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।

पूरे दिन लोग सोशल वीडियो के ग्रुपों और ब्रॉडकास्ट्स व अनाउंसमेंट्स के जरिए थोक के भाव आ रहे नए वर्ष के शुभकामना संदेशों के जवाब देने और खास परिचितों को फोन पर बधाई देने में व्यस्त रहे। नगर की मुख्य कार पार्किंग भरी रही, नैनी झील में नौकायन और मॉल रोड में टहलते काफी संख्या में सैलानी नजर आए।

(Happy New Year) अलबत्ता, नगर में शांति महसूस की गई। आसमान में बादलों की मौजूदगी के साथ सूर्यदेव की आंखमिचौली के साथ धूप-छांव का खेल चलता रहा, और ठंड महसूस की गई। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : ‘काले-मैकालों’ का नया साल सबको मुबारक (Happy New Year) हो यारो !

भारत में अंग्रेजी शिक्षा के प्रवर्तक ‘लॉर्ड मैकाले’ ने कभी अपने पिता को पत्र लिखा था-‘आप आस्वस्त रहें, हमें भारत को छोड़ना भी पड़े तो हम यहां ऐसे काले अंग्रेजों को छोड़ जाएंगे, जो अपनी सभ्यता, संस्कृति, स्वाभिमान और शर्म तक भले छोड़ दें पर अंग्रेजियत नहीं छोड़ेंगे… इसकी जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं।”

(Happy New Year) जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए तो मैकाले को पता नहीं था कि जो काले अंग्रेज, भारत में रहेंगे वे धर्म व संस्कृति के ठेकेदार बन देश को लूटने में बढ़-चढ़ कर भाग भी लेंगे। शायद भारत की ऐसी हालत देख लॉर्ड विलियम वेंटिंग के जमाने में पकड़े गए ठग पिण्डारियों की रूह भी कॉंप रही होगी। इस आंग्ल नव वर्ष पर महाकवि तुलसी की एक चौपाई “बिछुड़त एक प्राण हर लेहीं, मिलत एक दारुण दु:ख देहीं” के साथ यादों के इन्हीं गलियारों से निकली है केसी पंत ‘किसन” सेवानिवृत्त अध्यापक, हरी निवास, सूखाताल, नैनीताल की यह कविता-

नया साल ये नाजिर ये हाजिर है यारो, है गैरत ये गुमसुम शहर पुरसॉं वालो।
मुबालगा नहीं, ये ना बोहतान यारो, हकीकत जो देखा, बयॉं है वो यारो।।
नये साल का जश्न दीवाने देखो, ये तारीख पहली के परवाने देखो।
बेहया बेअदब ये नकलनवीस देखो, कबीले ये ‘काले-मैकालों” के देखो।।
ये घोटाले सरदार सालार देखो, ये मजमा हुम्करानों का मखमूर देखो।

जरा इन रकीबों के औसाफ देखो, नफासत, बंदर नंग नीलाम देखो।।
ये पार्टी में चौबंद चमचों को देखो, थी काकाकशी, आज गुलछर्रे देखो।
‘इनामी पदम” जानी बदारी देखो, गिरह गॉंठ दस्तक ये दिल्ली तक देखो।।
ये उस्ताद नायाब उस्तादी देखो, ये मक्कार नक्काल तालीमी देखो।
सरकार कुमुक भाई मौसेरे देखो, ये तारीख में दर्ज तकदीरी देखो।।

हरियाली हजामत कारोबार देखो, सफाई में जुटते चिरागी ये देखो।
ये गारदगरी झील गारद भी देखो, ये रिश्वत रिसाला की किस्में भी देखो।।
सितारा बुलंद डाकू सरकारी देखो, पुलिसिया सलाम ठाट बंगलों में देखो।
गैर सरकारी डाकू की किस्मत भी देखो, सर पे डंडे पुलिस डेरा कैदखाना देखो।।
दरिया चंबल के वीरान बीहड़ वो देखो, सियासी ये अब इन डकैतों को देखो।

ये ‘जिन सवार” मजहबी ये खुदगर्ज देखो, फितूरी ये मकबूल महफूज देखो।।
मुशायरा, कवि गोष्ठी के बुनकर भी देखो, ये हाकी की मजलिस, फोतेदार देखो।
ये ड्रामा की डफली, डफालची भी देखो, कमाई है गफ्फा, ये गालिब भी देखो।।
ये पुतला जलाते वतनपरस्त देखो, वतनफरोश बेखौफ मंडराते देखो।
ये चौकी पुलिस गश्त सुस्ती भी देखो, जमैयत में गुत्थम, ये जमहूरी देखो।।

साहबा वो फलादी को क्लबों में देखो, ‘किसन” संग हसीना हरफगीर देखो।
खबरगीर नामानिगारों को देखो, है पहचान गुम, जोड़ी असली ये देखो।।
शराब और शबाब, जरा मुड़के भी देखो, चूल्हे जलते कभी ऐसे घर भी तो देखो।
ये बेआब बेहाल वतनी भी देखो, दुआ देंगे ये सब, खबर लेके देखो।
तोबा लत ये बुरी जरा हट के भी देखो, ये ईमान अब और बिगड़ा न देखो।
खुदा का फजल, उसकी फैयाजी देखो, उसकी रहमत दुआगोई खुशहाली देखो।।

कठिन शब्दार्थ: नाजिर-निरीक्षक, गैरत-शर्म, पुरसॉं-खोज-खबर लेने वाला, मुबालगा-अतिशयोक्ति, बोहतान-झूठा अभियोग, मखनूर-नशे में चूर, औसाफ-खूबियां, रकीबों-प्रेमिका के दूसरे प्रेमी, नफासत-निर्मलता, बदर-दरवाजा, नंग-इज्जत, जानिबदारी-पक्षपात, गारदगरी-लूट खसोट, गारद-पुलिस की टुकड़ी,

जिन सवार-गुस्सैल, मकबूल-मान्य, महफूज-सुरक्षित, फितरी-शरारती, वतनफरोश-देश द्रोही, जमैयत-विधान या संसद, जमहूरी-प्रजातंत्र, हरफगीर-बात की खाल निकालने वाला, फजल-कृपा, फैयाजी-उदारता, रहमत-करुणा, दुआगोई-दुआ। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Happy New Year) : अंग्रेज हमारे कलेंडर से प्रभावित और हम उनके…. बहरहाल ‘नवीन समाचार’ के सभी पाठकों को नूतन कलेंडर वर्ष 2023 की हार्दिक बधाइयाँ (Happy New Year) … शुभकामनाएं…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2023। अंग्रेजी ग्रेगोरियन कलेंडर के नए वर्ष पर सभी को बधाई(Happy New Year) । इस मौके पर यह जानना भी जरूरी है कि पूर्व में अंग्रेजी कलेंडर भी भारतीय कलेंडर जैसा और भारतीय समृद्ध काल गणना ज्ञान से प्रभावित था। 1752 से पहले अंग्रेजी कलेंडर भी भारतीय कलेंडर की तरह अप्रैल माह में शुरू होता था।  यह भी पढ़ें : नए वर्ष का जश्न (Happy New Year) शुरू, एक ओर 24 घंटे खाने-पीने के साथ शराब की दुकानें भी खुलेंगी, दूसरी ओर सुरक्षा के लिए ऐसे कड़े होंगे प्रबंध…

हिन्दी में सात को सप्त, आठ को अष्ट, नौ को नवम् व दस को दसम् कहा जाता है। इनके लिए अग्रेजी में सेप्ट तथा ओक्ट कहा जाता है। इन्हीं शब्दों से सेप्टेम्बर या सितंबर और ऑक्टोबर यानी अक्टूबर माह बने हैं। नवम्बर में तो सीधे-सीधे हिन्दी के नवम् को ले लिया गया है तथा दिसंबर माह भी दस की छवि को दिखाता है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में आज नव वर्ष (Happy New Year) के स्वागत के लिए ऐसी है सैलानियों की आवक व व्यवस्थाएं….

ऐसा इसलिए कि 1752 के पहले दिसंबर दसवाँ महीना ही हुआ करता था। इसका एक प्रमाण और है..
जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-Mas क्यों कहा जाता है? इसका उत्तर ये है की X रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और Mas यानि मास अर्थात महीना चूंकि दिसंबर दसवां महीना हुआ करता था

(Happy New Year) इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानि X-Mas से प्रचलित हो गया इन सब बातों से ये निष्कर्ष निकलता है कि या तो अंग्रेज हमारे पंचांग के अनुसार ही चलते थे या उनका वर्ष 12 के बजाय 10 महीनों का ही हुआ करता था। यह भी पढ़ें : क्रिकेटर ऋषभ पंत के स्वास्थ्य पर आई अपडेट, जानें कब तक लौटेंगे मैदान में….

इससे साफ है कि प्राचीन काल में अंग्रेज भारतीयों के प्रभाव में थे इस कारण सब कुछ भारतीयों जैसा ही करते थे, और इंग्लैंड ही क्या पूरा विश्व ही भारतीयों के प्रभाव में था। इसका और प्रमाण यह है कि नया साल भले ही वे 1 जनवरी को मान लें पर उनका नया वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से ही शुरू होता है।

(Happy New Year) लगभग पूरे विश्व में वित्त-वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक होता है यानि मार्च में अंत और अप्रैल से शुरू। इस तरह पूरे विश्व को भारतीयों ने वैज्ञानिक काल गणना दी थी। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में शादीशुदा युवक पर अपनी बिजनेस पार्टनर युवती से शराब पिलाकर दोस्तों सहित दुष्कर्म करने, गर्भपात कराने का आरोप

इसका अन्य प्रमाण भी है, अंग्रेज अपना तारीख या दिन 12 बजे रात से बदल देते है दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है तो 12 बजे रात से नया दिन का क्या तुक बनता है ? तुक इसलिए बनता है भारत में नया दिन सुबह से गिना जाता है, सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले के समय को ब्रह्म-मुर्हूत की बेला कही जाती है और यहाँ से नए दिन की शुरुआत होती है यानि की करीब 5-5.30 बजे के आस-पास और इस समय इंग्लैंड में समय 12 बजे के आस-पास का होता है।

(Happy New Year) चूंकि वो भारतीयों के प्रभाव में थे इसलिए वो अपना दिन भी भारतीयों के दिन से मिलाकर रखना चाहते थे। इसलिए उन लोगों ने रात के 12 बजे से ही दिन नया दिन और तारीख बदलने का नियम अपना लिया। यह भी पढ़ें : शांत पहाड़ों पर मिला पाकिस्तानी झंडा, राज्य के साथ केंद्रीय एजेंसियां भी जांच में जुटीं..

कमोबेस भारतीय कलेंडर जैसा ही था दुनिया का प्राचीनतम कलेंडर

वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक प्रचलित कलेंडर को ‘ग्रेगोरियन कलैंडर’ कहा जाता है। इसकी शुरूआत यूनान में प्रचलित ‘ओलम्पियद कलेंडर’ से हुई। रोम नगर की प्रतिष्ठा के दिन से यह कलेंडर ‘रोमन कलेंडर’ कहलाने लगा। इस पारंपरिक रोमन कलेंडर का नव वर्ष (Happy New Year) भारतीय हिन्दू नववर्ष के चैत्र माह के आस-पास ही मार्च माह से शुरू होता था, जिसमें 304 दिन का वर्ष माना जाता था।

इसका पहला माह मार्टियस-Martius (31 दिन), दूसरा अप्रिलिस-Aprilis (30 दिन), तीसरा मेयस-Maius (31 दिन), चौथा लूनियस-Iunius (30 दिन) पांचवां क्विनटिलिस-Quintilis (31 दिन), छठा सेक्सिटिलिस-Sextilis (30 दिन), में 7वां सेप्टेम्बर-September (30 दिन), 8वाँ  ऑक्टोबर- October (31 दिन), 9वाँ नवम्बर-November (30 दिन) और 10वाँ दिसंबर-December (31 दिन) थे।

(Happy New Year) इन नामों में आखिरी चार महीनों के नामों की भारतीय अंकों संस्कृत के सप्तम, अष्टम, नवम और दशम से साम्यता रोमांचित करने के साथ ही भारत की तत्कालीन समृद्ध ज्ञान परंपरा की की ओर इशारा करती है। बाद में इसके शुरू में 29 दिन के Ianuarius (वर्तमान जनवरी) और 28 दिन  के Februarius  (वर्तमान फरवरी) को जोड़ा गया आगे 46 ईशा पूर्व में प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने इसमें सुधार कर ‘जूलियन कलेंडर’ तैयार किया, जिसके एक वर्ष में 12 माह और 365 दिन तय किये गए।

तब इस कलेंडर का सातवाँ माह लूनियस और आठवां माह क्विनटिलिस ही था, जिसे बाद में उनके सम्मान में उनके नाम पर ही जुलाई और उनके भतीजे व रोम के अगले सम्राट औगस्टस के नाम के आधार पर ‘अगस्त’ किया गया। 

1582 में 13वें पोप ग्रेगरी ने उस दौर में प्रचलित  के एक वर्ष में 0.002% का संसोधन कर इस कलेंडर को तैयार किया था। तभी से इसे ‘ग्रेगोरियन कलैंडर’ कहा जाता है। उन्होंने  इस कलेंडर में ईसवी सन् की गणना ईसा मसीह के जन्म से तीन वर्ष बाद से की गयी। ईसा के जन्म के बाद ही जनवरी को पहला मास माना गया।

बावजूद भारत में अंतरराष्ट्रीय अंक 1,2,3… आदि की तरह भारत सरकार ने 1957 में इसी ग्रेगरियन कलेंडर को स्वीकार किया, और भारतीय लोगों की भावनाओं का ध्यान में रखते हुए चैत्र माह से शुरू होने उज्जयिनी सम्राट महाराज विक्रम के विक्रमी संवत यानी हिन्दू नव वर्ष (Happy New Year) को भी खानापूर्ति के लिये साथ में स्वीकार किया।

समय की शुद्ध गणना नहीं, 1752 में करने पड़े 12 दिन गायब, अब भी आता है हर वर्ष 1 पल का अंतर

(Happy New Year) वर्ष 1752 का रोचक इतिहास, जब 2 सितम्बर के अगले दिन सीधे आया 14 सितम्बर
वर्ष 1752 का रोचक इतिहास, जब 2 सितम्बर के अगले दिन सीधे आया 14 सितम्बर

क्या हम जानते हैं भारतीय समय गणना दुनिया में सर्वश्रेष्ठ और आधुनिक वैज्ञानिक गणना से कहीं अधिक बेहतर है। वर्तमान में दुनिया में मान्य अंग्रेजी ग्रेगेरियन कलेंडर में लगातार कुछ अंतराल में घड़ियों के समय को पीछे करना पड़ता है। वर्ष 1752 के सितंबर माह में तो 11 दिन यानी करीब एक पखवाड़ा ही कलेंडर से गायब करने पड़े थे, और दो सितंबर के बाद सीधे 14 सितंबर की तिथि आ गई थी, यानी सितंबर 1752 के तीन, चार, पांच से लेकर 13 तक की तिथियों का कोई ऐतिहासिक अस्तित्व ही नहीं है।

इसके उलट भारतीय समय गणना एक-एक सेंकेंड का सटीक हिसाब रखती है। यहां तक कि यह भी बताया गया है कि सृष्टि की शुरुआत कब हुई।

पश्चिमी दुनिया से प्रचलित हुए मौजूदा ग्रेगोरियन कलेंडर में समय की गणना के अनुसार हमेशा काफी अशुद्धियाँ प्रकाश में आती रहीं। इसलिए समय-समय पर इसमें कई संसोधन किये जाते रहे। रोमन सम्राट जूलियस सीजर के बाद छठी शताब्दी मे डायोनिसियस ने इसमें फिर संशोधन किये, बावजूद इनमें भारतीय गणनाओं के अनुसार प्रति वर्ष 27 पल, 55 विपल का अन्तर पड़ता ही रहा। सन् 1752 में यह अन्तर बढ़ते-बढ़ते 11 दिन का हो गया।

(Happy New Year) तब पोप ग्रेगरी ने आज्ञा निकाली कि इस वर्ष 2 सितम्बर के पश्चात ठीक अगले दिन यानी 3 सितम्बर को 14 सितम्बर कहा जाय और जो ईस्वी सन् 4 की संख्या से विभाजित हो, वह ‘लीप इयर’ कहा जाये और उसका फरवरी मास 29 दिन का हो। वर्ष का प्रारम्भ 25 मार्च के स्थान पर 1 जनवरी से माना जाय। इस आज्ञा को इटली, डेनमार्क, हॉलैण्ड ने उसी वर्ष स्वीेकार कर दिया।

(Happy New Year) जर्मनी और स्विजरलैण्ड ने सन् 1759 में, इग्लैण्ड ने सन् 1859 में, प्रशिया ने सन् 1835 में, आयरलैण्ड ने सन् 1839 में और रूस ने सन् 1849 में इसे स्वीकार किया। इतना संशोधन होने पर भी इस ईस्वी सन् में सूर्य की गति के अनुसार प्रतिवर्ष एक पल का अन्तर पड़ता है। सामान्य दृष्टि से यह बहुत थोड़ा अन्तर है, पर गणित के लिये यह एक बड़ी भूल है।

3600 वर्षों के बाद यही अन्तर 1 दिन का हो जायेगा और 36,000 वर्षों के बाद 10 दिन का और इस प्रकार यह अन्तर चालू रहा तो किसी दिन जून का महीना वर्तमान दिसंबर-जनवरी के शीत काल में पड़ने लगेगा। इसके इतर भारत के परंपरागत विक्रमी सम्वत् में आज तक कोई अंतर नही पड़ा और न आगे पड़ने की सम्भावना है। अतएव यह आवश्यकता भी महसूस की जा रही है कि विशुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त विक्रमी संवत को भारत का राष्ट्रीय सम्वत् विक्रम सम्वत् घोषित किया जाए।

(Happy New Year) उज्जैन के समय से दिन के समय का निर्धारण हो। घंटा, मिनट, सेकेंड के स्थान पर होरा, बिहोरा, प्रति बिहोरा रखे जाएं। 6 बजे के स्थान पर ‘इष्टकल’ शब्द का प्रयोग हो दिन का प्रारम्भ वर्तमान 7 बजे को 1 मानकर हो और 12 बजे दिन तथा 12 बजे रात्रि की समाप्ति मानी जाय।

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दुनियां के अलग-अलग कलेंडर

अलबत्ता दुनिया भर में तमाम कलेंडर प्रचलित हैं, और हर कैलेंडर का नया साल अलग-अलग होता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार अकेले भारत में ही करीब 50 कलेंडर (पंचाग) हैं, और इनमें से कई का नया साल अलग-अलग दिनों पर होता है। एक जनवरी को मनाया जाने वाला नव वर्ष ग्रेगोरियन कलेंडर पर आधारित है, जिसकी शुरूआत रोमन कलेंडर से हुई, जिसका नव वर्ष एक मार्च से शुरू होता है।

(Happy New Year) ईसाइयों का एक अन्य पंथ ईस्टर्न आर्थोडाक्स चर्च तथा इसके अनुयायी ग्रेगरियन कैलेंडर को मान्यता न देकर पारंपरिक रोमन कैलेंडर को ही मानते हैं। इस कैलेंडर की मान्यता के अनुसार जार्जिया, रूस, यरूशलम, सर्बिया आदि में 14 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है।

वहीँ इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से जाना जाता है। इसका नव वर्ष मोहर्रम माह के पहले दिन होता है। हिजरी कैलेंडर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को ‘आशूरा’ के रूप में जाना जाता है। इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हुए थे।हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प बात है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है।

(Happy New Year) लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं। इसी तरह प्राचीन सभ्यताओं के देश चीन का कलेंडर भी चंद्र गणना पर आधारित है। इसका नया साल 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है। चीनी वर्ष के नाम चीनी ज्योतिष में वर्णित 12 राशियों की तरह 12 जानवरों के नाम पर रखे गए हैं।

भारत भी कलेंडरों अर्थात पंचाग के मामले में कम समृद्ध नहीं हैं। वर्तमान में देश में विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी संवत, फसली संवत, बांग्ला संवत, बौद्ध संवत, जैन संवत, खालसा संवत, तमिल संवत, मलयालम संवत, तेलुगु संवत आदि तमाम कलेंडर प्रचलित हैं। इनमें से हर एक के अपने अलग-अलग नव वर्ष होते हैं। देश में सर्वाधिक प्रचलित संवत विक्रम और शक संवत है। माना जाता है कि विक्रम संवत गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जयिनी में शकों को पराजित करने की याद में शुरू किया था।

(Happy New Year) यह संवत 58 ईसा पूर्व शुरू हुआ था। विक्रम संवत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। इसी समय चैत्र नवरात्र का प्रारंभ होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन उत्तर भारत के अलावा गुड़ी पड़वा और उगादी के रूप में भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष मनाया जाता है। सिंधी लोग इसी दिन चेटीचंड के रूप में नववर्ष मनाते हैं।

(Happy New Year) वहीं शक सवंत को शालीवाहन शक संवत के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ई. में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में अपना लिया। राष्ट्रीय संवत का नववर्ष 22 मार्च को होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है।

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-चार साल के बाद नए वर्ष के स्वागत में ‘डांसिंग फ्लोर’ बन जाएगी नैनीताल की मॉल रोड…

नवीन समाचार, नैनीताल, 28 दिसंबर 2022(Happy New Year)। पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल की मॉल रोड को कोरोना के दो वर्ष और उससे भी दो वर्ष पहले 2018 की तरह, बल्कि उससे भी बेहतर स्वरूप में सजाया गया है। नगर की मॉल रोड को नए वर्ष के स्वागत के लिए बिजली की रंग-बिरंगी रोशनी की लड़ियों के साथ चिनार एवं अन्य पेडों को जगह-जगह रंग-बिरंगी फोकस लाइटों से सजाया गया है।

(Happy New Year)आगे मॉल रोड पर लाउड स्पीकरों के माध्यम से गीत-संगीत के प्रबंध भी किए गए हैं। आगे 31 दिसंबर को मॉल रोड पूर्व की तरह ‘डांसिंग फ्लोर’ बनने जा रही है। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में शुरू हुआ रेलवे व प्रशासन का अतिक्रमण हटाओ अभियान, क्षेत्रवासियों के विरोध के बीच पीलर हदबंदी की कोशिश (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 30 दिसंबर 2021 (Happy New Year)। नववर्ष 2022 हमारे भावी सपनों को संजोए हुए अपनी तारीखों व दिनों के नवीन समन्वयों के साथ एक कैलेंडर के रूप में हमारे सम्मुख आया है। नववर्ष 2022 का कैलेंडर शनिवार से शुरू होकर शनिवार के दिन को ही समाप्त होगा। ऐसी तारीखों और उन पर पड़ने वाले दिनों के सयोगों से युक्त ऐसा कैलेंडर इस शताब्दी में पहली बार नहीं वरन तीसरी बार आया है।

(Happy New Year) इससे पूर्व 2005 एवं 2011 में भी ऐसे ही कैलेंडर का संयोग आया था। जबकि इस सदी के आगामी वर्षो 2033, 2039, 2050, 2061, 2067, 2078, 2089 एवं 2095 में भी यानी ककुल 11 बार इसी कैलेंडर का पुनः संयोग आएगा। गौरतलब है कि विगत शताब्दी में भी इस कैलेंडर का संयोग कुल 10 बार 1910, 1921, 1927, 1938, 1949, 1955, 1966, 1977, 1983 तथा 1994 में भी आया था।

(Happy New Year) कैलेंडर से जुड़ी हुई ऐसी रोचक जानकारियां एवं तथ्यों को लखनऊ पब्लिक स्कूल, लखीमपुर खीरी के गणित के शिक्षक अतुल सक्सेना ने अपनी स्वनिर्मित सैकड़ों वर्षों के लिए कैलेंडर-कोड तालिकाओ के आधार पर बताया है। उनके अनुसार कैलेंडर कुल 14 प्रकार के ही होते हैं।

(Happy New Year) सात सामान्य वर्षों के लिए तथा सात लिपि वर्षों के लिए होते हैं। एक ही शताब्दी में कैलेंडर के पुनः संयोग की स्थिति एक निर्धारित अवधि के पश्चात क्रमशः चक्रीय क्रम में 11, 11 एवं 6 वर्षों के बाद ही आती है। इस तरह किसी वर्ष के कैलेंडर का पुनःसंयोग होना एक सामान्य गणितीय प्रक्रिया ही होती है।

(Happy New Year) वर्ष 2022 का अंकीय-कोड कैलेंडर, जनवरी से दिसंबर तक 12 महीनों के लिए क्रमशः 511 462 403, 513 है। किसी दिनांक में इस महीने का कोड जोड़कर सात से भाग करने पर जो शेषफल आता है, वही उसके दिन को दर्शाता है। शून्य से छः तक के आए शेषफल क्रमशः रविवार से शनिवार के दिनों को दर्शाते हैं।

(Happy New Year) जैसे 26 जनवरी 2022 का दिन जानने के लिए 26 में जनवरी का अंक कोड 5 जोड़ने पर आये योगफल 31 को 7 से भाग देने पर भागफल 4 तथा शेषफल 3 आएगा। शेषफल 3 दिन बुधवार का होना दर्शाता है। इसी तरह से 1 फरवरी 2022 के लिए, 1 में फरवरी का माह कोड 1 जोड़ने पर आये योगफल 2 को 7 से भाग करने पर भागफल शून्य तथा शेषफल दो आएगा। शेषफल ‘दो’ मंगलवार का दिन होने को दर्शाता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

॥ॐ॥ 🙏🙏इस उम्मीद व आशाओं के साथ कि हमारी हर सुबह नव वर्ष की तरह आशाओं व उम्मीदों के नए सूरज और हर शाम अभीष्टों व सफलताओं के नए चाँद के साथ आये.. हम आगे बढ़ने के साथ अपनी समृद्ध परंपराओं की जड़ों से भी जुड़े रहें… और अपना भारतीय नव वर्ष-संवत्सर भी मनाएं..

सभी मित्रों को हिन्दू नव वर्ष, नव समवत्सर, गुड़ी पड़वा, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत 2075, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना करने, प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक एवं कलयुग के शुरू होने सहित अनेक विशिष्टताओं युक्त दिन की सुख,शान्ति एवं समृध्दि की मंगलकामनाओं सहित अग्रिम शुभकामनाएं.. भगवान आपको और आपके पूरे परिवार को हमेशा सुख, शांति, समृद्धि व ख़ुशी प्रदान करें, आपकी सभी मनोकामनाएं इस वर्ष पूर्ण होवें… 🙏💐.🙏💐.🙏💐.🙏💐.॥ॐ॥ 💐💐🌷🌹🥀🌻🌼🌸🌺🌿🍀

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नव वर्ष सुहृद प्रिय मंगलमय,
हो राष्ट्र सबल सुजन निर्भय।
मनसा वाचा मति हों सहृदय,
कर्मणा हताश्रय के आश्रय।।

चहुं दिशि प्रवाह सुख शांति मलय,
घर घर ऐसा हो अरुणोदय।
हो शक्ति पुंज भारत जय-जय,
सुख शांति जगत में, युद्ध न भय।।
चहुंमुखी प्रगति धन धान्य धरा,
हर हृदय स्नेहिल प्रेम भरा।

दलगत मतभेद भुला सारा,
रक्षा हित देश की सदा खड़ा।।
आतंक और नक़सलवाद जाल,
क्योंकर अपने ये हुये ब्याल।
कर आत्मनिरीक्षण किसन आज,
निर्माण राष्ट्र श्रम कोटि हाथ।।

संगठित स्वस्थ हो यह समाज,
है चाह किसन शुभ बने काज।
प्रभु यही प्रार्थना यही साध,
साकार स्वप्न हो राम राज।।

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-लोगों ने मंदिरों में जाकर की नए वर्ष की शुरुआत
नवीन समाचार, नैनीताल, 01 जनवरी 2020 (Happy New Year) कोरोना के जानलेवा भय एवं अनेक समस्याओं के बावजूद नैनीताल नये वर्ष का जश्न मनाने के लिए देश भर, खासकर उत्तर भारत के सैलानियों का पहला पसंदीदा पर्यटन स्थल बना रहा।

(Happy New Year) इस दौरान नगर की माल रोड एवं नैनी झील किनारे लोग मध्य रात्रि तक झूमते, मनोरंजन करते रहे। वहीं मनु महारानी, शेरवानी, नैनी रिट्रीट व विक्रम विंटेज आदि होटलों में निर्धारित समय में कोविद-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सैलानियों के मनोरंजन के लिए आंतरिक कार्यक्रम हुए, जहां लोग सर्दी में भी गर्मी का अहसास कराते हुए आनंद लेते देखे गए। कुछ लोगों ने केक भी काटे।

(Happy New Year) नगर में पहुंचे सैलानी यह कहते भी सुने गए कि नैनीताल की 31 दिसंबर की शाम काफी गर्म रही। यहां आराम से घूम पाए, जबकि बरेली, मुरादाबाद व दिल्ली में इस दौरान काफी ठंड रही। वहीं निकटवर्ती खुर्पापाल के एक होटल में निर्धारित अवधि के बाद तक डीजे बजाने की खबरें आईं। वहीं इस दौरान कई मायनों में ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन की यादें भी ताजा हो गईं।

(Happy New Year) नगर में नए वर्ष का जश्न मनाने के लिए हजारों सैलानी जुटे। सैलानियों की संख्या पिछले वर्षों की अपेक्षा कम आंकी गई। लेकिन यह भी सच्चाई है कि बीते कुछ वर्षों से माल रोड पर रोशनी एवं संगीत का प्रबंध न होने से लोग स्पीकर व अलाव वाले स्थानों की तरह नहीं जुटते हैं, इसलिए पूर्व वर्षों की तरह 31 दिसंबर पर भीड़ तभी से नजर नहीं आ रही है। वैसे ही इस वर्ष कोरोना के वैश्विक भय के बीच जैसी भीड़ दिखी, उससे यह संदेश भी गया कि नैनीताल का आकर्षण अब भी पूर्व की तरह बना हुआ है।

(Happy New Year) तमाम असुविधाओं, सैलानियों को शहर से बाहर ही रोके जाने व कोरोना जांच कराए जाने की खबरों एवं खासकर दिल्ली के मीडिया में आई नकारात्मक खबरों के बावजूद नगर में सैलानियों की भीड़ बेहद उत्साहजनक रही। अलबत्ता, कोरोना के नाम पर केवल चेहरों पर आधे-पूरे लटके मास्क ही कोरोना का आभास करा रहे थे। सामाजिक दूरी का खयाल बिल्कुल भी नहीं रखा गया। प्रशासन भी सामाजिक दूरी बनाने के मामले में बिल्कुल उदासीन रहा।

(Happy New Year) माल रोड पर सीमित स्थानों पर ही अलाव की व्यवस्था देखी गई। हाल ही में नैनी झील किनारे लगी कई लाइटों के खराब हो जाने से कई जगह अंधेरा भी रहा। खासकर नगर की हृदय स्थली पंत पार्क पूरी तरह से अंधकार में डूबा रहा। बीते वर्षों में नगर पालिका द्वारा यहां फव्वारे लाखों रुपए खर्च कर रंगबिरंगी रोशनी के साथ सुचारू किए गए थे, जो कि अब बंद ही हो गए हैं। अलबत्ता नगर पालिका का भवन जरूर नए रंगरोगन व कलेवर के साथ नई रोशनियों से जगमगा रहा है।

(Happy New Year) इधर मल्लीताल की बाजार मां नयना देवी व्यापार मंडल द्वारा लगाई गई मल्लीताल पंत पार्क से ही जगमग रंग बदलती रोशनी में नहाई रही और यह सैलानियों के लिए आकर्षण बना रहा। अलबत्ता 31 दिसंबर की शाम भी नगर के अधिकांश प्रतिष्ठान अपने समय पर ही बंद हो गए, इसलिए व्यापारी रोशनियों की वजह से उमड़ कर आए सैलानियों से यथासंभव लाभ नहीं उठा पाए।

(Happy New Year) व्यापार मंडल के द्वारा संस्थापक पुनीत टंडन की अगुवाई में सैलानियों को मास्क वितरित किए गए एवं बाजार के प्रवेश द्वार पर सैनिटाइज किया गया। इस पहल की दूसरे व्यापारिक संगठन के पदाधिकारी भी खुलकर तारीफ करते देखे गए।

(Happy New Year) सैलानी मध्य रात्रि के बाद तक नगर की माल रोड आदि प्रमुख स्थानों पर घूमते एवं खाना खाते, घूमते, मस्ती करते देखे गए। मध्य रात्रि में जैसे ही घड़ी की सुइयां आपस में मिलीं, लोगों ने नगर में आतिशबाजी की एवं एक दूसरे को नए वर्ष की बधाइयां देने का सिलसिला शुरू हो गया।

(Happy New Year) इधर शुक्रवार को नये वर्ष की शुरुआत सुखद रही। लोगों ने धार्मिक स्थलों-मंदिरो आदि में जाकर नए वर्ष की शुरुआत की। कई लोग एवं सैलानी एवं नगर वासी नैना पीक, टिफिन टॉप व कैमल्स बैक के पैदल ट्रेकों पर भी निकले। वहीं नगर में आने वाले वाहनों का आवागमन संयत बना रहा। अलबत्ता चीना बाबा मंदिर से बीडी पांडे जिला चिकित्सालय तथा लोवर माल रोड आदि स्थानों पर कई बार वाहनों की कतारें भी लगी रहीं।

(Happy New Year) रूसी बाइपास व नारायण नगर से वाहनों को नगर में आने दिया गया। नगर में सैलानियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र नैनीताल जू खुला रहा। केव गार्डन, लेक व्यू प्वॉइंट, हिमालय दर्शन, लवर्स प्वॉइंट, लैंड्स इंड, टिफिन टॉप आदि स्थानों पर भी सैलानियों की भीड़भाड़ बनी रही। नैनी झील में भी नौकाओं का मेला सा लगा रहा।

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-वाहनों को नारायण नगर में रोककर शटल टैक्सियों से शहर में भेजा गया

नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसम्बर 2020 (Happy New Year) पर्यटन नगरी सरोवरनगरी में शुक्रवार को क्रिसमस के अवसर पर आने वाले सैलानियों की भीड़भाड़ बढ़ गई। खासकर कालाढुंगी की ओर से बड़ी संख्या में सैलानी अपने वाहनों से नगर में आने के लिए पहुंचे।

(Happy New Year) अपराह्न करीब दो बजे ही नगर की मुख्य डीएसए कार पार्किंग भर जाने पर इन वाहनों को नगर से करीब पांच किमी पहले नारायण नगर में ही रोककर प्रस्तावित पार्किंग के मैदान में खड़ा करवाया गया, एवं सैलानियों को वहीं कोरोना के दृष्टिगत तापमान लेते हुए स्क्रीनिंग एवं जरूरत पड़ने पर कोरोना जांच हेतु नमूना लेने के बाद शटल टैक्सियों के माध्यम से शहर में भिजवाया गया।

(Happy New Year) इससे नगर में वाहनों की संख्या नियंत्रित रही। अलबत्ता, नगर में सैलानियों की अच्छी खासी संख्या रही। नैनी झील में नौकाओं एवं नगर की माल रोड व मल्लीताल क्षेत्र में सैलानियों का मेला जैसा लगा रहा। इधर क्रिसमस एवं नए वर्ष पर व्यवस्थाओं पर डीएम सविन बंसल ने स्थिति साफ करते हुए बताया कि नगर में सैलानियों के आवाजाही पर कोई रोक-टोक नही है।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2019 (Happy New Year) । बीते साल की विदाई और नये साल के स्वागत के जश्न में एक दिन में 12 करोड़ रुपये की शराब पिये जाने और हजारों बकरों व मुर्गों के बलि चढ़ने का सोचनीय समाचार है। ‘

(Happy New Year) 31 दिसंबर की शाम से ही जिले की 29 विदेशी और 31 देसी शराब की दुकानों के साथ ही जिले में अस्थायी लाइसेंस पर चल रहे बारों में जिले की किसी भी अन्य दुकान या मॉल से अधिक, पियक्कड़ों का तांता लगा हुआ था, यहां तक कि कई जगह शराब लेने के लिए धक्का-मुक्की तक हुई।

(Happy New Year) वहीं इसके बाद शराब पीने-पिलाने का सिलसिला पुराने साल ही मध्य रात्रि के नये साल में प्रवेश करने के बाद भी जारी रहा। वहीं शराब के अलावा इस दौरान कोई अन्य चीज सर्वाधिक बिकी तो वह था चिकन व मटन। यानी इस दौरान बकरों व मुर्गों की शामत रही। और यह भी सच्चाई है कि जो लोग शराब तथा चिकन-मटन से दूर रहे, उनमें नये वर्ष का उत्साह भी उस स्तर का नहीं रहा। यानी कह सकते हैं कि नये साल का उत्साह तो केवल शराब और चिकन-मटन के दम पर था।

यह भी पढ़ें (Happy New Year) : नैनीताल में ‘फ्लॉप शो’ रहा नये वर्ष के स्वागत का उत्सव, होती रही बत्ती गुल…

नवीन समाचार, नैनीताल, 31 दिसंबर 2018 (Happy New Year) सरोवरनगरी में बीतते वर्ष 2018 को विदाई एवं नये वर्ष के स्वागत का पिछले करीब दो दशकों से होने वाला उत्सव इस वर्ष पूरी तरह से ‘फ्लॉप शो’ सरीखा रहा। नगर में ना ही पिछले वर्षों की तरह नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन की ओर से माल रोड पर लाइटिंग का प्रबंध था ना ही लाउडस्पीकर पर गीत-संगीत का ही प्रबंध था। ना ही प्रशासन द्वारा किये जा रहे दावे के अनुरुप बैंड स्टेंड पर पीएसी का बैंड ही बजा।

(Happy New Year) नगर के पंत पार्क व सेंचुरी पेपर मिल द्वारा गोद लिये गये बोट हाउस क्लब के सामने के कंपनी गार्डन में भी रोशनी का कोई प्रबंध नहीं था और न ही यहां फव्वारे ही चले। ऐसे में यहां पूरी तरह सन्नाटा रहा। कैपिटॉल सिनेमा के सामने के पार्क में भी सैलानी कम पत्थरों के ढेर अधिक नजर आये। वहीं बिना अलाव की अपेक्षित व्यवस्था के बाहर से आये सैलानियों को नये वर्ष के उत्साह की गर्मी की जगह हाड़ कंपाती ठंड में मुंशी प्रेम चंद की ‘पूस की रात’ याद आती रही।

(Happy New Year) उल्टे कई बार बिजली भी गुल होकर रही-सही कसर पूरी करती रही। ऐसे में अनेक सैलानी यह कहते सुने गये कि मीडिया में बहुप्रचारित ‘थर्टी फर्स्ट’ के नाम पर नैनीताल आकर ठगे से रह गये।

(Happy New Year) उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व तक नगर में थर्टी फर्स्ट यानी 31 दिसंबर की रात्रि यादगार रहती थी। लेकिन गत वर्ष 2017 में प्रशासन द्वारा वाहनों के नैनीताल में प्रवेश पर अत्यधिक सख्ती बरतने से नगर में नये वर्ष का स्वागत नैनीताल नागरिक मंच के बैनर तले आंदोलन-मशाल जुलूस आदि के साथ बीता। ऐसे में नैनीताल होटल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने प्रशासन के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए लाइटिंग और गीत-संगीत की व्यवस्था नहीं की। बावजूद गत वर्ष सैलानियों की भारी भीड़ रही।

(Happy New Year) संभवतः इसे देखते हुए इस वर्ष एसोसिएशन को लगा कि जब बिना प्रबंधों के भी सैलानी नगर में पहुंच ही रहे हैं तो क्यों ना इस वर्ष ही इन प्रबंधों पर होने वाला खर्च बचा लिया जाए। सो बिना प्रशासन से अनुमति मांगे ही मान लिया कि 10 बजे के बाद गीत-संगीत की अनुमति नहीं मिलेगी और इसी बात पर यह प्रबंध नहीं किये गये।

(Happy New Year) लगातार दूसरे वर्ष नहीं होगा माल रोड पर लाइटिंग और लाउडस्पीकर पर गीत-संगीत का कार्यक्रम,पर चिंता की बात नहीं

नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2018 (Happy New Year)। इस वर्ष भी लगातार दूसरे वर्ष सरोवरनगरी में लगातार दूसरे वर्ष 31 दिसंबर को पूर्व वर्षों की तरह माल रोड पर लाइटिंग और लाउडस्पीकर पर गीत-संगीत का कार्यक्रम नहीं होगा।

(Happy New Year) अलबत्ता नगर में आने वाले सैलानी इस जानकारी के बाद नगर में आने के अपने कार्यक्रम को बदलने से पहले जान लें कि नगर में भले गीत-संगीत के कार्यक्रम नहीं होंगे, किंतु नगर का आकर्षण अपनी जगह बरकरार रहेगा। नगर के मनु महारानी व शेरवानी हिल टॉप सहित कई होटलों में इस दौरान अपने मेहमानों के लिए खास कार्यक्रम गत वर्षों की तरह होंगे।

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2017 में यह रही थी स्थिति (Happy New Year) : आज पार्किंग नहीं तो गाड़ी रुकवाओगे, कल गेहूं नहीं तो जहर दिलाओगे….

-सरोवनगरी में नये वर्ष के स्वागत की जगह भारी आक्रोश के साथ निकली जन आक्रोश रैली
नैनीताल। आज पार्किंग नहीं तो गाड़ी रुकवाते हो-कल गेहूं न होगा तो जहर दिलाओगे.., जाम तो एक बहाना है, अंग्रेजी शासन लाना है, रोडवेज बस शहर में आ सकती है तो पर्यटक बस क्यों नहीं, नैनीताल पर्यटन स्थल है-इसे पर्यटन स्थल रहने दो, हड़पो नहीं, नैनीताल में वीवीआईपी जमावड़ा क्यों, टैक्सी से नैनीताल प्रतिबंधित मोहर हटाओ, रोजी-रोटी पर तकरार-यह कैसा मौलिक अधिकार

(Happy New Year) सरीखे नारे लिखी पट्टियों के साथ रविवार को नव वर्ष के स्वागत की जगह सरोवरनगरी ऐसे ही नारों से शाम ढलते गूंज उठी, और अंधेरा घिरने के साथ दिन में भी आंख मूंदे हुक्मरानों को रोशनी दिखाने को हाथों में मोमबत्तियां जल उठीं। लोग कदम से कदम मिलाते हुए गहरी नाराजगी के साथ मल्लीताल रामलीला मैदान से एकत्र होकर तल्लीताल तक आक्रोश के साथ गए और वापस लौटे।

(Happy New Year) नैनीताल नागरिक मंच के तत्वावधान में आयोजित हुए इस प्रदर्शन में मल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन सिंह नेगी, टैक्सी-ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष नीरज जोशी, होटल एसोसिएशन अध्यक्ष दिनेश साह, तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष भुवन लाल साह, विवेक वर्मा, ओमवीर सिंह, नरेंद्र नैनवाल, महावीर बिष्ट, दर्शन भंडारी, चंदन जोशी, सोनू बिष्ट, जीवंती भट्ट, जीत सिंह आनंद, कैलाश अधिकारी, भाजपा नगर अध्यक्ष मनोज जोशी व त्रिभुवन फर्त्याल सहित बड़ी संख्या में नगर वासी शामिल रहे।

यह भी देखें (Happy New Year) : स्थानीय स्तर पर तमाम नकारात्मकताओं, नाराजगी व सैलानियों के स्वागत के लिए दशकों से नगर को नववर्ष की पूर्व संध्या पर सजाने और सवा किमी लम्बी माल रोड को संगीत व अलाव के प्रबंध के साथ ‘दुनिया के सबसे बड़े डांसिंग फ्लोर’ में तब्दील करने जैसे प्रबंध न करने के बावजूद नैनीताल में कितनी संख्या में उमड़े सैलानी और वाहन.. क्योंकि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी….

(Happy New Year) पहली बार उत्तराखंड के सीएम ने ‘इस’ मौके पर बधाई दे कर मारा ‘मास्टर स्ट्रोक’

(Happy New Year) उत्तराखंड राज्य कहने को देवभूमि कहा जाता है,अलबत्ता यह अलग बात है कि यहाँ सप्ताह के दिन विशेष को एक धर्म विशेष को अवकाश देने जैसे तुष्टिकरण के कदम तो कथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ सरकार द्वारा उठाये जाते रहे हैं, परन्तु पहली बार राज्य के किसी मुख्यमंत्री ने राज्य वासियों को हिंदू नर्व वर्ष विक्रमी संवत के मौके पर बाकायदा कार्ड छपवाकर नये वर्ष की बधाई देने की पहल की है।

(Happy New Year) उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री वर्ष में केवल एक बार दीपावली के मौके पर ही इस तरह से बधाई देते रहे हैं। लेकिन इस हिंदू नव वर्ष के मौके पर राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने जिस तरह राज्य के गणमान्य जनों को बधाई दी है, उसे सरकार के ‘मास्टर स्ट्रोक’ के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अभी हाल में होली पर केवल एक दिन का ही अवकाश मिलने और कई त्योहारों की छुट्टियों में कटौती किये जाने से सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी देखी गयी थी।

‘समय’ पर भारत का समृद्ध ज्ञान :

श्रीमद्भागवत् के तृतीय सर्ग के एकादश अध्याय के अनुसार-सृष्टि का सबसे सूक्ष्मतम अंश परमाणु होता है, दो परमाणु मिलकर एक अणु बनाते है। तीन अणुओं के मिलने से एक ‘त्रसरेणु’ तथा तीन त्रसरेणु को पार करने में सूर्य को जितना समय लगता है उसे ‘त्रुटि’ कहते है। त्रुटि का सौ गुना काल ‘बेध’ कहलाता है। तीन बेध का एक ‘लव’ होता है। तीन लव से एक ‘निमेष’ तीन निमेष से लव का ‘क्षण’ पाँच क्षण का एक ‘लघु’ तथा 15 लघु की एक ‘नाड़िका’ दो नाड़िकाओं का एक ‘मुहूर्त’ होता है।

छः या सात नाड़िकाएँ मिलकर ‘प्रहर’ बनाती है। यह प्रहर ‘याम’ कहलाता है, जो मनुष्य के दिन-रात का चौथा भाग होता है। चार-चार प्रहर के दिन-रात होते है। 15 दिन-रात का एक ‘पक्ष’ होता है। यह ‘कृष्ण-पक्ष’ एवं ‘शुक्ल पक्ष’ यानी दो प्रकार का होता है। दो पक्षों का एक ‘मास’ होता है। दो मास की एक ‘ऋतु’ होती है। छः मास अर्थात तीन ऋतुओं का एक ‘अयन’ होता है। यह अयन ‘उत्तरायण’ एवं ‘दक्षिणायन’ यानी दो प्रकार का होता है। दो अयन मिलकर एक ‘वर्ष’ बनाते हैैं।

इसके अलावा ‘विष्णु पुराण द्वितीय अंश’ में वर्णित प्राचीन भारतीय काल-गणना के अनुसार ‘15 निमेष की एक काष्ठ, 30 काष्ठ की एक कला, 30 कला का एक मुहूर्त एवं 30 मुहूर्त का एक सम्पूर्ण दिन-रात्रि बनता है। सूर्याेदय से लेकर तीन मुहूर्त की गति के काल को प्रातः काल कहते है। यह सम्पूर्ण दिन का पाँचवा भाग होता है। इस प्रकार प्रातः काल के तीन मुहूर्त का समय सग्ङव कहलाता है तथा संग्ङवकाल के तीन मुहूर्त का मध्याह्न होता है। अपराह्न के बीतने पर सायंकाल आता है।’

समय ज्ञात करने के लिए भारत में सदियों पूर्व जल घड़ी का प्रयोग किया जाता था। जिसके लिए तांबे के बर्तन में छेद कर दिया जाता था, जिसमें सोने की 4 अंगुल लम्बी सलाई से बर्तन के पैंदे में छेद कर दिया जाता था तथा जब वह पूरी तरह भर जाता, जल में डूब जाता, उतने समय को एक नाड़िका कहा जाता था। जबकि वर्तमान मानव सभ्यता 1500-1300 ईसवी पूर्व मिश्र में सूर्य घड़ी का और सन् 1325 में मिश्र में ही पहली घड़ी का अविष्कारकर पाई।

कहने की जरूरत नहीं कि जब शेष विश्व के लोग दिन, रात, मास, तक के नाम नही जानते थे, भारतीय मनीषियों ने काल गणना के सुक्ष्म रूप से लेकर ब्रह्माण्ड से प्रलय तक की दीर्घतम गणना कर ली थी। समय गणना में सौर मण्डल को 360 अंशों में बाँटा गया और फिर इन 360 अंशों को 30-30 अंशों की बारह राशियाँ समय गणना के लिए तीन शब्द घंटा, मिनट, सेकेड प्रचलित है। जिन्हें संस्कृत भाषा में ‘अहोरात्र’ के नाम से जाना जाता है। अहोरात्र का अर्थ-दिन-रात से है।

जबकि घंटे के लिए ‘होरा’, मिनट के लिए ‘निमेज’ तथा सेकेंड के लिए ‘अनिमेष’ शब्द का प्रयोग किया गया है। एक अहोरात्र का मान 60 घड़ी या 24 घंटे होता है। दिनों का नाम सौर मण्डल मे स्थित ग्रहोें के आधार पर रखा गया, जो उनकी गति से निर्धारित होता है। सूर्य सौर मंडल का मुख्य ग्रह है, इसलिए प्रथम दिन रविवार कहलाता था इसी प्रकार मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, व शनिवार निर्धारित होते है। चार सप्ताह को मिलाकर एक मास, बारह महीनों को मिलाकर एक वर्ष बनता है।

भारत में मासों (माह) का नामकरण चन्द्रमा के बारह भ्रमण अवधि वृत्तों पर आधारित है, जो यूरोपीय मासों की अपेक्षा कई अधिक वैज्ञानिक है। प्रत्येक मास की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा जिस नक्षत्र का भोग करता है उसी के अनुसार उस मास का नाम पड़ जाता है जैसे-चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा ‘चित्रा’ नक्षत्र में रहता हैं अतः उस मास का नाम पड़ गया ‘चैत्र’ इसी प्रकार शेष ग्यारह मासो की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा क्रमशः विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा श्रावण, पूर्वभाद्रपद अश्विनी, कृतिका, मृगशिरा, पुण्य, मघा, तथा पूर्वाफाल्गुनी में स्थित होता है।

अतः इन मासों का नाम- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ श्रावण, भाद्रपद, अश्विनि, कार्तिक, मार्गाशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन पड़े। अग्नि पुराण के अनुसार-60 सम्वत्सर का पहला मण्डल समाप्त हो जाने के पश्चात अलग मण्डल पुनः इन्ही नामों से जाना जाता है।

इस प्रकार देखा जाए तो भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन तथा इसकी काल गणना अत्यन्त सूक्ष्म है। जबकि वर्तमान समय में लोक प्रचलित-‘‘ग्रेगोरियन कलैंडर’’ को वर्तमान स्वरूप 1752 ई॰ में ‘पोप ग्रेगरी’ ने दिया था। तभी से इसे ‘ग्रेगरियन कलैंडर’ कहा जाता है।

इसके पहले इसमें समय-समय में संशोधन होते रहे। ईसा के जन्म के बाद ही जनवरी को पहला मास माना गया, जबकि इसके पूर्व ईस्वी कलैंडर भी मार्च से प्रारम्भ होता था जो भारतीय चैत्र के समकालीन था। ग्रेगोरियन कलेंडर में आज भी सितम्बर (7वां) अक्टूबर (8वाँ) आदि नाम वैसे ही हैं, जब कि वे अब नवें तथा दसवें माह हैं।

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